Bhai..Itne acche aur details mIn comment karte ho..Apni bhi ek lajwab kahani likh doवही मैं कहूं की फौजी भाई की कहानी हो और नायक की सब तरफ से मारी ना जाए, ये भला कैसे संभव है...
राय साहब... अभी तक की कहानी के आधार पर इस पूरे कथानक का सबसे नीच और वहियाद व्यक्ति राय साहब ही है। लाली, जिसके पति ने सदैव उसके साथ अन्याय किया और उस अन्याय से तंग आकर उसने सच्चे प्रेम की तलाश में समाज की सीमाओं को लांघ दिया, उस लाली की सरेआम हत्या कर दी गई, उसके प्रेमी के साथ ही... और इधर, वो सजा देकर अपने आपको भगवान समान बताने वाला नीच व्यक्ति ना केवल अपनी बेटी समान लड़की को गर्भवती कर चुका है, बल्कि संभव है की उसके संबंध अपने छोटे भाई की बीवी के साथ भी हों.. और ये भी संभव है की चाची के पति की कहानी में अनुपस्थिति के पीछे भी विशमबर दयाल ही वजह हो।
खैर, जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूं की निशा के अतिरिक्त इस कहानी में कोई भी ऐसा किरदार है ही नहीं जिसपर कबीर विश्वास कर सके (अभी निशा की विश्वसनीयता भी पक्की नहीं है)... चम्पा, चाहे वो बाद में कितनी ही बेचारी बनने का ढोंग क्यों न कर ले, सत्य से नहीं भाग पाएगी। वो ना केवल कबीर को धोखा दे रही है बल्कि संभव है की मंगू को भी छल रही हो, सबसे बड़ी बात वो अपने होने वाले पति, शेखर को भी दगा दे रही है। ये तो निश्चित है की भविष्य में वो कोई न कोई व्यथा सुनकर अपने आप को निर्दोष अवश्य साबित कर लेगी, संभव है की कबीर से प्रेम होने का भी ढोंग करे... पर देखना ये है की असल में उसका प्रयोजन क्या है, कबीर से किस प्रकार का बैर है उसे!
मंगू, अब लगने लगा है की कबीर से भी ज़्यादा उसे चूतिया बनाया जा रहा है। जितने दुख के साथ चम्पा ने मंगू के साथ संबंध होने की बात कबीर को बताई थी उससे लगा था की जाने कितनी ही मजबूर होगी वो, और जाने कितने कष्ट देता होगा मंगू उसे। परंतु, सच तो यही है की चम्पा को मंगू सचमें भोगता था, ये भी प्रमाणित नहीं हुआ है। चम्पा के किसी भी कथन पर अब यदि कबीर भरोसा करता है तो उसे ही सबसे पहले आदमखोर द्वारा मार दिया जाना चाहिए, इधर मंगू ने जब कबीर से अपने राज़ कहे थे, तब जिस अपराध की बात वो कर रहा था, हो सकता है असल में वो कुछ और ही हो।
अभिमानु... कहीं न कहीं लगने लगा है की चम्पा उसके साथ भी सोती है। सबसे पहली बात तो ये की अभिमानु निश्चित तौर पर अपने बाप के काले कारनामों से वाकिफ है, दूसरा, उसका सूरजभान से कोई न कोई संबंध अवश्य है। पहली संभावना ये है की सूरजभान, विशम्बर दयाल के ही बीज की फसल हो, और दूसरा ये की अभिमानु समलैंगिक हो... इस स्थिति में भाभी की गोद सूनी होने का तर्क भी सिद्ध हो जाता है। तीसरी संभावना ये भी है की सूरजभान और अभिमानु, दोनों ही वो आदमखोर जीव हों। उस दिन जब वो आदमखोर कबीर के हत्थे चढ़ा था, तब कबीर को वो कुछ कमज़ोर प्रतीत हुआ था। हो सकता है की हमेशा अभिमानु से कबीर की भिड़ंत होती हो, और उस दिन अभिमानु की जगह सूरजभान आया हो अपनी रक्त – पिपासा मिटाने हेतु।
चाची... बन तो वो बेहद ही पवित्र रही है परंतु जिसके संबंध अपने भतीजे के साथ इतनी सरलता से स्थापित हो गए हों, उसकी विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ ही जाती है। कबीर चाची के प्रति शारीरिक रूप से आकर्षित था, चाचा के ना होने से चाची के कष्टों का बोध भी था उसे और अब शायद वो चाची को सच्चे मन से चाहने भी लगा है। परंतु क्या चाची के संबंध केवल कबीर से ही हैं? मुझे नहीं लगता, इसका पहला कारण तो यही है की चाची – ताई जैसे किरदार कितने सीधे होते हैं फौजी भाई की कहानियों में, ये हम भली – भांति जानते हैं...
अंत में यदि भाभी की बात की जाए तो मुझे नहीं लगता की वो भी भरोसे के काबिल है। सीधी सी बात है की अगर इतनी ही चिंता है कबीर की तो सीधे और साफ शब्दों में सब कुछ क्यों नहीं कह देती उससे? अब यहां कोई क्विज़ कंप्टीशन तो है नहीं की कबीर को पहेलियां दी जायेंगी जो वो खुद ही सुलझाए, स्पष्ट है की भाभी के अपने दामन के दागदार होने की संभावना भी है, शायद तभी सम्पूर्ण सत्य कहने की हिम्मत नहीं हुई होगी उसकी। आखिर, दूसरों को ही दोषी ठहरा सकती है वो, अपनी तो कहेगी नहीं।
कहानी का अभी तक का सार यही है की कबीर से जुड़े सभी व्यक्ति एक – दूसरे से मिले हुए हैं, एक – दूसरे के राजदार हैं, और इन सबका सरगना विशम्बर दयाल ही है। कबीर शायद विशंबर दयाल का अपना खून हो ही ना? संभव है की कबीर का अस्तित्व इन सबसे जुड़ा हुआ हो ही ना! अब प्रतीक्षा है तो केवल निशा के आगमन की, आशा है की कम से कम वो कबीर का ना काट रही हो...
सभी भाग बहुत ही बढ़िया थे भाई। जैसा की सभी पाठकों ने कहा ही है की कबीर का किरदार प्रीत के कुंदन की तरह हो रहा है, अर्थात मूर्खता और नासमझी की तरफ उसका झुकाव बढ़ रहा है। परंतु कहीं न कहीं मुझे लगता है की ये कहानी आपकी पूर्व कहानियों से कुछ अलग है, निशा की उपस्थिति ही इसे सबसे भिन्न बनाती है, और साथ ही कबीर के किरदार का सुदृढ़ होना भी अभी बाकी है, संभव है की भविष्य में एक नया ही कबीर हमें देखने को मिले।
प्रतीक्षा अगले भाग की...
HalfbludPrince भाई मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूं। जिस गति से आपने पर्दे लगाएं हैं उसी गति से पर्दा उठाएंगे तो पाठको का मजा दुगुना हो जाएगा।इस कहानी में में लगभग 90% प्रश्न आ चुके है, कुछ और प्रश्न add होंगे फिर सारे राज खुलना शुरू होंगे
फौजी भाई जब राज खोलना शुरू करोगे तो हड़बड़ाना मत, कहानी को आराम आराम से चलने दो, कहानी एकदम सही मोड़ पर है
हर राज को खोलो लेकिन एक–एक करके,पर्याप्त समय लेकर, at least लगना चाहिए की जिन रहस्यों के लिए इतना दिन से wait कर रहे थे वो worth it था, चाहे फिर उसके लिए 50 update ज्यादा ही क्यों न देगा पड़े
मतलब बस इतना सा है की कहानी लंबी और इंतजार वाली होगी तो दिक्कत नही होगी, बस अंत में feel आना चाहिए की सही चीज के लिए wait किए थे
भाई एक request और है please एक और अपडेट दे दो
वैसे कहानी के राज धीरे धीरे ही खुलें तो ज्यादा मजा है, एक साथ सब खुलने से सब एक साथ खत्म हुआ सा लगता है।HalfbludPrince भाई मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूं। जिस गति से आपने पर्दे लगाएं हैं उसी गति से पर्दा उठाएंगे तो पाठको का मजा दुगुना हो जाएगा।
एक दो अपडेट में सारे राज खोले तो लगता है जैसे जबरदस्ती सारे पत्ते फेंककर खेल खत्म किया गया है।
Jabardast update#75
फिर मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की आसमान बादलो से भरा था . हवाए जोरो से चल रही थी. एक रात में मौसम का अचानक बदलना ठीक नहीं था फिर ख्याल आया की मेरी तो फसल वैसे ही बर्बाद हो गयी थी इस बारी. बाहर आकर मैंने नज़ारे का आनंद लिया. काली घटाओ से आसमान गुलजार था . लगता था की बस अब बारिश पड़ी. दिन को जैसे रात ने घेर लिया था .
“क्या देख रहे हो ” भाभी ने मेरी तरफ चाय का प्याला बढाते हुए कहा.
मैं- ऐसा लगता है की जैसे वो मुझसे मिलने आ रही हो. ये हवाए कह रही है की आज मुलाकात होगी .
मैंने भाभी को छेड़ा
भाभी- तुम्हे बर्बाद होना है तुम होकर रहोगे.
मैं- वो मेरी नियति देख लेगी. फ़िलहाल तो मुझे इस नजारे को देखना है
भाभी- कल रात कहा गए थे तुम
मैं- उसी के पास . मेरी हर रात अब उसके साथ ही गुजरेगी
भाभी- तुम तो नादान हो कम से कम उसे तो समझना चाहिए
मैं- नादाँ तो कभी आप भी रही होंगे . आपने अपनी मोहब्बत के लिए सब कुछ सहा और फिर मैं तो आपकी परवरिश हूँ मैं न जाने क्या कर जाऊंगा वैसे भी दीवानों को कहाँ ये बाते समझ आती है आप तो जानती है न
भाभी- जानती हूँ इसलिए तो कह रही हूँ. बारूद के ढेर पर बैठ कर चिनगारियो को हवा नहीं देते.
मैं- जानती होती तो कहती देवर उसे ले आ इस घर की छोटी बहु बना कर
भाभी- जो हो नहीं पायेगा उसका ख्याल भी क्या करना.
मैं -जाने दो फिर. मुझे जीने दो मेरे ख्यालो में जब तक उसका साथ है इस खूबसूरत दौर को जी भर कर जीना चाहता हूँ मैं .
भाभी- पर मैं तुझे मरते हुए नहीं देख पाउंगी
मैं- नियति का लिखा कौन बदल सकता है
भाभी ने गुस्से से देखा और पैर पटकते हुए चल पड़ी. नासाज मौसम की वजह से मैंने नहाने का विचार किया ही नहीं और खाना खाने के बाद फिर से उसी कमरे में पहुँच गया . पर निराशा ही हाथ लगी भैया ने वो तस्वीर हटा दी थी वहां से. कुछ तो जरुर था उस तस्वीर में . वो तस्वीर भैया के अतीत को जानने की चाबी लगी मुझे.
साइकिल उठाई और मैं निकल गया खेतो की तरफ. ऐसे गदराये मौसम में घुमने का अपना ही सुख था. घूमते घूमते मैं मोड़ पर पहुंचा जहा से एक रास्ता कुवे पर दूजा जंगल की तरफ जाता था . मन किया की रमा से मिल लिया जाये आधी दुरी तय की थी की मैंने कच्ची सडक के बीचो बिच एक गाड़ी खड़ी देखि , जिसके दरवाजे खुले हुए थे. ऐसे कौन खुली गाड़ी छोड़ कर जायेगा. मैंने साइकिल खड़ी की और गाड़ी को देखने लगा.
“कुछ नहीं मिलेगा तुम्हे चुराने को ” आवाज की तरफ मैंने पलट कर देखा . थोड़ी दुरी पर एक औरत थी जो हाथो में किताब लिए हुए थी. चेहरे पर झूलती लटे. आँखों पर चश्मा बहुत ही खूबसूरत थी वो .
मैं- चोर समझा है क्या .
औरत- दुसरो के सामान की बिना परमिशन कौन जांच करता है फिर.
उसकी भाषा से मैं समझ गया की ये शहरी मेंम है . क्या यही रुडा की बेटी है मैंने खुद से सवाल किया .
वो- ऐसे क्या देख रहे हो .
मैं- आप रुडा की बेटी है न
मैंने पक्का करने के लिए सवाल किया .
उसने किताब निचे रखी और बोली- बदकिस्मती से.
मैं- बड़ी शिद्दत से मैं आपसे मिलना चाहता था .
उसने मुझे ऊपर से निचे तक देखा और बोली- मुझसे पर क्यों मैं तो तुमको जानती भी नहीं.
मैं- अभिमानु ठाकुर को तो जानती हो उनका छोटा भाई हूँ मैं
उसने फिर से देखा मुझे और बोली- क्यों मिलना चाहते थे मुझसे
मैं- बस ये पूछना था की भैया और आप एक दुसरे से प्यार करते थे क्या .
उसने अपना चस्मा उतारा और बोली- पहले मुझे बताओ की तुम प्यार को कैसे समझते हो .
मैं- नहीं जानता
वो- तो फिर प्रश्न मत पूछो
मैं- मेरी दुविधा ही ऐसी है . मैं अतीत को तलाश रहा हूँ क्योंकि मेरा वर्तमान उलझ रहा है उसकी वजह से .
वो- मैं अभिमानु से कभी प्यार नहीं करती थी . पर जब तुम इस सवाल तक पहुँच गए हो तो यकीनन बहुत कुछ मालूम कर ही लिया होगा.
मैं- आप से मदद की बड़ी उम्मीद है मुझे.
वो- मैं बरसों पहले घर छोड़ चुकी हूँ , कभी कभी जब मन नहीं मानता तो यहाँ आ जाती हूँ . यही इसी जंगल में सकूं की तलाश में
मैं- इस जंगल में सकून उसी को मिलता है जिसकी कोई कहानी रही हो यहाँ से .
वो- तो तुम्हे क्या लगता है मैं अनजानी हूँ यहाँ से . अरे बचपन बीता है हमारा यहाँ.
मैं- तो फिर बताओ इस जंगल में क्या छिपा है
वो- जिन्दगी छिपी है यहाँ , दोस्ती छिपी है दुश्मनी छिपी है . जिद छुपी है .अरमान छुपे है , हताशा छुपी है दिल मिले है दर्द मिला है .
मैं- सूरजभान को क्या तलाश है इस जंगल में
वो- सच की तलाश उस सच की जो यही कहीं छुपा है
मैं- कैसा सच
वो- वही सच जिसके लिए तुम भटक रहे हो . वो ही सच की कौन है वो आदमखोर .
वो उठ कर मेरे पास आई और अपने गले से एक चांदी की चेन उतार कर मेरे हाथ दे देते हुए बोली- मेरी तरफ से एक छोटा सा तोहफा. जाने का समय हो गया हम फिर कभी नहीं मिलेंगे.
वो दो चार कदम आगे बढ़ी थी की मैंने उसे आवाज दी- आप प्यार करती है न भैया से .
वो मुड कर मेरे पास आई और बोली- अभिमानु भाई है मेरा , राखी बांधती हूँ मैं उसे. मैंने तुमसे पहले ही कहा था की ये तुम पर निर्भर है की तुम प्यार को कैसे समझते हो.
मैं- आपने घर क्यों छोड़ा
वो- मेरे बाप को मेरी गुस्ताखी पसंद नहीं आई. मैं आसमान देखना चाहती थी वो मेरे पांव बांधना चाहता था . अभिमानु न होता तो मैं अपनी जिन्दगी जी नहीं पाती.
मैं- बस एक सवाल और , भैया ने एक तस्वीर छुपाई हुई है जिसमे तीन लोग है
वो- त्रिदेव, तीन दोस्तों की कहानी ढूंढो . फिर किसी से कोई सवाल नहीं करना पड़ेगा.
जाते जाते उसने मुझे गले लगाया और बोली- मेरे भाई पर कभी शक मत करना
Nyc update bhai#75
फिर मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की आसमान बादलो से भरा था . हवाए जोरो से चल रही थी. एक रात में मौसम का अचानक बदलना ठीक नहीं था फिर ख्याल आया की मेरी तो फसल वैसे ही बर्बाद हो गयी थी इस बारी. बाहर आकर मैंने नज़ारे का आनंद लिया. काली घटाओ से आसमान गुलजार था . लगता था की बस अब बारिश पड़ी. दिन को जैसे रात ने घेर लिया था .
“क्या देख रहे हो ” भाभी ने मेरी तरफ चाय का प्याला बढाते हुए कहा.
मैं- ऐसा लगता है की जैसे वो मुझसे मिलने आ रही हो. ये हवाए कह रही है की आज मुलाकात होगी .
मैंने भाभी को छेड़ा
भाभी- तुम्हे बर्बाद होना है तुम होकर रहोगे.
मैं- वो मेरी नियति देख लेगी. फ़िलहाल तो मुझे इस नजारे को देखना है
भाभी- कल रात कहा गए थे तुम
मैं- उसी के पास . मेरी हर रात अब उसके साथ ही गुजरेगी
भाभी- तुम तो नादान हो कम से कम उसे तो समझना चाहिए
मैं- नादाँ तो कभी आप भी रही होंगे . आपने अपनी मोहब्बत के लिए सब कुछ सहा और फिर मैं तो आपकी परवरिश हूँ मैं न जाने क्या कर जाऊंगा वैसे भी दीवानों को कहाँ ये बाते समझ आती है आप तो जानती है न
भाभी- जानती हूँ इसलिए तो कह रही हूँ. बारूद के ढेर पर बैठ कर चिनगारियो को हवा नहीं देते.
मैं- जानती होती तो कहती देवर उसे ले आ इस घर की छोटी बहु बना कर
भाभी- जो हो नहीं पायेगा उसका ख्याल भी क्या करना.
मैं -जाने दो फिर. मुझे जीने दो मेरे ख्यालो में जब तक उसका साथ है इस खूबसूरत दौर को जी भर कर जीना चाहता हूँ मैं .
भाभी- पर मैं तुझे मरते हुए नहीं देख पाउंगी
मैं- नियति का लिखा कौन बदल सकता है
भाभी ने गुस्से से देखा और पैर पटकते हुए चल पड़ी. नासाज मौसम की वजह से मैंने नहाने का विचार किया ही नहीं और खाना खाने के बाद फिर से उसी कमरे में पहुँच गया . पर निराशा ही हाथ लगी भैया ने वो तस्वीर हटा दी थी वहां से. कुछ तो जरुर था उस तस्वीर में . वो तस्वीर भैया के अतीत को जानने की चाबी लगी मुझे.
साइकिल उठाई और मैं निकल गया खेतो की तरफ. ऐसे गदराये मौसम में घुमने का अपना ही सुख था. घूमते घूमते मैं मोड़ पर पहुंचा जहा से एक रास्ता कुवे पर दूजा जंगल की तरफ जाता था . मन किया की रमा से मिल लिया जाये आधी दुरी तय की थी की मैंने कच्ची सडक के बीचो बिच एक गाड़ी खड़ी देखि , जिसके दरवाजे खुले हुए थे. ऐसे कौन खुली गाड़ी छोड़ कर जायेगा. मैंने साइकिल खड़ी की और गाड़ी को देखने लगा.
“कुछ नहीं मिलेगा तुम्हे चुराने को ” आवाज की तरफ मैंने पलट कर देखा . थोड़ी दुरी पर एक औरत थी जो हाथो में किताब लिए हुए थी. चेहरे पर झूलती लटे. आँखों पर चश्मा बहुत ही खूबसूरत थी वो .
मैं- चोर समझा है क्या .
औरत- दुसरो के सामान की बिना परमिशन कौन जांच करता है फिर.
उसकी भाषा से मैं समझ गया की ये शहरी मेंम है . क्या यही रुडा की बेटी है मैंने खुद से सवाल किया .
वो- ऐसे क्या देख रहे हो .
मैं- आप रुडा की बेटी है न
मैंने पक्का करने के लिए सवाल किया .
उसने किताब निचे रखी और बोली- बदकिस्मती से.
मैं- बड़ी शिद्दत से मैं आपसे मिलना चाहता था .
उसने मुझे ऊपर से निचे तक देखा और बोली- मुझसे पर क्यों मैं तो तुमको जानती भी नहीं.
मैं- अभिमानु ठाकुर को तो जानती हो उनका छोटा भाई हूँ मैं
उसने फिर से देखा मुझे और बोली- क्यों मिलना चाहते थे मुझसे
मैं- बस ये पूछना था की भैया और आप एक दुसरे से प्यार करते थे क्या .
उसने अपना चस्मा उतारा और बोली- पहले मुझे बताओ की तुम प्यार को कैसे समझते हो .
मैं- नहीं जानता
वो- तो फिर प्रश्न मत पूछो
मैं- मेरी दुविधा ही ऐसी है . मैं अतीत को तलाश रहा हूँ क्योंकि मेरा वर्तमान उलझ रहा है उसकी वजह से .
वो- मैं अभिमानु से कभी प्यार नहीं करती थी . पर जब तुम इस सवाल तक पहुँच गए हो तो यकीनन बहुत कुछ मालूम कर ही लिया होगा.
मैं- आप से मदद की बड़ी उम्मीद है मुझे.
वो- मैं बरसों पहले घर छोड़ चुकी हूँ , कभी कभी जब मन नहीं मानता तो यहाँ आ जाती हूँ . यही इसी जंगल में सकूं की तलाश में
मैं- इस जंगल में सकून उसी को मिलता है जिसकी कोई कहानी रही हो यहाँ से .
वो- तो तुम्हे क्या लगता है मैं अनजानी हूँ यहाँ से . अरे बचपन बीता है हमारा यहाँ.
मैं- तो फिर बताओ इस जंगल में क्या छिपा है
वो- जिन्दगी छिपी है यहाँ , दोस्ती छिपी है दुश्मनी छिपी है . जिद छुपी है .अरमान छुपे है , हताशा छुपी है दिल मिले है दर्द मिला है .
मैं- सूरजभान को क्या तलाश है इस जंगल में
वो- सच की तलाश उस सच की जो यही कहीं छुपा है
मैं- कैसा सच
वो- वही सच जिसके लिए तुम भटक रहे हो . वो ही सच की कौन है वो आदमखोर .
वो उठ कर मेरे पास आई और अपने गले से एक चांदी की चेन उतार कर मेरे हाथ दे देते हुए बोली- मेरी तरफ से एक छोटा सा तोहफा. जाने का समय हो गया हम फिर कभी नहीं मिलेंगे.
वो दो चार कदम आगे बढ़ी थी की मैंने उसे आवाज दी- आप प्यार करती है न भैया से .
वो मुड कर मेरे पास आई और बोली- अभिमानु भाई है मेरा , राखी बांधती हूँ मैं उसे. मैंने तुमसे पहले ही कहा था की ये तुम पर निर्भर है की तुम प्यार को कैसे समझते हो.
मैं- आपने घर क्यों छोड़ा
वो- मेरे बाप को मेरी गुस्ताखी पसंद नहीं आई. मैं आसमान देखना चाहती थी वो मेरे पांव बांधना चाहता था . अभिमानु न होता तो मैं अपनी जिन्दगी जी नहीं पाती.
मैं- बस एक सवाल और , भैया ने एक तस्वीर छुपाई हुई है जिसमे तीन लोग है
वो- त्रिदेव, तीन दोस्तों की कहानी ढूंढो . फिर किसी से कोई सवाल नहीं करना पड़ेगा.
जाते जाते उसने मुझे गले लगाया और बोली- मेरे भाई पर कभी शक मत करना