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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#54

मेरे मन में आग लगी थी . एक ऐसी आग जो न जाने अब अपने साथ किस किस को झुलसाने वाली थी . मेरे सामने उस नाचने वाली लड़की की लाश पड़ी थी . घुटने टिका कर मैं उसके ऊपर झुका . आँखों से कुछ आंसू उसके ऊपर गिर पड़े.

“ये जान नहीं जानी चाहिए थी, तेरा कर्ज उधार रहा मुझ पर . मैं कसम खाता हूँ जिसने तेरे साथ ऐसा किया मैं उसे मिटटी में मिला दूंगा सूरज भान आज मालिक पुर देखेगा तेरी मौत ” मेरे दिल से आह निकली.

“नाचने वालो के डेरे में सुचना भेजो , उन्हें बताओ इसके बारे में ” मैने कहा .

मेरे नथुने गुस्से के मारे फूलने लगे थे . जी चाह रहा था की मैं क्या ही कर जाऊ.मैं जानता था ये ओछी ,नीचता किसने की थी .

“क्या हुआ कबीर. ” चंपा भी आ पहुंची थी वहां

उसकी एक नजर लाश पर थी और एक नजर मुझ पर .

मैं- घर जा तू

चंपा- तू कहा जा रहा है

मैं-सुना नहीं तूने , घर जा अभी इसी वक्त

मेरा दिमाग हद्द से ज्यादा घूमा हुआ था . मलिकपुर का रास्ता बहुत लम्बा हो गया था मेरे लिए. मेरी नजरे सूरजभान को तलाश रही थी पर वो मिल नहीं रहा था .दारु के ठेके पर मुझे उसके दो चेले मिल गए .

मैं- सुन बे, सूरजभान कहा मिलेगा.

साथी- उस से क्या काम है पहले हमें तो बता दे

मैं- माँ चोदनी है उसकी तू तेरी चुद्वायेगा

मैंने गुस्से से कहा .

वो- रुक जरा मेरे ही गाँव में आकर मुझे ही गाली दे रहा है अभी तेरी गांड तोड़ता हूँ

मैं- आ भोसड़ी के पहले तू ही आ.

उसने लोहे की एक चेन हाथ में ली और मेरी तरफ वार किया . मैंने सर झुका कर बचाया पास में रखा स्टूल उसकी तरफ फेंका. उसने लोहे की जाली की ओट ले ली और ठोकर मारी .

मैं- क्यों मरना चाहता है मुझे बस इतना बता की सूरजभान कहाँ मिलेगा.

तभी उसके दुसरे साथी जिस पर मुझे धयान नहीं था उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया. और अगले ने मुझ पर दो तीन वार कर दिए. मेरी नाक से खून निकलने लगा.

साथी- मिट गया जोश, साले, हम से निपट नहीं पा रहा सूरज भैया से लड़ने का ख्वाब देख रहा है

उसकी हंसी मुझे और गुस्सा दिला गयी.

मैं- सिर्फ एक बार और कहूँगा बता कहाँ है वो बहन का लोडा

पर उस चूतिये को तो चुल मची थी खुद ही नेता बनने की . मैंने जैसे ही खुद को आजाद करवाया और अपनी बेल्ट खोल ली. एक बार तो वो दोनों जाने मुझ पर भारी पड़ने लगे थे पर मैंने मामला संभाल लिया . एक को जो ठेके के अन्दर पटका तो मुझे समय मिल गया और मैंने दुसरे को धर लिया. मेरे पास एक ईंट पड़ी थी जो मैंने उसके सर पर दे मारी. तुरंत ही सर फट गया उसका. लहूलुहान हो गया और मुझे वो मौका मिल गया जो चाहिए था.

“ये जो आग मेरे सीने में लग रही है न इसमें मलिकपुर को जला दू तो कोई पछतावा नहीं होगा मुझे. उसकी दुश्मनी मुझसे थी मेरे से निभाता मैंने कहा भी था उस से की जो करना है मेरे साथ करना पर जिसके खून में पानी भरा हो न वो साले क्या जाने मर्दा मरदी की बाते ” मैंने दुबारा से ईंट उसके सर पर मारी वो जमीन पर गिर गया .

सूरजभान का दूसरा साथी मुझे देखे जा रहा था .

मैं- आ भोसड़ी के . देखना चाहता था न तू देख परखना चाहता था न परख मुझे

“आई ईईईइ ” मेरी बात अधूरी रह गयी पीछे से जोर का वार मेरी पीठ पर हुआ तो मैं धरती पर गिर गया और फिर एक के बाद एक वार होते रहे. दर्द के मारे मैं दोहरा हो गया. मैंने देखा ये सूरजभान था जो हाथो में एक लकड़ी का लट्ठ लिए हुए था .

“मैं तेरा ही इंतज़ार कर रहा था कबीर, और देख तू मरने चला आया. ” उसने कहा

मैं- मर गए मारने वाले. मरना तो आज तुझे है.

मैंने सूरजभान की टांग पर वार किया वो लडखडाया और मैंने उसके लट्ठ को थाम लिया. एक बार फिर से हम दोनों उलझ गए थे .

सूरजभान- तूने क्या सोचा था दारा को मार कर तू बच जायेगा.

मैं-मुझ पर वार करता मुझे ख़ुशी होती की टक्कर का दुश्मन मिला है पर तूने उस लड़की को मारा .

सूरजभान- मारा ही नहीं उसकी चूत भी मारी. साली बड़ी गजब भी पर या करे उसे सजा देनी भी जरुरी थी .

मैं- मजलूमों पर जोर चलाने वाले ना मर्द होते है .और तेरा फितूर आज उतारना है मुझे. खून का बदला खून चाहिए मुझे

सूरजभान- ये शुरआत तूने की थी दारा को मार कर मैंने बस सूद समेत लौटाया है तुझे .

मैंने उसे अनसुना किया उअर उसके घुटने पर लात मारी.वार जोरदार था वो निचे गिर गया लट्ठ मेरे हाथ में आ गया मैंने सीधा उसके सर पर दे मारा. सूरजभान भैंसे की तरह डकार लिया मैंने एक लट्ठ और मारा खून का फव्वारा बह चला और वो तड़पने लगा.

मैं- क्या रे तू तो अभी से तडपने लगा. ऐसे कैसे चलेगा तुझे क्या मालूम होगा दारा को मैंने कैसे चीरा था . देखो मलिकपुर वालो , देखो इस चूतिये को .

मैंने लट्ठ उठाया और दुबारा से उसको मारने वाला ही था की इ आवाज ने मेरे हाथ रोक लिए.

“रुक जा छोटे ” भैया की आवाज थी ये

मैंने देखा की भैया वहां पहुँच गए थे उनके साथ चंपा भी थी.

भैया दौड़ कर मेरे पास आये. मैंने सोचा की वो थाम लेंगे मुझे पर भैया ने दो चार थप्पड़ मार दिए मुझे और मैं हैरान रह गया.

भैया- मैंने तुझसे कहा था न सूरजभान से दूर रहना.

मैं- दूर हो जाऊंगा बस इसकी जान ले लू मैं

भैया- अभी के अभी तू घर जायेगा.

मैं- जरुर जाऊंगा बस एक बार इस को बता दू की मैं कौन हु.

मैंने सूरजभान को लात मारी.

“कबीर,,,,,,,,,,,,,,, ” भैया चीख पड़े. जिन्दगी में पहली बार था जब भैया ने मुझे मेरे नाम से पुकारा था . हमेशा वो छोटे ही कहते थे .भैया ने मुझे धक्का दिया बड़ी जोर से लगी मुझे .

भैया- मैं दुबारा नहीं कहूँगा तुझसे .

भैया ने सूरजभान को अपनी गोद में लिया और उसे देखने लगे.

भैया- कुछ नहीं होगा तुझे . मैं हूँ न .


भैया ने घायल सूरजभान को गाड़ी में डाला और चले गए. मैं हैरानी से उन्हें देखता रह गया. मेरे भाई ने इस गलीच की वजह से मुझ पर हाथ उठाया था . मुझ से ज्यादा फ़िक्र भैया को इस नीच की थी ये देख कर मेरा दिल टूट गया.
 
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Tiger 786

Well-Known Member
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#54

मेरे मन में आग लगी थी . एक ऐसी आग जो न जाने अब अपने साथ किस किस को झुलसाने वाली थी . मेरे सामने उस नाचने वाली लड़की की लाश पड़ी थी . घुटने टिका कर मैं उसके ऊपर झुका . आँखों से कुछ आंसू उसके ऊपर गिर पड़े.

“ये जान नहीं जानी चाहिए थी, तेरा कर्ज उधार रहा मुझ पर . मैं कसम खाता हूँ जिसने तेरे साथ ऐसा किया मैं उसे मिटटी में मिला दूंगा ” मेरे दिल से आह निकली.

“नाचने वालो के डेरे में सुचना भेजो , उन्हें बताओ इसके बारे में ” मैने कहा .

मेरे नथुने गुस्से के मारे फूलने लगे थे . जी चाह रहा था की मैं क्या ही कर जाऊ.मैं जानता था ये ओछी ,नीचता किसने की थी .

“क्या हुआ कबीर. ” चंपा भी आ पहुंची थी वहां

उसकी एक नजर लाश पर थी और एक नजर मुझ पर .

मैं- घर जा तू

चंपा- तू कहा जा रहा है

मैं-सुना नहीं तूने , घर जा अभी इसी वक्त

मेरा दिमाग हद्द से ज्यादा घूमा हुआ था . मलिकपुर का रास्ता बहुत लम्बा हो गया था मेरे लिए. मेरी नजरे सूरजभान को तलाश रही थी पर वो मिल नहीं रहा था .दारु के ठेके पर मुझे उसके दो चेले मिल गए .

मैं- सुन बे, सूरजभान कहा मिलेगा.

साथी- उस से क्या काम है पहले हमें तो बता दे

मैं- माँ चोदनी है उसकी तू तेरी चुद्वायेगा

मैंने गुस्से से कहा .

वो- रुक जरा मेरे ही गाँव में आकर मुझे ही गाली दे रहा है अभी तेरी गांड तोड़ता हूँ

मैं- आ भोसड़ी के पहले तू ही आ.

उसने लोहे की एक चेन हाथ में ली और मेरी तरफ वार किया . मैंने सर झुका कर बचाया पास में रखा स्टूल उसकी तरफ फेंका. उसने लोहे की जाली की ओट ले ली और ठोकर मारी .

मैं- क्यों मरना चाहता है मुझे बस इतना बता की सूरजभान कहाँ मिलेगा.

तभी उसके दुसरे साथी जिस पर मुझे धयान नहीं था उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया. और अगले ने मुझ पर दो तीन वार कर दिए. मेरी नाक से खून निकलने लगा.

साथी- मिट गया जोश, साले, हम से निपट नहीं पा रहा सूरज भैया से लड़ने का ख्वाब देख रहा है

उसकी हंसी मुझे और गुस्सा दिला गयी.

मैं- सिर्फ एक बार और कहूँगा बता कहाँ है वो बहन का लोडा

पर उस चूतिये को तो चुल मची थी खुद ही नेता बनने की . मैंने जैसे ही खुद को आजाद करवाया और अपनी बेल्ट खोल ली. एक बार तो वो दोनों जाने मुझ पर भारी पड़ने लगे थे पर मैंने मामला संभाल लिया . एक को जो ठेके के अन्दर पटका तो मुझे समय मिल गया और मैंने दुसरे को धर लिया. मेरे पास एक ईंट पड़ी थी जो मैंने उसके सर पर दे मारी. तुरंत ही सर फट गया उसका. लहूलुहान हो गया और मुझे वो मौका मिल गया जो चाहिए था.

“ये जो आग मेरे सीने में लग रही है न इसमें मलिकपुर को जला दू तो कोई पछतावा नहीं होगा मुझे. उसकी दुश्मनी मुझसे थी मेरे से निभाता मैंने कहा भी था उस से की जो करना है मेरे साथ करना पर जिसके खून में पानी भरा हो न वो साले क्या जाने मर्दा मरदी की बाते ” मैंने दुबारा से ईंट उसके सर पर मारी वो जमीन पर गिर गया .

सूरजभान का दूसरा साथी मुझे देखे जा रहा था .

मैं- आ भोसड़ी के . देखना चाहता था न तू देख परखना चाहता था न परख मुझे

“आई ईईईइ ” मेरी बात अधूरी रह गयी पीछे से जोर का वार मेरी पीठ पर हुआ तो मैं धरती पर गिर गया और फिर एक के बाद एक वार होते रहे. दर्द के मारे मैं दोहरा हो गया. मैंने देखा ये सूरजभान था जो हाथो में एक लकड़ी का लट्ठ लिए हुए था .

“मैं तेरा ही इंतज़ार कर रहा था कबीर, और देख तू मरने चला आया. ” उसने कहा

मैं- मर गए मारने वाले. मरना तो आज तुझे है.

मैंने सूरजभान की टांग पर वार किया वो लडखडाया और मैंने उसके लट्ठ को थाम लिया. एक बार फिर से हम दोनों उलझ गए थे .

सूरजभान- तूने क्या सोचा था दारा को मार कर तू बच जायेगा.

मैं-मुझ पर वार करता मुझे ख़ुशी होती की टक्कर का दुश्मन मिला है पर तूने उस लड़की को मारा .

सूरजभान- मारा ही नहीं उसकी चूत भी मारी. साली बड़ी गजब भी पर या करे उसे सजा देनी भी जरुरी थी .

मैं- मजलूमों पर जोर चलाने वाले ना मर्द होते है .और तेरा फितूर आज उतारना है मुझे. खून का बदला खून चाहिए मुझे

सूरजभान- ये शुरआत तूने की थी दारा को मार कर मैंने बस सूद समेत लौटाया है तुझे .

मैंने उसे अनसुना किया उअर उसके घुटने पर लात मारी.वार जोरदार था वो निचे गिर गया लट्ठ मेरे हाथ में आ गया मैंने सीधा उसके सर पर दे मारा. सूरजभान भैंसे की तरह डकार लिया मैंने एक लट्ठ और मारा खून का फव्वारा बह चला और वो तड़पने लगा.

मैं- क्या रे तू तो अभी से तडपने लगा. ऐसे कैसे चलेगा तुझे क्या मालूम होगा दारा को मैंने कैसे चीरा था . देखो मलिकपुर वालो , देखो इस चूतिये को .

मैंने लट्ठ उठाया और दुबारा से उसको मारने वाला ही था की इ आवाज ने मेरे हाथ रोक लिए.

“रुक जा छोटे ” भैया की आवाज थी ये

मैंने देखा की भैया वहां पहुँच गए थे उनके साथ चंपा भी थी.

भैया दौड़ कर मेरे पास आये. मैंने सोचा की वो थाम लेंगे मुझे पर भैया ने दो चार थप्पड़ मार दिए मुझे और मैं हैरान रह गया.

भैया- मैंने तुझसे कहा था न सूरजभान से दूर रहना.

मैं- दूर हो जाऊंगा बस इसकी जान ले लू मैं

भैया- अभी के अभी तू घर जायेगा.

मैं- जरुर जाऊंगा बस एक बार इस को बता दू की मैं कौन हु.

मैंने सूरजभान को लात मारी.

“कबीर,,,,,,,,,,,,,,, ” भैया चीख पड़े. जिन्दगी में पहली बार था जब भैया ने मुझे मेरे नाम से पुकारा था . हमेशा वो छोटे ही कहते थे .भैया ने मुझे धक्का दिया बड़ी जोर से लगी मुझे .

भैया- मैं दुबारा नहीं कहूँगा तुझसे .

भैया ने सूरजभान को अपनी गोद में लिया और उसे देखने लगे.

भैया- कुछ नहीं होगा तुझे . मैं हूँ न .


भैया ने घायल सूरजभान को गाड़ी में डाला और चले गए. मैं हैरानी से उन्हें देखता रह गया. मेरे भाई ने इस गलीच की वजह से मुझ पर हाथ उठाया था . मुझ से ज्यादा फ़िक्र भैया को इस नीच की थी ये देख कर मेरा दिल टूट गया.
Superb update
 

Studxyz

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नया लोचा नया बवाल कबीर तो निशा डायन जी की साथ रातें भटकता रहा वहां भी प्यार व दोस्ती ही मिली चुत तो मिली नही बस एक आखरी रात एक अदद चुम्मा ज़रूर मिला लेकिन अपने घर में तो लंका ही लूटी पड़ी है और घर में क्या चल रहा है कुछ मालूम नही

चम्पा चुदेल भड़वी भाई को बुला लायी और उस अभिमन्यु ने चंदरभान का साथ इसलिये दिया कि इनका कोई खूनी रिश्ता है या फिर आदमखोर खुनी यही दोनों है
 

Sanju@

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#53

उत्तेजना से भरे हुए लंड को मैंने चाची की चिकनी चूत पर लगाया और एक ही झटके में अन्दर सरका दिया . चाची के बड़े बड़े चूतडो को थामे मैं वैसे ही झुकाए झुकाए चाची की चूत मारने लगा. चाची की आहों से कमरा गूँज उठा. थप थप मेरे अंडकोष चाची की जांघो से बार बार टकरा रहे थे . थोड़ी देर बाद मैं वहां से हट गया और चाची की पलंग पर पटकते हुए उसके ऊपर चढ़ गया.

चाची के नर्म होंठो को चूसते हुए मैं चाची को चोद रहा था .चाची के हाथ मेरी पीठ पर रगड़ खा रहे थे अपनी दोनों टांगो को बार बार चाची ऊपर निचे कर रही थी .हम दोनों मस्ती के संसार में खो चुके थे. पैंतीस साल की गदराई औरत को ऐसे चोदना ऐसा सुख था जो किसी किसी को ही नसीब होता है . धीरे धीरे हम दोनों अपनी अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे . चाची का बदन बुरी तरह से हिल रहा था . पसीने से चादर गीली होने लगी थी और तभी चाची का बदन अकड़ गया . मीठी आहे भरते हुए चाची ने मुझे अपने आगोश में कस लिया और मैं भी चाची की चूत में ही झड़ने लगा. लिंग की नसों से रुक रुक कर गिरता मेरा वीर्य चाची की चूत की दीवारों को रंग रहा था . तभी चाची ने मुझे धक्का देकर खुद से अलग कर दिया.

“कितनी बार कहा है , अन्दर मत गिराया कर ” चाची ने अपना लहंगा पहनते हुए कहा और शाल ओढ़ कर बाहर मूतने चली गयी. मैं नंगा ही पड़ा रहा बिस्तर पर . कुछ देर बाद चाची आई और मेरी बगल में लेट गयी . मैंने रजाई दोनों के ऊपर डाल ली.

चाची- आज तो जान ही निकाल दी ऐसी भी क्या बेसब्री

मैं- आज इतनी गजब जो लग रही तुम.

चाची ने मेरे गाल पर चूमा और बोली- कबीर, मेरी सूनी जिन्दगी में तूने जो रंग भरा है मैं अहसानमंद हु तेरी. मैंने तो सब्र कर लिया था की बस ऐसे ही काटनी है जिन्दगी कभी कभी बस चंपा निकाल देती थी पानी पर जो सुख तूने दिया है न

मैं- तुम्हारे लिए न करूँगा तो फिर किसके लिए करूँगा. वैसे मैं सोचता हूँ की चंपा को भी चोद दू. उसके बदन पर जो निखार आया है न मन डोलने लगा है मेरा.

चाची- अगर वो देती है तो कर ले. उसका मन टटोल ले.

मैं- तुम कहोगी उस से तो जरुर देगी

चाची- मैं अगर उस से कहूँगी तो उसे मालूम हो जायेगा की मैं तुझसे भी चुद रही हूँ जो मेरे लिए ठीक नहीं होगा.

मैं- तो क्या उसे मालूम नहीं अभी

चाची- नहीं , और मैं चाहती भी नहीं की इस रिश्ते की बात किसी को भी मालूम हो

मैं- मुझे लगा की तुम्हारा और चंपा का रिश्ता जैसा है तुमने उसे बताया होगा.

चाची- माना की कभी कभी हम एक दुसरे संग करते है पर उसका और मेरा जो फर्क है मुझे वो भी ध्यान रखना है . मैं राय साहब के परिवार की बहु हूँ उनके भाई की पत्नी अगर ऐसी बाते निकली तो कितनी बदनामी होगी.

मैं- मैंने तो सोचा था की तुम हर बात उसे बताती होगी मेरा काम आसान हो जायेगा.

चाची- अब भी आसान ही है तू . तुझ पर तो वो पहले से ही फ़िदा है .

मैं- भाभी कहती है की उस से दूर रहू चंपा ठीक नहीं है

चाची- हम सब उसे बचपन से जानते है इसी आँगन में काम करते-खेलते हुए वो बड़ी हुई है . तेरी भाभी को शायद लगता होगा की कही तुम दोनों चुदाई न कर लो इसलिए आगाह करती होगी.

मैं- हो सकता है . पर चाची तुम इतने दिन प्यासी रही क्या तुम्हारे मन में ख्याल नहीं आया की पिताजी या बड़े भैया से रिश्ता जोड़ लो.

चाची- मैं तेरी चाची हूँ कोई राह चलती रांड नहीं. तुझसे रिश्ता जोड़ा क्योंकि तुझे समझती हूँ मैं मेरा मन जुड़ा है तुझसे. तेरे साथ सोने से पहले मैंने हजार बार विचार किया था . रही बात जेठ जी की तो अगर उन्हें जरा भी अंदेसा हो जाता तो अब तक गर्दन उतार ली होती मेरी.

मैं- तुम्हे विचार कर लेना चाहिए था चाची. पिताजी भी अकेले है तुम भी और फिर किसी को क्या ही मालूम होता घर की बात घर में रह जाती. पिताजी के मन में भी तो इच्छा होती होगी.

चाची-राय साहब को दुनिया पुजती है कबीर आज तो तूने ये बात बोली है दुबारा ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए. तुझे चंपा की लेनी है . वो तैयार होती है तो कर लेना . मैं तुझसे ही खुश हूँ.



उसके बाद हमारी कोई बात नहीं हुई. चाची अपना सर मेरे सीने पर रखे सोती रही मैं जागता रहा सोचता रहा . सुबह दौड़ लगाकर आया ही था की भैया को देखा कसरत करते हुए तो मैं भी अखाड़े में चला गया .

भैया- सही समय पर आया है आजा

मैं- सुबह सुबह मुझसे हारना चाहते हो भैया

भैया- आ तो सही तू

एक बार फिर हम दोनों एक दुसरे को धुल चटाने की कोशिश करने लगे. भैया की बढती ताकत मुझे हैरत में डाले हुई थी . ये शायद तीसरी-चौथी बार था जो मैं उनसे हारा था .

भैया- लगता है तेरी खुराक कम हो गयी है आजकल. घी-दूध बढ़ा तू छोटे

मैं-आप से ज्यादा कसरत करता हूँ फिर भी आपके आगे जोर कम पड़ने लगा है क्या चक्कर है भैया . मुझे भी बताओ ये राज

भैया- बस मेहनत ही है और क्या . तू इतना भी कम नहीं है मुझे पक्का विशबास है अगली बार तू ही जीतेगा.

भैया ने मेरे सर पर हाथ फेरा और हम वापिस आ गए. मैंने पानी लिया और चबूतरे पर बैठ कर नहा ही रहा था की चंपा आ गयी.

मैं- कैसी है तू. तुझे कहा था न थोडा आराम करना

चंपा- ज्यादा दिन बिस्तर पर रहूंगी तो शक होगा घरवालो को वैसे भी ज्यादा कमजोरी नहीं है

मैं- खेतो पर जा रहा हूँ चलेगी क्या

चंपा- ठीक है

मैंने नहा कर कपडे पहने और कुवे पर पहुँच गए.

मैं- भाभी ने तुझसे क्या कहा

चंपा- वो जानती है इस बारे में

मैं- कुछ कहा तो होगा तुझसे

चंपा- बोली की जो हुआ सो हुआ आगे से ऐसा कुछ न हो .

मैं- मेरे बारे में पूछा

चंपा - नहीं

मैं- क्या उन्होंने तुझसे ये नहीं कहा की किसने रगड़ दिया तुझे

चंपा- नहीं पूछा

मैं- क्यों नहीं पूछा

चंपा- क्योंकि वो जानती है और अगर तू ये सवाल कर रहा है तो तू भी जानता होगा तूने मालूम कर ही लिया होगा . पर मैं अपने मुह से वो नाम कभी नहीं लुंगी.

मैं- जानता हु , मैं फिर भी पूछूँगा

चंपा- जानता है तो मत पूछ . मत जलील कर मुझे तू भी जानता है की मैंने वो नाम लिया तो फिर पहले सा कुछ नहीं रह जायेगा.

हम बात कर ही रहे थे की एक मजदुर भागते हुए मेरे पास आया और बोला- कुंवर , वो .... वो.....

मैं- क्या हुआ

मजदुर- कुंवर मेरे साथ आओ

मै उसके साथ साथ खेतो में थोडा आगे गया तो मैंने जो देखा मेरी आँखों से आंसू गिरने लगे................
कबीर और चाची के बीच प्यार बड़े मजेदार था कबीर चाची से बहुत कुछ पूछना चाहता था लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली उसे न तो राय साहब और चाची के और ना ही राय साहब और चंपा के रिश्तों के बारे में पता चला चंपा ने कबीर की बात को स्वीकार कर लिया है मतलब उसके राय साहब से संबंध थे लेकिन क्यो और कैसे बने ये अभी पता नही चल पाया है
भैया की ताकत बढ़ती जा रही है इस पर भी शक जा रहा है कुछ तो राज है देखते हैं कब पता चलता है??
अब ऐशा क्या हो गया कि कबीर की आंखों में आंसु आ गए लगता है कुछ तो बुरा जरूर हुआ है ???
 

Paraoh11

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लगता है अभिमानु और सूरजभान का खून का रिश्ता है और ये बात अभिमानु जनता है...

ऐसा होने के लिए कबीर की माँ ज़रूर रूडा से चुदती रही होगी...

इसी लिए अभिमानु अपने माँ की तरफ़ के सौतेले भाई (कबीर) की गलती की माफ़ी माँगने अपने बाप ( रूडा) की तरफ़ के सौतेले भाई (सूरजभान) के पास गया था !🤣🤣🤣

और बहन की लौडी चम्पा को सिर्फ़ लाश देख के कैसे पता चला कि कबीर को किस पर शक है और वो कहाँ मिलेगा????!!! जो वो अभिमानु को वहाँ ले गयी!

या चलो चम्पा ने सिर्फ़ अभिमानु को ये बताया कि कबीर लड़की की लाश देख के ग़ुस्से से कही गया है...
तो हरामज़ादे अभिमानु को साला पहले से पता था की इस लड़की को तो सूरजभान ने रेप और क़त्ल किया है और कबीर वही गया होगा.....!

साला ये भाई भी आपकी पिछली कहानियों जैसा ही होता जा रहा है....😑
भाभी तो पहले ही जस्सी जैसी लगने लगी थी!!!🤨
 

brego4

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jab story top class ho with diffrent theme n concept tab us se readers ki expectations bahut badh jati hain yehi es story ne kiya hai, Kabir ki helplessness ya innocence ya bewakufiyon ki list bahut lambi hoti ja rahi hai

1. Nisha dayan se dosti hui she has super natural powers par usne kabhi kabir ki koi help nahi ki jab ki us par kai baar jaan leva humle hue except ek siyar bhejne ke, na hi usko kabhi uske apne ghar me hote incidents ki traf ishara kiya

2. Kabir pehle chachi aur fir champa ki baton me aaya koi bhi secret nahi nikla aur aur es ladki ke murder ke baad bhai ne bhi apne asli rang dikkha diya

3. Bhabhi ka character pehle se hi suspect hai par upar se rai sahab ka raaz nikla

Means all families members (Rai sahab, chachi, bhabhi aur ab bada bhai bhi and friends (Mangu, champa) of kabir has suspect personalities lekin kabir ko kuch bhi pata nahi hai ?

Story is raising n leaving n continuously adding more questions then answers this is getting a big hell of a puzzle for a innocent naive chrachter like kabir to solve without the active help of nisha
 
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