Moon Light
Prime
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जब कहानी में लगेगा रिव्यू करना है, तबरिव्यू
जब कहानी में लगेगा रिव्यू करना है, तबरिव्यू
वैसे पोर्न से ज्यादा reels खराब कर रहे हैं लोगों कोमेरा दौर 2003-06 का था उस समय लड़किया अपनी सेल्फ respect को बहुत ऊपर रखती थीं. खतों का दौर, छुपाते हुए मिलना दो पांच मिनट वाली वो मुलाकातें सकून बहुत था. आजकल के दौर मे लड़किया उगती नहीं है लनड पहले चाहिए उनको. और ये हर जगह हो रहा है क्या लड़की क्या औरते क्या अधेड़ सब को पोर्न स्टार बनना है.
मजदूर वर्ग पढ़ा लिखा वर्ग सबको पोर्न ने एक लेवल पर कर दिया है.
ऊपर से मानसिक बीमारियाँ माँ बहन को लेकर सेक्स की फंतासी. जिस चूत से निकले है उसी मे घुसने की अजीब बेताबी है ईन लोगों मे.
एक दिन आएगा ये जनता नंगी घुमने निकल जाएगी सड़कों पर
कड़ियां खुलने लगी अब।#93
वो तस्वीर जिसे भैया ने गायब कर दिया था वो तस्वीर यहाँ अंजू के घर टंगी हुई थी . ये तस्वीर भी साली जी का जंजाल बन गयी थी . अंजू के घर होना इस तस्वीर का अपने आप में एक राज था .मैं वापिस मुड़ा और अंजू के पास फिर से गया .पर वो जा चुकी थी नौकरानी ने कहा की अब वो नहीं मिलेगी . क्या भैया और अंजू दुनिया की नजरो में भाई बहन बने हुए थे और असली में कुछ और रिश्ता था दोनों का. ये सवाल न चाहते हुए भी मेरे मन में खटक रहा था.
वापस आया तो देखा की सरला अभी भी थी खेतो पर . इतनी देर तक क्यों रहती है यहाँ ये जबकि मैंने इस से कई बार कहा हुआ है की तू समय से लौट जाया कर. ये भी नहीं सुनती मेरी.
मैं- तुझे कितनी बार कहा है की समय से घर जाया कर. अभी अंधेरा होने वाला है
सरला- तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी कुंवर मैं
मैं- कोई काम था क्या
सरला- कुछ बताना था तुमको .
मैं- क्या
सरला- तुम्हारे दोस्त मंगू का रमा के साथ चक्कर चल रहा है मैंने दोनों को चुदाई करते हुए देखा .
सरला की बात सुनकर मेरा माथा और ख़राब हो गया. मंगू तो कहता था की वो कविता से प्यार करता था पर ये साला रमा के साथ लगा हुआ है.
मैं- दोनों की मंजूरी है तो चलने दो चक्कर हमें क्या लेना-देना.
सरला- मुझे लगा की तुम्हे बताना चाहिए.
मैं- तूने कहा देखा उनको .
सरला- दोपहर को चाची मुझे खेतो में दूर तक साथ ले गयी घुमने के लिए फिर वापसी में वो गाँव की तरफ चली गयी मैं इधर आई तो कमरा अन्दर से बंद था, मैंने सोचा तुम लौट आये होगे. अन्दर से आती आवाजो से लगा की बात कुछ और है तो मैंने दरवाजे की झिर्रियो से देखा और दंग रह गयी.
बेशक सरला की कही बात सामान्य थी पर उसने मुझे सोचने के लिए बहुत कुछ दे दिया था . मैंने उस से चाय बनाने के लिए कहा और सोचने लगा. प्रकाश कुवे के आसपास था , अंजू भी थी . मंगू रातो को कहाँ जाता था ये मैं समझ गया था . सारी कडिया मेरे सामने थी. रमा थी वो कड़ी. रमा मंगू से भी चुद रही थी , प्रकाश जिस औरत को चोद रहा था वो रमा थी. रमा दोनों को चुतिया बना रही थी एक साथ. अंजू भी मेरी तरह उसी समय जंगल में थी , उसने भी चुदाई देखि होगी बस उसने अपनी कहानी में रमा की जगह खुद को रख कर मेरे सामने पेश कर दिया था .
एक महत्वपूर्ण सवाल प्रकाश ने चुदाई करते हुए कहा था की मैं तुझे गाड़ी से तेरे घर छोड़ आऊंगा. मतलब रमा के पुराने घर इसलिए ही गाडी गाँव की तरफ गयी थी . मंगू को मालूम होगा की रमा रात को उसके पुराने घर पर मिलेगी, रात को वाही गया होगा वो उसे चोदने के लिए. और ये मुमकिन भी था क्योंकि जब जब रमा यहाँ इनके साथ रही होगी तभी मैं उस से मिलने मलिकपुर गया जहाँ पर ताला था .
क़त्ल वाली रात प्रकाश रमा से ही मिलने आया होगा, या फिर उसका ही इन्तजार कर रहा होगा. कडिया जुड़ रही थी सिवाय एक के की, क्या अंजू सच में प्रकाश से प्यार करती थी , अगर नहीं करती थी तो उसने क्यों कहा मुझसे की वो चाहती है प्रकाश को और वो चुडिया , चुदाई के बीच खनकती चुडिया. चूँकि मैंने प्रकाश के घर काफी ऐसा सामान देखा था तो मान लिया की ये शौक रखता हो वो औरत को सजा-धजा के चोदने का.
“कुंवर , चाय ” सरला की आवाज ने मुझे धरातल पर ला पटका.
मैं- भाभी एक बात बता, जब चाचा तेरी लेता था तो क्या वो फरमाइश करता था की तू सज-धज कर चुदे , क्या वो तुझसे तस्वीरों वाली हरकते करता था .
सरला-हाँ, छोटे ठाकुर को साफ़ सुथरी औरते पसंद थी . बगलों में और निचे एक भी बाल नहीं रखने देते थे वो. तरह तरह की पोशाके लाते वो , किताबो को देख कर वही सब करवाते थे , शुरू में तो अजीब लगता था फिर बाद में अच्छा लगने लगा.
मैं- क्या उन्होंने तुमको अपने किसी दोस्त से भी चुदवाया
सरला- क्या बात कर रहे हो कुंवर, छोटे ठाकुर हम पर हक़ समझते थे अपना वो ऐसा कैसे करते.
मैं- क्या मंगू ने तुझे पटाने की कोशिश की .
सरला- कभी कभी देखता तो है वो पर ऐसा नहीं लगता मुझे.
मैं- तो एक काम कर मंगू को अपनी चूत के जाल में फंसा ले.
सरला- कुंवर, क्या कह रहे हो तुम
मै- जो तू सुन रही है , समझ मेरी बात मैं ये नहीं कह रहा की तू चुद जा उस से, तू बस उसे अहसास करवा की तू चाहती है उसे, कुछ बाते है जो तू तेरे हुस्न के जरिये उगलवा ले उससे.
सरला- अपने ही दोस्त की जासूसी करवा रहे हो
मैं- तू भी तो मेरी ही है न , तूने वादा किया है मेरी मदद करने का
सरला- वादा निभाऊंगी
मैं- तो कर दे ये काम
सरला- एक बात और बतानी भूल ही गयी थी . रमा ने मंगू को आज रात उसके पुराने घर पर बुलाया है .
मैं- ठीक है हम भी वहीँ चलेंगे. तू मुझे वही पर मिलना.
सरला- मैं ,,,,,,,
मैं- आ जाना, कुछ भी करके. तेरे घर पर मालूम तो है ही की तुम हमारे यहाँ काम करती है , बहाना कर लेना की चाची के पास रुकना है .
सरला- आ जाउंगी पर क्या करने वाले हो तुम
मैं- समझ जायेगी.
बाते करते हुए हम दोनों गाँव की तरफ चल दिए. मैंने सरला को उसके घर छोड़ा और चौपाल के चबूतरे पर बैठ कर सोचने लगा की रमा क्या खेल खेलना चाहती थी, अगर उसके प्रकाश से अवैध सम्बन्ध थे तो उसने क्यों मुझे प्रकाश की ऐसी छवि दिखाई क्यों मुझे उसके घर ले गए. कितना आसान था रमा का मुझे उसके घर ले जाना, उसने मुझे वही दिखाया जो वो दिखाना चाहती थी , क्या उसकी कहानी झूठी थी. क्या था उसके मन में वो ही बताने वाली थी अब तो.
मंगू मेरा सबसे करीबी था उसे चूत के जाल में कविता ने फंसाया और अब रमा ने पर किसलिए. मंगू से क्या जानकारी चाहती थी वो . और अगर प्रकाश भी इनके साथ शामिल था तो क्या साजिश हो रही थी . एक बात और मैं जान गया था की उस रात कविता प्रकाश से गांड मरवाने ही गयी थी जंगल में .
आज की रात बड़ी महत्वपूर्ण होने वाली थी . घर पर भैया और पिताजी अभी तक नहीं लौटे थे. भाभी से मैं कुछ जरुरी बात करना चाहता था पर वो चंपा और चाची के साथ बैठी थी तो मैंने फिर कभी करने का सोचा और जब सब सो गए तो मैं रमा के पुराने घर की तरफ निकल गया. सरला मुझे पेड़ो के झुरमुट के पास ही मिल गयी .हम दोनों रमा के पुराने घर पर पहुंचे . घर के नए दरवाजे बंद थे पर खिड़की का एक पल्ला खुला था हमने जब अन्दर झाँका तो.................................