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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Tiger 786

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#112

मैंने निशा को साथ लिया और हम लोग उस जगह पर आ गए जहाँ पर पिताजी मुझे लेकर आये थे. समाधी अभी भी वैसी ही थी जैसा मैं उसे छोड़ कर गया था .

मैं- अगर वो सुनैना की समाधी थी तो ये किसकी समाधी है

निशा- मैं क्या जानू , पर इतना जानती हूँ की सुनैना की समाधी वहां है जहां मैं तुझे लेकर गयी थी चाहे तो तस्दीक कर ले.

मैं- मानता हु तेरी बात तो फिर राय साहब ने झूठ क्यों कहा. क्या छिपा रहे थे वो.

निशा- अब आये है तो ये भी तलाश लेते है , जंगल बड़ा रहस्यमई है , इसकी ख़ामोशी में चीखे है लोगो की . देखते है यहाँ की क्या कहानी है. उम्मीद है ये रात दिलचस्प होगी.

मैंने मुस्कुरा कर देखा उसे. अपनी जुल्फों को चेहरे से हटाते हुए वो भी मुस्कुराई और टूटी समाधी को देखने लगी.

निशा- यहाँ भी धन पड़ा है

मैं- यही तो समझ नही आ रहा की ऐसा कौन हो गया जो खुले आम अपने धन को फेंक गया. अजीब होगा वो सक्श जिसे दुनिया की सबसे मूल्यवान धातु का मोह नहीं.

पता नहीं निशा ने मेरी बात सुनी या नहीं सुनी वो उन दो कमरों की तरफ बढ़ गयी थी . पत्थर उठा कर बिना किसी फ़िक्र के उसने बड़े आराम से दोनों कमरों के ताले तोड़ दिए. उसके पीछे पीछे मैं भी अन्दर आया. कमरे बस कमरे थे , कुछ खास नहीं था वहां . एक कमरा बिलकुल खाली था , दुसरे में एक पलंग था जिसकी चादर बहुत समय से बदली नहीं गयी थी . मैंने निशा को देखा जो गहरी सोच में डूब गयी थी .

मैं- क्या सोच रही है

निशा- इस जगह को समझने की कोशिश कर रही हूँ. इन कमरों का तो नहीं पता पर जहाँ तक मैं समझी हूँ तेरे कुवे और मेरे खंडहर से लगभग समान दुरी है यहाँ की . इस सोने को देखती हूँ , तालाब में पड़े सोने को देखती हूँ तो सोचती हूँ की कोई तो ऐसा होगा जो इन तीनो जगह को बराबर समझता होगा. पर यहाँ लोग आते है खंडहर पर कोई आता नहीं



निशा कुछ कह रही थी मेरे दिमाग में कुछ और चल रहा था .इस जगह से बड़ी आसानी से कुवे पर और निशा के खंडहर पहुंचा जा सकता था तो इस जगह का इस्तेमाल चुदाई के लिए भी सकता था . खंडहर का कमरे में चुदाई हो सकती थी तो यहाँ भी हो सकती थी, और अगर मामला चुदाई का था तो चाचा वो आदमी हो सकता था जो दोनों जगह के बारे में जानता होगा

मैं- ठाकुर जरनैल सिंह वो आदमी हो सकता है निशा जिसका सम्बन्ध तीनो जगह कुवे, यहाँ और खंडहर से हो सकता है. वसीयत का चौथा पन्ना हो न हो चाचा के बारे में ही है. और अगर चाचा तीनो जगह इस्तेमाल करता था तो पिताजी भी करते होंगे क्योंकि आजकल वो भी चाचा की राह पर ही चल दिए है , दोनों भाइयो के बीच झगडा किसी औरत के लिए ही हुआ होगा.

निशा- क्या लगता है तुझे रमा हो सकती है वो औरत .

मैं- चाचा के जीवन म तीन प्रेयसी थी , कविता, सरला और रमा. सबसे जायदा सम्भावना रमा की है . कविता हो न हो उस रात चाचा से मिलने ही आई होगी , पर बदकिस्मती से उसकी हत्या हो गयी.



निशा- पर ठाकुर जरनैल कहाँ है और छिपा है तो क्यों , किसलिए



मैं- कहीं चाचा तो आदमखोर नहीं . जब कविता उस से मिली उस समय शायद उसका रूप बदला हो और उसने कविता को मार दिया हो. सम्भावना बहुत ज्यादा है इस शक की क्योंकि कई बार मैंने भी महसूस किया है की आदमखोर से कोई तो ताल्लुक है मेरा. इसी बीमारी के कारन चाचा को छिप कर रहना पड़ रहा हो .

निशा- ऐसा है तो विचित्र है ये .

मैं- जंगल ने जब इतने राज छिपाए हुए है तो ये राज भी सही . राय साहब ने चौथा पन्ना इसलिए ही रखा होगा की चाचा का राज कभी कोई समझ नहीं पाये. जब जब राय साहब काम का बहाना करके गाँव से गायब होते है तो जरूर वो अपने भाई की देख रेख ही करते होंगे. राय साहब अक्सर चांदनी रातो में ही गायब होते है .



निशा- पुष्टि करने के लिए हमें इस जगह की निगरानी करनी होगी.



मैं- मैं करूँगा ये काम. चाचा से मिलने को सबसे बेताब मैं हूँ . बहुत सवाल है मेरे उनसे. पर एक चीज खटक रही है अभी भी मुझे की गाड़ी कहाँ छिपाई गयी चाचा की .

निशा- ठाकुर साहब इधर है तो गाडी भी यही कहीं होनी चाहिए. देखते है



हम लोग बहुत बारीकी से निरक्षण करने लगे. ऐसा कुछ भी नहीं था जो असामान्य हो .

“मैं उसे वहां छिपाती जहाँ वो सबकी नजरो में तो हो पर उस पर किसी का ध्यान नहीं जाए ” अंजू के शब्द मेरे जेहन में गूंजने लगे.

“क्या है वो जो आम होकर भी खास है . ” मैंने खुद से कहा.

मेरे ध्यान में आया की कैसे खंडहर में मुझे वो कमरे मिले थे . मैंने वैसे ही कुछ तलाशने का सोचा . एक बार फिर मैं उस कमरे में आया जहाँ कुछ भी नहीं था . अगर इस कमरे में कुछ भी नहीं था तो इसे बनाया क्यों गया . कुछ तो बात जरुर थी . सब कुछ देखने के बाद भी निराशा मुझ पर हावी होने लगी थी .

“मैं सोच रही हूँ की जब सुनैना यहाँ नहीं तो फिर उसकी समाधी यहाँ क्यों बनाई ” निशा ने कहा

मैं- समाधी, निशा, समाधी. ये कोई समाधी नहीं है निशा ये एक छलावा है . जिसमे मैं फंस गया . दिखाने वाले ने जो दिखाया मैं उसे ही सच मान बैठा. दिखाने वाले ने मुझे सोना दिखाया मैं उसमे ही रह गया. जो छिपाया उसे सोने की परत ने देखने ही नहीं दिया.

निशा- क्या .

मैं- आ मेरे साथ .

एक बार फिर हम लोग समाधी के टूटे टुकडो पर थे.

मैं- मैंने इसे गलत हिस्से में खोदा. बनाने वाले या यूँ कहूँ की छिपाने वाले ने बहुत शातिर खेल रचा निशा. जो भी देखता पहले हिस्से को ही देखता , पहले हिस्से में उसे सोना मिलता, धन का लालच निशा, फिर उसे और कुछ सूझता ही नहीं . जबकि खेल यहाँ पर हैं .

मैंने समाधी के पिछले हिस्से को देखा तो ऊपर की नकली परत हटते ही कुछ सीढिया मिली.

निशा- सुरंग

मैं- हाँ सुरंग, अब देखना है की ये खुलती कहाँ है .


निशा ने कमरे में रखी चिमनी उठा ली और हम सीढियों से उतरते गए. अन्दर जाते ही निशा ने चिमनी जला की और मैंने परत वपिस लगा दी. मैं नहीं चाहता था की किसी को मालूम हो हम लोग यहाँ है . एक एक करके निशा सुरंग की मशालो को जलाती गयी और चलते हुए हम लोग ऐसी जगह पहुँच गए जहाँ की हमने तो क्या किसी ने भी कल्पना की ही नहीं होगी.
Awesome update
 

Tiger 786

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#113

आँखे जो देख रही थी , समझ नही आ रहा था की आँखे झूठ कह रही या दिल नहीं मान रहा था . जंगल ने जो छिपाया हुआ था कोई सोच भी नहीं सकता था. हमारी आँखे मशाल की रौशनी में उस पीली धातु को देख रही थी जिसके पीछे इन्सान पागल हो जाये. धरती ने अपनी कोख में इतना सोना छिपाया हुआ था जो इस जन्म में तो क्या कई जन्म तक गिना नहीं जा सके. हम धरती के निचे सोने की खान में थे.

“तो ये है जंगल का वो सच जो सबसे छिपाया गया है. जो भी हो रहा है इसके लिए ही हो रहा है. प्रकाश इस सच को जान गया होगा जिसकी कीमत उसने जान देकर चुकाई. अंजू इस जगह की तलाश में है ” मैंने कहा

निशा- सोना रक्त से शापित है. कोई ताज्जुब नहीं इसे पाने की कोशिश करने वाले को जान देनी पड़ी.

मैं- ये सोना राय साहब का भी नहीं हो सकता , कब्ज़ा है उनका बस .

निशा- अब क्या

मैं- दूसरा मुहाना देखते है कहाँ खुलेगा.

खान में चलते चलते हम आगे बढ़ने लगे. कुछ देर बाद ऊपर जाने को वैसी ही सीढिया थी जैसी की हम समाधी से होकर आये थे. निशा ने ऊपर की परत को सरकाने की कोशिश की तो हमारे लिए एक आश्चर्य और था.

मैं क्या हुआ

निशा- ताला लगा है इस पर कुछ दे मुझे तोड़ने के लिए

तभी मुझे कुछ ध्यान आया . मैंने जेब से चाबी निकाली और निशा को देते हुए बोला- ये चाबी लगा जरा.

और किस्मत देखो. चाबी घूम गयी . और साथ में मेरी आँखे भी . तो ठाकुर जरनैल सिंह का ताला था ये . ताला खोलते ही निशा आगे उस जगह में घुस गयी. मशाल की रौशनी में देखा की वो एक बड़ा कमरा था . कमरा ही कहना उचित था उसे. खान के किसी हिस्से को काट कर बनाया गया . जिसमे दो पलंग पड़े थे. छोटा मोटा जरुरत का समान था जिस पर मिटटी ने कब्ज़ा कर लिया था. पलंग खस्ताहाल थे. साफ़ मालूम होता था की बरसों से यहाँ किसी ने दस्तक नहीं दी .

निशा ने आस-पास तलाशी लेनी शुरू की , उसे वो ही नंगी तस्वीरों वाली किताबे मिली जिनके कागज वक्त की मार के आगे पीले पड़ चुके थे. पर उसका ध्यान किताबो से जायदा उस छोटे बक्से पर था जो गहनों से भरा था .

मैंने उसके हाथ से बक्सा लिया और गौर से देखने लगा. मेरा दिल इतनी जोर से धडक रहा था की पसलियों में दर्द होने लगा. मैं बहुत कुछ समझ रहा था . ये गहने , अगर मैं सही समझा था तो ये वो गहने होने चाहिए थे जो चाचा ने मलिकपुर के सुनार से बनवाये थे. इन गहनों का यूँ लावारिस पड़े होना बहुत कुछ ब्यान करता था .

चाचा और राय साहब के बिच जिस झगडे की बात मुझे सरला ने बताई थी वो झगडा कभी भी चूत के लिए नहीं हुआ था . वो झगड़ा हुआ था इस सोने के लिए.

“कबीर इधर आ ” निशा की आवाज ने मेरा ध्यान तोडा मैं उसके पास गया. दो पल में ही हम लोग ऐसी जगह खड़े थे जहाँ से मेरा कुवा थोड़ी ही देर थे. हम लोग खेतो पर थे. खेतो पर एक तरफ घने पेड़ो के पास. ये एक गुप्त रास्ता था . आज मुझे समझ आया की क्यों पिताजी ने मेरे बार बार कहने पर भी इन पेड़ो को कटवाया क्यों नहीं था .

प्रकाश , अंजू को इस गुप्त रस्ते की तलाश थी . इस गुप्त रस्ते को वो लोग कभी खोज ही नहीं पाये थे .

निशा- ठाकुर जरनैल सिंह ही वो आदमी है जो तीनो जगह से जुड़ा है. कमरे में मिले समान पुष्टि करते है इस बात की .

मैं- नहीं , चाचा कुवे और समाधी से तो जुड़ा है पर खंडहर से नहीं .

निशा- क्यों

मैं- समझ , चाचा के पास जब यहाँ इतना सोना पड़ा था तो वो सोना पानी में और उस कमरे में क्यों छिपाएगा . दूसरी बात रमा और सरला ने कभी नहीं कहा की चाचा उनको खंडहर में ले जाता था . हमेशा ये ही कहा की चाचा हमेशा उनको कुवे पर ही लाता था , और चाचा इतना तो समझदार रहा ही होगा की वो इस राज को अपने सीने में ही दबाये रखता. इतने बड़े खजाने का जिक्र करना मुश्किल होता किसी के लिए भी .

निशा- तो फिर खंडहर पर सोना कैसे पहुंचा.

मैं- चोरी मेरी जान, किसी ने यहाँ से चोरी की . सोने को खंडहर में ले गया. और खास बात ये की ये काम एक बार में नहीं किया गया. बार बार किया गया.

निशा- हो सकता है पर गौर करने वाली बात ये भी है की अय्याशी का समान इधर भी उधर भी है . ठाकुर साहब रसिया थे हो सकता है की वो ही अपने भाई की पीठ में छुरा घोंप रहे हो.

मैं- हो सकता है पर फिर चाचा की रांडो को खंडहर की जगह क्यों नहीं मालूम

निशा- सम्भावना कबीर, हो सकता है की झगडे के बाद चाचा ने अपनी राह अलग चुन ली हो . उन्होंने अपना ठिकाना खंडहर में बनाया हो पर इस से पहले की वो अपनी दोस्तों को वहां ले जा पाते बदकिस्मती से वो गायब हो गए.

मैं- मुझे लगता है की राय साहब का हाथ है चाचा के गायब होने में

निशा- हालात देखते हुए शक कर सकते है

मैं- बस चाचा की गाडी मिल जाये तो बात बन जाये

निशा- सुन एक काम कर. कल तू बैंक जा , वहां मालूम कर चाचा ने अपने खाते से कब कब लेन देन कियाहै . आदमी को पैसे की जरूरत तो पड़ेगी ही . अगर इतने दिन से वो सोना लेने नहीं आया तो इसका मतलब है की उसने पहले ही अपना जुगाड़ कर लिया होगा.

मैं- कल देखता हूँ .

निशा- किसी को भी भनक नहीं होनि चाहिए की हम जानते है इस राज को . हम यहाँ आने वाले को रंगे हाथ पकड़ेंगे. तभी कोई बात बनेगी.

मैं- सही कहा तूने .

निशा ने आसमान की तरफ देखा और बोली- मेरे जाने का समय हो गया है

मैं- मत जा

निशा- कुछ दिनों की बात है फिर तो तेरे साथ ही रहना है न .


उसके जाने के बाद मैंने कुवे पर बने कमरे का दरवाजा खोला और बिस्तर में घुस गया. सुबह होने में थोड़ी ही देर थी. पर मैं आने वाले तूफान को समझ नहीं पा रहा था .
Behtreen update
 

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तो त्रिदेव ये हैं

कुआं - चाचा
समाधी - राय साहब
खंडहर - रूढ़ा

चाचा क्यों गायब है ये नही पता। रूढ़ा ने शायद सुनैना की मौत के बाद से खंडहर में जाना बंद कर दिया होगा।

राय साहब ही आदमखोर हैं, और ये बात अभिमन्यु को पता है, वो इस कमजोरी को हवा से दबाना चाहते होंगे, और शायद चाचा भी, तभी अभिमन्यु उसकी दवा ढूंढ रहा है।

बाकी नियति (लेखक की मर्जी) जो दिखाए वही देखेंगे

हम लोग....
कभी कभी वैसा कुछ नहीं होता जो आंखे दिखा रही होती है
 

HalfbludPrince

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सुरंग में बहुत सारा सोना है ये किसका हो सकता है लगता है गांव में अभी तक जो भी मौत हुई है उनका कारण ये सोना हो सकता है फिलहाल चाचा की मौजूदगी का सबूत मिल गया है लेकिन अभी कहा है ये पता नही चल पाया है तीन जगह पर सोना है निशा ने कहा कि ये सापित है इसका मतलब समझ में नहीं आया ।कबीर के पास जो चाबी थी उसका ताला भी मिल गया है और सुनार से बनवाए गहने भी लेकिन सवाल ये है कि गहने किसके लिए बनवाए थे और जिसके लिए बनवाए थे उसको दिए क्यों नहीं ??? और पानी के अंदर का सोना किसने ले जाकर छुपाया और क्यों आखिर क्या चाचा के पास परकाश की ये ही वो है जिस पर परकाश का अधिकार था और क्यों
एक बात तो है कबीर निशा के बिना इन पहेलियों को नही सुलझा सकता है अब देखते हैं बैंक से कुछ पता चलता है या नही ??????
निशा का उस जगह को शापित कहने का मतलब था कि जब सोने से रक्त मिलता है तो वो शुभ नहीं रहता. तीनों जगह का एक साथ जुड़ना अनोखा तो है
 

HalfbludPrince

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अगर ये सारा बवाल सोने के लिए हो रहा है तो मैं आपकी इस बात से सहमत हूं | शायद सोने और जासूसी के कारण ही जरनैल सिंह अभिमन्यु और नंदिनी की शादी के खिलाफ रहा हो लेकिन नंदिनी सोने की तलाश में है ये हम अभी कह नहीं सकते क्योकि अभी तक किसी को समझ नहीं आया है कि आखिर नंदिनी का लक्ष्य क्या है , वह क्या चाहती है | लेकिन इतना तो है की नंदिनी कबीर के साथ कुछ खेल जरूर खेल रही है।
चाचा क्यों नहीं चाहता था कि नंदिनी की शादी उसके घर मे ये बहुत जल्दी आप जान जाएंगे
 

HalfbludPrince

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जितने भी कहानी में खलनायक व खलनायिकाएं है उन सब की एक खिचड़ी से पक गयी है

अगर चोदू राये साब को छोड़ दे तो भी पता नहीं चल पा रहा की कौन चुत के पीछे है कौन लंड के पीछे और कौन सोने के पीछे ये पाठकों के लिए बड़ी विडंबना बनी हुई है
मैं पुलाव बनाने की कोशिश कर रहा हूं आप खिचड़ी मे उलझे है
 

HalfbludPrince

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Gazab ki update he Fauji Bhai,

Gufa khandahar ke sath sath Kuve tak aati he............aur itan sara Sona......jiska abhi tak koi bhi prabal davedar nahi he...........ho sakta he Chacha ka ho...Ray Sahab ka ya fir Ruda ka...........lekin scene abhi bhi clear nahi he...............

Abhimanu gayab, Rama gayab, Ray sahab gayab, bhosdiwala Mangu gayab........ab doubt kare to kispar kare......sabhi ke sabhi ek se badhkar ek he............


किताबों का क्या उद्देश्य था जल्दी ही आपके सामने होगा

मुसाफिर


Ho sakta he ye tino (chacha, ray sahab aur Ruda) apni apni sexual fantasies puri karte ho........kitabo ki dekhkar naye naye pose me thukayi chal rahi ho un dino.............aur milkar Gang Bang hota ho un dino..........


Keep posting Bhai
ये सोना किसके जी का जंजाल है जल्दी ही मालूम होगा. किताबे ही इस कहानी के अनदेखे हिस्से की उलझन सुलझाने मे मदद करेंगी
 
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