अपडेट -71
गांव घुड़पुर
सुबह की पहली किरण पड़ते है वीरा अपने घुड़ रूप मे तब्दील हो चला वो अपने हिस्से की प्रेम कहानी रूपवती को सुना चूका था.
रूपवती :- वाकई वीरा तुम सच्चे प्रेमी हो लेकिन नागेंद्र ने कामवती की हत्या कर ठीक नहीं किया.
वीरा :- उसे तो मौत मेरे हाथो ही मिलेगी बस कामवती को पा लू एक बार
वीरा की आँखों मे गुस्सा था परन्तु रूपवती के दिल मे चिंता घर कर गई थी अपने भाई विचित्र सिंह के लिए.
रूपवती :- वीरा अब तो हमें अपने भाई की और ज्यादा फ़िक्र होने लगी मैंने भी लालचवस किस खतरनाक जगह भेज दिया है कही नागमणि के चक्कर मे नागेंद्र उसके भी प्राण ना ले ले.
वीरा :- चिंता जायज है आपकी मालकिन, डर मुझे भी है छोटे ठाकुर साहेब की खेर खैरियत के लिए मुझे विष रूप जाना होगा मालकिन
रूपवती :- हाँ वीरा जाओ पता लगाओ कैसा है हमारा भाई?
वीरा तुरंत सरपट...दौड़ चलता है अर्धनग्न रूपवती बस उस तूफ़ान को उड़ता देखती रह जाती है.
यहाँ विष रूप ठाकुर की हवेली के तहखाने मे.
यहाँ नागेंद्र भी अपने हिस्से की प्रेम कहानी मंगूस को सुना चूका था.
मंगूस :- मित्र नागेंद्र तुम सच्चे प्रेमी हो तुमने दिलो जान से चाहा था कामवती को परन्तु उस वीरा ने उसकी हत्या कर तुमसे तुम्हारा प्यार छीन लिया
नागेंद्र :- मित्र मंगूस तुमने मेरी कीमती मणि खो के मुझे अपाहिज कर दिया है.
मंगूस :- माफ़ करना मित्र अब वो मणि तुम्हारी है तुम्हे ही मिलेगी मै ले के आऊंगा वापस भी.
और उस वीरा की मौत तुम्हारे हाथो ही होंगी.
उसने मेरी दीदी को बहका के मणि हासिल करना चाही.
नागेंद्र के आँखों मे भी अंगार थे "लेकिन कामरूपा मिलेगी कहाँ?"
मंगूस :- चिंता मत करो मित्र मेरा नाम भी चोर मंगूस है पाताल आसमान जहाँ होंगी उसे ढूंढ निकलूंगा मै.
रुखसाना भी जल्दी जल्दी दौड़ती चली जा रही थी अपने गांव कामगंज की और जहाँ उसके अब्बा मौलवी साहेब उसका इंतज़ार कर रहे थे.
रुखसाना घने जंगल मे झरने किनारे से निकल रही थी.
"आअह्ह्ह.....फिर वही खुसबू ,वही मादक गंध पास से ही आ रही है " एक विशालकाय आकृति अँधेरी गुफा से बाहर निकल सरसरा गई.
रुखसाना सब से बेखबर जल्दी जल्दी जंगल पार कर लेना चाहती थी.
"इतनी जल्दी भी क्या है घुड़वती?"
रुखसाना के पैर जहाँ थे वही जम गए उसके कान मे खार्खरती भारी आवाज़ पडी उस आवाज़ मे जैसे कोई हुकुम था.
रुखसाना पीछे पलटी तो उसके होश उड़ते चले गए....उसके पीछे भयानक सांप जो की कमर से ऊपर इंसान था और नीचे से सांप...
उसने ऐसा नजारा तो कभी देखा ही नहीं था.
सपने मे भी ऐसी कल्पना नहीं की थी.
रुखसाना का दिल इस भयानक मंजर को देख धाड़ धाड़ करने लगा उसके मुँह से जोरदार चीख गूंज उठी....आआहहहहहह...हहहहहह.......वववववव....
ये आखिरी चीख थी उसका दिल इस भयानक जीव को और ना झेल सका रुखसाना जहाँ थी वही गिरती चली गई.
"लो घुड़वती तो मुझे देखते ही गश खा गई " हाहाहाहाहाहा.
मेरा लंड कैसे झेलेगी
सर्पटा अठ्ठाहस लगा देता है उसकी पूँछ रुखसाना के बदन को लपेटने लगती है.
सर्पटा अपनी गुफा की और रुखसाना को अपने आगोश मे समेटे चल पडा.
जंगल मे कही....तिगाड़ तिगाड़ तिगाड़.....टप टप टप..वीरा लगातार दौड़े जा रहा था की तभी एक जोरदार चीख गूंज उठी
आआहहहह.....हहहह.....ववववव....
"ये....ये....कैसी आवाज़ है?"
हे भगवान ये आवाज़ पहचानी क्यों लगी मुझे?
ये तो मेरी प्यारी बहन घुड़वती की आवाज़ थी?
परन्तु ये कैसे संभव है... हे घुड़देव क्या हो रहा है ये?
तिगाड़ तिगाड़ तिगाड़ ......वीरा आवाज़ की दिशा मे दुगने वेग से दौड़ पड़ता है.
ये सब क्या चक्कर है नागेंद्र और वीरा ही कामवती के हत्यारे है?
क्या है इन दोनों की प्रेम कहानी जो दोनों ही सुना चुके.
क्या मंगूस और रूपवती भी एक दूसरे के खिलाफ हो जायेंगे?
ये रुखसाना और घुड़वती का क्या सम्बन्ध है?
बने रहिये...कथा जारी है...
और हाँ दोस्तों अब पिछले जन्म की कहानी कामवती की यादो मे ही चलेगी.
आप देखेंगे की कैसे उसे अपने वजूद और प्यार का अहसास होता है.