• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,848
259
Shandar update Fauzi Bhai,

Kabir ki is halat pe taras aata he, Bhabhi use dayan ke sathi samajh kar khuni samjhti he..... Pita Ji, ki nazaro me ladka aawara, badchalan ho gaya he....

Ek to fasal barbad ho gayi, dusra Nisha bhi chhod kar chali gayi he...... aur Champa ab ke naya bomb fodne wali he.......

Kabir zindagi ke aise mode par aa gaya he, jaha se har taraf se use nirasha hi hath lag rahi he.......... dekhte wo Champa ke dwara baayi gayi bato ko kaise jhelega....


Keep posting Bhai
उम्मीद है कि कबीर के सुख के दिन जल्दी ही आयेंगे
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,848
259
निशा और कबीर नदी के दो किनारे हैं जिसका मिलन हो ही नहीं सकता । यह निशा अच्छी तरह समझती है लेकिन कबीर समझ नहीं पा रहा है ।
बशर्ते कि निशा , सच में ही डाकन हो ।

लेकिन अभी तक हम निशा की जन्मकुंडली और उसकी पहचान ही नहीं जान पाए कि वो असल में है कौन ? वो सच में ही डायन है या कोई बंजारन जो उस गांव में चोरी चोरी आशियाना बना रखी है ?

निशा की कहानी और उसका फ्लैशबैक जाने बगैर हम कुछ राय बना ही नहीं सकते हैं ।
अंतिम मुलाकात के दौरान दोनों की भाव भंगिमा " प्रेम " ही दर्शा रहा था । और वो प्रेम मुझे एकतरफा कहीं से नहीं लगा ।

निशा जी पर एक लम्बा चौड़ा अपडेट्स बनता ही है ।

अब तक न तो मुझे किसी भी एंगल से भाभी श्री गलत लगी और न ही पूज्य बापू श्री । पिछले कई दिनों से जैसी दैनिक चर्या कबीर की रही है , उससे उन लोगों का चिंतित होना एवं उसे नसीहत देना बनता ही था ।

चम्पा चमेली एक खिले हुए फूल की तरह है । वो कली ना रही । सेक्सुअल नदी में अच्छी खासी डुबकी लगा चुकी है । यहां तक कि लेस्बियन लव का भी लुत्फ उठा चुकी है ।
मेरे कहने का तात्पर्य वो काफी तजुर्बेकार युवती है । रसोईया द्वारा उन पर हमला करना मुझे उस वक्त भी अचरज में डाल गया था ।
एक बार कबीर से झूठ भी बोल चुकी है । फिर कुछ कहने वाली है कबीर से । अब वो झूठ कहेगी या सच , हमें पता नहीं ।
लेकिन बिना कुछ कहे हम किसी चीज का तहकीकात भी तो नहीं कर सकते । भले ही वो झूठ ही क्यों न हो !

अपने ही भाई पर जो इल्जाम लगाया था उन्होंने , वो किसी के लिए भी आसान नहीं होता । ऐसे रिश्ते मरते दम तक छुपाए जाते हैं । फिर भी उन्होंने कबीर के सामने बिना लाग लपेट के जाहिर कर दिया ।

बहुत ही खूबसूरत कहानी है मनीष भाई । सभी अपडेट्स बेहद ही शानदार थे ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
मैं बहुत सोचता हूं निशा के बारे मे यकीनन वो दोनों ऐसे किनारे है जो मिल नहीं सकते पर sath साथ जरूर होंगे
भाभी और राय सहाब अपनी जगह सही है. कबीर अपनी जगह सही है चम्पा अब क्या बताने वाली है जल्दी ही मालूम हो जाएगा
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
14,227
30,067
244
मैं बहुत सोचता हूं निशा के बारे मे यकीनन वो दोनों ऐसे किनारे है जो मिल नहीं सकते पर sath साथ जरूर होंगे
भाभी और राय सहाब अपनी जगह सही है. कबीर अपनी जगह सही है चम्पा अब क्या बताने वाली है जल्दी ही मालूम हो जाएगा
किनारे मिलते नही पर साथ ही रहते हैं हमेशा, एक डोर से बंधे।
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,848
259
#48



मैं बस चंपा को देखता रहा मुझे इंतजार था सच सुनने का

चंपा- उस रात मैं दाई के पास गयी थी ,

मैं- तुझे दाई से क्या काम पड़ गया .

चंपा- क्योंकि मेरे पास और कोई चारा नहीं था . कबीर मैं पेट से हूँ.

चंपा ने जब ऐसा कहा तो मेरे कदमो के निचे से जमीन सरक गयी. मैंने अपना माथा पीट लिया . मैं सड़क किनारे धरती पर बैठ गया क्योंकि मेरे पैरो में शक्ति नहीं बची थी खड़ा होने की .

चंपा- उस रात मैं तीन लोगो से मिलना चाहती थी तुझसे, दाई से और अभिमानु से . मैं दाई के दरवाजे तक पहुँच तो गयी थी पर मेरी हिम्मत नहीं हुई की उसे बता सकू . फिर मैंने सोचा की तुझे बता दू पर एक बार फिर मैं हिम्मत नहीं कर पाई. तू मंगू वाली बात से वैसे ही नाराज था मेरे पास अब सिर्फ एक रास्ता था की मैं अभीमानु से मदद मांगू . मैं इसी कशमकश में उलझी थी की तभी उस कारीगर ने मुझ पर हमला कर दिया और किस्मत से तू वही आ गया .

मुझे बिलकुल समझ नही आ रहा था की मैं क्या कहूँ .

चंपा- बोल कुछ तो

मैं- कितने दिन का है ये

चंपा- शायद एक महीने का

मैं -तू नहीं जानती तूने क्या किया है . अरे मुर्ख किसी को भी अगर भनक हुई न तो तेरा क्या हाल होगा सोचा तूने.

चंपा- जानती हूँ इसीलिए मैंने सोचा की अभिमानु को सब सच बता दूंगी

मैं- तेरी खाल उतार देता वो .जानती है न अपने छोटो से कितना स्नेह है उसे . तेरी हरकत जान कर भैया मालूम नहीं क्या करते तब तो मरी ही मरी थी तू. पर तू फ़िक्र मत कर , करूँगा कुछ न कुछ . तुझे बच्चा गिराना होगा .

चंपा ने नजरे नीची कर ली.

मैं- अब क्या फायदा . मैंने तुझे कितना समझाया मुझे क्या तू बुरी लगती थी . ये गंद फैलाना होता तो मैं ही रगड़ लेता तुझे. और मंगू की तो मैं गांड ऐसी तोडूंगा याद रखेगा वो . तू जानती है मैं कितना परेशां हूँ भाभी ने मेरा जीना हराम किया हुआ है मेरे से मेरी उलझने नहीं सुलझ रही और तुम लोग रुक ही नहीं रहे रायता फ़ैलाने से.

चंपा- गलती हुई मुझसे . मैं तुझे वचन देती हूँ कबीर मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करुँगी.

मैं- तेरी गांड ना तोड़ दूँ मैं दुबारा ऐसा हुआ तो. बैठ अब मलिकपुर वाला काम निपटाके मैं ले चलूँगा शहर तुझे मेरा दिल तो नहीं कर रहा क्योंकि इस जीव का क्या दोष है . तेरे पापो की सजा इसे भुगतनि पड़ेगी . न जाने इस पाप की क्या सजा होगी.

बुझे मन से हम लोग मलिकपुर की तरफ चल दिए एक बार फिर से. वहां जाकर मैंने सुनार को राय साहब की चिट्ठी दी और चंपा ने अपना नाप दिया. सुनार ने बहुत देर लगाई तरह तरह के गहने दिखाता रहा वो हमें. वापसी में मैंने देखा की हलवाई ताजा जलेबी उतार रहा था चंपा को जलेबी बहुत पसंद थी तो मैंने हलवाई से कहा की थोड़ी जलेबी हमें दे. मैंने सोचा की तब तक मैं साइकिल में हवा भर लेता हूँ .चंपा जलेबी खा ही रही थी की उधर से सूरजभान निकल आया.

“उफ़ आज तो शहद ने शहद को चख लिया ” सूरजभान ने चंपा के होंठो से लिपटी चाशनी देखते हुए फब्ती कसी.

चंपा- होश में रह कर बात कर तेरा मुह तोड़ दूंगी

सूरजभान- मुह का मेरा सब कुछ तोड़ दे. ऐसा फूल देख कर दिल कर रहा है की चख लू मैं . बोल क्या खुशामद करू मैं तेरी .

सूरजभान अपनी गाड़ी से उतर कर चंपा के पास गया और उसका हाथ पकड़ लिया

चंपा- हाथ छोड़ मेरा

सूरजभान- तू एक बार दे दे . हाथ क्या मैं जहाँ छोड़ दू.

सूरजभान ने अपनी पकड़ मजबूत कर दी चंपा की कलाई पर .

“माना की घी का कनस्तर खुले में है पर कुत्ते को अपनी औकात नहीं भूलनी चाहिए . हाथ पकड़ ने से पहले सोच तो लेता की इसके साथ कौन है ” मैंने उन दोनों की तरफ आते हुए कहा .

सूरजभान ने पलट कर मुझे देखा और उसके चेहरे का रंग बदल गया .

सूरजभान- तू, तू यहाँ

मैं- हाथ छोड़ इसका

सूरजभान- नहीं छोडूंगा, मेरा दिल आ गया है इस पर तू कही और जाकर अपना मुह मार.

मैं- मुझे दुबारा कहने की आदत नहीं है . मेरी बात ख़त्म होने से पहले अगर तूने इसका हाथ नहीं छोड़ा तो तेरा हाथ तेरा कंधा छोड़ देगा .

सूरजभान- एक बार क्या तू जीत गया खुद को खुदा समझ रहा है उस दिन मैं नशे में था वर्ना तेरी हेकड़ी तभी मिटा देता.

मैं- आज तो नशे में नहीं है न तू .

सूरजभान ने चंपा का हाथ छोड़ दिया पर नीचता कर ही दी उसने . उसने चंपा के सीने पर हाथ फेर दिया. और मैंने उसकी गर्दन पकड़ ली.

मैं- भोसड़ी के , तुझे समझ नहीं आया मैंने कहा न ये मेरे साथ है फिर भी बहन के लंड तू मान नहीं रहा . जानना चाहता है , देखना चाहता है मेरे अन्दर जलती आग को.

सूरजभान ने एक मुक्का मेरे पेट में मारा और बोला- अभिमानु आया था . माफ़ी मांग कर गया था वो . कह रहा था की गलती हो गयी उसके भाई से माफ़ करो. उस से जाकर पूछना की सूरजभान कौन है . फिर बात करना . मैं वो आग हूँ जिसमे तू झुलसेगा नहीं जलेगा.

मैं- इतने बुरे दिन नहीं आये है की मेरे जीते जी मेरा भाई किसी से माफ़ी मांगे. तूने तो औकात से बड़ी बात कह दी . शुक्र मना की मैंने भैया से वादा किया है की खून खराबा नहीं करूँगा वर्ना दारा की लाश तूने देखि तो जरुर होगी . सोच मैं तेरे साथ क्या करूँगा.

मेरी बात सुन कर सूरजभान के चेहरे पर हवाइया उड़ने लगी वो पीछे सरक गया . मैंने चंपा का हाथ थामा और दुसरे हाथ में साइकिल लेकर आगे बढ़ गया .

“ये दुश्मनी बड़ी शिद्दत से निभाई जाएगी कबीर. शुरुआत तूने की थी अंत मैं करूँगा. मुझे शक् तो था पर तूने आज मोहर लगा दी . मैं कसम खाता हूँ तू रोयेगा. तू भीख मांगेगा मौत की और मैं हसूंगा ” सूरजभान ने पीछे से कहा

मैं- इंतजार रहेगा मुझे उस दिन का

मैंने बिना उसकी तरफ देखे कहा .

सूरजभान- पहला झटका तो तूने देख ही लिया अपनी बर्बाद फसलो को देखना तुझे मेरी याद आयेगी

उसकी ये बात सुनकर मैं बुरी तरह चौंक गया तो क्या नहर टूटने में इस मादरचोद का हाथ था. पर मैंने सब्र किया क्योंकि मेरे साथ चंपा थी . दो पल मैं रुका और बोला- तेरे बाप ने मर्द पैदा किया है तुझे तो ये रांड वाली हरकते मत करना . शेर का शिकार करने के लिए शेर का कलेजा ही चाहिए चूहे का नहीं . जिस दिन तुझे लगे की तू इस काबिल है की कबीर को टक्कर दे सकता है मिलना मुझसे . तेरी एक एक हड्डी को तेरे बंद से निकाल लूँगा.

सूरजभान- वो दिन जल्दी ही आएगा.

मैंने उस को अनसुना किया और आगे बढ़ गया.


 

nilu12

kaise batau nilu ladke ko bhi kahate hai.
677
1,930
124
khet surajbhan ne khrab kiye aur champa pregnant hai lekin use ye nahi bataya who impregnated her ?
Bhai champa toh hai hi randi...
Mujhe starting se woh gandi hi lag rahi thi..
Kabir pahile se pareshan tha aur champa ki wajah aur ek jhagada mod liya...
Us din champa mar hi jati toh acha hai..
Joh kabir ke sath juthe pyar ke naam par usko apne isharo pe nachati hai
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
2,625
10,543
159
#48



मैं बस चंपा को देखता रहा मुझे इंतजार था सच सुनने का

चंपा- उस रात मैं दाई के पास गयी थी ,

मैं- तुझे दाई से क्या काम पड़ गया .

चंपा- क्योंकि मेरे पास और कोई चारा नहीं था . कबीर मैं पेट से हूँ.

चंपा ने जब ऐसा कहा तो मेरे कदमो के निचे से जमीन सरक गयी. मैंने अपना माथा पीट लिया . मैं सड़क किनारे धरती पर बैठ गया क्योंकि मेरे पैरो में शक्ति नहीं बची थी खड़ा होने की .

चंपा- उस रात मैं तीन लोगो से मिलना चाहती थी तुझसे, दाई से और अभिमानु से . मैं दाई के दरवाजे तक पहुँच तो गयी थी पर मेरी हिम्मत नहीं हुई की उसे बता सकू . फिर मैंने सोचा की तुझे बता दू पर एक बार फिर मैं हिम्मत नहीं कर पाई. तू मंगू वाली बात से वैसे ही नाराज था मेरे पास अब सिर्फ एक रास्ता था की मैं अभीमानु से मदद मांगू . मैं इसी कशमकश में उलझी थी की तभी उस कारीगर ने मुझ पर हमला कर दिया और किस्मत से तू वही आ गया .

मुझे बिलकुल समझ नही आ रहा था की मैं क्या कहूँ .

चंपा- बोल कुछ तो

मैं- कितने दिन का है ये

चंपा- शायद एक महीने का

मैं -तू नहीं जानती तूने क्या किया है . अरे मुर्ख किसी को भी अगर भनक हुई न तो तेरा क्या हाल होगा सोचा तूने.

चंपा- जानती हूँ इसीलिए मैंने सोचा की अभिमानु को सब सच बता दूंगी

मैं- तेरी खाल उतार देता वो .जानती है न अपने छोटो से कितना स्नेह है उसे . तेरी हरकत जान कर भैया मालूम नहीं क्या करते तब तो मरी ही मरी थी तू. पर तू फ़िक्र मत कर , करूँगा कुछ न कुछ . तुझे बच्चा गिराना होगा .

चंपा ने नजरे नीची कर ली.

मैं- अब क्या फायदा . मैंने तुझे कितना समझाया मुझे क्या तू बुरी लगती थी . ये गंद फैलाना होता तो मैं ही रगड़ लेता तुझे. और मंगू की तो मैं गांड ऐसी तोडूंगा याद रखेगा वो . तू जानती है मैं कितना परेशां हूँ भाभी ने मेरा जीना हराम किया हुआ है मेरे से मेरी उलझने नहीं सुलझ रही और तुम लोग रुक ही नहीं रहे रायता फ़ैलाने से.

चंपा- गलती हुई मुझसे . मैं तुझे वचन देती हूँ कबीर मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करुँगी.

मैं- तेरी गांड ना तोड़ दूँ मैं दुबारा ऐसा हुआ तो. बैठ अब मलिकपुर वाला काम निपटाके मैं ले चलूँगा शहर तुझे मेरा दिल तो नहीं कर रहा क्योंकि इस जीव का क्या दोष है . तेरे पापो की सजा इसे भुगतनि पड़ेगी . न जाने इस पाप की क्या सजा होगी.

बुझे मन से हम लोग मलिकपुर की तरफ चल दिए एक बार फिर से. वहां जाकर मैंने सुनार को राय साहब की चिट्ठी दी और चंपा ने अपना नाप दिया. सुनार ने बहुत देर लगाई तरह तरह के गहने दिखाता रहा वो हमें. वापसी में मैंने देखा की हलवाई ताजा जलेबी उतार रहा था चंपा को जलेबी बहुत पसंद थी तो मैंने हलवाई से कहा की थोड़ी जलेबी हमें दे. मैंने सोचा की तब तक मैं साइकिल में हवा भर लेता हूँ .चंपा जलेबी खा ही रही थी की उधर से सूरजभान निकल आया.

“उफ़ आज तो शहद ने शहद को चख लिया ” सूरजभान ने चंपा के होंठो से लिपटी चाशनी देखते हुए फब्ती कसी.

चंपा- होश में रह कर बात कर तेरा मुह तोड़ दूंगी

सूरजभान- मुह का मेरा सब कुछ तोड़ दे. ऐसा फूल देख कर दिल कर रहा है की चख लू मैं . बोल क्या खुशामद करू मैं तेरी .

सूरजभान अपनी गाड़ी से उतर कर चंपा के पास गया और उसका हाथ पकड़ लिया

चंपा- हाथ छोड़ मेरा

सूरजभान- तू एक बार दे दे . हाथ क्या मैं जहाँ छोड़ दू.

सूरजभान ने अपनी पकड़ मजबूत कर दी चंपा की कलाई पर .

“माना की घी का कनस्तर खुले में है पर कुत्ते को अपनी औकात नहीं भूलनी चाहिए . हाथ पकड़ ने से पहले सोच तो लेता की इसके साथ कौन है ” मैंने उन दोनों की तरफ आते हुए कहा .

सूरजभान ने पलट कर मुझे देखा और उसके चेहरे का रंग बदल गया .

सूरजभान- तू, तू यहाँ

मैं- हाथ छोड़ इसका

सूरजभान- नहीं छोडूंगा, मेरा दिल आ गया है इस पर तू कही और जाकर अपना मुह मार.

मैं- मुझे दुबारा कहने की आदत नहीं है . मेरी बात ख़त्म होने से पहले अगर तूने इसका हाथ नहीं छोड़ा तो तेरा हाथ तेरा कंधा छोड़ देगा .

सूरजभान- एक बार क्या तू जीत गया खुद को खुदा समझ रहा है उस दिन मैं नशे में था वर्ना तेरी हेकड़ी तभी मिटा देता.

मैं- आज तो नशे में नहीं है न तू .

सूरजभान ने चंपा का हाथ छोड़ दिया पर नीचता कर ही दी उसने . उसने चंपा के सीने पर हाथ फेर दिया. और मैंने उसकी गर्दन पकड़ ली.

मैं- भोसड़ी के , तुझे समझ नहीं आया मैंने कहा न ये मेरे साथ है फिर भी बहन के लंड तू मान नहीं रहा . जानना चाहता है , देखना चाहता है मेरे अन्दर जलती आग को.

सूरजभान ने एक मुक्का मेरे पेट में मारा और बोला- अभिमानु आया था . माफ़ी मांग कर गया था वो . कह रहा था की गलती हो गयी उसके भाई से माफ़ करो. उस से जाकर पूछना की सूरजभान कौन है . फिर बात करना . मैं वो आग हूँ जिसमे तू झुलसेगा नहीं जलेगा.

मैं- इतने बुरे दिन नहीं आये है की मेरे जीते जी मेरा भाई किसी से माफ़ी मांगे. तूने तो औकात से बड़ी बात कह दी . शुक्र मना की मैंने भैया से वादा किया है की खून खराबा नहीं करूँगा वर्ना दारा की लाश तूने देखि तो जरुर होगी . सोच मैं तेरे साथ क्या करूँगा.

मेरी बात सुन कर सूरजभान के चेहरे पर हवाइया उड़ने लगी वो पीछे सरक गया . मैंने चंपा का हाथ थामा और दुसरे हाथ में साइकिल लेकर आगे बढ़ गया .

“ये दुश्मनी बड़ी शिद्दत से निभाई जाएगी कबीर. शुरुआत तूने की थी अंत मैं करूँगा. मुझे शक् तो था पर तूने आज मोहर लगा दी . मैं कसम खाता हूँ तू रोयेगा. तू भीख मांगेगा मौत की और मैं हसूंगा ” सूरजभान ने पीछे से कहा

मैं- इंतजार रहेगा मुझे उस दिन का

मैंने बिना उसकी तरफ देखे कहा .

सूरजभान- पहला झटका तो तूने देख ही लिया अपनी बर्बाद फसलो को देखना तुझे मेरी याद आयेगी

उसकी ये बात सुनकर मैं बुरी तरह चौंक गया तो क्या नहर टूटने में इस मादरचोद का हाथ था. पर मैंने सब्र किया क्योंकि मेरे साथ चंपा थी . दो पल मैं रुका और बोला- तेरे बाप ने मर्द पैदा किया है तुझे तो ये रांड वाली हरकते मत करना . शेर का शिकार करने के लिए शेर का कलेजा ही चाहिए चूहे का नहीं . जिस दिन तुझे लगे की तू इस काबिल है की कबीर को टक्कर दे सकता है मिलना मुझसे . तेरी एक एक हड्डी को तेरे बंद से निकाल लूँगा.

सूरजभान- वो दिन जल्दी ही आएगा.

मैंने उस को अनसुना किया और आगे बढ़ गया.


Shandar update Fauzi Nhai,

Khet me pani is betichod Surajbhan ki wajah se aaya tha.....

Champa ne pregnancy wali bat Kabir ko batakar sahi hi kiya, ab Kabir hi Champa ki abortion me madad karega......

Surajbhan fir se koi na koi harkat jarur karega..... aur ho sakta he wo harkat uski aakhiri ho.........

Keep posting Bhai
 
Top