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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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फौजी भाई बार बार कहते हैं स्टोरी में कोई सस्पेंस नहीं है । इतने अपडेट्स के बाद भी गुत्थी किसी के पल्ले नहीं पड़ रही है..अब इससे अधिक क्या सस्पेंस होगा !

मुझे आश्चर्य हुआ था कि भाभी और निशा एक दूसरे से पहले से ही परिचित थी । इसका मतलब भाभी को निशा की कहानी भी पता होना चाहिए ।
निशा के बारे में मुकम्मल जानकारी.... ठाकुर साहब और चम्पा के बीच अवैध सम्बन्धों की जानकारी.... त्रिदेव फ्रैंड की भी जानकारी । न जाने और कितने राज अपने सीने में छुपा रखे है भाभी जी ने !

आदमखोर की पहेली - कोई स्पेस से नहीं टपक पड़ा है ये । है तो इंसान ही । ठाकुर साहब , अभिमानु और वैद्य जी तीन ऐसे लोग हैं जिनके बारे में शक किया जा सकता है । अभिमानु का चरित्र तो वैसे अब तक सबसे बढ़िया ही लगा मुझे लेकिन अचानक से उसकी शारीरिक शक्तियों में इजाफा होना संदेह पैदा कर दिया है । ठाकुर साहब तो सर्व गुण संपन्न हैं ही ।
बाकी बचा वैद्य । अपने घर से जब तब गायब हो जाना.... उसकी चरित्रहीन बहु कविता की हत्या.... आदमखोर द्वारा शिकार सभी लोगों का उसका ना समझ आने वाला इलाज करना । सस्पेक्ट तो है यह व्यक्ति ।

वैद्य के घर में अर्धरात्रि में किसी महिला ने प्रवेश किया । सरला हो ही नहीं सकती क्योंकि अभी तक वो अभिसार सुख से तृप्त गहरी नींद में सो रही होगी ।
चाची और भाभी भी नहीं हो सकती क्योंकि दोनों एक ही कमरे में सोने की तैयारी कर रही थी ।
अन्य महिलाओं में निशा , रमा और चम्पा ही बची । और रूडा की सुपुत्री ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट फौजी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट
एंड हॉट ( कबीर और सरला का सेक्सुअल एक्टिविटी वास्तव में उत्तेजक था )
निशा और भाभी एक दूसरे को जानती है कैसे जानती है वो सोच रहा हूँ मैं. भाभी का रोल महत्वपूर्ण है ये समझना जरूरी है. वैध के घर कौन आया, अगला भाग कई महत्पूर्ण जानकारियां देगा आपको
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#84



वैध और रमा बिस्तर पर एक दुसरे संग लिपटे पड़े थे. मेरी आँखे ये देख कर हैरान थी की एक बुजुर्ग रमा जैसी औरत की ले रहा था . रमा और वैध के ऐसे सम्बन्ध होगने कोई सोच भी नहीं सकता था . वैध मुझे शुरू से ही कुछ अजीब तो लगता था पर इतना घाघ होगा ये सोचा नहीं था. खैर, मुझे इतंजार करना था . कुछ देर बाद चुदाई ख़त्म हुई और दोनों बिस्तर पर बैठ गए.

रमा- वैध, तुमने वादा किया था मुझसे

वैध- तेरे काम में ही लगा हूँ

रमा- कितने साल बीत गए ये सुनते सुनते तुमने बदले में मेरा जिस्म माँगा था मैंने तुमको वो भी दिया आज तक देती आ रही हूँ और कितना इंतज़ार करना होगा

वैध- जिस्म देकर कोई अहसान नहीं किया तूने , अपनी लाज बचाने का सौदा था वो . ठाकुर से चुद रही थी थोडा मैंने चोद लिया तो क्या हुआ .

रमा- तूने सौदा किया था मुझसे

वैध- रंडिया कब से सौदा करने लगी. तू और वो साली तेरी दोस्त कविता रंडिया ही तो थी .ठाकुर की रंडिया , उसको घर में रखा था जब बाहर चुद रही थी तो घर वालो से क्यों नहीं , मैंने भी चोद लिया तो क्या गुनाह किया .

तो वैध भी चोदता था कविता को. साला हद ठरकी निकला ये साला. हिकारत से मैंने थूका.

रमा- गरीब की आह में आवाज नहीं होती वैध पर जब लगती है न तो बड़ी जोर से लगती है .

वैध- धमकी दे रही है तू मुझे

रमा- मैं सिर्फ इतना चाहती हूँ की तू अपना वादा निभा

वैध- तो समझ ले की मैंने वादा तोड़ दिया.

रमा- तू ऐसा नहीं कर सकता , तुजे अंजाम भुगतना होगा इसका.

वैध- जानती नहीं तू मेरे ऊपर किसका हाथ है

रमा- जानती हूँ ”

वैध- जानती है तो जब भी बुलाऊ आया कर और चुद कर चुपचाप चली जाया कर

रमा इस से पहले कुछ कहती अन्दर से निकल कर मैं उन दोनों के सामने आकर खड़ा हो गया. दोनों की गांड फट गयी मुझे अचानक से देख कर.

मैं- किसका हाथ है तेरे सर पर वैध

“कुंवर आप यहाँ ” वैध की आँखे बाहर आने को हो गयी .

मैं- ये मत पूछ मैं यहाँ क्यों ये बता की तेरे सर पर किसका हाथ है जो तू रमा से किया अपना वादा नहीं निभा रहा . औरत की चूत इतनी भी सस्ती नहीं की तू चोद ले और बदले में उसे कुछ न दे.

वैध मिमियाने लगा.

मैं- रमा से क्या वादा किया था तूने , मैं सुनना चाहता हूँ और अगर तेरी जुबान तुरुन्त शुरू नहीं हुई तो ये रात बहुत भारी पड़ेगी तुझ पर .

वैध- मैं अभिमानु ठाकुर से कहूँगा की तुम चोरी से मेरे घर में घुसे और मुझे पीटा

मैं- ये कर ले तू पहले, चल भैया के पास अभी चल रमा को तूने चोदा मैं गवाह हूँ वो ही करेंगे तेरा फैसला .

वैध के बदन में बर्फ जम गयी .

मैं- तो बता फिर क्या वादा था वो.

वैध की शकल ऐसी थी की रो ही पड़ेगा . मैंने एक थप्पड़ मारा उसके गाल पर और उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी .

वैध- मैंने रमा से वादा किया था की वो अगर मेरे साथ सोएगी तो मैं उसे बता दूंगा की इसकी बेटी को किसने मारा था

वैध की बात ने मुझे भी हिला कर रख दिया था . जिस सवाल को मैं बाहर तलाश रहा था उसे इस चुतिया ने अपने सीने में दफ़न कर रखा था . रमा की आँखों से आंसू बहने लगे , मैं समझ सकता था एक माँ के दिल पर क्या बीत रही होगी. औरत चाहे जैसी भी हो पर उसका माँ का स्वरूप , उसका दर्जा बहुत बड़ा होता है .

मैं- वादा निभाने की घडी आ गयी है वैध, मैंने भी रमा से एक वादा किया है तू बता मुझे कौन था वो हैवान

वैध ने थूक गटका और बोला- ठाकुर जरनैल सिंह, छोटे ठाकुर ने मारा था रमा की बेटी को .

वैध की आवाज बेशक कमजोर थी पर उसके शब्दों का भार बहुत जायदा था .

मैं- होश में है न तू

वैध- झूठ बोलने का साहस नहीं है मुझमे

चाचा ने अपनी ही प्रेयसी की बेटी का क़त्ल कर दिया था . रमा तो ये सुनकर जैसे पत्थर की ही हो गयी थी .

मैं-रमा तुझसे वादा किया है मैं चाचा को तलाश कर लूँगा तेरी आँखों के सामने ही उसे सजा दूंगा.

रमा की आँखों से झरते आंसुओ के आगे मेरे शब्द कमजोर थे मैं जानता था . दर्द आंसू बन कर बह रहा था . रमा कुछ नहीं बोली , दरवाजा खोल कर घर से बाहर निकल गयी .रह गए हम दोनों

मैं- बड़ा नीच निकला तू वैध. दिल करता है की अभी के अभी तुझे मार दू पर अभी तुझसे कुछ और सवाल करने है जिनके सही सही जवाब चाहिए मुझे, बता भैया के साथ कहाँ जाता है तू .

वैध- कही नहीं जाता मैं

मैं- सुना नहीं तूने

मैंने फिर से एक थप्पड़ मारा.

मैं- बेशक तेरी वफ़ादारी रही होगी भैया से पर आज की रात यदि मुझे तेरा कत्ल करके तेरी रूह से भी अपने जवाब मांगने पड़े न तो भी मैं गुरेज नहीं करूँगा. अब तू सोच ले.

वैध-उनको तलाश है

मैं- किस चीज की तलाश

वैध- ऐसी दवा की जो प्यास को काबू कर सके.

मैं- कैसी प्यास

वैध- रक्त तृष्णा को काबू करना चाहते है वो .

ये रात साली कयामत ही हो गयी थी . भैया को रक्त की प्यास थी . मेरा तो सर ही चकरा गया .

मैं- भैया को रक्त की प्यास , तो क्या भैया ही वो आदमखोर है

वैध- नहीं वो नहीं है .

मैं- तो फिर कौन है किसके लिए भैया को दवा की तलाश है

वैध- नहीं जानता न उन्होंने कभी बताया. अभिमानु को दवाओ का ज्ञान मुझसे भी जायदा है जंगल में अजीब बूटियों की तलाश रहती है उनको वो मुझे सहयोग के लिए ले जाते है .

मैं- क्या कभी भैया ने उस आदमखोर का जिक्र किया तुमसे

वैध- नहीं कभी नहीं .

मैं- कब से जारी है ये तलाश ,

वैध- ठीक तो याद नहीं पर करीब ५-७ साल से वो लगातार इसी प्रयास में लगे है .

मैं- क्या कभी किसी पुरे चाँद की रात को तू भैया के साथ रहा है



वैध- नहीं , कभी नहीं .

मैं- और कोई ऐसी बात जो तुझे लगता है की मुझे बतानी चाहिए

वैध- बस इतना ही

मैं- आज के बाद रमा की तरफ आँख भी उठा कर नहीं देखेगा तू . मुझे मालूम हुआ की इस कमरे में हुई कोई भी बात हमारे सिवा किसी को भी मालूम हुई तो तेरा अंतिम दिन होगा वो.

वैध के घर से निकल तो आया था पर कदमो में जान नहीं बची थी , या तो मेरा भाई ही वो आदमखोर था और वो नहीं था तो फिर किसकी रक्त तृष्णा का इलाज तलाश रहा था वो . आने वाले कल का सोच कर मेरी आत्मा कांप गयी.


 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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छोटे ठाकुर ने रमा की बेटी को मारा लेकिन आगे कोई सबूत नहीं दिया, आज ही भाभी बोल रही थी की आंखों देखे पर हर बार भरोसा नहीं करना चाहिए

सिर्फ इस लिए की अभिमानु रक्त तृष्णा का इलाज ढूंढ रहा इसका ये मतलब नहीं की वो ही आदमखोर है, अपने से ज्यादा अभिमानु एक और व्यक्ति की चिंता करता है और वो है
सुरजभान, अचानक से वो कहानी से गायब हो गया है तो उसके चांसेज है

हालांकि ज्यादा मीठी चीज अक्सर मधुमेह का कारण बनती है, अभिमानु का किरदार भी इतना मीठा है ना की हर बार जब उसके बारे में कुछ अच्छा पढ़ता हूं तो उसके आदमखोर होने का शक बढ़ जाता है

जबसे ये कहानी शुरू हुई है कबीर के आलावा जो बाकी सारी important घटना हुई है वो बस अभिमानु के आस पास ही हुई है

अभी तक जितना पढ़ा है उससे एक बात तो तय है की अभिमानु को मालूम है की आदमखोर कौन है

कबीर जब तक सबको शक के नजर से नहीं देखेगा, उसे अतीत जानने में उतनी ही देरी होगी

भाभी भले ही महत्वपूर्ण किरदार हो लेकिन अगर वो कबीर को सब राज जानने के बाद भी मदद नहीं करेगी तो उसका होना ना होना एक बराबर है (ये नही बोल रहा को सब राज बता दे, but हां हिंट तो दे ही सकती है)

कहानी फिर से अंधा मोड़ पर आ गई है, राय साहब के room में चूड़ी कबीर की मां होने से कविता की मर्डर मिस्ट्री उलझ गई,

निशा ने कहा था की वो भी आदमखोर को ढूंढ रही है लेकिन काली मंदिर के कमरे में खरोंच के निशान से लगता है की आदमखोर वही रहा करता था फिर निशा को कैसे पता नही चला


खैर अभी तो इसी में मजा आ रहा
रोज नए राज सामने आते है, रोज कुछ prediction करता हूं, कुछ सही होते है कुछ गलत

Relax मोड़ पर होके मस्त आराम से कहानी पढ़ो
और कहानी को अपने हिसाब से आराम आराम से चलने दो



 
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Studxyz

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वैध तो पक्का चोदू निक्ला रमा तो खैर थी ही चुदायी की पुजारिन

अभिमन्यु को भी रक्त पिपासा होती है ये एक विस्फोटक जानकारी कबीर के हाथ लगी है कबीर को अब भाई की जासूसी भी करना पड़ेगी और शायद भाभी या चम्पा भी इस बारे में कुछ जानती हो और अभिमानु तो पक्का ही आदमखोर को जानता है

कहानी बहुत ही निर्णायक रोमांचक दौर से गुज़र रही है
 
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