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Incest जीजा जी की चाहत (incest)

neeRaj@RR

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बहुत ही मस्त स्टोरी दो ही दिन पहले शुरू की थी
रास्ते में देखते हैं क्या क्या होता है
raste me kyu shuru ki shuru se shuru kariye
 
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neeRaj@RR

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Update 40
हमारी कार मुख्य मार्ग पर आ चुकी थी और मैंने सोचा सबसे पहले जरूरी काम कर लिए जाएं क्योंकि उनमें लापरवाही हुई तो मम्मी पापा का गुस्सा झेलना पड़ेगा ........

अगले ही चौराहे पर मैंने कार किनारे लगाई दीदी बोली क्या हुआ मैंने कहा कुछ नही आपकी ससुराल का इंतजाम कर लूं लखनऊ पहुंचते रात हो जाएगी वहां कुछ ना मिला तो ....... और फिर मैंने एक स्वीट्स शॉप से 5 kg बढ़िया क्वालिटी की मिठाई और एक फ्रूट शॉप से 5 तरह के फल पैक करवाये और वो सारा सामान कार की डिक्की में सेट किया हमारा बैग भी मैंने डिक्की में सेट कर दिया बैक सीट खाली चाहिए थी मुझे ........

और फिर मैंने कार स्टार्ट कर के आगे बढ़ा दी ...... शाम के 5 बज रहे थे ........ तभी दीदी बोली विकी मुझे कुछ पैसे चाहिए मैंने कहा कितने वो बोली 20000 मैंने हैरानी से उन्हें देखा और कहा इतने पैसे क्या करूंगी वो बोली प्लीज दो ना बाद में बता दूंगी ...... अब उन्हें मना करने का तो सवाल ही नही था सो मैंने एक एटीएम के सामने कार रोकी और 20000 निकाल कर उन्हें दे दिए अच्छा हुआ मैंने एटीएम कार्ड पर्स में डाल रखा था .......

पैसे ले कर दीदी ने पर्स में रखे और बोली किसी ज्वेलरी शॉप में रुकना दो मिनट के लिए मुझे लगा वो शायद प्रतीक या श्वेता के लिए कुछ लेंगी और मैंने एक ज्वेलरी शॉप में कार रोक दी ..... दीदी बोली तुम यहीं रुको मैं आती हूँ जान ....... और वो शॉप में घुस गई और 5 मिनट बाद ही वो मुस्कुराते हुए आईं और बैठते हुए बोली अब चलो ......

मैंने कार बढ़ा दी पर मेरे समझ कुछ नही आया तभी प्रतीक का काल आया मैंने फोन रिसीव किया ........ हेलो जीजू कैसे हैं आप ...... वो बोले मैं एकदम अच्छा हूँ तुम लोग निकले ? मैंने कहा बस निकल रहे हैं जीजू ...... वो बोले ...... यार लेट कर दिया यहाँ पहुंचते बहोत रात हो जाएगी ....... मैंने कहा अब तो निकल ही रहे हैं तो पहुंच भी जाएंगे ........ वो बोले फिर भी साथ मे निकिता भी है रात का सफर सुरक्षित नही होता लेडीज़ के साथ ..... मैंने कहा मैं हूँ ना जीजू आप फिक्र मत करो ...... वो बोले ठीक है रास्ते मे कोई प्रॉब्लम हो तो फौरन कॉल करना मुझे ...... मैंने कहा ok और कॉल काट दी .....

दीदी बड़े गौर से देख रही थीं मुझे मैंने कहा बड़ी फिक्र है प्रतीक को तुम्हारी ....... दीदी ने कहा पर मुझे कोई फिक्र नही अपनी ...... मैंने पूछ लिया क्यों ....... दीदी मेरी ओर खिसक आईं और मेरी बांह पकड़ कर चिपक गयीं मुझसे और बोली मेरा he-man है न मेरे साथ मेरी प्रोटेक्शन के लिए ....... मुझे किसका डर .....

मैंने कहा ओहहह मेरी जान तो तुम्हें बस मुझसे ही डरने की जरूरत है ....... दीदी बोली तुमसे क्यों डरूँ मैं ...... मैंने दीदी की कमर में हाथ डाल कर उन्हें अपने और नजदीक खींचते हुए कहा क्यों कि आज तुम कयामत लग रही हो दीदी और मैं बस जल्दी से जल्दी तुम्हे चोदना चाहता हूं .......

दीदी ने अपना लिपस्टिक लगा होंठ मेरे कान पर रगड़ते हुए कहा उफ़्फ़फ़ विकी मेरी जान पर अभी तो उजाला है अंधेरा तो होने दो ....... मैंने कहा अंधेरा होने तक मुझसे इंतजार नही होगा रानी .......,


दीदी बोली उफ़्फ़फ़ मेरे बेताब आशिक इंतजार तो मुझसे भी नही होता था जब तुम मेरी चूत चाट चाट कर मेरा पानी निकाल देते थे पर मैंने किया न ऐसे ही तुम भी बस थोड़ा सा इंतजार और कार लो अंधेरा हो जाने दो फिर तुम्हारी निक्की तुम्हें नही रोकेगी जी भर के कर लेना अपने दिल की चोद लेना मेरी बुर मेरे राजा .......


फिर दीदी बोली यार विकी ड्रिंक कर के ड्राइव करना रिस्की है ना ...... मैंने कहा है तो सही पर एक बियर से उतना फर्क नही पड़ता यार बाइक तो हमेशा चलाता हूँ बियर पी के ...... दीदी अपना होंठ काटते हुए बोली ले लो फिर मैं तुम्हारे साथ पहली चुदाई को पूरा एन्जॉय करना चाहती हूं राजा ......


मैं मुस्कुरा दिया और दीदी की कमर को कस के मसल दिया दीदी सिसक उठीं उफ़्फ़फ़ विकी ऐसे ना मसलो दर्द होता है ........ मैंने कहा रानी आज तो बहोत दर्द दूंगा तुम्हे जी भर में मसलूंगा रगडूंगा ..... दीदी सिसक कर मेरे सीने पर हाथ फिराती हुई बोलो सिर्फ दर्द दोगे या मज़ा भी दोगे मेरी जान ...... मैंने कहा दोनो ......


अब कार शहर से निकल कर हाईवे पर आ गयी थी और मैंने फोन पर गूगल मैप में डेस्टिनेशन डाल कर सर्च किया तो दो रूट दिखे एक तो कानपुर हो कर लखनऊ दूसरा प्रतापगढ़ होते हुए लखनऊ प्रतापगढ़ वाला रूट छोटा भी था और जहां तक मेरी जानकारी थी कानपुर वाले रूट पर भारी ट्रैफिक और भीड़ भाड़ होती है जबकि दूसरा रूट एकदम फ्री होता है ना के बराबर ट्रैफिक तो मैंने बायपास चौराहे से कार को प्रतापगढ़ वाली रोड पर मोड़ दिया ........


बस कुछ किलोमीटर चलने के बाद ही सड़क पर सन्नाटा सा दिखने लगा बस इक्का दुक्का गाड़ियां नजर आती और खाली सड़क ....... दीदी वैसे ही मुझसे चिपकी हुई बैठी थीं ..... और मैं दीदी की नंगी कमर पर उंगलियां फिराते हुए 50-55 की स्पीड से ड्राइव कर रहा था ....... इस रूट से लखनऊ की दूरी सिर्फ 210 km थी और 5 घंटे का सफर दिख रहा था मैंने इसमे 2 घंटे और जोड़ दिए तो मुझे लगा 12 बजे तक पहुंच जाएंगे .......

तभी रास्ते मे एक छोटा कस्बा पड़ा और कस्बे के किनारे पर ही बियर शॉप नजर आयी ..... मैंने कार रोकी और 3 कैन किंगफिशर की और दो सिगरेट ले आया ....... सीट पर बैठ कर मैंने एक दीदी को दे दी और दूसरी खुद खोल ली और कार आगे बढ़ा दी धीरे धीरे बियर पीते हुए मैं कार ड्राइव कर रहा था ......... कोई 10-12 किलोमीटर आते आते हमारी बियर खत्म हो गयी सितम्बर का महीना था दिन छोटा होने लगा था और सवा पांच बजे रहे थे धुंधलका होने लगा था .......

मैंने खाली कैन बाहर उछाल दी और विंडो का ग्लास चढ़ा कर सिगरेट जला ली दो कश लेते ही मेरे दिमाग में सनसनी होने लगी और मैंने दीदी की ओर देखते हुए कहा जानू अंधेरा होने लगा है दीदी ने भी अपनी खाली कैन बाहर उछाल दी और बोली हां जान हो तो रहा है .......

मैंने कहा चुदवा बाद में लेना पर पास तो आओ रानी अब ये दूरी बर्दाश्त नही होती ....... दीदी मेरे पास आईं एक पैर गियर लिवर के इस ओर कर के एकदम अच्छे से लिपट गयीं मुझसे और मैंने एक हाथ उनकी नंगी कमर में डाल कर उन्हें खुद से लिपटा लिया .......

दीदी ने मेरे होंठो से सिगरेट निकाली और एक कश ले कर अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिये और फिर सारा धुंवा मेरे मुह में ही उगल दिया जिसे मैंने निगल लिया ....... उफ़्फ़फ़ सिगरेट पीने का ये तरीका मुझे बहोत पसन्द आया एक ही कश में हम दोनों का काम हो रहा था ....... फिर ऐसे ही दीदी अपने फेफड़ों में धुंवा भर के मेरे मुह में उगल देती और मैं उसे मुह से निगल के नाक से रिलीज कर देता आखिरी कश ले कर दीदी ने सिगरेट बाहर उछाल दी ........

अब ठीक ठाक अंधेरा हो गया था ....... और मैंने कहा निकिता मेरी गोद मे लेट जाओ ना तुम ...... और दीदी अपने पैर मोड़ कर आगे की सीट पर लेट गयी अपना सर मेरी गोद में रख कर ....... मैंने उनकी डिजाइनर ब्लाउज में कसी हुई चूची पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा दीदी लरजने लगीं और अपना गाल मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड पर रगड़ने लगी .........

जिसका असर ये हुआ कि अगले दो मिनट में ही मेरा लंड पैंट के अंदर जबरदस्त उछल कूद करने लगा ...... जिसे दीदी ने भी महसूस किया ...... और उन्होंने एक हाथ लंड पर रख कर उसे पकड़ने की कोशिश की लेकिन वो पैंट के अंदर था बस वो टच कर पाईं उसे ....... और उठ कर बैठ गयी और बोली जानू मैं इसे बाहर निकाल लूं क्या ....... और तभी उनकी नजर सड़क के किनारे बने हुए एक मंदिर पर पड़ी जो एकदम जंगल मे सुनसान सड़क के किनारे बना हुआ था ......


दीदी तेजी से बोली विकी गाड़ी रोको जल्दी ....... और मैंने तेजी से ब्रेक दबा दिए गाड़ी एक झटके से रुकी मैंने कहा क्या हुआ ....... वो बोली बताती हूँ और दरवाजा खोल कर बाहर निकल आईं ....... मुझे लगा शायद उन्हें टॉयलेट जाना होगा पर वो घूम कर मेरी ओर आईं और मुस्कुरा कर बोली आप भी बाहर आइये ना ........



मैं थोड़ा सा चौंका शायद पहली बार दीदी ने इस तरह बात की थी मुझसे वरना तो तू तड़ाक से ही बात होती थी मुझसे ...... मैं दरवाजा खोल कर बाहर आ गया ....... दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा कार की पिछली सीट पर से अपना पर्स उठाया और मंदिर की ओर चल दीं ..........


मैं भी बस उनके साथ खिंचा हुआ सा चला गया मंदिर के बाहर उन्होंने अपनी जूतियां उतारी और मुझे भी जूते उतारने को बोला मैंने भी जूते उतार दिए और हम अंदर आ गये ये काफी पुराना मंदिर था लग रहा था यहां सालों से कोई नही आया और मंदिर के बीच मे एक शिवलिंग था दीदी ने प्रणाम किया और मैंने भी हाथ जोड़ दिए .......


फिर दीदी ने मेरी ओर देख कर कहा विकी तुमने मुझे हर मुसीबत से बचाया मेरी सारी परेशानियां दूर की मेरी हर ख्वाइश पूरी की बस आज मेरी आखिरी ख्वाइश पूरी कर दो ....... उन्होंने अपने पर्स से एक डिब्बी निकाली और उसे खोल कर एक खूबसूरत सा मंगलसूत्र निकाला और उसे मेरे हाथों में पकड़ा कर बोली विकी ये पहना दो मुझे .........


मैं हक्का बक्का स खड़ा था मेरे समझ मे कुछ नही आ रहा था बस खोपड़ी सांय सांय कर रही थी बाकी सब तो ठीक था पर दीदी से शादी ये मैंने सोचा तो था कई बार ख्यालों में एक दो बार दीदी ने जिक्र भी किया था पर ........


मेरी हिचकिचाहट देख का दीदी ने मेरे आगे हाथ जोड़ दिए और बोली प्लीज विकी ये मेरी आखिरी ख्वाइश है इसके बाद मैं तुमसे कभी कुछ नही मांगूंगी ....... और दीदी का ये प्यार ये समर्पण देख कर मेरी आँखो में आंसू भर आये मैंने बस चुपचाप वो मंगलसूत्र उनके गले मे पहना दिया ......., और फौरन ही दीदी ने एक और डिब्बी निकाली पर्स से और उसे भी खोल कर मेरे आगे करते हुए बोली विकी ये एक चुटकी सिंदूर भी उसके बाद तुम्हारा पूरा हक है मुझ पर ....... मैंने बिना एक भी शब्द बोले सिंदूर लिया और जरा सा दीदी की मांग में भर दिया ...... और दीदी कस के मुझसे लिपट गयीं ........


वक़्त मानो रुक से गया ..... सब कुछ ठहर से गया मैं भी सब भूल कर दीदी को कस के गले से लगा कर उस अहसास में डूब गया ......... कुछ देर बाद हमे सड़क पर किसी गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी तो हम होश में आये दीदी मुझसे अलग हुई और हमने भगवान को प्रणाम किया और फिर बाहर आ गए ........


जूते पहन कर हम कार में बैठे और मैंने कार स्टार्ट कर के आगे बढ़ा दी ........ हम दोनों चुपचाप बैठे थे ....... पर मेरी धड़कने बहोत तेज थी ........ कुछ देर बाद दीदी ने खामोशी तोड़ते हुए कहा क्या हुआ जी आप ऐसे चुप क्यों हो ....... मैंने कहा कुछ नही दीदी बोली सॉरी पता नही मुझे ऐसा करना चाहिए था या नही पता नही ये सही है या गलत पर ये मेरे दिल की ख्वाइश थी विकी ....... मैं सिर्फ सेक्स की भूखी नही हूँ तुमसे प्यार भी करती हूं और अपना प्यार जताने के बस यही तरीका ठीक लगा मुझे .........


अगर मैंने गलत किया हो तो मुझे माफ़ कर देना जानू दीदी की इस प्यार भरी मनुहार से मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी ....... और मैंने कहा कुछ गलत नही किया आपने दीदी ने मेरे होंठो पर उंगली रखते हुए कहा आपको तो बीवी से बात करने का तरीका भी नही पता जी ....... बीवी को आप नही तुम कहते हैं .......


मैंने हंसते हुए कहा पर प्रतीक भी तो तुम्हे आप कहता है अक्सर ...... दीदी मुस्कुरा कर बोली वो अभी वेटिंग में है जान जबकि आपका टिकट कन्फर्म हो चुका है फिलहाल तो मैं आपकी बीवी हूँ तन मन से ........ धन तो है नही मेरे पास ...... मैंने जेब से एटीएम निकाल कर उनके हाथ मे देते हुए कहा ये लो जानेमन एटीएम कार्ड 33-34 लाख रुपये हैं इसमे ....... दीदी बोली ओहहो मेरे पति पैसे वाले हैं फिर तो मैं तन मन धन से आपकी हुई .........


कुछ भी हो पर दीदी के इस के प्यार से मेरा दिल भर आया था और मुझे ये चिढ़ भी हुई कि इतने दिन मैंने दीदी को कितना तरसाया तड़पाया वो मेरा प्यार चाहती थीं और मैं बस उन्हें हर बार प्यासा छोड़ देता था लेकिन अब नही और नही तरसने दूंगा अपनी जान को .........


मैंने दीदी को खींच कर फिर से अपनी गोद मे लिटा लिया और उनके बालों में उंगलियां फिराते हुए कहा जानू अगर तुम्हारा ये प्लान था तो मुझे बता दिया होता इस बारे में ....... कम से कम मैं भी अपनी बीवी को सुहागरात मनाने से पहले कोई गिफ्ट दे देता मुह दिखाई में ......... दीदी मुस्कुरा कर बोली जानू मैं तो बहोत डरी हुई थी कि पता नही मेरी इस बात सुन कर तुम कैसे रियेक्ट करो ....... कहीं नाराज़ ना हो जाओ ....... इसलिए पहले से नही बताया और रही बात गिफ्ट को तो ये है ना .......


उन्होंने मेरे लंड पर उंगलियां गड़ाते हुए कहा बस इसे अपनी बीवी की चूत में ठोंक देना आज इस से बड़ा और कीमती गिफ्ट मेरे लिए कुछ नही होगा मेरी जान........ मेरी उंगलियां अब दीदी के बालों से घूमती हुई उनके गालों पर और नरम रसीले सुर्ख होंठो पर आ गई थीं .......


दीदी ने अपने होंठो पर मेरी उंगली महसूस करते ही झट से मुह खोला मेरी उंगली को चूसने लगी ....... उनके उंगली चूसने का सीधा असर मेरे लंड पर हुआ और वो झटके लेने लगा जिसे अपने गाल पर महसूस कर के दीदी शरारत भरी आवाज़ में बोली ........ हाय्य्य्य दैय्य्या चूत में घुसने की बात सुन कर कैसा उछल पड़ा बदमाश .....


मैंने अपनी ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और उसे आज़ाद देख कर दीदी ने उसे झपट कर अपनी मुट्ठी में भर लिया ........ और कस के दबाने लगी ........ फिर दीदी ने उसे अपने होंठो पर छुवाया और लंड की स्किन पर हौले हौले किस करने लगी ........ ऊम्म्म्म ऊम्म्म्म की मीठी आवाज़ मुझे और मदहोश कर रही थी और तभी अचानक आसमान में एकदम से बिजली कड़की .........

अंधेरा तो था ही इसलिए दिख नही रहा था पर अच्छे खासे बादल घिर आये थे ....... और हवा चलने लगी थी ....... हर पल के साथ हवा तेज होने लगी और रह रह कर बिजली कड़कने लगी ....... दीदी उठ बैठी और थोड़ा घबरा सी गयी बोली विकी मौसम खराब हो रहा है ........ रात का समय है आगे का सफर कैसे करेंगे और तभी बारिश शुरू हो गयी ......... एकदम तेज बारिश .........

मैंने कार की गति एकदम कम कर ली थी ........ और धीमी गति से कार चलाते हुए कहा घबराओ मत दीदी मैं हूँ ना ....... और दीदी मेरे सीने से लिपट गयीं। .......

थोड़ा आगे जाने पर एक पेट्रोल पंप दिखा मैंने कार अंदर ले ली और दीदी सरक कर बगल में बैठ गईं ....... मैंने कार लगाई और पेट्रोल पंप के पीछे बने हुए कमरे से एक आदमी छतरी ले कर आया मैंने शीशा खोला और दो हजार रुपये उसे पकड़ा कर कहा डाल दो उसने पेट्रोल भरा फिर मैंने पूछा यहां कोई रुकने की जगह है आगे मौसम बहोत खराब हो रहा है वो दीदी को घूर आकर देखने लगा तो मैंने कहा जो पूछा है वो बता दे पहले ........

उसने नजर घुमाते हुए कहा यहां से 6-7 किलोमीटर आगे एक डाक बंगला है सड़क के किनारे वहां अगर चौकीदार हुआ तो रुकने का इंतजाम कर देगा बस आप उसे कुछ खर्चा पानी दे देना ........


और मैंने कार आगे बढ़ा दी ....... तभी मम्मी का कॉल आ गया मैंने कॉल रिसीव की वो पूछने लगी कहाँ हो विकी मौसम बहोत खराब हो गया है मैंने कहा रास्ते मे हूँ अभी ....... अगर ज्यादा मौसम खराब हुआ तो रात में किसी होटल में रुक जाऊंगा फिर सुबह निकलूंगा ...... मम्मी बोली हां तेरे पापा भी यही कह रहे थे कि बारिश में ड्राइव करने में दिक्कत होती है खास कर रात में मैंने कहा आप फिक्र ना करो मम्मी मैं देख लूंगा मम्मी बोली ठीक है बेटा निकिता का ख्याल रखना ...... अब वो दूसरे की अमानत है .......

मैंने मन मे कहा फिलहाल तो वो मेरी अमानत है और ये कहते हुए की ठीक है मम्मी मैं देख लूंगा आप बिलकुल परेशान ना हो ........ फ़ोन काट दिया ...... फिर मैंने प्रतीक को कॉल की उन्होंने तुरंत फोन उठाया वो बोले विकास मौसम बहोत खराब है तुम्हे कार से नही आना चाहिए था ........मैंने कहा जीजू जब निकला था तब तो धूप निकली थी अब मुझे क्या पता था आगे ऐसा होगा ....... ।
वो बोले ड्राइव करने में प्रॉब्लम हो रही होगी ना ...... मैंने कहा हां हो तो रही पर मैं एकदम स्लो चला रहा हूँ 25-30 पर वो बोले ऐसे तो तुम सुबह 4-5 बजे पहुंचोगे ...... फिर वो बोले एक काम करो कही किसी होटल में ठहर जाओ और सुबह जल्दी चल देना थोड़ा रेस्ट भी हो जाएगा रात भर जाग कर ड्राइव करना रिस्की है और सुबह तक मौसम भी साफ हो जाएगा .......


मैंने कहा ठीक है जीजू मम्मी का भी कॉल आया था वो भी यही बोल रही थीं मैं कहीं रुक ही जाता हूँ सुबह निकलता हूँ वो बोले हम्म्म्म ठीक है और कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे कॉल करना और निकिता का ख्याल रखना ...... मैंने कहा जी जीजू दीदी का ख्याल मैं आपके कहे बिना भी रखने वाला हूँ ........


मेरी बात सुन कर दीदी मुस्कुरा दी और मैंने फोन काट दिया ...... और दीदी के गाल खींचते हुए कहा सबको मेरी बीवी की कितनी फिक्र है ........ और दीदी बोली मुझे अपनी कोई फिक्र नही मेरा पति है ना मेरे साथ ....... फिर मैं धीरे धीरे ड्राइव करते हुए गौर से सड़क के दाईं ओर देखते हुए चलने लगा कोई 6 km बाद मुझे दाहिनी ओर एक बॉण्डरी दिखाई दी और आगे जा कर एक लोहे का गेट दिखा जो कि बन्द था मैंने कार गेट के सामने खड़ी कर के हॉर्न बजाया दो बार तीन बार और फिर बजाता ही रहा .......

दो तीन मिनट बाद अंदर से आवाज़ आयी कौन है इतनी रात में मैंने चिल्ला कर कहा गेट तो खोलो ..... फिर गेट खुला और एक बन्दा टॉर्च और छाता लिए हुए बाहर आया उसने मेरी ओर टॉर्च मारी और बोला बताओ क्या बात है .......


टॉर्च की रोशनी में मेरी आँखें चौंधिया रही थीं मैने गाड़ी की लाइट जलाई और कहा ये टॉर्च बंद कर ले मुझे कुछ दिख नही रहा ....... टॉर्च बंद हुआ और कुछ सेकेंड बाद मेरी आँखें देखने लायक हुई तो देखा ये एक 60 साल की उम्र का बूढ़ा सा आदमी था ...... उसने धोती और कुर्ता पहना हुआ था .......

मैंने कहा चाचा हम लोग लखनऊ जा रहे थे मौसम बहोत खराब हो गया है गाड़ी चलाने में मुश्किल हो रही है अगर रात रुकने का इंतजाम हो जाता तो ........ बूढ़ा बोला पैसे लगेंगे ये डाक बंगला सरकारी अफसरों के लिए है आम लोगों के लिए नही लेकिन तुम मुसीबत में हो मौसम खराब है साथ मे तुम्हारी औरत भी है मैं तुम्हे रुकने की जगह दे दूंगा खाना भी मिल जाएगा लेकिन पैसा लगेगा ........ मैंने मज़े लेते हुए कहा खाना तुम बनाओगे चाचा वो बोला नही मेरी बेटी बनायेगी वो भी मेरे साथ रहती है यहीं ........


ये सुन कर की उसकी बेटी भी यहां है मुझे थोड़ी तसल्ली हुई दीदी के साथ ऐसी जगह रात गुजारने की बात सोच कर मैं भी कुछ अनकंफर्टेबल फील कर रहा था ....... मैंने फिर तो कोई दिक्कत नही कितने पैसे लोगे वो बोला 200 रुकने के और 200 खाने के कुल मिला के 400 लगेंगे ....... मैंने सोचा इस गरीब चौकीदार के लिए 400 ही बड़ी रकम है और मैंने कहा ठीक है चाचा मैं आपको पूरे 1000 दूंगा अब खुश वो आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगा और उसके चेहरे पर खुशी और लालच के भाव झलकने लगे थे .......


मैंने कहा कहो तो पहले दे दूं एडवांस ....... वो बोला नही नही साहब आप कहीं भाग थोड़े जाओगे चलो कार अंदर खड़ी कर दो और वो छाता लगा कर कार के आगे आगे चल दिया .........

अंदर आ कर देखा काफी बड़ी जगह थी और कोई 100 मीटर आगे एक इमारत बनी हुई थी जो बाहर से देखने में एकदम पुरानी और जीर्ण सी लग रही थी ....... एक 20 फीट की सड़क उस इमारत के सामने तक जा रही थी और इमारत के आगे काफी बड़ा बरामदा बना हुआ था बूढ़े ने कहा साहब आप कार वहां बरामदे में खड़ी कर दो बारिश से बचेगी मैंने कार आगे बढ़ा दी और उस बरामदे में ले जा कर रोक दी ......


बूढ़ा गेट बंद करने के बाद हमारी ओर ही आ रहा था बरामदे में आ कर उसने कहा साहब आप रुको मैं चाभी ले कर आता हूँ मैंने फोन में वक़्त देखा अभी 8 ही बजे थे पर ऐसा लग रहा था रात के 12 बज गए हों .......


दीदी अभी कार में ही बैठी हुई थीं .......... मैंने दीदी को ओर वाली विंडो से हाथ डाल कर डैश बोर्ड पर रखी हुई एक और बियर उठा ली और खोल कर पीने लगा ....... थोड़ी देर में वो बूढ़ा आया और उसने इमारत का मुख्य दरवाजा खोला और बोला आइये साहब अंदर आ जाइये ....... मैंने दीदी को उतरने का इशारा किया और वो भी हमारे साथ हो लीं ....... अंदर आ कर बूढ़े ने कही टटोल कर कोई स्विच दबाया और कमरे में रोशनी फैल गयी ये एक 20×20 का हाल था जिसमे कमरे के बीचोबीच एक सोफा पड़ा था और लकड़ी की पुरानी सी मेज़ रखी थी फर्नीचर पुराना लेकिन साफ सुथरा था ।


हाल में पीछे की ओर दो दरवाजे दिख रहे थे बूढ़े ने पीछे जा कर एक एक कर के दोनो दरवाजे खोल दिये और बोला साहब इन कमरों में सोने का सारा इंतजाम है और उन कमरों की भी लाइट जला दी ...... दोनो कमरों में बेड पड़े हुए थे उन पर साफ सफेद चादरें तकिए करीने से बिछे हुए थे .......

ट्यूब लाइट की रोशनी उस अंधेरी रात में बड़ी सुखद लग रही थी ....... पंखे भी लगे हुए थे मैंने पूछा पंखा नही चलता क्या तो वो बोला साहब चलता तो है लेकिन आज शाम से लाइट नही है और मौसम खराब है तो शायद सारी रात ना आये और ये लाइट सोलर इन्वर्टर से जल रही है अगर दोनो कमरों के पंखे चलाये तो बैटरी डाउन हो जाएगी जल्दी ही मैंने कहा एक तो चल जाएगा वो बोला हां एक आराम से चलेगा सारी रात.........

इतना इंतजाम काफी था मैं सन्तुष्ट हुआ और जेब से हजार रुपये निकाल कर बूढ़े को दे कर कहा ये लो चाचा पैसे और खाने का इंतजाम कब तक हो जाएगा ...... वो बोला बस डेढ़ दो घंटे लगेंगे साहब ...... हम तो खा पी के सोने वाले थे कि आप आ गए .......


तभी कमरे के दरवाजे पर एक औरत प्रकट हुई वो कोई 35 साल की मोटी सांवली सी औरत थी बूढ़ा बोला साहब ये मेरी बेटी है कजरी ...... यहीं मेरे साथ रहती है ...... फिर वो अपनी बेटी से बोला जा बेटी तू दो लोगों के लिए खाने का इंतजाम कर दे ...... वो बोली ठीक है बाबूजी और चली गयी ......


दीदी जा कर बेड पर बैठ गईं बूढ़ा बोला साहब आप आराम करो खाना बन जायेगा तो मैं ले कर आ जाऊंगा ..... और वो चला गया ....... दूसरी बियर पीने के बाद मुझे हल्का सा नशा हो रहा था ....... मैंने कहा निकी तुम यही आराम करो मैं कार से बैग निकाल कर और गाड़ी लॉक कर के आता हूँ .........


दीदी ने सर हिला दिया ...... और मैं बाहर आ गया देखा तो वो बूढ़ा बरामदे में एक किनारे बैठा हथेली पर कुछ रगड़ रहा था......... मुझे देख कर बोला कुछ चाहिए क्या साहब ....... मेरे हाथ मे बियर की खाली कैन थी मैंने उसे दिखा कर पूछा ये तो मिलेगी नही इधर ........ उसने कहा नही साहब ये तो नही मिलेगी ये मिल सकता है उसने अपनी हथेली की ओर इशारा कर के कहा ...........


मैंने पूछा ये क्या है चाचा वो बोला ये गांव के लोगों का नशा है गांजा बोलते हैं इसे ....... और मुझे संजय की बात याद आ गयी उसने एक दिन बताया था कि उसने गांजा पिया था अपने किसी दोस्त के साथ और उसे बड़ा मजा आया था वो पीने के बाद उसने पोर्न देख कर मुठ मारी थी और उसके मुताबिक उस दिन कुछ खास ही मज़ा आ रहा था उसे .......


मैंने बैग कार से निकालते हुए पूछा चाचा ज्यादा नशा तो नही होता वो बोला अरे कुछ नही होता बस थोड़ी सी गर्मी आ जाती है शरीर मे और मज़ा आता है ...... मैंने कहा इसे कैसे पीते हैं वो बोला चिलम से लेकिन आप जैसे शहरी लोग सिगरेट में भी पी लेते हैं मुझे याद आया एक सिगरेट तो मेरी जेब मे पड़ी हुई है ......



मैंने जेब से वो सिगरेट निकाली और उसे देते हुए कहा लो चाचा फिर बना दो एक ...... उसने सिगरेट ले ली और बोला 5 मिनट में देता हूं साहब ....... मैंने बैग उठाया और अंदर आ गया कमरे में दीदी बेड पर लेटी हुई थी मैंने बैग बेड पर रख कर उसमें से अपना लोअर निकाला और पैंट शर्ट उतार कर दीवार पर लगी हुई कील पर टांग दिया फिर लोअर पहन के मैं भी बेड पर आ कर बैठ गया ........


मैंने दीदी के नंगे पेट पर हाथ फिराते हुए कहा जान देख लो तुम्हारी हसरत पूरी करने में किस्मत भी हमारा साथ दे रही है दीदी ने मुस्कुरा कर कहा हां जानू ऐसा लगता है मौसम भी हमारे पहले मिलन को यादगार बनाना चाहता है शाम को कितनी गर्मी थी और अभी हल्की ठंड लग रही है ........


मैंने दीदी के नजदीक आते हुए कहा ओ मेरी जान को ठंड लग रही है मैं गर्मी दे देता हूँ ना अपनी प्यारी बीवी को और दीदी को अपने सीने से लगा लिया और वाकई दीदी का जिस्म ठंडा सा था....... मेरे बदन की गर्मी महसूस होते ही दीदी कस के लिपट गयी मुझसे और अगले ही पल हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक गए ........


हम दीवानों की तरह एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे ....... और मेरे हाथ दीदी की नंगी पतली कमर पर रेंग रहे थे ...... और फिर दीदी ने अपनी जीभ बाहर निकाली और वो मेरे होंठो पर दस्तक देने लगी मानो कह रही हो दरवाजा खोलो मुझे अंदर जाना है .......


और मैंने फौरन अपने होंठो का दरवाजा खोल कर उसका स्वागत किया और दीदी की रसीली गीली गर्म जीभ को अपने होंठो में दबा कर चूसने लगा ......., मेरे मुह के अंदर हम दोनों की जीभ आपस मे टकरा रही थी और दीदी के मीठे थूक का स्वाद मुझे बेहद उत्तेजित कर रहा था एक पल को लगा कि बस चोद ही डालूं दीदी को लेकिन फिर याद आया कि अभी वो बूढ़ा खाना ले कर आएगा डिस्टर्ब नही चाहता था मैं चुदाई के बीच मे .......


और फिर दीदी ने वैसे ही अपनी जीभ मेरे मुह में घुमाते हुए मेरे लोअर में हाथ डाल कर खड़े लंड को पकड़ कर आहें भरते हुए कहा विकी मेरी जान अब तो ये लौड़ा डाल दो अपनी बीवी की बुर में और बना लो मुझे अपनी ........ पूरी तरह .....


मैंने कहा जरूर मेरी जान और बेड पर नीचे सरकते हुए लहंगे और ब्लाउज के बीच दीदी के नंगे पेट पर अपने गर्म होंठ रख दिये और उनकी पेट को चूमने लगा दीदी के होंठो से कामुक आहें निकलने लगी और उनका बदन में थिरकन होने लगी ...... हर चुम्बन पर वो सिसक कर कांप जाती थीं ....... तभी मेरी नजर कमरे के दरवाजे की ओर गयी वो खुला था और मुझे लगा कहीं अचानक से कोई आ ना जाये .......


मैं उठ कर दरवाजा बंद करने गया और दीदी बेड पर लेटी मुझे देख रही थी .... . जैसे ही मैं दरवाजे के पास पहुंचा हाल के कमरे से वो बूढ़ा मुझे अंदर आता दिखा और मैं तेजी से चल कर उसके पास पहुंच गया ...... मुझे देख कर उसने कुर्ते की जेब से सिगरेट निकाल कर मुझे दी और बोला लो साहब ....... कजरी खाना बना रही है बस थोड़ी देर में ही बन जायेगा ......


मैंने कहा चाचा एक काम करना जब खाना बन जाये तो इसी मेज़ पर लगवा देना और मेरे कमरे का दरवाजा नॉक कर के आवाज़ दे देना और तुम चले जाना आराम करना हम खा लेंगे जब मर्ज़ी होगी क्योंकि हम लोग देर से ही खाना खाते हैं ........ और मैंने जेब से एक 100 का नोट निकाल कर उसे पकड़ा दिया वो बोला ये किसलिये साहब मैंने सिगरेट दिखा कर कहा इसके लिये .........


उसने झट से नोट जेब मे डाला और बोला ठीक है साहब मैं खाना लगवा कर आवाज़ दे दूंगा आप आराम करो और वो बाहर निकल गया ...... मैंने जल्दी से जेब से माचिस निकाली सिगरेट जलाई और कश लेता हुआ कमरे में आ गया ....... दीदी बोली जानू बार बार कहाँ चले जाते हो प्यार अधूरा छोड़ कर .........


मैंने बस अब कहीं नही जाऊंगा ना जान ...... और मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया फिर मेरा ध्यान गया कि एक दरवाजा कमरे की पिछली ओर भी है मैंने उसे खोल कर देखा ........ बाहर अंधेरा था लेकिन कमरे की हल्की रोशनी बाहर आ रही थी ....... पीछे की ओर भी बरामदा सा बना हुआ था और तेज हवा के साथ बारिश अब भी चालू थी ....... मैंने फोन की फ़्लैश लाइट जला कर देखा बरामदे के आगे भी बड़े बड़े पेड़ लगे हुए थे ...... और बरामदे में कुछ कुर्सियां और एक चारपाई पड़ी थी बिना बिस्तर के ........


तभी दीदी भी बाहर आ गयी और मेरे पास आ कर मेरे हाथ से सिगरेट ले कर एक कश ले कर बोली यहां क्या ढूंढ रहे हो सनम अंदर चलो ना आपकी बीवी सुहागरात मनाने के लिए इंतजार कर रही है और आप हैं की यहां अँधेरे में ना जाने क्या खोज रहे हैं मैंने उस चारपाई की ओर इशारा कर के कहा ये देखो बाहर भी इंतजाम है सुहागरात मनाने का .........

और दीदी बोली चलो फिर इसी पर करते हैं ऐसी खुली जगह में चुदने का मज़ा जी अलग होगा और यहां तो एकदम मस्त ठंडी हवा भी चल रही है ....... मैं चारपाई पर बैठ गया और एक कुर्सी खींच कर अपने पैर उस पर रख लिए दीदी एक बार फिर से मेरी टांगों पर बैठ गई और उन्होंने अपना लहंगा ऊपर कर लिया था ........ वो मेरी ओर फेस कर के बैठी थीं और मेरी गर्दन में हाथ डाल कर मुझे चूमने लगी फिर उन्होंने सिगरेट का एक गहरा कश लिया और मेरे होंठो से होंठ चिपका कर मेरे होंठ चूसने लगी ......


दो तीन कश लेते ही मेरा सर घूमने लगा और लगा मैं हवा में उड़ रहा हूँ तभी दीदी बोली विकी मेरा सर क्यों चकरा रहा है मैंने सिगरेट उनके हाथ से ले कर फेंक दी ...... और कहा शायद इस सिगरेट की वजह से वो बोली पहले भी तो पी है ऐसा पहले कभी नही महसूस हुआ ....... मैंने कहा जान अब कुछ मत सोचो सिर्फ ये सोचो कि हमारी शादी हो गयी है और आज हमारी पहली रात है मिलन की .......


दीदी ने ये सुनते ही मेरी बनियान पकड़ कर खींचते हुए निकाल दी और मेरे नंगे सीने पर अपने होंठ रगड़ते हुए मेरे सीने को चूमने लगी ....... मेरे सीने दीदी के होंठो के निशान छपने लगे ...... और फिर उन्होंने मेरे निप्पल पाए जीभ फिरानी शुरू कर दी और बारी बारी से मेरे दोनो निप्पल चाटने लगीं .......


दीदी की इस कामुक हरकत से मेरे तन बदन में आग लग गई और मैंने अपने हाथ उनके चूतड़ों पर जमाते हुए उनकी नरम गांड़ को दोनो हांथो से मसलना शुरू कर दिया ....... दीदी मेरे निप्पल होंठो में दबा कर चूसने लगी और बोली जानू अब नंगी कर दो अपनी बीवी को मैंने दीदी के ब्लाउज की डोरी खींच दी और वो खुल गया दीदी ने अपनी बाहों से ब्लाउज को निकाला और चारपाई पर डालते हुए अपनी ब्रा में कसी चुचियाँ उभार कर अपने हाथ सर के पीछे रख कर अंगड़ाई लेने लगी .........


दीदी की बगलों के काले बाल देख कर मेरा लंड उछलने लगा और मेरे मुह में पानी आ गया ....... मैंने फौरन झुक कर अपना मुह दीदी की एक बगल में घुसा दिया सूंघने लगा उफ़्फ़फ़ क्या मदहोश करने वाली गंध थी परफ्यूम दीदी के पसीने और उनके जिस्म की मिली जुली खुशबू से मेरे दिमाग मे वासना की आंधी चलने लगी और मैं अपनी जीभ की दीदी बगल में फिराते हुए उनकी बगल के बालों को चाटने लगा ऊऊम्म्ममम्म मेरी जान कितनी नशीली है मेरी बीवी ...... दीदी सिसक उठी aaahhhhh चाटो राजा खा जाओ मेरे बदन को ....... और मैं जीभ दीदी के जिस्म पर फिराते हुए ब्रा से छलक रही उनकी चुचियों के नंगे हिस्से को चाटने लगा दीदी के क्लीवेज में जीभ डाल कर चाटते हुए मैंने दोनो हाथ दीदी के चूतड़ों से फिराते हुए उनकी नंगी पीठ को सहलाते हुए उनकी ब्रा के हुक खोल दिये और दीदी की सख्त गोरी सुडौल चुंचिया उछल कर बाहर आ गयी .........

दीदी ने जल्दी से ब्रा को भी जिस्म से अलग कर के फेंक दिया अब दोनो के जिस्म ऊपर से एकदम नंगे थे और दीदी ने कस के मुझे बाहों में भर लिया ....... उनकी नरम चुचियाँ और खड़े निप्पल मेरे नंगे सीने में दब कर कराह उठे और दीदी बोली राजा पूरी नंगी करो ना और दीदी मेरे ऊपर से उठ खड़ी हुई ........

मैंने दीदी के लहंगे का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया और सरसरा आकर जमीन पर गया ........ दीदी सिर्फ एक छोटी सी पैंटी में सामने खड़ी थीं ऐसा नही था कि मैं पहली बार उन्हें नंगी देख रहा था ....... पर दीदी का नंगा बदन मुझे कुछ ज्यादा ही नशीला और सेक्सी लग रहा था ....... दीदी ने जल्दी से अपना लहंगा ब्लाउज और ब्रा उठाया और मेरा हाथ पकड़ कर खींचते हुए मुझे कमरे में ला कर धक्का सा देते हुए बेड पर लिटा दिया और बोली ........

बहोत स्लो हो तुम जान लगता है आज ड्राइविंग सीट मुझे ही सम्हालनी पड़ेगी ....... और इसी के साथ दीदी ने बेड पर चढ़ते हुए अपने घुटने मेरे सर के दोनो ओर टिका कर अपनी पैंटी में कसी हुई चूत मेरे मुह पर रख दी और अपनी गांड़ हिलाते हुए अपनी चूत मेरे पूरे मुह पर रगड़ने लगी और उनके गले से सिसकियां और आहें निकलने लगी ........

मेरे लोअर में टेंट बना हुआ था और मेरा लंड जो कुछ दिनों में एक इंच आकार बढ़ा कर 6 से बढ़ कर 7 इंच का हो गया था वो तेजी से झटके ले रहा था दीदी ने आगे को झुकते हुए मेरा लोअर और अंडी नीचे सरका दिया और मेरे नंगे लंड को मुट्ठी में भर कर तेजी से मसलने लगी और बोली ........ जानू जल्दी से मेरी चूत चाटो वरना मैं ऐसे ही झड़ जाऊंगी .......

ऐसे झुकने पर दीदी के पैंटी में फंसे अधंनगे चूतड़ मेरे चेहरे के ठीक सामने थे और मैंने एकदम से उत्तेजना में भर कर दीदी की पैंटी के कपड़े को दोनो हाथो से पकड़ा और एक झटका दे कर फाड़ दिया ....... चर्रर्रर्रर की आवाज़ के साथ दीदी की पैंटी दो टुकड़ों में बंटती चली गई और दीदी के दूधिया झक्क चूतड़ पूरी तरह नंगे हो कर चमकने लगे और मैं टूट पड़ा उन पर अपनी जीभ निकाल कर दीदी के चूतड़ों को चाटने लगा आंमम्ममम्महहहहह ....... मैं दीदी के चूतड़ों के नरम मांस को मुह में भर कर चूस रहा था दांतों से काट रहा था ........

और दीदी aaaahhhhhh जानू इतनी जोर से मत काटो ना दुखता है ...... कहते हुए मेरे लंड की स्किन नीचे कर के सुपाड़े को बाहर निकाल कर मुह में भर के चूसने लगी और जल्दी ही अपने होंठ लंड पर सरकाते हुए पूरा लंड अपने गले तक उतार लिया .........

दीदी के चूतड़ मेरे थूक से गीले हो कर चमक रहे थे और जगह जगह मेरे दांत के निशान पड़ गए थे अब मेरी जीभ चूतड़ों से उतर कर दीदी की गांड़ की गहरी दरार में सफर कर रही थी और दीदी की गांड़ के कसे हुए छेद को कई बार चाटने के बाद मैंने एकदम से उनकी गांड़ के छेद को होंठो में दबा कर चूसना शुरू कर दिया और दीदी मेरा लंड मुह से निकाल कर मुठियाते हुए चीख पड़ी .........
..
आह जानू चूस को मेरी गांड़ राजा ऊफफफ ........ मैं गांड़ को चूसते हुए अपने हाथ दीदी के नीचे घुसा कर उनके निप्पल को मसलने लगा और दीदी लंड को मुठियाते हुए मेरे आंड़ पर जीभ फिराने लगी ....... और फिर दीदी एकदम से मेरे ऊपर से उठी और मेरे बगल में लेट कर अपनी टांगे फैला कर बोली आजाओ मेरी जान बस अब चोद दो .........

मैं फुर्ती से उठा और ........ दीदी की टांगों के बीच आ कर उनकी फटी पैंटी से झांक रही झांट वाली बुर को सहलाते हुए अपनी एक उंगली उनकी चिपचिपी गीली बुर में डाल दी और दो तीन बार उंगली को बुर में चला कर उंगली बाहर निकाली और दीदी की आखों में देखते हुए अपनी उंगली चूसने लगा....... दीदी बोली उफ़्फ़फ़ राजा अगर बुर का स्वाद ही लेना है तो सीधा बुर ही चूस लो ना फैलाये तो पड़ी हूँ मैंने बिना कोई जवाब दिए फिर से अपनी उंगली दीदी की बुर में डाल कर तेजी से हिलाई और इस बार उंगली निकाल कर दीदी के होंठो पर लगा दी और दीदी ने अपनी लाल लाल आंखों से मुझे देखते हुए अपनी बुर से निकली मेरी उंगली चूस ली .........


अब मेरे बर्दाश्त से बाहर था और मैंने दीदी की बुर पर अपना सुपाड़ा रखा और बुर की गर्मी महसूस कर के मेरे लंड ने एक झटका लिया दीदी ने दोनो हाथो से अपनी बुर के लिप्स को खोल दिया और बोली चोदो राजा पेल दो अपना खूंटा अपनी बीवी की बुर में और इसी के साथ मैंने एक तेज धक्का लगाया ....... और दीदी aaahhhh भर कर मेरे सीने से लिपट गयी ........ और सिसियाने लगी ......... हाय्य्य्य राजा घुस गया पूरा एक धक्के में ........

और दीदी ने तेजी से अपना चूतड़ मेरे लंड पर दबा दिया मैंने अपने हाथ दीदी के सर के नीचे डाल कर उनके खुले हुए बालों को मुट्ठी में जकड़ लिया और अपनी कुहनियां बेड पर टिका कर तेजी से अपनी कमर को झटके देते हुए दीदी की गीली कसी हुई बुर में खूंटे जैसा लंड पेलते हुए चोदना शुरू कर दिया ........

दीदी अपने हाथ मेरी पीठ पर फिराते हुए सर उठा कर मेरे होंठ चाटने लगी और गहरी सांस लेते हुए बोली हां जानू ऐसे ही चोदो कस में चोदो और तेज धक्के लगाओ राजा हाय्य्य्य मैं मर गयी ....... कितना मोटा लौड़ा है मेरी जान उफ़्फ़फ़ ........ जानू आज चोद चोद के मेरी बुर की सारी नसें ढीली कर दो ताकि उस प्रतीक को मेरी फटी हुई चूत मिले aaahhhhh ऊफफफ

और मैं पूरी शक्ति से अपना लंड पेलने लगा दीदी की बुर में कमरे में थप थप की आवाज़ गूंज रही थी पर मैं अपनी रफ्तार बीतते समय के साथ बढ़ाता चला जा रहा था .........

पूरे 10 मिनट तक ऐसे ही चोदने से मैं थकने लगा और मेरी नाक से पसीने की एक बूंद दीदी के माथे पर टपकी ....... दीदी ने मेरी ओर देखा और ऊपर उठते हुए मेरे चेहरे पर छलक रहे पसीने को जीभ निकाल कर किसी कुतिया जैसे चाटने लगी ........

मैंने लंड दीदी की बुर से निकाल लिया और घुटनों पर बैठ कर सुस्ताने लगा पर दीदी ने जल्दी ही उठ कर मेरे सीने पर हाथ रख कर मुझे बेड पर लिटाया और मेरे पेट पर चढ़ बैठी ....... उन्होंने एक हाथ से बुर के रस में भीगा हुआ लंड पकड़ कर अपनी बुर पर टिकाया और एकदम से अपनी गांड़ का दबाव डालते हुए पूरा लंड जड़ तक बुर में निगल कर एक तेज aahhhhh भरी और फिर मेरे सीने पर लेट कर तेजी से अपनी गांड़ को मेरे लंड पर पटकते हुए चुदने लगी ...... और बोली उफ़्फ़फ़ विकी मेरी जान कितना सुख दे रहा आपका लंड मेरी बुर को aaaaahhhhh जी करता है बस चुदती जाऊं ये लौड़ा हमेशा मेरी बुर में घुसा रहे ........ और मैंने दीदी के नंगे चूतड़ मुट्ठी में भर कर मसलते हुए नीचे से अपनी कमर को उछाल कर धक्के देने शुरू कर दिए .........


दीदी बोली जानू इतने चुप चुप क्यों हो कुछ बोलो ना कुछ भी जो दिल करे तुम्हारा पर बातें करो मुझसे ....... मैंने कहा जानेमन पहले जी भर के चोद लेने दो सारी रात पड़ी है बातों के लिए दीदी बोली कैसा लग रहा है अपनी बीवी की बुर चोद कर बताओ ना ......... मैंने कहा मत पूछो जान इतना मज़ा मेरे लंड को कभी नही आया जितना आज आ रहा है ......... और दीदी ने एकदम से अपनी जीभ मेरे मुह में डाल दी और घुमाते हुए तेजी से सिसकने लगी। ........ aaahhhhh राजा ऐसे ही ठोंकते रहो मैं झड़ने वाली हूँ ऊफफफ मैं गयी राजा ......... झड़ गयी मेरी बुर तुम्हारे लौड़े से चुद के ऊऊम्म्म्म्ममम्ममम्म और दीदी का बदन का थरथराने लगा वो कांपने लगी हांफने लगी और बेतहाशा मुझसे लिपट कर मुझे चूमने लगी ..........

मैंने भी उनकी चूत में लंड घुसाये हुए उन्हें बाहों में भर लिया और उनके चेहरे को चूमने लगा दीदी की आंखे बंद थी और उनके चेहरे पर परम सुख और संतुष्टि के भाव थे .......।
 
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