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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Supreme
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भाई जी , खोजबीन का इतना बड़ा बढ़िया रिज्लट। निशा जी को कबीर के साथ बहुत पहले ही देना चाहिए था। खैर देर आयी दुरूस्त आयी।
सुरंग असल में में सोने का खादान है। जिसके पीछे सभी पागल हुए पड़े हैं। और इसी लालच में मौत को प्यारे होते गये। लेकिन एक बात हर जगह कॉमन है चुदाई किताबें हैं वो भी खस्ता हाल में दीमक लगा हुआ जो ये इशारा करता है ये सब चाचा से ही जुड़ी हो सकती है। क्योंकि अगर कमरा और किताबें सही सलामत रहती तो इसका मतलब यही होता की या तो चाचा का आना जाना लगा होगा या फिर राय साहब भी आने का निशान होता। कमरे की हालत देख कर लगता नही राय साहब आते होंगे।
सामाधी, खेत वाला घर चाचा से जुड़ा हो सकता है बाद में दोनों भाइयों के लड़ाई के बाद खंडहर को अपना आसरा बनाया होगा। जो वर्तमान में निशा जी खंडहर में वक्त बिताती है।
हाँ अब बैंक से ही पता लग सकता है की चाचा का गुजारा कैसे होता है पैसे का लेन देन तो करता ही होगा।
अंजू के कहे अनुसार सोने को सुनैना ने सिद्धि द्वारा निकाला था जो शापित है जिसको चाचा चोरी करना चाहता होगा। शायद यही वजह हो दोनो भाइयों के लड़ाई का,
और अब तो लगता है अंजू और नंदनी भाभी दोनों बहने मिली हुई है। ये भी हो सकता 5 साल बाद अंजू भाभी के कहने पर वापिस आयी हो। और आते ही लॉकेट कबीर को दे दी। और शायद सुरजभान भी दोनों बहन के इशारे जंगल में खोजबीन करता होगा।
अब तो ये भी लगता है जिस तरह सोनार ने इतने प्यार से कबीर को चाभी दे दिया इससे तो लगता है वो भी किसी प्लान के तहत ही दिया गया।
मैंंने पहले भी कहा था कबीर को टुकडों में इसलिए भी बताया जाता होगा की वही इस तक पहुंचने के लिए काबिलियत रखता होगा।।
देखते हैं बैंक से क्या जानकारी निकालता है कबीर। और अंजू और कबीर का मिलन का भी इंतजार रहेगा।
मित्र आज हिंदी देवनागरी लिपि में प्रतिक्रिया.. बहुत सुन्दर
 

Avinashraj

Well-Known Member
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#113

आँखे जो देख रही थी , समझ नही आ रहा था की आँखे झूठ कह रही या दिल नहीं मान रहा था . जंगल ने जो छिपाया हुआ था कोई सोच भी नहीं सकता था. हमारी आँखे मशाल की रौशनी में उस पीली धातु को देख रही थी जिसके पीछे इन्सान पागल हो जाये. धरती ने अपनी कोख में इतना सोना छिपाया हुआ था जो इस जन्म में तो क्या कई जन्म तक गिना नहीं जा सके. हम धरती के निचे सोने की खान में थे.

“तो ये है जंगल का वो सच जो सबसे छिपाया गया है. जो भी हो रहा है इसके लिए ही हो रहा है. प्रकाश इस सच को जान गया होगा जिसकी कीमत उसने जान देकर चुकाई. अंजू इस जगह की तलाश में है ” मैंने कहा

निशा- सोना रक्त से शापित है. कोई ताज्जुब नहीं इसे पाने की कोशिश करने वाले को जान देनी पड़ी.

मैं- ये सोना राय साहब का भी नहीं हो सकता , कब्ज़ा है उनका बस .

निशा- अब क्या

मैं- दूसरा मुहाना देखते है कहाँ खुलेगा.

खान में चलते चलते हम आगे बढ़ने लगे. कुछ देर बाद ऊपर जाने को वैसी ही सीढिया थी जैसी की हम समाधी से होकर आये थे. निशा ने ऊपर की परत को सरकाने की कोशिश की तो हमारे लिए एक आश्चर्य और था.

मैं क्या हुआ

निशा- ताला लगा है इस पर कुछ दे मुझे तोड़ने के लिए

तभी मुझे कुछ ध्यान आया . मैंने जेब से चाबी निकाली और निशा को देते हुए बोला- ये चाबी लगा जरा.

और किस्मत देखो. चाबी घूम गयी . और साथ में मेरी आँखे भी . तो ठाकुर जरनैल सिंह का ताला था ये . ताला खोलते ही निशा आगे उस जगह में घुस गयी. मशाल की रौशनी में देखा की वो एक बड़ा कमरा था . कमरा ही कहना उचित था उसे. खान के किसी हिस्से को काट कर बनाया गया . जिसमे दो पलंग पड़े थे. छोटा मोटा जरुरत का समान था जिस पर मिटटी ने कब्ज़ा कर लिया था. पलंग खस्ताहाल थे. साफ़ मालूम होता था की बरसों से यहाँ किसी ने दस्तक नहीं दी .

निशा ने आस-पास तलाशी लेनी शुरू की , उसे वो ही नंगी तस्वीरों वाली किताबे मिली जिनके कागज वक्त की मार के आगे पीले पड़ चुके थे. पर उसका ध्यान किताबो से जायदा उस छोटे बक्से पर था जो गहनों से भरा था .

मैंने उसके हाथ से बक्सा लिया और गौर से देखने लगा. मेरा दिल इतनी जोर से धडक रहा था की पसलियों में दर्द होने लगा. मैं बहुत कुछ समझ रहा था . ये गहने , अगर मैं सही समझा था तो ये वो गहने होने चाहिए थे जो चाचा ने मलिकपुर के सुनार से बनवाये थे. इन गहनों का यूँ लावारिस पड़े होना बहुत कुछ ब्यान करता था .

चाचा और राय साहब के बिच जिस झगडे की बात मुझे सरला ने बताई थी वो झगडा कभी भी चूत के लिए नहीं हुआ था . वो झगड़ा हुआ था इस सोने के लिए.

“कबीर इधर आ ” निशा की आवाज ने मेरा ध्यान तोडा मैं उसके पास गया. दो पल में ही हम लोग ऐसी जगह खड़े थे जहाँ से मेरा कुवा थोड़ी ही देर थे. हम लोग खेतो पर थे. खेतो पर एक तरफ घने पेड़ो के पास. ये एक गुप्त रास्ता था . आज मुझे समझ आया की क्यों पिताजी ने मेरे बार बार कहने पर भी इन पेड़ो को कटवाया क्यों नहीं था .

प्रकाश , अंजू को इस गुप्त रस्ते की तलाश थी . इस गुप्त रस्ते को वो लोग कभी खोज ही नहीं पाये थे .

निशा- ठाकुर जरनैल सिंह ही वो आदमी है जो तीनो जगह से जुड़ा है. कमरे में मिले समान पुष्टि करते है इस बात की .

मैं- नहीं , चाचा कुवे और समाधी से तो जुड़ा है पर खंडहर से नहीं .

निशा- क्यों

मैं- समझ , चाचा के पास जब यहाँ इतना सोना पड़ा था तो वो सोना पानी में और उस कमरे में क्यों छिपाएगा . दूसरी बात रमा और सरला ने कभी नहीं कहा की चाचा उनको खंडहर में ले जाता था . हमेशा ये ही कहा की चाचा हमेशा उनको कुवे पर ही लाता था , और चाचा इतना तो समझदार रहा ही होगा की वो इस राज को अपने सीने में ही दबाये रखता. इतने बड़े खजाने का जिक्र करना मुश्किल होता किसी के लिए भी .

निशा- तो फिर खंडहर पर सोना कैसे पहुंचा.

मैं- चोरी मेरी जान, किसी ने यहाँ से चोरी की . सोने को खंडहर में ले गया. और खास बात ये की ये काम एक बार में नहीं किया गया. बार बार किया गया.

निशा- हो सकता है पर गौर करने वाली बात ये भी है की अय्याशी का समान इधर भी उधर भी है . ठाकुर साहब रसिया थे हो सकता है की वो ही अपने भाई की पीठ में छुरा घोंप रहे हो.

मैं- हो सकता है पर फिर चाचा की रांडो को खंडहर की जगह क्यों नहीं मालूम

निशा- सम्भावना कबीर, हो सकता है की झगडे के बाद चाचा ने अपनी राह अलग चुन ली हो . उन्होंने अपना ठिकाना खंडहर में बनाया हो पर इस से पहले की वो अपनी दोस्तों को वहां ले जा पाते बदकिस्मती से वो गायब हो गए.

मैं- मुझे लगता है की राय साहब का हाथ है चाचा के गायब होने में

निशा- हालात देखते हुए शक कर सकते है

मैं- बस चाचा की गाडी मिल जाये तो बात बन जाये

निशा- सुन एक काम कर. कल तू बैंक जा , वहां मालूम कर चाचा ने अपने खाते से कब कब लेन देन कियाहै . आदमी को पैसे की जरूरत तो पड़ेगी ही . अगर इतने दिन से वो सोना लेने नहीं आया तो इसका मतलब है की उसने पहले ही अपना जुगाड़ कर लिया होगा.

मैं- कल देखता हूँ .

निशा- किसी को भी भनक नहीं होनि चाहिए की हम जानते है इस राज को . हम यहाँ आने वाले को रंगे हाथ पकड़ेंगे. तभी कोई बात बनेगी.

मैं- सही कहा तूने .

निशा ने आसमान की तरफ देखा और बोली- मेरे जाने का समय हो गया है

मैं- मत जा

निशा- कुछ दिनों की बात है फिर तो तेरे साथ ही रहना है न .


उसके जाने के बाद मैंने कुवे पर बने कमरे का दरवाजा खोला और बिस्तर में घुस गया. सुबह होने में थोड़ी ही देर थी. पर मैं आने वाले तूफान को समझ नहीं पा रहा था .
Nyc update bhai
 

brego4

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khandar mein, es sone ki tunnel mein aur rama ke ghar har jagah sex hota tha to commonly isme kon involve hoga may be chacha, ruda and raye sahab lekin en teeno ke bhi alag hi addye honge. superb exciting find by nisha and kabir and most thrilling has been opening of tunnel into kabir's fields it means isko chacha n ray sahab to use karte hi honge lekin ruda ka to koi trace hi nahi hai aur na hi chacha ka

another mystery is this gold mine too is unused lying since long time

agar anju n bhabhi mili hui bhi hain es sone ke liye yo bhi cursed gold hai dono hi mari jayenge

ye story smajh se bahar hai aise mein to Studxyz ki baat sex hi beech me aa jaye to kuch to dimag ko rest mile :D
 
Last edited:

Raj_sharma

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#113

आँखे जो देख रही थी , समझ नही आ रहा था की आँखे झूठ कह रही या दिल नहीं मान रहा था . जंगल ने जो छिपाया हुआ था कोई सोच भी नहीं सकता था. हमारी आँखे मशाल की रौशनी में उस पीली धातु को देख रही थी जिसके पीछे इन्सान पागल हो जाये. धरती ने अपनी कोख में इतना सोना छिपाया हुआ था जो इस जन्म में तो क्या कई जन्म तक गिना नहीं जा सके. हम धरती के निचे सोने की खान में थे.

“तो ये है जंगल का वो सच जो सबसे छिपाया गया है. जो भी हो रहा है इसके लिए ही हो रहा है. प्रकाश इस सच को जान गया होगा जिसकी कीमत उसने जान देकर चुकाई. अंजू इस जगह की तलाश में है ” मैंने कहा

निशा- सोना रक्त से शापित है. कोई ताज्जुब नहीं इसे पाने की कोशिश करने वाले को जान देनी पड़ी.

मैं- ये सोना राय साहब का भी नहीं हो सकता , कब्ज़ा है उनका बस .

निशा- अब क्या

मैं- दूसरा मुहाना देखते है कहाँ खुलेगा.

खान में चलते चलते हम आगे बढ़ने लगे. कुछ देर बाद ऊपर जाने को वैसी ही सीढिया थी जैसी की हम समाधी से होकर आये थे. निशा ने ऊपर की परत को सरकाने की कोशिश की तो हमारे लिए एक आश्चर्य और था.

मैं क्या हुआ

निशा- ताला लगा है इस पर कुछ दे मुझे तोड़ने के लिए

तभी मुझे कुछ ध्यान आया . मैंने जेब से चाबी निकाली और निशा को देते हुए बोला- ये चाबी लगा जरा.

और किस्मत देखो. चाबी घूम गयी . और साथ में मेरी आँखे भी . तो ठाकुर जरनैल सिंह का ताला था ये . ताला खोलते ही निशा आगे उस जगह में घुस गयी. मशाल की रौशनी में देखा की वो एक बड़ा कमरा था . कमरा ही कहना उचित था उसे. खान के किसी हिस्से को काट कर बनाया गया . जिसमे दो पलंग पड़े थे. छोटा मोटा जरुरत का समान था जिस पर मिटटी ने कब्ज़ा कर लिया था. पलंग खस्ताहाल थे. साफ़ मालूम होता था की बरसों से यहाँ किसी ने दस्तक नहीं दी .

निशा ने आस-पास तलाशी लेनी शुरू की , उसे वो ही नंगी तस्वीरों वाली किताबे मिली जिनके कागज वक्त की मार के आगे पीले पड़ चुके थे. पर उसका ध्यान किताबो से जायदा उस छोटे बक्से पर था जो गहनों से भरा था .

मैंने उसके हाथ से बक्सा लिया और गौर से देखने लगा. मेरा दिल इतनी जोर से धडक रहा था की पसलियों में दर्द होने लगा. मैं बहुत कुछ समझ रहा था . ये गहने , अगर मैं सही समझा था तो ये वो गहने होने चाहिए थे जो चाचा ने मलिकपुर के सुनार से बनवाये थे. इन गहनों का यूँ लावारिस पड़े होना बहुत कुछ ब्यान करता था .

चाचा और राय साहब के बिच जिस झगडे की बात मुझे सरला ने बताई थी वो झगडा कभी भी चूत के लिए नहीं हुआ था . वो झगड़ा हुआ था इस सोने के लिए.

“कबीर इधर आ ” निशा की आवाज ने मेरा ध्यान तोडा मैं उसके पास गया. दो पल में ही हम लोग ऐसी जगह खड़े थे जहाँ से मेरा कुवा थोड़ी ही देर थे. हम लोग खेतो पर थे. खेतो पर एक तरफ घने पेड़ो के पास. ये एक गुप्त रास्ता था . आज मुझे समझ आया की क्यों पिताजी ने मेरे बार बार कहने पर भी इन पेड़ो को कटवाया क्यों नहीं था .

प्रकाश , अंजू को इस गुप्त रस्ते की तलाश थी . इस गुप्त रस्ते को वो लोग कभी खोज ही नहीं पाये थे .

निशा- ठाकुर जरनैल सिंह ही वो आदमी है जो तीनो जगह से जुड़ा है. कमरे में मिले समान पुष्टि करते है इस बात की .

मैं- नहीं , चाचा कुवे और समाधी से तो जुड़ा है पर खंडहर से नहीं .

निशा- क्यों

मैं- समझ , चाचा के पास जब यहाँ इतना सोना पड़ा था तो वो सोना पानी में और उस कमरे में क्यों छिपाएगा . दूसरी बात रमा और सरला ने कभी नहीं कहा की चाचा उनको खंडहर में ले जाता था . हमेशा ये ही कहा की चाचा हमेशा उनको कुवे पर ही लाता था , और चाचा इतना तो समझदार रहा ही होगा की वो इस राज को अपने सीने में ही दबाये रखता. इतने बड़े खजाने का जिक्र करना मुश्किल होता किसी के लिए भी .

निशा- तो फिर खंडहर पर सोना कैसे पहुंचा.

मैं- चोरी मेरी जान, किसी ने यहाँ से चोरी की . सोने को खंडहर में ले गया. और खास बात ये की ये काम एक बार में नहीं किया गया. बार बार किया गया.

निशा- हो सकता है पर गौर करने वाली बात ये भी है की अय्याशी का समान इधर भी उधर भी है . ठाकुर साहब रसिया थे हो सकता है की वो ही अपने भाई की पीठ में छुरा घोंप रहे हो.

मैं- हो सकता है पर फिर चाचा की रांडो को खंडहर की जगह क्यों नहीं मालूम

निशा- सम्भावना कबीर, हो सकता है की झगडे के बाद चाचा ने अपनी राह अलग चुन ली हो . उन्होंने अपना ठिकाना खंडहर में बनाया हो पर इस से पहले की वो अपनी दोस्तों को वहां ले जा पाते बदकिस्मती से वो गायब हो गए.

मैं- मुझे लगता है की राय साहब का हाथ है चाचा के गायब होने में

निशा- हालात देखते हुए शक कर सकते है

मैं- बस चाचा की गाडी मिल जाये तो बात बन जाये

निशा- सुन एक काम कर. कल तू बैंक जा , वहां मालूम कर चाचा ने अपने खाते से कब कब लेन देन कियाहै . आदमी को पैसे की जरूरत तो पड़ेगी ही . अगर इतने दिन से वो सोना लेने नहीं आया तो इसका मतलब है की उसने पहले ही अपना जुगाड़ कर लिया होगा.

मैं- कल देखता हूँ .

निशा- किसी को भी भनक नहीं होनि चाहिए की हम जानते है इस राज को . हम यहाँ आने वाले को रंगे हाथ पकड़ेंगे. तभी कोई बात बनेगी.

मैं- सही कहा तूने .

निशा ने आसमान की तरफ देखा और बोली- मेरे जाने का समय हो गया है

मैं- मत जा

निशा- कुछ दिनों की बात है फिर तो तेरे साथ ही रहना है न .


उसके जाने के बाद मैंने कुवे पर बने कमरे का दरवाजा खोला और बिस्तर में घुस गया. सुबह होने में थोड़ी ही देर थी. पर मैं आने वाले तूफान को समझ नहीं पा रहा था .
Great update with awesome writing skills foji bhai.
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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#113

आँखे जो देख रही थी , समझ नही आ रहा था की आँखे झूठ कह रही या दिल नहीं मान रहा था . जंगल ने जो छिपाया हुआ था कोई सोच भी नहीं सकता था. हमारी आँखे मशाल की रौशनी में उस पीली धातु को देख रही थी जिसके पीछे इन्सान पागल हो जाये. धरती ने अपनी कोख में इतना सोना छिपाया हुआ था जो इस जन्म में तो क्या कई जन्म तक गिना नहीं जा सके. हम धरती के निचे सोने की खान में थे.

“तो ये है जंगल का वो सच जो सबसे छिपाया गया है. जो भी हो रहा है इसके लिए ही हो रहा है. प्रकाश इस सच को जान गया होगा जिसकी कीमत उसने जान देकर चुकाई. अंजू इस जगह की तलाश में है ” मैंने कहा

निशा- सोना रक्त से शापित है. कोई ताज्जुब नहीं इसे पाने की कोशिश करने वाले को जान देनी पड़ी.

मैं- ये सोना राय साहब का भी नहीं हो सकता , कब्ज़ा है उनका बस .

निशा- अब क्या

मैं- दूसरा मुहाना देखते है कहाँ खुलेगा.

खान में चलते चलते हम आगे बढ़ने लगे. कुछ देर बाद ऊपर जाने को वैसी ही सीढिया थी जैसी की हम समाधी से होकर आये थे. निशा ने ऊपर की परत को सरकाने की कोशिश की तो हमारे लिए एक आश्चर्य और था.

मैं क्या हुआ

निशा- ताला लगा है इस पर कुछ दे मुझे तोड़ने के लिए

तभी मुझे कुछ ध्यान आया . मैंने जेब से चाबी निकाली और निशा को देते हुए बोला- ये चाबी लगा जरा.

और किस्मत देखो. चाबी घूम गयी . और साथ में मेरी आँखे भी . तो ठाकुर जरनैल सिंह का ताला था ये . ताला खोलते ही निशा आगे उस जगह में घुस गयी. मशाल की रौशनी में देखा की वो एक बड़ा कमरा था . कमरा ही कहना उचित था उसे. खान के किसी हिस्से को काट कर बनाया गया . जिसमे दो पलंग पड़े थे. छोटा मोटा जरुरत का समान था जिस पर मिटटी ने कब्ज़ा कर लिया था. पलंग खस्ताहाल थे. साफ़ मालूम होता था की बरसों से यहाँ किसी ने दस्तक नहीं दी .

निशा ने आस-पास तलाशी लेनी शुरू की , उसे वो ही नंगी तस्वीरों वाली किताबे मिली जिनके कागज वक्त की मार के आगे पीले पड़ चुके थे. पर उसका ध्यान किताबो से जायदा उस छोटे बक्से पर था जो गहनों से भरा था .

मैंने उसके हाथ से बक्सा लिया और गौर से देखने लगा. मेरा दिल इतनी जोर से धडक रहा था की पसलियों में दर्द होने लगा. मैं बहुत कुछ समझ रहा था . ये गहने , अगर मैं सही समझा था तो ये वो गहने होने चाहिए थे जो चाचा ने मलिकपुर के सुनार से बनवाये थे. इन गहनों का यूँ लावारिस पड़े होना बहुत कुछ ब्यान करता था .

चाचा और राय साहब के बिच जिस झगडे की बात मुझे सरला ने बताई थी वो झगडा कभी भी चूत के लिए नहीं हुआ था . वो झगड़ा हुआ था इस सोने के लिए.

“कबीर इधर आ ” निशा की आवाज ने मेरा ध्यान तोडा मैं उसके पास गया. दो पल में ही हम लोग ऐसी जगह खड़े थे जहाँ से मेरा कुवा थोड़ी ही देर थे. हम लोग खेतो पर थे. खेतो पर एक तरफ घने पेड़ो के पास. ये एक गुप्त रास्ता था . आज मुझे समझ आया की क्यों पिताजी ने मेरे बार बार कहने पर भी इन पेड़ो को कटवाया क्यों नहीं था .

प्रकाश , अंजू को इस गुप्त रस्ते की तलाश थी . इस गुप्त रस्ते को वो लोग कभी खोज ही नहीं पाये थे .

निशा- ठाकुर जरनैल सिंह ही वो आदमी है जो तीनो जगह से जुड़ा है. कमरे में मिले समान पुष्टि करते है इस बात की .

मैं- नहीं , चाचा कुवे और समाधी से तो जुड़ा है पर खंडहर से नहीं .

निशा- क्यों

मैं- समझ , चाचा के पास जब यहाँ इतना सोना पड़ा था तो वो सोना पानी में और उस कमरे में क्यों छिपाएगा . दूसरी बात रमा और सरला ने कभी नहीं कहा की चाचा उनको खंडहर में ले जाता था . हमेशा ये ही कहा की चाचा हमेशा उनको कुवे पर ही लाता था , और चाचा इतना तो समझदार रहा ही होगा की वो इस राज को अपने सीने में ही दबाये रखता. इतने बड़े खजाने का जिक्र करना मुश्किल होता किसी के लिए भी .

निशा- तो फिर खंडहर पर सोना कैसे पहुंचा.

मैं- चोरी मेरी जान, किसी ने यहाँ से चोरी की . सोने को खंडहर में ले गया. और खास बात ये की ये काम एक बार में नहीं किया गया. बार बार किया गया.

निशा- हो सकता है पर गौर करने वाली बात ये भी है की अय्याशी का समान इधर भी उधर भी है . ठाकुर साहब रसिया थे हो सकता है की वो ही अपने भाई की पीठ में छुरा घोंप रहे हो.

मैं- हो सकता है पर फिर चाचा की रांडो को खंडहर की जगह क्यों नहीं मालूम

निशा- सम्भावना कबीर, हो सकता है की झगडे के बाद चाचा ने अपनी राह अलग चुन ली हो . उन्होंने अपना ठिकाना खंडहर में बनाया हो पर इस से पहले की वो अपनी दोस्तों को वहां ले जा पाते बदकिस्मती से वो गायब हो गए.

मैं- मुझे लगता है की राय साहब का हाथ है चाचा के गायब होने में

निशा- हालात देखते हुए शक कर सकते है

मैं- बस चाचा की गाडी मिल जाये तो बात बन जाये

निशा- सुन एक काम कर. कल तू बैंक जा , वहां मालूम कर चाचा ने अपने खाते से कब कब लेन देन कियाहै . आदमी को पैसे की जरूरत तो पड़ेगी ही . अगर इतने दिन से वो सोना लेने नहीं आया तो इसका मतलब है की उसने पहले ही अपना जुगाड़ कर लिया होगा.

मैं- कल देखता हूँ .

निशा- किसी को भी भनक नहीं होनि चाहिए की हम जानते है इस राज को . हम यहाँ आने वाले को रंगे हाथ पकड़ेंगे. तभी कोई बात बनेगी.

मैं- सही कहा तूने .

निशा ने आसमान की तरफ देखा और बोली- मेरे जाने का समय हो गया है

मैं- मत जा

निशा- कुछ दिनों की बात है फिर तो तेरे साथ ही रहना है न .


उसके जाने के बाद मैंने कुवे पर बने कमरे का दरवाजा खोला और बिस्तर में घुस गया. सुबह होने में थोड़ी ही देर थी. पर मैं आने वाले तूफान को समझ नहीं पा रहा था .
Awesome superb update..!
 
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