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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,049
83,769
259
#88

कमरे में मेरे बिस्तर पर लेटे हुए अंजू कोई किताब पढ़ रही थी . हमारी नजरे मिली

अंजू- तुम यहाँ इस वक्त

मैं- ये सवाल तो मुझे आपसे पूछना चाहिए वैसे ये कमरा मेरा ही है

अंजू- हाँ , मेरा मन था इधर आने का फिर घूमते घूमते रात ज्यादा हुई तो मैं यही रुक गयी.

न जाने क्यों मुझे उसकी बात झूठ लग रही थी.

मैं- बेशक मुझसे ज्यादा आप जंगल को जानती है पर इतनी रात को आपका यहाँ होना कारन कोई साधारण नहीं है.

अंजू- ये तो तुम पर निर्भर करता है की तुम कैसे समझते हो इस बात को.

उसने बिस्तर से उठने की जरा भी जहमत नहीं उठाई, जैसे उसे मेरे होने न होने से कोई फर्क पड़ा ही नहीं हो. मैं घास पर बैठ गया और कम्बल को थोडा और कस लिया.

मैं- जैसा मैंने कहा , इस जंगल में इन रातो में भटकने का हम सब का अपना अपना कारण है , ये जानते हुए भी की उस आदमखोर के रूप में मौत कभी भी सामने आकर खड़ी हो सकती है हम खुद को फिर भी रोक नहीं पा रहे . ये साधारण तो बिलकुल नहीं है . आप मुझसे बहुत ज्यादा जानती है , इस जगह को पहचानती है मैं आपके उसी ज्यादा में से थोडा कम जानना चाहता हूँ . मेरा पहला सवाल ये है की आपने मुझे ये लाकेट क्यों दिया, सिर्फ मुझे ही क्यों .

अंजू ने अपनी किताब साइड में रखी और बोली- पहली बार मैं तुमसे मिली थी कोई भेंट तो चाहिए थी न देने को .

मैं- खूबसूरत औरते झूठ बोलते हुए थोड़ी और निखर जाती है .

मेरी बात सुनकर अंजू मुस्कुरा पड़ी.

अंजू- इसे तारीफ समझे या ताना, ये लाकेट हमने तुम्हे क्यों दिया तुम जान जाओगे. दूसरी बात हम यहाँ क्यों है ,जैसा तुमने कहा हम सब के अपने अपने कारण है

मैं- रुडा की बेटी , रुडा के दुश्मन की जमीं पर रात को अकेली . सवाल तो उठेगा ही .

अंजू- जितना हक़ रुडा का है उतना ही मुझ पर राय साहब का भी है,दोनों से ही मुझे बेइंतिहा स्नेह मिला

मैं- तो फिर रुडा से क्यों नाराजगी है आपकी

अंजू- मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ , मेरे बाप को मेरी उड़ान पसंद नहीं वो मेरे कदमो में बेडिया चाहता है .

मैं- कैसी बेडिया

अंजू- वैसे हमें कोई जरुरत नहीं है तुम्हे ये किस्से बताने की पर चूँकि इस रात अब तुम हमारे साथ हो , बातो का सिलसिला है तो चलो बता ही देते है , तुम्हारी भाभी नंदिनी में हिम्मत थी वो आगे बढ़ गयी , हम कमजोर थे पीछे रह गए. और फिर पीछे रहते ही गए. हम अपनी पसंद से शादी करना चाहते थे हमारी पसंद हमारे बाप को मंजूर नहीं थी . करते तो क्या करते. हम चाहते तो घर से भाग जाते , पर इसमें नुकसान हमारा ही होता चौधरी साहब हमारे प्यार को मरवा देते. आज हम जिस भी हालात में है कम से कम तसल्ली तो है की हमारा प्यार हमारे साथ है .



मैं सोचता था की मैं ही आशिक हूँ पर इस जंगल में न जाने कितनी प्रेम कहानिया बिखरी पड़ी थी . अंजू ने लेटे हुए ही करवट ली और निचे रखे थर्मस से पानी का कप भरने लगी. उसकी चुडिया स्टील से थर्मस से टकराई और उस खनक ने मेरे कान हिला दिए. यही खनक तो मैंने सुनी थी , हाँ यही थी बिलकूल यही थी . मेरा तो सर ही घूम गया अभी मोहब्बत का किस्सा बताने वाली अंजू , ये अंजू ही तो चुद रही थी परकाश से.

मैं- एक बात पुछु

अंजू- हाँ

उसने पानी की घूँट भरी.

मैं- एक तरफ तो आप इतनी शिद्दत से अपनी मोहब्बत का जिक्र कर रही है और दूसरी तरफ कुछ घंटे पहले आप जंगल में वकील प्रकाश के साथ थी .

अंजू ने कप वापिस रखा और बोली- दुसरो के निजी पलो में ताका-झांकी बदतमीजी समझती जाती है .

मैं- मेरी नजर में उस नीच, गलीच प्रकाश के साथ चुदाई करना ज्यादा बड़ी बदतमीजी है .

मैंने जानबूझ कर चुदाई शब्द पर जोर दिया.

अंजू- इसे हम तुम्हारी पहली खता समझ कर माफ़ कर रहे है कबीर. दुबारा अपने शब्दों पर काबू रखना . खैर, जैसा हमने थोड़ी देर पहले कहा ये तुम पर निर्भर करता है की हम चीजो को कैसे समझते है . कभी तुमने इस बात पर गौर क्यों नहीं किया की प्रकाश ने कभी ब्याह क्यों नहीं किया . क्योंकि वो हमसे प्यार करता है . हम दोनों एक दुसरे से बेंतेहा प्यार करते है . ये एक ऐसा सच है जिसे हम छिपा भी नहीं सकते , बता भी नहीं सकते.



रुडा की बेटी वकील से प्यार करती थी , बहनचोद ये जिन्दगी मुझे न जाने क्या क्या दिखा रही थी .

मैं- बेशक प्रेम अँधा होता है पर इतना भी नहीं की दुष्ट इन्सान से ही इश्क कर बैठे.

अंजू- वो तुम्हे गलत लगता है क्योंकि तुम्हारा और उसका व्यवहार आपस में ठीक नहीं है. पर हमारे लिए क्या है वो हम जानते है उसकी नेकी , ईमानदारी इसलिए कम नहीं हो जाती की तुम्हे वो घटिया लगता है .

साले ने रुडा की बेटी से ही प्रेम किया था .

मैं- ये आपकी और उसकी बात है . न मुझे पहले कुछ लेना देना था न अब न आगे. मैं इस लाकेट के बारे में जानना चाहता हूँ .

अंजू- ये बस यूँ ही तो है , तुम्हे पसंद नहीं तो बेझिझक हमें वापिस दे सकते हो. हम बुरा नहीं मानेंगे.

मैं- ठीक है आप आराम करो मैं चलता हूँ .

अंजू- अरे इतनी रात कहाँ जाओगे.

मैं- ये जंगल मेरा भी घर है , कहीं न कहीं तो पनाह मिल ही जाएगी. वापसी में मैं मोहब्बत के बारे में सोचता रहा , ये दोनों लोग इसलिए अलग अलग रह रहे थे की मोहब्बत है , पर ये कैसी मोहब्बत थी जिसमे जुदाई थी . यहाँ मैंने महसूस किया की मैं मोहब्बत के बारे में कुछ नहीं जानता. चलते चलते मैं उस मोड़ पर आ गया जहाँ से एक रास्ता निशा के पास ले जाताथा दूसरा गाँव की तरफ.

बेशक बड़ी तममनना थी मुझे निशा का दीदार करने की पर न जाने क्यों मेरे कदम गाँव की तरफ बढ़ गए. जब मैं गाँव में पहुन्चा तो देखा की लोग घरो से बाहर निकले हुए थे. इतनी रात में लोगो का घर से बाहर होना किसी अनिष्ट की आशंका से दिल धाड़ धाड़ करने लगा. और जब मैं मोहल्ले में पहुंचा तो देखा की वैध की लाश उसके घर के बाहर पड़ी थी . ..................................






 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Thakur hone ki nishani ke arop... Ham par bhi lagoo ho rahe hain....
Ye chat thread me jatiwadi aur abusive offensive post mani jati... Lekin thakurain nandini bhabhi ne kahi hai to bura kaise manta mein
Shayad apne mayke ke khun ki khasiyat aur sasural ke bhi dekhkar unhone sab thakuron par lagu kar di

Ya dharmendr, mithun, amitabh jaise angry young man wali filmo ka asar hoga....

Well abhi to fauji bhai ke update ka intzar hai 😪
कुछ शब्दों के लिए मुझे खेद है . फोरम रूल्स की वजह से थोडा लिख रहा हूँ ज्यादा समझना भाई .
आपकी माफ़ी चाहेंगे , आप भी जानते है की मेरा कभी वैसा अभिप्राय नहीं रहा .
 

Naik

Well-Known Member
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258
#८७



रमा- अब मेरा उस जगह से कोई वास्ता नहीं रहा

मैं- घर तो घर होता है . माना की दुःख के बादल थे घने पर कभी तो सुख की किलकारी भी गूंजी होगी वहां पर. यदि मैं कहूँ की तेरे जख्मो पर मरहम लगा दूंगा तो गलत होगा. पर मैं एक नयी जिन्दगी जीने में तेरी मदद कर सकता हु रमा. तेरी बीती जिन्दगी में हमारे परिवार के कारन दुःख आये, माफ़ी मांगता हूँ ये जानते हुए भी की मेरी माफ़ी तुझे कुछ भी वापिस नहीं लौटा पायेगी. पर फिर भी मेरी विनती है की तू अपने घर चल.

रमा- तुम समझते क्यों नहीं कुंवर, अब मेरी जिन्दगी यही है . जो है जैसा है वैसा ही रहने दो. कभी कभी मिलने आते रहना बहुत रहेगा मेरे लिए.

मैं समझता था उसके दिल के हालात मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं दिया . मुझे रुडा से मिलना था पर बहुत कोशिशो के बाद भी बात बन नहीं रही थी . वापसी में मैंने परकाश की गाडी को जंगल में देखा .

“ये चूतिये की गाड़ी इस वक्त जंगल में क्या कर रही है ” मैंने सोचा और गाड़ी की तरफ बढ़ा पास जाकर देखा की प्रकाश किसी औरत को चोद रहा था . वैसे तो मेरी इच्छा नहीं थी ये सब देखने की पर मन के किसी कोने से आवाज आई की देख तो ले कौन है ये . मैं जितना पास हो सकता था उतना हुआ पर एक तो जंगल का अँधेरा उपर से धुंध समझ आ नहीं रहा था . ना ही वो दोनों आपस में कोई बात कर रहे थे .

औरत के हाथ गाड़ी के बोनट पर टिके हुए थे और परकाश पीछे से उसकी कमर थामे उसे पेल रहा था .

“जल्दी कर , देर हो गयी है ” मैंने उस औरत की खनकती चूडियो के बीच आवाज सुनी.

प्रकाश- चिंता मत कर गाड़ी से छोड़ आऊंगा तुझे बहुत दिनों बाद मिली है तू पूरा मजा लूँगा तेरी चूत का.

फिर वो औरत कुछ नहीं बोली बस चुदती रही . दिल कह रहा था की आगे बढ़ कर पकड़ ले और देख की कौन औरत है पर मैं ऐसा कर नहीं सका. थोड़ी देर बाद उनकी चुदाई खत्म हुई तो परकाश ने गाडी मलिकपुर की जगह मेरे गाँव वाले रस्ते पर मोड़ ली. मैं और हैरान हो गया ये औरत मलिकपुर की नहीं थी . मेरे गाँव की औरत का प्रकाश के साथ चुदाई सम्बन्ध .

अब मैंने सोचा की ये तो देखना ही पड़ेगा पर तभी गाडी स्टार्ट हुई और तेजी से आगे बढ़ गयी . ये जानते हुए भी की मैं गाड़ी की रफ़्तार नहीं पकड़ पाउँगा मैं उसके पीछे भागा. होना ही क्या था मैं पीछे रह गया बहुत पीछे. खैर, जब मैं कुवे पर पहुँचने वाला था तो दूर से ही कमरे के जलते बल्ब को देख कर मैं समझ गया था की कोई मोजूद है वहां पर .



कुवे पर पहुँचते ही मैंने हाथ पाँव धोये और पानी पी ही रहा था की मैंने पाया की सरला थी वहां पर .

मैं- तू इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है .

सरला- वो मंगू की वजह से देर हो गयी.

मैं- उसकी वजह से कैसे.

सरला- वो मछली पकड़ने गया कह कर गया था की जल्दी ही आऊंगा फिर साथ चलेंगे. मैंने सोचा की कुछ मछली मैं भी ले जाउंगी . पर देखो कब से राह देख रही हु उसकी.

मैं- मैंने तुझसे कहा था की शाम होते ही तू घर चली जाया कर.

सरला- गलती हुई कुंवर, आगे से ध्यान रखूंगी.

मैं- और वो चुतिया ऐसी कितनी मछली पकड़ेगा.

मैं जानता था की गाँव में सबसे जायदा मछली मंगू को ही पसंद थी . पर अकेली औरत को छोड़ कर ऐसे जाना बेवकूफी ही थी .

मैं- चल गाँव चलते है वो आ जायेगा.

सरला ने हाँ में सर हिलाया मैंने कमरे की कुण्डी लगाई ही थी की मंगू आता दिखा मुझे . मुझे देख कर मंगू खुश हो गया और बताने लगा की कितनी मछली पकड़ी उसने. पर मैंने उसे थोडा गुस्सा किया और समझाया की आगे से ऐसे काम नहीं करे. खैर फिर हम तीनो बाते करते हुए गाँव पहुँच गए. मैंने मंगू से कहा की जल्दी से पका लेना खाना मैं उसके घर ही खाऊंगा फिर सरला को उसके घर छोड़ने चला गया.

उसका ससुर आज भी नहीं आया था .

सरला- कुंवर, आज भी आओगे क्या

मैं- नहीं . आज मुझे कुछ काम है .

दरअसल मैं सरला के जिस्म की आदत नहीं डालना चाहता था खुद को. दूसरी बात मेरे दिमाग में ये बात थी की परकाश किस औरत को चोद रहा था . गाँव की औरत पटाना उसके लिए मुश्किल नहीं था क्योंकि राय साहब के काम की वजह से वो काफी आता-जाता था गाँव में . सरला की बड़ी इच्छा थी पर मैंने उसे मना किया और मंगू के घर पहुँच गया. मछली-रोटी का भोजन करके आत्मा त्रप्त हो गयी . मैंने वही चारपाई पर बिस्तर लगाया और रजाई ओढ़ कर पसर गया. प्यास के मारे मेरी आँख खुली तो उठ कर मैं सुराही से पानी पी रहा था की मेरी नजर पास वाली चारपाई पर पड़ी, मंगू वहां नहीं था . घर का दरवाजा खुला पड़ा था .



“ये कहाँ गया इतनी रात को ” मैंने खुद से सवाल किया और कम्बल ओढ़ कर घर के बाहर गली में आ गया. मेरे दिमाग में एक ख्याल आया मैं सीधा सरला के घर गया दबे पाँव अन्दर घुसा , उसे मैंने सोते हुए पाया. न जाने मुझे लगा था की शायद मंगू ने सरला को भी पटा लिया हो. पर अनुमान गलत था .

अब उसे तलाशना मुमकिन नहीं था. वो कहीं भी किसी भी दिशा में जा सकता था . पर सवाल ये था की किस वजह से वो घर से बाहर निकला था इस ठिठुरती रात में. अब मेरा भी मन उचट गया था मैं वापिस मंगू के घर नहीं गया क्योंकि नींद टूट गयी थी . मैं कुवे की तरफ जाने के लिए गाँव से बाहर निकल गया. पगडण्डी पर पैर रखते ही उस जलते बल्ब को देख कर एक बार फिर मैं समझ गया था की कुवे पर कोई है , पर इतनी रात को कौन हो सकता है , क्या मकसद है आने वाले का सोचते हुए मैं कमरे के पास पंहुचा और उसे हल्का सा धक्का दिया. दरवाजा खुलते ही मेरी आँखे हैरत से फ़ैल गयी . ......................
Rama nahi aayi chalo Kabir n koshish tow ki baaki uski marzi
Parkash bhai Kabir k gaon ki airat k saath lage huwe thai ab woh kon thi parkash jaane ya fir woh aurat
Mangu per shaq huwa ki shayab woh sarla k saath hoga lekin waha bhi nahi ab kuwe wale kamre kisko dekh lia bha sahab n
Dekhte h kia hota h aage
Shaandaar update bhai lajawab
 

Naik

Well-Known Member
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कमरे में मेरे बिस्तर पर लेटे हुए अंजू कोई किताब पढ़ रही थी . हमारी नजरे मिली

अंजू- तुम यहाँ इस वक्त

मैं- ये सवाल तो मुझे आपसे पूछना चाहिए वैसे ये कमरा मेरा ही है

अंजू- हाँ , मेरा मन था इधर आने का फिर घूमते घूमते रात ज्यादा हुई तो मैं यही रुक गयी.

न जाने क्यों मुझे उसकी बात झूठ लग रही थी.

मैं- बेशक मुझसे ज्यादा आप जंगल को जानती है पर इतनी रात को आपका यहाँ होना कारन कोई साधारण नहीं है.

अंजू- ये तो तुम पर निर्भर करता है की तुम कैसे समझते हो इस बात को.

उसने बिस्तर से उठने की जरा भी जहमत नहीं उठाई, जैसे उसे मेरे होने न होने से कोई फर्क पड़ा ही नहीं हो. मैं घास पर बैठ गया और कम्बल को थोडा और कस लिया.

मैं- जैसा मैंने कहा , इस जंगल में इन रातो में भटकने का हम सब का अपना अपना कारण है , ये जानते हुए भी की उस आदमखोर के रूप में मौत कभी भी सामने आकर खड़ी हो सकती है हम खुद को फिर भी रोक नहीं पा रहे . ये साधारण तो बिलकुल नहीं है . आप मुझसे बहुत ज्यादा जानती है , इस जगह को पहचानती है मैं आपके उसी ज्यादा में से थोडा कम जानना चाहता हूँ . मेरा पहला सवाल ये है की आपने मुझे ये लाकेट क्यों दिया, सिर्फ मुझे ही क्यों .

अंजू ने अपनी किताब साइड में रखी और बोली- पहली बार मैं तुमसे मिली थी कोई भेंट तो चाहिए थी न देने को .

मैं- खूबसूरत औरते झूठ बोलते हुए थोड़ी और निखर जाती है .

मेरी बात सुनकर अंजू मुस्कुरा पड़ी.

अंजू- इसे तारीफ समझे या ताना, ये लाकेट हमने तुम्हे क्यों दिया तुम जान जाओगे. दूसरी बात हम यहाँ क्यों है ,जैसा तुमने कहा हम सब के अपने अपने कारण है

मैं- रुडा की बेटी , रुडा के दुश्मन की जमीं पर रात को अकेली . सवाल तो उठेगा ही .

अंजू- जितना हक़ रुडा का है उतना ही मुझ पर राय साहब का भी है,दोनों से ही मुझे बेइंतिहा स्नेह मिला

मैं- तो फिर रुडा से क्यों नाराजगी है आपकी

अंजू- मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ , मेरे बाप को मेरी उड़ान पसंद नहीं वो मेरे कदमो में बेडिया चाहता है .

मैं- कैसी बेडिया

अंजू- वैसे हमें कोई जरुरत नहीं है तुम्हे ये किस्से बताने की पर चूँकि इस रात अब तुम हमारे साथ हो , बातो का सिलसिला है तो चलो बता ही देते है , तुम्हारी भाभी नंदिनी में हिम्मत थी वो आगे बढ़ गयी , हम कमजोर थे पीछे रह गए. और फिर पीछे रहते ही गए. हम अपनी पसंद से शादी करना चाहते थे हमारी पसंद हमारे बाप को मंजूर नहीं थी . करते तो क्या करते. हम चाहते तो घर से भाग जाते , पर इसमें नुकसान हमारा ही होता चौधरी साहब हमारे प्यार को मरवा देते. आज हम जिस भी हालात में है कम से कम तसल्ली तो है की हमारा प्यार हमारे साथ है .



मैं सोचता था की मैं ही आशिक हूँ पर इस जंगल में न जाने कितनी प्रेम कहानिया बिखरी पड़ी थी . अंजू ने लेटे हुए ही करवट ली और निचे रखे थर्मस से पानी का कप भरने लगी. उसकी चुडिया स्टील से थर्मस से टकराई और उस खनक ने मेरे कान हिला दिए. यही खनक तो मैंने सुनी थी , हाँ यही थी बिलकूल यही थी . मेरा तो सर ही घूम गया अभी मोहब्बत का किस्सा बताने वाली अंजू , ये अंजू ही तो चुद रही थी परकाश से.

मैं- एक बात पुछु

अंजू- हाँ

उसने पानी की घूँट भरी.

मैं- एक तरफ तो आप इतनी शिद्दत से अपनी मोहब्बत का जिक्र कर रही है और दूसरी तरफ कुछ घंटे पहले आप जंगल में वकील प्रकाश के साथ थी .

अंजू ने कप वापिस रखा और बोली- दुसरो के निजी पलो में ताका-झांकी बदतमीजी समझती जाती है .

मैं- मेरी नजर में उस नीच, गलीच प्रकाश के साथ चुदाई करना ज्यादा बड़ी बदतमीजी है .

मैंने जानबूझ कर चुदाई शब्द पर जोर दिया.

अंजू- इसे हम तुम्हारी पहली खता समझ कर माफ़ कर रहे है कबीर. दुबारा अपने शब्दों पर काबू रखना . खैर, जैसा हमने थोड़ी देर पहले कहा ये तुम पर निर्भर करता है की हम चीजो को कैसे समझते है . कभी तुमने इस बात पर गौर क्यों नहीं किया की प्रकाश ने कभी ब्याह क्यों नहीं किया . क्योंकि वो हमसे प्यार करता है . हम दोनों एक दुसरे से बेंतेहा प्यार करते है . ये एक ऐसा सच है जिसे हम छिपा भी नहीं सकते , बता भी नहीं सकते.



रुडा की बेटी वकील से प्यार करती थी , बहनचोद ये जिन्दगी मुझे न जाने क्या क्या दिखा रही थी .

मैं- बेशक प्रेम अँधा होता है पर इतना भी नहीं की दुष्ट इन्सान से ही इश्क कर बैठे.

अंजू- वो तुम्हे गलत लगता है क्योंकि तुम्हारा और उसका व्यवहार आपस में ठीक नहीं है. पर हमारे लिए क्या है वो हम जानते है उसकी नेकी , ईमानदारी इसलिए कम नहीं हो जाती की तुम्हे वो घटिया लगता है .

साले ने रुडा की बेटी से ही प्रेम किया था .

मैं- ये आपकी और उसकी बात है . न मुझे पहले कुछ लेना देना था न अब न आगे. मैं इस लाकेट के बारे में जानना चाहता हूँ .

अंजू- ये बस यूँ ही तो है , तुम्हे पसंद नहीं तो बेझिझक हमें वापिस दे सकते हो. हम बुरा नहीं मानेंगे.

मैं- ठीक है आप आराम करो मैं चलता हूँ .

अंजू- अरे इतनी रात कहाँ जाओगे.

मैं- ये जंगल मेरा भी घर है , कहीं न कहीं तो पनाह मिल ही जाएगी. वापसी में मैं मोहब्बत के बारे में सोचता रहा , ये दोनों लोग इसलिए अलग अलग रह रहे थे की मोहब्बत है , पर ये कैसी मोहब्बत थी जिसमे जुदाई थी . यहाँ मैंने महसूस किया की मैं मोहब्बत के बारे में कुछ नहीं जानता. चलते चलते मैं उस मोड़ पर आ गया जहाँ से एक रास्ता निशा के पास ले जाताथा दूसरा गाँव की तरफ.

बेशक बड़ी तममनना थी मुझे निशा का दीदार करने की पर न जाने क्यों मेरे कदम गाँव की तरफ बढ़ गए. जब मैं गाँव में पहुन्चा तो देखा की लोग घरो से बाहर निकले हुए थे. इतनी रात में लोगो का घर से बाहर होना किसी अनिष्ट की आशंका से दिल धाड़ धाड़ करने लगा. और जब मैं मोहल्ले में पहुंचा तो देखा की वैध की लाश उसके घर के बाहर पड़ी थी . ..................................
Anju thi kamre m or parkash k saath bhi anju thi ek or khulasa ho gaya Anju or Parkash ek doosre se be intiha mohabbat kerte h
Ab yeh sala ved ko kisne maar dia bhala
Dekhte h kia hota h aage
Badhiya shaandaar lajawab update bhai
 

Studxyz

Well-Known Member
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हरामी प्रकाश व अंजू का प्रेम बिलकुल जमा नहीं ऐसी ही लीपापोती अब चम्पा चमेली की भी हो जायेगी कहानी में इमोशंस उठा के ऐसा फुसस्स बम्ब तो दिल ही तोड़ गया

अंजू प्रेम की आड़ लेकर जंगलों में कार के बोनटो पर चुदती फिर रही है ऐसी ही चुत में आग थी तो प्रकाश के घर ही चुद लेती

फौजी भाई जी प्रकाश अन्जु जैसी लीपापोती सूरजभान व् कबीर की ना करवा देना आगे चल कर वो दोनों भी भाई हैं फिर तो पानी नाक से ऊपर चला जायेगा इस से पढ़ने वाले निराश हो जाते हैं

कबीर तो बस चुदी चुदायी ओरतों का शौकीन है इस से 522 पेज की इस कहानी में 1 भी लड़की नहीं चुदी सब के सब इसका चुतिया काट रहे है

वैध को रमा ठोंक गयी लगती है
 
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Thakur hone ki nishani ke arop... Ham par bhi lagoo ho rahe hain....
Ye chat thread me jatiwadi aur abusive offensive post mani jati... Lekin thakurain nandini bhabhi ne kahi hai to bura kaise manta mein
Shayad apne mayke ke khun ki khasiyat aur sasural ke bhi dekhkar unhone sab thakuron par lagu kar di

Ya dharmendr, mithun, amitabh jaise angry young man wali filmo ka asar hoga....

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वैसे ठाकुरों पर आरोप तो हमेशा ही लगता आया है । कारण ठाकुरों का इतिहास । कुछ गर्व करने लायक तो कुछ शर्मिंदगी लायक । गलत सही तो हर जगह और हर कास्ट में है ।
डेथ किंग भाई ने ऐसा कुछ भी जातिवाद नहीं कहा जिसे गलत कहा जाए और फौजी भाई ने भी ऐसा कुछ भी नहीं लिखा जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे ।

कहानी है यह । लोग भावनाओं में बह ही जाते हैं । किसी की भी मंशा बुरी नहीं थी कामदेव भाई । दिल पर मत लीजिएगा ।
 

Pankaj Tripathi_PT

Love is a sweet poison
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कमरे में मेरे बिस्तर पर लेटे हुए अंजू कोई किताब पढ़ रही थी . हमारी नजरे मिली

अंजू- तुम यहाँ इस वक्त

मैं- ये सवाल तो मुझे आपसे पूछना चाहिए वैसे ये कमरा मेरा ही है

अंजू- हाँ , मेरा मन था इधर आने का फिर घूमते घूमते रात ज्यादा हुई तो मैं यही रुक गयी.

न जाने क्यों मुझे उसकी बात झूठ लग रही थी.

मैं- बेशक मुझसे ज्यादा आप जंगल को जानती है पर इतनी रात को आपका यहाँ होना कारन कोई साधारण नहीं है.

अंजू- ये तो तुम पर निर्भर करता है की तुम कैसे समझते हो इस बात को.

उसने बिस्तर से उठने की जरा भी जहमत नहीं उठाई, जैसे उसे मेरे होने न होने से कोई फर्क पड़ा ही नहीं हो. मैं घास पर बैठ गया और कम्बल को थोडा और कस लिया.

मैं- जैसा मैंने कहा , इस जंगल में इन रातो में भटकने का हम सब का अपना अपना कारण है , ये जानते हुए भी की उस आदमखोर के रूप में मौत कभी भी सामने आकर खड़ी हो सकती है हम खुद को फिर भी रोक नहीं पा रहे . ये साधारण तो बिलकुल नहीं है . आप मुझसे बहुत ज्यादा जानती है , इस जगह को पहचानती है मैं आपके उसी ज्यादा में से थोडा कम जानना चाहता हूँ . मेरा पहला सवाल ये है की आपने मुझे ये लाकेट क्यों दिया, सिर्फ मुझे ही क्यों .

अंजू ने अपनी किताब साइड में रखी और बोली- पहली बार मैं तुमसे मिली थी कोई भेंट तो चाहिए थी न देने को .

मैं- खूबसूरत औरते झूठ बोलते हुए थोड़ी और निखर जाती है .

मेरी बात सुनकर अंजू मुस्कुरा पड़ी.

अंजू- इसे तारीफ समझे या ताना, ये लाकेट हमने तुम्हे क्यों दिया तुम जान जाओगे. दूसरी बात हम यहाँ क्यों है ,जैसा तुमने कहा हम सब के अपने अपने कारण है

मैं- रुडा की बेटी , रुडा के दुश्मन की जमीं पर रात को अकेली . सवाल तो उठेगा ही .

अंजू- जितना हक़ रुडा का है उतना ही मुझ पर राय साहब का भी है,दोनों से ही मुझे बेइंतिहा स्नेह मिला

मैं- तो फिर रुडा से क्यों नाराजगी है आपकी

अंजू- मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ , मेरे बाप को मेरी उड़ान पसंद नहीं वो मेरे कदमो में बेडिया चाहता है .

मैं- कैसी बेडिया

अंजू- वैसे हमें कोई जरुरत नहीं है तुम्हे ये किस्से बताने की पर चूँकि इस रात अब तुम हमारे साथ हो , बातो का सिलसिला है तो चलो बता ही देते है , तुम्हारी भाभी नंदिनी में हिम्मत थी वो आगे बढ़ गयी , हम कमजोर थे पीछे रह गए. और फिर पीछे रहते ही गए. हम अपनी पसंद से शादी करना चाहते थे हमारी पसंद हमारे बाप को मंजूर नहीं थी . करते तो क्या करते. हम चाहते तो घर से भाग जाते , पर इसमें नुकसान हमारा ही होता चौधरी साहब हमारे प्यार को मरवा देते. आज हम जिस भी हालात में है कम से कम तसल्ली तो है की हमारा प्यार हमारे साथ है .



मैं सोचता था की मैं ही आशिक हूँ पर इस जंगल में न जाने कितनी प्रेम कहानिया बिखरी पड़ी थी . अंजू ने लेटे हुए ही करवट ली और निचे रखे थर्मस से पानी का कप भरने लगी. उसकी चुडिया स्टील से थर्मस से टकराई और उस खनक ने मेरे कान हिला दिए. यही खनक तो मैंने सुनी थी , हाँ यही थी बिलकूल यही थी . मेरा तो सर ही घूम गया अभी मोहब्बत का किस्सा बताने वाली अंजू , ये अंजू ही तो चुद रही थी परकाश से.

मैं- एक बात पुछु

अंजू- हाँ

उसने पानी की घूँट भरी.

मैं- एक तरफ तो आप इतनी शिद्दत से अपनी मोहब्बत का जिक्र कर रही है और दूसरी तरफ कुछ घंटे पहले आप जंगल में वकील प्रकाश के साथ थी .

अंजू ने कप वापिस रखा और बोली- दुसरो के निजी पलो में ताका-झांकी बदतमीजी समझती जाती है .

मैं- मेरी नजर में उस नीच, गलीच प्रकाश के साथ चुदाई करना ज्यादा बड़ी बदतमीजी है .

मैंने जानबूझ कर चुदाई शब्द पर जोर दिया.

अंजू- इसे हम तुम्हारी पहली खता समझ कर माफ़ कर रहे है कबीर. दुबारा अपने शब्दों पर काबू रखना . खैर, जैसा हमने थोड़ी देर पहले कहा ये तुम पर निर्भर करता है की हम चीजो को कैसे समझते है . कभी तुमने इस बात पर गौर क्यों नहीं किया की प्रकाश ने कभी ब्याह क्यों नहीं किया . क्योंकि वो हमसे प्यार करता है . हम दोनों एक दुसरे से बेंतेहा प्यार करते है . ये एक ऐसा सच है जिसे हम छिपा भी नहीं सकते , बता भी नहीं सकते.



रुडा की बेटी वकील से प्यार करती थी , बहनचोद ये जिन्दगी मुझे न जाने क्या क्या दिखा रही थी .

मैं- बेशक प्रेम अँधा होता है पर इतना भी नहीं की दुष्ट इन्सान से ही इश्क कर बैठे.

अंजू- वो तुम्हे गलत लगता है क्योंकि तुम्हारा और उसका व्यवहार आपस में ठीक नहीं है. पर हमारे लिए क्या है वो हम जानते है उसकी नेकी , ईमानदारी इसलिए कम नहीं हो जाती की तुम्हे वो घटिया लगता है .

साले ने रुडा की बेटी से ही प्रेम किया था .

मैं- ये आपकी और उसकी बात है . न मुझे पहले कुछ लेना देना था न अब न आगे. मैं इस लाकेट के बारे में जानना चाहता हूँ .

अंजू- ये बस यूँ ही तो है , तुम्हे पसंद नहीं तो बेझिझक हमें वापिस दे सकते हो. हम बुरा नहीं मानेंगे.

मैं- ठीक है आप आराम करो मैं चलता हूँ .

अंजू- अरे इतनी रात कहाँ जाओगे.

मैं- ये जंगल मेरा भी घर है , कहीं न कहीं तो पनाह मिल ही जाएगी. वापसी में मैं मोहब्बत के बारे में सोचता रहा , ये दोनों लोग इसलिए अलग अलग रह रहे थे की मोहब्बत है , पर ये कैसी मोहब्बत थी जिसमे जुदाई थी . यहाँ मैंने महसूस किया की मैं मोहब्बत के बारे में कुछ नहीं जानता. चलते चलते मैं उस मोड़ पर आ गया जहाँ से एक रास्ता निशा के पास ले जाताथा दूसरा गाँव की तरफ.

बेशक बड़ी तममनना थी मुझे निशा का दीदार करने की पर न जाने क्यों मेरे कदम गाँव की तरफ बढ़ गए. जब मैं गाँव में पहुन्चा तो देखा की लोग घरो से बाहर निकले हुए थे. इतनी रात में लोगो का घर से बाहर होना किसी अनिष्ट की आशंका से दिल धाड़ धाड़ करने लगा. और जब मैं मोहल्ले में पहुंचा तो देखा की वैध की लाश उसके घर के बाहर पड़ी थी . ..................................
Anju or prakash ke prem ke kisse to humne suna tha lekin humne ye katai nhi socha tha ki raat ke andhere me jungle me chudaai kr rhe jode me chhoodi khankhnaati hui aurat rudaa ki beti hogi. खूबसूरत औरते झूठ बोलते हुए थोड़ी और निखर जाती है . Wahh maza lut liya londe ne. Iss gaon ki aurten kitni dhitaai se kabool krti hai woh chudaai kr rhi thi ye unka personal matter hai taanka jhaanki krna battmizi smjhi jayegi. Beshrmi to aise dikhati hai jese koi punya ka kaam kr rhi Ho. Arey itna hi chudne ke liye khujli hoti hai to Band kamre me kro na bahar kroge toh log to dekhenge hi or bolenge bhi, locket se to aisa lgta hai khazana ke uttradhikar ab kabir hi hai. Kabir ke gaon wapas lautne pr vaidh ki lash uske ghar ke bahar mila. Vaidh ko bhi lgta hai adamkhor ne tapka diya. Vaidh ko kyo mara qki usne kabir ko Ray khaandan se judi baaten btaai. Anju iss kahani ke mayne kaise badlti hai dekhna dilchasp hoga. Abhi tak Maine koi demand nahi kri hai Bhai ji anju ko kabir se chudwaa do to maza ajayega sali ne akad dikha kr mood ki maa behan ek kar di.
 

Death Kiñg

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वैसे ठाकुरों पर आरोप तो हमेशा ही लगता आया है । कारण ठाकुरों का इतिहास । कुछ गर्व करने लायक तो कुछ शर्मिंदगी लायक । गलत सही तो हर जगह और हर कास्ट में है ।
डेथ किंग भाई ने ऐसा कुछ भी जातिवाद नहीं कहा जिसे गलत कहा जाए और फौजी भाई ने भी ऐसा कुछ भी नहीं लिखा जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे ।

कहानी है यह । लोग भावनाओं में बह ही जाते हैं । किसी की भी मंशा बुरी नहीं थी कामदेव भाई । दिल पर मत लीजिएगा ।
Aisa kya? kamdev99008 bhai, maine kewal kahani ke reference mein kaha tha. Kewal Kabir ke parivaar ko lekar. Yadi mere shabd anyatha lage, to kshama chahunga. And I'm sure ki Fauji bhai ne bhi kewal Kabir ke parivar ke hi context mein kaha hoga.

Thakuron athva kisi bhi jaati ko lekar koyi bhi kutark karna bilkul galat hi hai. Main Kareeb se jaanta hun ek thakur parivar ko, to beshak aisa kutark nahi hi karunga. :five:
 
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