bhai,PAGE 09 निशा : “हाँ , वहीं रहता है….और ये मेरे पापा के ड्राइवर का लड़का है, संजू “
निशा : “तू तो मेरे पापा को जानती ही है, उनके सर पर समाज सेवा का भूत सवार रहता है, ड्राइवर के बच्चे की मदद के लिए उसका एडमिशन सरकारी स्कूल में करवाया और उसे ये बाइक भी लेकर दी ताकि खाली समय पर ओला / उबर चला कर कुछ कमा सके ’’
निशा (मुस्कुराते हुए) : “मज़ा मिला नही है अभी, पर मिलने वाला है…मैने इसे स्कूल ड्रॉप एंड पिकअप के लिए पटा लिया है और बदले में मैं इसकी पढ़ने में हैल्प करती हूँ …इसके घर जाकर….आई मीन, इसके झोपडे में जाकर” ये कहते हुए उसने एक आँख मार दी…अनु का तो मुँह खुला का खुला रह गया…
PAGE 15 :
निशा की कहानी, उसकी जुबानी ------------------------------------
कल जब मैं संजू के साथ उसकी बाइक पर बैठकर गई तो मुझे भी शायद पता नहीं था कि आज मेरे साथ क्या होने वाला है
पहले तो रोज मुझे अपने झोंपड़े में ले जाता था,
जहां वो मेरी पढने में मदद करता था,
मेरे स्लैबस के हिसाब से मुझे ट्यूशन दिया करता था,
BHAI CONFUCTION DOOR KARDENA
WAISE LIKHTE BAHUT KAAMUK HO MAST EKDUM
aapka dhnyawaadKafi acha likhte ho
मैने आनंदमयी सिसकारी मारकर उन्हे अपनी टांगो में बाँध लिया और अपनी चूत का रस नींबू की तरह निचोड़ कर उनके मुँह में छोड़ दिया
मेरा शरीर काँप कर रह गया जब मैं झड़ी तो
मॉम ने मेरे सबसे सेन्सिटिव पार्ट पर हमला करके मुझे एक ही पल में धराशायी कर दिया था
अब मैं गहरी साँसे लेती हुई बेड पर लेटी काँप रही थी
पर काम अभी ख़त्म नही हुआ था
मॉम ने इशारा करके सुधीर सर को अंदर आने को कहा
जी हां , मेरे साथ-2 मॉम ने भी उन्हे छुप कर हमारा खेल खेलते हुए देख लिया था
सुधीर सर बेचारे अपने नंगेपन को हाथ से छुपाते हुए, अपनी नज़रें झुकाकर अंदर दाखिल हुए
सुधीर सर : “शेफाली……वो…..वो मैं ….आई एम् सॉरी…..वो जो कुछ भी हुआ……”
मोंम : “शहहह ….. कुछ मत कहो…..इधर आओ बस….और जैसा मैं कहती हूँ …वैसा ही करो…”
मेरे साथ-2 वो भी हैरान थे की वो करना क्या चाहती है
सुधीर सर मॉम के पास जाकर खड़े हुए तो उन्होंने उनका हाथ हटा कर उनके खड़े हुए लॅंड को अपने हाथ में ले लिया
और बोली : “उम्म्म्मममममम…..हम दोनो को देखकर एक्ससिटेड हो रहे थे….हुँह ……”
मॉम उनकी दोनो बाल्स को हाथ में लेकर उन्हे मसल रही थी, ज़ोर से नही बल्कि धीरे-2
जैसे किसी सोए हुए नाग को उठा रही हो
नाग तो उनका पहले से ही खड़ा था
मॉम की इस हरकत से वो फुफ्कारने लगा
वो वहीँ नहीं रुकी
उन्होने उस फुफकारते हुए नाग का फन मुँह में भर लिया और उसे जोरों से चूसने लगी
उनका ऐसा करना इस बात का प्रमाण था की उन्होने सुधीर सर को माफ़ कर दिया है
और वो जो काम इस वक़्त कर रही थी वो आने वाले रंगीन पलों की तरफ इशारा कर रहा था
क्योंकि जहाँ से मैं देख पा रही थी
उससे सॉफ था की उनका अगला कदम क्या होने वाला है
उनका एक हाथ मेरी चूत पर था और दूसरा सर की बॉल्स पर
और सर का लॅंड मॉम के मुँह में था पर नज़रें मेरे नंगे बदन पर
हम दोनो की नज़रें मिली और हम दोनो ही मुस्कुरा दिए
शायद आगे क्या होने वाला है ये सोचकर
और मॉम ने मेरी आशा के अनुरूप सर के भीगे लॅंड को अपने मुँह से निकाला और उन्हे बेड पर झुकाकर मेरी चूत पर सटा दिया
और बोली : “सुधीर…ये आज से तुम्हारी ज़िम्मेदारी है, इसे इतना प्यार दो की इसके सारे अरमान पुर हो जाए, मैं नही चाहती की मेरी बेटी को किसी भी चीज़ की कमी रहे, चाहे मुझे अपना सुहाग ही इसके साथ क्यू ना बांटना पड़े…”
मॉम की भावुक स्पीच सुनकर सुधीर सर भी पसीज गये और उनकी आँखे गीली हो गयी
पर इसका असर उनके कड़कपन पर नही पड़ा
वो पहले से ज्याद सख़्त हो चुका था मेरी चूत की खुश्बू सूँघकर
मॉम ने तो सिर्फ़ रास्ता दिखाया था, उसपर वो खुद ही फिसलता चला गया
जैसे-2 वो मुझपर झुक रहे थे, उनका लॅंड मेरी चूत की सुरंग में अंदर घुसता चला जा रहा था
और कुछ ही देर में हम दोनो के शरीर एक हो गये
उनका लॅंड पूरा का पूरा मेरी चूत में उतर चुका था
इतनी सॉफ्ट लेंडिंग तो चंद्रयान ने भी नही की होगी
जो उनके लॅंड ने की थी आज मेरी चूत में
मॉम की जीभ ने जो आराम और गीलापन मेरी चूत को दिया था
शायद ये उसका ही कमाल था
उन्होने मेरे होंठो को चूम कर मुझे एक गहरी स्मूच दे डाली
मैने भी अपनी टांगे सुधीर सर की कमर के चारों तरफ बाँध दी और जोरों से चिल्लाते हुए उन्हे चोदने के लिए उकसाने लगी
“ओह मेरे प्यारे पापा……………..अहह…….अब तो ना शरमाओ……मोंम ने भी अब तो अहह हां कर दी है…….अब तो दिखा दो ……उम्म्म्ममममममम…. अपना कमााअल्ल…….ज़ोर से चोदो मुझे……अपनी बेटी को……मेरी मोंम के सामने……………….अहह…एसस्स पापा…..ऐसे ही पापा……..ज़ोर से पापा……………ओह पापा…..मेरे प्यारे पापा………..”
मॉम भी मुझे ऐसी हालत में पापा बोलते देखकर हैरान थी पर इसमे कितनी एक्ससाइटमेंट मिलती है ये उन्हे क्या पता…..
मुझे तो अपने मज़े से मतलब था बस
जो मुझे भरपूर मात्रा में मिल रहे थे
मैं उन्हे नीचे पलटकर उपर आ गयी, क्योंकि उनके लॅंड को अंदर तक महसूस करने का यही तरीका था
अब उनके खड़े लॅंड पर अपनी पूरी चूत दबाकर और उसे धूरी बनाकर मैं उसपर नाच रही थी
उफफफफफफफफफ्फ़….
ऊपर आते वक़्त जब उनके लॅंड का टोपा मेरी क्लिट से टकरा रहा था तो कितना मज़ा आ रहा था
शायद यही मेरे झड़ने की वजह बनने वाला था
पर उससे पहले मॉम ने मुझपर डबल अटॅक कर दिया
वो सुधीर सर के मुँह पर आ बैठी और मुझे स्मूच करने लगी
सर के तो मज़े हो गये
लॅंड बेटी की चूत में और जीभ माँ की
शायद इसके सपने उन्होने आज से पहले कई बारे देखे थे
वो आज ऐसे सच होंगे इसका उन्हे अंदाज़ा ना था
हालाँकि कुछ देर पहले मैं झड़ी थी
पर मॉम की किस्स और सर के लॅंड ने एक बार फिर से मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया
और मैं दबी हुई सी आवाज़ें निकालती हुई
अपनी नन्ही कमर मटकाते हुए
सर के मोटे लॅंड पर झड़ने लगी
“उम्म्म्ममममममममममम …….. अहह…….गगगगगगगगगगगगगगग……….सस्स्स्स्स्स्सस्स………..म्म्म्मसमममममममम”
मॉम ने मेरे काँपते शरीर के साथ-2 मेरे लरजते होंठो को भी महसूस किया जो बता रहे थे की मैं झड़ रही हूँ
मॉम ने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया ताकि मैं झड़ते हुए नीचे ही ना गिर जाऊं
फिर उन्होने मुझे बड़े ही प्यार से उनके लॅंड से नीचे उतारा और साइड में लिटा दिया
मैं गहरी साँसे लेते हुए वहीं लेट गयी
अब मॉम की बारी थी
क्योंकि मेरे से ज़्यादा तो उनका हक बनता था सुधीर सर पर
सर ने बिना कोई देरी किए उनकी एक टांग उठायी लॅंड थूक लगा कर एक ही झटके में उनकी चूत में पेल दिया
अब मैं दर्शक बनकर आराम से उनका खेल देख पा रही थी
वो भी एकदम करीब से
सर के लॅंड से झटके ऐसे निकल रहे थे जैसे वो आज ही अपना पूरा चुदाई का ज्ञान मॉम की चूत पर निकाल देना चाहते हो
उनके हर झटके से पूरा पलंग हिल रहा था
जैसे कोई भूकंप आ रहा हो
इतने करीब से मोबाइल में सिर्फ पॉर्न देखी थी मैंने
पर ये तो असली मे था
यहाँ तो मैं सामने वाले को छू भी सकती थी
पर मेरा बदन बुरी तरह से दुख रहा था अब
सर ने सच में भयंकर तरीके से चोदा था मुझे आज
चुदाई के साथ ये दर्द भी एक अलग स्वाद दे रहा था मुझे
पर इस वक़्त स्वाद तो मॉम ले रही थी
अपनी चूत से
सर के लॅंड का
वो उनके लॅंड को अपने निचले होंठो से पूरा अंदर तक निगल कर चूस रही थी और उनकी फिसलन भरी गलियाँ उसे फिर से बाहर धकेल कर एक पम्प का काम दे रही थी
मॉम को चुदवाते हुए कितने साल हो चुके थे
पर आज भी उनमे पूरा जोश था
चुदाई के बारे मे ये बात मुझे सबसे ज़्यादा पसंद आई थी की इस मज़े को मैं पूरी जिंदगी महसूस करने वाली थी अब
ये तो बस शुरूवात थी
मैं अपने सपने देख रही थी और वहां मॉम झड़ने के करीब पहुँच गयी
एक साथ 2 को झड़ने पर मजबूर करना सिर्फ एक मर्द ही कर सकता है
“आआआआआआअहह ओह सुधीईईईईईईर मेरी ज़ाआाआआआनन्न……. म्म्म्मआममममम……कमाआआआाआल का लॅंड है तुम्हारा………मजाआाअ आआआआआआआ गय्ाआआआआआआ”
अब तो ये करतब सर को अक्सर दिखाना पड़ेगा
क्योंकि अब घर मे हम दोनो थे
जिनकी प्यास उन्हे बुझानी थी
अपनी इस प्यारे से लॅंड से
जिसकी मैं दीवानी बन चुकी थी
सर भी 8-10 धक्के मारने के बाद झड़ने के करीब पहुँच गये
पर इस बार उन्होने अपनी मिठाई अंदर नही निकाली बल्कि लॅंड को बाहर निकाल कर मेरे चेहरे के करीब ले आए
पीछे-2 मोंम भी वहीं पहुँच गयी
और मैने और मॉम ने दोनो तरफ से सर के फुफ्कार रहे लॅंड को मुँह में भरकर उसके उपर लगी मलाई चाटनी शुरू कर दी
सर ने अपना चेहरा उपर करके सिसकना शुरू कर दिया
वो अपनी पूरी जान लगाकर अपने आप को झड़ने से रोक रहे थे शायद
वो इस डबल इंजन की सरकार से मिल रहे मज़े को देर तक ले जाना चाहते थे
पर हम माँ बेटी के गर्म होंठों ने उनकी एक ना चलने दी
और कुछ ही देर मे उनके अंडकोष में भरा गर्म और तरल माल उबल-उबलकर बाहर निकलने लगा
मोंम और मैने अपनी जीभ और होंठो का इस्तेमाल करके जितना हो सकता था माल अपने गले से नीचे उतारना शुरू कर दिया
कुछ ही देर मे जब उनका लॅंड पूरा सॉफ हो गया तो वो धड़ाम से पलंग पर आ गिरे
एक तरफ मैं लेट गयी और दूसरी तरफ मोंम
सर ने दोनो के सर के नीचे हाथ रखकर हमारे नंगे जिस्मों को अपने अंदर समेट लिया
और एक-2 करके दोनो के माथे चूम लिए
हमारा परिवार पूरा हो चूका था
हर तरह से
अब तो मैं आँखे बंद करके आने वाले दिनों में मिलने वाले मज़े को सोचकर मुस्कुरा रही थी.






