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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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वो बस एक लाकेट है. नियति तो बहुत पहले तय हो गई थी
नियति तो तय ही होती है, है जीवन का प्रारब्ध तय होता है, पर कारण तो जरूरी ही होता है हर घटना/दुर्घटना के पीछे, चाहे वो कुछ भी हो।
 

agmr66608

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अब लगता है भाभी या तो जस्सी की तरह बंदूक उठा लेगी या संध्या चाची की तरह अपने ऊपर कोडे बरसाएगी।
यह संध्या चाची कौन सा कहानी मे है मित्र?
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#79



भाभी ने मुझे धक्का देकर दिवार से लगा दिया और बोली- तेरी हर गुस्ताखी को मैंने जाने दिया . सोचा की बच्चा है खेलने के दिन है पर मेरी ढील का ये मतलब नहीं की तू जो मन किया वो करेगा. आसमान में तुझे उड़ने दिया है तो मत भूलना की तेरे पर करतना भी जानती हु.



मैं- जो भी किया तुमसे बताया. जितना किया तुमको बताया कुछ भी नहीं छिपाया तुमसे. हमसे तुम्हारा दर्जा सबसे ऊपर रखा आजब ही सबसे पहले सिर्फ तुमको ही बताया .

भाभी- चंपा का ब्याह सर पर खड़ा है तू नया तमाशा मत खड़ा कर

मैं- मैं भी जानता हूँ इसलिए पहले चंपा का ब्याह होगा फिर मैं करूँगा.

भाभी- ये मुमकिन नहीं होगा , आज नहीं कल नहीं कभी नहीं

मैं- अब फर्क नहीं पड़ता , चाहे मुझे घर क्यों न छोड़ना पड़े उसका साथ नहीं छुटेगा उसका हाथ थाम आया हूँ .

भाभी- कर ले फिर अपने मन की . जब तूने फैसला ले ही लिया है तो फिर हम कौन है जो तेरा भला बुरा सोचे.

मैं- किस मिटटी की बनी हो तुम जो औरत अपनी मोहब्बत के लिए क्या कुछ कर गयी वो मेरी मोहब्बत को स्वीकारती क्यों नहीं

भाभी- क्योंकि मैं तुझे मरते हुए नहीं देख सकती .

मैं- कौन मारेगा मुझे

भाभी- जब मरेगा तो जान ही जायेगा. तुझे जहाँ भी मुह मारना है मार ले पर इतना समझ ले चंपा के ब्याह तक तेरे तमाशे इस घर से, इस गाँव से दूर रहे. मैं हरगिज नहीं चाहती की तेरी वजह से ब्याह में कोई उंच-नीच हो .

मैंने भाभी के पांवो को हाथ लगाया और बोला- चंपा के ब्याह के बाद उसे ले आऊंगा.

मैने मंगू को जगाया और बताया की कुवे पर घर बनाना है जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी .

मंगू- अभिमानु भैया से कहो पैसे तो वो ही देंगे

मैं- तू पैसो की चिंता मत कर काम शुरू करवा .

मंगू- ठीक है अभी पुजारी जी के पास जाता हूँ और ठीक समय देख कर नींव भरवाई करवा देते है .

मैं- सोच क्या रहा है फिर अभी जा

तभी चंपा भी आ गयी .

चंपा- कुवे पर क्यों मकान बना रहा है

मैं- ब्याह कर रहा हूँ मैं . इधर तेरी डोली उठी अगले दिन मैं अपनी दुल्हन लाया.

चंपा ये सुनकर मुस्कुरा पड़ी- कौन है वो जरा हमें भी तो बता

मैं- डायन

मेरी बात सुनकर उसकी मुस्कराहट तुरंत गायब हो गयी.

चंपा- मैं सोचती थी तू मजाक करता है क्या सच में

मैं- तेरी कसम .

चंपा- पर कैसे. घर वालो को मालूम होगा तब क्या होगा.

मैं- तब की तब देख लूँगा. ब्याह तो उसी से करूँगा.

चंपा- तुझसे कुछ जरुरी बात करनी है

मैं- अभी नहीं , मुझे बहुत काम है बाद में मिलते है

मैं चंपा के घर से निकला. न जाने क्यों ये सुबह बड़ी खूबसूरत लग रही थी .मैं मलिकपुर के लिए निकल गया रमा से मिलना बेहद जरुरी था .

“इतनी सुबह मेरे ठिकाने पर क्या बात है ” रमा बोली

मैं- तूने ये क्यों नहीं बताया की चाचा ने तेरे पति को मारा था .

रमा- छोटे ठाकुर कातिल नहीं थे मेरे पति के .

मैं- इतना यकीं कैसे

रमा- क्योंकि जब मेरा पति मरा तब मैं छोटे ठाकुर के साथ थी .

ये कुछ कह रही थी चाची ने कुछ कहा था .समझ नहीं आई ये बात मुझे.

मैं- तो फिर कौन था कातिल

रमा- नहीं जानती , पर जबसे मेरे आदमी ने छोटे ठाकुर और राय साहब के झगडे को देखा था तबसे वो परेशान रहने लगा था . घंटो किसी सोच में डूबा रहता . कई कई दिन तक घर नहीं आता फिर एक दिन वो मर गया.

मैं- क्या उसकी लाश जंगल में मिली थी

रमा- नहीं खेतो में.

सरला ने भी कहा था राय साहब और चाचा में झगडा हुआ था पर किस बात को लेकर और रमा के पति ने क्या सुन लिया था ऐसा को सुध बुध हो बैठा था वो.

मैं- तेरा घर इंतज़ार कर रहा है तू वापिस आजा . मैं तेरे घर को नया बनवा दूंगा.

रमा- मैं जहाँ हु ठीक हूँ

मैं- बस एक सवाल और

रमा-क्या

मैं- त्रिदेव की क्या कहानी है

रमा- कौन त्रिदेव

मैं- कोई नहीं . क्या तू ये बता सकती है की रुडा और मेरे पिता की दुश्मनी किस बात को लेकर है .



रमा-कहते है की बरसों पहले दंगल में रुडा ने राय साहब को पटक दिया था तबसे ही खटास है .

पिताजी को पहलवानी का शौक था इसमें कोई शक नहीं था क्योंकि हमारे घर में सदा से अखाडा बना था. और फिर खेल की हार को भला दिल पर कौन लेता है दुश्मनी की जड गहरी रही होगी. तभी मुझे परकाश वकील जाता दिखा मैं दौड़ कर उसके पास गया .

परकाश- तुम यहाँ

मैं- तुमसे मिलने ही जा रहा था देखो तुम मिल गए .

वकील- मुझसे क्या काम

मैं- वसीयत का चौथा पन्ना देखना है मुझे

वकील- फिर से तुम्हे समझाना पड़ेगा की ऐसा कुछ नहीं था .

मैं- देखो वकील बाबु, मैं प्यार से कह रहा हूँ मान जाओ छोटी सी बात है ये बड़ी न करो. जो मुझे चाहिए बता दो. मैं ऊँगली टेढ़ी नहीं करना चाहता

वकील- देखो कबीर. प्यार से कह रहा हूँ छोटी सी बात है जिद मत करो वसीयत के तीन हिस्से है मान लो

मैं- भोसड़ी के हमारी बिल्ली हामी से म्याऊ तुझे शाम तक का वक्त देता हूँ चौथा पन्ना मेरे हाथ में लाकर नहीं रखा तो फिर उलाहना मत देना और रोना तो बिलकुल ही मत की मैंने क्या किया तुम्हारे साथ और माफ़ी मैं लूँगा नहीं .

वकील- ये धौंस किसी और पर दिखाना , अभिमानु के भाई हो इसलिए बर्दाश्त कर रहा हूँ तुमको वर्ना न जाने क्या कर देता मैं

मैं- ठीक है फिर ये भी देखते है . तेरे हलक में हाथ डाल कर जानकारी निकाल लूँगा मैं और मर्द है तो ये बात तेरे मेरे बिच ही रहे मेरे भाई के सामने जाकर रोया तू तो मैं समझ लूँगा की नामर्द से करार कर आया कबीर.

वकील- जब तेरा दिया समय पूरा हो जाये न तो आ जाना.

मैं- ठीक है सारा दिन तेरा रात को इसी ठेके पर तू इंकार करना मुझे फिर तू क्या तेरा सारा गाँव देखेगा.

वकील ने मेरे कंधे को थपथपाया और बोला- आना जरुर रात को .










 

Rekha rani

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Awesome update, भाभी जी का रौद्र रूप की झलक मिली लेकिन ममता ने दबा दिया, आखिर में इमोशनल होकर समझाया भी, चम्पा को भी बता दिया शादी के बारे में अब चम्पा कोनसी जरूरी बात करना चाह रही थी,
रमा और चाची ने एक ही बयान को अलग अलग दिया है, प्रकाश भी पूरी धौंस में है, कही ये तो आआदमखोर नही, जो छाती थौककर रात को बुला रहा है कबीर को
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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रमा के पति की मौत के बारे में राय साहब जरूर जानते है,

इंतजार रहेगा की अभिमानु कैसे react करता है शादी को लेकर क्योंकि इतना पक्का है की वो जरूर कुछ ना कुछ जानता होगा निशा के बारे में

पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा की भाभी के शादी ना होने देने के पीछे डायन के आलावा कोई दूसरा reason है



राय साहब को इतनी जल्दबाजी में क्यों बंटवारा करना पड़ा, क्योंकि मेरे हिसाब से राय साहब इस पूरी कहानी का सबसे ज्यादा genius आदमी है बिना किसी कारण के कोई कदम नहीं उठायेगा

परकास बताएगा तो जरूर लेकिन मुझे नहीं लगता की इतनी आसानी से बताएगा
शायद कबीर को दूसरा मर्डर करना पड़ जाए लेकिन इतना जरूर है की जो भी नाम हो चौथे वसीयत में suprise जरूर मिलेगा

कबीर जब तक दिमाग के साथ डंडा नही बरसायेगा तब तक इतनी आसानी उसको कोई राज नही बताएगा
 
Last edited:

Luckyloda

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भाभी ने मुझे धक्का देकर दिवार से लगा दिया और बोली- तेरी हर गुस्ताखी को मैंने जाने दिया . सोचा की बच्चा है खेलने के दिन है पर मेरी ढील का ये मतलब नहीं की तू जो मन किया वो करेगा. आसमान में तुझे उड़ने दिया है तो मत भूलना की तेरे पर करतना भी जानती हु.



मैं- जो भी किया तुमसे बताया. जितना किया तुमको बताया कुछ भी नहीं छिपाया तुमसे. हमसे तुम्हारा दर्जा सबसे ऊपर रखा आजब ही सबसे पहले सिर्फ तुमको ही बताया .

भाभी- चंपा का ब्याह सर पर खड़ा है तू नया तमाशा मत खड़ा कर

मैं- मैं भी जानता हूँ इसलिए पहले चंपा का ब्याह होगा फिर मैं करूँगा.

भाभी- ये मुमकिन नहीं होगा , आज नहीं कल नहीं कभी नहीं

मैं- अब फर्क नहीं पड़ता , चाहे मुझे घर क्यों न छोड़ना पड़े उसका साथ नहीं छुटेगा उसका हाथ थाम आया हूँ .

भाभी- कर ले फिर अपने मन की . जब तूने फैसला ले ही लिया है तो फिर हम कौन है जो तेरा भला बुरा सोचे.

मैं- किस मिटटी की बनी हो तुम जो औरत अपनी मोहब्बत के लिए क्या कुछ कर गयी वो मेरी मोहब्बत को स्वीकारती क्यों नहीं

भाभी- क्योंकि मैं तुझे मरते हुए नहीं देख सकती .

मैं- कौन मारेगा मुझे

भाभी- जब मरेगा तो जान ही जायेगा. तुझे जहाँ भी मुह मारना है मार ले पर इतना समझ ले चंपा के ब्याह तक तेरे तमाशे इस घर से, इस गाँव से दूर रहे. मैं हरगिज नहीं चाहती की तेरी वजह से ब्याह में कोई उंच-नीच हो .

मैंने भाभी के पांवो को हाथ लगाया और बोला- चंपा के ब्याह के बाद उसे ले आऊंगा.

मैने मंगू को जगाया और बताया की कुवे पर घर बनाना है जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी .

मंगू- अभिमानु भैया से कहो पैसे तो वो ही देंगे

मैं- तू पैसो की चिंता मत कर काम शुरू करवा .

मंगू- ठीक है अभी पुजारी जी के पास जाता हूँ और ठीक समय देख कर नींव भरवाई करवा देते है .

मैं- सोच क्या रहा है फिर अभी जा

तभी चंपा भी आ गयी .

चंपा- कुवे पर क्यों मकान बना रहा है

मैं- ब्याह कर रहा हूँ मैं . इधर तेरी डोली उठी अगले दिन मैं अपनी दुल्हन लाया.

चंपा ये सुनकर मुस्कुरा पड़ी- कौन है वो जरा हमें भी तो बता

मैं- डायन

मेरी बात सुनकर उसकी मुस्कराहट तुरंत गायब हो गयी.

चंपा- मैं सोचती थी तू मजाक करता है क्या सच में

मैं- तेरी कसम .

चंपा- पर कैसे. घर वालो को मालूम होगा तब क्या होगा.

मैं- तब की तब देख लूँगा. ब्याह तो उसी से करूँगा.

चंपा- तुझसे कुछ जरुरी बात करनी है

मैं- अभी नहीं , मुझे बहुत काम है बाद में मिलते है

मैं चंपा के घर से निकला. न जाने क्यों ये सुबह बड़ी खूबसूरत लग रही थी .मैं मलिकपुर के लिए निकल गया रमा से मिलना बेहद जरुरी था .

“इतनी सुबह मेरे ठिकाने पर क्या बात है ” रमा बोली

मैं- तूने ये क्यों नहीं बताया की चाचा ने तेरे पति को मारा था .

रमा- छोटे ठाकुर कातिल नहीं थे मेरे पति के .

मैं- इतना यकीं कैसे

रमा- क्योंकि जब मेरा पति मरा तब मैं छोटे ठाकुर के साथ थी .

ये कुछ कह रही थी चाची ने कुछ कहा था .समझ नहीं आई ये बात मुझे.

मैं- तो फिर कौन था कातिल

रमा- नहीं जानती , पर जबसे मेरे आदमी ने छोटे ठाकुर और राय साहब के झगडे को देखा था तबसे वो परेशान रहने लगा था . घंटो किसी सोच में डूबा रहता . कई कई दिन तक घर नहीं आता फिर एक दिन वो मर गया.

मैं- क्या उसकी लाश जंगल में मिली थी

रमा- नहीं खेतो में.

सरला ने भी कहा था राय साहब और चाचा में झगडा हुआ था पर किस बात को लेकर और रमा के पति ने क्या सुन लिया था ऐसा को सुध बुध हो बैठा था वो.

मैं- तेरा घर इंतज़ार कर रहा है तू वापिस आजा . मैं तेरे घर को नया बनवा दूंगा.

रमा- मैं जहाँ हु ठीक हूँ

मैं- बस एक सवाल और

रमा-क्या

मैं- त्रिदेव की क्या कहानी है

रमा- कौन त्रिदेव

मैं- कोई नहीं . क्या तू ये बता सकती है की रुडा और मेरे पिता की दुश्मनी किस बात को लेकर है .



रमा-कहते है की बरसों पहले दंगल में रुडा ने राय साहब को पटक दिया था तबसे ही खटास है .

पिताजी को पहलवानी का शौक था इसमें कोई शक नहीं था क्योंकि हमारे घर में सदा से अखाडा बना था. और फिर खेल की हार को भला दिल पर कौन लेता है दुश्मनी की जड गहरी रही होगी. तभी मुझे परकाश वकील जाता दिखा मैं दौड़ कर उसके पास गया .

परकाश- तुम यहाँ

मैं- तुमसे मिलने ही जा रहा था देखो तुम मिल गए .

वकील- मुझसे क्या काम

मैं- वसीयत का चौथा पन्ना देखना है मुझे

वकील- फिर से तुम्हे समझाना पड़ेगा की ऐसा कुछ नहीं था .

मैं- देखो वकील बाबु, मैं प्यार से कह रहा हूँ मान जाओ छोटी सी बात है ये बड़ी न करो. जो मुझे चाहिए बता दो. मैं ऊँगली टेढ़ी नहीं करना चाहता

वकील- देखो कबीर. प्यार से कह रहा हूँ छोटी सी बात है जिद मत करो वसीयत के तीन हिस्से है मान लो

मैं- भोसड़ी के हमारी बिल्ली हामी से म्याऊ तुझे शाम तक का वक्त देता हूँ चौथा पन्ना मेरे हाथ में लाकर नहीं रखा तो फिर उलाहना मत देना और रोना तो बिलकुल ही मत की मैंने क्या किया तुम्हारे साथ और माफ़ी मैं लूँगा नहीं .

वकील- ये धौंस किसी और पर दिखाना , अभिमानु के भाई हो इसलिए बर्दाश्त कर रहा हूँ तुमको वर्ना न जाने क्या कर देता मैं

मैं- ठीक है फिर ये भी देखते है . तेरे हलक में हाथ डाल कर जानकारी निकाल लूँगा मैं और मर्द है तो ये बात तेरे मेरे बिच ही रहे मेरे भाई के सामने जाकर रोया तू तो मैं समझ लूँगा की नामर्द से करार कर आया कबीर.

वकील- जब तेरा दिया समय पूरा हो जाये न तो आ जाना.

मैं- ठीक है सारा दिन तेरा रात को इसी ठेके पर तू इंकार करना मुझे फिर तू क्या तेरा सारा गाँव देखेगा.

वकील ने मेरे कंधे को थपथपाया और बोला- आना जरुर रात को .










Bhut shandaar update fozi bhai......



Bhabhi ne 1 baar Phir saaf mana kar diya daakan se biyah ko...

Par kabir bhi apni jid par ada hua hai....


Aaj pahli Baar champa ne shyad kuch kahna chaha par ab uski kon sune 🤣🤣🤣🤣


Aur bahanchod vakil to bhut pahuchi huyi chij nikla.... shyad.. sala kabir ko ulti dhamki hi de rha hai......



Rudra aur rai sahab ki dushmani ki wajah bhi kuch tagdi ho hogi
 

Mastmalang

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#79



भाभी ने मुझे धक्का देकर दिवार से लगा दिया और बोली- तेरी हर गुस्ताखी को मैंने जाने दिया . सोचा की बच्चा है खेलने के दिन है पर मेरी ढील का ये मतलब नहीं की तू जो मन किया वो करेगा. आसमान में तुझे उड़ने दिया है तो मत भूलना की तेरे पर करतना भी जानती हु.



मैं- जो भी किया तुमसे बताया. जितना किया तुमको बताया कुछ भी नहीं छिपाया तुमसे. हमसे तुम्हारा दर्जा सबसे ऊपर रखा आजब ही सबसे पहले सिर्फ तुमको ही बताया .

भाभी- चंपा का ब्याह सर पर खड़ा है तू नया तमाशा मत खड़ा कर

मैं- मैं भी जानता हूँ इसलिए पहले चंपा का ब्याह होगा फिर मैं करूँगा.

भाभी- ये मुमकिन नहीं होगा , आज नहीं कल नहीं कभी नहीं

मैं- अब फर्क नहीं पड़ता , चाहे मुझे घर क्यों न छोड़ना पड़े उसका साथ नहीं छुटेगा उसका हाथ थाम आया हूँ .

भाभी- कर ले फिर अपने मन की . जब तूने फैसला ले ही लिया है तो फिर हम कौन है जो तेरा भला बुरा सोचे.

मैं- किस मिटटी की बनी हो तुम जो औरत अपनी मोहब्बत के लिए क्या कुछ कर गयी वो मेरी मोहब्बत को स्वीकारती क्यों नहीं

भाभी- क्योंकि मैं तुझे मरते हुए नहीं देख सकती .

मैं- कौन मारेगा मुझे

भाभी- जब मरेगा तो जान ही जायेगा. तुझे जहाँ भी मुह मारना है मार ले पर इतना समझ ले चंपा के ब्याह तक तेरे तमाशे इस घर से, इस गाँव से दूर रहे. मैं हरगिज नहीं चाहती की तेरी वजह से ब्याह में कोई उंच-नीच हो .

मैंने भाभी के पांवो को हाथ लगाया और बोला- चंपा के ब्याह के बाद उसे ले आऊंगा.

मैने मंगू को जगाया और बताया की कुवे पर घर बनाना है जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी .

मंगू- अभिमानु भैया से कहो पैसे तो वो ही देंगे

मैं- तू पैसो की चिंता मत कर काम शुरू करवा .

मंगू- ठीक है अभी पुजारी जी के पास जाता हूँ और ठीक समय देख कर नींव भरवाई करवा देते है .

मैं- सोच क्या रहा है फिर अभी जा

तभी चंपा भी आ गयी .

चंपा- कुवे पर क्यों मकान बना रहा है

मैं- ब्याह कर रहा हूँ मैं . इधर तेरी डोली उठी अगले दिन मैं अपनी दुल्हन लाया.

चंपा ये सुनकर मुस्कुरा पड़ी- कौन है वो जरा हमें भी तो बता

मैं- डायन

मेरी बात सुनकर उसकी मुस्कराहट तुरंत गायब हो गयी.

चंपा- मैं सोचती थी तू मजाक करता है क्या सच में

मैं- तेरी कसम .

चंपा- पर कैसे. घर वालो को मालूम होगा तब क्या होगा.

मैं- तब की तब देख लूँगा. ब्याह तो उसी से करूँगा.

चंपा- तुझसे कुछ जरुरी बात करनी है

मैं- अभी नहीं , मुझे बहुत काम है बाद में मिलते है

मैं चंपा के घर से निकला. न जाने क्यों ये सुबह बड़ी खूबसूरत लग रही थी .मैं मलिकपुर के लिए निकल गया रमा से मिलना बेहद जरुरी था .

“इतनी सुबह मेरे ठिकाने पर क्या बात है ” रमा बोली

मैं- तूने ये क्यों नहीं बताया की चाचा ने तेरे पति को मारा था .

रमा- छोटे ठाकुर कातिल नहीं थे मेरे पति के .

मैं- इतना यकीं कैसे

रमा- क्योंकि जब मेरा पति मरा तब मैं छोटे ठाकुर के साथ थी .

ये कुछ कह रही थी चाची ने कुछ कहा था .समझ नहीं आई ये बात मुझे.

मैं- तो फिर कौन था कातिल

रमा- नहीं जानती , पर जबसे मेरे आदमी ने छोटे ठाकुर और राय साहब के झगडे को देखा था तबसे वो परेशान रहने लगा था . घंटो किसी सोच में डूबा रहता . कई कई दिन तक घर नहीं आता फिर एक दिन वो मर गया.

मैं- क्या उसकी लाश जंगल में मिली थी

रमा- नहीं खेतो में.

सरला ने भी कहा था राय साहब और चाचा में झगडा हुआ था पर किस बात को लेकर और रमा के पति ने क्या सुन लिया था ऐसा को सुध बुध हो बैठा था वो.

मैं- तेरा घर इंतज़ार कर रहा है तू वापिस आजा . मैं तेरे घर को नया बनवा दूंगा.

रमा- मैं जहाँ हु ठीक हूँ

मैं- बस एक सवाल और

रमा-क्या

मैं- त्रिदेव की क्या कहानी है

रमा- कौन त्रिदेव

मैं- कोई नहीं . क्या तू ये बता सकती है की रुडा और मेरे पिता की दुश्मनी किस बात को लेकर है .



रमा-कहते है की बरसों पहले दंगल में रुडा ने राय साहब को पटक दिया था तबसे ही खटास है .

पिताजी को पहलवानी का शौक था इसमें कोई शक नहीं था क्योंकि हमारे घर में सदा से अखाडा बना था. और फिर खेल की हार को भला दिल पर कौन लेता है दुश्मनी की जड गहरी रही होगी. तभी मुझे परकाश वकील जाता दिखा मैं दौड़ कर उसके पास गया .

परकाश- तुम यहाँ

मैं- तुमसे मिलने ही जा रहा था देखो तुम मिल गए .

वकील- मुझसे क्या काम

मैं- वसीयत का चौथा पन्ना देखना है मुझे

वकील- फिर से तुम्हे समझाना पड़ेगा की ऐसा कुछ नहीं था .

मैं- देखो वकील बाबु, मैं प्यार से कह रहा हूँ मान जाओ छोटी सी बात है ये बड़ी न करो. जो मुझे चाहिए बता दो. मैं ऊँगली टेढ़ी नहीं करना चाहता

वकील- देखो कबीर. प्यार से कह रहा हूँ छोटी सी बात है जिद मत करो वसीयत के तीन हिस्से है मान लो

मैं- भोसड़ी के हमारी बिल्ली हामी से म्याऊ तुझे शाम तक का वक्त देता हूँ चौथा पन्ना मेरे हाथ में लाकर नहीं रखा तो फिर उलाहना मत देना और रोना तो बिलकुल ही मत की मैंने क्या किया तुम्हारे साथ और माफ़ी मैं लूँगा नहीं .

वकील- ये धौंस किसी और पर दिखाना , अभिमानु के भाई हो इसलिए बर्दाश्त कर रहा हूँ तुमको वर्ना न जाने क्या कर देता मैं

मैं- ठीक है फिर ये भी देखते है . तेरे हलक में हाथ डाल कर जानकारी निकाल लूँगा मैं और मर्द है तो ये बात तेरे मेरे बिच ही रहे मेरे भाई के सामने जाकर रोया तू तो मैं समझ लूँगा की नामर्द से करार कर आया कबीर.

वकील- जब तेरा दिया समय पूरा हो जाये न तो आ जाना.

मैं- ठीक है सारा दिन तेरा रात को इसी ठेके पर तू इंकार करना मुझे फिर तू क्या तेरा सारा गाँव देखेगा.

वकील ने मेरे कंधे को थपथपाया और बोला- आना जरुर रात को .
Kahani me Har bar jab lagta hai ki Ab panne khul rahe hai tab ek naya Suspence aa jata hai
 

Studxyz

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भाभी का बर्ताव नपा तुला सा रहा च्म्पा चोदू की तैयारियां तो ऐसे चल रही है जैसे की घर की सगी हो है असल में कबीर की दोस्ती की क़ातिल

प्रकाश भोसड़ी का बहुत उछल रहा है पर किस की शह पर उड़ रहा है इसको ठोकना पड़ेगा

चाची व् रमा की बातों में फर्क है क्यों कि घर से लेकर बाहर वाले तक कबीर से छुपाने पर लगे हैं चाहे वो कुछ भी पूछे उसे बातों व् बहानों का खिलौना थमा देते है
 
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brego4

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shadi to jab hogi tab hogi kabir ne sab ke beech shor zaroor dal diya ye jante hue bhi ki dayan se shadi is not practical, could have kept it as secret for sometime aur may be bhabhi bhai ko ye sab batein batati rahi ho

Parkash ke bevaiour ajeeb laga use koi dar nahi ulta wo kabir ko hi ankhein dikha gya usko Rai sahab ki back lagti hai aur my be abhimanu ki bhi hogi nahi to uski aisi kya majaal ? 4th will jis ki bhi ho hogi wo surprising hi

Champa ke pass ab kehna ko kya reh gya hai ki bhabhi ne rai sahab ke bare me jhoot bola hai aur uska koi relation nahi hai
 
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