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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

DB Singh

Member
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झ्स साईट पर सब लोग अपनी वो फैंटेसी पूरी करने आते है ,जो घर में पूरी नही हो पाती। कृप्या बेकार कि बहस में ना पड़े और धर्म अध्यात्म व धार्मिक ग्रनथों को यहां न घसीटे ।
बस मजा लें ।
फौजी भाई नें भी इसे मनोरंजन की दृष्टि से ही लिखा है न कि कोई अन्धविश्वास फैलाने हेतू।
कहीं मोडरेटर ने डण्डा फटकार दिया तो दिक्कत हो जायेगी।
हम्मममम अब क्या करें? कहानी को कुछ ना हो कमेंट को एडिट कर देता हूँ
 
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HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#83

मैंने रमा को सुना था, मैंने सरला को सुना था पर तीसरी कड़ी कविता से कोई बात नहीं हो पाई थी, उसकी मौत का मलाल था, वो जिन्दा होती तो इस गुत्थी को सुलझाने में मेरी बड़ी मदद कर सकती थी . रुडा से हर हाल में मुझे उसका पक्ष जानना था पर पिछले कुछ समय से जो हालात रहे थे क्या वो तैयार होगा मुझसे बात करने को ये भी था. बहुत कोशिश की पर भाभी अपने सीने में न जाने क्या दबाये हुई थी. अतीत के पन्ने का ऐसा क्या राज था जो जानते सभी थे बताता कोई नहीं था.





शाम को मैं भाभी के साथ खाना खा रहा था तो मैंने एक बार फिर से बातो का सिलसिला शुरू किया

मैं- भाभी,रुडा और पिताजी के बिच दुश्मनी की वजह सुनैना थी . पर क्या आपको नहीं लगता की दो दोस्तों को एक दुसरे पर इतना विश्वास तो होना चाहिए था न.

भाभी- विश्वास की डोर बड़ी कच्ची होती है कबीर. दरअसल सब कुछ परिस्तिथियों पर निर्भर होता है , कभी कभी आँखे वो देखती है जो नहीं होता . जब सुनैना मरी ठीक उसी समय रुडा का वहां पहुंचा और राय साहब को खून से लथपथ देखना. ये ठीक वैसा ही है जब कविता की मौत के बाद मैंने तुम पर शक किया था .

मैं- मैं हर हाल में अतीत के पन्नो को पढना चाहता हूँ

भाभी- दुसरो की जिंदगियो में झांकना एक तरह की बदतमीजी होती है . उन जिंदगियो से तुम्हारा क्या लेना देना .

मैं- लेना देना है , क्योंकि मैं भी अब उन कहानियो का एक पात्र हूँ.

भाभी- यही तो बदकिस्मती है

मैं- आप बता क्यों नहीं देती मुझे की अतीत में क्या हुआ था

भाभी- मैं अतीत का एक पहलु हूँ बस, मैं अभिमानु से जुडी हूँ यही मेरा सच है यही मेरा आज है यही मेरा कल था. रही बात तुम्हारे पिता की , चाचा की तो उनकी कहानी में हम सब जुड़ गए क्योंकि हम सब परिवार की डोर से बंधे है. और परिवार एक ऐसी चीज है जिसे एक सूत्र में बांधे रखने के लिए हमें बहुत कुछ करना पड़ता है .

मैं- ऐसी बात थी तो फिर चंपा और राय साहब के रिश्ते के बारे में मुझे क्यों बताया .

भाभी- तुम्हारे अटूट स्नेह के कारन कबीर. चंपा से तुम कितना स्नेह करते हो मुझसे छिपा नहीं है . पर उसी स्नेह , उसी निश्छलता का कोई गलत फायदा उठाये तो उसके पक्ष को जाहिर होना ही चाहिए न .

मैं- पर अगर दोनों की सहमती है तो क्या बुराई है भाभी .

भाभी- यही तो दोगलापन है कबीर , दोनों की सहमती पर क्या मायने है इस सहमती के.ये सब खोखली बाते है , यदि कोई नियम है तो फिर सबके लिए समान क्यों नहीं ये तुमने पूछा था मुझसे उस दिन जब लाली को मार कर लटका दिया था मेरे पास उस दिन कोई जवाब नहीं था . लाली और उसका प्रेमी के बीच भी तो सहमती थी न . आज मेरा भी यही सवाल है की पूजनीय राय साहब खुद इस घ्रणित कार्य में लिप्त क्यों है.

मैं- तो क्या पिताजी के सुनैना से भी इस प्रकार के सम्बन्ध हो सकते थे .

भाभी- उन तीनो की कहानी में हमें बस इतना मालूम है की रुडा और राय साहब की दुश्मनी का कारन सुनैना की मौत थी .

मैं- और चाचा , उसका क्या

भाभी- उसका जाना एक पहेली है जिसे आज तक सुलझाया नहीं गया.

मैं- रुडा और चाचा के सम्बन्ध भी ठीक नहीं थे उसका क्या कारन

भाभी- काश मुझे मालूम होता.

उस रात मैं चाची की लेना चाहता था पर अभिमानु भैया घर पर नहीं थे तो भाभी ने अपना बिस्तर चाची के पास लगा लिया . मैंने सरला के घर जाने का सोचा. मुझे देखते ही उसके होंठो पर मुस्कुराहट आ गयी . मैंने बिना देर किये उसे पकड़ लिया और चूमने लगा. सरला का हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया . इतनी बेसब्री थी की कुछ पलो में ही हम दोनों नंगे एक दुसरे से चिपके हुए थे.

“आग बहुत है तुझमे ” मैंने उसके नितम्बो को मसलते हुए कहा.

सरला- कल मेरा ससुर और बच्चे आ जायेंगे फिर रात को मौका मिलना मुश्किल होगा. आज की रात जी भर कर चोद लो मुझे.

मैं- फिर कुछ ऐसा कर की ये रात भुलाये न भूले भाभी,

मैंने सरला की गांड के छेद को सहलाया , तभी मुझे उन नंगी तस्वीरों वाली किताब के एक पन्ने का ध्यान आया जिसमे एक आदमी ने औरत की गांड में लंड डाला हुआ था . मैंने सरला के साथ ये करने का सोचा. पर तभी सरला घुटनों के बल बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया. अब मुझे लंड की सुजन की कोई परवाह नहीं थी क्योंकि मैं जान गया था की इसकी मोटाई ही वो वजह थी जो औरते इसे चूत में लेने को मचल जाती थी.

सरला को अपना मुह ज्यादा खोलना पड़ रहा था पर वो मजे से चूस रही थी . मुझे मानना पड़ा था की चचा ने इन रंडियों को चुदाई की गजब कला सिखाई थी . सरला ने अब लंड को मुह से निकाला और मेरे अन्डकोशो को मुह में भर कर जीभ से चाटने लगी. ये एक ऐसी हरकत थी जिससे मैंने अपने घुटने कांपते हुए महसूस किये.

“ओह सरला,,,,, क्या चीज है तू ” मैंने होंठो से उसकी तारीफ निकले बिना रह न सकी. तारीफ सुन कर उसकी आँखों में चमक आ गयी वो और तलीनता से चूसने लगी. ये मजा चाची ने कभी नहीं दिया था मुझे.



तभी वो उठ खड़ी हुई और बिस्तर पर चढ़ कर घोड़ी बन गयी . इतने मादक नितम्ब देख कर कोई कैसे रोक पाए खुद को. मैंने बड़े प्यार से सरला के कुलहो को मसला . बिना बालो की लपलपाती चूत जो रस से भीगी हुई थी और उसकी गांड का भूरा छेद. अपनी नाक से रगड़ते हुए मैंने उसे सूंघा उफ्फ्फ्फ़ ऐसी उत्तेजना पहले कभी चढ़ी नहीं मुझे पर. सरला की गांड चची से बड़ी थी तो और भी नशा था उसका.

“पुच ” अपने होंठो से मैंने सरला की गांड के छेद को चूमा. भूकंप सा कम्पन मैंने सरला के जिस्म में महसूस किया. गांड को चूसते चाटते हुए मैंने अपनी दो उंगलिया सरला की चूत में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा. सरला के मुह से निकलती गर्म आहे उस कमरे में ठण्ड को पिघलाने लगी थी . सब कुछ भूल कर मैं बस उसके जिस्म में खो सा गया था . सरला की चूत हद से जायदा रस बहा रही थी . दोनों छेदों इ मस्ती सरला ज्यादा देर तक नहीं झेल पाई और सिसकारी भरते हुए झड गयी . बिस्तर पर पड़ी वो लम्बी सांसे ले रही थी .



“मुझे गांड मारनी है तेरी ” मैंने अपने मन की बात कही उस से .

कुछ देर बाद सरला उठी और सरसों का तेल ले आई. मैं समझ गया की क्या करना है औंधी पड़ी सरला के छेद पर मैंने तेल लगाया और अपनी एक ऊँगली गांड में सरका दिया. एक पल उसने बदन को कसा और फिर ढीला छोड़ दिया. जितनी अन्दर जा सकती थी ऊँगली मैंने खूब तेल लगया और फिर अपने लंड को भी तेल से चिकना कर लिया.

सरला- जबरदस्ती न करना कुंवर. जब मैं कहूँ रुको तो रुकना, दोनों का सहयोग रहेगा तभी तुम ये मजा ले पाओगे.





मैंने हाँ कहा और अपना लंड उसकी गांड के चिकने छेद पर लगा दिया. सरला के कहे अनुसार मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर डालने लगा. उसे दर्द हो रहा था पर वो भी मुझे ये सुख देना चाहती थी . तेल की वजह से काफी आसानी हो रही थी . थोडा थोडा करके मैं उसकी गांड में घुसा जा रहा था फिर उसने रुकने को कहा और धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने को कहा. चूत मारने से काफी अलग अनुभव था ये क्योंकि गांड का छल्ला काफी कसा हुआ था लंड पर दबाव ज्यादा था. पर कहते है न की कोशिश करने वालो की हार नहीं होती. हमने भी मंजिल को पा ही लिया. मैंने सरला के गालो को दोनों हाथो में थामा और उसके गर्म जिस्म को चोदने लगा.



मैंने उस रात जाना था की क्यों चाचा इन औरतो के जिस्म का दीवाना था .सरला ने सच में समां बाँध दिया था . उसने मुझे वो सुख दिया था जो बहुत कम लोगो को नसीब होता है . मैंने जब उसकी गांड में अपना वीर्य छोड़ा तो ऐसा लगा की किसी ने जिस्म से जान ही निचोड़ ली हो . उस रात हमने दो बार चुदाई की . आधी रात से कुछ ज्यादा का समय रहा होगा मैं उसके घर से निकल कर जा रहा था . मैं गली में मूतने को रुका ही था की मैंने वैध के घर में एक औरत को जाते हुए देखा. इतनी रात में वैध के घर में कौन औरत जा सकती है. मेरा मूत ऊपर चढ़ गया वापिस से . वो औरत घर में घुस गयी . मैंने मालूम करने का सोचा की कौन होगी ये . मैं घूम कर कविता के कमरे वाली खिड़की के पास पहुंचा उसे धक्का दिया और मैं घर में घुस गया. अन्दर से दो लोगो की आवाजे आ रही थी मतलब की वैध भी घर में ही था. दबे पाँव मैं वैध के कमरे की तरफ गया और वहां जाकर जो मैंने देखा मेरी आंखे जैसे जम ही गयी............................




 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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कविता शायद रात को चाचा से मिलने गई थी, जब उसकी मौत हुई, पूरी कहानी पर्दे के पीछे से शायद चाचा ही चला रहा हो राय साहब से बदला लेने के लिए

वैध के घर में कौन हो सकता है सरला तो कबीर के साथ है
अब बचे चंपा, भाभी,चाची, रमा, निशा, रूढ़ा की बेटी या
फिर अभिमानु से मिलने कोई आया हो वैध के घर


निशा की संभावना कम लग रही है,
जहा तक मुझे लगता है रूढ़ा की बेटी ने कबीर को कहा था की वो last बार मिल रही तो उसका कहानी में रोल खत्म है।

भाभी जिस तरह से कबीर से पेश आई है उस से लग तो नहीं रहा की वो होगी इतनी रात


चाची का कहानी में ज्यादा रोल अभी तक दिखा नही है तो हो सकता है वही आई हो फिर से एक नया मोड़ लेकर

जैसा कि फौजी भाई ने बोला सब के चेहरे पर मुखौटा है तो रमा भी हो सकती है

और चंपा के तो क्या ही कहने, भाभी ने जैसे explain kiya चंपा के बारे में उस से लग तो रहा है की चंपा ने कबीर के भरोसे का अच्छा खासा नाजायज फायदा उठाया है

बाकी readers से भी यही कहूंगा कि इस कहानी को पढ़ने का मजा बढ़ जाता है जब तुम्हारे predictions और अनुमान पढ़ता हूं

क्योंकि ये कहानी के different point of views को भी दिखाते है की अगर ऐसा होगा तो क्या होगा, वैसा होगा तो क्या होगा

इसलिए अपने thoughts जरूर share करे

ये फौजी भाई का काम कठिन भी करेगा
कठिन ऐसे की उन्हें हर बार ऐसे suprise डालने पड़ेंगे की कोई सोच भी ना सके 😅😅
 
Last edited:

SKYESH

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जादू टोने के कारण ही मैंने निशा और अपने बच्चे को खोया था
very sad .... dear .... :verysad:

aaj bhi gaon main ye sab chalta hai ......

aur log samjte nahi ......

BHUVA ke pas aaj bhi log ja rahe hai ....... itna kand news main aane ke bad ...
 

Mehup

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मैंने रमा को सुना था, मैंने सरला को सुना था पर तीसरी कड़ी कविता से कोई बात नहीं हो पाई थी, उसकी मौत का मलाल था, वो जिन्दा होती तो इस गुत्थी को सुलझाने में मेरी बड़ी मदद कर सकती थी . रुडा से हर हाल में मुझे उसका पक्ष जानना था पर पिछले कुछ समय से जो हालात रहे थे क्या वो तैयार होगा मुझसे बात करने को ये भी था. बहुत कोशिश की पर भाभी अपने सीने में न जाने क्या दबाये हुई थी. अतीत के पन्ने का ऐसा क्या राज था जो जानते सभी थे बताता कोई नहीं था.





शाम को मैं भाभी के साथ खाना खा रहा था तो मैंने एक बार फिर से बातो का सिलसिला शुरू किया

मैं- भाभी,रुडा और पिताजी के बिच दुश्मनी की वजह सुनैना थी . पर क्या आपको नहीं लगता की दो दोस्तों को एक दुसरे पर इतना विश्वास तो होना चाहिए था न.

भाभी- विश्वास की डोर बड़ी कच्ची होती है कबीर. दरअसल सब कुछ परिस्तिथियों पर निर्भर होता है , कभी कभी आँखे वो देखती है जो नहीं होता . जब सुनैना मरी ठीक उसी समय रुडा का वहां पहुंचा और राय साहब को खून से लथपथ देखना. ये ठीक वैसा ही है जब कविता की मौत के बाद मैंने तुम पर शक किया था .

मैं- मैं हर हाल में अतीत के पन्नो को पढना चाहता हूँ

भाभी- दुसरो की जिंदगियो में झांकना एक तरह की बदतमीजी होती है . उन जिंदगियो से तुम्हारा क्या लेना देना .

मैं- लेना देना है , क्योंकि मैं भी अब उन कहानियो का एक पात्र हूँ.

भाभी- यही तो बदकिस्मती है

मैं- आप बता क्यों नहीं देती मुझे की अतीत में क्या हुआ था

भाभी- मैं अतीत का एक पहलु हूँ बस, मैं अभिमानु से जुडी हूँ यही मेरा सच है यही मेरा आज है यही मेरा कल था. रही बात तुम्हारे पिता की , चाचा की तो उनकी कहानी में हम सब जुड़ गए क्योंकि हम सब परिवार की डोर से बंधे है. और परिवार एक ऐसी चीज है जिसे एक सूत्र में बांधे रखने के लिए हमें बहुत कुछ करना पड़ता है .

मैं- ऐसी बात थी तो फिर चंपा और राय साहब के रिश्ते के बारे में मुझे क्यों बताया .

भाभी- तुम्हारे अटूट स्नेह के कारन कबीर. चंपा से तुम कितना स्नेह करते हो मुझसे छिपा नहीं है . पर उसी स्नेह , उसी निश्छलता का कोई गलत फायदा उठाये तो उसके पक्ष को जाहिर होना ही चाहिए न .

मैं- पर अगर दोनों की सहमती है तो क्या बुराई है भाभी .

भाभी- यही तो दोगलापन है कबीर , दोनों की सहमती पर क्या मायने है इस सहमती के.ये सब खोखली बाते है , यदि कोई नियम है तो फिर सबके लिए समान क्यों नहीं ये तुमने पूछा था मुझसे उस दिन जब लाली को मार कर लटका दिया था मेरे पास उस दिन कोई जवाब नहीं था . लाली और उसका प्रेमी के बीच भी तो सहमती थी न . आज मेरा भी यही सवाल है की पूजनीय राय साहब खुद इस घ्रणित कार्य में लिप्त क्यों है.

मैं- तो क्या पिताजी के सुनैना से भी इस प्रकार के सम्बन्ध हो सकते थे .

भाभी- उन तीनो की कहानी में हमें बस इतना मालूम है की रुडा और राय साहब की दुश्मनी का कारन सुनैना की मौत थी .

मैं- और चाचा , उसका क्या

भाभी- उसका जाना एक पहेली है जिसे आज तक सुलझाया नहीं गया.

मैं- रुडा और चाचा के सम्बन्ध भी ठीक नहीं थे उसका क्या कारन

भाभी- काश मुझे मालूम होता.

उस रात मैं चाची की लेना चाहता था पर अभिमानु भैया घर पर नहीं थे तो भाभी ने अपना बिस्तर चाची के पास लगा लिया . मैंने सरला के घर जाने का सोचा. मुझे देखते ही उसके होंठो पर मुस्कुराहट आ गयी . मैंने बिना देर किये उसे पकड़ लिया और चूमने लगा. सरला का हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया . इतनी बेसब्री थी की कुछ पलो में ही हम दोनों नंगे एक दुसरे से चिपके हुए थे.

“आग बहुत है तुझमे ” मैंने उसके नितम्बो को मसलते हुए कहा.

सरला- कल मेरा ससुर और बच्चे आ जायेंगे फिर रात को मौका मिलना मुश्किल होगा. आज की रात जी भर कर चोद लो मुझे.

मैं- फिर कुछ ऐसा कर की ये रात भुलाये न भूले भाभी,

मैंने सरला की गांड के छेद को सहलाया , तभी मुझे उन नंगी तस्वीरों वाली किताब के एक पन्ने का ध्यान आया जिसमे एक आदमी ने औरत की गांड में लंड डाला हुआ था . मैंने सरला के साथ ये करने का सोचा. पर तभी सरला घुटनों के बल बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया. अब मुझे लंड की सुजन की कोई परवाह नहीं थी क्योंकि मैं जान गया था की इसकी मोटाई ही वो वजह थी जो औरते इसे चूत में लेने को मचल जाती थी.

सरला को अपना मुह ज्यादा खोलना पड़ रहा था पर वो मजे से चूस रही थी . मुझे मानना पड़ा था की चचा ने इन रंडियों को चुदाई की गजब कला सिखाई थी . सरला ने अब लंड को मुह से निकाला और मेरे अन्डकोशो को मुह में भर कर जीभ से चाटने लगी. ये एक ऐसी हरकत थी जिससे मैंने अपने घुटने कांपते हुए महसूस किये.

“ओह सरला,,,,, क्या चीज है तू ” मैंने होंठो से उसकी तारीफ निकले बिना रह न सकी. तारीफ सुन कर उसकी आँखों में चमक आ गयी वो और तलीनता से चूसने लगी. ये मजा चाची ने कभी नहीं दिया था मुझे.



तभी वो उठ खड़ी हुई और बिस्तर पर चढ़ कर घोड़ी बन गयी . इतने मादक नितम्ब देख कर कोई कैसे रोक पाए खुद को. मैंने बड़े प्यार से सरला के कुलहो को मसला . बिना बालो की लपलपाती चूत जो रस से भीगी हुई थी और उसकी गांड का भूरा छेद. अपनी नाक से रगड़ते हुए मैंने उसे सूंघा उफ्फ्फ्फ़ ऐसी उत्तेजना पहले कभी चढ़ी नहीं मुझे पर. सरला की गांड चची से बड़ी थी तो और भी नशा था उसका.

“पुच ” अपने होंठो से मैंने सरला की गांड के छेद को चूमा. भूकंप सा कम्पन मैंने सरला के जिस्म में महसूस किया. गांड को चूसते चाटते हुए मैंने अपनी दो उंगलिया सरला की चूत में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा. सरला के मुह से निकलती गर्म आहे उस कमरे में ठण्ड को पिघलाने लगी थी . सब कुछ भूल कर मैं बस उसके जिस्म में खो सा गया था . सरला की चूत हद से जायदा रस बहा रही थी . दोनों छेदों इ मस्ती सरला ज्यादा देर तक नहीं झेल पाई और सिसकारी भरते हुए झड गयी . बिस्तर पर पड़ी वो लम्बी सांसे ले रही थी .



“मुझे गांड मारनी है तेरी ” मैंने अपने मन की बात कही उस से .

कुछ देर बाद सरला उठी और सरसों का तेल ले आई. मैं समझ गया की क्या करना है औंधी पड़ी सरला के छेद पर मैंने तेल लगाया और अपनी एक ऊँगली गांड में सरका दिया. एक पल उसने बदन को कसा और फिर ढीला छोड़ दिया. जितनी अन्दर जा सकती थी ऊँगली मैंने खूब तेल लगया और फिर अपने लंड को भी तेल से चिकना कर लिया.

सरला- जबरदस्ती न करना कुंवर. जब मैं कहूँ रुको तो रुकना, दोनों का सहयोग रहेगा तभी तुम ये मजा ले पाओगे.





मैंने हाँ कहा और अपना लंड उसकी गांड के चिकने छेद पर लगा दिया. सरला के कहे अनुसार मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर डालने लगा. उसे दर्द हो रहा था पर वो भी मुझे ये सुख देना चाहती थी . तेल की वजह से काफी आसानी हो रही थी . थोडा थोडा करके मैं उसकी गांड में घुसा जा रहा था फिर उसने रुकने को कहा और धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने को कहा. चूत मारने से काफी अलग अनुभव था ये क्योंकि गांड का छल्ला काफी कसा हुआ था लंड पर दबाव ज्यादा था. पर कहते है न की कोशिश करने वालो की हार नहीं होती. हमने भी मंजिल को पा ही लिया. मैंने सरला के गालो को दोनों हाथो में थामा और उसके गर्म जिस्म को चोदने लगा.



मैंने उस रात जाना था की क्यों चाचा इन औरतो के जिस्म का दीवाना था .सरला ने सच में समां बाँध दिया था . उसने मुझे वो सुख दिया था जो बहुत कम लोगो को नसीब होता है . मैंने जब उसकी गांड में अपना वीर्य छोड़ा तो ऐसा लगा की किसी ने जिस्म से जान ही निचोड़ ली हो . उस रात हमने दो बार चुदाई की . आधी रात से कुछ ज्यादा का समय रहा होगा मैं उसके घर से निकल कर जा रहा था . मैं गली में मूतने को रुका ही था की मैंने वैध के घर में एक औरत को जाते हुए देखा. इतनी रात में वैध के घर में कौन औरत जा सकती है. मेरा मूत ऊपर चढ़ गया वापिस से . वो औरत घर में घुस गयी . मैंने मालूम करने का सोचा की कौन होगी ये . मैं घूम कर कविता के कमरे वाली खिड़की के पास पहुंचा उसे धक्का दिया और मैं घर में घुस गया. अन्दर से दो लोगो की आवाजे आ रही थी मतलब की वैध भी घर में ही था. दबे पाँव मैं वैध के कमरे की तरफ गया और वहां जाकर जो मैंने देखा मेरी आंखे जैसे जम ही गयी............................
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Lutgaya

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वैद्य शुरु से ही रहस्मयी था। परन्तु ये तय नही है कि औरत के साथ वैद्य ही हो। HalfbludPrince भाई अब कहानी के रहस्यमयी किरदार विस्फोटक स्थिति में हैं तो धमाके जोरदार ही होंगे।
पर झ्स अपडेट में सरला की गाण्ड ने जो समा बान्धा है वो अविस्मऱणीय पल है।
पाठकों की चाहत पूरी करने के लिए धन्यवाद
 
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