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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Raj_sharma

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मुसाफिर भाई अनुच्छेद की प्रतीक्षा है। । :writing:
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:fever:
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Sagar sahab

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चाची परिवार का हिस्सा है और परिवार वो नींव होती है जो बड़े से बड़े तूफान से भी टकरा जाए लेनी देनी एक अलग चीज है वो रंगारंग प्रस्तुति वाले हमारे गांव मे आते थे तब हम फूल मजे लेते थे
वो रंगारंग प्रस्तुति वालो से हमें भी दिलवाओ भाई,
"फुल-मज़े" 😍😍
 

Raj_sharma

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Musafir hu Yaro..... 😁😁
Waiting For Chocolating..
 

Naik

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#8

चाची ने तुरंत ही बात को संभाल लिया और बोली- मैं भी ना, आजकल इस सर दर्द के मारे कुछ ध्यान रहता ही नहीं .

भाभी- आपको सर दर्द है आपने बताया भी नहीं . मैं अभी डॉक्टर को बुलवा देती हूँ

चाची- नहीं बहु, तू ही सर दबा देना तेरे हाथो से ही आराम आ जायेगा मुझे .

भाभी- जी चाची . फ़िलहाल मैं चाय बनाने जा रही हूँ कहो तो आपके लिए भी बना लाऊ

चाची- ये भी कोई पूछने की बात है

भाभी रसोई में चली गे रह गए हम दोनों. चाची की नजरे झुकी थी . मैं उठ कर अपने चोबारे में चला गया कुछ देर बाद चाय लेकर चाची भी आ गयी . मैंने कप लिया और खिड़की खोल दी. इस खिड़की से डूबते सूरज को देखने का भी अपना ही सुख था .

चाची की नजरे मुझ पर जमी हुई थी वो बात तो करना चाहती थी पर शायद संकोच कर रही थी .

प्रेम रोग का भँवरे ने खिलाया फूल गाना धीमी आवाज में मेरे रेडियो पर बज रहा था.

चाची- आज चलोगे कुवे पर

मैं- नहीं , मैंने चंपा को बोल दिया है मुझे एक जरुरी काम है

चाची- ऐसे क्या जरुरी काम है तुम्हारे जो रातो को ही होते है . मैं जानना चाहती हूँ .

मैंने एक पल चाची को देखा और बोला- मुझे हरिया के कातिल को तलाश है

चाचीने अपना कप टेबल पर रखा और बोली- तुझे कोई जरुरत नहीं है , उसके घरवाले अपने आप तलाश लेंगे . तेरे सिवा इस गाँव में किसी को भी उसकी परवाह नहीं है . जितना तेरे बस में था तूने उसकी मदद की पर किसी भी बात को दिल पर लेना ठीक नहीं है. मैंने कह दिया है तो कह दिया है .

मैं- जंगल में क्या है , क्या सच में भूत-प्रेत है वहां पर

चाची- तो तू कल रात को जंगल में गया था . देख कबीर ये ठीक नहीं है . तू वादा कर मुझसे ऐसे रातो में तू जंगल में नहीं भटकेगा

मैं - ठीक है आप कहती है तो नहीं जाता .

हम बाते कर ही रहे थे की तभी निचे से मंगू की आवाज आई तो मैं उठ पर निचे चला गया .

मैं- चूतिये, कितनी राह देखि तेरी चक्की का नाम लेकर कहाँ गया था तू .

मंगू- ऐसी खबर लाया हूँ की दिल खुश हो जायेगा

मैं- जल्दी बता फिर .

मंगू- पड़ोस के गाँव में नाचने वाले आये है . तगड़ा प्रोग्राम होगा आज .अपन भी चलेंगे आज रात

मैं- प्रोग्राम तो ठीक है पर पिताजी को मालूम हो गया की मुजरा देखने गए है तो हमें ही मोर बना देंगे.

मंगू- कोई बहाना बना लेना भाई . कितने दिनों में तो वो लोग आये है याद है न पिछली बार कितना मजा आया था .

मैं- ठीक है ,घंटे भर बाद तू गाँव के अड्डे पर मिलना .

कुछ देर बाद भैया आ गए तो मैं उनके पास गया.

भाई- कैसा है छोटे

मैं- बढ़िया भाई .

भैया - चाची के खेतो का काम पूरा हुआ

मैं- थोडा सा बाकी है आज रह जायेगा.

भाई- तु सोचता होगा भाई ने इस कड़ाके की ठण्ड में मजदुर बनाया हुआ है पर छोटे चाची का हमारे सिवा और कौन है . ये अपनापन ही परिवार की खुशहाली की चाबी है भाई. चाची के हम दोनों सगे बेटे ही है

मैं- जी भैया.

भाई- काफी दिन हो गए जोर आजमाइश किये . क्या बोलता है करे दो दो हाथ

मैं- रहने दो भाई पिछली बार के जैसे फिर हार जाओगे.

भाई- अरे वो तो तेरा दिल रखने के लिए मैं हार गया था की छोटे का दिल न टूट जाये.

मैं- वाह भाई गजब बात कही . देखते है फिर किसका जोर बढ़ा है किसका कम हुआ है .

मैं वहां से उठ कर चला ही था की भाई ने मुझे रोका- छोटे रुक जरा .

मैं- जी भाई.

भैया ने जेब से नोटों की गद्दी निकाली और मुझे देते हुए बोले- पडोसी गाँव में नाचने वाले आये है . देख आना प्रोग्राम और हाँ पिताजी से छुप कर जाना उन्हें मालूम होगा तो तेरे साथ साथ मुझे भी डांट लगायेंगे

न जाने कैसे भैया को हमेशा मेरे मन की बात मालूम हो जाती थी .

मैं- मिलते है फिर अखाड़े में

भैया - बिलकुल

जैसे ही पिताजी सोये मैं तुरंत निकल लिया अड्डे की तरफ जहाँ मंगू तैयार था .आधे घंटे बाद मैं और मंगू टेंट में बैठे रंगारंग प्रस्तुति का आनंद उठा रहे थे . रंगीले गानों पर मचलते हुस्न ने समां बाँधा हुआ था , क्या बूढ़े क्या जवान सब लोग आँखों से गर्म मांस का सेवन कर रहे थे . जब वो नाचने वाली अपनी छाती को लहराती तो जो सीटी पे सीटी बजती कसम से मजा ही तो आ जाता.

मंगू- ताड़ी का गिलास लाऊ

मैं- अरे नहीं यार. किसी को मालूम हुआ तो बेइज्जती सी हो जाएगी.

मंगू- किसी को कैसे मालूम होगा एक एक गिलास बस

मैं- ठीक है भाई आने दे फिर.

बात एक की हुई थी पर मैंने और मंगू ने दो दो गिलास टिका लिए .जोश जोश में मैंने दो चार नोट स्टेज पर उड़ा दिए. नाचने वाली ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया . सेब से लाल गाल उसके होंठो पर गहराई तक उतरी हुई लिपस्टिक और ठंडी में ताड़ी की गर्मी . कुछ देर उसके साथ नाचने के बाद मैंने उसके बलाउज में दो नोट लगाये और बोला- मेरे दोस्त के साथ नाच ले थोड़ी देर.

मैंने मंगू की तरफ इशारा किया . नाचने वाली मंगू के पास गयी और उसके संग लहराने लगी. फिर हम वापिस टेंट में बैठ गए. दुसरे गाँव में ज्यादा भोकाल मचाना भी ठीक नहीं रहता. मेरा दिल तो कर रहा था की इनको न्योता देकर हमारे गावं में इनका प्रोग्राम करवाया जाये पर पिताजी को इन चुतियापो से नफरत थी तो विचार त्याग देना ही उचित था .

वापसी में चलने से पहले हमने एक एक गिलास और खींच मारा ताड़ी का . अपनी मस्ती में हम लोग वापिस चले आ रहे थे . जैसे ही हम कच्चे रस्ते पर आये ठंडी हवा के झोंको ने ताड़ी का सुरूर बनाना शुरू कर दिया .

मैं- मंगू भोसड़ी के साइकिल ठीक से चला गिरा मत देना .

मंगू जो की झूम गया था .- हम क्या भाई ये दुनिया ही भोसड़ी की है , सब लोग भोसड़े से ही तो निकलते है.

“”वाह, मंगू मेरे दोस्त बड़ी गहरी बात कही तूने . ये दुनिया ही भोसड़ी की है ” मैंने कहा.

अपनी तारीफ सुन कर मंगू हंसने लगा. दिल साला अजीब ही था उस रात में. हम दोनों अपने किस्से याद करते हुए हंस रहे थे कैसे हमने शहद चुराते समय लकडियो को आग लगा दी थी . कैसे जोहड़ में नहाते थे .और भी ऐसे ही छोटे मोटे किस्से. हंसी ठिठोली करते हुए हम दोनों उसी जगह पर पहुँच गए जहाँ हमें हरिया कोचवान की गाडी मिली थी .

मैं- मंगू साइकिल रोक

मंगू- क्या हुआ भाई. मूतना है क्या एक काम कर चलती साइकिल से ही मूत भाई आज .

मैं- साइकिल रोक मंगू.

नसे में लडखडाते हुए मैं उसी जगह पर पंहुचा जहाँ उस अलाव के पास हरिया मंगू से आकर लिपट गया था .

“कितना मुतेगा भाई अभी , क्या तालाब बनाएगा ” ऐसा कह कर मंगू जोर जोर से हंसने लगा.

“मैं जानता हूँ तुम यही कहीं हो . मैं जानता हूँ की उस रात भी तुम यही कहीं थे. हरिया तुम्हारी वजह से ही मारा गया . ” मैंने हवाओ से कहा

“भाई आ भी जा अब तालाब को समुदंर बनाएगा क्या ” मंगू ने फिर से मुझे आवाज दी.

मैं मंगू की तरफ चल दिया . हमारी साइकिल थोड़ी सी ही आगे चली थी की एक चीख ने हमारी पतलूने गीली कर दी.

“aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh ” जंगल की ख़ामोशी को वो चीख चीर रही थी .
Bahot khoob shaandaar update bhai
Bade bhayaa aise hone chahiye sabke jo kene pahle hi samajh jaye chhote. bhai ko kia chahiye
Baherhal dekhte h kon jisse dono k moot nikal gaye
Zaberdast shaandaar update bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#9

ताड़ी के नशे में मेरे पैर डगमगा रहे थे फिर भी मैं उस आवाज की तरफ भागा. कभी लगता की आवाज पास से आ रही थी कभी लगता की कराहे दूर है. और जब मैं गंतव्य तक पहुंचा तो मेरी रूह तक कांप गयी .जमीन पर एक बुजुर्ग पड़ा था खून से लथपथ जिसका पेट फटा हुआ था उसकी अंतड़िया बाहर को निकली हुई थी .

“किसने, किसने किया बाबा ये ” मैंने उसे सँभालते हुए पूछा

“वो, वो ”.उसने सामने की दिशा में उंगलियों से इशारा किया और उबकाई लेते हुए प्राण त्याग दिए. आँखों में बसा सुरूर एक झटके में गायब हो गया . ये दूसरी बार था जब जंगल में किसी पर हमला हुआ था और दोनों बार मैं वहां पर मोजूद था . ये कैसा इत्तेफाक था .



ये लाश मेरे पल्ले पड़ गयी थी . मैं तो जानता भी नहीं था ये कौन था . मैं कहाँ जाता किस से कहता की भाई, तुम्हारा बुजुर्ग जंगल में मर गया है . मेरा दिल तो नहीं मान रहा था पर हालात देखते हुए मैंने उस लाश को वहीँ पर छोड़ दिया . और वापिस उस तरफ को चल दिया जो मेरे गाँव का रास्ता था .

मैंने पाया की मंगू साइकिल के पास बैठे बैठे ऊंघ रहा था . मैंने उसे जगाया और हम गाँव आ गए. प्रोग्राम देखने का सारा उत्साह ख़ाक हो चूका था . पर मैंने सोच लिया की जंगल में क्या है ये हर हाल में मालूम करके ही रहूँगा.



“कबीर उठ, कितना सोयेगा तू ”

बोझिल आँखों ने खुलते ही देखा की चाची के ब्लाउज से झांकती चुचिया मेरे चेहरे पर लटक रही है . एक पल को लगा की ये सब सपना है . पर तभी चाची ने मुझे हिला कर जगा दिया .

मैं- उठ तो रहा हूँ

चाची-तू यहाँ सोया पड़ा है गाँव में गजब हो गया .

मैं एक दम से उठ खड़ा हुआ .

मैं- कौन सी आग लग गयी गाँव में . कल तक तो सब ठीक ही था न

चाची- लखेरो की जो औरत भाग गयी थी न उसे वापिस ले आये है जिसके साथ गयी थी उसे भी . परस में पंचायत बैठने वाली है .

मैं- इसमें पंचायत की क्या जरुरत उस औरत की मर्जी जिसके साथ भी रहे .

चाची- मुझे नहीं मालूम पुरे गाँव को वहां पर बुलाया गया है तू भी चल

मैं भी पंचायत में पहुँच गया . मैंने देखा की जो औरत घर से भागी थी उसे और उसके साथी को एक खम्बे से बांधा हुआ था . दोनों की हालत देख कर साफ पता चल रहा था की खूब मार-पिटाई की गयी थी उनके साथ . कुछ देर में गाँव के मोजिजलोग अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ गए गाँव वाले धरती पर बैठ गए. मैंने पिताजी को देखा जो अपनी सुनहरी ऐनक लगाये इधर उधर देख रहे थे .

“गाँव वालो जैसा की आप सब जानते है ये औरत लाली कुछ दिनों पहले अपने प्रेमी के साथ भाग गयी थी , ये जानते हुए भी की ये शादी-शुदा है इसका मर्द है फिर भी इसने दुसरे आदमी संग रिश्ता किया. गलत काम किया . गाँव-समाज अपने परिवार की बेइज्जती की .बहुत कोशिश करने के बाद आखिर हमने इनको पकड़ लिया और यहाँ ले आये है ताकि इंसाफ किया जा सके. पंचायत ने निर्णय लिया है की इनको इसी नीम के निचे फांसी दी जाये ताकि गाँव में फिर को भी ऐसा करने की सोचे भी न. आप सबको पंचायत का फैसला मंजूर है न , जिसको कुछ कहना है वो अपना हाथ उठाये ” पंच ने कहा.

मैंने सर हिला कर चारो तरफ देखा पुरे गाँव में एक भी आदमी ने अपना हाथ नहीं उठाया जबकि दो लोगो को फांसी देने की बात कही जा रही थी . मुझे न जाने क्या हुआ मैंने अपना हाथ उठाया और पुरे गाँव की नजरे मुझ पर जम गयी .

“मुझे कुछ कहना है ” मैंने कहा की चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया और चुपचाप बैठने का इशारा किया पर मैंने उसका हाथ झटक दिया और उठ कर पंचायत के पास गया .

मैं- मुझे आपत्ति है इस निर्णय पर

पंच- तुम अभी छोटे हो , दुनियादारी का ज्ञान नहीं है तुम्हे. ये गंभीर मुद्दे है .

मैं- दो लोगो को मारने की बात हो रही है ये क्या कम गंभीरता की बात है . पंचायत को किसी के प्राण लेने का कोई हक़ नहीं है, जन्म मृत्य इश्वर के हाथ में है . बेशक इस लाली ने घर से भागने की गलती की है पर इसकी सजा मौत नहीं हो सकती.

पंच- और इसके कारण रामू की इतनी बेइज्जती हुई. इसको कितने ताने सुनने पड़े की नामर्द है इसलिए भाग गयी. जब भी ये घर से बाहर निकलता लोग हँसते इसे देख कर . इसका जीना दुश्वार हो गया की लुगाई भाग गयी .

मैं- किस बेइज्जती की बात करते है आप पंच साहब, और कौन कर रहा था ये बेइज्जती . किसके ताने थे वो . आपके मेरे हम सब के , ये तमाम गाँव वाले जो आज चुपचाप बैठे है ये लोग ही तो रहे होंगे न ये सब ताने मारने वाले. इसके दोस्त, इसके पडोसी. हमारा ये समाज. तो फिर इन सब को भी कोई न कोई सजा तो मिलनी ही चाहिए न .



पंच- कबीर. मर्यादा की लकीर के किनारे पर खड़े हो तुम पंचायत का अपमान करने की जुर्रत न करो.

मैं- पंचायत ने इस निर्णय के खिलाफ आपत्ति मांगी थी , अब अप्त्त्ती सुनने में पंचायत को संकोच क्यों हो रहा है. क्या पंचायत में मन में कोई चोर है .

पंच- पंचायत यहाँ समाज के हित में निर्णय लेने को है .

मैं- तो मैं इस पंचायत और गाँव से कहना चाहता हूँ की लाली को इस लिए फांसी नहीं दी जा सकती की उसके भागने पर रामू को नामर्दी और बेइज्जती के ताने सुनने पड़े. असल में रामू नामर्द है .

उन्ह उन्ह पिताजी ने अपना गला खंखारा और ऐनक को उतार लिया ये उनका इशारा था की मैं चुप रहूँ पर अगर उस दिन चुप रहता तो फिर अपनी नजरो से गिर जाता.

मैं- मर्दानगी ये नहीं होती की औरत को जब दिल किया अपने निचे ले लिया . मर्दानगी होती है औरत का सम्मान करना. औरत जो अपना सब कुछ छोड़ कर आती है ताकि हमारे घर को घर बना सके,क्या नहीं करती वो परिवार के लिए. ये रामू जब देखो दारू पिए पड़ा रहता है . कमाई करता नहीं . घर-गुजारा कैसे होगा. तीसरे दिन ये लाली को पीटता . तब कोई पंचायत का सदस्य लाली के लिए निर्णय करने नहीं आया.

पंच- रामू की लुगाई है वो चाहे जैसे रखे उसका हक़ है .

मैं- लुगाई है गुलाम नहीं . एक सम्मानजनक जीवन जीने का लाली का हक़ भी उतना ही है जितना की आप सब का . मैं मानता हूँ की घर से भागना अनुचित है उसके लिए लाली को सजा दी जाये पर किसीको भी झूठी शान के लिए मार देना अन्याय है .



पंच- पंचायत ने निर्णय कर दिया है समाज के हितो की रक्षा के लिए ये फैसला ऐतिहासिक होगा. आने वाली पीढियों के लिए मिसाल होगी.

मैं-मैं नहीं मानता इस निर्णय को

पंच- राय साहब आपका बेटा पंचायत का अपमान कर रहा है आप समझिए इसे.

पिताजी अपनी कुर्सी से उठे और मुझसे बोले- घर जाओ अभी के अभी

मैं- जब तक मेरी आपत्ति मानी नहीं जाती मैं हिलूंगा भी नहीं यहाँ से .

जिन्दगी में पहली बार ऐसा हुआ था की राय साहब की बात किसी ने काटी हो. पुरे गाँव के सामने खुद राय साहब ने भी नहीं सोचा होगा की उनका खुद का बेटा उनके सामने ऐसे खड़ा होगा. ..........




 

Rekha rani

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Kahani full on apne rang me aa gayi hai, ek aur lash jungle me rahsay aur gahra gya hai, usse nipatne se phle hi ye panchayat ho gyi, jaise hota hai vaise hi ek hero ki tarah kabeer panchayat pure gav aur apne pita ji ke khilaf khara hai , agle update me dekhna hai kya rhta hai ek bap apne bete ka sath dega ya dono me ek virodh ka janam hoga
 
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