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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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कभी कभी आंखों का देखा भी सत्य नहीं होता । दारा की हत्या कबीर ने बड़े ही निर्मम तरीके से की । उसके खून के छींटों से सराबोर हो गया था वो । ऐसे में उसे कोई भी देखता तो यही समझता कि अब तक जितने भी हत्याएं हुई है वो कबीर ने ही किया है । लोग उसे ही नरपिशाच समझ लेते ।
ऐसा ही तो हुआ था जब कविता की हत्या हुई थी और वहां निशा खून से लथपथ पाई गई थी ।
इंसान का प्रारब्ध कब से क्या हो जाए , कोई नहीं जानता । हालात कब क्या करा दे , कोई नहीं समझ सकता ।

कबीर कहां जानता था कि वो एक दिन भाभी के नजरों में ही गिर जाएगा ! उसे क्या पता था कि वो एक दिन हत्यारा भी बन जाएगा ! और वो कहां जानता था कि एक दिन अपनी ही चाची के साथ हमबिस्तर भी हो जाएगा !

कुछ ऐसी ही मजबूरियां रही होंगी... कुछ ऐसे ही हालात बन गए होंगे और कुछ ऐसे ही नियति ने निशा के साथ खेल खेल दिया होगा ।
उसने दो बार सियार के माध्यम से कबीर को बुलाना चाहा लेकिन कबीर ने इन्कार कर दिया । उसके आंखों से वह दृश्य जाता ही नहीं जो कविता की मृत्यु के वक्त निशा के चेहरे पर देखा था ।
उसे जाना चाहिए था और उसकी बातें सुननी चाहिए थी ।

एक नया अध्याय मलिक पुर गांव और वहां के रसूखदार व्यक्ति रूडा पर शुरू हुआ है । बाई जी के डांस प्रोग्राम में उसने रूडा के सुपुत्र सुरजभान से पंगे ले लिया ।
देखते हैं इस अध्याय का क्या महत्व होने वाला है ? यह दो प्रतिद्वंदियों की स्पर्धा की कहानी मात्र है या इनका गांव में होने वाले कत्ल से भी कोई नाता है !

बहुत खुबसूरत अपडेट्स था फौजी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट्स ।
अब तक नए रिश्ते बने है कुछ रिश्ते उलझे है भाई का प्यार दोस्त की दोस्ती निशा संग बिताए पल चाची संग की मस्ती और भाभी की नाराजगी क्या ही कहे अब,
बस इतनी कोशिस है कि ये कहानी कुछ ऐसी हो कि मेरे जाने के बाद भी याद की जाए
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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बेहतरीन अपडेट है कबीर चाची के संग मजा कर रह है ये वैध कहा गायब रहता है इसका भी कुछ गोलमाल लग रहा है सियार बार बार कबीर के पास आकर क्या जता रहा है निशा भी उस दिन के बाद नही आई है क्या सियार ही निशा है???? अब मंगू किसके टपकने की खबर लेकर आया है

कबीर का गुस्सा उन लोगो पर उतारा जिनका कोई कसूर नहीं है ये तो सरासर ग़लत है रूड़ा को कबीर से आकर बात करनी चाहिए थी कबीर ने दारा को मारकर सही किया लेकिन भविष्य में कबीर के लिए यह दुश्मनी खतरनाक हो सकती हैं ????

कबीर के साथ ये पहली बार हुआ है लेकिन मुझे लगता है ये अब रुकने वाला नही है अगर कुछ गलत होगा तो उसको सजा देने के लिए ये फिर से होगा लगता है ये ही कबीर की भी नियति है
भाई ने सही कहा है कि किसी छोटी बात को अनसुना करके कोई घटना टलती है तो बेहतर है
चंपा की शादी होने वाली है और उसके मन में क्या है ये अभी पता नही चला है
भाभी के मन में क्या है पता नही???
चम्पा के मन मे जो है उसे भी मालूम है कि एक दिन उसे जाना है यहां से, बचपन से साथ रहे है एक दूसरे के प्रति आकर्षण है एक दूसरे को समझते है
भाई एक पेड़ है जिसकी छाया तले कबीर नाम का पौधा बढ़ रहा है हाँ भाभी नाराज है पर सब समय का फ़ेर है एक दिन वो जान जाएगी कि कबीर निर्दोष है

रही बात निशा की तो वो कब क्या करे कौन जाने
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Fantastic update Fauzi Bhai,

Kabir ko ab pachtawa bhi ho raha he ki wo aisa darinda kaise ban gaya, jis tarah se usne Dara ko mara he, wo khud bhi hairan he..........

Abhimanu ne badi sahi baat kahi he kabir se, udta tir na pakde ab wo koi bhi aur sabko sath lekar chalna he.............

Bhabhi ne Champa aur kabir ko dekh liya he, ab Kabir ki aur bhi watt lagne wali he.......

Shandar Fauzi Bhai........ Keep Posting
उम्मीद है कि जल्दी ही कबीर के लिए सब ठीक हो
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Siyar nahi ye premika ka prem patr hai jisame Kabir ko manane ke liye Nisha dvara bheja gaya sandesh hai (Ki Babu ek baar meri baat to sun lo 😜😜😜😂😂😂) jo roj aata hai Nisha ke traf se lekin Kabir gusse ke karan usaka jawab nahi de raha hai ....... Kabir ko ek baar Nisha se mil Lena chahiye ya fir Kabir ko apane traf se sachai ka pata lagana chahiye kyoki Nisha agar galat hote to Kabir ko sfai Dene ke liye itana kuchh nahi karati kyoki agar Nisha galat hoti to vah baar baar Kabir ko sandesh kyo bhejati (halanki pyar me log kya se kya kar jate hai)
Abb aage dekhate hai ki mangu akhir Kabir ko hdbdahat me kaha le jata hai ...........................

Vaise is update ki baat kare to har update ki tarah yah update bhi bahut majedar tha khas taur par mujhe Jo scene padhane me maja aata hai Champa wala scene aur Nisha ke sath wala scene halanki mujhe kahani ke har bhag maja dete hai lekin ye scene ko padhane me mujhe aur bhi maja ata hai.......
सही कहा भाई आपने वो प्रेम पत्र ही है 😍 उम्मीद है कि निशा और कबीर के बीच की बर्फ जल्दी ही पिघले
Gusse me aakar Kabir bhaiya ne to Dara ka dariya (Rakh or Mitti) bana diya.............

Ek dam jhakassss update tha... Bole to ek dam fadu............
Thanks
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#37

एक रात और मैंने चाची की बाँहों में गुज़ार दी. सुबह ही मैं मंगू को लेकर हलवाई के पास गया और उस से पूछा की मिठाइयो का काम कितना बाकी है .

हलवाई- क्या बताऊ कुंवर, मेरा कारीगर न जाने कहाँ गायब हो गया है . वो होता तो बड़ी राहत रहती मुझे .

मैं- तो तुमने तलाश नहीं की उसकी

हलवाई- पिय्क्क्ड है , किसी और के साथ हो लिया होगा ऐसे की क्या तलाश करनी .

मैने मेरे मन में सोचा ये दुनिया बड़ी मादरचोद है .

मैं- कोई नहीं, दिवाली के दिन आये ही समझो मिठाई कम नहीं रहनी चाहिए

हलवाई- आजतक ऐसा हुआ है क्या कभी

मैं- ठीक है

फिर मैं और मंगू खेतो पर निकल गए. सरसों की फसल में तेजी होने लगी थी पर फिर भी हमने सोचा की दिवाली के बाद ही पानी देंगे इसको. गेहूं भी हमारे ठीक ही लग रहे थे . शाम तक हम लोग वही पर रहे . मैं मंगू के आगे कारीगर का जिक्र करना चाहता था फिर सोचा की मंगू चुतिया है . किसी और के आगे अंट शंट बक दिया तो मेर्रे लिए और मुसीबत हो जाएगी.

खैर त्यौहार सर पर था तो मैंने चाची के घर को पूरा साफ़ कर दिया. दरअसल पुताई के लिए भैया ने मना किया था वो चाहते थे की थोड़े दिन में चंपा का ब्याह होना ही है फिर ही करवा लेंगे. तमाम व्यस्तता के बीच एक चीज जो मुझे हताश कर रही थी वो थी मेरे लिंग की सूजन, जब जब मैंने मूतने जाता तो मैं उसे देखता . हालाँकि चाची कहती थी की ये चीज़ मोटी ही होनी चाहिए क्योंकि औरत को मोटे लंड से चुदने में अलग हो मजा आता है .



पर मुझे थोड़ी शर्मिंदगी होती थी क्योंकि ये साला झूलता ही रहता था इसका उभार अलग से ही दीखता था . चंपा कई बार इसकी तरफ इशारा करके मेरे मजे लेती थी. दूसरी समस्या थी मेरे कंधे का जख्म साला भर ही नहीं रहा था . हार कर मैंने भैया को बताया तो उन्होंने कहा की दिवाली के बाद वो मुझे शहर दिखायेंगे बड़े डॉक्टर को .



खैर इन्ही सब के बीच दिवाली का दिन भी आ ही गया. भैया ने हम तीनो को पैसे दिए नए कपडे दिए. भाभी ने मंगू और चंपा को तोहफे दिए . मैंने भाभी के पैरो को हाथ लगाया पर उनका हाथ मेरे सर प् र्नाही आया. ऐसी ये पहली दिवाली थी जो भाभी की नाराजगी के बीच मनाई जाने वाली थी .

इतना पराया कर बैठी थी वो मुझे , दिल में कसक तो बहुत थी कहना तो बहुत कुछ चाहता था मैं पर त्यौहार में खटास न हो जाए इसलिए मैं चुप ही रहा. भैया के साथ जाकर हम लोगो ने घर घर मिठाई बांटी. गाँव का माहौल थोडा ठीक नहीं था इसलिए इस बार आतिशबाजी नहीं की जाने वाली थी . बस दिए हो जलाने थे. रात को पूजा के बाद हमने गाँव भर में दियो की रौशनी कर दी. गाँव का स्कूल, मंदिर, डाकखाना. जोहड़ जो भी जहाँ भी जगह दिखी रौशनी करते गए.

दो दिए मैंने लाली और उसके प्रेमी के सम्मान में उस जगह पर जलाये जहाँ पर उन्हें फांसी दी गयी थी .तरह तरह की मिठाई, पकवान खाने पीने में ही आधी रात कब हो गयी मालूम ही नहीं हुआ के तभी मुझे याद आया की मैं कुवे पर और खेतो में दिए जलाना तो भूल ही गया.

मैंने एक झोले में दिए डाले और तेल का कनस्तर साइकिल पर बाँध लिया

चाची- अब कहाँ

मैं- खेतो पर तो दिए जलाये ही नहीं

चाची- रात बहुत हुई अब ठीक नहीं वहां जाना

मैं- चाची किसान का दूसरा घर खेत होते है . उस धरती माता का सम्मान नहीं किया तो ये भी गलत ही होगा न . तुम फ़िक्र मत करो मैं यूँ गया और यूँ आया .

चाची- मैं चलू साथ

मैं- नहीं कहाँ न बस गया और आया . देर नहीं करूँगा.

मैंने साइकिल उठाई और तेजी से गाँव से बाहर को निकल गया . जिस धरती से हम अनाज, सब्जिया ले रहे थे. जिस धरती को हम दूसरी माँ समझते थे इस त्यौहार में उसे कैसे अकेला छोड़ देते . मैं जब पगडण्डी से थोड़ी दूर था तो मैंने अपनी जमीन पर दूर से ही रौशनी देख ली थी और मैं हैरान हुआ . मैंने सोचा क्या मालूम भाभी आई हो यहाँ पर . जब मैं वहां पर पहुंचा तो देखा की दिए जुगनुओ जैसे फैले थे जहाँ तक मेरी नजर गयी झिलमिलाते दियो ने मन मोह लिया.

मैंने देखा कुवे की मुंडेर पर गोलाई में दिए जल रहे थे और वही पर सियार बैठा हुआ बड़ा गजब लग रहा था उस रौशनी में . मुझे देख कर वो पास आया और मेरे सीने से पंजे लगा दिए. उसका ये तरीका था गले लगने का. उसे देख कर मैं मुस्कुराया . मैं थोडा और आगे बढ़ा तो देखा की देहरी पर मेरी तरफ पीठ किये कोई बैठी थी और मैं एक पल में जान गया वो कौन थी ....

“निशा, तुम यहाँ ” मैंने कहा

निशा-और कौन होगा मेरे सिवा .

निशा उठ कर मेरे पास आई .उसे देखा , देखता ही रह गया . इतनी खूबसूरत आज से पहले वो कभी नहीं थी . आज उसने केसरिया लहंगा चोली पहना था

मैं- जोगन लग रही हो आज

निशा- जोग लगे जमाना हुआ

उसने एक दिया मेरे हाथ में रखा और बोली- बिना बताये आई तुम्हे परेशानी तो नहीं

मैं- इतना तो हक़ है तुम्हारा . ये सब तुम्हारा ही है कभी भी आ सकती हो. मुझे मालूम होता की तुम आओगी तो मैं पहले ही आया जाता

निशा- अब भी देर कहाँ हुई.

मैं- तू जब भी बुलाये मैं तो आऊंगा ही

निशा- ये बात है तो फिर इतना इंतजार क्यों करवाया

मैं- क्या बताऊ अब . वैसे मुझे किसी ने बताया नहीं की डायन त्यौहार मानती है

निशा- तूने डायन को जाना ही नहीं कभी . पहले तो कभी मनाया नहीं पर अब ये जरुर मनाएगी ये डायन. अंधेरो में मिला तू उजले की तरफ खींच रहा है मुझे.

वो मेरे पास आई उसने मेरे माथे को चूमा और एक नारंगी-लाल धागा मेरे हाथ में रख दिया.

मैं- क्या है ये ............
 

brego4

Well-Known Member
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wow very loving updates after some violent blood spinning updates, nisha bhi slowly kabir ke pyaar mein aa rahi hai but iska past bahut his suspenseful hai usme se kai secrets bahar aayenge

इतनी खूबसूरत आज से पहले वो कभी नहीं थी . आज उसने केसरिया लहंगा चोली पहना था

मैं- जोगन लग रही हो आज

निशा- जोग लगे जमाना हुआ........ super romantic descriptions dear you rock !

kabir ka ghaav nahi bhar raha to ye baat kabir ko nisha ko batani chahiye
 
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