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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Update badi hi shandar he fauji Bhai,

Anju bhi Kabir ko sach nahi bata rahi he.....Jabki Kabir ko malum he Rama ki sacchai ki wo Prakash ke alawa Rai Sahab se chud rahi he........

Purnima ko Champa ka byah he aur usme Nisha bhi aayegi, Nisha aur Anju ka aamna samna bhi hoga.........aur sath me Nandini Bhabhi bhi hogi........ (Trimurti) majedar scene hone wala he wo...........

मैंने आंच बुझाई और अपनी राह चल दिया..............pahli baar Kabir ne ye akalmandi ka kaam kiya he.........aisi hi chhoti chhoti aag se nikali chingariyo jungle ke jungle tabah ho jate he............

Keep posting
Thanks bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Kahin aap The Vampire ne likhi Haweli ki baat to nahi keh rahe..?? Yaa fir wo aap hi ho.. the great The Vampire
बात तो उसी कहानी की हो रही है भाई, बाकी किसी ने कहा था कि नाम मे क्या रखा है जाने दीजिए
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#100

गहरी काली आँखों ने पलके झुका कर अहसास करवाया वो ही थी .केसरिया लहंगे-चोली पर पड़ती धुप की किरने जैसे की साक्षात् सूर्य ही मेरे सामने खड़ा हो गया था .

मैं- तुम यहाँ

निशा- यहाँ नहीं तो फिर और कहा .

मैं- दिन के उजालो में रात की रानी

निशा- आदत डाल रही हूँ उजालो की जबसे तुमसे नाता जोड़ा है मेरी राते भी अब मेरी नहीं रही

मैं- ये तो है सरकार. मैं तुमसे मिलना चाहता ही था आज रात जरुर आता मैं पर देखिये तक़दीर, तुम अभी मिल गयी .

निशा- कितनी अजीब बात है न तुम मुझसे मिलने को बेकरार मैं तुमसे मिलने को बेक़रार.

मैं- यही तो है प्यार सरकार

निशा मुस्कुराई . उसकी ये मुस्कान ही तो थी जिसे मैं अब हर पल देखना चाहता था ,

मैं- सुन, चंपा का ब्याह है , तेरा निमन्त्रण है

निशा- मैं कैसे आउंगी

मैं- घर की छोटी बहु नहीं आएगी तो फिर हमारा क्या ही रुतबा रहेगा . वैसे भी ये निमन्त्रण मेरे साथ साथ नंदिनी भाभी ने भी भेझा है

निशा- मेरे यार का न्योता सर माथे पर , पर मैं कैसे आ पाऊँगी

मैं- बरसों बाद ख़ुशी की घडी आई है निशा, तू मेरा ही तो हिस्सा है , और एक हिस्सा जब दूर रहेगा तो दूसरा हिस्सा कैसे ख़ुशी मना पायेगा.

निशा- मुझे खुशियों की आदत नहीं कबीर, दुनिया मुझे मनहूस मानती है कहते है की जहाँ डायन के कदम पड़े वहां पर खुशिया झुलस जाती है , रुदन-विलाप शुरू हो जाता है .

मैं- कुछ नहीं होगा. मैं हूँ न. मेरा नहीं तो नंदिनी भाभी का ही मान रख लो

निशा- मैं सोचूंगी

मैं - सोचना नहीं तुझे आना है.

निशा मुस्कुराई .

मैं- जंगल की राते अब सुनी नहीं रही निशा, कोई न कोई भटक रहा है इधर उधर

निशा- खबर है मुझे

मैं- अंजू क्या चाहती है ये नहीं समझ पा रहा मैं, पहले मैंने सोचा था की उसे सोने का लालच होगा पर उसकी माँ उसके लिए इतना छोड़ कर गयी है उसे मोह ही नहीं रहा . प्रकाश के बारे में भी झूठ बोली वो. कल रात सूरजभान से झगडा हुआ उसका. सूरजभान पर शक है उसे की वो ही प्रकाश का कातिल है . समझ नहीं आ रहा की ये चल क्या रहा है .

निशा- नसीब, इन सब का नसीब इन्हें जंगल में बुला रहा है ,अंजू चाहती थी परकाश को , पर वो ना लायक उसे बस इस्तेमाल करता था , अंजू कभी नहीं समझ पाई इस चीज को . प्रकाश बहुत अय्याश किस्म का व्यक्ति था , कितनी ही औरतो को इसी जंगल में अपनी हवस का शिकार बनाया था उसने. सूरजभान को मालूम था की उसकी बहन और प्रकाश का क्या नाता है , उसे गवारा नहीं ये रिश्ता, पर उसमे इतनी हिम्मत नहीं है की कत्ल कर सके.

मैं- तो फिर कौन हो सकता है जो पेल गया उस चूतिये को .

निशा- मैं तेरे साथ थी न उस वक्त .

मैं- जानता हु बस सम्भावना तलाश रहा हूँ

निशा- संभावनाए अपने साथ अनंत विचार लेकर आती है कबीर, निरर्थक विचार जो मन को उलझाते है बस .

मैं- तू मेरी थोड़ी मदद कर न ,

निशा- मेरी नजर में है ये सब पर इनमे से कोई भी तालाब की तरफ आता नहीं .

मैं- यही तो मैं भी नहीं समझ पा रहा हूँ की उस कमरे में कौन आता-जाता होगा. और कमरे का जिक्र छोड़ दे तो फिर इस जंगल में ऐसा कौन सा ठिकाना हो सकता है जहाँ पर ये रास चलता हो.

निशा- उस बिस्तर, उन किताबो से तो यही लगता है की उस कमरे में ही होता था सब कुछ

मैं- तो फिर अब क्यों नहीं जाते ये लोग

निशा- आयेंगे, कभी न कभी तो आयेंगे.

मैं- मुझे लगता है की अंजू आदमखोर है

निशा- कैसे

मैं- वो बहुत समय तक गायब रही , उसका व्यवहार संदिग्ध है और चांदनी रातो में ही वो भटकती है

निशा- ये तो हम दोनों भी करते है तो क्या हम भी आदमखोर है

मैं- कम से कम मैं तो हूँ

मैंने गहरी सांस ली

निशा- फ़िक्र मत करो. तुम वो नहीं हो. तुम संभाल लोगे खुद को .

निशा ने मेरे गालो पर हल्का सा चुम्बन लिया और बोली- जाती हूँ ,

मैं- रात को मिलेंगे

निशा- नहीं ........

जाते जाते उसने एक बार मुड कर देखा कसम से उसके नैनो के तीर सीधा दिल में उतर गए. उसके जाने के बाद मैंने भी साइकिल उठाई और मलिकपुर पहुँच गया सुनार के पास.

सुनार- आइये कुंवर ,आपने तकलीफ क्यों की मुझे बुला लिया होता.

मैं- हमारा कुछ सामान बहुत समय से आपके पास पड़ा है , सोचा आज वापिस ले चलू

सुनार ने अपने चश्मे को इधर उधर किया और बोला- कैसा सामान कुंवर मैं समझा नहीं , बयाह के सारे जेवर तो मैंने पहुंचा ही दिए है .

मैं- और उन गहनों का क्या जो कभी कोई लेने आया ही नहीं .

सुनार- मैं बरसों से इन्तजार कर रहा था की कोई आये ये पूछने मुझसे

मैं- हाँ तो मैं अब आ गया हूँ वो गहने देखने है मुझे

सुनार- गहने तो नहीं है मेरे पास

मैं - तो कहाँ है वो गहने

सुनार- छोटे ठाकुर ले गए थे वो गहने .

मैं- पर वो गहने घर पर नहीं है .

सुनार- रोजी रोटी की कसम खा कर कहता हूँ की छोटे ठाकुर वो गहने ले गए थे मुझसे चाहो तो जल की सौगंध उठा लू पर हाँ जब वो यहाँ से गए तो उनकी जेब से कुछ गिर गया था . ध्यान आते ही मैंने उनको आवाज दी पर वो जा चुके थे .

मैं- क्या गिर गया था चाचा की जेब से

सुनार उठा उसने अपनी अलमारी खोली , कुछ देर वो टटोलता रहा और फिर एक चाबी मेरी हथेली पर रख दी. मैं कुछ देर उस चाबी को देखता रहा .

मैं- किस जगह की है ये चाबी

सुनार- मैं क्या जानू.

सुनार के पास गहने तो नहीं मिले पर ये चाबी मिली. चाचा का वो ताला कहाँ था जिसकी ये चाबी थी . वापसी में मेरे पास कुछ नहीं था निराशा के. खैर घर आया तो पाया की टेंट वाले आ गए थे, एक तरफ शामियाना लगाया जा रहा था , गली की साफ़ सफाई की जा रही थी . हलवाई अपने बर्तन साफ़ कर रहा था .

मैं सीधा चाची के पास गया .

चाची- घर पर इतना काम है और तू सुबह से गायब है .

मैं- सुबह से गायब था पर रात को तेरे साथ ही रहूँगा . और आज तू मना नहीं करेगी चाहे कुछ भी हो आज देनी पड़ेगी.

चाची- मरवाएगा क्या तू, आज से रस्मे शुरू हो रही है , रात को गाँव की औरते होंगी. गीत गायेंगे कहाँ समय लगेगा अब तो इस ब्याह के बाद ही दूंगी.

मैं- लूँगा तो आज ही .

“क्या बाते हो रही है ” भाभी ने हमारी तरफ आते हुए पूछा

मैं- चाची मुझे दे नहीं रही है .

मैंने कहा तो चाची और भाभी दोनों ही सकपका गयी.............

 

Studxyz

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बात तो उसी कहानी की हो रही है भाई, बाकी किसी ने कहा था कि नाम मे क्या रखा है जाने दीजिए

भाई फोजी जी रूपाळी नामक हेरोईनी की कहानी दोबारा से कम दुःख भरी लिखिए
 
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Studxyz

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वाह भाई फोजी जी आज तो ठकुराईन निशा को देख कर दिल बाग़ बाग़ हो गया कहानी के एक बहुत ही रोमांटिक आकर्षक अपडेट रहा

ठरकी व् चोदू चाचा जरनैल का कोई भी काम साधारण नहीं है अब साला चाबी सुनार के गिरा गया पर ताले को कोई अता पता नही है


वैसे फौजी भाई जी गांडु व् धोकेबाज़ मंगु रमा छिनाल की गाँड कब फाडोगे/तोड़ोगे ? बेसब्री से इंतज़ार है
 
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