• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,847
259
#28

“दिन में बिलकुल नहीं कबीर ” चाची ने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा

अब हम करे तो क्या करे. मैं मंगू के घर चला गया .

चंपा- तू हमेशा तभी आता है जब घर मे कोई नहीं होता , क्या इरादे है तेरे

मैं-इरादे होते अगर मेरे तो तू ये सवाल नहीं करती

चंपा- मैं भी किस पत्थर के आगे सर फोड़ रही हूँ. और बता

मैं- कल तुझे मेरे साथ मलिकपुर चलना है . पिताजी ने कहा है की चंपा अपनी पसंद के गहने बनवा आएगी.

चंपा - उसकी जरूरत नहीं है तुम लोगो के बहुत अहसान है हम पर इतना अच्छा वर-घर चुना मेरे लिए और भला क्या मांगू मैं.

मैं- कैसी बाते करती है तू , ये घर भी तेरा है वो घर भी तेरा है

चंपा- पर फिर भी मैं नहीं चलूंगी मलिकपुर

मैं- मत चल मुझे क्या है राय साहब को फिर तू ही जवाब देगी

चंपा - बिलकुल मैं जवाब दूंगी. कबीर , तू मेरी भी तो सुन

मैं- हम तो सबकी ही सुनते है बस इस ग़रीब की कोई नहीं सुनता तेरे घर आये है चाय पानी तो पूछ ले बेईमान

चंपा- ये भी तो तेरा ही घर है और अपने घर में कोई पूछता नहीं है जो चाहिए ले लेता है

मैं- लेनी तो मैं तेरी चाहता हूँ जानेमन

चंपा- हाय मेरे राजा , यही पर सलवार खोल दू क्या

हम दोनों ही हंस पड़े.

चंपा- वैसे वो लड़की जिसे तू साइकिल पर बिठाये था मुझ सी सुन्दर नहीं है

मैं- मुझे भी ऐसा ही लगता है

चंपा- कौन थी कहाँ की थी ये तो बता दे जुल्मी

मैं- तुझे क्या लगता है तुझसे छिपाता मैं, तुझे ही तो जलाना था

चंपा- देख मैं तो कोयला ही हो गयी अब तो बता दे.

मैं- अगर तू कल मलिकपुर चलेगी तो मैं बता दूंगा

चंपा - तू जहाँ कहेगा वहां ले चल पर जिस काम के लिए तू कह रहा है वो नहीं हो पायेगा.

मैं- क्या मेरा कोई हक़ नहीं तुझ पर

चंपा- मेरे दिल से पूछ जो तेरे लिए ही धडकता है

मैं- तो फिर चल और पसंद कर ले अपने लिए गहने

चंपा- तू कोई काला डोरा ला दे मुझे सोने से महंगा लगेगा मुझे.

मैं- ठीक है तो रह अपनी जिद पर .

चंपा- तू मोहब्बत करता है क्या उस लड़की से

मैं- ये दुनिया करने भी देगी मुझे मोहब्बत, लाली के जैसे मुझे भी लटका देगी .

चंपा- गाँव में तो यही चर्चा है की राय साहब का लड़का रातो में किसी औरत के पास ही जाता है

मैं- गाँव वाले फिर बताते नहीं की उनमे से किसकी बेटी-बहुओ के पास जाता हु मैं .

चंपा- अपनी बदनामी कौन करेगा

,मैं-तुझे भी ऐसा ही लगता है क्या

चंपा- नहीं , क्योंकि अगर तू ठरकी होता तो अब तक चढ़ गया होता मुझ पर . वैसे सच बताना तेरा दिल नहीं करता क्या ये सब करने को

मैं- दिल करता है बहुत ज्यादा करता है जवानी जब खून में दौड़ती है तो रातो को नींद आना बड़ा मुश्किल हो जाता है पर क्या करे . लेने को तो तेरी ले लू पर थोड़ी देर के मजे के लिए मैं कितनी नजरो से गिर जाऊंगा. तुझसे नजरे क्या मिला पाउँगा. इस दलदल में जो गिरे तो फिर निकला नहीं जायेगा चंपा. मुझे क्या मालूम नहीं है गाँव की कितनी औरतो चाहती है मेरे निचे लेटना पर वो प्रयास नहीं करती मेरे मन को छूने का . मुझे इ पल भी परवाह नहीं है की मैं राय साहब का बेटा हूँ मेरा दिल उसके लिए धडकता है जो इस कबीर को कबीर समझती है .

चंपा- वही तो मैं पूछ रही हूँ उस मरजानी का नाम तो बता दे जिसने मेरी सोतान बनने की ठानी है

मैं- बता भी दूंगा तो तू मानेगी नहीं

चंपा- बता तो सही

मैं- वो एक डायन है .

चंपा का गुलाबी चेहरा एक दम से सफ़ेद हो गया.

“क्क्क्क क्या क्या कहा तूने ” उसने कांपती आवाज में कहा

मैं- यही की वो एक डायन है .

चंपा- ऐसा मत बोल नाम मत ले . तुझे किसी ने बताया नहीं की जो भी उसका जिक्र करता है रात को उसके घर आ जाती है वो .

मैं- क्या बकवास कर रही है तू

चंपा उठी उसने उपले जलाये और उन पर राई मिर्च डाल कर पुरे घर और दरवाजे पर तभी धुँआ किया और फिर दरवाजे को पानी से धोया

मैं- तू तो सच में सिरियस हो गयी .

चंपा- मैंने कहा न जिक्र मत कर उसका .

चंपा का दिल रखने के लिए मैंने बात बदल दी . जब उसकी माँ आ गयी तो हम दोनों चाची के पास चल दिए.

चाची- क्या बात है कहाँ गायब हो तुम लोग

मैं- बस इधर उधर

चाची- चंपा मैं कबीर के साथ खेतो पर जाउंगी तो तू सोने मत आना ,

चंपा- जी चाची . वैसे आप कहे तो मैं भी चलू दो से भले तीन

चाची- तेरी माँ का कलेजा टहल जायेगा फिर. वैसे भी आजकल जो हालत है कोई भी माँ-बाप औलाद की चिंता तो करेगी ही बेशक तू वहां हमारे साथ रहेगी पर इधर वो परेशां रहेगी. तेरे लिए कुछ नए गरम कपडे निकाले है ले जाना वो .तेरी माँ से कहना की पांच किलो घी पहुंचाए .





वो दोनों अपनी बातो में लग गयी मैंने कुर्सी चबूतरे पर डाली और सुस्ताते हुए चंपा की बात पर गौर करने लगा. उसने कहा था जो भी जिक्र करता है उसके घर पर आ जाती है डायन और मैंने महसूस किया की जब मैंने भाभी को डायन के बारे में बताया था उसी रात निशा ने मुलाकात का संदेसा लिए सियार को भेज दिया . क्या ये एक संयोग था .
 

Avinashraj

Well-Known Member
2,000
5,638
144
#28

“दिन में बिलकुल नहीं कबीर ” चाची ने मुझे अपने से दूर करते हुए कहा

अब हम करे तो क्या करे. मैं मंगू के घर चला गया .

चंपा- तू हमेशा तभी आता है जब घर मे कोई नहीं होता , क्या इरादे है तेरे

मैं-इरादे होते अगर मेरे तो तू ये सवाल नहीं करती

चंपा- मैं भी किस पत्थर के आगे सर फोड़ रही हूँ. और बता

मैं- कल तुझे मेरे साथ मलिकपुर चलना है . पिताजी ने कहा है की चंपा अपनी पसंद के गहने बनवा आएगी.

चंपा - उसकी जरूरत नहीं है तुम लोगो के बहुत अहसान है हम पर इतना अच्छा वर-घर चुना मेरे लिए और भला क्या मांगू मैं.

मैं- कैसी बाते करती है तू , ये घर भी तेरा है वो घर भी तेरा है

चंपा- पर फिर भी मैं नहीं चलूंगी मलिकपुर

मैं- मत चल मुझे क्या है राय साहब को फिर तू ही जवाब देगी

चंपा - बिलकुल मैं जवाब दूंगी. कबीर , तू मेरी भी तो सुन

मैं- हम तो सबकी ही सुनते है बस इस ग़रीब की कोई नहीं सुनता तेरे घर आये है चाय पानी तो पूछ ले बेईमान

चंपा- ये भी तो तेरा ही घर है और अपने घर में कोई पूछता नहीं है जो चाहिए ले लेता है

मैं- लेनी तो मैं तेरी चाहता हूँ जानेमन

चंपा- हाय मेरे राजा , यही पर सलवार खोल दू क्या

हम दोनों ही हंस पड़े.

चंपा- वैसे वो लड़की जिसे तू साइकिल पर बिठाये था मुझ सी सुन्दर नहीं है

मैं- मुझे भी ऐसा ही लगता है

चंपा- कौन थी कहाँ की थी ये तो बता दे जुल्मी

मैं- तुझे क्या लगता है तुझसे छिपाता मैं, तुझे ही तो जलाना था

चंपा- देख मैं तो कोयला ही हो गयी अब तो बता दे.

मैं- अगर तू कल मलिकपुर चलेगी तो मैं बता दूंगा

चंपा - तू जहाँ कहेगा वहां ले चल पर जिस काम के लिए तू कह रहा है वो नहीं हो पायेगा.

मैं- क्या मेरा कोई हक़ नहीं तुझ पर

चंपा- मेरे दिल से पूछ जो तेरे लिए ही धडकता है

मैं- तो फिर चल और पसंद कर ले अपने लिए गहने

चंपा- तू कोई काला डोरा ला दे मुझे सोने से महंगा लगेगा मुझे.

मैं- ठीक है तो रह अपनी जिद पर .

चंपा- तू मोहब्बत करता है क्या उस लड़की से

मैं- ये दुनिया करने भी देगी मुझे मोहब्बत, लाली के जैसे मुझे भी लटका देगी .

चंपा- गाँव में तो यही चर्चा है की राय साहब का लड़का रातो में किसी औरत के पास ही जाता है

मैं- गाँव वाले फिर बताते नहीं की उनमे से किसकी बेटी-बहुओ के पास जाता हु मैं .

चंपा- अपनी बदनामी कौन करेगा

,मैं-तुझे भी ऐसा ही लगता है क्या

चंपा- नहीं , क्योंकि अगर तू ठरकी होता तो अब तक चढ़ गया होता मुझ पर . वैसे सच बताना तेरा दिल नहीं करता क्या ये सब करने को

मैं- दिल करता है बहुत ज्यादा करता है जवानी जब खून में दौड़ती है तो रातो को नींद आना बड़ा मुश्किल हो जाता है पर क्या करे . लेने को तो तेरी ले लू पर थोड़ी देर के मजे के लिए मैं कितनी नजरो से गिर जाऊंगा. तुझसे नजरे क्या मिला पाउँगा. इस दलदल में जो गिरे तो फिर निकला नहीं जायेगा चंपा. मुझे क्या मालूम नहीं है गाँव की कितनी औरतो चाहती है मेरे निचे लेटना पर वो प्रयास नहीं करती मेरे मन को छूने का . मुझे इ पल भी परवाह नहीं है की मैं राय साहब का बेटा हूँ मेरा दिल उसके लिए धडकता है जो इस कबीर को कबीर समझती है .

चंपा- वही तो मैं पूछ रही हूँ उस मरजानी का नाम तो बता दे जिसने मेरी सोतान बनने की ठानी है

मैं- बता भी दूंगा तो तू मानेगी नहीं

चंपा- बता तो सही

मैं- वो एक डायन है .

चंपा का गुलाबी चेहरा एक दम से सफ़ेद हो गया.

“क्क्क्क क्या क्या कहा तूने ” उसने कांपती आवाज में कहा

मैं- यही की वो एक डायन है .

चंपा- ऐसा मत बोल नाम मत ले . तुझे किसी ने बताया नहीं की जो भी उसका जिक्र करता है रात को उसके घर आ जाती है वो .

मैं- क्या बकवास कर रही है तू

चंपा उठी उसने उपले जलाये और उन पर राई मिर्च डाल कर पुरे घर और दरवाजे पर तभी धुँआ किया और फिर दरवाजे को पानी से धोया

मैं- तू तो सच में सिरियस हो गयी .

चंपा- मैंने कहा न जिक्र मत कर उसका .

चंपा का दिल रखने के लिए मैंने बात बदल दी . जब उसकी माँ आ गयी तो हम दोनों चाची के पास चल दिए.

चाची- क्या बात है कहाँ गायब हो तुम लोग

मैं- बस इधर उधर

चाची- चंपा मैं कबीर के साथ खेतो पर जाउंगी तो तू सोने मत आना ,

चंपा- जी चाची . वैसे आप कहे तो मैं भी चलू दो से भले तीन

चाची- तेरी माँ का कलेजा टहल जायेगा फिर. वैसे भी आजकल जो हालत है कोई भी माँ-बाप औलाद की चिंता तो करेगी ही बेशक तू वहां हमारे साथ रहेगी पर इधर वो परेशां रहेगी. तेरे लिए कुछ नए गरम कपडे निकाले है ले जाना वो .तेरी माँ से कहना की पांच किलो घी पहुंचाए .






वो दोनों अपनी बातो में लग गयी मैंने कुर्सी चबूतरे पर डाली और सुस्ताते हुए चंपा की बात पर गौर करने लगा. उसने कहा था जो भी जिक्र करता है उसके घर पर आ जाती है डायन और मैंने महसूस किया की जब मैंने भाभी को डायन के बारे में बताया था उसी रात निशा ने मुलाकात का संदेसा लिए सियार को भेज दिया . क्या ये एक संयोग था .
Wow nyc update
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,847
259
मैं- क्यों न देखू ऐसे, इस चेहरे से मेरी नजर हटती ही नहीं

निशा- उफ्फ्फ ये बहाने तारीफों के ............. wow dear no one can write romance in simple effective words as you do

nisha ki entry se fir se mausam romantic ho gya ye writer ki hai quality hai ki ek dayan aur insaan ki love story has engrossed all readers and has also arisen immense interest in this story that we are seeing many new users commenting on this magnificent story


Great story in making dear writer, hats off to you
निशा ही इस कहानी को नए मुकाम पर ले जाएगी ऐसा मेरा मानना है, डायन और इंसान की प्रेम कहानी कुछ तो बात है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,847
259
वाह भाई फौजी एक और ज़बरदस्त धमाकेदार अपडेट निशा डायन जी की एंट्री ने तो कहानी में नया जोश भर दिया और सियार तो निशा डायन जी का डाकिया लगता है

निशा भी कबीर की तरफ आकर्षित हो चुकी है लेकिन अपने भूतकाल का कोई ज़िक्र नहीं करती और ना ही उसने कबीर पर हमला करने वाले का ज़िक्र छेड़ा ?

और ना ही कबीर के ज़ख्मो के बारे में पुछा ?

ये लव स्टोरी तो दोनों तरफ से चालू है लेकिन इसका आगे चल कर असली अंजाम निशा डायन जी से ज़्यादा शायद कबीर को भुगतना पड़ेगा और अभी तो ना जाने निशा का क्या इतिहास निकल कर सामने आता है
आकर्षण तो है पर इसे एक मुकाम जहां ये प्रेम हो जाए वहाँ तक ले जाना मुश्किल होगा एक डायन का क्या भूत क्या भविष्य. मोहब्बत होगी तो परीक्षा भी होगी
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,847
259
Wahh bhai mst mza aa gya update
Padh ke lg rha hai Nisha bhi apne kunwar ko pasand karti hai kahi na kahi uske behaviour se aisa lg rha hai
Aur wo siyar kya bana chah rha tha lekin kunwar ko samjh nhi aaya aur na hi usne gaur kiya hai abhi uski harkat pe wo Jamin pe kyu pair mar rha tha
सियार एक संदेश वाहक था निशा का
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,847
259
Humne socha tha ek naya bawal khada honga hume to ummid hi nahi thi ye ek khubsurat shaam hongi, Wah siyaar nisha ka dost tha kya jo kabir ke liye bulawa leke aaya tha :lol: waise socha nahi tha yu achanak mulakaat ho jaayegi lekin accha hua mulakaat ho gayi kyuki ye duriya bhi to bardaash nahi hoti humse.

Nisha ek baat ne dil ko chu liya or ye sach hai insaan se jaada or koi matlabi ho sakta hai khair is bejod sanwaad ke liye to utsukh the hum. Sirf daayn ke naam se hi dil me deheshat ho rahi hai jab wah saamne aayegi tab kya honga. Humne to kuch samjh me nahi aa raha...





सियार निशा का संदेश वाहक था, मुलाकात तो दोनों की जितनी हो उतना एक दूसरे के दिल मे उतरने का प्रयास ज्यादा होगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,847
259
wahh Kya dhamakedaar entry Mari Hai nisha ji ne ojha ki toh Hawa tight Ho gai or nisha ji ne ate hi ojha par sawaal daag diya ki jo bhi ilzaam lgaya gya hai usko pramaneet Kare. Ab ojha kya krta hai or fir uske falswroop



wahh Kya dhamakedaar entry Mari Hai nisha ji ne ojha ki toh Hawa tight Ho gai or nisha ji ne ate hi ojha par sawaal daag diya ki jo bhi ilzaam lgaya gya hai usko pramaneet Kare. Ab ojha kya krta hai or fir uske falswroop Kya parinaam niklta hai dekhna dilchasp hoga. OR sochne pe majbur to champa ne bhi kr diya hai woh itne raat gye jangle kya kr rhi hai jo usne kabir ko bola ki uska uspe shaq ke tehat uska picha krte hue ayi yehi sach hai ya Kuch OR bat hai. Bhaiya me bhi badlaw nazar arhe hai aise. akshmaat taaqatwar hona sandeh ke ghere me lata hai. Itna zrur hai iss Ghar se hi koi hai
जल्दी से बाकी भाग पढ़कर ताजा अंक तक जुड़ जाओ भाई
 
Top