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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Naik

Well-Known Member
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#22

“कमीने कुत्ते तुझे छोडूंगी नहीं मैं . ”चंपा ने एक मुक्का और मारा मेरी पीठ पर .

मैं- आह. खता तो बता मेरी

चंपा- मुझसे ही पूछ रहा है . मुझे तो खेत तक साथ ले जाने में ज़माने भर की दुहाई देता था और बेलिहाज बेशर्म किसी दूसरी के साथ तू गाँव भर में चक्कर काट रहा था .

मैं- शांत हो जा झाँसी की रानी. गुस्सा थूक दे. और मेरी सुन, वो तो कोई मुसाफिर थी पता बूझ रही थी मेरा उस से भला क्या लेना देना.

चंपा- तेरी इन चिकनी बातो पर अब नहीं फिसलने वाली मैं. मैं ही पागल थी जो तेरे पीछे पड़ी रही .

मैं- सुन तो सही चंपा तू भी न बेकार ही इतना गुस्सा कर रही है .

चंपा- हाँ ये भी मेरा ही दोष है .

“अरे क्या तुम लोग कुत्ते-बिल्ली के जैसे लड़ रहे हो इतने बड़े हो गए हो बचपना कब जायेगा तुम्हारा ” भाभी ने सीढयो से उतरते हुए कहा .

मैं-कुछ नहीं भाभी बस यूँ ही

भाभी- ठीक है , ठीक है चंपा तुम मेरे साथ चलो

भाभी उसके साथ बाहर चली गयी . मैं भी गाँव की तरफ चल दिया. गाँव भर में चर्चा थी की ओझा अचानक से वापिस चला गया था . गाँव वालो की इस बात से और घबराहट बढ़ गयी थी . मैं पंच के घर गया उसके लड़के को देखने के लिए. उसे खाट से बाँध कर रखा गया था . बदन एक दम पीला पड़ चूका था पर जिस तरह से वो हाथ पैर मार रहा था उस से लगता था की ताकत है अभी भी .

मैं बस सोचता रहा की बहनचोद ये क्या बला थी . क्या देख लिया इसने जो ये पगला गया . मैं लगातार जंगल के चक्कर लगा रहा था पर एक पल भी मेरे सामने ऐसा कुछ नहीं आया था . वापसी में मैं मंगू के घर पर गया .

मैं- मंगू रात को खेतो पर चलेगा क्या

मंगू की माँ ने सख्त मना कर दिया . उसके जज्बात भी समझता था मैं . इतनी घटनाओ के बाद हर कोई घर से बे टाइम निकलने से पहले सोचेगा . घर वापस आते समय मुझे मूतने की इच्छा हुई तो मैंने एक कोना पकड़ा और मूतने लगा. मूतते समय मैंने अपने लिंग को देखा ये अभी भी वैसे ही सूजा हुआ था . इन तमाम बातो के चक्कर में इस पर मेरा जरा भी ध्यान नहीं गया था .

मैंने थोड़ी देर विचार किया और फिर बैध जी के घर की तरफ कदम बढ़ा दिए. पर वहां जाकर मालूम हुआ की वो किसी का इलाज करने गया हुआ था . ये दूसरी या तीसरी बार था जब मैं इस मामले में उससे मिलने आया था और वो मिल नहीं पाया. खैर अब घर तो जाना ही था . रोटी-पानी के बाद मैं चाची के पास पहुँच गया .

थोड़ी देर अलाव के पास बैठा . गर्म दूध पीकर तबियत खुश हो गयी .

चाची- किस सोच में डूबा है

मैं- कुछ नहीं चाची

चाची- सारा दिन गायब था . रात को भी नहीं था . जेठ जी को मालूम हुआ तो तेरे साथ मुझे भी परेशानी होगी.

मैं- मैं भी परेशां हु चाची .

चाची- बता तो सही क्या परेशानी है तुझे.

मैं- ये अभी भी सुजा हुआ है

मैंने सकुचाते हुए चाची से कहा तो चाची की त्योरिया चढ़ गयी .

चाची- वैध को नहीं दिखाया न तूने

मैं- गया था पर वो मिला ही नहीं, मुझे लगता है की कुछ हो गया है सुजन उतर ही नहीं रही है .

चाची- दर्द है क्या अभी भी .

मैंने अपना सर चाची के कंधे पर रख दिया. चाची के जिस्म की खुशबु मुझ पर सुरूर बन कर छाने लगी. मैंने उसकी गर्दन पर चूमा.

चाची- उफ़ तेरी ये शरारते

चाची उठ कर लालटेन के पास चली गयी और उसकी लौ धीमी करने लगी. मैंने पीछे से चाची को अपनी बाँहों में भर लिया और चाची के मुलायम पेट को सहलाने लगा. मैंने एक ऊँगली चाची की नाभि में डाल दी . चाची के नितम्ब मेरे लिंग पर रगड़ खाने लगे. चाची मीठी आहें भरते हुए कसमसाने लगी मेरी बाँहों में .

चाची- कबीर मत कर न

मैं- मैं क्या कर रहा हूँ, कुछ भी तो नहीं कर रहा न

मैं अपने हाथ थोडा और ऊपर ले गया और चाची की छातियो को अपनी मुट्ठी में भर लिया .

चाची- मान जा न

चाची मेरे आगोश से निकल गयी और बिस्तर लगाने लगी. चाची जब झुकी तो उसके चूतडो के कसाव ने मेरे दिल पर छुरिया चला दी. चाची ने अपनी ओढनी उतार कर रख दी और बिस्तर पर चढ़ते हुए बोली- आजा सोते है

मैं चाची के साथ रजाई में घुस गया.

चाची- कैसा रहा आज का दिन

मैं- ठीक ही था . खेतो पर मजदूरो ने साफ़ मना कर दिया अहि की वो रात को वहां नहीं रहेंगे. भैया ने भी उन्हें हाँ कह दिया है . मंगू भी नहीं जाएगा उसकी माँ कहती है की जब तक हालात ठीक नहीं हो जाते उसे नहीं भेजेगी.

चाची- सही निर्णय है

मैं चाची से थोडा चिपक गया बोला- रखवाली की समस्या हो गयी है . गेहूं-सरसों की फ़िक्र नहीं है पर सब्जियों में जंगली पशु घुस गए तो मेहनत बर्बाद हो जायेगी. चंपा ने भी बताया की सब्जियों में नुक्सान हो रहा है .कल से मैं अकेला ही रहूँगा वहां पर

चाची- नहीं बिलकुल नहीं . नुक्सान होता है तो होता रहे . अकेले वहां रहना ठीक नहीं है . जेठ जी कुछ न कुछ हल निकाल लेंगे.

मैं थोडा सा टेढ़ा हुआ तो मेरा तना हुआ लिंग चाची के हाथ को छू गया .

चाची- आज ये इतना गुस्से में क्यों है

मैं- तुम खुद ही क्यों नहीं पूछ लेती इस से

मैंने चाची के हाथ को अपने लंड पर रख दिया. चाची का बदन कांप गया. पर उसने हाथ हटाया नहीं .

मैं- तुमने जो उस दिन किया था मुझे बड़ा करार मिला था

चाची- तब उसकी जरूरत थी अब नहीं है

चाची ने मेरे लंड पर धीरे धीरे अपनी उंगलियों की पकड़ मजबूत की .

मैं- ये सुजन कब तक रहेगी

चाची- पूरी उम्र भी रह जाये तो भी फायदे की बात है

मैं- कैसा फायदा

चाची- बेशर्म सब कुछ जानते हुए भी मुझसे ही कहलवाना चाहता है


मैं- कह क्यों नहीं देती फिर
Bahot behtareen shaandaar update bhai
Lagta h chachi bhateeje m jald hi kuch hone wala h
Baherhal dekhte aage kia hota h
Bahot khoob shaandaar update bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#23

चाची - कहने को है ही क्या भला

मैं- और करने को , करने को तो है न बहुत कुछ

चाची- आज क्या हुआ है तुझे

मैं- मैं तुम्हे वैसे ही देखना चाहता हूँ जैसे की उस दिन देखा था कुवे वाले कमरे में

चाची- मुझे विश्वास है वैसी हालत में तू पहले भी देख चूका होगा मुझे

मैं- नहीं. बस उस दिन ही देखा था और देखता ही रह गया था

चाची- ऐसा क्या देखा था

मैंने अपने हाथ चाची की नितम्बो पर रखे और कहा- इनकी गोलाई और भारी पन को महसूस किया था मैंने. खिड़की से तुम्हारे झूलते उभारो को देखा था . जब चंपा अपने होंठ तुम्हारी चूत से लगाये थी तो मुझे भी प्यास थी उस काम रस को पीने की

चाची- बेशर्म ऐसे सीधे सीधे ही नाम लेता है

मैं- चूत को चूत नहीं कहते तो फिर क्या कहते है तुम ही बताओ न

चाची- मुझे लगता है ब्याह करना पड़ेगा तेरा जल्दी ही

मैं- ब्याह तो आज नहीं कल हो ही जायेगा पर जब तुम कुछ बताओगी ही नहीं तो मैं क्या कर पाउँगा दुनिया कल तुम्हे ही कहेगी की फलानी का भतीजा कुछ कर नहीं पाता

चाची बड़े आराम से मेरे लंड को सहला रही थी .

चाची- भतीजा घाघ है दुनिया जानती है

मैं- थोडा तुम भी जान लो न

मैंने चाची के लहंगे को कमर तक उठा दिया और चाची के चूतडो को सहलाते हुए गांड के छेद तक अपनी उंगलिया पहुंचा दी. चाची मेरी उंगलियों के अहसास से पिघलने लगी.

चाची- कबीर,इस रस्ते पर चलने का अंजाम क्या होगा.

मैं- जब अंजाम पर पहुंचेगे तब फ़िक्र करेंगे मंजिल की अभी तो सफ़र है सामने

मैं खुद इतना उत्तेजित हो चूका था की क्या बताऊ चाची की गांड का छेद का स्पर्श मेरे तन में इतनी मस्ती भर रहा था की मैं पागल ही हो गया था .

“कच्छे से अन्दर हाथ डाल लो चाची ” कांपते होंठो से बड़ी मुश्किल से मैंने कहा.

“एक बार फिर सोच ले कबीर, रुकना है तो अभी रुक बाद में अफ़सोस के सिवा कुछ नहीं रहेगा. ” इस बार चाची की आवाज लडखडा रही थी .

मैं- अपनी चाची से प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं उसे वो सुख देना जिसके लिए वो तरस रही है . मैं अपनी चाची का ख्याल नहीं रखूँगा तो फिर कौन रखेगा .

“बात सिर्फ इतनी नहीं है की मुझे इस जिस्म को पाना है . उस रात जब मैंने तुमको चंपा के साथ देखा तो उन सिस्कारियो में मैंने उस दुःख को भी महसूस किया चाची जो तुम अपने मन में छिपाए हुए हो. चाचा के जाने का गम जिस को दिन में तो तुम हम सब के साथ रह कर भूल जाती हो पर हर रात , न जाने कितनी रात तुमने अकेले काटी है . उस रात मेरे मन ने महसूस किया तेरे दर्द को चाची. मैं आज इस पल में जानता हूँ मैं आने वाले कल में भी जानूंगा .हर पल. हर घडी. हर दफा ये गलत ही रहेगा चाची -बेटे के बीच जो जिस्मानी रिश्ता होगा पर तेरी मेरी नजर में गलत नहीं होगा. क्योंकि मेरे होते हुए तू दुखी नहीं रहेगी. तू इस घर की रौनक है, मालकिन है . तेरे आँचल की छाया में हम पले है .बचपन में कितनी राते तू जागी ताकि हम आराम से सोये. तेरे अहसानों को तो मैं कभी उतार ही नहीं सकता मंदिर में उस मूर्त के बाद हमारे लिए ममता की मूर्त रही तू. उस रात मैंने तमाम बातो पर गौर किया चाची फिर मैंने ये निर्णय लिया ” मैंने चाची से कहा



चाची ने मुझसे कुछ नहीं कहा बस वो मुझसे लिपट गयी . चाची ने अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा दिया और मुझे चूमने लगी. उसके नैनों से गिरते आंसुओ की गर्मी मैंने अपने गालो पर महसूस की. मैंने चाची को अपने ऊपर खींच लिया . और चाची के चूतडो को अपने हाथो में थाम लिया. मैं सच कहता हूँ चाची की गांड बेहद नर्म और गदराई हुई थी बिलकुल रुई के गद्दों जैसी.

जितना उन्हें मसलो और मस्ता जाए ऐसी मस्त गांड . मैंने चाची को पलटा और अपने निचे ले लिया. और उसके चेहरे को बेस्ब्रो की तरह चूमने लगा. चूमते चूमते मैंने चोली को खोल दिया उपर से वो निर्वस्त्र हो चुकी थी मैंने लहंगे को भी हटा दिया. बिस्तर पर एक गदराई घोड़ी आज मचल रही थी मैने चाची की जांघो को फैलाया और चाची की चूत मेरे सामने थी . काले घने बालो के बीच गुलाबी चूत क्या ही कहना चाची की चूत की पंखुड़िया गहरे काले रंग की थी जिन्हें देखते ही दीवाना हो जाये.



मैंने अपनी हथेली चूत पर रखी और मुट्ठी में भर के उसे दबाने लगा.

“स्सीई ” चाची के मुख से मादक आवाजे निकलने लगी थी .चूत से बहते पानी ने मेरी हथेली को भिगो दिया था मैंने बीच वाली ऊँगली को अन्दर सरकाया . कसम से मेरे लंड ने ऐसा झटका खाया जैसे चूत को सलामी ही दी हो . धीरे धीरे मैं ऊँगली को अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ देर मैं ऐसा ही करता रहा फिर मैंने अपने होंठ वहां लगा दिए और एक चुम्बन लिया. चाची के चूतडो में कम्पन महसूस किया मैंने. अब मैंने मुह खोला और अपनी जीभ से चूत को रगडा .

“आह, कबीर मत कर ” चाची ने अपने दोनों हाथो से मेरे सर को थाम लिया मैंने एक बार फिर वैसा ही किया मेरी थोड़ी के बाल चाची की नाजुक चूत से रगड़ खाए तो चाची का रोम रोम कांप गया . अपनी बलिष्ठ भुजाओ का प्रयोग करते हुए मैंने चाची की जांघो को विपरीत दिशा में फैला दिया और चूत को चूसने लगा. पर मैं ये सब थोड़ी देर ही कर पाया क्योंकि चाची ने तभी मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रगड़ने लगी. उफ्फ्फ्फ़ मेरा क्या हाल कर रही थी वो . और फिर वो बोली- अन्दर घुसा इसे.

चाची ने मेरे सुपाडे की खाल को पीछे किया और मैंने थोडा जोर लगाया जैसे ही लंड का अगला हिस्सा चाची की चूत में गया मैं तो जन्नत को ही पा गया . मैंने और जोर लगाया और आधा लंड अन्दर कर दिया .

चाची- कीड़े की वजह से ज्यादा मोटा हो गया है फट गयी मेरी तो .

मैं- कीड़े की वजह से ही तो आज चुद रही हो तुम

मैंने एक धक्का और लगाया और चाची में पूरी तरफ से समा गया . चाची ने मुझे अपनी बाँहों में कैद कर लिया और हमारी चुदाई शुरू हो गयी . गुलाबी होंठो का रस पीते हुए मैंने चाची को वो सुख देने का प्रयास किया जिस पर उका हक़ बनता था . बहुत मजे से मैंने उन होंठो का रस पिया . अपने चूतडो को ऊपर निचे उठाते हुए चाची चुदाई में मेरा भरपूर सुख दे रही थी .

जब वो झड़ी तो ऐसे झड़ी की रेगिस्तान की मिटटी पर किसी ने जी भर के मेघ बरसा दिए हो. चादर ऐसी गीली हुई की मूत ही दिया हो . चाची की चूत से टपकते काम रस ने मेरी जांघो तक को भिगो दिया. आसमान में उड़ना क्या होता है मैंने चाची पर चढ़ कर जाना था उस रात को .



काम वासना की तरंग ने जब गरम जिस्मो को ताल दी तो चुदाई महक ही जानी थी . ऐसा नहीं था की मैंने हस्तमैथुन नहीं किया था पर चुदाई का मजा क्या होता है ये मैंने आज ही जाना था . चरम पर पहुँच कर मैंने अपना लंड बाहर खींचा और चाची के पेट पर वीर्य की पिचकारियो को गिरा दिया.

उस रात दो बार हम एक हुए .सुबह जब आँख खुली तो देखा की मैं नंगा ही बिस्तर पर पड़ा था . मैंने कपडे पहने और बाहर आ गया. घडी में सात बज रहे थे . बाहर आकर मैंने हाथ मुह धोया और घुमने निकल गया. करीब डेढ़-दो बजे मैं वापिस आया तो मंगू और उसका बाप पिताजी से कुछ बात कर रहे थे तो मैं भी शामिल हो गया .

मैं- क्या बात चल रही है मुझे भी बताओ जरा.

मंगू- चंपा के रिश्ते के लिए आज वो लोग आ रहे है

मैं- और तू अब बता रहा है ये मुझे.

मंगू- मूझे भी अभी अभी ही मालूम हुआ.

तभी बाहर से कुछ आवाजे आये गाँव का हलवाई अपना साजो सामान लेकर आ गया था .

पिताजी ने सब परिवार को इकट्ठा किया और बोले- चंपा केवल राम सिंह की ही नहीं बल्कि इस घर की भी बेटी है . राम सिंह के घर से जायदा तो उसने यहाँ इस घर में समय बिताया है . इस घर में हमेशा से चार बच्चे थे . अभिमानु, कबीर, मंगू और चंपा. हमने अपनी बेटी के लिए एक योग्य लड़का देखा है जो आज अपने परिवार संग यहाँ आ रहे है सब ठीक रहा तो बात आगे बढाई जाएगी.

रामसिंह काका ने पिताजी के आगे हाथ जोड़ दिए और बोला- राय साहब हम मामूली किसान है , आपने जो भी फैसला किया है चंपा के लिए बढ़िया ही होगा पर जैसा आपने बताया लड़का बैंक में चपरासी है . हम कहाँ उसकी हसियत को पकड़ पाएंगे.

पिताजी- रामसिंह तुमने सुना नहीं शायद चंपा हमारी भी बेटी ही है . मेहमानों के स्वागत में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए. हलवाई जल्दी से अपना जांचा जनचाओ और मिठाई बनानी शुरू करो. लडको तुम भी काम में हाथ बंटाओ. दोपहर बाद का समय निर्धारित किया है मेहमानों के आने का .

मैं और मंगू तुरंत बैठक की सफाई करने लगे. सारे परदे नए लगाये. तकिये लिहाफ बिस्तर सब सलीके से किये गए. बस इंतज़ार था तो आने वालो का ......................
 
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#22

चाची - कहने को है ही क्या भला

मैं- और करने को , करने को तो है न बहुत कुछ

चाची- आज क्या हुआ है तुझे

मैं- मैं तुम्हे वैसे ही देखना चाहता हूँ जैसे की उस दिन देखा था कुवे वाले कमरे में

चाची- मुझे विश्वास है वैसी हालत में तू पहले भी देख चूका होगा मुझे

मैं- नहीं. बस उस दिन ही देखा था और देखता ही रह गया था

चाची- ऐसा क्या देखा था

मैंने अपने हाथ चाची की नितम्बो पर रखे और कहा- इनकी गोलाई और भारी पन को महसूस किया था मैंने. खिड़की से तुम्हारे झूलते उभारो को देखा था . जब चंपा अपने होंठ तुम्हारी चूत से लगाये थी तो मुझे भी प्यास थी उस काम रस को पीने की

चाची- बेशर्म ऐसे सीधे सीधे ही नाम लेता है

मैं- चूत को चूत नहीं कहते तो फिर क्या कहते है तुम ही बताओ न

चाची- मुझे लगता है ब्याह करना पड़ेगा तेरा जल्दी ही

मैं- ब्याह तो आज नहीं कल हो ही जायेगा पर जब तुम कुछ बताओगी ही नहीं तो मैं क्या कर पाउँगा दुनिया कल तुम्हे ही कहेगी की फलानी का भतीजा कुछ कर नहीं पाता

चाची बड़े आराम से मेरे लंड को सहला रही थी .

चाची- भतीजा घाघ है दुनिया जानती है

मैं- थोडा तुम भी जान लो न

मैंने चाची के लहंगे को कमर तक उठा दिया और चाची के चूतडो को सहलाते हुए गांड के छेद तक अपनी उंगलिया पहुंचा दी. चाची मेरी उंगलियों के अहसास से पिघलने लगी.

चाची- कबीर,इस रस्ते पर चलने का अंजाम क्या होगा.

मैं- जब अंजाम पर पहुंचेगे तब फ़िक्र करेंगे मंजिल की अभी तो सफ़र है सामने

मैं खुद इतना उत्तेजित हो चूका था की क्या बताऊ चाची की गांड का छेद का स्पर्श मेरे तन में इतनी मस्ती भर रहा था की मैं पागल ही हो गया था .

“कच्छे से अन्दर हाथ डाल लो चाची ” कांपते होंठो से बड़ी मुश्किल से मैंने कहा.

“एक बार फिर सोच ले कबीर, रुकना है तो अभी रुक बाद में अफ़सोस के सिवा कुछ नहीं रहेगा. ” इस बार चाची की आवाज लडखडा रही थी .

मैं- अपनी चाची से प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं उसे वो सुख देना जिसके लिए वो तरस रही है . मैं अपनी चाची का ख्याल नहीं रखूँगा तो फिर कौन रखेगा .

“बात सिर्फ इतनी नहीं है की मुझे इस जिस्म को पाना है . उस रात जब मैंने तुमको चंपा के साथ देखा तो उन सिस्कारियो में मैंने उस दुःख को भी महसूस किया चाची जो तुम अपने मन में छिपाए हुए हो. चाचा के जाने का गम जिस को दिन में तो तुम हम सब के साथ रह कर भूल जाती हो पर हर रात , न जाने कितनी रात तुमने अकेले काटी है . उस रात मेरे मन ने महसूस किया तेरे दर्द को चाची. मैं आज इस पल में जानता हूँ मैं आने वाले कल में भी जानूंगा .हर पल. हर घडी. हर दफा ये गलत ही रहेगा चाची -बेटे के बीच जो जिस्मानी रिश्ता होगा पर तेरी मेरी नजर में गलत नहीं होगा. क्योंकि मेरे होते हुए तू दुखी नहीं रहेगी. तू इस घर की रौनक है, मालकिन है . तेरे आँचल की छाया में हम पले है .बचपन में कितनी राते तू जागी ताकि हम आराम से सोये. तेरे अहसानों को तो मैं कभी उतार ही नहीं सकता मंदिर में उस मूर्त के बाद हमारे लिए ममता की मूर्त रही तू. उस रात मैंने तमाम बातो पर गौर किया चाची फिर मैंने ये निर्णय लिया ” मैंने चाची से कहा



चाची ने मुझसे कुछ नहीं कहा बस वो मुझसे लिपट गयी . चाची ने अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा दिया और मुझे चूमने लगी. उसके नैनों से गिरते आंसुओ की गर्मी मैंने अपने गालो पर महसूस की. मैंने चाची को अपने ऊपर खींच लिया . और चाची के चूतडो को अपने हाथो में थाम लिया. मैं सच कहता हूँ चाची की गांड बेहद नर्म और गदराई हुई थी बिलकुल रुई के गद्दों जैसी.

जितना उन्हें मसलो और मस्ता जाए ऐसी मस्त गांड . मैंने चाची को पलटा और अपने निचे ले लिया. और उसके चेहरे को बेस्ब्रो की तरह चूमने लगा. चूमते चूमते मैंने चोली को खोल दिया उपर से वो निर्वस्त्र हो चुकी थी मैंने लहंगे को भी हटा दिया. बिस्तर पर एक गदराई घोड़ी आज मचल रही थी मैने चाची की जांघो को फैलाया और चाची की चूत मेरे सामने थी . काले घने बालो के बीच गुलाबी चूत क्या ही कहना चाची की चूत की पंखुड़िया गहरे काले रंग की थी जिन्हें देखते ही दीवाना हो जाये.



मैंने अपनी हथेली चूत पर रखी और मुट्ठी में भर के उसे दबाने लगा.

“स्सीई ” चाची के मुख से मादक आवाजे निकलने लगी थी .चूत से बहते पानी ने मेरी हथेली को भिगो दिया था मैंने बीच वाली ऊँगली को अन्दर सरकाया . कसम से मेरे लंड ने ऐसा झटका खाया जैसे चूत को सलामी ही दी हो . धीरे धीरे मैं ऊँगली को अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ देर मैं ऐसा ही करता रहा फिर मैंने अपने होंठ वहां लगा दिए और एक चुम्बन लिया. चाची के चूतडो में कम्पन महसूस किया मैंने. अब मैंने मुह खोला और अपनी जीभ से चूत को रगडा .

“आह, कबीर मत कर ” चाची ने अपने दोनों हाथो से मेरे सर को थाम लिया मैंने एक बार फिर वैसा ही किया मेरी थोड़ी के बाल चाची की नाजुक चूत से रगड़ खाए तो चाची का रोम रोम कांप गया . अपनी बलिष्ठ भुजाओ का प्रयोग करते हुए मैंने चाची की जांघो को विपरीत दिशा में फैला दिया और चूत को चूसने लगा. पर मैं ये सब थोड़ी देर ही कर पाया क्योंकि चाची ने तभी मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रगड़ने लगी. उफ्फ्फ्फ़ मेरा क्या हाल कर रही थी वो . और फिर वो बोली- अन्दर घुसा इसे.

चाची ने मेरे सुपाडे की खाल को पीछे किया और मैंने थोडा जोर लगाया जैसे ही लंड का अगला हिस्सा चाची की चूत में गया मैं तो जन्नत को ही पा गया . मैंने और जोर लगाया और आधा लंड अन्दर कर दिया .

चाची- कीड़े की वजह से ज्यादा मोटा हो गया है फट गयी मेरी तो .

मैं- कीड़े की वजह से ही तो आज चुद रही हो तुम

मैंने एक धक्का और लगाया और चाची में पूरी तरफ से समा गया . चाची ने मुझे अपनी बाँहों में कैद कर लिया और हमारी चुदाई शुरू हो गयी . गुलाबी होंठो का रस पीते हुए मैंने चाची को वो सुख देने का प्रयास किया जिस पर उका हक़ बनता था . बहुत मजे से मैंने उन होंठो का रस पिया . अपने चूतडो को ऊपर निचे उठाते हुए चाची चुदाई में मेरा भरपूर सुख दे रही थी .

जब वो झड़ी तो ऐसे झड़ी की रेगिस्तान की मिटटी पर किसी ने जी भर के मेघ बरसा दिए हो. चादर ऐसी गीली हुई की मूत ही दिया हो . चाची की चूत से टपकते काम रस ने मेरी जांघो तक को भिगो दिया. आसमान में उड़ना क्या होता है मैंने चाची पर चढ़ कर जाना था उस रात को .



काम वासना की तरंग ने जब गरम जिस्मो को ताल दी तो चुदाई महक ही जानी थी . ऐसा नहीं था की मैंने हस्तमैथुन नहीं किया था पर चुदाई का मजा क्या होता है ये मैंने आज ही जाना था . चरम पर पहुँच कर मैंने अपना लंड बाहर खींचा और चाची के पेट पर वीर्य की पिचकारियो को गिरा दिया.

उस रात दो बार हम एक हुए .सुबह जब आँख खुली तो देखा की मैं नंगा ही बिस्तर पर पड़ा था . मैंने कपडे पहने और बाहर आ गया. घडी में सात बज रहे थे . बाहर आकर मैंने हाथ मुह धोया और घुमने निकल गया. करीब डेढ़-दो बजे मैं वापिस आया तो मंगू और उसका बाप पिताजी से कुछ बात कर रहे थे तो मैं भी शामिल हो गया .

मैं- क्या बात चल रही है मुझे भी बताओ जरा.

मंगू- चंपा के रिश्ते के लिए आज वो लोग आ रहे है

मैं- और तू अब बता रहा है ये मुझे.

मंगू- मूझे भी अभी अभी ही मालूम हुआ.

तभी बाहर से कुछ आवाजे आये गाँव का हलवाई अपना साजो सामान लेकर आ गया था .

पिताजी ने सब परिवार को इकट्ठा किया और बोले- चंपा केवल राम सिंह की ही नहीं बल्कि इस घर की भी बेटी है . राम सिंह के घर से जायदा तो उसने यहाँ इस घर में समय बिताया है . इस घर में हमेशा से चार बच्चे थे . अभिमानु, कबीर, मंगू और चंपा. हमने अपनी बेटी के लिए एक योग्य लड़का देखा है जो आज अपने परिवार संग यहाँ आ रहे है सब ठीक रहा तो बात आगे बढाई जाएगी.

रामसिंह काका ने पिताजी के आगे हाथ जोड़ दिए और बोला- राय साहब हम मामूली किसान है , आपने जो भी फैसला किया है चंपा के लिए बढ़िया ही होगा पर जैसा आपने बताया लड़का बैंक में चपरासी है . हम कहाँ उसकी हसियत को पकड़ पाएंगे.

पिताजी- रामसिंह तुमने सुना नहीं शायद चंपा हमारी भी बेटी ही है . मेहमानों के स्वागत में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए. हलवाई जल्दी से अपना जांचा जनचाओ और मिठाई बनानी शुरू करो. लडको तुम भी काम में हाथ बंटाओ. दोपहर बाद का समय निर्धारित किया है मेहमानों के आने का .

मैं और मंगू तुरंत बैठक की सफाई करने लगे. सारे परदे नए लगाये. तकिये लिहाफ बिस्तर सब सलीके से किये गए. बस इंतज़ार था तो आने वालो का ......................
Khoobsurat Update ek taraf Chachi bete ka milaap ho gya toh dusri taraf Champa ke Rishte ke liye log aa rahe hein...Romanchak kahani abb chudail se gharr ki taraf bad rahi hai....champa aur Kabir ke rishte ka kya hoga dekhte Hein...
 

Tiger 786

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#22

चाची - कहने को है ही क्या भला

मैं- और करने को , करने को तो है न बहुत कुछ

चाची- आज क्या हुआ है तुझे

मैं- मैं तुम्हे वैसे ही देखना चाहता हूँ जैसे की उस दिन देखा था कुवे वाले कमरे में

चाची- मुझे विश्वास है वैसी हालत में तू पहले भी देख चूका होगा मुझे

मैं- नहीं. बस उस दिन ही देखा था और देखता ही रह गया था

चाची- ऐसा क्या देखा था

मैंने अपने हाथ चाची की नितम्बो पर रखे और कहा- इनकी गोलाई और भारी पन को महसूस किया था मैंने. खिड़की से तुम्हारे झूलते उभारो को देखा था . जब चंपा अपने होंठ तुम्हारी चूत से लगाये थी तो मुझे भी प्यास थी उस काम रस को पीने की

चाची- बेशर्म ऐसे सीधे सीधे ही नाम लेता है

मैं- चूत को चूत नहीं कहते तो फिर क्या कहते है तुम ही बताओ न

चाची- मुझे लगता है ब्याह करना पड़ेगा तेरा जल्दी ही

मैं- ब्याह तो आज नहीं कल हो ही जायेगा पर जब तुम कुछ बताओगी ही नहीं तो मैं क्या कर पाउँगा दुनिया कल तुम्हे ही कहेगी की फलानी का भतीजा कुछ कर नहीं पाता

चाची बड़े आराम से मेरे लंड को सहला रही थी .

चाची- भतीजा घाघ है दुनिया जानती है

मैं- थोडा तुम भी जान लो न

मैंने चाची के लहंगे को कमर तक उठा दिया और चाची के चूतडो को सहलाते हुए गांड के छेद तक अपनी उंगलिया पहुंचा दी. चाची मेरी उंगलियों के अहसास से पिघलने लगी.

चाची- कबीर,इस रस्ते पर चलने का अंजाम क्या होगा.

मैं- जब अंजाम पर पहुंचेगे तब फ़िक्र करेंगे मंजिल की अभी तो सफ़र है सामने

मैं खुद इतना उत्तेजित हो चूका था की क्या बताऊ चाची की गांड का छेद का स्पर्श मेरे तन में इतनी मस्ती भर रहा था की मैं पागल ही हो गया था .

“कच्छे से अन्दर हाथ डाल लो चाची ” कांपते होंठो से बड़ी मुश्किल से मैंने कहा.

“एक बार फिर सोच ले कबीर, रुकना है तो अभी रुक बाद में अफ़सोस के सिवा कुछ नहीं रहेगा. ” इस बार चाची की आवाज लडखडा रही थी .

मैं- अपनी चाची से प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं उसे वो सुख देना जिसके लिए वो तरस रही है . मैं अपनी चाची का ख्याल नहीं रखूँगा तो फिर कौन रखेगा .

“बात सिर्फ इतनी नहीं है की मुझे इस जिस्म को पाना है . उस रात जब मैंने तुमको चंपा के साथ देखा तो उन सिस्कारियो में मैंने उस दुःख को भी महसूस किया चाची जो तुम अपने मन में छिपाए हुए हो. चाचा के जाने का गम जिस को दिन में तो तुम हम सब के साथ रह कर भूल जाती हो पर हर रात , न जाने कितनी रात तुमने अकेले काटी है . उस रात मेरे मन ने महसूस किया तेरे दर्द को चाची. मैं आज इस पल में जानता हूँ मैं आने वाले कल में भी जानूंगा .हर पल. हर घडी. हर दफा ये गलत ही रहेगा चाची -बेटे के बीच जो जिस्मानी रिश्ता होगा पर तेरी मेरी नजर में गलत नहीं होगा. क्योंकि मेरे होते हुए तू दुखी नहीं रहेगी. तू इस घर की रौनक है, मालकिन है . तेरे आँचल की छाया में हम पले है .बचपन में कितनी राते तू जागी ताकि हम आराम से सोये. तेरे अहसानों को तो मैं कभी उतार ही नहीं सकता मंदिर में उस मूर्त के बाद हमारे लिए ममता की मूर्त रही तू. उस रात मैंने तमाम बातो पर गौर किया चाची फिर मैंने ये निर्णय लिया ” मैंने चाची से कहा



चाची ने मुझसे कुछ नहीं कहा बस वो मुझसे लिपट गयी . चाची ने अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा दिया और मुझे चूमने लगी. उसके नैनों से गिरते आंसुओ की गर्मी मैंने अपने गालो पर महसूस की. मैंने चाची को अपने ऊपर खींच लिया . और चाची के चूतडो को अपने हाथो में थाम लिया. मैं सच कहता हूँ चाची की गांड बेहद नर्म और गदराई हुई थी बिलकुल रुई के गद्दों जैसी.

जितना उन्हें मसलो और मस्ता जाए ऐसी मस्त गांड . मैंने चाची को पलटा और अपने निचे ले लिया. और उसके चेहरे को बेस्ब्रो की तरह चूमने लगा. चूमते चूमते मैंने चोली को खोल दिया उपर से वो निर्वस्त्र हो चुकी थी मैंने लहंगे को भी हटा दिया. बिस्तर पर एक गदराई घोड़ी आज मचल रही थी मैने चाची की जांघो को फैलाया और चाची की चूत मेरे सामने थी . काले घने बालो के बीच गुलाबी चूत क्या ही कहना चाची की चूत की पंखुड़िया गहरे काले रंग की थी जिन्हें देखते ही दीवाना हो जाये.



मैंने अपनी हथेली चूत पर रखी और मुट्ठी में भर के उसे दबाने लगा.

“स्सीई ” चाची के मुख से मादक आवाजे निकलने लगी थी .चूत से बहते पानी ने मेरी हथेली को भिगो दिया था मैंने बीच वाली ऊँगली को अन्दर सरकाया . कसम से मेरे लंड ने ऐसा झटका खाया जैसे चूत को सलामी ही दी हो . धीरे धीरे मैं ऊँगली को अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ देर मैं ऐसा ही करता रहा फिर मैंने अपने होंठ वहां लगा दिए और एक चुम्बन लिया. चाची के चूतडो में कम्पन महसूस किया मैंने. अब मैंने मुह खोला और अपनी जीभ से चूत को रगडा .

“आह, कबीर मत कर ” चाची ने अपने दोनों हाथो से मेरे सर को थाम लिया मैंने एक बार फिर वैसा ही किया मेरी थोड़ी के बाल चाची की नाजुक चूत से रगड़ खाए तो चाची का रोम रोम कांप गया . अपनी बलिष्ठ भुजाओ का प्रयोग करते हुए मैंने चाची की जांघो को विपरीत दिशा में फैला दिया और चूत को चूसने लगा. पर मैं ये सब थोड़ी देर ही कर पाया क्योंकि चाची ने तभी मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रगड़ने लगी. उफ्फ्फ्फ़ मेरा क्या हाल कर रही थी वो . और फिर वो बोली- अन्दर घुसा इसे.

चाची ने मेरे सुपाडे की खाल को पीछे किया और मैंने थोडा जोर लगाया जैसे ही लंड का अगला हिस्सा चाची की चूत में गया मैं तो जन्नत को ही पा गया . मैंने और जोर लगाया और आधा लंड अन्दर कर दिया .

चाची- कीड़े की वजह से ज्यादा मोटा हो गया है फट गयी मेरी तो .

मैं- कीड़े की वजह से ही तो आज चुद रही हो तुम

मैंने एक धक्का और लगाया और चाची में पूरी तरफ से समा गया . चाची ने मुझे अपनी बाँहों में कैद कर लिया और हमारी चुदाई शुरू हो गयी . गुलाबी होंठो का रस पीते हुए मैंने चाची को वो सुख देने का प्रयास किया जिस पर उका हक़ बनता था . बहुत मजे से मैंने उन होंठो का रस पिया . अपने चूतडो को ऊपर निचे उठाते हुए चाची चुदाई में मेरा भरपूर सुख दे रही थी .

जब वो झड़ी तो ऐसे झड़ी की रेगिस्तान की मिटटी पर किसी ने जी भर के मेघ बरसा दिए हो. चादर ऐसी गीली हुई की मूत ही दिया हो . चाची की चूत से टपकते काम रस ने मेरी जांघो तक को भिगो दिया. आसमान में उड़ना क्या होता है मैंने चाची पर चढ़ कर जाना था उस रात को .



काम वासना की तरंग ने जब गरम जिस्मो को ताल दी तो चुदाई महक ही जानी थी . ऐसा नहीं था की मैंने हस्तमैथुन नहीं किया था पर चुदाई का मजा क्या होता है ये मैंने आज ही जाना था . चरम पर पहुँच कर मैंने अपना लंड बाहर खींचा और चाची के पेट पर वीर्य की पिचकारियो को गिरा दिया.

उस रात दो बार हम एक हुए .सुबह जब आँख खुली तो देखा की मैं नंगा ही बिस्तर पर पड़ा था . मैंने कपडे पहने और बाहर आ गया. घडी में सात बज रहे थे . बाहर आकर मैंने हाथ मुह धोया और घुमने निकल गया. करीब डेढ़-दो बजे मैं वापिस आया तो मंगू और उसका बाप पिताजी से कुछ बात कर रहे थे तो मैं भी शामिल हो गया .

मैं- क्या बात चल रही है मुझे भी बताओ जरा.

मंगू- चंपा के रिश्ते के लिए आज वो लोग आ रहे है

मैं- और तू अब बता रहा है ये मुझे.

मंगू- मूझे भी अभी अभी ही मालूम हुआ.

तभी बाहर से कुछ आवाजे आये गाँव का हलवाई अपना साजो सामान लेकर आ गया था .

पिताजी ने सब परिवार को इकट्ठा किया और बोले- चंपा केवल राम सिंह की ही नहीं बल्कि इस घर की भी बेटी है . राम सिंह के घर से जायदा तो उसने यहाँ इस घर में समय बिताया है . इस घर में हमेशा से चार बच्चे थे . अभिमानु, कबीर, मंगू और चंपा. हमने अपनी बेटी के लिए एक योग्य लड़का देखा है जो आज अपने परिवार संग यहाँ आ रहे है सब ठीक रहा तो बात आगे बढाई जाएगी.

रामसिंह काका ने पिताजी के आगे हाथ जोड़ दिए और बोला- राय साहब हम मामूली किसान है , आपने जो भी फैसला किया है चंपा के लिए बढ़िया ही होगा पर जैसा आपने बताया लड़का बैंक में चपरासी है . हम कहाँ उसकी हसियत को पकड़ पाएंगे.

पिताजी- रामसिंह तुमने सुना नहीं शायद चंपा हमारी भी बेटी ही है . मेहमानों के स्वागत में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए. हलवाई जल्दी से अपना जांचा जनचाओ और मिठाई बनानी शुरू करो. लडको तुम भी काम में हाथ बंटाओ. दोपहर बाद का समय निर्धारित किया है मेहमानों के आने का .

मैं और मंगू तुरंत बैठक की सफाई करने लगे. सारे परदे नए लगाये. तकिये लिहाफ बिस्तर सब सलीके से किये गए. बस इंतज़ार था तो आने वालो का ......................
Superb update 💥💥💯💯💯💯💯
 

brego4

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चाची- कीड़े की वजह से ज्यादा मोटा हो गया है फट गयी मेरी तो :lotpot: haha yaar bahut khoob likhte ho manish

chachi to aaj aasman ki sair kar aayi, very enjoyable update

champa ka rishta bhi aa gya dekho aage kya hota hai
 

agmr66608

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चलिये, कबीर का सील टूटा अंतत। कबीर और चम्पा का कश्मकश देखने लायक होगा ही। आगे देखते है की क्या होता है। एकबाट, ये अनुच्छेद संख्या 23 होगा, थोड़ा ठीक कर लीजिएगा। धन्यबाद।
 

Studxyz

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भोसड़ी के कीड़े ने तो लंड को फौलाद बना दिया की चुदी चुदाई चाची भी बिलख उठी :vhappy:

भोसड़ी चची की बंजर भूमि की अच्छी ताबड़तोड़ सिंचाई हो गयी और अब चम्पा की बारी है तो क्या कबीर से उसका टंका सेट नहीं होगा ?
 
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Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Aaj ke update ke baare me kya kahe bahot pyaara tha beshak uteejetna se bhar dene waala tha lekin ise waisa kahna bhi galat hi honga sabkuch natural tha, pyaar tha ek dusre ke prati ek tarah se dekha jaaye to bahot hi rnagmay drishya tha hume pasad aaya...

Champa ke liye rishta dekh rahe hai lekin kya yah jaldbaazi nahi ho rahi hai yu achanak se aisa hona kuch jam nahi raha hai, khair dekhte hai or isme champa ki raay jaana bahot jaruri hai jiska to jikra hi nahi hua...
 
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