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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Daayan ka thanda sparsh chachi ke badan ki garmahat par aakar shant hua tha hi ki uspar champa ki shararat waah lekin kabir mayaar kaisa hai ye to sabko pata hai :D waise champa dheere dheere ek ek kadam aage bad rahi hai shayad use manjil mil jaaye :approve: bhabhi ke saath kuch der hi sahi man khush ho jaata hai abhi tak unka kirdaar khul ke saamne nahi aaya hai :sigh2:
Adheri raat me ek baar fir se cheeekh... matlab ek baar fir se kisi ke saath galat hua hai or daayan bhi ho sakti hai kyuki abhi tak uske baare me pata nahi tha isiliye sabhi ka shak jaanwar par jaata tha or ab uspar jaana swabhavik hai bhuk to use bhi lagti hai...
अगला अपडेट कहानी को नयी दिशा प्रदान करेगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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super entertaining, erotic, adventurous, thrilling story manish bhai

dayan ka aisa jungle mein milna can not be a co incidence iske peeche koi bada reason zaroor hoga

Kat ki family ka scene hi complicated aur tense ho gya hai, lets see bhabhi to saath hai bhai bhi sath deta ki hai nahi ?

chachi aur champa ka role bhi bahut khoob bana hai
अगला अपडेट और जोरदार होगा जो एक नयी दुश्मनी को जन्म देगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Awesome update, chachi ka payar niswarth hai uske man me bahut kuchh hai jisko samay pr kabir samjh payega,
Champa me bhi chadti jawani ka srur hai lekin mohabbat use bhi bharpur hai kabeer se, bhabhi ke payar me ma ki chinta jhalak rahi hai,
Update ka ending wahi andaj me kiya hai kabeer ki pent gili ho na ho lekin yha jrur kuchh gila ho jata hai ending se
चाची चम्पा के अपने फ़साने है कबीर के अपने, अभी उनसे रिश्ता किस तरह जाएगा कौन जाने
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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लाज़वाब, हृदयस्पर्शी, प्रेममय एवं कारुणिक अनुभूतियों के अद्भुत मिश्रण से सराबोर एक बेहतरीन कथानक। अगले हिस्से का बेसब्री से इंतजार रहेगा
Thanks bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#13

मैंने देखा की रामलाल मोची , अपने सीने पर हाथ रखे गिरा हुआ था . और उसके ऊपर को सवार था . रामलाल चीख रहा था . जो भी उसके ऊपर था उसके हाथ बड़े ताकतवर थे रामलाल के सीने को मेरे देखते देखते उसने चीर दिया था . खौफ के मारे मेरा मूत निकल गया था . पर तुरंत ही मैंने खुद को संभाला और रामलाल को बचाने के लिए उसकी तरफ भागा.

मैंने एक पत्थर उठा कर उस पर मारा पर उसे जरा भी फर्क नहीं पड़ा. उसने फिर से रामलाल को दबोचा शायद इस बार गर्दन पर वार किया था . जिबह होते बकरे की तरह मिमिया रहा था रामलाल. भागते हुए मैं रामलाल के पास पहुंचा और जो भी उसके ऊपर था पूरी ताकत से उसे उठा कर दूसरी तरफ फेंका. उसे शायद ऐसी उम्मीद नहीं रही होगी.

उस साये के कदम पीछे हुए और वो मेरी तरफ लपका. उसने मुझ पर वार किया उसके नुकीले नाखून मेरे कम्बल के टुकड़े टुकड़े कर गए. वो साया इन्सान तो नहीं था कम से कम या फिर उसने अजीब सा हुलिया बनाया हुआ था .

वो हल्का हल्का गुर्रा रहा था . डर से मैं भी कांप रहा था पर इसे नहीं रोकूँ तो ये रामलाल को मार डाले. वो फिर मेरी तरफ लपका इस बार मैं उसका वार नहीं बचा पाया और मेरी पीठ लहू लुहान हो गयी. तभी मेरी नजर लोहे के पड़े गाटर पर पड़ी. मैंने पूरा जोर लगाकर उसे उठा लिया और उस साये पर दे मारा डकारता हुआ वो साया गाटर की चोट से तिलमिला गया और गुस्से से मेरी तरफ लपका . मेरी छाती पर चढ़ ही बैठा था वो . उसके लम्बे नाखून किसी भी पल मेरी छाती चीर सकते थे पर अचानक से वो शांत हो गया .उसने मुझे दूसरी तरफ फेंका और गली में आगे की तरफ दौड़ गया . मेरे हाथो में रह गया उसका लबादा.

मैं उसके पीछे दौड़ा पर अगले मोड़ के बाद गली में कुछ नहीं था कुछ भी नहीं . मैं वापिस रामलाल के पास आया तो वो खून में लथपथ पड़ा था .

मैंने उसे उठाया.

मैं- हौंसला रखना रामलाल तुम्हे कुछ नहीं होगा.

रामलाल अपने हाथो को हिलाकर कुछ इशारा कर रहा था जैसे की वो कुछ कहना चाहता था मुझसे. उसका खून बहुत बह रहा था . तभी वहां पर गाँव के कई लोग आ गये . उन्होंने मुझे रामलाल के साथ देखा और वहीँ रुक गए.

मैं- भाइयो जल्दी आओ मेरी मदद करो रामलाल को जल्दी से वैध जी के पास लेकर चलते है इस पर किसी ने हमला कर दिया है . एक दो लोग मेरे पास की तभी रामलाल मेरे आगोश से निकल गया और गाँव वालो के आगे कुछ इशारा करने लगा. वो बार बार अपनी उंगलिया मेरी तरफ कर रहा था . गाँव वाले कभी मुझे देखे कभी उसे और तभी वो जोर जोर से तड़पने लगा. गाँव वालो की तरफ भगा और अपने प्राण त्याग गया.

गाँव वाले डर के मारे इधर उधर भागने लगे. वो चिलाने लगे “मार दिया मार दिया रामलाल को मार दिया ” देखते देखते गाँव वहां पर उस रात में इकट्ठा हो गया .

“क्या बात है , क्यों इतना शोर मचा रखा है ” ये पिताजी की आवाज थी जो शायद जाग गए थे.

“कुंवर ने रामलाल को मार दिया ” एक गाँव वाले ने कहा तो और लोग भी सुर में सुर मिलाने लगे.

मैं- चुतिया हुए हो क्या. मैं तो इसे बचाने की कोशिश कर रहा था .

“नहीं, कुंवर ही कातिल है रामलाल ने मरने से पहले कुंवर की तरफ ही इशारा किया था ” उनमे से एक ने कहा

मैं- वो इशारा नहीं कर रहा था बल्कि कुछ बताने की कोशिश कर रहा था.

“राय साहब ही इस बात का फैसला करेंगे , आप ही पूछिए इतनी रात को सुनसान गली में रामलाल के साथ कुंवर क्या कर रहे थे और क्यों इसने मारा उसे.” गाँव वालो ने कहा .

पिताजी वहीँ एक चबूतरे पर बैठ गए और बोले- कबीर.कायदे से तुम्हे अपने बिस्तर पर होना चाहिए था तुम यहाँ क्या कर रहे हो.

मैंने पिताजी को पूरी बात बता दी.

पिताजी- इस गली में कौन था तुम दोनों के सिवाय. और फिर ये जो कुछ भी इन लोगो ने देखा संदिग्ध तो है .

“ये आप क्या कह रहे है पिताजी . आप मुझ पर शक कर रहे है ” मैंने कहा

“क्यों न करे शक, कल पंचायत में गाँव वालो से तुम्हारा झगडा हुआ था , खुन्नस में तुमने इस घटना को अंजाम दिया. ” एक गाँव वाले ने कहा .

मैं- मुझे किसी को मारना होता तो मैं दिन दिहाड़े भी मार देता अपनी नींद क्यों ख़राब करता कौन रोक लेता मुझे

“अगर तुम सच्चे हो तो है कोई सबूत तुम्हारे पास जो तुम्हे बेगुनाह साबित करे. बताओ है कोई सबूत ” एक गाँव वाले ने कहा.

मैं- है मेरे पास सबूत .

मैंने अपने कपडे उतार दिए. और सीने और पीठ के घाव गाँव वालो को दिखाए .

मैं- ये घाव मुझे उस साये से मुठभेड़ में लगे है जिसने रामलाल को मारे है .

पिताजी- वैध को बुला कर लाओ

थोड़ी देर बाद वैध आया और उसने पुष्टि कर दी की रामलाल और मेरे घाव एक ही तरह के है .

मैं- मिल गया सबूत किसी और को कुछ कहना है क्या .

कोई भी नहीं बोला.

पिताजी- बहुत हुआ तमाशा . लाश को इसके घर पहुचाओ . सुबह अंतिम संस्कार करेंगे इसका. एक बात और गाँव में जानवरों का हमला आज से पहले कभी नहीं हुआ. हरिया पर भी ऐसा ही हमला हुआ था . हमें लगता है की थोड़े दिन के लिए बेमतलब रात को घरो से न निकला जाये. साथ ही आठ-दस लोगो की दो तीन टुकडिया बना कर रात को पहरा दिया जाये. ताकि उस जानवर को पकड़ा जा सके. पहरे के लिए कल से कार्यवाही होगी हर घर से एक सदस्य का नम्बर होगा. और तुम कबीर , इसी समय मेरे साथ चलो .

पिताजी मुझे घर ले आये .

पिताजी- अगर आज तुम पाक साफ न निकलते तो सोचो क्या हो सकता था तुम्हारे साथ .

मैं- पर मैंने कुछ किया ही नहीं था मैं तो उसे बचाने की कोशिश कर रहा था .

पिताजी- ये अजीब इत्तेफाक है न की जब जब ऐसी घटना होती है तुम वहीँ होते हो .

मैं- क्या आप शक कर रहे है मुझ पर

पिताजी- हम बस तुम्हे समझा रहे है की हालात कितने नाजुक है . वो जानवर अगर राम लाल की जगह तुम्हे मार देता तो ....हमें पहले भी सुचना मिली थी की तुम रातो को भटक रहे हो ..जवान लड़के का बिना वजह भटकना ठीक नहीं है . कोई भी बात है तो हमें बता सकते हो.

मैं- ऐसी कोई बात नहीं है

पिताजी- ठीक है फिर , आज से तुम रात को अकेले नहीं रहोगे. तुम्हारी चाची तुम्हारे साथ रहेगी तुम चाहो तो वो यहाँ आ जायेगी या तुम उसके घर जाओगे. और रेणुका, तुम्हे पूरी छूट है की रात को ये कही भी जाये तो इसको पीट सकती हो. इसकी जिम्मेदारी तुम्हारी है .

चाची ने हाँ में सर हिलाया.

बाहर आते ही भाभी गुस्से से मुझ पर चढ़ गयी .

भाभी- तुमसे तो कुछ कहना ही बेकार है , आज कुछ भी उल्टा सीधा हो जाता तो जानते हो क्या बन आती परिवार पर. पर तुमको क्या तुम्हे तो अपने सिवा किसी और का सोचना ही नहीं था . थोड़ी देर पहले ही मैं समझा कर गयी थी पर जनाब को क्या परवाह है किसी की.

मैं-गलती हो गयी भाभी. अब चाहे गाँव में आग लगे मैं ध्यान ही नहीं दूंगा.

भाभी- हर बार यही कहते हो

भैया- रात बहुत हुई सो जाओ कबीर . चाची ले जाओ इसे.

मैं चाची के साथ उनके घर आ गया पर मेरे मन में एक ही सवाल था उस जानवर ने मुझे क्यों नहीं मारा.
 
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