Naik
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Bahot behtareen shaandaar update bhai#22
“कमीने कुत्ते तुझे छोडूंगी नहीं मैं . ”चंपा ने एक मुक्का और मारा मेरी पीठ पर .
मैं- आह. खता तो बता मेरी
चंपा- मुझसे ही पूछ रहा है . मुझे तो खेत तक साथ ले जाने में ज़माने भर की दुहाई देता था और बेलिहाज बेशर्म किसी दूसरी के साथ तू गाँव भर में चक्कर काट रहा था .
मैं- शांत हो जा झाँसी की रानी. गुस्सा थूक दे. और मेरी सुन, वो तो कोई मुसाफिर थी पता बूझ रही थी मेरा उस से भला क्या लेना देना.
चंपा- तेरी इन चिकनी बातो पर अब नहीं फिसलने वाली मैं. मैं ही पागल थी जो तेरे पीछे पड़ी रही .
मैं- सुन तो सही चंपा तू भी न बेकार ही इतना गुस्सा कर रही है .
चंपा- हाँ ये भी मेरा ही दोष है .
“अरे क्या तुम लोग कुत्ते-बिल्ली के जैसे लड़ रहे हो इतने बड़े हो गए हो बचपना कब जायेगा तुम्हारा ” भाभी ने सीढयो से उतरते हुए कहा .
मैं-कुछ नहीं भाभी बस यूँ ही
भाभी- ठीक है , ठीक है चंपा तुम मेरे साथ चलो
भाभी उसके साथ बाहर चली गयी . मैं भी गाँव की तरफ चल दिया. गाँव भर में चर्चा थी की ओझा अचानक से वापिस चला गया था . गाँव वालो की इस बात से और घबराहट बढ़ गयी थी . मैं पंच के घर गया उसके लड़के को देखने के लिए. उसे खाट से बाँध कर रखा गया था . बदन एक दम पीला पड़ चूका था पर जिस तरह से वो हाथ पैर मार रहा था उस से लगता था की ताकत है अभी भी .
मैं बस सोचता रहा की बहनचोद ये क्या बला थी . क्या देख लिया इसने जो ये पगला गया . मैं लगातार जंगल के चक्कर लगा रहा था पर एक पल भी मेरे सामने ऐसा कुछ नहीं आया था . वापसी में मैं मंगू के घर पर गया .
मैं- मंगू रात को खेतो पर चलेगा क्या
मंगू की माँ ने सख्त मना कर दिया . उसके जज्बात भी समझता था मैं . इतनी घटनाओ के बाद हर कोई घर से बे टाइम निकलने से पहले सोचेगा . घर वापस आते समय मुझे मूतने की इच्छा हुई तो मैंने एक कोना पकड़ा और मूतने लगा. मूतते समय मैंने अपने लिंग को देखा ये अभी भी वैसे ही सूजा हुआ था . इन तमाम बातो के चक्कर में इस पर मेरा जरा भी ध्यान नहीं गया था .
मैंने थोड़ी देर विचार किया और फिर बैध जी के घर की तरफ कदम बढ़ा दिए. पर वहां जाकर मालूम हुआ की वो किसी का इलाज करने गया हुआ था . ये दूसरी या तीसरी बार था जब मैं इस मामले में उससे मिलने आया था और वो मिल नहीं पाया. खैर अब घर तो जाना ही था . रोटी-पानी के बाद मैं चाची के पास पहुँच गया .
थोड़ी देर अलाव के पास बैठा . गर्म दूध पीकर तबियत खुश हो गयी .
चाची- किस सोच में डूबा है
मैं- कुछ नहीं चाची
चाची- सारा दिन गायब था . रात को भी नहीं था . जेठ जी को मालूम हुआ तो तेरे साथ मुझे भी परेशानी होगी.
मैं- मैं भी परेशां हु चाची .
चाची- बता तो सही क्या परेशानी है तुझे.
मैं- ये अभी भी सुजा हुआ है
मैंने सकुचाते हुए चाची से कहा तो चाची की त्योरिया चढ़ गयी .
चाची- वैध को नहीं दिखाया न तूने
मैं- गया था पर वो मिला ही नहीं, मुझे लगता है की कुछ हो गया है सुजन उतर ही नहीं रही है .
चाची- दर्द है क्या अभी भी .
मैंने अपना सर चाची के कंधे पर रख दिया. चाची के जिस्म की खुशबु मुझ पर सुरूर बन कर छाने लगी. मैंने उसकी गर्दन पर चूमा.
चाची- उफ़ तेरी ये शरारते
चाची उठ कर लालटेन के पास चली गयी और उसकी लौ धीमी करने लगी. मैंने पीछे से चाची को अपनी बाँहों में भर लिया और चाची के मुलायम पेट को सहलाने लगा. मैंने एक ऊँगली चाची की नाभि में डाल दी . चाची के नितम्ब मेरे लिंग पर रगड़ खाने लगे. चाची मीठी आहें भरते हुए कसमसाने लगी मेरी बाँहों में .
चाची- कबीर मत कर न
मैं- मैं क्या कर रहा हूँ, कुछ भी तो नहीं कर रहा न
मैं अपने हाथ थोडा और ऊपर ले गया और चाची की छातियो को अपनी मुट्ठी में भर लिया .
चाची- मान जा न
चाची मेरे आगोश से निकल गयी और बिस्तर लगाने लगी. चाची जब झुकी तो उसके चूतडो के कसाव ने मेरे दिल पर छुरिया चला दी. चाची ने अपनी ओढनी उतार कर रख दी और बिस्तर पर चढ़ते हुए बोली- आजा सोते है
मैं चाची के साथ रजाई में घुस गया.
चाची- कैसा रहा आज का दिन
मैं- ठीक ही था . खेतो पर मजदूरो ने साफ़ मना कर दिया अहि की वो रात को वहां नहीं रहेंगे. भैया ने भी उन्हें हाँ कह दिया है . मंगू भी नहीं जाएगा उसकी माँ कहती है की जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते उसे नहीं भेजेगी.
चाची- सही निर्णय है
मैं चाची से थोडा चिपक गया बोला- रखवाली की समस्या हो गयी है . गेहूं-सरसों की फ़िक्र नहीं है पर सब्जियों में जंगली पशु घुस गए तो मेहनत बर्बाद हो जायेगी. चंपा ने भी बताया की सब्जियों में नुक्सान हो रहा है .कल से मैं अकेला ही रहूँगा वहां पर
चाची- नहीं बिलकुल नहीं . नुक्सान होता है तो होता रहे . अकेले वहां रहना ठीक नहीं है . जेठ जी कुछ न कुछ हल निकाल लेंगे.
मैं थोडा सा टेढ़ा हुआ तो मेरा तना हुआ लिंग चाची के हाथ को छू गया .
चाची- आज ये इतना गुस्से में क्यों है
मैं- तुम खुद ही क्यों नहीं पूछ लेती इस से
मैंने चाची के हाथ को अपने लंड पर रख दिया. चाची का बदन कांप गया. पर उसने हाथ हटाया नहीं .
मैं- तुमने जो उस दिन किया था मुझे बड़ा करार मिला था
चाची- तब उसकी जरूरत थी अब नहीं है
चाची ने मेरे लंड पर धीरे धीरे अपनी उंगलियों की पकड़ मजबूत की .
मैं- ये सुजन कब तक रहेगी
चाची- पूरी उम्र भी रह जाये तो भी फायदे की बात है
मैं- कैसा फायदा
चाची- बेशर्म सब कुछ जानते हुए भी मुझसे ही कहलवाना चाहता है
मैं- कह क्यों नहीं देती फिर
Lagta h chachi bhateeje m jald hi kuch hone wala h
Baherhal dekhte aage kia hota h
Bahot khoob shaandaar update bhai