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#28
“दिन में बिलकुल नहीं कबीर ” चाची ने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा
अब हम करे तो क्या करे. मैं मंगू के घर चला गया .
चंपा- तू हमेशा तभी आता है जब घर मे कोई नहीं होता , क्या इरादे है तेरे
मैं-इरादे होते अगर मेरे तो तू ये सवाल नहीं करती
चंपा- मैं भी किस पत्थर के आगे सर फोड़ रही हूँ. और बता
मैं- कल तुझे मेरे साथ मलिकपुर चलना है . पिताजी ने कहा है की चंपा अपनी पसंद के गहने बनवा आएगी.
चंपा - उसकी जरूरत नहीं है तुम लोगो के बहुत अहसान है हम पर इतना अच्छा वर-घर चुना मेरे लिए और भला क्या मांगू मैं.
मैं- कैसी बाते करती है तू , ये घर भी तेरा है वो घर भी तेरा है
चंपा- पर फिर भी मैं नहीं चलूंगी मलिकपुर
मैं- मत चल मुझे क्या है राय साहब को फिर तू ही जवाब देगी
चंपा - बिलकुल मैं जवाब दूंगी. कबीर , तू मेरी भी तो सुन
मैं- हम तो सबकी ही सुनते है बस इस ग़रीब की कोई नहीं सुनता तेरे घर आये है चाय पानी तो पूछ ले बेईमान
चंपा- ये भी तो तेरा ही घर है और अपने घर में कोई पूछता नहीं है जो चाहिए ले लेता है
मैं- लेनी तो मैं तेरी चाहता हूँ जानेमन
चंपा- हाय मेरे राजा , यही पर सलवार खोल दू क्या
हम दोनों ही हंस पड़े.
चंपा- वैसे वो लड़की जिसे तू साइकिल पर बिठाये था मुझ सी सुन्दर नहीं है
मैं- मुझे भी ऐसा ही लगता है
चंपा- कौन थी कहाँ की थी ये तो बता दे जुल्मी
मैं- तुझे क्या लगता है तुझसे छिपाता मैं, तुझे ही तो जलाना था
चंपा- देख मैं तो कोयला ही हो गयी अब तो बता दे.
मैं- अगर तू कल मलिकपुर चलेगी तो मैं बता दूंगा
चंपा - तू जहाँ कहेगा वहां ले चल पर जिस काम के लिए तू कह रहा है वो नहीं हो पायेगा.
मैं- क्या मेरा कोई हक़ नहीं तुझ पर
चंपा- मेरे दिल से पूछ जो तेरे लिए ही धडकता है
मैं- तो फिर चल और पसंद कर ले अपने लिए गहने
चंपा- तू कोई काला डोरा ला दे मुझे सोने से महंगा लगेगा मुझे.
मैं- ठीक है तो रह अपनी जिद पर .
चंपा- तू मोहब्बत करता है क्या उस लड़की से
मैं- ये दुनिया करने भी देगी मुझे मोहब्बत, लाली के जैसे मुझे भी लटका देगी .
चंपा- गाँव में तो यही चर्चा है की राय साहब का लड़का रातो में किसी औरत के पास ही जाता है
मैं- गाँव वाले फिर बताते नहीं की उनमे से किसकी बेटी-बहुओ के पास जाता हु मैं .
चंपा- अपनी बदनामी कौन करेगा
,मैं-तुझे भी ऐसा ही लगता है क्या
चंपा- नहीं , क्योंकि अगर तू ठरकी होता तो अब तक चढ़ गया होता मुझ पर . वैसे सच बताना तेरा दिल नहीं करता क्या ये सब करने को
मैं- दिल करता है बहुत ज्यादा करता है जवानी जब खून में दौड़ती है तो रातो को नींद आना बड़ा मुश्किल हो जाता है पर क्या करे . लेने को तो तेरी ले लू पर थोड़ी देर के मजे के लिए मैं कितनी नजरो से गिर जाऊंगा. तुझसे नजरे क्या मिला पाउँगा. इस दलदल में जो गिरे तो फिर निकला नहीं जायेगा चंपा. मुझे क्या मालूम नहीं है गाँव की कितनी औरतो चाहती है मेरे निचे लेटना पर वो प्रयास नहीं करती मेरे मन को छूने का . मुझे इ पल भी परवाह नहीं है की मैं राय साहब का बेटा हूँ मेरा दिल उसके लिए धडकता है जो इस कबीर को कबीर समझती है .
चंपा- वही तो मैं पूछ रही हूँ उस मरजानी का नाम तो बता दे जिसने मेरी सोतान बनने की ठानी है
मैं- बता भी दूंगा तो तू मानेगी नहीं
चंपा- बता तो सही
मैं- वो एक डायन है .
चंपा का गुलाबी चेहरा एक दम से सफ़ेद हो गया.
“क्क्क्क क्या क्या कहा तूने ” उसने कांपती आवाज में कहा
मैं- यही की वो एक डायन है .
चंपा- ऐसा मत बोल नाम मत ले . तुझे किसी ने बताया नहीं की जो भी उसका जिक्र करता है रात को उसके घर आ जाती है वो .
मैं- क्या बकवास कर रही है तू
चंपा उठी उसने उपले जलाये और उन पर राई मिर्च डाल कर पुरे घर और दरवाजे पर तभी धुँआ किया और फिर दरवाजे को पानी से धोया
मैं- तू तो सच में सिरियस हो गयी .
चंपा- मैंने कहा न जिक्र मत कर उसका .
चंपा का दिल रखने के लिए मैंने बात बदल दी . जब उसकी माँ आ गयी तो हम दोनों चाची के पास चल दिए.
चाची- क्या बात है कहाँ गायब हो तुम लोग
मैं- बस इधर उधर
चाची- चंपा मैं कबीर के साथ खेतो पर जाउंगी तो तू सोने मत आना ,
चंपा- जी चाची . वैसे आप कहे तो मैं भी चलू दो से भले तीन
चाची- तेरी माँ का कलेजा टहल जायेगा फिर. वैसे भी आजकल जो हालत है कोई भी माँ-बाप औलाद की चिंता तो करेगी ही बेशक तू वहां हमारे साथ रहेगी पर इधर वो परेशां रहेगी. तेरे लिए कुछ नए गरम कपडे निकाले है ले जाना वो .तेरी माँ से कहना की पांच किलो घी पहुंचाए .
वो दोनों अपनी बातो में लग गयी मैंने कुर्सी चबूतरे पर डाली और सुस्ताते हुए चंपा की बात पर गौर करने लगा. उसने कहा था जो भी जिक्र करता है उसके घर पर आ जाती है डायन और मैंने महसूस किया की जब मैंने भाभी को डायन के बारे में बताया था उसी रात निशा ने मुलाकात का संदेसा लिए सियार को भेज दिया . क्या ये एक संयोग था .
“दिन में बिलकुल नहीं कबीर ” चाची ने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा
अब हम करे तो क्या करे. मैं मंगू के घर चला गया .
चंपा- तू हमेशा तभी आता है जब घर मे कोई नहीं होता , क्या इरादे है तेरे
मैं-इरादे होते अगर मेरे तो तू ये सवाल नहीं करती
चंपा- मैं भी किस पत्थर के आगे सर फोड़ रही हूँ. और बता
मैं- कल तुझे मेरे साथ मलिकपुर चलना है . पिताजी ने कहा है की चंपा अपनी पसंद के गहने बनवा आएगी.
चंपा - उसकी जरूरत नहीं है तुम लोगो के बहुत अहसान है हम पर इतना अच्छा वर-घर चुना मेरे लिए और भला क्या मांगू मैं.
मैं- कैसी बाते करती है तू , ये घर भी तेरा है वो घर भी तेरा है
चंपा- पर फिर भी मैं नहीं चलूंगी मलिकपुर
मैं- मत चल मुझे क्या है राय साहब को फिर तू ही जवाब देगी
चंपा - बिलकुल मैं जवाब दूंगी. कबीर , तू मेरी भी तो सुन
मैं- हम तो सबकी ही सुनते है बस इस ग़रीब की कोई नहीं सुनता तेरे घर आये है चाय पानी तो पूछ ले बेईमान
चंपा- ये भी तो तेरा ही घर है और अपने घर में कोई पूछता नहीं है जो चाहिए ले लेता है
मैं- लेनी तो मैं तेरी चाहता हूँ जानेमन
चंपा- हाय मेरे राजा , यही पर सलवार खोल दू क्या
हम दोनों ही हंस पड़े.
चंपा- वैसे वो लड़की जिसे तू साइकिल पर बिठाये था मुझ सी सुन्दर नहीं है
मैं- मुझे भी ऐसा ही लगता है
चंपा- कौन थी कहाँ की थी ये तो बता दे जुल्मी
मैं- तुझे क्या लगता है तुझसे छिपाता मैं, तुझे ही तो जलाना था
चंपा- देख मैं तो कोयला ही हो गयी अब तो बता दे.
मैं- अगर तू कल मलिकपुर चलेगी तो मैं बता दूंगा
चंपा - तू जहाँ कहेगा वहां ले चल पर जिस काम के लिए तू कह रहा है वो नहीं हो पायेगा.
मैं- क्या मेरा कोई हक़ नहीं तुझ पर
चंपा- मेरे दिल से पूछ जो तेरे लिए ही धडकता है
मैं- तो फिर चल और पसंद कर ले अपने लिए गहने
चंपा- तू कोई काला डोरा ला दे मुझे सोने से महंगा लगेगा मुझे.
मैं- ठीक है तो रह अपनी जिद पर .
चंपा- तू मोहब्बत करता है क्या उस लड़की से
मैं- ये दुनिया करने भी देगी मुझे मोहब्बत, लाली के जैसे मुझे भी लटका देगी .
चंपा- गाँव में तो यही चर्चा है की राय साहब का लड़का रातो में किसी औरत के पास ही जाता है
मैं- गाँव वाले फिर बताते नहीं की उनमे से किसकी बेटी-बहुओ के पास जाता हु मैं .
चंपा- अपनी बदनामी कौन करेगा
,मैं-तुझे भी ऐसा ही लगता है क्या
चंपा- नहीं , क्योंकि अगर तू ठरकी होता तो अब तक चढ़ गया होता मुझ पर . वैसे सच बताना तेरा दिल नहीं करता क्या ये सब करने को
मैं- दिल करता है बहुत ज्यादा करता है जवानी जब खून में दौड़ती है तो रातो को नींद आना बड़ा मुश्किल हो जाता है पर क्या करे . लेने को तो तेरी ले लू पर थोड़ी देर के मजे के लिए मैं कितनी नजरो से गिर जाऊंगा. तुझसे नजरे क्या मिला पाउँगा. इस दलदल में जो गिरे तो फिर निकला नहीं जायेगा चंपा. मुझे क्या मालूम नहीं है गाँव की कितनी औरतो चाहती है मेरे निचे लेटना पर वो प्रयास नहीं करती मेरे मन को छूने का . मुझे इ पल भी परवाह नहीं है की मैं राय साहब का बेटा हूँ मेरा दिल उसके लिए धडकता है जो इस कबीर को कबीर समझती है .
चंपा- वही तो मैं पूछ रही हूँ उस मरजानी का नाम तो बता दे जिसने मेरी सोतान बनने की ठानी है
मैं- बता भी दूंगा तो तू मानेगी नहीं
चंपा- बता तो सही
मैं- वो एक डायन है .
चंपा का गुलाबी चेहरा एक दम से सफ़ेद हो गया.
“क्क्क्क क्या क्या कहा तूने ” उसने कांपती आवाज में कहा
मैं- यही की वो एक डायन है .
चंपा- ऐसा मत बोल नाम मत ले . तुझे किसी ने बताया नहीं की जो भी उसका जिक्र करता है रात को उसके घर आ जाती है वो .
मैं- क्या बकवास कर रही है तू
चंपा उठी उसने उपले जलाये और उन पर राई मिर्च डाल कर पुरे घर और दरवाजे पर तभी धुँआ किया और फिर दरवाजे को पानी से धोया
मैं- तू तो सच में सिरियस हो गयी .
चंपा- मैंने कहा न जिक्र मत कर उसका .
चंपा का दिल रखने के लिए मैंने बात बदल दी . जब उसकी माँ आ गयी तो हम दोनों चाची के पास चल दिए.
चाची- क्या बात है कहाँ गायब हो तुम लोग
मैं- बस इधर उधर
चाची- चंपा मैं कबीर के साथ खेतो पर जाउंगी तो तू सोने मत आना ,
चंपा- जी चाची . वैसे आप कहे तो मैं भी चलू दो से भले तीन
चाची- तेरी माँ का कलेजा टहल जायेगा फिर. वैसे भी आजकल जो हालत है कोई भी माँ-बाप औलाद की चिंता तो करेगी ही बेशक तू वहां हमारे साथ रहेगी पर इधर वो परेशां रहेगी. तेरे लिए कुछ नए गरम कपडे निकाले है ले जाना वो .तेरी माँ से कहना की पांच किलो घी पहुंचाए .
वो दोनों अपनी बातो में लग गयी मैंने कुर्सी चबूतरे पर डाली और सुस्ताते हुए चंपा की बात पर गौर करने लगा. उसने कहा था जो भी जिक्र करता है उसके घर पर आ जाती है डायन और मैंने महसूस किया की जब मैंने भाभी को डायन के बारे में बताया था उसी रात निशा ने मुलाकात का संदेसा लिए सियार को भेज दिया . क्या ये एक संयोग था .