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अब तक नए रिश्ते बने है कुछ रिश्ते उलझे है भाई का प्यार दोस्त की दोस्ती निशा संग बिताए पल चाची संग की मस्ती और भाभी की नाराजगी क्या ही कहे अब,कभी कभी आंखों का देखा भी सत्य नहीं होता । दारा की हत्या कबीर ने बड़े ही निर्मम तरीके से की । उसके खून के छींटों से सराबोर हो गया था वो । ऐसे में उसे कोई भी देखता तो यही समझता कि अब तक जितने भी हत्याएं हुई है वो कबीर ने ही किया है । लोग उसे ही नरपिशाच समझ लेते ।
ऐसा ही तो हुआ था जब कविता की हत्या हुई थी और वहां निशा खून से लथपथ पाई गई थी ।
इंसान का प्रारब्ध कब से क्या हो जाए , कोई नहीं जानता । हालात कब क्या करा दे , कोई नहीं समझ सकता ।
कबीर कहां जानता था कि वो एक दिन भाभी के नजरों में ही गिर जाएगा ! उसे क्या पता था कि वो एक दिन हत्यारा भी बन जाएगा ! और वो कहां जानता था कि एक दिन अपनी ही चाची के साथ हमबिस्तर भी हो जाएगा !
कुछ ऐसी ही मजबूरियां रही होंगी... कुछ ऐसे ही हालात बन गए होंगे और कुछ ऐसे ही नियति ने निशा के साथ खेल खेल दिया होगा ।
उसने दो बार सियार के माध्यम से कबीर को बुलाना चाहा लेकिन कबीर ने इन्कार कर दिया । उसके आंखों से वह दृश्य जाता ही नहीं जो कविता की मृत्यु के वक्त निशा के चेहरे पर देखा था ।
उसे जाना चाहिए था और उसकी बातें सुननी चाहिए थी ।
एक नया अध्याय मलिक पुर गांव और वहां के रसूखदार व्यक्ति रूडा पर शुरू हुआ है । बाई जी के डांस प्रोग्राम में उसने रूडा के सुपुत्र सुरजभान से पंगे ले लिया ।
देखते हैं इस अध्याय का क्या महत्व होने वाला है ? यह दो प्रतिद्वंदियों की स्पर्धा की कहानी मात्र है या इनका गांव में होने वाले कत्ल से भी कोई नाता है !
बहुत खुबसूरत अपडेट्स था फौजी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट्स ।
बस इतनी कोशिस है कि ये कहानी कुछ ऐसी हो कि मेरे जाने के बाद भी याद की जाए