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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#109

गली में दरवाजे के ठीक सामने आदमखोर खून से लथपथ खड़ा था उसकी पीली आँखे मेरी आँखों से मिली . उसने मुझे देख कर गुर्राया . उसके नुकीले दांत जिनसे रक्त टपक रहा था . मैं समझ गया था की आज ये किसी का तो शिकार कर आया है . अत्याप्र्त्याषित रूप से उसने मुझे लात मारी. मैं जरा भी तैयार नहीं था वार के लिए हवा में उड़ता हुआ मैं लोहे के दरवाजे से जा टकराया.



“आईईईई ” बड़ी तेज लगी थी मुझे. बहुत ही मुश्किल से संभल पाया मैं .

“रुक साले , तुझे आज मैं बताता हूँ ” मैं उसकी तरफ लपका पर वो तेज था उसने मुझे छकाया और एक बार फिर से उठा कर पटक दिया. गिरते हुए मैंने एक बात पर गौर किया कभी ये साला हाथ ही नहीं धरने देता कभी ये वार करता नहीं माजरा क्या है ये. किस्मत देखो, ब्याह के कारन पूरी गली की सफाई करवा दी गयी थी तोऐसा कुछ भी नहीं था जो हमले में इस्तेमाल किया जा सके.

तीसरी बार जब उसने मुझे चबूतरे पर पटका तो मेरा सब्र टूट गया.

मैं- ठीक है फिर .

मैंने उसके अगले वार को थाम लिया पर उसके पंजे मेरे कंधो में धंस जाने को बेताब लग रहे थे आज. उसके बदन से आती ताजा रक्त की महक मुझ पर भी असर करने लगी थी. बदन में दौड़ता रक्त सुन्न होने लगा था . दिल अचानक से ही करने लगा की सामने वाले का सीना चीर दू और उसके ताजा खून को अपने होंठो से लगा लू. न जाने मुझे क्या हुआ मैंने उसकी गर्दन पकड कर उसे ऊपर उठा लिया. उसकी पीली आँखों में मैंने हैरानी देक्खी.

अब बारी मेरी थी. मैंने उसके पेट में लात मारी वो सीधा चाची के चबूतरे पर जाकर गिरा. चबूतरे का फर्श एक पल में तड़क गया. पर वो आदमखोर तुरंत ही उठ कर लपका मुझ पर . इस बार मैं सावधान था मैंने उसे हवा में ही लपका और सामने दिवार पर दे मारा. दिवार का कोना झड़ गया. बाहर हो रही उठापटक से लोग भी जाग गए और बाहर आने लगे. चाची दौड़ते हुए बाहर आई , आदमखोर को देखते ही उसकी चीख निकल गयी. आदमखोर चाची की तरफ लपका पर मैंने फुर्ती दिखाते हुए उसका पैर पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा.

“चाची अन्दर जा और किवाड़ बंद कर ले. ” मैं चिल्लाया पर चाची जरा भी नहीं हिली डर के मारे जम ही गयी वो . दो चार लोग और बाहर आये मामला संगीन हो सकता था आदमखोर को यहाँ से हटाना बेहद जरुरी हो सकता था .

मैंने उसे धक्का दिया और गली के बाहर की तरफ भागा. वो मेरे पीछे आया. मैं यही चाहता था . एक दुसरे को छकाते हुए हम लोग गाँव से बाहर आ चुके थे. अब मैदान साफ़ था वो था और मैं था . आज की रात मैं बड़ी शिद्दत से ये किस्सा खत्म कर देना चाहता था .

“बता क्यों नहीं देता तू क्या पहचान है तेरी ” मैंने उसे सड़क से खेत की पगडण्डी पर घसीटते हुए कहा. उसने एक नजर आसमान की तरफ देखा और ऐसा मुक्का मारा मुझे की तारे ही नाच गए मेरी आँखों के सामने, नाक से खून बहने लगा. इम्पैक्ट इतना जोर का था की लगा कहीं नाक ही न टूट गयी हो.



पैने नाखून मेरी जाकेट को उधेड गए एक पल में ही . वो पूरी तरह से छा चूका था . इस से पहले की नाखून छाती में घुस जाये. मैंने पूरा जोर लगा कर उसे अपने से दूर धकेला. आदमखोर के अन्दर मैं नयी उर्जा को महसूस कर रहा था . जिस खेत में हम लड़ रहे थे वहां पर कंक्रीट के छोटे खम्बे लगे थे तारबंदी में मैंने वो खम्बा उखाड़ लिया और उसके सर पर वार किया.



वार सटीक जगह पर हुआ था ,एक पल को वो चकराया और मैंने बिना देर किये दो चार वार उसके सर पर लगातार किये. उसका घुटना निचे हुआ और अगला वार उसके कंधे पर हुआ . वो बुरी तरह से चीखा और फिर उसकी लात मेरे पेट पर पड़ी. दर्द से दोहरा हो गया मैं जब तक मैं संभला वो रफू चक्कर हो गया. इक बार फिर से मैं पकड़ नहीं पाया था उसे. अपने सीने पर हुए जख्म को रगड़ते हुए मैं सडक पर आया और सोचने लगा की किस तरफ गया होगा ये.

अगर वो जंगल की तरफ भागा था तो उसे तलाश कर पाना असंभव था इस रात के समय में . लंगड़ाते हुए मैं वापिस गाँव की तरफ चल दिया. गाँव में घुसा ही था की मैंने अंजू को देखा , खून से लथपथ सर से रिसता खून , पैरो में लचक . मैं हैरान हो गया उसे देख कर मेरा शक कहीं न कहीं यकीन में बदल रहा था की अंजू ही वो आदमखोर है .



“कबीर, तू ठीक है न मैं तुझे ही देखने आ रही थी ” इस से पहले की अंजू और कुछ कहती मैंने उसकी गर्दन पकड़ी और उसे धर लिया.

मैं- बस बहुत हुआ नाटक बंद कर , अब तेरे पास छिपाने को कुछ नहीं बचा. तू ही है वो आदमखोर . तुझे ठीक वहीँ पर चोट लगना जहाँ उस आदमखोर को लगी थी पुष्टि करती है मेरे शक की और फिर तू भी जानती थी की घायल अवस्था में तू जायदा दूर नहीं जा पायेगी तो रूप बदल लिया.

अंजू- दम घुट रहा है मेरा छोड़ मुझे

मैं- अब कोई नाटक नहीं

“कबीर छोड़ दे अंजू को ” ये आवाज भाभी की थी जो चाची और कुछ गाँव वालो के साथ हाथो में लालटेन, लट्ठ लिए हमारी तरफ ही आ रही थी .

मैं- इसे छोड़ दिया तो बहुत नुकसान हो जायेगा भाभी

भाभी- इसे कुछ हो गया तो नुकसान हो जायेगा कबीर

मैं- आप नहीं जानती भाभी

भाभी- जानती हूँ तभी कह रही हु, आदमखोर का हमला इस पर ही हुआ था . पड़ोसियों की दो भैंसों को मारने के बाद आदमखोर ने अंजू पर ही हमला किया था छत से गिरने के कारन ही इसे चोट लगी है . अफरा तफरी में ये घर के बगल में घायल मिली . जब इसे मालूम हुआ की तुम आदमखोर के पीछे हो तो अपनी चोट भूल कर ये इधर ही दौड़ पड़ी.

भाभी की बात सुन कर मैंने अंजू को छोड़ दिया . भाभी ने उसे संभाला पर मेरा मन नहीं मान रहा था .

घर आने के बाद मैंने देखा की सब लोगो में अजीब सी दहशत फैली हुई थी मैंने सबको आश्वस्त किया की घबराने की कोई बात नहीं है. चंपा से मैंने पानी गर्म करने को कहा और अपने जख्मो को देखने लगा. चूँकि अब कोई वैध तो था नहीं , मैने शहर के डाक्टर का दिया डब्बा निकाला और अपने जख्मो पर मरहम लगाने लगा.

यदि अंजू नहीं थी वो आदमखोर तो फिर कौन था , और अंजू पर हमला करने का उसका कोई मकसद था या फिर बस अंजू उसका शिकार थी और लोगो की तरह सर में दर्द होने लगा था . मैंने चाची से थोडा दूध लाने को कहा और वहीँ आँगन में एक गद्दा बिछा कर लेट गया.

 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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Dhanywad bhai update ke liye

सब बाहर आए लेकिन अभिमानु और राय साहब नहीं निकले

और ये आदमखोर कितना तेज है की जब मन आता है तब गायब हो जाता है
अगर वो इतना ही तेज है तो कबीर हर बार कैसे बच जाता है

अंजू आदमखोर नहीं है इसकी गवाही भाभी और दूसरो ने दी है लेकिन कबीर का मन नहीं मानेगा जो की स्वाभाविक है, कबीर का शक गलत नहीं है अब तो आदमखोर होने की list में चौथा नाम अंजू का भी जुड़ गया है
निश्चित ही अब कबीर अंजू से थोड़ा दूर रहेगा और शक के साथ उसपर निगरानी भी रखेगा।
अब तो अंजू को भी चूल मचेगी अपने आप को साबित करने की वो आदमखोर नहीं है


ये आदमखोर कबीर के घर के आस पास ही घूम रहा है उम्मीद करता हूं कबीर अभिमानु से उस के पीठ के चोट के बारे पूछेगा
थोड़ा बहुत तो शक करेगा ही अपने भाई पे
भाई प्रेम में अंधा ना हो कर थोड़ी सुझबुझ का परिचय देगा


आज आदमखोर ने almost चाची को निपटा ही दिया था
लेकिन सवाल वही है की इतना हो हल्ला ने जब सब जाग गए तो राय साहब और अभिमानु कहा थे, जबकि सबसे पहले तो उन्हे ही वहा होना चाहिए था

खैर आज के अपडेट से कहानी की दिशा थोड़ी मुड़ गई है, देखते है कहानी किस करवट बैठेगी

nice update fauji bhai, keep going
lot's of love ❣️
 
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Studxyz

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यहाँ तो सारा पासा ही उल्टा पुल्टा हो गया कहाँ कबीर चाची से चुदाई को बेताब था और अंजू से भी दिलकश हो रहा था और कैसे समय में आदमखोर ने धावा बोल दिया

खतरनाक खुनी संघर्ष हुआ भाभी बहन की लोड़ी अंजू को उठा रही है और अपने बेटे जैसे देवर कबीर की कोई परवाह ही नहीं है कबीर के सब के सब परिवार वाले नकरात्मक ऊर्जा से भरे हुए हैं व् नकाबपोश भी हैं जो कोई भी मौका कबीर को चुतिया बनाने का नहीं छोड़ते और वो भी मज़े से इनके आगे पीछे घूमता रहता है

एक बात समझ नहीं आयी की अभी वो दिन भी नहीं आया और आदमखोर हमले पर हमले कर रहा है क्या वो चम्पा का विवाह रुकवाना चाहता है ताकि कुंवारी को ही ज़िंदगी भर चोदता रहे ?
 

Lust_King

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#109

गली में दरवाजे के ठीक सामने आदमखोर खून से लथपथ खड़ा था उसकी पीली आँखे मेरी आँखों से मिली . उसने मुझे देख कर गुर्राया . उसके नुकीले दांत जिनसे रक्त टपक रहा था . मैं समझ गया था की आज ये किसी का तो शिकार कर आया है . अत्याप्र्त्याषित रूप से उसने मुझे लात मारी. मैं जरा भी तैयार नहीं था वार के लिए हवा में उड़ता हुआ मैं लोहे के दरवाजे से जा टकराया.



“आईईईई ” बड़ी तेज लगी थी मुझे. बहुत ही मुश्किल से संभल पाया मैं .

“रुक साले , तुझे आज मैं बताता हूँ ” मैं उसकी तरफ लपका पर वो तेज था उसने मुझे छकाया और एक बार फिर से उठा कर पटक दिया. गिरते हुए मैंने एक बात पर गौर किया कभी ये साला हाथ ही नहीं धरने देता कभी ये वार करता नहीं माजरा क्या है ये. किस्मत देखो, ब्याह के कारन पूरी गली की सफाई करवा दी गयी थी तोऐसा कुछ भी नहीं था जो हमले में इस्तेमाल किया जा सके.

तीसरी बार जब उसने मुझे चबूतरे पर पटका तो मेरा सब्र टूट गया.

मैं- ठीक है फिर .

मैंने उसके अगले वार को थाम लिया पर उसके पंजे मेरे कंधो में धंस जाने को बेताब लग रहे थे आज. उसके बदन से आती ताजा रक्त की महक मुझ पर भी असर करने लगी थी. बदन में दौड़ता रक्त सुन्न होने लगा था . दिल अचानक से ही करने लगा की सामने वाले का सीना चीर दू और उसके ताजा खून को अपने होंठो से लगा लू. न जाने मुझे क्या हुआ मैंने उसकी गर्दन पकड कर उसे ऊपर उठा लिया. उसकी पीली आँखों में मैंने हैरानी देक्खी.

अब बारी मेरी थी. मैंने उसके पेट में लात मारी वो सीधा चाची के चबूतरे पर जाकर गिरा. चबूतरे का फर्श एक पल में तड़क गया. पर वो आदमखोर तुरंत ही उठ कर लपका मुझ पर . इस बार मैं सावधान था मैंने उसे हवा में ही लपका और सामने दिवार पर दे मारा. दिवार का कोना झड़ गया. बाहर हो रही उठापटक से लोग भी जाग गए और बाहर आने लगे. चाची दौड़ते हुए बाहर आई , आदमखोर को देखते ही उसकी चीख निकल गयी. आदमखोर चाची की तरफ लपका पर मैंने फुर्ती दिखाते हुए उसका पैर पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा.

“चाची अन्दर जा और किवाड़ बंद कर ले. ” मैं चिल्लाया पर चाची जरा भी नहीं हिली डर के मारे जम ही गयी वो . दो चार लोग और बाहर आये मामला संगीन हो सकता था आदमखोर को यहाँ से हटाना बेहद जरुरी हो सकता था .

मैंने उसे धक्का दिया और गली के बाहर की तरफ भागा. वो मेरे पीछे आया. मैं यही चाहता था . एक दुसरे को छकाते हुए हम लोग गाँव से बाहर आ चुके थे. अब मैदान साफ़ था वो था और मैं था . आज की रात मैं बड़ी शिद्दत से ये किस्सा खत्म कर देना चाहता था .

“बता क्यों नहीं देता तू क्या पहचान है तेरी ” मैंने उसे सड़क से खेत की पगडण्डी पर घसीटते हुए कहा. उसने एक नजर आसमान की तरफ देखा और ऐसा मुक्का मारा मुझे की तारे ही नाच गए मेरी आँखों के सामने, नाक से खून बहने लगा. इम्पैक्ट इतना जोर का था की लगा कहीं नाक ही न टूट गयी हो.



पैने नाखून मेरी जाकेट को उधेड गए एक पल में ही . वो पूरी तरह से छा चूका था . इस से पहले की नाखून छाती में घुस जाये. मैंने पूरा जोर लगा कर उसे अपने से दूर धकेला. आदमखोर के अन्दर मैं नयी उर्जा को महसूस कर रहा था . जिस खेत में हम लड़ रहे थे वहां पर कंक्रीट के छोटे खम्बे लगे थे तारबंदी में मैंने वो खम्बा उखाड़ लिया और उसके सर पर वार किया.



वार सटीक जगह पर हुआ था ,एक पल को वो चकराया और मैंने बिना देर किये दो चार वार उसके सर पर लगातार किये. उसका घुटना निचे हुआ और अगला वार उसके कंधे पर हुआ . वो बुरी तरह से चीखा और फिर उसकी लात मेरे पेट पर पड़ी. दर्द से दोहरा हो गया मैं जब तक मैं संभला वो रफू चक्कर हो गया. इक बार फिर से मैं पकड़ नहीं पाया था उसे. अपने सीने पर हुए जख्म को रगड़ते हुए मैं सडक पर आया और सोचने लगा की किस तरफ गया होगा ये.

अगर वो जंगल की तरफ भागा था तो उसे तलाश कर पाना असंभव था इस रात के समय में . लंगड़ाते हुए मैं वापिस गाँव की तरफ चल दिया. गाँव में घुसा ही था की मैंने अंजू को देखा , खून से लथपथ सर से रिसता खून , पैरो में लचक . मैं हैरान हो गया उसे देख कर मेरा शक कहीं न कहीं यकीन में बदल रहा था की अंजू ही वो आदमखोर है .



“कबीर, तू ठीक है न मैं तुझे ही देखने आ रही थी ” इस से पहले की अंजू और कुछ कहती मैंने उसकी गर्दन पकड़ी और उसे धर लिया.

मैं- बस बहुत हुआ नाटक बंद कर , अब तेरे पास छिपाने को कुछ नहीं बचा. तू ही है वो आदमखोर . तुझे ठीक वहीँ पर चोट लगना जहाँ उस आदमखोर को लगी थी पुष्टि करती है मेरे शक की और फिर तू भी जानती थी की घायल अवस्था में तू जायदा दूर नहीं जा पायेगी तो रूप बदल लिया.

अंजू- दम घुट रहा है मेरा छोड़ मुझे

मैं- अब कोई नाटक नहीं

“कबीर छोड़ दे अंजू को ” ये आवाज भाभी की थी जो चाची और कुछ गाँव वालो के साथ हाथो में लालटेन, लट्ठ लिए हमारी तरफ ही आ रही थी .

मैं- इसे छोड़ दिया तो बहुत नुकसान हो जायेगा भाभी

भाभी- इसे कुछ हो गया तो नुकसान हो जायेगा कबीर

मैं- आप नहीं जानती भाभी

भाभी- जानती हूँ तभी कह रही हु, आदमखोर का हमला इस पर ही हुआ था . पड़ोसियों की दो भैंसों को मारने के बाद आदमखोर ने अंजू पर ही हमला किया था छत से गिरने के कारन ही इसे चोट लगी है . अफरा तफरी में ये घर के बगल में घायल मिली . जब इसे मालूम हुआ की तुम आदमखोर के पीछे हो तो अपनी चोट भूल कर ये इधर ही दौड़ पड़ी.

भाभी की बात सुन कर मैंने अंजू को छोड़ दिया . भाभी ने उसे संभाला पर मेरा मन नहीं मान रहा था .

घर आने के बाद मैंने देखा की सब लोगो में अजीब सी दहशत फैली हुई थी मैंने सबको आश्वस्त किया की घबराने की कोई बात नहीं है. चंपा से मैंने पानी गर्म करने को कहा और अपने जख्मो को देखने लगा. चूँकि अब कोई वैध तो था नहीं , मैने शहर के डाक्टर का दिया डब्बा निकाला और अपने जख्मो पर मरहम लगाने लगा.

यदि अंजू नहीं थी वो आदमखोर तो फिर कौन था , और अंजू पर हमला करने का उसका कोई मकसद था या फिर बस अंजू उसका शिकार थी और लोगो की तरह सर में दर्द होने लगा था . मैंने चाची से थोडा दूध लाने को कहा और वहीँ आँगन में एक गद्दा बिछा कर लेट गया.
Jab bhi lagta h k aadamkhor mil gya h tabhi Naya mod de dete ho bhai .. very nice update
 

Pankaj Tripathi_PT

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Kabir or adamkhor ka action mast tha.. Lekin Aaj ek baat alg lagi ye adamkhor bhi kabir ko nuksaan pahunchana chahta tha jese Aaj woh kabir pr koi reham nhi krega... Lekin bhalaa Ho kabir ko khoon ki mehak ne kabir me urza bhar diya jisse kabir adamkho pr bhaari padaa...

Dusri baat Anju toh kabir ke sath thi? Fir uska kab adamkhor se samna hua?.. Bhabhi or baaki log bhi iss baat ko pusti kr rhe hai ki anju pr hamla hua tha...

Abhimanyu or Ray sahab kahan the sara gaon wahan ikkhtta hua lekin ye dono gayab dikhe.. Sale kiski bhosdi me ghuse the... Ray sahab ka toh fir bhi pta hai kisi ki chut me ghusa hoga lekin abhimanyu kiski chut me ghusa hoga bhabhi to yahan thi..
Maa ka lodaa mangu bhi gayab hi dikhaa sala kahin mangu hi na adamkhor nikle... Mangu or abhimanyu pr shq toh hai lekin pta nhi abhimanyu khud ke liye jadi buti dhundh rha hai ya kisi dusre ke liye... Mamla badaa hi sangeen hota dikh rha hai...
 
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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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यहाँ तो सारा पासा ही उल्टा पुल्टा हो गया कहाँ कबीर चाची से चुदाई को बेताब था और अंजू से भी दिलकश हो रहा था और कैसे समय में आदमखोर ने धावा बोल दिया

खतरनाक खुनी संघर्ष हुआ भाभी बहन की लोड़ी अंजू को उठा रही है और अपने बेटे जैसे देवर कबीर की कोई परवाह ही नहीं है कबीर के सब के सब परिवार वाले नकरात्मक ऊर्जा से भरे हुए हैं व् नकाबपोश भी हैं जो कोई भी मौका कबीर को चुतिया बनाने का नहीं छोड़ते और वो भी मज़े से इनके आगे पीछे घूमता रहता है

एक बात समझ नहीं आयी की अभी वो दिन भी नहीं आया और आदमखोर हमले पर हमले कर रहा है क्या वो चम्पा का विवाह रुकवाना चाहता है ताकि कुंवारी को ही ज़िंदगी भर चोदता रहे ?
यही सवाल... जवाब भी यही है..
...अब ये मत पूछना कि वो कौन है.....
वो चम्पा का विवाह रुकवाना चाहता है ताकि कुंवारी को ही ज़िंदगी भर चोदता रहे
 
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Studxyz

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यही सवाल... जवाब भी यही है..
...अब ये मत पूछना कि वो कौन है.....
वो चम्पा का विवाह रुकवाना चाहता है ताकि कुंवारी को ही ज़िंदगी भर चोदता रहे

भाई दिमाग का दही पहले ही हो चूका था अब फौजी भाई जी उस दही को घोंट रहे हैं ताकि पतला सा रायता बने और फिर उसे भी फैलाया जा सके ताकि फिर कोई भी माई का लाल उसको समेट ना सके :D
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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नियति जाने इस बारे मे
वो आप पहले ही बता चुके है, बस देखना ये है की कौन कौन हो सकता है।
 
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