• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Lutgaya

Well-Known Member
2,159
6,155
144
फौजी HalfbludPrince भाई अपडेट की डोज बढा दो अब तो
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
13,967
28,988
244
फौजी भाई, अब ये मत कहना कि "जैसे ही भाभी ने उसका नाम बताया और कबीर की आंखे आश्चर्य से बड़ी हो गई।"
 

SKYESH

Well-Known Member
3,139
7,584
158
#110

सुबह उठा तो बदन दर्द से ऐंठा पड़ा था. बड़ी मुश्किल से मैं उठ पाया. मैंने देखा की आँगन में ही राय साहब, चाची, भैया, भाभी और अंजू सब लोग गहरा विचार -विमर्श कर रहे थे. मैंने पहली बार राय साहब के माथे पर चिंता की लकीरे देखि. उठ कर मैंने हाथ -मुह धोये और बाहर निकल आया. पीछे से मैंने भैया की आवाज सुनी पर मैं अभी रुकना नहीं चाहता था .

चाची के यहाँ से मैंने कपडे बदले और अपने खेतो पर आ गया. सुबह की ताजी हवा मुझे सकून दे रही थी . दिमाग में कल रात की ही बात घूम रही थी , अंजू नहीं तो फिर कौन हो सकता था वो आदमखोर,आखिर कौन था वो जिस पर काबू पाया ही नहीं जा रहा था , कहाँ से वो आता था कहाँ वो गायब हो जाता था .



दूसरा मुझे भोसड़ी के चाचा वाली गुत्थी ने उलझाया हुआ था , बहन का लौड़ा न जाने कहाँ गायब था . उसके चक्कर में अलग ही रायता फैला हुआ था . प्रकाश को किस चीज की तलाश थी जो वो चाचा से चाहता था . चाचा के बाद सिर्फ एक चीज गायब थी जो उसकी गाडी थी और गाडी को छुपाने के लिए बड़ी जगह चाहिए थी, पर वो जगह थी कहाँ पर ये सोचने की बात थी . मैंने भैया की गाडी को अपनी तरफ आते देखा. जल्दी ही वो मेरे पास थे.

भैया- छोटे, आगे से चाहे कुछ भी हो जाए आग लगनी है लग जाये तु उस आदमखोर के सामने नहीं आएगा. मैं देखूंगा अब इस मामले को . कल रात तुझे कुछ हो जाता तो

मैं- कुछ हुआ तो नहीं भैया . वैसे भी वो मेरी पकड़ से जायदा दूर नहीं है अगली मुलाकात में मैं उसे जरुर मार दूंगा.

भैया- तूने शायद सुना नहीं मैंने क्या कहा तुझसे.

मैं- भैया, आपने कभी इस बात पर विचार किया की चाचा के साथ साथ उसकी गाडी भी गायब है , और क्या गायब है चाचा का सामान में से

भैया- कबीर तुझे क्या जरुरत है ये सब सोचने की तेरे खेलने -कूदने के दिन है तू मौज कर .

मैं- चाचा हमारे परिवार का सदस्य है , हमारा खून का रिश्ता है उस से . घर की एक दिवार है वो . उसके बिना हम क्या

भैया- समझता हूँ पर हम हर मुमकिन कोशिश करके देख चुके है

मैं- क्या आप जानते हो की चाचा रमा से प्यार करता था .

भैया- रमा एक खिलौना थी बस जिससे चाचा खेलता था .

मैं- हो सकता है , पर चाचा चाहता था उसे

भैया- वो चाचा और रमा के बिच की बात थी . और यदि तुझे ऐसा लगता है तो ये बात तेरे तक ही रखना चाची के सामने मत करना उसको दुःख होगा.

मैं- उसे तो उम्र भर का दुःख हो ही गया है .

भैया- पिताजी ने कहा है की वो जल्दी ही आदमखोर के किस्से को ख़त्म कर देंगे

मैं- उनको फुर्सत आएगी तो सोचेंगे न परिवार, गाँव के बारे में

भैया- ऐसा क्यों कहता है

मैं- आप ही मालूम कर लो आजका कहाँ बीत रहा है उनका समय

भैया- तू कहता है तो मैं देख लूँगा.

दोपहर तक भैया मेरे साथ ही रहे फिर वो चले गए. पर मुझे चैन नहीं था. कुछ तो मुझसे छूट रहा था . एक बार फिर मैं निशा के खंडहर पर गया. वो भुला दिए गए कमरे एक बार फिर मेरे सामने थे. अजीब सी ख़ामोशी चीखना चाहती थी पर शायद मैं नहीं सुन पा रहा था . एक बार फिर मैंने गहन रूप से दुसरे कमरे की तलाशी लेनी शुरू की , दिवालो को फिर देखा की क्या पता कोई और छिपा दरवाजा हो. कौन था वो जो यहाँ पर रंडियों को चोद रहा था .



मान लिया जाये की चाचा यहाँ आता था तो मेरे अनुमान को दो बाते गलत साबित करती थी , रमा-सरला को यहाँ केक बारे में मालूम नहीं था दूसरी बात की गाडी ये ईमारत जिस इलाके में थी गाड़ी का आना मुमकिन नहीं था .

“जरुरी नहीं की जंगल में सिर्फ तुम ही हो जो अपने जिन्दगी जी रहे हो तुमसे पहले न जाने कितने आये कितने गए. कितनो के राज छिपाए है ये जंगल ” भाभी की कही बात मेरे जेहन में गूँज रही थी.

“तुम ख़ामोशी से खड़े नहीं रह सकते तुमने कुछ तो छिपाया है क्या है वो दिखाओ मुझे , ” मैंने दीवारों से कहा और यकीन मानिये उस दिन मैंने जाना की लोग ठीक ही तो कहते है की दीवारों के भी कान होते है . इन दीवारों ने बहुत कुछ देखा था बहुत कुछ सुना था .

पहले वाले कमरे की दीवारों पर जो खरोंचे थी उन खरोंचो में कुछ लिखा गया था , अक्सर लोग पेड़ के तनो पर , पुराणी इमारतों की दीवारों पर नाम लिख देते है. यहाँ भी किसी ने कुछ लिखा था जो लकीरों की वजह से स्पस्ट तो नहीं था पर रौशनी की इतनी किरण बहुत थी मेरे लिए.



“त्रिदेव की कहानी ढूंढो , उनको पा लिया तो सब कुछ पा लिया ” अंजू के कहे शब्द मुझे राह दिखा रहे थे. रुडा-विश्वम्बर दयाल-सुनैना. बेशक ये तीनो नाम त्रिदेव की तरफ इशारा करते थे पर ये मेरी मंजिल नहीं थे. मेरी मंजिल कुछ और था, मेरी मंजिल ये अक्षर थे जिन्हें अजीब तरीके से उकेरा गया था ,



अक्षर मेरी समझ में आ नहीं रहे थे तभी मुझे कुछ सोचा मैंने चिमनी की कालिख उस जगह पर मली और अँधेरे ने जो मुझे दिखाया, मेरा तो दिमाग ही घूम गया. ऐसा लगा की मेरी जान किसी ने निकाल ली हो. हो सकता था की मेरा अनुमान गलत साबित हो जैसे की मैंने पहले भी त्रिदेव को गलत समझ लिया था और अगर अब की बार मैंने सही समझा था तो मामला हद से जायदा संगीन था , हद से ज्यादा उलझ गया था . इन अक्षरों के बारे में सवाल पूछने का समय आ गया था .



वापिस आते हुए मैं कुवे पर गया तो देखा की सरला वहां पर मोजूद थी,

मैं- इस वक्त यहाँ पर तुम्हे तो घर पर होना चाहिए था न

सरला- नंदिनी ठकुराइन के साथ आई हूँ

मैं- कहाँ है भाभी

सरला- यही है , कह कर गयी है की थोड़ी हवा खाकर आती हूँ

मैं- घर में इतना काम है और भाभी यहाँ आई है . किस तरफ गयी है वो

सरला ने आगे की तरफ इशारा किया तो मैं चल दिया. भाभी क्यों आई थी कुवे पर ये सवाल मन में लिए .

मैंने भाभी को देखा जो जमीन के डोले पर बैठी थी .उन्होंने मुझे देखा और बोली- कहाँ गायब थे तुम

मैं- जरुरी काम था , आप यहाँ कैसे

भाभी- मैं जान गयी हूँ की प्रकाश को किसने मारा है

मैं- आपको कैसे मालूम हुआ

भाभी- ये तो पूछ लो की किसने मारा.

मैं- बताओ

भाभी ने जो नाम मुझे बताया मेरा दिल धक् से रह गया.................
ek line aur likh de te ...sarkar ... update main :wink2:
 
Top