पिछले तीन भागों में जहां निशा के आगमन से कहानी में प्रेम के सौंधी खुशबू पुनः लौट आई है तो वहीं कुछ नए रहस्य भी सामने खड़े हो गए हैं। सर्वप्रथम, चाची ने जितने विश्वास और शक्ति के साथ अपने जेठ के साथ संबंध होने की बात को नकारा उससे यही लगता है की वो सत्य कह रही थी। हां, हो सकता है की चाची भी झूठ ही बोल रही हो, परंतु ऐसा होने की संभावना काफी कम दिखाई पड़ती है। ऐसे में भाभी पर संदेह बढ़ जाता है। जब चम्पा की बात भाभी ने कबीर से कही थी, तब एक सीधा सा सवाल पूछा था कबीर ने की क्या चाची के भी उसके बाप से संबंध है? इसका जो उत्तर भाभी ने दिया, उससे स्पष्ट लगा था की चाची भी शायद कबीर से खेल रही है।
परंतु, अब चाची की बातों के बाद भाभी पर ही संदेह की सुई घूम गई है। चम्पा तो वैसे सबसे बड़ी असत्यवादी किरदार है कहानी की, अब तो इस बात का भी विश्वास नहीं की जो इल्ज़ाम उसने मंगू पर लगाया था, वो सत्य था भी या नहीं। मंगू ने बड़ी दृढ़ता से अपने प्रेम का बखान किया है, जोकि कविता के लिए था, ऐसे में उसके संबंध हों चम्पा से, ये बात हज़म नहीं होती। अर्थात, संभव है की चम्पा द्वारा मंगू पर लगाया गया आरोप मिथ्या हो और उसने ये केवल इसलिए किया हो ताकि भविष्य में अपने गर्भवती होने पर उसके और विशंबर दयाल के संबंध उजागर ना हो जाएं। या फिर हो सकता है की चम्पा को विशंबर दयाल ने कहा हो, की वो कबीर से संबंध बनाए और इसीलिए कबीर से असत्य कहा हो चम्पा ने, क्योंकि उससे दूर तो कबीर मंगू की दोस्ती के कारण ही रहता था।
ऐसे में भाभी का एक आरोप, जोकि उन्होंने राय साहब और चम्पा पर लगाया उसके सच होने की संभावना काफी है। क्योंकि जब कबीर ने इससे जुड़ा सवाल किया था चम्पा से तब उसकी प्रतिक्रिया भी बहुत कुछ कह गई थी। इसके अलावा भाभी को अभी भी संदेह है की कबीर ही आदमखोर है, जबकि असलियत में शायद उसका खुद का पति इस सबका कर्ता – धर्ता हो सकता है। बहरहाल, इस सबके बीच जो बात कबीर भूल गया है वो है उस रात घर के दरवाज़े पर रक्त मिलना। क्या वो अब भी नहीं समझ पाया है की वो आदमखोर असल में उसके ही घर का कोई सदस्य है? या फिर समझकर भी नहीं मानना चाहता वो?
इस सबके मध्य विशंबर दयाल ने अपनी जायदाद का बंटवारा करने का निर्णय कर लिया है। यहां एक और संभावना की उत्पत्ति होती है और वो ये की चम्पा विशंबर दयाल को ऐसा करने पर मजबूर कर रही हो। एक बात तो साफ है की चौथे पन्ने में कोई तो ऐसा नाम था जोकि कहानी की दिशा को मोड़ देगा। अभी के लिए चम्पा और सूरजभान, यही दो नाम लगते हैं जिनका उस वसीयत में शायद हिस्सा हो। अब सबसे पहला प्रश्न जिसका उत्तर कबीर को खोजना चाहिए वो है को सुरजभान की हकीकत क्या है? उसका क्या रिश्ता है विशंबर दयाल और अभिमानु से? क्या रूड़ा ही कबीर का वो चाचा है जो कहानी से अभी तक गायब रहा है?
निशा के लौटने से कबीर में एक नई उमंग जरूर उठी होगी और ये खुलासा की निशा को भी उस आदमखोर की तलाश है, उम्मीद बनी है की शायद जल्द ही उसके रहस्य से पर्दा उठ सकता है। आखिर कबीर अकेला ही उस आदमखोर को खोज रहा था, अब निशा है तो अवश्य ही आसानी होगी उसे। दूसरी बात जो साफ हो चुकी है वो ये की निशा भी कबीर से प्रेम करने लगी है, परंतु वो उस सीमा को जानती है जो कबीर और उसे अलग करती है। वो परिचित है इस बात से की शायद उसका और कबीर का मिलन संभव ही नहीं। परंतु, प्रेम रोग से ग्रस्त वो खुद को कबीर से दूर रख ही नहीं पा रही है।
दूसरी ओर कबीर है, हो सब कुछ जानते – समझते हुए भी अनजान बना हुआ है, आखिर प्यार में कहां सही – गलत का बोध रहता है। अब कहानी शायद उस ओर बढ़ रही है जहां कबीर और निशा मिलकर कुछ रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं। कबीर के सामने दो मुसीबतें हैं, पहला घर में चल रही परेशानियां और दूसरा वो आदमखोर, इस बीच सूरजभान की अलग ही समस्या बनी हुई है, और असली परेशानी तो अभी सामने आई ही नहीं, जब कबीर और निशा का प्रेम जग जाहिर हो जाएगा, तब कबीर को उस हालात का सामना करना पड़ेगा, जहां उसकी एक कठिन परीक्षा होगी। वन देवता के पत्थर के सामने जो वचन कहे कबीर ने, क्या उन्हें सच कर पाएगा वो?
सार यही है की अभी के लिए चाची ही इकलौती ऐसी शक्सियत है जोकि कुछ समय के लिए संदेह के घेरे से बाहर हो गई है (बशर्ते की उसका अपना कोई बेटा ना निकल आए, कहा था उसने की वो अपने बेटे की तरफ होगी, अब उसका इशारा कबीर की ओर था या...)। भाभी पर विश्वास करना मूर्खता है, क्योंकि कुछ बातें वो असत्य के रही है और कुछ ऐसे सत्य हैं जिन्हें वो छिपा रही है। रही बात चम्पा की तो, उसकी कोई बात है ही नहीं... देखते हैं वसीयत का रहस्य कब तक खुलेगा।
तीनों ही भाग बेहद ही खूबसूरत थे भाई। निशा और कबीर की प्रेमपूर्ण वार्ता दिल को छू गई। जिन शब्दों का चुनाव करते हैं आप, वो सीधे दिल में उतर जाते हैं, जो भाव कहानी के किरदारों के होते हैं, उन्हें एक पाठक के तौर पर महसूस कर पाता हूं मैं, और मुझे नहीं लगता की इसके बाद आपको लेखनी के बारे में कुछ भी कहने की आवश्यकता है।
प्रतीक्षा अगले भाग की...