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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Studxyz

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अगर नियति की ही बात है तो कभी न कभी डायन निशा जी के साथ गांव वालों द्वारा धक्का ज़रूर हुआ होगा तभी एक एक कर के सब को ठोक रही है

अब इसको कोई शांत कर सकता है तो कबीर लेकिन डायन पर भरोसा कैसे होगा ये देखना रोमांचक रहेगा
 
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HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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सीने के जख्म जो ताजा थे दर्द उतर आया उनमे. न चाहते हुए भी मेरे होंठो से आह निकल गयी.

निशा- क्या हुआ

मैं- कुछ नहीं चोट का दर्द है ठीक हो जायेगा.

निशा- मैं चलती हूँ

मैं- मैं भी , क्या तुम मोड़ तक मेरे साथ चलना पसंद करोगी.

निशा- ठीक है

खामोश कदमो से वो मेरे बराबर चल रही थी . काले घाघरे-चोली में उसके खुले बाल . सच कहूँ तो दिल चाहता था की उसे बस देखता रहूँ. इतनी प्यारी लग रही थी वो की नजर हटे ही नहीं उस चेहरे से.

निशा- क्या सोच रहा है

मैं- यही की किसी दोपहर , किसी पनघट पर तेरी-मेरी मुलाकात हो . मैं ओक लगाऊ तू मटके को मेरी तरफ करे. तेरी खनकती चूडियो से वो पनघट में हलचल मच जाये. तेरे आँचल से अपने भीगे चेहरे को पोंछु मैं .

निशा ने गहरी नजरो से मुझे देखा और बोली- ये भरम पालने का क्या फायदा . मैं खुद हैरान हूँ , इन दो मुलाकातों के बारे में सोच कर .

मैं- तू क्यों सोचती है जब तूने सब कुछ नियति पर ही छोड़ा हुआ है तो इस मामले को भी नियति के हवाले कर दे.

निशा- हम दोनों की अपनी अपनी हदे है . मेरी हद ये जंगल है . तेरी हद वो गाँव है . इनके बीच जो फासला है वो बना रहना चाहिए इसी में सबकी नेकी है.

बातो ही बातो में हम उस रस्ते पर आ गए थे जहाँ से एक तरफ उसे जाना था तो एक तरफ मुझे. उसने एक बार भी पलट कर नहीं देखा मैंने उसे तब तक देखा जब तक की धुंध ने उसे लील नहीं लिया. पूरा गाँव सुनसान पड़ा था , यहाँ तक की कुत्ते भी दुबके हुए थे. मैंने चाची को जगाना उचित नहीं समझा और अपने चोबारे की तरफ जाने लगा. मैंने देखा की भाभी के कमरे की बत्ती जल रही थी . जैसे ही मैं सीढिया चढ़ने लगा भाभी ने मुझे पकड़ लिया.

भाभी- तो कैसी रही आवारागर्दी के लिए एक और रात

मैं- आप सोयी नहीं अभी तक

भाभी- जिस घर के दो जवान बेटे घर से बाहर हो तो किसी को तो नींद नहीं आयेगी न.

मैं- हमेशा आप पकड़ लेती है मुझे

भाभी- तुम्हे, तुमसे ज्यादा जानती हूँ .

मैं- सो तो है

भाभी- चूँकि तुम शहर नहीं गए तो तुम्हे संकोच नहीं होना चाहिए ये बताने में की इतनी रात तक तुम कहाँ थे .तमाम वो सम्भावनाये जिन पर मैं विचार कर सकती थी मैंने तलाश ली है .

मैं- भाभी आप जैसा सोच रही है वैसा बिलकुल भी नहीं है

भाभी- तो फिर बताओ न मुझे की आखिर ऐसी कौन सी वजह है जिसमे एक जवान लड़का रात रात भर जब और दुनिया रजाई में दुबकी ठण्ड से जूझ रही है , लड़का इन ठिठुरती रातो में घूम रहा है . ऐसी क्या वजह है जो तुम्हे राय साहब की भी परवाह नहीं है . मैं बहुत उत्सुक हूँ उस वजह को जानने के लिए.

मैं-सच कहूँ तो भाभी इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं है

भाभी- क्या मेरा देवर गाँव की किसी लड़की या औरत के सम्पर्क में है

मैं- नहीं भाभी बिलकुल नहीं

भाभी- अगर ऐसा हुआ तो मैं उसे तलाश लुंगी देवर जी, और फिर जो होगा उसके लिए अगर कोई जिम्मेदार होगा तो सिर्फ तुम

मैंने भाभी के चरणों को हाथ लगाया और चोबारे में घुस गया . बिस्तर पर लेटे लेटे मैं बस निशा के बारे में ही सोच रहा था . जब भी आँखे बंद करता वो चेहरा मेरी नींद चुरा लेता. और होता भी क्यों न जब वो जाग रही थी तो मुझे भला नींद कैसे आती.

सुबह मैंने भाभी के साथ नाश्ता किया और फिर खेतो के लिए घर से निकलने लगा. मैंने देखा की पिताजी घर पर नहीं थे . रस्ते में मुझे चंपा मिल गयी.

“रोक रोक साइकिल ” उसने कहा

मैं- क्या काम है जल्दी बोल

चंपा- खेतो पर जा रहा है तो मुझे बिठा ले चल

मैं- पैदल आ जाना तू मुझे जल्दी है

चंपा- मुझे भी जल्दी है , बिठा ले इतने भी क्या नखरे तेरे

मैं- ठीक है

चंपा- आगे बैठूंगी.

मैं- तू भी न , कोई देखेगा तो क्या सोचेगा

चंपा- यहाँ से लेकर खेतो तक न के बराबर लोग ही मिलेंगे हमें रस्ते में

चंपा से जिद करने का मतलब था खुद के सर में हथोडा मारना तो मैंने चुपचाप उसे आगे डंडे पर बिठा लिया. और साइकिल चलाने लगा.

मैं- डंडे पर क्या आराम मिलेगा तुझे पीछे आराम से बैठती.

मेरे पैर उसकी जांघो और कुलहो पर रगड़ खा रहे थे .

चंपा- डंडे पर ही तो बैठने का मजा है निर्मोही पर तू है की कुछ समझता ही नहीं .

मैं- ऐसी बाते करेगी तो यही उतार दूंगा.

चंपा - मेरी ऐसी बातो से तेरा डंडा झटके खाता है . वैसे तेरा डंडा है मजेदार

मैं- तेरे होने वाले पति का भी ऐसा ही होगा उस पर दिन रात बैठे रहना कोई नहीं रोकेगा तुझे.

चंपा- अभी तो बस तू और मैं है न

मैं- यही तो मुश्किल है

चंपा- चल छोड़ फिर ये बता पंच के लड़के को क्या हुआ है

मैं- मुझे क्या मालूम

चंपा- कल रात को एक काकी कह रही थी की हो न हो कुंवर पर ही किसी का साया है , कुंवर ही ये सारे हमले कर रहा है .

मैं- फिर तो तूने गलती की इस सुनसान में मैंने तुझ पर हमला कर दिया तो कौन बचाएगा तुझे.

चम्पा- मैं तो तरस रही हूँ उस दिन के लिए की तू कब मुझ पर चढ़ जाये.

उसकी बात सुन कर मुझे हंसी आ गयी .

चंपा- वैसे कबीर, अगर कभी ऐसा हमला मुझ पर हो गया तो तू क्या करेगा .

मैं- शुभ शुभ बोल चंपा. दुआ कर वो दिन कभी न आये. कभी न आये. तू हमारा परिवार है

चंपा - मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी .

बाते करते करते हम खेतो पर आ गए. मैंने साइकिल रोकी और पगडण्डी से होते हुए कुवे पर बने कमरे तक आ पहुंचे . जैसे हम उस जगह पर आये जहाँ मैं कल निशा के साथ था वहां कुछ ऐसा देखा की चंपा खुद को रोक नहीं पायी और उलटिया करने लगी................


 

brego4

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चंपा - मेरी ऐसी बातो से तेरा डंडा झटके खाता है . वैसे तेरा डंडा है मजेदार... haha :lotpot: yaar bahut khoob likhte ho

Nisha ka character bahut hi mesmerizing hai aur interesting bhi

Story has entered very intriguing phase as a result there is uncertainty all around what is going happen next
 

Studxyz

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निशा डायन जी का बर्ताव अजीबोगरीब सा ही है जैसा की डायनों का होता होगा पर ये कबीर से आगे भी मिलने को राज़ी हुई है चाहे रातों को ही सही इसका मतलब इस की वजह भी कुछ न कुछ ख़ास ही होगी

भाभी का बर्ताव भी अभी माँ बहिन जैसा ही इस भाभी से कुछ उम्मीद रखना फिलहाल तो फज़ूल ही लग रहा है :vhappy:

चम्पा का ज़ोरदार रोल है जोश से भरी हुई अठखेलियाँ करती हुई इस अल्हड जवानी को ज़ोरदार लंड की ज़रूरत है पर अभी तो बेचारी रात का कच्चा पक्का मास देख कर उल्टियां कर रही है :D

चाची का भी रोल दमदार लगता है लेकिन अभी निखर कर नहीं आया है

कबीर बहुत बड़ी दुविधा में हैं एक तो गाँव में होते क़त्ल उपर से गाँव वालों को उस पर शक भी होने लगा है की या तो इसपर ऊपरी हवा का असर है या फिर ये क़ातिल से मिला हुआ है ऊपर से निशा डायन जी का मिलना भी कोई कम मुसीबत नहीं और वो कई बार तो बहुत विचित्र डरावना सा व्यवहार करती है कुल मिला कर एक बेहद फाडू धांसू कहानी है जो सब के होश उडा देने वाली है | निशा से दोस्ती कहीं कबीर को बड़ी मुश्किलों ने ना फसा दे
 

Tiger 786

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सीने के जख्म जो ताजा थे दर्द उतर आया उनमे. न चाहते हुए भी मेरे होंठो से आह निकल गयी.

निशा- क्या हुआ

मैं- कुछ नहीं चोट का दर्द है ठीक हो जायेगा.

निशा- मैं चलती हूँ

मैं- मैं भी , क्या तुम मोड़ तक मेरे साथ चलना पसंद करोगी.

निशा- ठीक है

खामोश कदमो से वो मेरे बराबर चल रही थी . काले घाघरे-चोली में उसके खुले बाल . सच कहूँ तो दिल चाहता था की उसे बस देखता रहूँ. इतनी प्यारी लग रही थी वो की नजर हटे ही नहीं उस चेहरे से.

निशा- क्या सोच रहा है

मैं- यही की किसी दोपहर , किसी पनघट पर तेरी-मेरी मुलाकात हो . मैं ओक लगाऊ तू मटके को मेरी तरफ करे. तेरी खनकती चूडियो से वो पनघट में हलचल मच जाये. तेरे आँचल से अपने भीगे चेहरे को पोंछु मैं .

निशा ने गहरी नजरो से मुझे देखा और बोली- ये भरम पालने का क्या फायदा . मैं खुद हैरान हूँ , इन दो मुलाकातों के बारे में सोच कर .

मैं- तू क्यों सोचती है जब तूने सब कुछ नियति पर ही छोड़ा हुआ है तो इस मामले को भी नियति के हवाले कर दे.

निशा- हम दोनों की अपनी अपनी हदे है . मेरी हद ये जंगल है . तेरी हद वो गाँव है . इनके बीच जो फासला है वो बना रहना चाहिए इसी में सबकी नेकी है.

बातो ही बातो में हम उस रस्ते पर आ गए थे जहाँ से एक तरफ उसे जाना था तो एक तरफ मुझे. उसने एक बार भी पलट कर नहीं देखा मैंने उसे तब तक देखा जब तक की धुंध ने उसे लील नहीं लिया. पूरा गाँव सुनसान पड़ा था , यहाँ तक की कुत्ते भी दुबके हुए थे. मैंने चाची को जगाना उचित नहीं समझा और अपने चोबारे की तरफ जाने लगा. मैंने देखा की भाभी के कमरे की बत्ती जल रही थी . जैसे ही मैं सीढिया चढ़ने लगा भाभी ने मुझे पकड़ लिया.

भाभी- तो कैसी रही आवारागर्दी के लिए एक और रात

मैं- आप सोयी नहीं अभी तक

भाभी- जिस घर के दो जवान बेटे घर से बाहर हो तो किसी को तो नींद नहीं आयेगी न.

मैं- हमेशा आप पकड़ लेती है मुझे

भाभी- तुम्हे, तुमसे ज्यादा जानती हूँ .

मैं- सो तो है

भाभी- चूँकि तुम शहर नहीं गए तो तुम्हे संकोच नहीं होना चाहिए ये बताने में की इतनी रात तक तुम कहाँ थे .तमाम वो सम्भावनाये जिन पर मैं विचार कर सकती थी मैंने तलाश ली है .

मैं- भाभी आप जैसा सोच रही है वैसा बिलकुल भी नहीं है

भाभी- तो फिर बताओ न मुझे की आखिर ऐसी कौन सी वजह है जिसमे एक जवान लड़का रात रात भर जब और दुनिया रजाई में दुबकी ठण्ड से जूझ रही है , लड़का इन ठिठुरती रातो में घूम रहा है . ऐसी क्या वजह है जो तुम्हे राय साहब की भी परवाह नहीं है . मैं बहुत उत्सुक हूँ उस वजह को जानने के लिए.

मैं-सच कहूँ तो भाभी इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं है

भाभी- क्या मेरा देवर गाँव की किसी लड़की या औरत के सम्पर्क में है

मैं- नहीं भाभी बिलकुल नहीं

भाभी- अगर ऐसा हुआ तो मैं उसे तलाश लुंगी देवर जी, और फिर जो होगा उसके लिए अगर कोई जिम्मेदार होगा तो सिर्फ तुम

मैंने भाभी के चरणों को हाथ लगाया और चोबारे में घुस गया . बिस्तर पर लेटे लेटे मैं बस निशा के बारे में ही सोच रहा था . जब भी आँखे बंद करता वो चेहरा मेरी नींद चुरा लेता. और होता भी क्यों न जब वो जाग रही थी तो मुझे भला नींद कैसे आती.

सुबह मैंने भाभी के साथ नाश्ता किया और फिर खेतो के लिए घर से निकलने लगा. मैंने देखा की पिताजी घर पर नहीं थे . रस्ते में मुझे चंपा मिल गयी.

“रोक रोक साइकिल ” उसने कहा

मैं- क्या काम है जल्दी बोल

चंपा- खेतो पर जा रहा है तो मुझे बिठा ले चल

मैं- पैदल आ जाना तू मुझे जल्दी है

चंपा- मुझे भी जल्दी है , बिठा ले इतने भी क्या नखरे तेरे

मैं- ठीक है

चंपा- आगे बैठूंगी.

मैं- तू भी न , कोई देखेगा तो क्या सोचेगा

चंपा- यहाँ से लेकर खेतो तक न के बराबर लोग ही मिलेंगे हमें रस्ते में

चंपा से जिद करने का मतलब था खुद के सर में हथोडा मारना तो मैंने चुपचाप उसे आगे डंडे पर बिठा लिया. और साइकिल चलाने लगा.

मैं- डंडे पर क्या आराम मिलेगा तुझे पीछे आराम से बैठती.

मेरे पैर उसकी जांघो और कुलहो पर रगड़ खा रहे थे .

चंपा- डंडे पर ही तो बैठने का मजा है निर्मोही पर तू है की कुछ समझता ही नहीं .

मैं- ऐसी बाते करेगी तो यही उतार दूंगा.

चंपा - मेरी ऐसी बातो से तेरा डंडा झटके खाता है . वैसे तेरा डंडा है मजेदार

मैं- तेरे होने वाले पति का भी ऐसा ही होगा उस पर दिन रात बैठे रहना कोई नहीं रोकेगा तुझे.

चंपा- अभी तो बस तू और मैं है न

मैं- यही तो मुश्किल है

चंपा- चल छोड़ फिर ये बता पंच के लड़के को क्या हुआ है

मैं- मुझे क्या मालूम

चंपा- कल रात को एक काकी कह रही थी की हो न हो कुंवर पर ही किसी का साया है , कुंवर ही ये सारे हमले कर रहा है .

मैं- फिर तो तूने गलती की इस सुनसान में मैंने तुझ पर हमला कर दिया तो कौन बचाएगा तुझे.

चम्पा- मैं तो तरस रही हूँ उस दिन के लिए की तू कब मुझ पर चढ़ जाये.

उसकी बात सुन कर मुझे हंसी आ गयी .

चंपा- वैसे कबीर, अगर कभी ऐसा हमला मुझ पर हो गया तो तू क्या करेगा .

मैं- शुभ शुभ बोल चंपा. दुआ कर वो दिन कभी न आये. कभी न आये. तू हमारा परिवार है

चंपा - मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी .

बाते करते करते हम खेतो पर आ गए. मैंने साइकिल रोकी और पगडण्डी से होते हुए कुवे पर बने कमरे तक आ पहुंचे . जैसे हम उस जगह पर आये जहाँ मैं कल निशा के साथ था वहां कुछ ऐसा देखा की चंपा खुद को रोक नहीं पायी और उलटिया करने लगी................
Superb update 💥💥💯💯💯
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Nisha ke baare me kya kahu sundar hai pyaari hai acchi hai or aisi daayan hai jiske baare me hum nahi jaante waise dono ke bich ka jo swaand hai na wo bahot pasad aata hai hume.. ek bhabhi or dusri daayan kahani ke dono kirdaaro ke baate sidha dil pe utarti hai..

Champa ka kirdaar chulbula, shrarti jaisa hai kabhi kabhi hasi aa jaati hai or accha bhi lagta hai.. shayad champa ne kisi ki laash dekh li hai.. ek shak daayan pe jaata fir lagta hai nahi koi or ho sakta hai...


Aapne hamare pichle review ka reply nahi diya sabhi ka diya sirf humara hi nahi.. Khair intzaar rahega
 
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kamdev99008

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बाते करते करते हम खेतो पर आ गए. मैंने साइकिल रोकी और पगडण्डी से होते हुए कुवे पर बने कमरे तक आ पहुंचे . जैसे हम उस जगह पर आये जहाँ मैं कल निशा के साथ था वहां कुछ ऐसा देखा की चंपा खुद को रोक नहीं पायी और उलटिया करने लगी................
माँस किसका था रात.... ???
जिसकी लाश देखकर चम्पा उलटियां करने लगी....

बेसबरी से इन्तजार.....
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Gaav ki punchayat se koi dhushmani thodi hai humari humne to bas jo galat tha uska virodh kiya or isi ke chalte unki nazro me bhi hum galat ho gaye, ye tisra shikaar hai or abhi tak hum pata nahi kar paaye ki gaav ke jungle me aisa kya hai jiski wajah se logo ki aisi haalat ho rahi hai, kabir ne bhi sahi kaha jaisa karoge waisa bharoge, dusro ke saath galat karoge to tumhare saath bhi wahi honga...

Kon kambakht kehta hai ki wah daayan hai baato se to pari jaisi lagti hai, waise unki baate kuch saaf nahi hai matlab hum samjh nahi paaye kyuki ek taraf wah kahte hai hum kisi ko nahi maarte hai or dusri taraf kahte hai insano ka swaad hi alag hai, khair jo bhi kaha unhone accha laga man khush ho gaya or hum bhi to yahi chahte the, ab ye naadan dil kya chahta hai kon jaane...

Ek dusra rup hai har baat ka jo shayad filhaal hum samjh nahi pa rahe hai, us raat raamlaal par jab hamla kisne kiya tha kya wah daayan ka hi badla hua rup tha ya fir koi or tha ye guthi uljh rahi hai or bhi jaada... intzaar rahega...

मैं माफी चाहता हूं भाई भूल से आपका reply रह गया, भविष्य मे ऐसा हरगिज नहीं होगा
क्षमाप्रार्थी
 
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