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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#117



दो बातो ने मुझे उलझा रखा था की क्या रमा जानती थी चाचा ने ही उसकी बेटी को मारा था . दूसरा वैध को किसने मारा. वैध एक ऐसा इन्सान था जो कविता को भी पेल रहा था , रमा को भी . वैध जरुर जानता था की कविता उस रात जंगल में क्या करने गयी थी . मैं उसी वक्त कविता के घर पर गया और तलाशी लेने लगा पर इस बार कमरा कविता का नहीं बल्कि वैध का था .



बात केवल चुदाई की नहीं थी नशा उस सोने का भी था जिसका साला कोई दावेदार नहीं था . जर, जोरू और जमीन दुनिया में इस से बड़ा कोई नशा नहीं हुआ . ये तीन ही चीज था जो क्या से क्या करवा सकती थी . वैध के कमरे में मुझे बहुत कुछ मिला जो सोच से परे था. वैध ने अपनी बहु से ही चुदाई के सम्बन्ध बनाये थे, मतलब साफ़ था वो शौक़ीन बुढा था . बेटा उसका शहर में था घर पर जवान बहु दोनों को रोकने वाला कोई नहीं था .

चीजो को खंगालते हुए मैं सोच रहा था . और जो चीज मुझे खटकी वो थी उस झोले से निकला एक पहचान पत्र जिस पर वैध के बेटे रोहताश का फोटो था और जहाँ वो चोकिदारी करता था वहां का पता लिखा था , रोहताश शहर में था तो उसका ये परिचय पत्र यहाँ क्या कर रहा था . ये तो उसके पास होना चाहिए था न, मैंने गौर किया वो काफी समय से यहाँ गाँव में नहीं आया था , न कविता की मौत पर न बाप की मौत पर . क्या इतना जरुरी था उसका काम. चाचा के बारे में जो मैंने पिछली रात जाना था मुझे शंका होने लगी की कहीं रोहताश भी बस नाम का जिन्दा न हो. किसी ने बहुत पहले उसे भी रस्ते से हटा दिया हो.



पर किसने, शायद उसी न जिसने रमा के पति को मरवाया हो. ये दोनों लोग रमा और कविता के साथ खुली चुदाई में रोड़े थे , माना की रोहताश तो शहर में था पर रमा का आदमी यही रहता था तो मुमकिन था की दोनों को एक ही कातिल ने पेल दिया हो. मैंने वो परिचय पत्र जेब में डाला उन चुदाई की किताबो को झोले में वापिस रखा और तुंरत अंजू के पास गया .

अंजू- क्या हुआ साँस क्यों उखड़ रही है तुम्हारी

मैं- मदद चाहिए

अंजू- मुझसे कैसी मदद

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- मेरी बहन अगर मेरी मदद नहीं करेगी तो कौन करेगी

अंजू- बता क्या चाहिए

मैं- गाडी की चाबी और रमा को धर लो जहाँ भी मिले , चाहे उसकी खाल उतारनी क्यों ना पड़े. उस से पूछो वैध को किसने मारा.

अंजू- धर तो लुंगी पर फिर कहना मत की क्या कर दिया

मैं- जो चाहे करो

उसने मुझे चाबी दी और मैंने गाडी शहर की तरफ दौड़ा दी. मैं सीधा वहां गया जहाँ का पता परिचय पत्र पर था और वहां एक छिपा सच मेरा इंतज़ार कर रहा था . मालूम हुआ की एक बार रोहताश छुट्टी गया था फिर कभी लौटा ही नहीं . इसका अंदेशा तो था मुझे पर पुष्टि जरुरी थी . मैंने गाडी वापिस मोड़ दी. अब रमा ही वो चाबी थी जो कुछ बातो के ताले खोलने वाली थी . वापसी में मैं मलिकपुर होते हुए आया. रमा के कमरे पर ताला लगा था . मैंने ताले को तोड़ दिया और तलाशी लेने लगा पर यहाँ कुछ भी नहीं था . रमा अपना अतीत साथ लेकर नहीं आई थी यहाँ .



चौधरी रुडा से मिलने की एक और कोशिश नाकाम रही , आज भी नहीं मिला वो मुझे बता नहीं सकता कितनी हताशा थी मुझे उस वक्त. पर हालात पर भला किसका जोर चला है जो मेरा चलेगा. दिमाग में बहुत कुछ था , हो सकता था की राय साहब के कहने पर ही मंगू ने वैध को भी मारा हो . हो सकता था की इस शतरंज के असली खिलाड़ी राय साहब ही रहे हो जंगल में सबने अपनी अपनी जिन्दगिया जी थी . सबको एक साथ लाना बहुत टेढ़ा काम था .



रोहताश मर चूका था उसकी लाश यही कहीं इसी जंगल में गाड दी गयी होगी. चंपा का राय साहब से सिर्फ इसलिए चुदना की वो अहसान उतार रही थी मामला जम सा नहीं रहा था . घर वापिस आने के बाद मैं सीधा चाची के पास गया .

मैं- मुझे हर हाल में मालूम करना है की चंपा क्यों चुदी राय साहब से . चाची तुम्हारे बहुत करीब है वो ये बात पता करके दो

चाची- इस बारे में हमने बात की थी न, और फिर ब्याह के बाद वो चली ही जाएगी छोड़ो इस बात को

मैं- नहीं छोड़ सकता . मालूम करके बताओ

चाची- कोशिश करती हूँ

मैंने हाँ में सर हिलाया और दरवाजे से बाहर निकला ही था की भाभी से टकरा गया .

भाभी- देख कर चला करो , सर फूट ही गया क्या मेरा

मैं- रोहताश मर चूका है. एक बार छुट्टी आया तो फिर वो वापिस नहीं गया काम पर . प्रकाश को राय शाब ने मरवाया मंगू के हाथो कहीं ऐसा तो नहीं की मंगू ने ही वैध, रोहताश, को मारा हो .

भाभी- राय साहब के कमरे की तलाशी लेने की कोशिश करो . क्या पता कुछ सुराग मिले. वैसे अभिमानु के पास कमरे की एक चाबी हमेशा रहती है .

मैं- बात चाबी की नहीं है मैं ताला भी तोड़ दू. पर बाप इधर ही है , उसे किसी काम में उलझा दिया जाये की वो कमरे में न आ पाए तो भी मेरा काम हो जायेगा.

भाभी- कोशिश करती हूँ .

तभी मैंने देखा की अभिमानु भैया पैदल ही घर से बाहर जा रहे थे . मैंने देखा की बाप हमारा हलवाइयो से बात कर रहा था मैंने सही समझा और उसके कमरे में घुस गया . एक बार फिर से मैं कुछ तलाशना चाहता था . दराज में पड़े कागजो पर जो हाथ डाला, तो किस्मत ने मेरा ऐसा साथ दिया की अगर किस्मत सामने होती तो उसके लब चूम लिए होते मैंने.

 

Death Kiñg

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#116 Review.

Kya hi kahen ab!? Pehle laga tha ki Rama ki beti, Jarnail ka khoon thi, jaisa Kabir ne us tasveer se nishkarsh nikala tha. Par Chachi ka khulasa ki Jarnail ne Rama ki beti ki izzat looti, is baat ko khaarij sa karta hai. Jarnail hadd neech to tha, ye saabit ho gaya hai, par kya apni hi beti ko bhi nahi chhoda tha usne?

Chachi ka faisla sarahniya tha, unhone sahi ko chuna, nyaya ko chuna, wahi chuna jo ek insaan ko us pal chun na chahiye tha! Jab byakti, apne swarth aur rishton se oopar uthkar, nyaya aur insaaniyat ko chunta hai, tabhi wo insaan kehlata hai. Is andho aur vehshi jaanwaron ke gaaon mein Chachi aur Abhimanu jaise log saabit karte hain ki jahaan paap hai wahaan punya bhi hai, jahaan daanav hai wahaan dev bhi hai. Abhimanu ka kirdar, jaisa maine pehle bhi kaha tha, yadi wo shakhs ant tak satya aur dharm ke sang raha, to ye kirdar amar ho jaayega. Birle hi koyi byakti, jo kahani ka naayak athva naayika na ho, aisi pehchan bana paata hai, jaisi Abhimanu ki bani hai.

Is tarah ke parivar ko, jismein paapiyon ki kami na ho, saath baandhe rakhna hi Abhimanu ki jeet hai. Apne chacha ke karmon ko, apne baap ki asliyat ko, chachi ne Jarnail ko maara, is hakikat ko, Anju ki byatha ko, aur naa jaane kya – kya!? Abhimanu ne apne seene mein sab daba rakha hai. Nandini ne ek baar kaha tha ki Abhimanu har raat marta hai aur for dobara, har subah apne parivar ke liye uth khada hota hai... Mohar si lag gayi yahaan Nandini ki baat par. Shayad wo bhi sab jaanti hai, tabhi Kabir ko is ghatiya ateet se door rakhna chahti thi.

Anju... Jab kahani mein aayi thi to ek sahayak paatra lagi, fir laga ki Abhimanu sang koyi rishta hai iska, fir laga ki Parkaash sang sambandh hain iske, beech mein ghamandi aur nakchadhi bhi lagi, aur pichhle kuchh samay se laga ki Kabir sang ek prem ka bandhan hoga shayad Anju ka bhavishya mein... Par is bhaag ne Anju ki ehmiyat kahani ke baaki kayi kirdaron se adhik badha di hai... Ek ladki ka jab shoshan hota hai, uske shareer ko, uski aatma ko nocha jaata hai, tab uski manodasha kya hoti hogi, sochkar hi hridya kaanp jaata hai. Aur yahaan to Anju ke saath ye daanviya kaarya ek aise shakhs ne kiya jise wo apne Pita tulya hi maanti thi... Bahadur, bohot bahadur hai wo ladki jo ab tak ladd rahi hai sabse.. khud se!

Idhar Jarnail ki hakikat saamne aayi hai to udhar Vishambar Dayal ki hakikat ki sugbugahat bhi hone lagi hai. Agar Jarnail aisa tha to Vishambar Dayal kaisa hoga!? Champa ki kahani saamne hai, aisa lagta hai par kya yahi asal kahani hai? Kya Champa ke saath bhi wahi nahi hua hoga jo Anju sang hua? Jaane kitni ladkiyon/mahilaon ko nocha hoga Vishambar Dayal ne? Jarnail ke jo kisse Chachi aur Abhimanu ke saamne aa gaye, wo theek par kitne hi kisse jo dab gaye honge waqt ki ret mein, unka kya!? Kitni hi cheenkhein dabi hain is jungle mein, is gaaon mein, jinse hum anjaan hain...

Bahut hi dardnak update tha bhai. Kabir ka Anju ke kadmon mein girna aur aansun bahana, hridya – vidarak tha. Pratiksha rahegi agle bhaag ki...
 
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#117



दो बातो ने मुझे उलझा रखा था की क्या रमा जानती थी चाचा ने ही उसकी बेटी को मारा था . दूसरा वैध को किसने मारा. वैध एक ऐसा इन्सान था जो कविता को भी पेल रहा था , रमा को भी . वैध जरुर जानता था की कविता उस रात जंगल में क्या करने गयी थी . मैं उसी वक्त कविता के घर पर गया और तलाशी लेने लगा पर इस बार कमरा कविता का नहीं बल्कि वैध का था .



बात केवल चुदाई की नहीं थी नशा उस सोने का भी था जिसका साला कोई दावेदार नहीं था . जर, जोरू और जमीन दुनिया में इस से बड़ा कोई नशा नहीं हुआ . ये तीन ही चीज था जो क्या से क्या करवा सकती थी . वैध के कमरे में मुझे बहुत कुछ मिला जो सोच से परे था. वैध ने अपनी बहु से ही चुदाई के सम्बन्ध बनाये थे, मतलब साफ़ था वो शौक़ीन बुढा था . बेटा उसका शहर में था घर पर जवान बहु दोनों को रोकने वाला कोई नहीं था .

चीजो को खंगालते हुए मैं सोच रहा था . और जो चीज मुझे खटकी वो थी उस झोले से निकला एक पहचान पत्र जिस पर वैध के बेटे रोहताश का फोटो था और जहाँ वो चोकिदारी करता था वहां का पता लिखा था , रोहताश शहर में था तो उसका ये परिचय पत्र यहाँ क्या कर रहा था . ये तो उसके पास होना चाहिए था न, मैंने गौर किया वो काफी समय से यहाँ गाँव में नहीं आया था , न कविता की मौत पर न बाप की मौत पर . क्या इतना जरुरी था उसका काम. चाचा के बारे में जो मैंने पिछली रात जाना था मुझे शंका होने लगी की कहीं रोहताश भी बस नाम का जिन्दा न हो. किसी ने बहुत पहले उसे भी रस्ते से हटा दिया हो.



पर किसने, शायद उसी न जिसने रमा के पति को मरवाया हो. ये दोनों लोग रमा और कविता के साथ खुली चुदाई में रोड़े थे , माना की रोहताश तो शहर में था पर रमा का आदमी यही रहता था तो मुमकिन था की दोनों को एक ही कातिल ने पेल दिया हो. मैंने वो परिचय पत्र जेब में डाला उन चुदाई की किताबो को झोले में वापिस रखा और तुंरत अंजू के पास गया .

अंजू- क्या हुआ साँस क्यों उखड़ रही है तुम्हारी

मैं- मदद चाहिए

अंजू- मुझसे कैसी मदद

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- मेरी बहन अगर मेरी मदद नहीं करेगी तो कौन करेगी

अंजू- बता क्या चाहिए

मैं- गाडी की चाबी और रमा को धर लो जहाँ भी मिले , चाहे उसकी खाल उतारनी क्यों ना पड़े. उस से पूछो वैध को किसने मारा.

अंजू- धर तो लुंगी पर फिर कहना मत की क्या कर दिया

मैं- जो चाहे करो

उसने मुझे चाबी दी और मैंने गाडी शहर की तरफ दौड़ा दी. मैं सीधा वहां गया जहाँ का पता परिचय पत्र पर था और वहां एक छिपा सच मेरा इंतज़ार कर रहा था . मालूम हुआ की एक बार रोहताश छुट्टी गया था फिर कभी लौटा ही नहीं . इसका अंदेशा तो था मुझे पर पुष्टि जरुरी थी . मैंने गाडी वापिस मोड़ दी. अब रमा ही वो चाबी थी जो कुछ बातो के ताले खोलने वाली थी . वापसी में मैं मलिकपुर होते हुए आया. रमा के कमरे पर ताला लगा था . मैंने ताले को तोड़ दिया और तलाशी लेने लगा पर यहाँ कुछ भी नहीं था . रमा अपना अतीत साथ लेकर नहीं आई थी यहाँ .



चौधरी रुडा से मिलने की एक और कोशिश नाकाम रही , आज भी नहीं मिला वो मुझे बता नहीं सकता कितनी हताशा थी मुझे उस वक्त. पर हालात पर भला किसका जोर चला है जो मेरा चलेगा. दिमाग में बहुत कुछ था , हो सकता था की राय साहब के कहने पर ही मंगू ने वैध को भी मारा हो . हो सकता था की इस शतरंज के असली खिलाड़ी राय साहब ही रहे हो जंगल में सबने अपनी अपनी जिन्दगिया जी थी . सबको एक साथ लाना बहुत टेढ़ा काम था .



रोहताश मर चूका था उसकी लाश यही कहीं इसी जंगल में गाड दी गयी होगी. चंपा का राय साहब से सिर्फ इसलिए चुदना की वो अहसान उतार रही थी मामला जम सा नहीं रहा था . घर वापिस आने के बाद मैं सीधा चाची के पास गया .

मैं- मुझे हर हाल में मालूम करना है की चंपा क्यों चुदी राय साहब से . चाची तुम्हारे बहुत करीब है वो ये बात पता करके दो

चाची- इस बारे में हमने बात की थी न, और फिर ब्याह के बाद वो चली ही जाएगी छोड़ो इस बात को

मैं- नहीं छोड़ सकता . मालूम करके बताओ

चाची- कोशिश करती हूँ

मैंने हाँ में सर हिलाया और दरवाजे से बाहर निकला ही था की भाभी से टकरा गया .

भाभी- देख कर चला करो , सर फूट ही गया क्या मेरा

मैं- रोहताश मर चूका है. एक बार छुट्टी आया तो फिर वो वापिस नहीं गया काम पर . प्रकाश को राय शाब ने मरवाया मंगू के हाथो कहीं ऐसा तो नहीं की मंगू ने ही वैध, रोहताश, को मारा हो .

भाभी- राय साहब के कमरे की तलाशी लेने की कोशिश करो . क्या पता कुछ सुराग मिले. वैसे अभिमानु के पास कमरे की एक चाबी हमेशा रहती है .

मैं- बात चाबी की नहीं है मैं ताला भी तोड़ दू. पर बाप इधर ही है , उसे किसी काम में उलझा दिया जाये की वो कमरे में न आ पाए तो भी मेरा काम हो जायेगा.

भाभी- कोशिश करती हूँ .

तभी मैंने देखा की अभिमानु भैया पैदल ही घर से बाहर जा रहे थे . मैंने देखा की बाप हमारा हलवाइयो से बात कर रहा था मैंने सही समझा और उसके कमरे में घुस गया . एक बार फिर से मैं कुछ तलाशना चाहता था . दराज में पड़े कागजो पर जो हाथ डाला, तो किस्मत ने मेरा ऐसा साथ दिया की अगर किस्मत सामने होती तो उसके लब चूम लिए होते मैंने.
Nice...update....💐💐👍
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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निशा किस तरह से कबीर और नंदिनी से जुड़ी है,
कही निशा के डाकन बनने की वजह ये तो नही की जरनैल ने उसके साथ भी कुछ बुरा किया या

फिर राय साहब ने सच में बंजारों और सुनैना के साथ दगाबाजी की थी

भाभी का बार बार ये बोलना की राय साहब कभी निशा से कबीर की शादी के लिए मंजूर नहीं होंगे
बहुत से बात छुपाए है


मैं उस राज का इंतजार कर रहा हूं जिसे निशा ने कबीर को बता दिया है और नदीनीं नही चाहती थी की कबीर को पता चले

निशा जल्दी से वापस आए कहानी में, कहानी को एक बहुत बड़ा मोड़ वो भी देगी

शानदार अपडेट भाई
 
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Death Kiñg

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मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- मेरी बहन अगर मेरी मदद नहीं करेगी तो कौन करेगी
:love3:

कितनी ही ऐसी पंक्तियां और संवाद हैं इस कहानी में जो सीधे दिल पर असर कर जाते हैं। उसी का एक उदाहरण था ये। बहरहाल, जैसा मैंने पहले भी कहा था कि पाठकों को मूर्ख बनाने में फौजी भाई का कोई सानी नहीं, एक बार फिर साबित हो गई ये बात। कहां, पाठकों के रिव्यू के प्रत्युत्तर में आप प्रेम त्रिकोण दर्शा रहे थे, और कहां ये.. जय हो, पाठकों के दिमाग का कचूमर बनाने वाले की... :bow:

रमा.. सत्य है, इसे ही पकड़ना चाहिए सबसे पहले। कहानी में, महिलाओं के पात्रों में यदि किसी के सबसे अधिक पुरुषों के साथ संबंध हैं तो वो रमा ही है। कभी ये अपने पति को मौत का गम करती है, कभी अपनी बेटी की मृत्यु का इल्ज़ाम अभिमानु पर लगाती है, कभी वैद द्वारा जरनैल के खुलासे पर ये अश्रु बहाती है और कभी इसके घर से इसकी और इसकी बेटी की जरनैल के साथ तस्वीर भी मिल जाती है... और अब चाची का खुलासा की रमा की बेटी को भी नोच खाया था उस वहशी दरिंदे, जरनैल ने... अंजू, इस कार्य के लिए उपयुक्त है, कबीर के सामने भले ही रमा का मुंह न खुले, पर अंजू उसका गुर्दा – फेफड़ा चीरकर भी सच बाहर निकाल ही लेगी।

इस बीच ये भी पता चल गया की रोहताश भी गायब है, या शायद मर ही चुका है। सरला, रमा और कविता.. तीनों के ही पति मर चुके हैं, और ये कोई संयोग हो ही नहीं सकता। अब देखना ये है की इस कार्य के पीछे जरनैल ही था, या कबीर के संदेहानुसार विशम्बर दयाल का कुत्ता मंगू। कबीर की मुलाकात रूड़ा से एक बार फिर नहीं हो पाई, परंतु कहीं न कहीं लग रहा है की रूड़ा भी जरनैल का ही मौसेरा भाई साबित हो सकता है। या हो सकता है, की अभी तक काली छाया में नज़र आया रूड़ा असल में एक अच्छा किरदार हो!

चम्पा का अतीत खंगालने का काम कबीर ने चाची को दिया है, देखते हैं उन्हें कुछ पता चलेगा या नहीं। वैसे लगता तो है की चाची, चम्पा से सच पता कर लेगी। बाकी देखते हैं। अभिमानु बाहर कहां जा रहा था? वो भी जान गया है शायद की कबीर सच जान चुका है, देखते हैं वो क्या कर रहा है अपनी तरफ से!

विशम्बर दयाल के कमरे से क्या मिला कबीर को? कहीं वसीयत का वो चौथा पन्ना तो नहीं!?

प्रतीक्षा रहेग अगले भाग की...
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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राय साहब इस बात का साक्षात उधारण है की

दुनिया के सबसे आदर्शवादी इंसान असल जिंदगी में सबसे बड़े...
सब जानते है आगे क्या लिखूंगा,
बाकी तो मछली जल की रानी है


ये रूढ़ा का क्या चक्कर है, इतनी कोशिश के बाद भी आखिर कबीर कभी रूढ़ा से क्यों नही मिला पाता

उम्मीद है की आने वाले अपडेट में ये राज खुलेगा की अंजू 5 साल बाद ही वापस क्यों आई??

क्या पता रोहतास जिंदा हो, अगर इस कहानी में 2 आदमखोर है तो एक रोहतास हो सकता है
क्योंकि कभी कभी लगता है की एक आदमखोर कबीर को हर बार जिंदा छोड़ देता है
और कभी कभी लगता है की आदमखोर कबीर को जान से मारना चाहता है जैसे उस रात जब कबीर विशम्बर दयाल और रमा की रंगरेलिया देखने के बाद जिस से लड़ा था

भाई वक्त आ गया बहन के लौड़े मंगू की मां चोदने की, अब वही बकेगा
और एक request है कम से कम कहानी खत्म होने से पहले विशम्बर दयाल को कूटवा देना एक बार
मन को शांति मिल जाएगी please

क्या वो वसीयत का चौथा पन्ना है या फिर पुराना कोई खत
प्रतीक्षा अगले अपडेट की
 
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Raj_sharma

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#116

गड्ढे में पड़े कंकाल के टुकड़े चीख चीख कर बता रहे थे की क्यों राय साहब और अभिमानु उसे तलाश नहीं कर पाए थे, करते भी कैसे वो तो यहाँ दफ़न था और उसे दफ़न करने वाली कोई और नहीं बल्कि उसकी अपनी पत्नी थी, वो पत्नी जिसने इतने बड़े राज को बड़े आराम से छिपाया हुआ था .मुझे शक तो उसी पल हो गया था जब उन गहनों को देख कर भी चाची की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई थी. मैंने तभी ये जा फेंकने का सोच लिया था और किस्मत देखो चाची फंस गयी थी .



मैं- क्यों किया ये सब , जरा भी नहीं सोची की अगर राय साहब को मालूम हुआ तो क्या करेंगे वो तुम्हारे साथ.



चाची- आदमी के पापो का घड़ा जब भर जाता है न कबीर तो वो घड़ा अपने आप नहीं फूटता , किसी न किसी को हिम्मत करनी पड़ती है उसे फोड़ने के लिए, जिसे तू अपना चाचा समझता है न वो राक्षस था और राक्षसों का अंत होना ही उचित है. मैं नहीं मारती तो अभिमानु मार देता छोटे ठाकुर को मैंने बस अभिमानु के हाथ गंदे नहीं होने दिए.



मैं- तो क्या भैया जानते है इस बात को



चाची- एक वो ही तो है जो सबके किये पर मिटटी डाले हुए है



मैं बहुत कुछ समझ रहा था चाचा की मौत को भैया ने चाची की वजह से छिपाया था अगर पिताजी को मालुम होती तो वो बक्शते नहीं चाची को .

मैं- तो वो क्या कारण था जो तुमने अपने हाथो से अपना सुहाग उजाड़ दिया.

चाची - सुहाग के नाम कर कालिख था ये आदमी. सच कहूँ तो आदमी कहलाने के लायक ही नहीं था ये नीच. हवस में डूबे इस आदमी ने रमा की बेटी का बलात्कार किया था . एक मासूम फूल को उजाड़ दिया था इसने. ये बात अभिमानु को भी मालूम हो गयी थी, अपनी शर्म में उसने जैसे तैसे इस बात को दबा दिया. रमा ने बहुत गालिया दी उसे. पर वो चुप रहा . सब सह गया ताकि परिवार की बदनामी न हो . पर तेरा चाचा सिर्फ वही तक नहीं रुका. उसने वो किया जो करते हुए उसके हाथ कांपने चाहिए थे.



चाची ने पास रखे मटके से गिलास भरा और अपना गला तर किया. कुछ देर वो खामोश रही पर वो दो लम्हों की ख़ामोशी मुझे बरसो के इंतज़ार सी लगी.



चाची- छोटे ठाकुर ने अंजू का बलात्कार किया था .



चाची के कहे शब्दों का भार इतना ज्यादा था की मैंने खुद को उस बोझ तले दबते हुए महसूस किया. .



चाची- अंजू का हमारे घर में बहुत बड़ा ओहदा है, जैसे की तू और अभिमानु ,हमारे घर की सबसे प्यारी बेटी अंजू. सुनैना को बहुत मानते थे जेठ जी. उनकी कोई बहन नहीं थी शायद इस वजह से, सुनैना की मौत के बाद अंजू को दो पिताओ का प्यार मिला. रुडा और जेठ जी. ये रमा की बेटी की मौत के कुछ दिनों बाद की बात होगी. अंजू अक्सर कुवे पर आती थी . इस जंगल में बहुत जी लगता था उसका. पर एक शाम नशे में धुत्त तेरे चाचा की आँखों पर वासना की ऐसी पट्टी चढ़ी की वो समझ नहीं पाया की जिस वो भोग रहा है वो उसके ही घर की बेटी है .



मैं और अभिमानु जब यहाँ पहुंचे तो अंजू को ऐसी हालात में देख कर घबरा गए. हमारे सीने में ऐसी आग थी की उस पल अगर दुनिया भी जल जाती न तो कोई गम नहीं होता. जब अंजू ने उसके गुनेहगार का नाम बताया तो हमें बहुत धक्का लगा. एक तरफ बेटी की आन थी दूसरी तरफ पति का पाप. मैंने अपनी बेटी को चुना. छोटे ठाकुर को तो मरना ही था , मैं नहीं मारती तो चौधरी रुडा मार देता. अभिमानु मार देता या फिर जेठ जी मार देते. मेरा दिल बहुत टुटा था, उस इन्सान की हर खता माफ़ की थी मैंने , पर अगर ये पाप माफ़ करती तो फिर कभी खुद से नजरे नहीं मिला पाती. अपनी बेटी के न्याय के लिए मैंने छोटे ठाकुर को मार दिया और यहाँ दफना दिया ताकि कोई उसे तलाश नहीं कर पाए.

“दर्द सिर्फ तेरे हिस्से में नहीं है , यहाँ बहुत है जिन्होंने दर्द पिया है , दर्द जिया है ” अंजू के कहे ये शब्द मेरे कलेजे को बेध रहे थे .

तो ये था वो सच जो मेरी दहलीज में छिपा था .ये था वो राज वो भैया हर किसी से छिपाने की कोशिश कर रहे थे . अब मैंने जाना था की अंजू क्यों इतनी अजीज थी मेरे घर में . मैं समझा था की सोने के लिए ये सब काण्ड हुए है पर असली कारण ये था .



नफरत से मैंने चाचा के कनकाल पर थूका और उस गड्ढे को वापिस मिटटी से भरने लगा. जिन्दगी वैसी तो बिलकुल नहीं थी जिसे मैं सोचते आया था . समझते आया था . अगर मेरे सामने ऐसी हरकत चाचा ने की होती तो मैं भी उसे मार देता . फर्क सिर्फ इतना था की भैया और चाची उसकी मौत को छिपा गए थे मैं सरे आम चौपाल पर मारता उसे, ताकि फिर कोई कीसी की बहन-बेटी की आबरू तार-तार न कर सके.

चाची के गले लग कर बहुत रोया मैं उस रात. घर वापसी में मेरे कदम जिस बोझ के तले दबे थे वो मैं ही जानता था .मैंने देखा की भैया छज्जे के निचे सोये हुए थे, मैं उनके बिस्तर में घुसा, झप्पी डाली और आँखे बंद कर ली.



सुबह मैं उठा तो देखा की अंजू आँगन में बैठी थी . मैं उसके पास गया.

अंजू- क्या हुआ क्या चाहिए.

मैंने उस से कुछ नहीं कहा. बस उसके पांवो पर हाथ लगा कर अपने माथे पर लगा लिया. मेरे आंसू उसके पैरो पर गिरने लगे. उसने मुझे अपने पास बिठाया और बोली- क्या हुआ .

मैं कह नहीं पाया उस से की क्या हुआ. मेरा गला जकड़ गया . उसके सीने से लग कर मैं बस रोता ही रहा . वो मेरी पीठ सहलाती रही . बिना बोले ही हम लोग बहुत कुछ समझ गए थे.

मैं भाभी के पास गया और उनसे निशा के बारे में बात की . कल निशा को लेकर आना था मुझे.

भाभी- ले आ उसे देखा जायेगा जो होगा

मैं- कुछ पैसे चाहिए थे , शहर जाकर कपड़े गहने लाने है उसके लिए

भाभी- ये तेरा काम नहीं है , मैं देख लुंगी उसे. मैंने पूजारी को बता दिया है चंपा के फेरे होते ही तुरंत तुम दोनों के फेरे करवा देगा .


निशा को तो मैं ले ही आने वाला था पर मुझे उस से पहले कुछ राज और मालूम करने थे , गले में पड़े लाकेट को पकड़ कर मैंने दाई बाई घुमाया और सोचने लगा की मेज पर उकेरे शब्द और उन चुदाई की किताबो का क्या नाता हो सकता है .
To mere saq sahi nikla foji bhai ji, chachi hi chacha ki katil nikli,
Or chacha mil gaya.
Kabir ne anju se maun mafi mang li, ek bohot bade raaj se parda hat gaya. Dekhte hai aage kya hota hai or kabir ka agla kadam kya hota hai.
Der se aaye per durust aaye.
Jane se pahle ho sake to kahani poori kar jana bhai ji. Ise dubara padhkar 3 mahine nikaal 🤣🤣
 
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