• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

  • कामवती

  • रतिवती

  • रुखसाना

  • भूरी काकी

  • रूपवती

  • इस्पेक्टर काम्या

  • चोर मंगूस

  • ठाकुर ज़ालिम सिंह /जलन सिंह

  • नागेंद्र

  • वीरा

  • रंगा बिल्ला


Results are only viewable after voting.

Nevil singh

Well-Known Member
21,171
52,927
173
अपडेट -70

जरुरत से ज्यादा हवस कामवासना दरोगा और उसकी बीवी को जान ले चुकी थी.
परन्तु ये हवस ठाकुर की हवेली मे चारो तरफ फैली थी.
बिल्लू कालू और रामु को तो आज खजाना मिल गया था वो रतिवती पे पिले पड़े थे कभी कोई मुँह मे लंड डाल देता तो कभी गांड मे तो कभी कोई चुत मे.
आज रतिवती पूरी तरह से तृप्त थी उसके सभी छेद भरे पड़े थे.
4822212.webp

कई बार दो लंड एक साथ चुत मे भी चले जाते और एक गांड मे मजाल की रतिवती उफ़ भी कर दे वो तो इस उन्माद का पूरी तरह मजा उठा रही थी ना जाने कितनी बार उसकी चुत से पानी छलका होगा.


यहाँ हवस चरम पे थी वही हवेली के अंदर डॉ.असलम भी रुखसाना के कामुक बदन को देख आपा खो चूका था उसका लंड उसके सुन्दर गोल स्तन को देख के ही थिरकने लगा था.
रुखसाना असलम के सामने अर्धनग्न लेटी थी.
असलम :- बता साली क्या करने आई है यहाँ? और उस दिन मेरे दावखाने मे आने का क्या मकसद था तेरा?
रुखसाना खामोश थी उसे कुछ सूझ नहीं रहा था की क्या बोले
की तभी असलम अपनी लुंगी उतार फेंकता है उसका काला मुसल लंड रुखसाना के सामने नाचने लगता है.
रुखसाना अभी गरम ही थी ठाकुर का वीर्य निकालने के चक्कर मे वो खुद हवस की भट्टी मे अपनी चुत दे बैठी थी.
रुखसाना को अब एक ही उपाय सूझ रहा था की कैसे वो अपने बदन का इस्तेमाल कर सकती है.
रुखसाना तुरंत पलट के अपनी गांड ऊँची कर देती है,उसका छोटा सा लहनेगा ऊपर हो चूका था गांड की दरार साफ दिखने लगी थी और यही निमंत्रण था असलम को.
20210904-224126.jpg

पल भर के लिए असलम अपने सवाल भूल गया,वो आगे बड़ा और सूखे लंड को एक ही झटके मे गांड मे उतरता चला गया.
"आआहहहहह.....डॉ.असलम मार दिया"
असलम :- बता साली क्या करने आई थी क्या मकसद है तेरा?
बोल के एक के बाद एक झटके सुखी गांड मे मरने लगता है,रुखसाना खूब चुदी थी परन्तु ऐसे नहीं उसकी तो जान पे बन आई गांड की चमड़ी सिकुड़ के अंदर जाती कभी बाहर आती.
आअह्ह्हह्ह्ह्हम.....बताती हूँ...बताती हूँ..थोड़ा आराम से.
वो मुझे सर्पटा से बदला लेने के लिए शक्तियां चाहिए
और ठाकुर का वीर्य मुझे वो शक्ति देगा.
असलम तो हैरान था की ये क्या चक्कर है कौन सर्पटा कौन सा बदला?
एक जोरदार चोट और मारता है टट्टे चुत से जा टकराते है लंड पूरा गांड मे धस चूका था.
असलम :- अब जब तक तू पूरी बात नहीं बताती वो भी सच तब तक ये खूंटा बाहर नहीं निकलेगा,असलम लंड अंदर गाड़े रुखसाना के बाल पीछे से पकड़ के उसकी गर्दन पीछे खिंच लेता है

रुखसाना के पास अब कोई चारा नहीं था उसे सुबह से पहले यहाँ से निकलना था असलम को सच बताना ही पड़ेगा.
सर्पटा एक इच्छाधारी सांप है उसने मेरे पति परवेज खान को मारा था,
रंगा बिल्ला,कामगंज,मौलवी सब बताती चली जाती है रुखसाना.
बाते सुनते सुनते असलम का दिल ख़ुश होता चला जाता है उसके मन मे तो पहले ही पाप घर चूका था ऊपर से इच्छाधारी सांप होते है ये बात सुन के उसे भी असीम ताकत प्राप्त करने के खुवाब दिखने लगे.
उसे कामवती अपनी बीवी दिखने लगी ये गांव ये हवेली का मालिक वो होगा.
अब उसका लंड और दिमाग़ एक साथ चलने लगे लंड गांड मार रहा था और दिमाग़ अपने दोस्त को मार रहा रहा
घोर पाप,मित्रघात का बीज पूरी तरह रोपित हो गया था उसके सपनो मे.

सब कुछ शांत हो चूका था,किसी की हवस उसे मौत दे गई,किसी का लालच बरकरारा था,तो किसी के मन मे पाप जग गया था.

भूतकाल

इन सब के बीच कामवती अपने कमरे मे सोते हुए भी बेचैन लग रही थी उसका स्मृति पटल उसे बार बार कुछ दिखा रहा था,
कामवती बेचैन सी नदी किनारे बैठी थी,
20211007-213141.jpg
लगता था जैसे उसे किसी का इंतज़ार है उसकी आँखों मे दो जवान मर्दो की तस्वीर छपी थी,इस तस्वीर ने उसे आंख बंद करने ही नहीं दिया
रात भर करवट बदलते ही निकल गई. आज सुबह सुबह ही वो उसी नदी किनारे पहुंच गई थी जहाँ उसे डूबने से बचाया गया था.
की तभी पीछे से किसी के सरसराहट की आवाज़ आति है
"सुंदरी कामवती तुम सुबह सुबह यहाँ?!
कामवती चौंक के पीछे पलटती है तो उसके दिल को करार आता है, पीछे सुंदर सा नौजवान गोरा सुडोल कद काठी लिए कोमल नागेंद्र खड़ा था.
images-1.jpg

हालांकि वो भी इसी आस मे आया था की कामवती को देख सके मिल सके आखिर उसे अपने अंतहीन जीवन का उजाला जो दिखा था कामवती मे.
नागेंद्र :- हाँ सुंदरी मै!
कामवती :- ये क्या सुंदरी सुंदरी बोल रहे हो मै कोई सुंदरी नहीं कामवती नाम है मेरा.
नागेंद्र :- नाम से भी ज्यादा सुन्दर हो तुम.ऐसा बोल नागेंद्र कामवती के पास बैठ जाता है
images-3.jpg

कामवती का दिल जोर जोर से धड़क रहा था जिस पुरुष के ख्याल ने उसे रात भर सोने ना दिया वो उसके करीब बैठा था.
कामवती थोड़ा कसमसाने लगी उसे समझ ही नहीं आ रहा था की क्या बोले क्या करे.
"नाम क्या है तुम्हारा?" जो निकला यही निकला कामवती के मुख से.
नागेंद्र जो की इतने पास से पहली बार दीदार कर रहा था कामवती के हालांकि उसे बचाते वक़्त कामवती के अंगों को छूने का मौका जरूर मिला था परन्तु ये अहसास अलग था आज इस अहसास मे प्यार था चाहत थी.
"नागेंद्र नाम है मेरा पास के गांव विष रूप मे ही रहता हूँ "
नागेंद्र से बड़ी सफाई से खुद को आम आदमी की तरह ही पेश किया,परन्तु था तो जहरीला ही ना, उसके शरीर से आति गंध लहर कामवती के दिमाग़ को झकझोर रही थी.
उसे लग रहा था जैसे आंखे भारी हो रही है, परन्तु उसे मन का अहसास समझें कामवती नजरअंदाज़ करती रही.
"तुम्हारे घर मै कौन कौन है?"
कामवती जैसे होश मे आई "वो...वो...मम्मी पापा और मै " बोलती हुई कामवती ने अपना चेहरा नागेंद्र की और घुमा दिया
दोनी की नजरें मिल गई,कामवती ने जैसे ही नागेंद्र की आँखों मे देखा उसे अजीब सा सम्मोहन हुआ वो नागेंद्र से पहले ही आकर्षित थी परन्तु अब तो जैसे मौसम ही रूहाना लगने लगा दिल की धड़कन थमने लगी.
इस वक़्त नागेंद्र दुनिया का सबसे कामुक पुरुष मालूम होता था.
कामवती ने इतना सुन्दर पुरुष कभी नहीं देखा था वो उन आँखों मे खोने ही लगी की

"कम्मो...ओह..कम्मो...कामवती कहाँ है तू?"
नागेंद्र ने पलट के देखा तो गांव से कुछ लड़किया नदी की ओर ही चली आ रही थी.
"अच्छा कामवती मे चलता हूँ कल फिर यही मिलूंगा "
कामवती को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था वो सिर्फ हूउउ...ही बोल पाई वो एक टक जाते नागेंद्र को देखती ही रह गई.
"कामवती....ऐ कामवती..इतनी सुबह नदी क्यों आ गई?"
विमला ने कामवती को लगभग झंझोड़ते हुए पूछा.
विमला कामवती की खास सहेली है
कामवती जैसे नींद से जागी हो.."वो...वो....कुछ नहीं आज आंख जल्दी खुल गई तो नित्य कर्म के चली आई "
तुम लोग निपटो मै चलती हूँ.
बोल कामवती तुरंत उठ के चल पडी अपने घर की ओर
आज उसका मन दिमाग़ कुछ भी उसके हाथ मे नहीं था उसकी आंखे जैसे पथरा गई थी उसके सामने सिर्फ नागेंद्र की खूबसूरत गहरी आंखे थी.
"कौन है ये नागेंद्र कैसा जादू कर दिया है इसने मुझे पे? कैसे हलचल मची है मुझमे "
कामवती इसी सोच मे डूबी चलती जा रही थी
कामगंज जाने के लिए बीच रास्ते मे छोटा सा जंगल सा पड़ता था कामवती चली जा रही थी धीरे धीरे कुछ सोचती हुई...
की तभी उसका हाथ किसी मजबूत चीज ने पकड़ लिया.
"कामवती यहाँ क्या कर रही हो?"
कामवती एक झटके मे ही अपने ख्यालो से बाहर आई ओर पीछे को पलटी तो पाया की एक मजबूत कद काठी चौड़ी छाती के मर्द ने उसका हाथ पकड़ा हुआ है.
बालो से भरी हुई छाती
एक सच्चा मर्द खड़ा था कामवती के आँखों के सामने
images-5.jpg

"तत...त...तुम?" कामवती ऐसे कामुक बलशाली मर्द को अपने इतना नजदीक पा के कांप उठी उसकी आवाज़ हलक से कांपती हुई निकली

"हां मै वीरा....तुम्हे अकेले जाता देखा तो सोचा कुछ बात चीत कर लू."
कामवती की तो बंन्छे ही खिल गई आज उसका हसीन दिन था पहले नागेंद्र जैसा कोमल प्यार के अहसास से भरे मर्द से मिली फिर ये वीरा से जो सम्पूर्ण कठोर मर्दानगी से भरपूर था.
दोनों ही उसके नींद के चोर थे.
कामवती :- अच्छा जी तो मेरा पीछा कर रहे हो तुम?
वीरा :- नहीं कामवती मै तो जंगल घूमने आया था तुम जाती दिखी मैंने आवाज़ भी दी लेकिन पता नहीं कहाँ खोई थी तुम?
सुना ही नहीं मज़बूरी मे तुम्हारा हाथ पकड़ना पडा.
कामवती का ध्यान वीरा के हाथ पे जाता है कितना मजबूत और बड़ा हाथ था कितनी मजबूती से पकड़ा हुआ था.
"हाथ तो छोडो तोड़ोगे क्या?"
वीरा :- ओह माफ़ करना आओ तुम्हे जंगल के बाहर तक छोड़ दू.

कामवती का हाथ तो छूट गया, पर गर्माहट का अहसास नहीं गया " कितने गरम हाथ है इस वीरा के "
कामवती :- अच्छा वीरा तुम कहाँ रहते हो?
वीरा :- यही पास मे घुड़ मे
"अच्छा....की तभी कामवती आगे रखे पत्थर से टकरा गई ओर गिरने ही लगी थी की फिर दो जोड़ी मजबूत कठोर हाथो ने उसे थाम लिया.
वीरा के हाथ पीछे से कामवती को थामे हुए थे "कहाँ ध्यान है तुम्हारा "
वीरा थोड़ा सम्भलता है तो पाता है की उसके हाथ पीछे से कामवती के बड़े बड़े स्तन को भींचे हुए थे उसके कठोर हाथो मे मुलायम अहसास हो रहा था.
और कामवती जो पूरी तरह से आगे को लटक गई थी अपनी छाती इस कदर दबने से सिसक उठी...आअह्ह्ह....वीरा.
वीरा ने स्तन पकडे ही वापस कामवती को पीछे खिंच लिया.
छाती पे पड़ता लगातार दबाव कामवती के बदन मे सिहरन पैदा कर रहा था ना चाहते हुए भी उसके स्तन से निकलता विधुत का झटका सीधा चुत तक गया.
कामवासना के लिए ललायित रहने वाली कामवती को आज पहली बार किसी मर्द के कठोर हाथ से चुत से पानी बहने का अहसास हुआ.
"वो....वो...माफ़..माफ करना गलती से पकड़ लिया "
कामवती तो ये सुन शर्मा गई उसके पास कोई जवाब नहीं था..वो बिना कुछ बोले दौड़ चली...
पीछे वीरा उसकी लहराती बड़ी गांड को देख ही रहा था की कामवती पीछे पलट के एक पल के लिए वीरा को देख मुस्कुरा दी...कामवती बालो से भरी चौड़ी छाती को नजर भर देख लेने के बाद पलट के भाग चली अपने गांव की ओर.
उसके दिल मे प्यार और चुत मे पानी था जिंदगी मे ये अहसास पहली बार था.
प्यार और कामवासना का संचार एक साथ जन्म ले रहा था.
"कामवती....ओह कम्मो...कब तक सोयेगी चल उठ जा"
कामवती कसमसा के आंखे खोल देती है सामने उसकी माँ रतिवती उसे उठा रही थी.
"देख सुबह हो गई है,ठाकुर साहेब भी आ गए है " रतिवती बोल के कमरे से बाहर निकल जाती है.
कामवती अभी भी खोई हुई थी
"ये कैसा सपना था,ये कैसा अहसास था? बिलकुल सच लग रहा था.
तभी उसका ध्यान अपनी जांघो के बीच होती खुजली पे जाता है उसे कुछ अजीब सा गिलापन लगता है वहा.
"ये मेरी योनि गीली कैसे हो गई?"
वो सुन्दर युवक कौन था जिसके आँखों मे देखते ही मुझे ये दुनिया खूबसूरत लगने लगी थी और जंगल मे मिला वो लम्बा चौड़ा आदमी जिसकी एक स्पर्श से ही मेरी योनि गीली हो गई थी?

सुबह हो चुकी थी सब तरफ सब सामन्य था.
रतिवती रात भर चुदी थी तो जल्दी ही नहाने चली गई.
रुखसाना हवेली से जा चुकी थी.
असलम अपनी योजना के साथ सो चूका था रात भर उसने मेहनत की थी.
ठाकुर साहेब अभी भी नंगे ही अपने कमरे मे सोये पड़े थे.
कामवती के मन मे हज़ारो सवाल और कामवासना उठ रही थी जिसका जवाब उसे ढूंढना था.
बने रहिये....कथा जारी है..
Nice update mitr
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,171
52,927
173
अपडेट -71

गांव घुड़पुर


सुबह की पहली किरण पड़ते है वीरा अपने घुड़ रूप मे तब्दील हो चला वो अपने हिस्से की प्रेम कहानी रूपवती को सुना चूका था.
रूपवती :- वाकई वीरा तुम सच्चे प्रेमी हो लेकिन नागेंद्र ने कामवती की हत्या कर ठीक नहीं किया.
वीरा :- उसे तो मौत मेरे हाथो ही मिलेगी बस कामवती को पा लू एक बार
वीरा की आँखों मे गुस्सा था परन्तु रूपवती के दिल मे चिंता घर कर गई थी अपने भाई विचित्र सिंह के लिए.
रूपवती :- वीरा अब तो हमें अपने भाई की और ज्यादा फ़िक्र होने लगी मैंने भी लालचवस किस खतरनाक जगह भेज दिया है कही नागमणि के चक्कर मे नागेंद्र उसके भी प्राण ना ले ले.
वीरा :- चिंता जायज है आपकी मालकिन, डर मुझे भी है छोटे ठाकुर साहेब की खेर खैरियत के लिए मुझे विष रूप जाना होगा मालकिन
रूपवती :- हाँ वीरा जाओ पता लगाओ कैसा है हमारा भाई?
वीरा तुरंत सरपट...दौड़ चलता है अर्धनग्न रूपवती बस उस तूफ़ान को उड़ता देखती रह जाती है.

यहाँ विष रूप ठाकुर की हवेली के तहखाने मे.

यहाँ नागेंद्र भी अपने हिस्से की प्रेम कहानी मंगूस को सुना चूका था.
मंगूस :- मित्र नागेंद्र तुम सच्चे प्रेमी हो तुमने दिलो जान से चाहा था कामवती को परन्तु उस वीरा ने उसकी हत्या कर तुमसे तुम्हारा प्यार छीन लिया
नागेंद्र :- मित्र मंगूस तुमने मेरी कीमती मणि खो के मुझे अपाहिज कर दिया है.
मंगूस :- माफ़ करना मित्र अब वो मणि तुम्हारी है तुम्हे ही मिलेगी मै ले के आऊंगा वापस भी.
और उस वीरा की मौत तुम्हारे हाथो ही होंगी.
उसने मेरी दीदी को बहका के मणि हासिल करना चाही.
नागेंद्र के आँखों मे भी अंगार थे "लेकिन कामरूपा मिलेगी कहाँ?"
मंगूस :- चिंता मत करो मित्र मेरा नाम भी चोर मंगूस है पाताल आसमान जहाँ होंगी उसे ढूंढ निकलूंगा मै.

रुखसाना भी जल्दी जल्दी दौड़ती चली जा रही थी अपने गांव कामगंज की और जहाँ उसके अब्बा मौलवी साहेब उसका इंतज़ार कर रहे थे.
रुखसाना घने जंगल मे झरने किनारे से निकल रही थी.
"आअह्ह्ह.....फिर वही खुसबू ,वही मादक गंध पास से ही आ रही है " एक विशालकाय आकृति अँधेरी गुफा से बाहर निकल सरसरा गई.
रुखसाना सब से बेखबर जल्दी जल्दी जंगल पार कर लेना चाहती थी.
"इतनी जल्दी भी क्या है घुड़वती?"
रुखसाना के पैर जहाँ थे वही जम गए उसके कान मे खार्खरती भारी आवाज़ पडी उस आवाज़ मे जैसे कोई हुकुम था.
रुखसाना पीछे पलटी तो उसके होश उड़ते चले गए....उसके पीछे भयानक सांप जो की कमर से ऊपर इंसान था और नीचे से सांप...
उसने ऐसा नजारा तो कभी देखा ही नहीं था.
सपने मे भी ऐसी कल्पना नहीं की थी.
रुखसाना का दिल इस भयानक मंजर को देख धाड़ धाड़ करने लगा उसके मुँह से जोरदार चीख गूंज उठी....आआहहहहहह...हहहहहह.......वववववव....
ये आखिरी चीख थी उसका दिल इस भयानक जीव को और ना झेल सका रुखसाना जहाँ थी वही गिरती चली गई.
"लो घुड़वती तो मुझे देखते ही गश खा गई " हाहाहाहाहाहा.
मेरा लंड कैसे झेलेगी
सर्पटा अठ्ठाहस लगा देता है उसकी पूँछ रुखसाना के बदन को लपेटने लगती है.

सर्पटा अपनी गुफा की और रुखसाना को अपने आगोश मे समेटे चल पडा.

जंगल मे कही....तिगाड़ तिगाड़ तिगाड़.....टप टप टप..वीरा लगातार दौड़े जा रहा था की तभी एक जोरदार चीख गूंज उठी
आआहहहह.....हहहह.....ववववव....
"ये....ये....कैसी आवाज़ है?"
हे भगवान ये आवाज़ पहचानी क्यों लगी मुझे?
ये तो मेरी प्यारी बहन घुड़वती की आवाज़ थी?
परन्तु ये कैसे संभव है... हे घुड़देव क्या हो रहा है ये?
तिगाड़ तिगाड़ तिगाड़ ......वीरा आवाज़ की दिशा मे दुगने वेग से दौड़ पड़ता है.


ये सब क्या चक्कर है नागेंद्र और वीरा ही कामवती के हत्यारे है?
क्या है इन दोनों की प्रेम कहानी जो दोनों ही सुना चुके.
क्या मंगूस और रूपवती भी एक दूसरे के खिलाफ हो जायेंगे?
ये रुखसाना और घुड़वती का क्या सम्बन्ध है?
बने रहिये...कथा जारी है...
और हाँ दोस्तों अब पिछले जन्म की कहानी कामवती की यादो मे ही चलेगी.
आप देखेंगे की कैसे उसे अपने वजूद और प्यार का अहसास होता है.
Awesome update dost
 

andypndy

Active Member
647
2,581
124
अपडेट -72

यात्रिगण कृपया ध्यान दे दिल्ली से चल के ट्रैन संख्या **** विष रूप पहुंच चुकी है.
सुबह की किरण के साथ ही ट्रैन विष रूप शहर आ चुकी थी.
यात्री ट्रैन से उतरने लगे थे, इसी भीड़ मे बहादुर बड़े बड़े भरी बैग थामे जैसे तैसे ट्रैन से उतर गया था पीछे इंस्पेक्टर काम्या अपने चिर परिचित बेफिक्र अंदाज़ मे बहादुर के पीछे पीछे चल रही थी.
walking-tight-pants.gif

"लगता है कोई विलयती मैम है "
पीछे से आती भीड़ से किसी की कानाफुंसी सुनाई पडी.
"देखो बेशर्म को कैसे कपडे पहने है,नंगी ही आ जाती " दो महिलाये खिसयानी सी हसीं हसती हुई बोली.
कुछ मंचले लड़के "गांड देख साली की "
अंग्रेज़ लोग चले गए अपनी औलादे छोड़ गए.
दूसरा लड़का "काश इसकी नंगी गांड ही देखने को मिल जाये तो जीवन सफल हो जाये "
सबकी निगाहे बलखाती मटकती चाल मे चलती काम्या पे ही थी
तो इस कद्र स्वागत हुआ था काम्या का उस भारत मे जिस के लिए ऐसे परिधान,खुलापन अच्छी बात नहीं समझी जाती थी.
परन्तु काम्या के लिए ये शब्द आम थे उसे मजा आता था अपनी ऐसी तारीफ सुन के,
बहादुर :- मैडम आपके घर से तो कोई लेने ही नहीं आया आपको?
काम्या :- हाँ बहादुर घर पे तार तो भिजवा दी थी ना तूने?
बहादुर :- हाँ मैडम माँ कसम भिजवा दिया था उसी दिन.
बहादुर इतने मासूमपन से बोला की काम्या की हसीं निकल गई.
काम्या :- साले तुझे पुलिस मे किसने रख लिया?
बहादुर काम्या को हसता देखता ही रह गया "कितनी खूबसूरत है मैडम "
मैडम वो मेरी माँ एक साहेब के काम करती थी तो उन्होंने ही जुगाड़ कर के.....
"बस बस रहने दे अपनी माँ की कहानी तू हज़ार बार सुना चूका जा, जा के तांगा ले के आ " काम्या ने बहादुर को बीच मे ही टोकते हुए बोला.
काम्या मन ही मन सोचने लगी "पापा आये क्यों नहीं माँ भी नहीं आई?
पापा के ट्रांसफर के बाद पहली बार विष रूप आई हूँ "
घर कैसे जायेंगे? घर कौनसा है ये तो पता ही नहीं है?
की तभी बहादुर तांगा ले आया.
तांगेवाला:- कहिये बीबी जी कहाँ जाना है?
काम्या :- शहर मे जो पुलिस कॉलोनी बनी है वही.
चलिए 2rs लूंगा पुरे मंजूर हो तो बताओ. तांगेवाला काम्या को ऊपर से लगाई नीचे तक घूरते हुए बोला.
बहादुर सामान रख खुद बैठ गया.
काम्या :- साले अपने ससुराल आया है क्या?
बहादुर को अपनी गलती का अहसास होता है.
"वो...वो....मैडम.....वो..माफ़ करना हीहीही...
तांगा चल पड़ता है..

इधर मंगूस भी हवेली के बाहर निकल चाय की दुकान पे बैठा था उसे समझ नहीं आ रहा था की कामरूपा उर्फ़ भूरी काकी को कहाँ और कैसे ढूंढे?
"यार बिल्लू कल तो मजा ही आ गया " हेहेहे....
बिल्लू,कालू,रामु भी चाय की दुकान की और ही आ रहे थे,
कालू :- 3चाय ला बे नींद आ रही है
चायवाला :- जी मालिक
"मालिक बुरा ना मैने तो बात पुछु?" मंगूस ने बीच मे ही टोकते हुए पूछा
तीनो ने नजर उठाई सामने मैला कुचला सा लड़का बैठा था.
बिल्लू :- क्यों बे लल्ले क्या तकलीफ है?
मंगूस :- मालिक भूरी काकी से काम था?
रामु :- तू कौन? और क्या काम है काकी का?
मंगूस :- मालिक ठाकुर साहेब के खेतो पे काम करता हूँ,काकी से कुछ रुपये उधार लिए थे तो वही वापस करने आया हूँ.
कुछ दिनों से काकी खेतो पे भी नहीं आई?तो सोचा हवेली ही आ जाऊ.
बिल्लू :- लल्ले तूने ठीक किया लेकिन भूरी काकी हवेली मे भी नहीं है.
कालू :- ला पैसे हमें दे दे हम दे देंगे उसे
मंगूस :- नहीं मालिक मै उन्हें ही दूंगा आप बता दे की कहाँ गई है वो?
रामु :- पता नहीं बे कहाँ मर गई?
मंगूस :- मतलब?
रामु :- बिल्लू ने उसे कल शाम जंगल मे देखा था फिर आगे पता नहीं...
"अच्छा " मंगूस सोच मे पड़ जाता है.
"अच्छा मालिक चलता हूँ " मंगूस निकल पड़ता है उसे अपना रास्ता दिख गया था.
बिल्लू :- और सुन बे मिल जाये तो हवेली भी ले आना उसे हाहाहाहाहा....
"जी...जी...मालिक "
मंगूस अपने लक्ष्य की और बढ़ चला था.

इंस्पेक्टर काम्या और बहादुर भी पुलिस कॉलोनी पहुंच गए थे.
बहादुर :- कौनसा घर है मैडम आपका?
काम्या :- पता नहीं पिताजी के ट्रांसफर के बाद मै खुद पहली बार आई हूँ.
अंदर चल के पूछ लेंगे.
बहादुर सामान लिए आगे बढ़ चला.
दोनों जैसे ही आगे बड़े तो एक मकान के बाहर खूब भीड़ जमा थी खुसफुस्स हो रही थी.
"बताओ इतने नेक और शरीफ आदमी को कितनी बेदर्दी से मारा है "
कुछ आदमी औरत आपस मे फुसफुसा रहे थे.
काम्या भी भीड़ की और बढ़ चली उसके दिल मे कुछ अजीब होने लगा की जैसे कुछ टूट गया हो.
अनजानी सी आशंका उसे घेरने लगी.
काम्या भीड़ को चिरती हुई आगे बड़ी सामने सफ़ेद कफन मे लिपटी दो लाश पडी थी.
कुछ पुलिस हवलदार आस पास खड़े थे एक लड़का उन लाशो को देख देख रोये जा रहा था...
काम्या :- हवलदार साहेब क्या हुआ है यहाँ? कौन है ये लोग
ना जाने क्यों ये सवाल पूछते हुए काम्या का दिल लराज जा रहा था हलक सूखता सा महसूस हो रहा था.
की तभी एक हवा का झोंका आता है और दोनों लाशो से लगभग कफन हट जाता है.
वातावरण मे एक जोरदार चीख गूंज उठती है.माँ....माँ......मममम्मा.....पापा....पापाआआआआ.....
काम्या चीखती हुई दोनों लाशो मे धाराशाई हो गई उसके आँसू फुट पड़े चीख चीख के रोने लगी.
सभी लोग हैरान थे,उस रुन्दन को सुन,नजारा देख वहा खड़े सभी लोगो की आँखों मे आँसू आ गए.
बहादुर :- मैडम सम्भालिये खुद को सम्भालिये....
पास खड़ा हवलदार रामलखन "आप ही है दरोगा वीरप्रताप की बेटी?"
काम्या आँखों मे आँसू लिए मुँह ऊपर करती है खूबसूरत काम्या का चेहरा विक्रत हो गया था.
"हाँ मै ही हूँ काम्या आज सालो बाद लौटी तो अपने माँ बाप को देख भी ना सकी?"
किसने किया? कैसे हुआ ये सब?
पास बैठा सुलेमान काम्या के पास आया और सारी कहानी कहता चला गया.
कैसे दरोगा ने रंगा बिल्ला को पकड़ा था और कैसे रंगा बिल्ला ने बदला लिया..
"हे भगवान....हे भगवान.....ये कैसी लीला है तेरी इसका मतलब मुझे मेरे ही बाप की नाकामी को पूरा करने भेजा था.
मेरे पिता ही विष रूप के थानेदार थे "
बस और दुख बर्दास्त ना कर सकी काम्या अपने माँ बाप की लाश के ऊपर ही बेहोश हो गई.
बहादुर और सुलेमान काम्या घर के अंदर ले चले बाहर राम लखन और बाकि हवलदार दरोगा और कालावती के अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे.
कथा जारी है....
 
Top