Death Kiñg
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रमा और अंजू, दोनों ही अपनी बातों से कबीर को घुमा गईं। पहले तो रमा, जितनी सीधी बनकर उसने कबीर से सारी बातें कहीं, वो उतनी सीधी तो है नहीं। ज़रूर कुछ न कुछ ऐसा है जो वो पाना चाहती है, जिसके कारण उसने विशम्बर दयाल से संबंध बनाए। क्या वो जरनैल का पता लगाना चाहती है, ताकि अपनी बेटी की हत्या का बदला ले सके? क्योंकि वैद के अनुसार जरनैल ही उसकी बेटी का कातिल है, हालांकि, वैद की बात भी सत्य थी या नहीं, कहना कठिन है। परंतु, अंजू ने साफ शब्दों में कहा की उसे रमा पर संदेह है, जरनैल के गायब होने के पीछे और उसने अपना संदेह विशम्बर दयाल के सामने भी ज़ाहिर किया हुआ है।
अब यहां दो संभावनाएं हो सकती हैं, पहली, विशम्बर दयाल को घंटा फर्क नहीं पड़ता की जरनैल ज़िंदा है या नहीं, ज़िंदा है तो कहां है और कहां नहीं! इसीलिए वो मस्त अपनी हवस मिटाने में लगा है। दूसरा पहलू ये हो सकता है की रमा से संबंध बनाकर ही वो जरनैल का पता लगाना चाहता हो। अब ये तो जग–जाहिर है की हवस में बहकर इंसान वो तक बोल जाता है जो वो असलियत में कभी न बोले। हो सकता है की विशम्बर दयाल इसी तरीके से रमा का मुंह खुलवाना चाहता हो, मजे का मजा और रहस्योद्घाटन का रहस्योद्घाटन!
अंजू पर संदेह है कबीर को की वो ही आदमखोर है, चूंकि वो कुछ चुनिंदा दिनों पर गायब रहती है तो ऐसा संदेह बेबुनियाद भी नहीं। अब अंजू असल में आदमखोर है या नहीं, ये तो चम्पा के ब्याह वाले दिन पता चल ही जाएगा, जब वो सबके बीच मौजूद होगी। परंतु,देखने लायक ये होगा, की क्या कबीर शिरकत कर पाएगा चम्पा के ब्याह में या नहीं? निशा ने कहा था की डायन के कदम जहां भी पड़ते हैं, वहां मातम छा जाना निश्चित है, शेखर मरने वाला है क्या अपने ब्याह के दिन ही? देखने लायक होगा क्या कांड होगा चम्पा के ब्याह पर...
अंजू और परकाश कबीर के खेतों में क्या ढूंढ रहे थे, ये भी एक सवाल है! ऐसा क्या है उस ज़मीन में जो अंतहीन सोने से भी ज़्यादा कीमती है? क्या उसी चीज़ के बारे में ज़िक्र कर रहा था सूरजभान जंगल में अंजू से? क्या उसी चीज़ के कारण जरनैल गायब हुआ है और क्या उसी की चाबी मिली है कबीर को सुनार के पास से..? देखना ये भी होगा की क्या सुनार केवल चाबी संभाले हुए था, या कुछ और राज़ भी ऐसे हैं जिन्हें वो दबाए बैठा है। उसके अनुसार जरनैल गहने ले गया था पर वो गहने घर पहुंचे नहीं, क्या चाची ही अपने पति की कातिल है..? वो गहने गए कहां ये भी एक बड़ा प्रश्न है!
चम्पा के ब्याह को रस्म करने शेखर के घर गए थे सभी, परंतु विशम्बर ने कबीर को साथ ले जाने से इंकार कर दिया, खुन्नस ही है, या फिर कुछ और छुपा रहा है वो हवसी? देखना ये भी है की विशम्बर के जाने के बाद जो कीमती सामान घर पर आया वो किसने भेजा था? शायद निशा ने? क्योंकि वो किसी भेंट की चर्चा कर भी रही थी, कबीर से? बहरहाल, मुश्किल होगा आगे चलकर निशा के लिए, समझाना की वो अब तक कबीर से इतनी बातें क्यों छुपाती आई है? आगे चलकर कबीर को सब पता चलने वाला है, ये तो तय ही है, तो इतने समय तक बातें छुपाने का नाटक करने की कोई वजह नहीं हो सकती...
ये कहना बेहद आसान है की वो कबीर के भले के लिए छुपा रही थी, पर जब आगे चलकर भी सच सामने आना ही है, तो इस ढोंग का कोई औचित्य नहीं। बल्कि, कबीर ने तो सामने से पूछा भी था उससे, तब भी वो शब्दों का एक बेहतरीन जाल बुनकर बगल से निकल गई। देखते हैं, कितना कुछ ऐसा है जो निशा कबीर से छुपा रही है। मेरी समझ से, वो इकलौती ऐसी है जो सब कुछ जानती है.. सब कुछ! वो कबीर के बारे में, उसके परिवार के बारे में, आदमखोर के बारे में, अंजू और सूरजभान के बारे में भी, सब जानती है, पर कबीर को जब सब बना ही रहें हैं, तो वो क्यों पीछे रहे..?
देखते हैं की नंदिनी ने निशा के पांव क्यों छुए! यदि सम्मान दे ही रही है, किसी कारण से, तो उस दिन खेत के कमरे पर निशा को अपने बराबर के दर्जे से क्यों पुकार रही थी, वहां भी आप – आप करके बात कर लेती? देखते हैं निशा को नंदिनी के अलावा कौन – कौन जानता है! विशम्बर दयाल, अभिमानु और रूड़ा जानते होंगे शायद... बहरहाल, अगले भाग में कमरे में जाकर कबीर निशा से पूछे की भाभी ने तोहरे पांव क्यों छुए और निशा उसे एक बार फिर शब्दों के जाल में फांस ले, ऐसा होता दिखा रहा है मुझे...
सभी भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई, प्रतीक्षा रहेगी अगले अध्याय की...
अब यहां दो संभावनाएं हो सकती हैं, पहली, विशम्बर दयाल को घंटा फर्क नहीं पड़ता की जरनैल ज़िंदा है या नहीं, ज़िंदा है तो कहां है और कहां नहीं! इसीलिए वो मस्त अपनी हवस मिटाने में लगा है। दूसरा पहलू ये हो सकता है की रमा से संबंध बनाकर ही वो जरनैल का पता लगाना चाहता हो। अब ये तो जग–जाहिर है की हवस में बहकर इंसान वो तक बोल जाता है जो वो असलियत में कभी न बोले। हो सकता है की विशम्बर दयाल इसी तरीके से रमा का मुंह खुलवाना चाहता हो, मजे का मजा और रहस्योद्घाटन का रहस्योद्घाटन!
अंजू पर संदेह है कबीर को की वो ही आदमखोर है, चूंकि वो कुछ चुनिंदा दिनों पर गायब रहती है तो ऐसा संदेह बेबुनियाद भी नहीं। अब अंजू असल में आदमखोर है या नहीं, ये तो चम्पा के ब्याह वाले दिन पता चल ही जाएगा, जब वो सबके बीच मौजूद होगी। परंतु,देखने लायक ये होगा, की क्या कबीर शिरकत कर पाएगा चम्पा के ब्याह में या नहीं? निशा ने कहा था की डायन के कदम जहां भी पड़ते हैं, वहां मातम छा जाना निश्चित है, शेखर मरने वाला है क्या अपने ब्याह के दिन ही? देखने लायक होगा क्या कांड होगा चम्पा के ब्याह पर...
अंजू और परकाश कबीर के खेतों में क्या ढूंढ रहे थे, ये भी एक सवाल है! ऐसा क्या है उस ज़मीन में जो अंतहीन सोने से भी ज़्यादा कीमती है? क्या उसी चीज़ के बारे में ज़िक्र कर रहा था सूरजभान जंगल में अंजू से? क्या उसी चीज़ के कारण जरनैल गायब हुआ है और क्या उसी की चाबी मिली है कबीर को सुनार के पास से..? देखना ये भी होगा की क्या सुनार केवल चाबी संभाले हुए था, या कुछ और राज़ भी ऐसे हैं जिन्हें वो दबाए बैठा है। उसके अनुसार जरनैल गहने ले गया था पर वो गहने घर पहुंचे नहीं, क्या चाची ही अपने पति की कातिल है..? वो गहने गए कहां ये भी एक बड़ा प्रश्न है!
चम्पा के ब्याह को रस्म करने शेखर के घर गए थे सभी, परंतु विशम्बर ने कबीर को साथ ले जाने से इंकार कर दिया, खुन्नस ही है, या फिर कुछ और छुपा रहा है वो हवसी? देखना ये भी है की विशम्बर के जाने के बाद जो कीमती सामान घर पर आया वो किसने भेजा था? शायद निशा ने? क्योंकि वो किसी भेंट की चर्चा कर भी रही थी, कबीर से? बहरहाल, मुश्किल होगा आगे चलकर निशा के लिए, समझाना की वो अब तक कबीर से इतनी बातें क्यों छुपाती आई है? आगे चलकर कबीर को सब पता चलने वाला है, ये तो तय ही है, तो इतने समय तक बातें छुपाने का नाटक करने की कोई वजह नहीं हो सकती...
ये कहना बेहद आसान है की वो कबीर के भले के लिए छुपा रही थी, पर जब आगे चलकर भी सच सामने आना ही है, तो इस ढोंग का कोई औचित्य नहीं। बल्कि, कबीर ने तो सामने से पूछा भी था उससे, तब भी वो शब्दों का एक बेहतरीन जाल बुनकर बगल से निकल गई। देखते हैं, कितना कुछ ऐसा है जो निशा कबीर से छुपा रही है। मेरी समझ से, वो इकलौती ऐसी है जो सब कुछ जानती है.. सब कुछ! वो कबीर के बारे में, उसके परिवार के बारे में, आदमखोर के बारे में, अंजू और सूरजभान के बारे में भी, सब जानती है, पर कबीर को जब सब बना ही रहें हैं, तो वो क्यों पीछे रहे..?
देखते हैं की नंदिनी ने निशा के पांव क्यों छुए! यदि सम्मान दे ही रही है, किसी कारण से, तो उस दिन खेत के कमरे पर निशा को अपने बराबर के दर्जे से क्यों पुकार रही थी, वहां भी आप – आप करके बात कर लेती? देखते हैं निशा को नंदिनी के अलावा कौन – कौन जानता है! विशम्बर दयाल, अभिमानु और रूड़ा जानते होंगे शायद... बहरहाल, अगले भाग में कमरे में जाकर कबीर निशा से पूछे की भाभी ने तोहरे पांव क्यों छुए और निशा उसे एक बार फिर शब्दों के जाल में फांस ले, ऐसा होता दिखा रहा है मुझे...
सभी भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई, प्रतीक्षा रहेगी अगले अध्याय की...