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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Black horse

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अरे जबरदस्त दावत होगी , बहुत जल्द।
अभी कुछ कुछ देती रहो, वर्ना गडबड़ होने की पूरी संभावना है
 

komaalrani

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समधन -समधन






मैं उन्हें आफिस के काम में हेल्प करा रही थी ,साथ ही मम्मी के बारे सोच रही थी।

वो भी न ,सुबह सुबह रोज की तरह ब्रेकफास्ट के साथ साथ अपनी समधन से ,


मस्तराम मात जिस तरह के संवाद दोनों के बीच हो रहे थे ,लेकिन आज शुरुआत मेरी सास ने ही की।

" देर हो गयी आज , लगता है रात भर खूब मूसल चला ओखली में। " उधर से मेरी सास की आवाज आयी ,











( आफ कोर्स स्पीकर फोन आन था )

बात एकदम सही थी , मेरी सास का सिक्स्थ सेन्स गजब का था।

तीर एकदम निशाने पर लगा ,मैं और वो मॉम की ओर देख के मुस्कराने लगे।


पर मॉम कौन सी कम थी ,पलटी मार के उन्होंने उल्टा हमला बोला।

" अरे घबड़ाती क्यों हैं , कुछ दिन की तो बात है , ले आउंगी न आपको यहाँ पे , फिर आपकी ओखल में भी दिन रात मूसल चलेगा यहां पर। "

मॉम बोली।






" अरे नेकी और पूछ पूछ , आपके मुंह में घी शक्कर , कब आएगा वो दिन , बहुत दिन से मेरी ओखल उपवास कर रही है। "

मेरी सास की खिलखलाती हुयी आवाज उधर से आयी।

" अरे वो मूसल भी बेताब हो रहा है आपकी ओखल की सेवा करने के लिए , "

खिलखिलाते हुए मॉम बोलीं और उनका आधा सोया आधा जागा मूसल उनके शार्ट से बाहर निकाल के रगड़ने मसलने लगीं।





" बहुत लंबा मोटा है मूसल आपकी आवाज सुन के खड़ा ,कड़ा हो रहा है। "

अपने दामाद को छेडते ,चिढाते मम्मी अपनी समधन से बोली।





" अरे रात भर आपने लन्ड घोंटा है आपको मालुम होगा कितना मोटा ,कितना कड़ा ,... और मेरी ओखल लंबे मोटे से नहीं डरती अगर मेरी समधन ने घोंट लिया है तोमैं भी घोंट लुंगी , निचोड़ के रख दूंगी उसको। "

हंसती हुयी मेरी सास की आवाज आयी और उन्होंने संवाद का लेवल एक लेवल और बढ़ाया।






" देखूंगी ताकत आपकी , अपने हाथ से पकड़ के मोटा मूसल आपके भोंसडे में घुंसवाऊँगी , और फिर आप लाख मना करे ,चीखें चिल्लाएं , अपने मोटे मोटे चूतड़ पटकें ,बिना आपको दो बार झाड़े ,झड़ने वाला लन्ड नहीं है ये। "

मम्मी ने भी उसी तरह जवाब दिया।





कुछ समधनों की बात चीत का असर , कुछ मम्मी की जादुई उँगलियों का ,उनका लन्ड एकदम मोटा ,पूरा ७ इंच का खड़ा कड़ा ,ताजादम हो गया था।






मम्मी ने एकझटके में खींच के सुपाड़ा भी खोल दिया और खूब मोटा ,गुलाबी भूखा सुपाड़ा बाहर।

" अरे मैं काहें मना करुँगी , मैं तो खुद घोंटने के लिए बेताब हूँ , और अच्छा हुआ आपने पहले चख के ट्राई कर के देख लिया छोटे पतले में मुझे तो पता ही नहीं चलेगा , जिस भोंसड़ी से दो दो बच्चे बाहर निकल चुके हों ,न जाने कितने अंदर बाहर हो चुके हों तो उसको तो लंबा मोटा ही ,... "

मेरी सास भी आज सब लिमिट पार कर रही थीं , उन्हें पक्का मालूम था उनका मुन्ना और बहू दोनों कान पारे सारी बातें सुन रहे होंगे , फिर भी आज वो सब कह ही देना चाहती थीं

लेकिन मेरी सास की बात काटते हुए ,मम्मी ने जोर से उनके लन्ड को मुठियाते अपनी समधन को भरोसा दिलाया ,

" गारंटी मेरी , आपको गौने की रात याद आ जाएगी ,ऐसे हचक हचक के , ... एकदम कड़क है। चलिए आपको इसकी फोटो भेजती हूँ आपके व्हाट्सएप्प पर फिर देख कर बोलियेगा, हाँ पसन्द आये तो जरूर दो चुम्मी लीजियेगा उस मूसल की। "




टेक्नीकल असिस्टेंस तो मैं थी ही ,झट से मॉम के मोबाइल से उनके कड़े लन्ड की मैंने दो तीन फोटुएं खींची ,''





एक पगलाए बौराये सुपाड़े का क्लोज भी और अपनी सास को व्हाट्सएप्प कर दिया।






३०-४० सेकेण्ड तक उधर से कोई नहीं आयी लगता है सासु जी उनके लन्ड का दर्शन करने में बिजी थीं ,और तभी दो मुआ मुआह ,..चुम्मियों की जबरदस्त आवाज आयी।


" पसन्द आया न " मम्मी ने पूछा।

" बहुत ,बस अब तो मन कर रहा है की कब अंदर घोटूं इसे। "

सासु की बेचैन आवाज आयी।



]

" बस आप तीरथ से लौट आइये , और हाँ वहां पंडों से खूब दबवाइयेगा ,मसलवाइयेगा लेकिन नीचे की कुठरिया पर खबरदार ,... अब तो वहां यहीं ,... आप जिसदिन लौटेंगी अगले दिन मैं आपके पास और उसके अगले दिन हम दोनों यहां बस ,... "

" एकदम ,..

हँसते हुए मेरी सास बोलीं , और पंडों की बात आपने एकदम सही कही ,तीर्थ का तो वो भी एक मजा है और बिना दबाये मसले ,

मीजे रगड़े तो वो छोड़ते भी नहीं है , लेकिन आप पक्का ,बल्कि जिस दिन मैं लौटूंगी उसी दिन आप आइये न और अगले दिन आपके साथ चल दूंगी। "


मेरी सास हँसते हुए बोली।





वो कान पारे मम्मी के बगल में बैठे सुन रहे थे और मैं भी ,तबतक मम्मी ने वो काम किया जिसे मैंने और उन्होंने सोचा भी नहीं था।
 
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komaalrani

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मेरी सास के बेटे का

मूसल







" अच्छा ज़रा फोन काटने के पहले मूसल वाले से बात तो कर लीजिये "


मम्मी धीरे से मेरी सास से बोलीं और उन्हें फोन पकड़ा दिया।







ऐसे डरते सकुचाते ,झिझकते उन्होंने फोन पकड़ा जाइए गौने की रात कोई नयी नवेली पहली बार लजाते डरते हिचकिचाते अपने पति का पहली बार लन्ड पकड़ती है।


स्पीकर फोन तो आन था ही , मम्मी मुझे मुस्करा के देख रही थीं और मैं उन्हें उकसा रही थी ,उनकी हिम्मत बढ़ा रही थी।

लेकिन हम दोनों एकदम चुपचाप ,सिर्फ मेरी सास और मेरे 'उनके' की आवाज ,

थोड़ा वात्सल्य और दुलार ,लेकिन उसके पीछे से छिपी छलकती वासना , कुछ मान मन्नौवल ,कुछ शिकवा शिकायत और ज्यादातर डबल मीनिंग डायलाग ,


साफ़ था आग दोनों तरफ लगी थी।


शुरुआत मेरी सास ने ही की ,

" तुम लोग दो तीन दिन में पहुंच रहे हो ,लेकिन मैं तो उसके एक दिन पहले ही चली जाउंगी ,तुझे देखने को बहुत मन था ,

बहू से भी मिलने का , पर ,.. "



उन्होंने कुछ टिपीकल छूट्टी नहीं मिलती , काम बहुत है टाइप बोलने की कोशिश की तो बात माँ जी ने ही सम्हाली ,

उनका मन रखते हिम्मत बढ़ाते बोलीं।

" अरे मुझे मालूम नहीं है क्या , लेकिन चलो तेरे आने से मेरा फायदा होगया न , वरना घर खाली छोड़ के कैसे मैं ,

अब तुम दोनों आओगे ,७-८ दिन रहोगे तो मेरा भी तीरथ जाने का इतने दिन से प्रोग्राम बना था , वो पूरा हो गया , वरना कैसे जा पाती।

फिर तेरी भाभी भी ,अकेले कैसे रह पातीं तुम दोनों रहोगे तो उनका भी मन लगा रहेगा। "





" हाँ बस ,कल परसों की बात है ,उसके अगले दिन , नरसों हम दोनों सुबह सुबह ही घर पहुँच जाएंगे। एक हफ्ते की मैंने पूरी छुट्टी ले ली है "

चहकते हुए वो बोले।


" चलो ठीक है ,पहले तुम यहाँ आ जाओ फिर तीरथ से लौटने के बाद , तुझे अपनी सास को धन्यवाद देना चाहिए ,ऐसी सास बहुत मुश्किल से मिलती हैं। तीर्थ से लौटने के बाद मैं आउंगी तुम लोगों के पास। उनसे बात हो गयी है , अब अकेले तो मुश्किल था लेकिन वो आएँगी तो उनके साथ आउंगी , फिर सारी थकान वहीँ उतारूंगी। खूब सेवा करवाउंगी तुम दोनों से। "

हंसते हुए मेरी सास बोलीं।






यहाँ हम सब समझ रहे थे वो 'किस सेवा' की बात कर रही थीं।

उन्होंने कुछ जवाब दिया लेकिन मैंने कमान अपने हाथ में ले ली।

फोन उनसे लेती हुयी मैं बोली , पहले प्रणाम किया फिर कहा ,

" एकदम आप बस आ जाइये , उसके आगे की बात हमारे हाथ पर छोड़ दीजिये , खूब सेवा होगी आपकी ,

ऐसी कहीं भी कभी भी हुई न होगी ,"






मैं बोली।




" अरे जीती रहो , तेरे मुंह में घी शक्कर बहू , अरे तेरे यही सब गुन लक्षन देख के तो तुझे मैं ले आयी थी ,

मुझे पूरा मालुम था तू इस घोंचू को ट्रेन करके ठीक कर देगी ,वरना मेरा मुन्ना तो , ...लेकिन एक बात समझ लो मैं तेरी माँ की तरह जल्दी और कम सेवा से संतुष्ट नहीं होनेवाली , कित्ते दिनों से ,... "

वो हँसते हुए बोलीं।





" बस आप आ जाइये ,फिर आप अपनी समधन और बहू पे छोड़ दीजिये , और आपका मुन्ना , वो तो अब अब एकदम बदल गए हैं बस यही सोचते है की कब आप आएं और कब , आप करवाते करवाते थक जाएंगी , वो करते करते नहीं थकेंगे आपकी बहू की गारंटी। "

मैं भी हँसते हुए बोली।





" बहुत तरफदारी करती है तू अपने पति की , मरद की चमची , एक बार ज़रा उससे भी तो बात कराओ , "

मैंने फिर उनको फोन पकड़ा दिया और खुद उनका टनटनाया खूंटा पकड़ लिया और लगी हुमच हुमच कर मुठियाने ,







" तू ज़रा भी परेशान न हो , हाँ लेकिन अपनी सासू और मेरी समधन को डबल बल्कि ट्रिपल थैंक्स दे देना ,

जरा अच्छी तरह से एक बार अपनी तरफ से और दो बार मेरी तरफ से , और उनकी और मेरी बहू की सब बातें मानना ,
वरना जब आउंगी न तो बहुत पिटाई होगी तेरी।
अरे बस दस दिन की बात है , फिर देखूंगी , बहुत दिन हो गया तुझे देखे हुए , चलती हूँ , नहाने को देर हो रही है। "


वो फोन रखती ,उसके पहले मुझसे नहीं रहा गया मैं बोल ही पड़ी ,

" अरे अभी अभी तो देखा है आपने , अभी तो मैंने व्हाट्सऐप किया था आपके फोन पे , हाँ इन एक्शन आइयेगा तो देख लीजियेगा। "

मैंने हँसते खिलखलाते बोला।





मेरी सास भी मॉम से कम नहीं थी , कुछ उधार नहीं रखती थीं , तुरंत सूद समेत लौटा देती थी।

" बहू तू भी न एकदम पक्की बदमाश है , बाप का तो पता नहीं लेकिन अपनी माँ पे गयी है. अरे आउंगी तो देखना दिखाना सब होयेगा ही। घबड़ा मत तुझसे भी सेवा करवाउंगी अच्छी तरह से और तेरे मरद से भी , मिलते हैं ब्रेक के बाद , दस दिन पर। और फिर आ रही हूँ न दस दिन में , देखा है लेकिन फिर तो अच्छी तरह, ...पकड़ कर , रगड़ कर , मसल कर एकदम पास से देखूंगी। " "

ये कहकर उन्होंने फोन रख दिया।

" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "
 
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komaalrani

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सासु की सेवा







" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "


वो मैंगो शेक बनाने गए और मैं और मम्मी एक दूसरे को देख कर आँखों ही आँखों में मुस्करा रहे थे ,

बहुत दिन नहीं हुए थे , जब आम खाने और छूने को छोड़िये , नाम लेने से ये बिचकते थे ,

उनकी उस ममेरी बहन से





( जिसके ऊपर इन्हे चढाने का मेरा और मम्मी का पक्का प्लान था , बल्कि मम्मी ने तो यहाँ तक कह दिया था , उसे इनकी रखैल बनाने का , और इनसे गाभिन भी कराने का )

मेरी बाजी लगी थी ,


मैं इनके मायके में सबके सामने इन्हे आम खिलाऊंगी और उनके मायके में सब लोग मान गए थे की कोमल ये बाजी तो तू हार गयी।आम खाना तो दूर अगर टेबल पर भी आ जाए तो वो उठ जाते थे , नाम भी नहीं ले सकते थे , ऐसी जिद्द और हिचक थी इनकी





और अभी ये अपनी सास के लिए मैंगो शेक बनाने गए थे ,

और कुछ देर बाद , मैंगो शेक पीते पीते , मम्मी ने उन्हें पुचकारते उन बाल सहलाते कहा ,






"मैंगो शेक तो तूने बहुत अछ्छा बनाया है , चल मैं भी तो तुझे कुछ इनाम दे दूँ , चल चाट। "

मेरी मॉम भी न , थोड़ा सा इनाम कहीं भी कभी भी देने में बिश्वास करती थीं।




वहीँ सोफे पे , अपनी साडी उठा के उन्होंने कमर तक और अपना पिछवाड़ा सीधे उनके मुंह में रख के ,

मम्मी इनसे कहती थीं ,

" अरे सास की सैंडल तो हर दामाद चाटता है , ( मम्मी जिस दिन आयी थीं , उसी दिन उन्होंने ,... ) पर असली दामाद है जो सासू का पिछवाड़ा जम के चाटे , ..."



और मैं और आग में घी छोड़ती ,

" और मम्मी , असली दामाद , ... "

और वो उनके बाल सहलाते बोलतीं ,

" जैसा ये है , गाँड़ के अंदर तक ,... और ,... और अंदरवाला भी , ... क्यों हैं न "

और ये शरमा जाते लौंडिया माफिक , लेकिन बात मॉम की एकदम सही थी ,

और उनको चटवाने में परफेक्ट करने वाली मंजू बाई और उससे भी ज्यादा , गीता उसकी बेटी थी , वो भी एकदम एक्सपर्ट , ... मम्मी ने उससे भी ,...



मैं कभी उसकी तारीफ़ करती तो वो मुझसे भी कहती , बस एक बार अपनी उस कच्ची कली ननद को ले आइये , देखिये ,

पिछवाड़ा चाटने के मामले में मैं अपने से दस हाथ आगे , एकदम अंदर तक ,...



और मम्मी भी उसका साथ देतीं , ...


वो भी इशारा समझ जाते थे ,उनका मुंह पूरा खुला ,

दोनों होंठ पिछवाड़े के छेद के दोनों ओर , वैक्यूम पम्प को मात करते , और जीभ एकदम छेद के अंदर , गोल गोल घूमती,गीली गीली ,


मॉम ने गांड चाटने में उन्हें एकदम ट्रेन कर दिया था ,

लेकिन एक अच्छी ट्रेनर की तरह वो जल्दी सन्तुष्ट नहीं होती थीं ,

" अरे और अंदर घुसेड़ न मादरचोद , अभी तो तुझे मेरे समधन की भी गांड चाटनी है , गांडू , घुसेड़ और ,.. "




जोर जोर से अपने चूतड़ उनके मुंह पर रगडती वो बोलीं।

" अरे मम्मी इनकी माँ के चूतड़ तो और बड़े बड़े ,जानमारू एकदम चक्की की तरह चौड़े , खूब मरवाती होंगी पिछवाड़े। "




मैं क्यों मौक़ा चूकती।

" अरे तेरी सास तो बचपन से लौंडो की तरह गांड मरवाती है ,उनका गांड का छेद भी खूब चौड़ा और गहरा होगा , बहुत मजा आएगा तुझ चाटने में "

उनके बाल खींचते वो उनसे बोलीं , और उन्होंने बची खुची जीभ भी अंदर पेल दी।

मम्मी मुझे चिढाते बोलीं ,

" अरे तेरा ये भी तो , तू अपनी सास की गांड की तारीफ़ कर रही है न तो , ... तेरे इसकी भी ,... गांड किससे कम है। एकदम चिकना नमकीन लौंडा है ,साला मादरचोद गांडू मस्त। "



" लेकिन मम्मी अभी कोरी है इनकी ,एकदम इनके उस ममेरी बहन गुड्डी की तरह। "



मैंने बुरा सा मुंह बनाते बोला। हाँ मेरी उँगलियाँ इनके पिछवाड़े की कसी कोरी दरार को सहला रही थीं।

मम्मी भी पहला मौका देखते ही पाला बदल लेतीं थीं , बेटी मैं थी उनकी लेकिन अक्सर वो अपने दामाद की तरफ , इस बार फिर मुझे हड़काते बोलीं ,

" सारी गलती तेरी है , ननद बिना इंटरकोर्स के इंटर पास कर रही है ,




और ये बिचारा भी ,थोड़ा शर्माता ,झिझकता है तो क्या हुआ तेरी भी तो कुछ जिम्मेदारी है ,की खाली टाँगे उठा के सारी रात सेवा ही करवाओगी ? अरे इसकी बहन की कोरी कोरी फड़वाना और इसकी कोरी फड़वाना तेरा काम है। ये मना थोड़े ही करेगा , और मना करे तो जबरदस्ती करने की तुझे पूरी छूट है ,मेरी ओर से। "



और जैसे अपनी सास की बात की ताकीद करते वो और जोर से , उनकी जीभ मम्मी की गोलकुंडा के अंदर धंसी , छेद के अंदर घुसी , लपड़ सपड़ , जोर जोर से चाटते




मम्मी की बात हर बार की तरह एकदम सही थी।


तीन बार जब स्कूल में वो पढ़ते थे क्लास ८ से क्लास ११ के बीच ,

एकदम उसकी उमर में जब लौंडेबाज लड़के ,चिकने लड़कों को पक्का गांडू बना देते हैं ,

खुद कबूला था उन्होंने , तीन बार उनकी नेकर सरका दी गयी थी ,सटा दिया गया था लेकिन ऐन मौंके पर , बस बच ही गए वो।

और कमल जीजू मेरे ,

मेरी सबसे बड़ी मौसेरी बहन ,




चीनू के हस्बैंड , मम्मी की सबसे बड़ी बहन की बेटी के हस्बैंड ,... ...


वो भी उन्ही के स्कूल में पढ़ते थे ,



जब ये नौंवे में पहुंचे तो वो बारहवें में थे और फिर वो इंजिनयरिंग में चले गए , खुद भी नंबरी ,...

और रीनू की शादी की बात सोचते ही हंसी आ जाती है , सुहागरात की अगली सुबह , रीनू हस्पताल चली गयी , ' वहां ' चार चार टाँके लगे थे , उसे ,

खुद बताते हैं कमल जीजू अपने स्कूल के लौंडेबाजी के किस्से, बल्कि मुझसे तो उन्होंने अपनी शादी के दिन ही कबूला था की पहली बार कैसे किस, की नेकर, और अभी अभी शादी के बाद भी , ...कभी कोई चिकना दिख गया न तो बस छोड़ते नहीं है।

उनका स्कूल सच में मशहूर था लौंडेबाजी के लिए।

और इनकी भी , बस ,...

ये समझिये बच ही गयी ,... वरना जितने चिकने हैं ये , ...


खुद बताया था उन्होंने, उनके स्कूल में तो लौंडेबाजी, पहुँचते ही इन्हे अच्छी तरह मालूम पड़ गया था, और एक दिन इन्ही के क्लास का एक लड़का, इन्ही के घर,

ये अकेले थे, इनकी माँ भी कहीं गयी थीं दो चार घंटे के लिए,

सब कुछ होजाता, लेकिन ऐन मौके पर वो लौट आयीं पहले ही , और ये बच गए , ... दो चार बार और भी ऐसे


मेरी शादी में मेरी भावजों ने इन्हे भी और मुझे भी बहुत चिढ़ाया इस बात को लेकर , ...

और अब तो मम्मी ने शर्त भी लगा दी है की वो मेरी सास पर इन्हे तभी चढ़ायेंगी ,





जब मैं इनका कोरा पिछवाड़ा फड़वा दूँ , वो भी किसी पक्के लौण्डेबाज से जिसका खूंटा ८ इंच से कम का न हो , जो एकदम इनकी ,...

और अगर मैं ये न कर पायी तो इन्हे मेरी सास के ऊपर चढाने का प्लान कैंसल , ... और ये तो मैं कतई नहीं सोच सकती थी ,



लेकिन मेरे लिए परेशानी थी , कहाँ मिलेगा ऐसा , .. जैसा मम्मी ने कहा है , और कैसे उनके पिछवाड़े ,... पर कुछ भी हो अब तो कोमल को ये करना ही पडेगा ,




मम्मी तो आठ इंच वाले डिल्डो से उनके पिछवाड़े का उद्घाटन कर ही देती



पर मैंने ही बोला, और इनकी इस शर्त पर बची की सचुमच वाला , जो इस आठ इंच वाले से बीस हो , और साथ में स्टिल, वीडियो सारे सबूत

सच में मम्मी ने इन्हे , ...

मस्त चाटते थे ये , चूत चाट चाट के झाड़ने में तो ये शुरू से एकदम एक्सपर्ट थे लेकिन , पिछवाड़ा चाटने में ,... और वो भी सिर्फ चाटना नहीं चाट चाट के , बिना अगवाड़ा छुए , झाड़ देना , ... और उनकी सास तो वैसे भी ,... और एक बार झाड़ने से काम नहीं चलने वाला था उनका ,...





मैं काम कर रही थी पर कनखियों से देख भी रही थी ,

सच्च में , एकदम मस्त चाट रहे थे ये ,

दोनों नितम्बो को हाथ से कस के फैला के , ... जीभ देर तक पिछवाड़े की दरार में , ऊपर नीचे , ऊपर नीचे ,



और फिर गोल छेद के चारों ओर

बीच बीच में मुंह के थूक से जैसे बच्चे बबल गम का गोला बनाते हैं , एकदम उसी तरह ढेर सारा थूक लेकर और सीधे , गोल छेद पर ,






और उसका असर छेद पर भी हो रहा था , दुबदुबाता , ... सिकुड़ता फैलता , ... और फिर सिर्फ जीभ की टिप अंदर गोल गोल

लेकिन थोड़ी देर में सिर्फ टिप नहीं ,...आधी जीभ अंदर , और गांड के अंदर धंसी घुसी , दीवालों को चाटती ,


साथ में दोनों होंठ इनके सासु के पिछवाड़े चिपके जोर से सक करते एकदम वैक्यूम क्लीनर की तरह , ... जीभ भी क्या कोई लंड से गाँड़ मारेगा उसी तरह अंदर बाहर गोल गोल , ...

देर तक





ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।
 
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komaalrani

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मॉम के दामाद







ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।



और मम्मी की कुछ कहने की जरुरत नहीं थी ,

वो मम्मी की बॉडी लैंग्वेज , आँख के इशारे से ही समझ जाते थे , और मेरी मम्मी भी न ,

उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था दिन है या रात।

हम लोग बेड रूम में हैं या लिविंग रूम में या यहाँ तक की किचेन में , ...

और ये भी नहीं की कोई आ जाएगा ,

वो झिझक , हिचक जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी , सब उन्होंने छुड़ा दी थी ,



मैं देख रही थी थी कितनी मस्ती से वो अपनी सास की गांड चाट रहे थे ,

सीधे छेद के अंदर उनकी जीभ थी ,



चूत चटोरे तो ये शुरू से थे , लेकिन अब मम्मी ने इन्हे पक्का गांड चट्ट भी बना दिया था ,

और वो भी जबतक इनकी जीभ गाँड़ के अंदर दो ढाई इंच नहीं घुस जाती थी ,





तब तक , गाली तो छोड़िये ,



चटाक चटाक , स्पैंकिंग भी ,...

और एक और परेशानी की बात इनके लिए होती थी , मम्मी इनसे कुछ ही कहती , एक ग्लास पानी लाने को ही ,

इनका खूंटा तनना शुरू हो जाता , ...




और गांड चाटते समय तो एकदम लोहे का रॉड , ... लेकिन मम्मी उसे देख कर अनदेखा कर देती ,

और कुछ दिन बाद मैं समझी उन की ट्रिक ,

इसी बहाने उन के खूंटे को आदत हो गयी , घंटो तने रहने की खड़े रहने की , ...

ये नहीं की कुछ देर बाद झंडा झुकने लगा ,

आज मम्मी कुछ ज्यादा ही जोश में थीं , शायद समधन से बात का असर , रगड़ रगड़ के , ...

फिर सोफे से उतर कर , वहीँ ,

वो मम्मी का इशारा समझ गए ,

ड्राइंग रूम में फर्श पर ही कारपेट पर वो लेट गए और मम्मी एक बार फिर से उनके ऊपर चढ़ गयी ,

क्या कोई लड़का किसी लड़की का मुंह चोदेगा अपने लंड से ,




जिस तरह मम्मी अपनी गांड और बुर से उनके मुंह को चोद रही थीं ,

और वो बिना रुके चाट रहे थे , चूस रहे थे ,

खूंटा एकदम तना ,

मम्मी ने झुक के अपने हाथ से तने लंड को थोड़ी देर तक मसला , रगड़ा , ...




फिर वैसे ही छोड़ दिया , ...

दो बार मम्मी झड़ी तब जाके उनके ऊपर से उठीं ,


मम्मी ने झड़ने के बाद ही छोड़ा इनको।



कंप्यूटर बंद करके मैं सुबह के बारे में सोच रही थी ,

जब मॉम ने उनसे और मेरी सास से डायरेक्ट इंटरैक्शन करवा दिया था ,और मेरी चमक गयी।

…….

यही ट्रिक तो मैं उनकी छुटकी बहिनिया और अपनी छिनार ननदिया के साथ भी तो कर सकती थी ,

और बस अब तीन दिन ही तो बचे थे , भाई बहन की स्क्रिप्ट चालू होने में।




परसों सुबह मम्मी चली जाएंगी और उसके अगले दिन हम लोग उनके मायके , मेरे मन में उसकी बातें अभी फांस की तरह चुभती थी ,


" आप क्या जानेगी , मेरे भैय्या हैं मैं इतने दिनों से जानती हूँ इनको। "

" अरे भाभी आप आम खा रही है ,मेरे भैया तो इसका नाम भी नहीं सुन सकते , इत्ती चिढ है ,



अच्छी तरह से ब्रश करके जाइयेगा , माउथ वाश भी , न हो तो कुछ सौंफ वौंफ भी , ...अरे मुझसे पूछ लेती न पहले ,
मैं बता देती आपको। "




अब पता चलेगा ,

जब उसकी कच्ची अमिया चखाउँगी उन्हें।

थोड़ी उसकी मर्जी से थोड़ी जबरदस्ती ,बल्कि ज्यादा जबरदस्ती।


तभी वो लौटे तैयार होके ,सेकेण्ड हाफ में में आफिस जाना था उन्हें।

और मुझे फिर से समधन- समधन की और उनकी मेरी सासू से सुबह की फोन वार्ता याद आयी ,

और मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,





" हे ज़रा उस एलवल वाली को फोन लगाओ न "



 
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Jiashishji

दिल का अच्छा
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मॉम के दामाद







ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।



और मम्मी की कुछ कहने की जरुरत नहीं थी ,

वो मम्मी की बॉडी लैंग्वेज , आँख के इशारे से ही समझ जाते थे , और मेरी मम्मी भी न ,

उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था दिन है या रात।

हम लोग बेड रूम में हैं या लिविंग रूम में या यहाँ तक की किचेन में , ...

और ये भी नहीं की कोई आ जाएगा ,

वो झिझक , हिचक जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी , सब उन्होंने छुड़ा दी थी ,



मैं देख रही थी थी कितनी मस्ती से वो अपनी सास की गांड चाट रहे थे ,

सीधे छेद के अंदर उनकी जीभ थी ,



चूत चटोरे तो ये शुरू से थे , लेकिन अब मम्मी ने इन्हे पक्का गांड चट्ट भी बना दिया था ,

और वो भी जबतक इनकी जीभ गाँड़ के अंदर दो ढाई इंच नहीं घुस जाती थी ,





तब तक , गाली तो छोड़िये ,



चटाक चटाक , स्पैंकिंग भी ,...

और एक और परेशानी की बात इनके लिए होती थी , मम्मी इनसे कुछ ही कहती , एक ग्लास पानी लाने को ही ,

इनका खूंटा तनना शुरू हो जाता , ...




और गांड चाटते समय तो एकदम लोहे का रॉड , ... लेकिन मम्मी उसे देख कर अनदेखा कर देती ,

और कुछ दिन बाद मैं समझी उन की ट्रिक ,

इसी बहाने उन के खूंटे को आदत हो गयी , घंटो तने रहने की खड़े रहने की , ...

ये नहीं की कुछ देर बाद झंडा झुकने लगा ,

आज मम्मी कुछ ज्यादा ही जोश में थीं , शायद समधन से बात का असर , रगड़ रगड़ के , ...

फिर सोफे से उतर कर , वहीँ ,

वो मम्मी का इशारा समझ गए ,

ड्राइंग रूम में फर्श पर ही कारपेट पर वो लेट गए और मम्मी एक बार फिर से उनके ऊपर चढ़ गयी ,

क्या कोई लड़का किसी लड़की का मुंह चोदेगा अपने लंड से ,




जिस तरह मम्मी अपनी गांड और बुर से उनके मुंह को चोद रही थीं ,

और वो बिना रुके चाट रहे थे , चूस रहे थे ,

खूंटा एकदम तना ,

मम्मी ने झुक के अपने हाथ से तने लंड को थोड़ी देर तक मसला , रगड़ा , ...




फिर वैसे ही छोड़ दिया , ...

दो बार मम्मी झड़ी तब जाके उनके ऊपर से उठीं ,


मम्मी ने झड़ने के बाद ही छोड़ा इनको।



कंप्यूटर बंद करके मैं सुबह के बारे में सोच रही थी ,

जब मॉम ने उनसे और मेरी सास से डायरेक्ट इंटरैक्शन करवा दिया था ,और मेरी चमक गयी।

…….

यही ट्रिक तो मैं उनकी छुटकी बहिनिया और अपनी छिनार ननदिया के साथ भी तो कर सकती थी ,

और बस अब तीन दिन ही तो बचे थे , भाई बहन की स्क्रिप्ट चालू होने में।




परसों सुबह मम्मी चली जाएंगी और उसके अगले दिन हम लोग उनके मायके , मेरे मन में उसकी बातें अभी फांस की तरह चुभती थी ,


" आप क्या जानेगी , मेरे भैय्या हैं मैं इतने दिनों से जानती हूँ इनको। "

" अरे भाभी आप आम खा रही है ,मेरे भैया तो इसका नाम भी नहीं सुन सकते , इत्ती चिढ है ,



अच्छी तरह से ब्रश करके जाइयेगा , माउथ वाश भी , न हो तो कुछ सौंफ वौंफ भी , ...अरे मुझसे पूछ लेती न पहले ,
मैं बता देती आपको। "




अब पता चलेगा ,

जब उसकी कच्ची अमिया चखाउँगी उन्हें।

थोड़ी उसकी मर्जी से थोड़ी जबरदस्ती ,बल्कि ज्यादा जबरदस्ती।


तभी वो लौटे तैयार होके ,सेकेण्ड हाफ में में आफिस जाना था उन्हें।

और मुझे फिर से समधन- समधन की और उनकी मेरी सासू से सुबह की फोन वार्ता याद आयी ,

और मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,





" हे ज़रा उस एलवल वाली को फोन लगाओ न "



Mammi kab Aaye gi
 

komaalrani

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Mammi kab Aaye gi

अरे बताया तो था पूरा प्रोग्राम ,

हम और ये , इनके मायके जाएंगे , वहां से पटा के, किसी तरह इनकी छुटकी बहिनिया को ले आएंगे,

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फिर उसकी फाड़ी जायेगी, धूमधाम से , और फाड़ने वाले उसके अपने भैया होंगे , तो पहले तो उस मेरी ननदिया को पटाना होगा,

और इनकी मम्मी, मेरी सास तो अभी एक दो दिन में तीरथ करने जाने वाली हैं, वहां से लौटेंगी तो मेरी मम्मी जा कर उन्हें ले आएँगी,

और हाँ, मेरी मम्मी ने मुझसे कुछ शर्ते रखी हैं , मेरी सास की ऐसी की तैसी करवाने के लिए , पिछली दो पोस्ट पढ़िए हाल खुलासा बयान किया है

सब होगा,

आराम से , तसल्लीबख्श ढंग से , बस साथ बनाये रखिये, कोई नहीं बचेगा, इनके मायके का ,...
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ५८

भाई -बहन संवाद


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मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,

" हे ज़रा उस एलवल वाली को फोन लगाओ न "

(एलवल वो मोहल्ला था जहाँ ,उनका माल कम ममेरी बहन रहती थी ),

वो थोड़ा सा झिझके तो मैंने हड़का लिया ,

' अरे लगाओ न , फोन लगाने में इत्ता झिझक रहे हो तो उसकी चिकनी जाँघों के बीच कैसे लगाओगे , अरे लगा न ,
लगाना तुम बातें मैं करुँगी। और ये मत कहना की तुझे अपनी उस बहन का नम्बर नहीं मालुम है ,ब्रा तक का तो उसका नंबर मालूम है तुझे कप सहित तो फोन नम्बर , ... "

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चुपचाप नंबर लगा के उन्होंने फोन मेरी ओर बढ़ा दिया , मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें चुपचाप मेरे बगल में बैठने का इशारा किया।


दो बार घंटी भी नहीं बजी होगी की उधर से एक मीठी सुरीली सेक्सी आवाज आयी,

" भैय्या,... "

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" भैय्या नहीं भाभी , "

खिलखिलाते हुए मैं बोली ,

" अरे दिन रात भैया को याद करती हो , कभी कभी भाभी को भी याद कर लिया कर न "



आफ कोर्स स्पीकर फोन आन था ,उनकी आँखे फोन से ऐसे चिपकी थीं जैसे उसकी आवाज न हो ,वो खुद हो।

" आज कल तो तेरे बड़े मजे हो रहे होंगे , इंटर का कोर्स हो गया और अभी छुट्टियां भी , खूब छैलों के साथ मजे लूट रही होगी मेरी ननदिया। "

मैंने उसे छेड़ा।

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" अरे नहीं भाभी ,ऐसी कोई बात नहीं , अभी बस बोर हो रही हूँ , "

बुरा सा मुंह बना के वो बोली।

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" मैं मान नहीं सकती तेरा ऐसा माल , ये रूप ये जोबन , और इंटर का कोर्स कर ले बिना इंटरकोर्स किये हुए,

अरे ये बता कितनों के साथ किया , आखिरी बार किसके साथ ,अरे यार भाभी तो सहेली की तरह होती है ,
उससे क्या छिपाना, बोल न ५,१० कितने चढ़े अबतक मेरी बांकी हिरनिया पर। "

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मैंने छेड़ना जारी रखा।

" अरे भाभी आप ऐसी किस्मत सबकी थोड़ी होती है ,एक भी नहीं। आपकी ननद अभी तक कोरी है ,एकदम सच्ची। "


अब वो भी रंग में आ रही थी ,लगता है घर में कोई था नहीं।

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" मैं मान नहीं सकती , तू तो मुझे जानती है न , एकदम ऊँगली डाल के टेस्ट करुँगी , अगर कोरी न निकली तो कोहनी तक पेल दूंगी अंदर। "

मैंने उसे हड़काया लेकिन मेरे मन की एक चिंता दूर होगयी की कहीं उसकी सोनचिरैया ने चारा तो नहीं चुग नहीं लिया।

और मैंने उनकी ओर देखा तो उनका चेहरा भी ख़ुशी से चमक रहा था।

और फोन पर दूध खील की तरह मेरी किशोर ननद गुड्डी की हंसी छलक रही थी ,दिन में भी कमरे में दूधिया चांदनी की तरह बरस रही थी।

और मेरी ननद थी भी ऐसी , सुरु के पेड़ की तरह छरहरी , ५-३ की लम्बाई , गोरी ऐसी की बस जैसे दूध में किसी ने दो बूँद गुलाबी रंग डाल दिया हो , तन्वंगी ,छरहरी लेकिन कटाव भराव उसके , बस उसके क्लास की लड़कियों से २० नहीं ,२१।

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जब लड़कियों के उभार बस दिखने शुरू होते हैं उस समय भी टॉप फाड़ते थे और अब तो परफेक्ट ३२ सी ,

बस एकदम मुट्ठी में आ जाय वैसे ,



और बांकी हिरन सी पतली कमर पर वो और भरे भरे लगते। लंबे काले बाल सीधे नितम्ब तक , लेकिन सबसे कातिल थी उसकी जानमारू अदा ,बांकी चितवन ,जिस अंदाज से वो मुड़ देखती थी और हंसी , हँसते ही गोरे गोरे गालों में गड्ढे पड़ जाते थे।



अगर उसके भैया का दिल उसके ऊपर आ गया था तो उन से ज्यादा ज्यादा दोष उसकी नयी नयी आयी जवानी का था।

" मुझे मालुम है भाभी आप छोड़ने वाली नहीं मुझे अब तक होली की याद है। "


हंसते हुए वो बोली।
 

komaalrani

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होली की याद





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" मुझे मालुम है भाभी आप छोड़ने वाली नहीं मुझे अब तक होली की याद है। "


हंसते हुए वो बोली।


सच में होली में , एक तो मेरी ननद रानी सुबह गीली होली के टाइम आयी नहीं ,मेरे कहने पर भी ,

आखिर मेरी एकलौती ननद थी वो और शाम को आयी भी तो एकदम ओढ़ बिढ़ कर।

रोज तो स्कर्ट ,या फ्राक पहनती थी पर उस दिन खूब मोटा मोटा शलवार कुर्ता

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लेकिन उसे मालुम नहीं था की उसकी भौजाई किस हद तक जा सकती है , ससुराल में ये मेरी पहली होली थी।



मैंने बसन्ती को पटाया , कामवाली थी लेकिन रिश्ते में बहू होने के नाते वो भी भाभी लगती थी।मेरी समौरिया और मेरी पक्की सहेली भी, और फिर जहाँ ननदों की शलवार का नाड़ा खोलना हो , या ब्रा और होली का दिन हो , फिर तो सब भाभियाँ एक हो जाती हैं ,



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बस।

मैंने गुड्डी को बातों में फुसलाया , डबल भांग की डोज वाली गुझिया


और ठंडाई खिलाई ,पिलाई।

" बस ज़रा सा गुलाल का टीका , मैं बोली। "

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गुलाल से गाल पर पहले गुलाल पहुंचा फिर मेरे हाथ , और उसके बाद टाइट कुर्ते से झाँकती गोलाइयों का नम्बर था।

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वो मेरा हाथ रोक पाती उसके पहले बंसती तैयार खड़ी थी , पीछे से गुड्डी के दोनों नाजुक कलाइयां , बसन्ती की संडसी ऐसी पकड़ में।

आराम से मैंने कुर्ते के सारे बटन खोले ,


फिर कुरता हटाकर ब्रा भी हटाई ,



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वो छटपटाती रही ,

लेकिन वो भौजाई भी क्या जो होली में ननद के जोबन न मसले रगड़े ,

" अरे ननद रानी अपने भैया से तो न जाने कबसे मिजवा रगड़वा रही हो अब ज़रा भौजाई के साथ भी मजा ले लो न। "

मैं बोली।



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तबतक बंसती ने उसके दुपटे से ही गुड्डी के हाथ बाँध दिए ,

फिर तो बसन्ती के भी दोनों हाथ खाली हो गए ,

वही निहुरा के जबरन उस कच्ची कली के मैंने शलवार का नाड़ा भी खोल दिया ,

फिर ऊपर की मंजिल बंसती के हाथ और गुलाबी परी मेरे हाथों में ,



पहले तो एक प्लेट गुलाल सीधे गुलाबी परी के ऊपर


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और फिर मेरे हाथों ने उसे मसलना शुरू किया।

मेरी ननद बिचारि को क्या मालुम की कन्या रस के मामले में मैं ,...

बोर्डिंग में जो लड़कियां नयी नयी आती , उनकी रैगिंग कर के लेस्बियन कुश्ती सिखा के एकदम ,

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कुछ देर उसकी कुँवारी चूत का रस लेने के बाद मैंने जब ऊँगली करने की कोशिश की तो मुझे मालुम पड़ गया की कैंडलिंग क्या ,

यहाँ तो कभी कानी ऊँगली का पोर भी नहीं घुसा है।



और घुसाता कौन , मेरी एकलौती ननद की एकलौती भौजाई भी तो मैं ही थी और ये हम दोनों की पहली होली थी।

एकदम टाइट , पूरी कसी ,कोरी।

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गुड्डी उसी का जिक्र कर रही थी।

और हंसती खिलखिलाती उसने अपना सवाल दाग दिया ,

" और अगर होली में आपने जो चेक किया था , वैसे ही कोरी कसी निकली तो ? "




" तो मैं उसे बहुत दिन कोरी नहीं रहने दूंगी। बस दो दिन बाद आ रही हूँ मैं , परसों के बाद ,नरसों। "

मैं भी हंसते हुए बोली।

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" ये तो बहुत अच्छा हुआ भाभी , यहाँ बहुत बोर हो रही थी मैं। "

गुड्डी बोली ,

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" बोर ,मलतलब किसी से बोरिंग करवा रही थी क्या , लगता है मैंने गलत टाइम पे फोन कर दिया , "

गुड्डी को चिढाती हुयी मैंने बहुत सीरियस हो के बोला।

" भाभी ,आपको भी बस एक चीज , यहाँ मैं बोरियत की बात कर रही थी और आप भी न आप करवाती रहती है न दिन रात बोरिंग इसीलिए ,... "

बनावटी गुस्से में गुड्डी बोली।




" चल दो दिन की बात और है फिर तेरी सारी बोरियत दूर कर दूंगी ,मेरे साथ तेरे भैया भी आ रहे हैं और वो भी पूरे हफ्ते भर के लिए। "


" सच में भाभी ,..." उसकी ख़ुशी फोन से भी छलक रही थी। लेकिन फिर उदास आवाज में बोली , भैया तो मुझे याद भी नहीं करते।

मुझे मौका मिल गया अपनी ननद पर चढ़ाई करने का ,चिढाते हुए मैं बोली।

' अरी तू क्या जाने रोज याद करते हैं। "

मैं उसे खुश करने की कोशिश करते बोली।

" कब ,मुझसे तो कभी बोले नहीं ,फोन भी नहीं किया। " गुड्डी बोली।

" अरे मैं बताती हूँ न ,रोज रात को जब मेरे ऊपर चढ़ाई करते हैं न तो बस थोड़ी देर में मेरी जगह तेरा नाम ले के ,... ओह्ह गुड्डी बहुत मजा आ रहा है ओह्ह और जोर से धक्का मार न , कित्ते रसीले हैं तेरे ये होंठ तेरे जोबन , ... बोलते हैं। सच में न विशवास हो तो उन्ही से पूछ लेना। "

मैंने उसे चिढाया।


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" धत्त भाभी ,आप भी न , ... " वो थोड़ी शरमाई लजायी।

" अरे इसलिए तो ला रही हूँ , उन्हें अगर तू कोरी मिली न बस समझ ले तेरा कोरापन बस उन्ही से दूर करवा दूंगी। बहुत प्यार से फाड़ेंगे तेरी।

" मैंने छेड़ा।

" अरे रहने दीजिये भाभी ,अगर ,... फिर आपका उपवास हो जाएगा। मेरे भैय्या आपको ही मुबारक। आप को हम तो लाये ही इसीलिए थे की आप पर चढ़ाई करें ,बोरिंग करें , रोज बिना नागा ,... "

हँसते हुए गुड्डी बोली। अब वो भी मेरी तरह खुल के मजाक के मूड में थी।

" अरे कोई उपवास वुपवास नहीं होगा मेरा ,कुछ रेस्ट मिल जाएगा तेरी भाभी को वरना तो तेरे भैया ५ दिन की छुट्टी में भी नहीं छोड़ते। "

मैंने और लेवल बढ़ाया।





" अरे भाभी तो इसमें मेरे भैया का क्या दोष ,मेरी प्यारी भाभी हैं ही इतनी अच्छी और फिर आप को छोड़ कर , .... " वो मूड में थी।


" चल लगी बाजी , अगर तेरी कोरी निकली तेरे भैया को मैं तेरे ऊपर चढ़ा के ही रहूंगी , अच्छा मौक़ा है अगर तुझे अपने भैया से अच्छा कोई मर्द दिखे तो फड़वा ले उससे अभी भी दो दिन है ,... " मैंने उनकी ओर देखते हुए तीर छोड़ दिया।

और गुड्डी का जवाब भी तुरंत मिल गया।


" अरे भाभी आप भी न ,... मेरे भैया से अच्छा कोई नहीं ,वो दुनिया में सबसे अच्छे हैं। " हँसते हुए मेरी ननदिया बोली। और उसने जोड़ा ,

" हाँ भाभी आप बाजी की बात कह रही हैं न तो आप कहीं भूल तो नहीं गयी पिछले साल की बाजी , ...बस सात आठ दिन बचे है ,अच्छा है आप आ रही हैं तो का भी फैसला हो जाएगा , जहां आप हारी , आप का हार मेरा। " गुड्डी ने मुझे याद दिलाया।

( पिछले साल इसी महीने में बाजी लगी थी , मैंने बोला था की ये सबके सामने न सिर्फ आम खाएंगे , बल्कि गुड्डी के हाथ से और उसे भी खिलाएंगे। अगर मैं हार गयी तो मेरे गले का हार उसका और वो हार गयी तो ८ घंटे तक उसे मेरी हर बात माननी होगी। ).
…………………..
एकदम याद है लेकिन देख कोई और तुझसे बात करना चाहता है , और मैंने फोन उन्हें पकड़ा दिया।

मैं चली गयी थी लेकिन भाई बहन का संवाद सुन रही थी ,
 
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पहचान कौन ,





एकदम याद है लेकिन देख कोई और तुझसे बात करना चाहता है , और मैंने फोन उन्हें पकड़ा दिया।

मैं चली गयी थी लेकिन एक्सटेंसन पर भाई बहन का संवाद सुन रही थी ,


" हेल्लो ,... " मेरी ननद अपनी टिपिकल शहद घुली हस्की सेक्सी आवाज में बोली।

वो भी मूड में थे उसे छेड़ने के , चुप रहे।

' हेलो , कौन , ,... " फिर रुक के गुड्डी बोली , " अरे नाम तो बताओ न "




" पहचान कौन , ... " हलके से मुस्कारते वो बोले।

" उह्ह्ह ,... मुझे क्या मालूम , " बड़ी अदा से वो शोख टीनेजर बोली ,

" बोलो न ,कुछ तो हिंट दो न ".


" ऊँह , कुछ , चलो कुछ गेस करो न । "


मेरी और मेरी ननद की टेलीफ़ोन की बात सुन के वो भी मूड में आ गए थे।

" उन्हह ,अच्छा चल सोचती हूँ , टाल ,फेयर ,हैंडसम , मेरे खूब अच्छे वाले मीठे मीठे भैय्या। "

गुड्डी भी अब मूड में थी ,और दोनों कबुतरों में गुटरगूँ चालू हो गयी।





कुछ देर के बाद उनके मुंह से निकल गया ,

" मुझे मालूम था की इस समय तुम अकेली रहती हो इसलिए ,"

बात काट के वो जोर से खिलखिलाई और फिर उन्हें चिढाते बोली ,

" अच्छा तो अकेले जान के फायदा उठाया जा रहा है। "

वो बिचारे झेंप गए ,लेकिन बात उनकी ममेरी बहन ने ही आगे बढ़ाई ,उसी तरह हँसते हुए ,

" चलो भइय्या ,जब फायदा उठा सकते थे तब तो फायदा उठाया नहीं और अब ,... तेरे बस का नहीं है फायदा वायदा उठाना। "





कुछ मेरी और मम्मी की ट्रेंनिग का नतीजा और कुछ उनकी अपनी चाहत , अब उनकी भी हिम्मत खुल गयी थी , बोले ,

" अरे जब जागो तभी सबेरा , कोई जरूरी है जो काम पहले कोई चूक जाए वो दुबारा न करे , "

गुड्डी भी उन्ही की तरह इन्फार्मल और बोल्ड हो गयी थी ,बल्कि उनसे भी ज्यादा ,कुछ रुक के बोली ,

" एकदम जरूरी नहीं ,... "

" तू बुरा तो नहीं मानेगी। "


अब वो एकदम डायरेक्ट हो रहे थे ,यही तो मैं चाहती थी ,और मुझसे बढ़ कर उनकी सास।


" तेरी किसी बात का जो पहले बुरा माना है जो अब मानूँगी ,तुम भी न भैय्या "

फिर हंस के बोली ,

" और अगर बुरा मान भी गयी तो तू मेरे बुरा मानने का बुरा मत मानना ,और क्या। "



उन दोनों की बात सुनते मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,

"अरे बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना और जब वो तेरा बचपन का माल और एकलौती बहन हो। "






गुड्डी को लगा की बात शायद आगे ज्यादा जा रही है इसलिए उसने बात बदलते हुए कहा ,

" भैय्या ,मेरी तो छुट्टियां चल रही है लेकिन लगता है आप को भी कोई काम धाम है नहीं। "


" अरे काम ही तो कर रहा हूँ ,तुझसे बात करना भी तो काम हुआ न , " वो बोले।

" ये कौन सा काम हुआ ,... "


अदा से वो शोख बोली ,पर उनका दिमाग सिंगल ट्रैक हो चुका था ,बोले ,

" तो कौन सा काम ,... तेरा मतलब कामसूत्र वाला काम ,... "

अबकी वो शरमाई , थोड़ा झिझकी और हलके से बोली ,

"धत्त ,... "





" अरे क्यों धत्त क्यों , वो भी तो काम हुआ न ,उसी से तो दुनिया चलती है और मज़ा भी कितना आता है उस काम में। "


वो अब एकदम खुल के मूड में आ गए थे।

और वो भी लगता है , पक्का मेरी ननद की उँगलियाँ उसकी कोरी बुलबुल पे चल रही होंगी , कुछ रुक के ,गहरी सांस लेती बोली ,

" तो करो न ,मैंने कौन सा मना किया है ,... "

वो बहुत धीमे से बोली। इससे ज्यादा कोई टीनेजर क्या सिग्नल देती।


" लेकिन इतनी दूर से कैसे करूँ , इसलिए फोन पर कर रहा हूँ ,जो कर सकता हूँ।

मेरी ननद भी एकदम पक्की थी ,एकबार फिर वो उनकी रगड़ाई करने के मूड में आ गयी थी ,चिढाते बोली।

" अरे तो उसके साथ करो न जिसके साथ रोज करते हो ,,,,,"

पर वो भी हारने वाले नहीं थे आखिर उनकी सास की ट्रेनिंग थी , छेड़ते हुए बोले ,


" क्या करता हूँ ज़रा खुल के तो बोलो न , मेरी समझ में नहीं आया। "

" पिटोगे तुम , बहुत जोर से पिटोगे " ,हँसते हुए वो शोख बोली



" अच्छा तो तेरे साथ कर लूँ , ... " हँसते हुए वो बोले।

" हे हे मैंने ऐसा तो नहीं कहा था। " वो उसी तरह शहद घुली आवाज में बोली।


" लेकिन तूने मना भी तो नहीं किया। " वो आज छोड़ने के मूड में नहीं थे ,

और मेरी ननद वो बात बोल गयी जो मुझे मालुम तो थी ,लेकिन उसी के मुंह से मैं सुनना चाहती थी।


" मना तो भैय्या मैंने पहले भी कभी नहीं किया। "


मेरी बांकी किशोर ननद के मुंह से निकल गया।



लेकिन उसकी बात अनसुनी करते वो बोले ,

" तूने सुना है ना कोई भी लड़की अगर न कहे तो उसका मतलब है शायद और अगर शायद कहे तो उसका मतलब हाँ ,... "

अबकी वो एकबार फिर से गुड्डी मूड में आ गयी थी ,जोर से खिलखलाती बोली ,

" शायद ,हां भैय्या ,... शायद ,शायद सुना है."

इससे ज्यादा कौन लड़की इशारा दे सकती है। वो भी , जोश में आ गए , ख़ुशी से बोल उठे ,

" हे तूने बोल दिया , शायद और जानती है लड़की शायद बोले तो क्या मतलब होता है। "

हँसते हुए वो फिर बोली ,

" बोल दिया तो क्या हुआ ,मैं तो फिर से बोल रही हूँ ,शायद ,शायद ,शायद। "



उनके मोबाइल पर आफिस का कोई मेल आ गया था ,किसी मीटिंग का रिमाइंडर ,

वो बोले ,

" हे अभी चलता हूँ लेकिन कल पक्का इसी समय मिलेंगे ,साढ़े तीन बजे। "

" एकदम पक्का भइया ,प्रामिस इसी समय साढ़े तीन बजे , मेरा मतलब है शायद ,

उन्हें चिढाते खिलखिलाती वो छोरी बोली और दोनों ने फोन रख दिया।


पीछे से मैंने उन्हें गपुच लिया और उनके गाल कचकचा के काटते बोली ,

" साढ़े तीन बजे गुड्डी जरूर मिलना ,साढ़े तीन बजे , अरे लौंडिया एकदम पट गयी है , बस अब उसे निहुराओ सटाओ और घुसेड़ दो , फाड़ दो एक धक्के में। "

मेरा हाथ उनके बल्ज पे था , रगड़ते हुए। एकदम तन्नाया था अपनी छुटकी बहिनिया से बात कर के।



……………………………………………….

" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे "

उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।





" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। "


वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी
 
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