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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#105



“सनम के दीदार को प्यासी है आँखे हमारी और सनम मुह मोड़े खड़ी है ”

जैसे ही उसके कानो में मेरी आवाज पड़ी, हैरानी से पीछे मुड़ी वो और देखती ही रह गयी मुझे. उसने दरवाजा बंद किया और बोली- तुम यहाँ,इस वक्त

मैं- आना ही पड़ा सरकार

मैंने उसे सीने से लगा लिया

निशा- यही नहीं चाहती थी मैं

मैं- बस तुझे देखना चाहता था . वापिस लौट जाऊंगा

निशा- आये हो तो रुको थोड़ी देर वैसे भी कोई नहीं है यहाँ

मैं- कोई क्यों नहीं है हम तुम तो है

निशा- ये होना भी कोई होना है

मैं- तू ही बता फिर क्या खोना है क्या पाना है

निशा- मैं खो गयी तुझे पा लिया

मैं- भाभी ने हां कह दी है

निशा- जानती हूँ

मैं- बस यही बताने आया था , अभी जाना होगा

निशा ने मेरा हाथ पकड़ लिया , बोली- साथ चलू

मैं- नहीं तू आराम कर . तू मुझे छोड़ने आएगी मैं तुझे ये रात यूँ ही बीत जाएगी.

निशा- बीतने दे फिर इसे. आने वाली रातो का भी देखना है जैसे जैसे पूर्णिमा करीब आ रही है दिल घबरा रहा है. वैसे मुझे तलब नहीं है किसी भी तरह की पर चूँकि पिछली पूर्णिमा बड़ी भारी पड़ी थी और उसी दिन चंपा की बारात आएगी कहीं मेरी वजह से कोई परेशानी ना हो जाए.

निशा- कुछ नहीं होगा. कुछ भी नहीं होगा. तू आदमखोर नहीं है कबीर . तू उस जैसा न था न बनेगा भरोसा रख . रक्त की प्यास न होना सबसे बड़ा सबूत है इस बात का . माना की रात भारी पड़ी थी पर उसका भी तोड़ मिल ही जायेगा. सावधानी के लिए थोड़े समय दाए बाये हो जाना गाँव से. मैं तुझे अपने ठिकाने पर मिलूंगी थाम लुंगी तुझे.

मैं- चर्चे होने लगेंगे जल्दी ही तेरे मेरे प्यार के

निशा- क्यों नहीं होंगे, तुमको जीता है है दिल हार के. और फिर वो प्यार ही क्या जिसमे दुश्वारियां ना हो .

मैं- चलता हूँ .

निशा- छोटा रास्ता लेना

मैं- जानता हु सरकार

वहां से निकलने के बाद मैंने राह पकड़ी और जल्दी ही मैं अपने कुवे के पास वाली सड़क पर था . रात बता रही थी की कुवे पर ख़ामोशी है. घर पहुंचा तो बाहर खड़ी गाडियों ने मुझे बता दिया था की लग्न देकर वापिस आ चुके है . बाप के कमरे का दरवाजा खुला था . बल्ब जल रहा था. मैं अन्दर दाखिल हुआ. देखा की गीत गए जा रहे थे. मैं सीढिया चढ़ते हुए ऊपर पहुंचा. देखा की मेरे बिस्तर पर लेटे हुए अंजू कोई किताब पढ़ रही थी . ये चुतिया की बच्ची क्या पढ़ती रहती है मैंने सोचा.

अंजू- कहा से आ रहे हो

मैं- तुम्हारा जानना जरुरी नहीं

अंजू- समझ नहीं आता किस बात का गुरुर है तुमको

मैं कुर्सी पर बैठा और बोला- थका हुआ हूँ सोना चाहता हूँ

अंजू थोडा सा सरकी और बोली- पीछे सो जा

मैं- इतने बुरे दिन नहीं आये की तेरे पास पड़ना पड़ेगा मुझे.

अंजू- तो बाहर जाकर ऐसीतैसी करवा , पढने दे मुझे

मैं- क्या पढ़ती रहती है तू मुझे भी बता जरा

अंजू- तेरे बस की नहीं है इसे समझना और बाहर जाते जाते किवाड़ बंद कर जाना

निचे आते ही मैंने सरला को पकड़ा और बोला- कुछ जरुरी बात करनी है

सरला- कितनी देर तो इन्तजार करती रही मैं अब समय नहीं मिलेगा

मैं- चोदना नहीं है दो मिनट साइड में आ तू

सरला- क्या हुआ कुंवर

मैं- क्या तुझे चाचा ने खुद कहा था की चूत दे दे

सरला- नहीं , रमा मुझे छोटे ठाकुर के किस्से बताया करती थी धीरे धीरे मेरा भी मन करने लगा और फिर एक दिन उसने ही मुझे छोटे ठाकुर से मिलवाया था.

मैं- कहाँ कुवे पर

सरला- नहीं रमा के घर पर .

चाचा को सबसे प्यारी रमा ही थी, बिना देर किये मैं रमा के पुराने घर में पहुँच गया. बल्ब जलाया सब कुछ वैसा ही था जैसा मैं पिछली बार छोड़ कर गया था . चाचा को सबसे ज्यादा रमा से ही प्यार था . उसके जाने के बाद रमा को प्रकाश चोद रहा था , वैध चोद रहा था और मेरा बाप चोद रहा था . बिना किसी मकसद के रमा क्यों चुदेगी. पैसे की उसे चाह नहीं थी . फिर किसलिए . बेटी के कातिल को जानने के लिए नहीं , क्योंकि वो जानती थी की चाचा कभी नहीं मारेगा उसकी बेटी को दुनिया जो भी कहे, चाचा को अच्छी तरह से समझती थी रमा



मैंने एक बार फिर बहुत बारीकी से तहकीकात शुरू की , पुराने बक्सों में अखबार के पन्नो के बिच मुझे एक तस्वीर मिली और उस तस्वीर को खूब गौर से देखा तो मैं बहुत कुछ समझ गया था , तस्वीर में रमा, उसकी बेटी और चाचा थे. मैंने सुना था की तस्वीरे झूठ नहीं बोलती आज समझ भी लिया था इस बात को. रमा की बेटी दरअसल रमा और चाचा की बेटी थी .

रमा क्या तलाश रही थी मैं समझ गया था वो अपनी बेटी के कातिल को नहीं बल्कि ठाकुर जरनैल सिंह को ढूंढ रही थी . मोहब्बत का ऐसा रूप भी देखने को मिलेगा ये कभी सोचा नहीं था . दुनिया सच ही तो कहती थी जो प्यार कर गये वो लोग और थे. राय साहब नहीं बल्कि वो राय साहब को चूत देकर उनसे चाचा के बारे में जानना चाहती थी . पर जिन जिन से वो चुद रही थी उन लोग का क्या लेना देना था चाचा से सोचने वाली बात थी . मंगू, राय साहब,प्रकाश और वैध. जिनमे से दो लोग अब बताने को उपलब्ध नहीं थे.



चाचा को गायब करवाने में अगर राय साहब का हाथ था तो वो उनके लिए बाए हाथ का काम था , वर्ना ऐसी क्या बात थी जो इतना बड़ा आदमी अपने भाई को नहीं तलाश पाया. मान लिया की राय साहब ने ही उसे गायब करवाया है पर किसलिए, रांडो को चोदने जैसी बात के लिए तो वो ऐसा कभी नहीं करेगा. जमीं का मामला भी नहीं हो सकता क्योंकि जमीने तो बहुत थी हमारे पास. औरत नहीं , जमीन नहीं तो फिर क्या बचा.दोनों भाई में झगडा आखिर किस बात को लेकर हुआ था
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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Mc मंगू को पकड़ का अच्छे से कूट दे, कुछ न कुछ तो बता ही देगा
राय साहब के साथ इतना दिन से अय्याशी कर रहा कुछ न कुछ तो बताएगा ही

कबीर जिनको भी गाय समझ कर पाला है सब साले नाग निकले है

ये कौन सी हवेली थी भाई, जो पहली बार पाठकों के सामने आया है
मतलब हम लोग को बिना कुछ बताए बहुत कुछ कबीर को बता दिया गया है
इसका मतलब तो यही होगा की कबीर को अतीत की सारी बाते बता दी गई है

पता नही जनरैल सिंह जिंदा भी है या मार काट कर कही फेक दिया गया है

रमा का यूं जगह जगह मुंह मारना समझ से परे है, रमा को अच्छे से पता होगा को वैध और परकाश को किसने मारा है (शायद खुद उसने या अभिमानु ठाकुर ने)
रमा कविता और सरला को जरनैल सिंह के कहने पर लेकर गई थी या खुद किसी के साथ मिल कर नया जाल बुन रही थी

जब जरनैल सिंह के रंगरलियों के किस्से आते है तो बेचारी चाची के लिए sympthy जागती है, कैसा लगता होगा जब खुशी के मौके पर पूरा परिवार साथ है लेकिन उसका पति नही है

देखते है जरनैल सिंह के गायब होने के पीछे चाची का हांथ है या नही


खैर ये अपडेट अच्छा था, उम्मीद करता हुं की एक और अपडेट भी आएगा
 
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Studxyz

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अभी कुछ समय के लिए सभी मुद्दों को विराम देते हुए समय है निशा और कबीर के अमर होते मधुर प्रेम की गाथा पढ़ कर आनंदित होने का और रोमांस लिखने में भी फौजी भाई को कोई सानी नहीं है
 

Pankaj Tripathi_PT

Love is a sweet poison
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Toh ye baat sach hai nisha ji bhi bade ghar ki beti nikli... Mohabbat(nisha) naam hai uska shuru jungle se hui.. Woh mohbbat hi Kya jisme adchane na Ho Aag ka dariya na Ho...

Ye fata naya bomb ab samaj me aya Rama kyo azeez thi Thakur gernail ko qki Rama ki beti ka baap gernail tha....

Mangu ki kutaai krwaao Bhai pyar ki bhasa woh nhi smjhne wala..

Bhai ji champa ke sath kabir ka scene main bhi nhi chahta.. Usse berukhi jyada behtar option hai..

Haa manju ke sath kabir ka scene fit kr do toh dil ko karaar ajaye...
 

Sanju@

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#100

गहरी काली आँखों ने पलके झुका कर अहसास करवाया वो ही थी .केसरिया लहंगे-चोली पर पड़ती धुप की किरने जैसे की साक्षात् सूर्य ही मेरे सामने खड़ा हो गया था .

मैं- तुम यहाँ

निशा- यहाँ नहीं तो फिर और कहा .

मैं- दिन के उजालो में रात की रानी

निशा- आदत डाल रही हूँ उजालो की जबसे तुमसे नाता जोड़ा है मेरी राते भी अब मेरी नहीं रही

मैं- ये तो है सरकार. मैं तुमसे मिलना चाहता ही था आज रात जरुर आता मैं पर देखिये तक़दीर, तुम अभी मिल गयी .

निशा- कितनी अजीब बात है न तुम मुझसे मिलने को बेकरार मैं तुमसे मिलने को बेक़रार.

मैं- यही तो है प्यार सरकार

निशा मुस्कुराई . उसकी ये मुस्कान ही तो थी जिसे मैं अब हर पल देखना चाहता था ,

मैं- सुन, चंपा का ब्याह है , तेरा निमन्त्रण है

निशा- मैं कैसे आउंगी

मैं- घर की छोटी बहु नहीं आएगी तो फिर हमारा क्या ही रुतबा रहेगा . वैसे भी ये निमन्त्रण मेरे साथ साथ नंदिनी भाभी ने भी भेझा है

निशा- मेरे यार का न्योता सर माथे पर , पर मैं कैसे आ पाऊँगी

मैं- बरसों बाद ख़ुशी की घडी आई है निशा, तू मेरा ही तो हिस्सा है , और एक हिस्सा जब दूर रहेगा तो दूसरा हिस्सा कैसे ख़ुशी मना पायेगा.

निशा- मुझे खुशियों की आदत नहीं कबीर, दुनिया मुझे मनहूस मानती है कहते है की जहाँ डायन के कदम पड़े वहां पर खुशिया झुलस जाती है , रुदन-विलाप शुरू हो जाता है .

मैं- कुछ नहीं होगा. मैं हूँ न. मेरा नहीं तो नंदिनी भाभी का ही मान रख लो

निशा- मैं सोचूंगी

मैं - सोचना नहीं तुझे आना है.

निशा मुस्कुराई .

मैं- जंगल की राते अब सुनी नहीं रही निशा, कोई न कोई भटक रहा है इधर उधर

निशा- खबर है मुझे

मैं- अंजू क्या चाहती है ये नहीं समझ पा रहा मैं, पहले मैंने सोचा था की उसे सोने का लालच होगा पर उसकी माँ उसके लिए इतना छोड़ कर गयी है उसे मोह ही नहीं रहा . प्रकाश के बारे में भी झूठ बोली वो. कल रात सूरजभान से झगडा हुआ उसका. सूरजभान पर शक है उसे की वो ही प्रकाश का कातिल है . समझ नहीं आ रहा की ये चल क्या रहा है .

निशा- नसीब, इन सब का नसीब इन्हें जंगल में बुला रहा है ,अंजू चाहती थी परकाश को , पर वो ना लायक उसे बस इस्तेमाल करता था , अंजू कभी नहीं समझ पाई इस चीज को . प्रकाश बहुत अय्याश किस्म का व्यक्ति था , कितनी ही औरतो को इसी जंगल में अपनी हवस का शिकार बनाया था उसने. सूरजभान को मालूम था की उसकी बहन और प्रकाश का क्या नाता है , उसे गवारा नहीं ये रिश्ता, पर उसमे इतनी हिम्मत नहीं है की कत्ल कर सके.

मैं- तो फिर कौन हो सकता है जो पेल गया उस चूतिये को .

निशा- मैं तेरे साथ थी न उस वक्त .

मैं- जानता हु बस सम्भावना तलाश रहा हूँ

निशा- संभावनाए अपने साथ अनंत विचार लेकर आती है कबीर, निरर्थक विचार जो मन को उलझाते है बस .

मैं- तू मेरी थोड़ी मदद कर न ,

निशा- मेरी नजर में है ये सब पर इनमे से कोई भी तालाब की तरफ आता नहीं .

मैं- यही तो मैं भी नहीं समझ पा रहा हूँ की उस कमरे में कौन आता-जाता होगा. और कमरे का जिक्र छोड़ दे तो फिर इस जंगल में ऐसा कौन सा ठिकाना हो सकता है जहाँ पर ये रास चलता हो.

निशा- उस बिस्तर, उन किताबो से तो यही लगता है की उस कमरे में ही होता था सब कुछ

मैं- तो फिर अब क्यों नहीं जाते ये लोग

निशा- आयेंगे, कभी न कभी तो आयेंगे.

मैं- मुझे लगता है की अंजू आदमखोर है

निशा- कैसे

मैं- वो बहुत समय तक गायब रही , उसका व्यवहार संदिग्ध है और चांदनी रातो में ही वो भटकती है

निशा- ये तो हम दोनों भी करते है तो क्या हम भी आदमखोर है

मैं- कम से कम मैं तो हूँ

मैंने गहरी सांस ली

निशा- फ़िक्र मत करो. तुम वो नहीं हो. तुम संभाल लोगे खुद को .

निशा ने मेरे गालो पर हल्का सा चुम्बन लिया और बोली- जाती हूँ ,

मैं- रात को मिलेंगे

निशा- नहीं ........

जाते जाते उसने एक बार मुड कर देखा कसम से उसके नैनो के तीर सीधा दिल में उतर गए. उसके जाने के बाद मैंने भी साइकिल उठाई और मलिकपुर पहुँच गया सुनार के पास.

सुनार- आइये कुंवर ,आपने तकलीफ क्यों की मुझे बुला लिया होता.

मैं- हमारा कुछ सामान बहुत समय से आपके पास पड़ा है , सोचा आज वापिस ले चलू

सुनार ने अपने चश्मे को इधर उधर किया और बोला- कैसा सामान कुंवर मैं समझा नहीं , बयाह के सारे जेवर तो मैंने पहुंचा ही दिए है .

मैं- और उन गहनों का क्या जो कभी कोई लेने आया ही नहीं .

सुनार- मैं बरसों से इन्तजार कर रहा था की कोई आये ये पूछने मुझसे

मैं- हाँ तो मैं अब आ गया हूँ वो गहने देखने है मुझे

सुनार- गहने तो नहीं है मेरे पास

मैं - तो कहाँ है वो गहने

सुनार- छोटे ठाकुर ले गए थे वो गहने .

मैं- पर वो गहने घर पर नहीं है .

सुनार- रोजी रोटी की कसम खा कर कहता हूँ की छोटे ठाकुर वो गहने ले गए थे मुझसे चाहो तो जल की सौगंध उठा लू पर हाँ जब वो यहाँ से गए तो उनकी जेब से कुछ गिर गया था . ध्यान आते ही मैंने उनको आवाज दी पर वो जा चुके थे .

मैं- क्या गिर गया था चाचा की जेब से

सुनार उठा उसने अपनी अलमारी खोली , कुछ देर वो टटोलता रहा और फिर एक चाबी मेरी हथेली पर रख दी. मैं कुछ देर उस चाबी को देखता रहा .

मैं- किस जगह की है ये चाबी

सुनार- मैं क्या जानू.

सुनार के पास गहने तो नहीं मिले पर ये चाबी मिली. चाचा का वो ताला कहाँ था जिसकी ये चाबी थी . वापसी में मेरे पास कुछ नहीं था निराशा के. खैर घर आया तो पाया की टेंट वाले आ गए थे, एक तरफ शामियाना लगाया जा रहा था , गली की साफ़ सफाई की जा रही थी . हलवाई अपने बर्तन साफ़ कर रहा था .

मैं सीधा चाची के पास गया .

चाची- घर पर इतना काम है और तू सुबह से गायब है .

मैं- सुबह से गायब था पर रात को तेरे साथ ही रहूँगा . और आज तू मना नहीं करेगी चाहे कुछ भी हो आज देनी पड़ेगी.

चाची- मरवाएगा क्या तू, आज से रस्मे शुरू हो रही है , रात को गाँव की औरते होंगी. गीत गायेंगे कहाँ समय लगेगा अब तो इस ब्याह के बाद ही दूंगी.

मैं- लूँगा तो आज ही .

“क्या बाते हो रही है ” भाभी ने हमारी तरफ आते हुए पूछा

मैं- चाची मुझे दे नहीं रही है .

मैंने कहा तो चाची और भाभी दोनों ही सकपका गयी.............
गहरी काली आँखों हसीन चेहरा बिखरी हुई जुल्फे देखकर दिल खुश हो जाता है जिसका हमे भी बेसब्री से इंतजार रहता है निशा और कबीर के बीच संवाद बहुत ही सुंदर था जो हर किसी के साथ नही हो सकता है निशा ने कहा कि अंजू परकाश से प्यार करती है लेकिन वो उस लायक नही था और अय्याश आदमी था अंजू की बात सच है कि वह परकाश को चाहती हैं सुनार के पास गहने तो नही मिले लेकिन एक चाबी मिली है अब ये किस की चाबी है और क्या कबीर उस लॉक को ढूंढ पाएगा
कबीर भाभी के सामने चाची से मजे ले रहा है
 

Studxyz

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Haa manju ke sath kabir ka scene fit kr do toh dil ko karaar ajaye...

अंजू ने तो आमंत्रण दिया था उसकी बैड पर खिसक अपने पीछे सोने का यानि की गांड मारने का लेकिन कबीर का मन ही नहीं था शयद उसे चाची या सरला की याद आयी हो ?

अंजू हाथ से पकड़ कर तो अपनी गांड में लेगी नहीं
 
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brego4

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super romantic updates, the love between kabir n nisha is touching newer heights with uncontrollable passion

Nisha shayad ruda ki haveli me hai jahan kabir us se milne gya ya fir apni ?

Rama, Ruda and chacha are missing from conspiracy but working behind scenes

Mangu easy target tha jise kabir ne kuch kaha hi nahi us se kuch important information nikal sakti thi
 
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