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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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आज बड़ी गंडास लग रही हो रुका नहीं जा रहा

Ye shabd pahli baar suna hai humne matlab samjh gaye hai hum lekin ajib Hai na :lol1: chachi ke saath kamuk baate or aisi harkate sharir me current lagne se kam nahi hai.

Kuch naya karne ka faisla liya hai bade bhai ne or isme faayda bhi hai to koshish karke dekhna chahiye. Bahot accha update tha.. intzaar rahega...
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#53

उत्तेजना से भरे हुए लंड को मैंने चाची की चिकनी चूत पर लगाया और एक ही झटके में अन्दर सरका दिया . चाची के बड़े बड़े चूतडो को थामे मैं वैसे ही झुकाए झुकाए चाची की चूत मारने लगा. चाची की आहों से कमरा गूँज उठा. थप थप मेरे अंडकोष चाची की जांघो से बार बार टकरा रहे थे . थोड़ी देर बाद मैं वहां से हट गया और चाची की पलंग पर पटकते हुए उसके ऊपर चढ़ गया.

चाची के नर्म होंठो को चूसते हुए मैं चाची को चोद रहा था .चाची के हाथ मेरी पीठ पर रगड़ खा रहे थे अपनी दोनों टांगो को बार बार चाची ऊपर निचे कर रही थी .हम दोनों मस्ती के संसार में खो चुके थे. पैंतीस साल की गदराई औरत को ऐसे चोदना ऐसा सुख था जो किसी किसी को ही नसीब होता है . धीरे धीरे हम दोनों अपनी अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे . चाची का बदन बुरी तरह से हिल रहा था . पसीने से चादर गीली होने लगी थी और तभी चाची का बदन अकड़ गया . मीठी आहे भरते हुए चाची ने मुझे अपने आगोश में कस लिया और मैं भी चाची की चूत में ही झड़ने लगा. लिंग की नसों से रुक रुक कर गिरता मेरा वीर्य चाची की चूत की दीवारों को रंग रहा था . तभी चाची ने मुझे धक्का देकर खुद से अलग कर दिया.

“कितनी बार कहा है , अन्दर मत गिराया कर ” चाची ने अपना लहंगा पहनते हुए कहा और शाल ओढ़ कर बाहर मूतने चली गयी. मैं नंगा ही पड़ा रहा बिस्तर पर . कुछ देर बाद चाची आई और मेरी बगल में लेट गयी . मैंने रजाई दोनों के ऊपर डाल ली.

चाची- आज तो जान ही निकाल दी ऐसी भी क्या बेसब्री

मैं- आज इतनी गजब जो लग रही तुम.

चाची ने मेरे गाल पर चूमा और बोली- कबीर, मेरी सूनी जिन्दगी में तूने जो रंग भरा है मैं अहसानमंद हु तेरी. मैंने तो सब्र कर लिया था की बस ऐसे ही काटनी है जिन्दगी कभी कभी बस चंपा निकाल देती थी पानी पर जो सुख तूने दिया है न

मैं- तुम्हारे लिए न करूँगा तो फिर किसके लिए करूँगा. वैसे मैं सोचता हूँ की चंपा को भी चोद दू. उसके बदन पर जो निखार आया है न मन डोलने लगा है मेरा.

चाची- अगर वो देती है तो कर ले. उसका मन टटोल ले.

मैं- तुम कहोगी उस से तो जरुर देगी

चाची- मैं अगर उस से कहूँगी तो उसे मालूम हो जायेगा की मैं तुझसे भी चुद रही हूँ जो मेरे लिए ठीक नहीं होगा.

मैं- तो क्या उसे मालूम नहीं अभी

चाची- नहीं , और मैं चाहती भी नहीं की इस रिश्ते की बात किसी को भी मालूम हो

मैं- मुझे लगा की तुम्हारा और चंपा का रिश्ता जैसा है तुमने उसे बताया होगा.

चाची- माना की कभी कभी हम एक दुसरे संग करते है पर उसका और मेरा जो फर्क है मुझे वो भी ध्यान रखना है . मैं राय साहब के परिवार की बहु हूँ उनके भाई की पत्नी अगर ऐसी बाते निकली तो कितनी बदनामी होगी.

मैं- मैंने तो सोचा था की तुम हर बात उसे बताती होगी मेरा काम आसान हो जायेगा.

चाची- अब भी आसान ही है तू . तुझ पर तो वो पहले से ही फ़िदा है .

मैं- भाभी कहती है की उस से दूर रहू चंपा ठीक नहीं है

चाची- हम सब उसे बचपन से जानते है इसी आँगन में काम करते-खेलते हुए वो बड़ी हुई है . तेरी भाभी को शायद लगता होगा की कही तुम दोनों चुदाई न कर लो इसलिए आगाह करती होगी.

मैं- हो सकता है . पर चाची तुम इतने दिन प्यासी रही क्या तुम्हारे मन में ख्याल नहीं आया की पिताजी या बड़े भैया से रिश्ता जोड़ लो.

चाची- मैं तेरी चाची हूँ कोई राह चलती रांड नहीं. तुझसे रिश्ता जोड़ा क्योंकि तुझे समझती हूँ मैं मेरा मन जुड़ा है तुझसे. तेरे साथ सोने से पहले मैंने हजार बार विचार किया था . रही बात जेठ जी की तो अगर उन्हें जरा भी अंदेसा हो जाता तो अब तक गर्दन उतार ली होती मेरी.

मैं- तुम्हे विचार कर लेना चाहिए था चाची. पिताजी भी अकेले है तुम भी और फिर किसी को क्या ही मालूम होता घर की बात घर में रह जाती. पिताजी के मन में भी तो इच्छा होती होगी.

चाची-राय साहब को दुनिया पुजती है कबीर आज तो तूने ये बात बोली है दुबारा ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए. तुझे चंपा की लेनी है . वो तैयार होती है तो कर लेना . मैं तुझसे ही खुश हूँ.



उसके बाद हमारी कोई बात नहीं हुई. चाची अपना सर मेरे सीने पर रखे सोती रही मैं जागता रहा सोचता रहा . सुबह दौड़ लगाकर आया ही था की भैया को देखा कसरत करते हुए तो मैं भी अखाड़े में चला गया .

भैया- सही समय पर आया है आजा

मैं- सुबह सुबह मुझसे हारना चाहते हो भैया

भैया- आ तो सही तू

एक बार फिर हम दोनों एक दुसरे को धुल चटाने की कोशिश करने लगे. भैया की बढती ताकत मुझे हैरत में डाले हुई थी . ये शायद तीसरी-चौथी बार था जो मैं उनसे हारा था .

भैया- लगता है तेरी खुराक कम हो गयी है आजकल. घी-दूध बढ़ा तू छोटे

मैं-आप से ज्यादा कसरत करता हूँ फिर भी आपके आगे जोर कम पड़ने लगा है क्या चक्कर है भैया . मुझे भी बताओ ये राज

भैया- बस मेहनत ही है और क्या . तू इतना भी कम नहीं है मुझे पक्का विशबास है अगली बार तू ही जीतेगा.

भैया ने मेरे सर पर हाथ फेरा और हम वापिस आ गए. मैंने पानी लिया और चबूतरे पर बैठ कर नहा ही रहा था की चंपा आ गयी.

मैं- कैसी है तू. तुझे कहा था न थोडा आराम करना

चंपा- ज्यादा दिन बिस्तर पर रहूंगी तो शक होगा घरवालो को वैसे भी ज्यादा कमजोरी नहीं है

मैं- खेतो पर जा रहा हूँ चलेगी क्या

चंपा- ठीक है

मैंने नहा कर कपडे पहने और कुवे पर पहुँच गए.

मैं- भाभी ने तुझसे क्या कहा

चंपा- वो जानती है इस बारे में

मैं- कुछ कहा तो होगा तुझसे

चंपा- बोली की जो हुआ सो हुआ आगे से ऐसा कुछ न हो .

मैं- मेरे बारे में पूछा

चंपा - नहीं

मैं- क्या उन्होंने तुझसे ये नहीं कहा की किसने रगड़ दिया तुझे

चंपा- नहीं पूछा

मैं- क्यों नहीं पूछा

चंपा- क्योंकि वो जानती है और अगर तू ये सवाल कर रहा है तो तू भी जानता होगा तूने मालूम कर ही लिया होगा . पर मैं अपने मुह से वो नाम कभी नहीं लुंगी.

मैं- जानता हु , मैं फिर भी पूछूँगा

चंपा- जानता है तो मत पूछ . मत जलील कर मुझे तू भी जानता है की मैंने वो नाम लिया तो फिर पहले सा कुछ नहीं रह जायेगा.

हम बात कर ही रहे थे की एक मजदुर भागते हुए मेरे पास आया और बोला- कुंवर , वो .... वो.....

मैं- क्या हुआ

मजदुर- कुंवर मेरे साथ आओ

मै उसके साथ साथ खेतो में थोडा आगे गया तो मैंने जो देखा मेरी आँखों से आंसू गिरने लगे................

 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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भाई जैसे प्रीत की रीत में कुंदन, जस्सी भाभी और गुजारिश २ मनीष, संध्या चाची के पास दौड़ दौड़ के अपने हर सवाल का जवाब लेने जाते थे
क्या इसमें भी कबीर अपनी भाभी के पास हर सवाल का जवाब पूछने जायेगा ?

क्योंकि कबीर भले ही शरीर से ताकतवर हो लेकिन दिमाग से तो मुझे बैल बुद्धि लगता है।

उम्मीद है की कबीर का किरदार बस एक बेबस लड़के का ना हो जो परिवार और खुद की लंका लग जाने के बाद भी कुछ ना उखाड़ पाए बल्कि ऐसा हो की बहुत से परेशानी को पहले भांप कर अपने आप और अपने परिवार को बचा सके।

बाकी तो सस्पेंस के नाम पर कब इस कहानी में क्या हो जाए कोई नही जानता।

कहानी के 50+ अपडेट होने की बधाई दोस्त, आप ऐसे ही अच्छी अच्छी कहानियां लिखते रहे और कहानी के बाकी रीडर्स को 15 अगस्त की बधाई
 
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Studxyz

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चाची खिलाड़िन है या फिर बहुत भोली या सीधी साधी ताबड़तोड़ चुद के भी कुछ नहीं बोली च्म्पा व् राइ साब के क्या राज़ हैं वो भी नही बताना चाहती

भाई दिन प्रतिदिन सांड़ होता जा रहा है और कबीर पर हावी है ना जाने क्या राज है

अंत में कौन टपका जो कबीर रो दिया ?
 
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Paraoh11

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लगता है बचे हुए खेत भी उजाड़ दिए किसी ने ! 🤨

चाची बात गोल कर गई..
बहुत चालू है!!

वैद्य और अभिमानु में बहुत याराना लगता है, काफ़ी मिलते हैं अकेले में। वही तो कोई जड़ी बूटी दे कर अभिमानु को super man नहीं बना रहा??
 

Avinashraj

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मन में मेरे बहुत सवाल थे.मैंने पिताजी को देखा जो आराम से अपने कमरे में बैठ कर जाम पीते हुए अपना काम कर रहे थे. मैं चाची के पास गया तो पाया की वो खाने की तयारी कर रही थी . सफ़ेद लहंगे और नीले ब्लाउज में बड़ी कड़क लग रही थी वो. चाची ने ओढनी नहीं ओढ़ी हुई थी तो तंग ब्लाउज में मचलती छातिया और लहंगे में उनकी मदमस्त जांघे , फूली हुई चूत की वी शेप का उभार साफ दिख रहा था . मैं अपने लंड को खड़ा होने से रोक नहीं पाया.



मैं चाची के पास गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया

चाची- क्या करता है . रात पड़ी है न ये करने के लिए

मैं- आज बड़ी गंडास लग रही हो रुका नहीं जा रहा

चाची- ऐसा क्या है आज

मैंने चाची की चूची को मसला और बोला- इस जोबन से पूछो जो दिन दिन हाहाकारी हुए जा रहा है . ये नितम्ब जब तुम चलती हो तो न कसम से न जाने गाँव के कितने दिल सीने से बाहर आकर गिरजाते होंगे.

चाची- इतनी भी सुन्दर नहीं हूँ मैं ये मस्का मत लगा और बता क्या बात है

मैं- बात क्या होगी बस लेने का मन है मेरा.

चाची- तो मैं कौन सा मना कर रही हूँ . सोयेंगे तब कर लेना

मैं- थी है पर एक बार लहंगा उठाओ मुझे देखनी है

चाची- तू भी न

चाची ने अपना लहंगा पेट तक उठाया . गोरी जांघो के बिच दबी चाची की काले बालो से भरी मदमस्त चूत . उफ्फ्फ मैं सच में ही चाची को हद से जायदा पसंद करने लगा था. मैं उसी पल चूत की एक पप्पी लेना चाहता था पर चाची ने मुझे मौका नहीं दिया. तभी बाहर से मंगू की आवाज आई तो मै बाहर की तरफ चला गया .

मैं- क्या हुआ मंगू

मंगू- वो अभिमानु भैया कहके गए थे की कुवे पर मिले उनसे तो चल

मैं- मुझसे तो कुछ नहीं कहा भैया ने

मंगू- उनसे ही पूछ लेना चल तो सही

मैं- साइकिल निकाल मैं गर्म कपडे पहन लू जरा और हाँ तू चलाएगा साइकिल

मंगू- ठीक है जल्दी आना

भैया ने रात में हमें क्यों बुलाया था खेतो पर सोचने वाली बात थी . खैर, हम दोनों चल दिए कुवे की तरफ .

मंगू- लगता है की आजकल खुराक कुछ ज्यादा खाई जा रही है भारी हो गया है भाई तू

मैं- अच्छा,

मंगू- खिंच नहीं रही साइकिल

मैं- बहाने मत बना

बाते करते हुए हम लोग पहुँच गए देखा की भैया की गाड़ी पहले से खड़ी थी पगडण्डी के पास. हम लोग कुवे पर पहुंचे तो देखा की भैया ने अलाव जलाया हुआ था और बोतल भी खोल रखी थी .

मैं- महफ़िल लगाई हुई है आज तो

भैया-अरे कुछ नहीं, ठण्ड में इतनी तो चाहिए ही

मंगू- सही कहा भैया

मंगू ने बिना की शर्म के बोतल उठाई और अपना जुगाड़ करने लगा.

मैं- यहाँ क्यों बुलाया

भैया- घर पर पिताजी है उनको मालूम होगा तो फिर गुस्सा करेंगे

मैं- सो तो है

मैंने कुछ मूंगफली उठाई और खाने लगा.

भैया- मैंने न कुछ जमीन और खरीदने का सोचा है

मंगू- ये तो बहुत बढ़िया विचार है भैया

भैया- पर सवाल ये है की हम उस जमीन का करेंगे क्या . खेती तो हम पहले ही बहुत बड़े रकबे पर कर रहे है .

मैं- वो आप सोचो . मैं और मंगू तो किसानी करते आये है किसानी ही करेंगे .

मंगू ने भी हाँ में हाँ मिलाई .

भैया- मैंने पिताजी से बात की थी उनका विचार है की चीनी का कारखाना लगा ले हम

मैं- भैया, मजाक के लिए हम लोग ही मिले क्या आपको . चीनी के गन्ना चाहिए और हम उगाते है सरसों. गेहूं . सब्जिया. अपने इलाके में दूर दूर तक गन्ना उगा है ऐसा सुना कभी क्या .

भैया- तुम्हारी बात सही है पर हमें कृषि को नए मुकाम पर ले जाना होगा . मैंने क्रषि अधिकारी से मुलाकात की थी . वो कहता है की मेहनत की जाये तो गन्ने की फसल उग सकती है .सोचो चीनी के लिए खुद का गन्ना होगा तो हमें कितना फायदा होगा. मुझे तुम दोनों पर पूरा भरोसा है . इस बार थोड़ी जमीन पर गन्ना बो कर देखते है . क्या बोलते हो

मंगू- विचार तो ठीक है भैया

भैया ने पेग दिया मुझे .

मैं- करेंगे कोशिश .

बहुत देर तक हम लोग ऐसे ही बैठे अपनी अपनी बाते करते रहे योजना बनाते रहे और फिर घर की तरफ लौट गए. दरवाजा बंद करते ही मैंने चाची को अपनी बाँहों में भर लिया एक तो वो बड़ी खूबसूरत लग रही थी दूजा मुझे भी सुरूर था .

चाची- दारू पीकर आया तू

मैं- भैया बोले ठण्ड में जरुरी होती है

चाची- ये अभिमानु भी न तुझे बिगाड़ ही देगा

मैं- तुम सुधार क्यों नहीं देती मुझे

मैंने चाची के नितम्बो पर हाथ फेरते हुए कहा.

चाची- बल्ब बुझा दे.

मैं- रहने दे रौशनी , इस जिस्म का कभी तो दीदार करने दो मुझे

मैंने दो पल में ही चाची पूरी नंगी कर दिया और खुद के कपड़े भी उतार फेंके. चाची के लाल होंठ अपनी मिठास मेरे मुह में घोलने लगे थे. पांच फूट की गदराई औरत मेरे सीने से लगी मुझे वो सपना दिखा रही थी जिसमे मजा ही मजा था. नितम्बो से फिसलते हुए मेरे हाथ चाची की गुदा पर रगड़ खाने लगे थे. इस हरकत से चाची के बदन में हिलोरे उठने लगी थी .

उसका हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया और वो मुट्ठी में लेके उसे हिलाने लगी. सहलाने लगी. मेरी जीभ से रगड़ खाती चाची की जीभ वो आनंद दे रही थी जो शब्दों में लिखा ही नहीं जा सकता. मैंने चाची को पलंग के किनारे झुकाया और चौड़ी गांड को फैलाते हुए निचे बैठ कर चाची की रसीली चूत पर अपने होंठ टिका दिए.


“ओह्ह कबीर ” बड़ी मुश्किल से चाची बस इतना ही कह पाई . अगले ही पल मेरी जीभ का कुछ हिस्सा चाची की चूत में घुस चूका था. नमकीन रस का स्वाद जैसे ही मुझे लगा. कसम से मैं पिघलने लगा. जब तक चाची की चूत का रस मेरे चेहरे को भिगो नहीं गया मैं चूत को पीता ही रहा.
Nyc hot update bhai
 

Sanju@

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जब भाभी का दिल भर गया तो उन्होंने बेल्ट फेक दी और मुझे अपने सीने से लगा कर रोने लगी. रोती ही रही. जिन्दगी में पहली बार मैंने भाभी की आँखों में आंसू देखे.

भाभी- किस मिटटी का बना है तू

मैं- तुम जानो तुम्हारी ही परवरिश है

भाभी- इसलिए तो मैं डरती हूँ . तेरी नेकी ही तेरे जी का जंजाल बनेगी

मैं- जब जानती हो तो फिर क्यों करती हो ये सब

भाभी- क्योंकि तू झूठ पे झूठ बोलता है . तू ही कहता है न की मैं भाभी नहीं माँ हु तेरी और तू उसी माँ से झूठ बोलता है . तू नहीं जानता तू किस चक्रव्यूह में उलझता जा रहा है . तू सोचता है की तू जो कर रहा है भाभी को क्या ही खबर होगी. मैं तुझे समझाते हुए थक गयी की नेकी अपनी जगह होती है और चुतियापा अपनी जगह .

मैं-काश आप मुझे समझ सकती

भाभी- मैं तुझसे समझ सकती . अरे गधे , होश कर . खुली आँखों से देख दुनिया को. तुझे क्या लगता है भाभी पागल है जो तेरे पीछे पड़ी है . तू जो भी कर रहा है सब कुछ जानती हूँ मैं . सब कुछ . जो राह तूने चुनी है उस पर तुझे कुछ नहीं मिलेगा धोखे के सिवाय. जो भी रिस्तो के दामन तू थाम रहा है सब झूठे है . मक्कारी का चोला है सब के चेहरे पर यही तो तुझे समझाने की कोशिश कर रही हु मैं.

मैं- मैं बस अपनी दोस्ती का फर्ज निभा रहा हूँ

भाभी- फर्ज निभाने का मतलब ये नहीं की आँखों पर पट्टी बाँध ली जाये.

मैं- मतलब

भाभी- जिसके लिए तूने इतना बड़ा कदम उठा लिया. मुझसे तक तू झूठ बोला जिसके पाप का बोझ अपने सर पर तूने उठा लिया उस से जाकर एक बार ये तो पूछ की किसका है वो .

मैं- मुझे जरूरत नहीं मैं उसे और शर्मिंदा नहीं करना चाहता

भाभी- य क्यों नहीं कहता की तुझमे हिम्मत नहीं है तू उस सच का हिस्सा तो बनना चाहता है पर जानना नहीं चाहता उस सच को .

मैं- तुम जानती हो न सब कुछ बता दो फिर.

भाभी- जानता है पीठ पीछे ये दुनिया मुझे बाँझ कहती है . पर मैंने कभी बुरा नहीं माना क्योंकि अभिमानु कहता है कबीर इस आँगन में है तो हमें औलाद की क्या जरूरत . तू कभी नहीं समझ पायेगा मुझे कितनी फ़िक्र है तेरी. पराई लाली के लिए जब तुझे गाँव से लड़ते देखा तो तेरे मन के बिद्रोह को मैंने पहचान लिया था . उसी पल से मैं हर रोज डरती हूँ , मैं जानती हूँ तुझे . तुझ पर बंदिशे इसलिए ही लगाई क्योंकि मुझे डर है की तू किसी का हाथ अगर थाम लेगा तो छोड़ेगा नहीं और फिर वो घडी आएगी जो मैंने उस दिन देखि थी . अपने बच्चे को उस हाल में कौन देख पायेगी तू ही बता.

मैं खामोश रहा

भाभी- तूने एक बार भी चंपा से नहीं पूछा की उसके बच्चे का बाप कौन है . ये तेरी महानता है पर तुझे मालूम होना चाहिए . तू हिम्मत नहीं करेगा उस से पूछने की , उसे रुसवा करने की पर इतना तो समझ की दोस्ती का मान तभी होता है जब वो दोनों तरफ से निभाई जाए.

मैं- तुम तो सब जानती हो तो फिर तुम ही बता दो न कौन है वो सक्श

भाभी ने एक गहरी साँस ली और बोली- राय साहब

भाभी ने जब ये कहा तो हम दोनों के बीच गहरी ख़ामोशी छा गयी . ये एक ऐसा नाम था जिस पर इतना बड़ा इल्जाम लगाने के लिए लोहे का कलेजा चाहिए था .और इल्जाम भी ऐसा था की कोई और सुन ले तो कहने वाले का मुह नोच ले.

मैं- होश में तो हो न भाभी

भाभी- समय आ गया है की तू होश में आ कबीर और आँखे खोल कर देख इस दुनिया को. जानती हु परम पूजनीय पिताजी पर इस आरोप को सुन कर तुझे गुस्सा आएगा पर मैं तुझे वो काला सच बता रही हूँ जो इस घर के उजालो में दबा पड़ा है .

मैं- मैं नहीं मानता . तुम झूठ कह रही हो .

भाभी- ठीक है फिर तुम्हारे और चाची के बीच जो रिश्ता आगे बढ़ गया है कहो की वो भी झूठ है .

भाभी ने एक पल में मुझे नंगा कर दिया . भाभी मेरे और चाची के अवैध संबंधो के बारे में जानती थी .

मै चुप रहा . कुछ कहने का फायदा नहीं था .

भाभी- कहो की जो मैं कह रही हूँ झूठ है .

मैं सामने खिड़की से बाहर देखने लगा.

भाभी- मैंने तुमसे इस बारे में कोई सवाल नहीं किया क्योंकि चाची की परवाह है तुम्हे पर वकत है की तुम्हे अब फर्क करना सीखना होगा.

मैं- राय साहब बेटी समझते है चंपा को

भाभी- तू जाकर पूछ चंपा से तेरी दोस्ती की कसम दे उसे . तुझे जवाब मिल जायेगा

मैं- क्या चाची के भी पिताजी से ऐसे सम्बन्ध है

भाभी- ये चाची से क्यों नहीं पूछते तुम

मैं- मेरे सर पर हाथ रख कर कहो ये बात तुम भाभी

भाभी मेरे पास आई और बोली- तू रातो के अंधेरो में भटकता है एक बार इस घर के अंधेरो में देख तुझे उजालो से नफरत हो जाएगी.

मैं- और निशा, उसका क्या तुम्हारी वजह से वो छोड़ गयी मुझे

भाभी- उसे जाना था . वो जानती है एक डाकन और तेरा कोई मेल नहीं

मैं- जी नहीं पाऊंगा उसके बिना

भाभी- तो फिर मरने की आदत डाल ले.

मैं- मोहब्बत की है मैंने निशा से उसे भूल जाऊ ये हो नहीं सकता .

भाभी- दुनिया में कितनी हसीना है . एक से बढ़ कर एक तू किसी पर भी ऊँगली रख मैं सुबह से पहले तेरे फेरे करवा दूंगी.

मैं- तुम समझ नहीं रही हो भाभी . तुम समझ सकती ही नहीं भाभी

भाभी- मैं समझना चाहती ही नहीं क्योंकि मुझमे इतनी शक्ति नहीं है की अपने बच्चे को ज़माने से लड़ते देखू.

भाभी उठ कर चली गयी मेरे मन में ऐसा तूफान छोड़ गयी जो आने वाले समय में सब कुछ बर्बाद करने वाला था . सारी दुनिया के लिए पूजनीय, सम्मानीय मेरा बाप अपनी बेटी की उम्र की लड़की को पेल रहा था . पर सवाल ये था की अगर चंपा को राय साहब ने गर्भवती किया था तो फिर वो पिताजी से मदद क्यों नहीं मांगी .....................कुछ तो गड़बड़ थी .
भाभी ने तो धमाका कर दिया एक ऐसे काले सच से पर्दा हटाया जिसके बारे में किसी ने भी नहीं सोचा था तो इन सब के पीछे राय साहब है एक तरफ तो वो चंपा को अपनी बेटी मानते हैं वही दूसरी ओर उसके साथ ऐशा घिनौना काम कर रहे हैं चंपा ने कबीर से झूठ क्यों बोला क्या उसे डर था कि कबीर नाराज हो जायेगा अपने बाप के बारे में सुनकर या फिर एहशानो के बोझ के तले होने के कारण उसने नही कहा और मंगू का नाम ले लिया क्या चंपा के संबंध मंगू से भी है या नही
चाची के संबंध भी हो सकते हैं राय साहब से हो सकता चंपा और चाची एक साथ चुदती हो दोनो
ये जानकर कबीर को दुख तो बहुत हुआ है कि इसका बाप ऐशा आदमी है और उसका नजरिया भी बदल जाएगा कबीर के घर के हर एक सदस्य का कोई न कोई राज है जो धीरे धीरे खुल रहा है भाभी बहुत दुखी हैं भाभी का दुख जल्दी ही बाहर आएगा
भाभी ने सच कहा है जो भी रिश्ते का दामन थाम रहा है ना वो सब झूठे हैं
 
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