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Incest जवानी के अंगारे ( Completed)

Ashokafun30

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PAGE 09 निशा : “हाँ , वहीं रहता है….और ये मेरे पापा के ड्राइवर का लड़का है, संजू “
निशा : “तू तो मेरे पापा को जानती ही है, उनके सर पर समाज सेवा का भूत सवार रहता है, ड्राइवर के बच्चे की मदद के लिए उसका एडमिशन सरकारी स्कूल में करवाया और उसे ये बाइक भी लेकर दी ताकि खाली समय पर ओला / उबर चला कर कुछ कमा सके ’’
निशा (मुस्कुराते हुए) : “मज़ा मिला नही है अभी, पर मिलने वाला है…मैने इसे स्कूल ड्रॉप एंड पिकअप के लिए पटा लिया है और बदले में मैं इसकी पढ़ने में हैल्प करती हूँ …इसके घर जाकर….आई मीन, इसके झोपडे में जाकर” ये कहते हुए उसने एक आँख मार दी…अनु का तो मुँह खुला का खुला रह गया…
PAGE 15 :
निशा की कहानी, उसकी जुबानी ------------------------------------
कल जब मैं संजू के साथ उसकी बाइक पर बैठकर गई तो मुझे भी शायद पता नहीं था कि आज मेरे साथ क्या होने वाला है
पहले तो रोज मुझे अपने झोंपड़े में ले जाता था,
जहां वो मेरी पढने में मदद करता था,
मेरे स्लैबस के हिसाब से मुझे ट्यूशन दिया करता था,
BHAI CONFUCTION DOOR KARDENA

WAISE LIKHTE BAHUT KAAMUK HO MAST EKDUM
bhai,
sanju padata tha aur nisha padti thi
confusion khatm
likhne me kabhi kabhar galti ho jati hai lambi kahani me, usko ignore karo
baaki, aapki tareef ka shukriya
aise hi likhne ki koshish karta rahunga
 

Ajju Landwalia

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मैने आनंदमयी सिसकारी मारकर उन्हे अपनी टांगो में बाँध लिया और अपनी चूत का रस नींबू की तरह निचोड़ कर उनके मुँह में छोड़ दिया

मेरा शरीर काँप कर रह गया जब मैं झड़ी तो
मॉम ने मेरे सबसे सेन्सिटिव पार्ट पर हमला करके मुझे एक ही पल में धराशायी कर दिया था

अब मैं गहरी साँसे लेती हुई बेड पर लेटी काँप रही थी
पर काम अभी ख़त्म नही हुआ था

मॉम ने इशारा करके सुधीर सर को अंदर आने को कहा
जी हां , मेरे साथ-2 मॉम ने भी उन्हे छुप कर हमारा खेल खेलते हुए देख लिया था

सुधीर सर बेचारे अपने नंगेपन को हाथ से छुपाते हुए, अपनी नज़रें झुकाकर अंदर दाखिल हुए
सुधीर सर : “शेफाली……वो…..वो मैं ….आई एम् सॉरी…..वो जो कुछ भी हुआ……”
मोंम : “शहहह ….. कुछ मत कहो…..इधर आओ बस….और जैसा मैं कहती हूँ …वैसा ही करो…”

मेरे साथ-2 वो भी हैरान थे की वो करना क्या चाहती है
सुधीर सर मॉम के पास जाकर खड़े हुए तो उन्होंने उनका हाथ हटा कर उनके खड़े हुए लॅंड को अपने हाथ में ले लिया
और बोली : “उम्म्म्मममममम…..हम दोनो को देखकर एक्ससिटेड हो रहे थे….हुँह ……”

मॉम उनकी दोनो बाल्स को हाथ में लेकर उन्हे मसल रही थी, ज़ोर से नही बल्कि धीरे-2
जैसे किसी सोए हुए नाग को उठा रही हो
नाग तो उनका पहले से ही खड़ा था
मॉम की इस हरकत से वो फुफ्कारने लगा

वो वहीँ नहीं रुकी
उन्होने उस फुफकारते हुए नाग का फन मुँह में भर लिया और उसे जोरों से चूसने लगी
उनका ऐसा करना इस बात का प्रमाण था की उन्होने सुधीर सर को माफ़ कर दिया है

और वो जो काम इस वक़्त कर रही थी वो आने वाले रंगीन पलों की तरफ इशारा कर रहा था
क्योंकि जहाँ से मैं देख पा रही थी
उससे सॉफ था की उनका अगला कदम क्या होने वाला है

उनका एक हाथ मेरी चूत पर था और दूसरा सर की बॉल्स पर
और सर का लॅंड मॉम के मुँह में था पर नज़रें मेरे नंगे बदन पर

हम दोनो की नज़रें मिली और हम दोनो ही मुस्कुरा दिए
शायद आगे क्या होने वाला है ये सोचकर

और मॉम ने मेरी आशा के अनुरूप सर के भीगे लॅंड को अपने मुँह से निकाला और उन्हे बेड पर झुकाकर मेरी चूत पर सटा दिया
और बोली : “सुधीर…ये आज से तुम्हारी ज़िम्मेदारी है, इसे इतना प्यार दो की इसके सारे अरमान पुर हो जाए, मैं नही चाहती की मेरी बेटी को किसी भी चीज़ की कमी रहे, चाहे मुझे अपना सुहाग ही इसके साथ क्यू ना बांटना पड़े…”

मॉम की भावुक स्पीच सुनकर सुधीर सर भी पसीज गये और उनकी आँखे गीली हो गयी
पर इसका असर उनके कड़कपन पर नही पड़ा

वो पहले से ज्याद सख़्त हो चुका था मेरी चूत की खुश्बू सूँघकर
मॉम ने तो सिर्फ़ रास्ता दिखाया था, उसपर वो खुद ही फिसलता चला गया

जैसे-2 वो मुझपर झुक रहे थे, उनका लॅंड मेरी चूत की सुरंग में अंदर घुसता चला जा रहा था
और कुछ ही देर में हम दोनो के शरीर एक हो गये
उनका लॅंड पूरा का पूरा मेरी चूत में उतर चुका था




इतनी सॉफ्ट लेंडिंग तो चंद्रयान ने भी नही की होगी
जो उनके लॅंड ने की थी आज मेरी चूत में
मॉम की जीभ ने जो आराम और गीलापन मेरी चूत को दिया था
शायद ये उसका ही कमाल था

उन्होने मेरे होंठो को चूम कर मुझे एक गहरी स्मूच दे डाली
मैने भी अपनी टांगे सुधीर सर की कमर के चारों तरफ बाँध दी और जोरों से चिल्लाते हुए उन्हे चोदने के लिए उकसाने लगी

“ओह मेरे प्यारे पापा……………..अहह…….अब तो ना शरमाओ……मोंम ने भी अब तो अहह हां कर दी है…….अब तो दिखा दो ……उम्म्म्ममममममम…. अपना कमााअल्ल…….ज़ोर से चोदो मुझे……अपनी बेटी को……मेरी मोंम के सामने……………….अहह…एसस्स पापा…..ऐसे ही पापा……..ज़ोर से पापा……………ओह पापा…..मेरे प्यारे पापा………..”

मॉम भी मुझे ऐसी हालत में पापा बोलते देखकर हैरान थी पर इसमे कितनी एक्ससाइटमेंट मिलती है ये उन्हे क्या पता…..
मुझे तो अपने मज़े से मतलब था बस
जो मुझे भरपूर मात्रा में मिल रहे थे

मैं उन्हे नीचे पलटकर उपर आ गयी, क्योंकि उनके लॅंड को अंदर तक महसूस करने का यही तरीका था
अब उनके खड़े लॅंड पर अपनी पूरी चूत दबाकर और उसे धूरी बनाकर मैं उसपर नाच रही थी

उफफफफफफफफफ्फ़….

ऊपर आते वक़्त जब उनके लॅंड का टोपा मेरी क्लिट से टकरा रहा था तो कितना मज़ा आ रहा था
शायद यही मेरे झड़ने की वजह बनने वाला था

पर उससे पहले मॉम ने मुझपर डबल अटॅक कर दिया
वो सुधीर सर के मुँह पर आ बैठी और मुझे स्मूच करने लगी
सर के तो मज़े हो गये
लॅंड बेटी की चूत में और जीभ माँ की

शायद इसके सपने उन्होने आज से पहले कई बारे देखे थे
वो आज ऐसे सच होंगे इसका उन्हे अंदाज़ा ना था



हालाँकि कुछ देर पहले मैं झड़ी थी
पर मॉम की किस्स और सर के लॅंड ने एक बार फिर से मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया
और मैं दबी हुई सी आवाज़ें निकालती हुई
अपनी नन्ही कमर मटकाते हुए
सर के मोटे लॅंड पर झड़ने लगी

“उम्म्म्ममममममममममम …….. अहह…….गगगगगगगगगगगगगगग……….सस्स्स्स्स्स्सस्स………..म्म्म्मसमममममममम”

मॉम ने मेरे काँपते शरीर के साथ-2 मेरे लरजते होंठो को भी महसूस किया जो बता रहे थे की मैं झड़ रही हूँ
मॉम ने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया ताकि मैं झड़ते हुए नीचे ही ना गिर जाऊं

फिर उन्होने मुझे बड़े ही प्यार से उनके लॅंड से नीचे उतारा और साइड में लिटा दिया
मैं गहरी साँसे लेते हुए वहीं लेट गयी
अब मॉम की बारी थी

क्योंकि मेरे से ज़्यादा तो उनका हक बनता था सुधीर सर पर
सर ने बिना कोई देरी किए उनकी एक टांग उठायी लॅंड थूक लगा कर एक ही झटके में उनकी चूत में पेल दिया




अब मैं दर्शक बनकर आराम से उनका खेल देख पा रही थी
वो भी एकदम करीब से

सर के लॅंड से झटके ऐसे निकल रहे थे जैसे वो आज ही अपना पूरा चुदाई का ज्ञान मॉम की चूत पर निकाल देना चाहते हो
उनके हर झटके से पूरा पलंग हिल रहा था
जैसे कोई भूकंप आ रहा हो
इतने करीब से मोबाइल में सिर्फ पॉर्न देखी थी मैंने

पर ये तो असली मे था
यहाँ तो मैं सामने वाले को छू भी सकती थी

पर मेरा बदन बुरी तरह से दुख रहा था अब
सर ने सच में भयंकर तरीके से चोदा था मुझे आज
चुदाई के साथ ये दर्द भी एक अलग स्वाद दे रहा था मुझे

पर इस वक़्त स्वाद तो मॉम ले रही थी
अपनी चूत से
सर के लॅंड का
वो उनके लॅंड को अपने निचले होंठो से पूरा अंदर तक निगल कर चूस रही थी और उनकी फिसलन भरी गलियाँ उसे फिर से बाहर धकेल कर एक पम्प का काम दे रही थी
मॉम को चुदवाते हुए कितने साल हो चुके थे
पर आज भी उनमे पूरा जोश था

चुदाई के बारे मे ये बात मुझे सबसे ज़्यादा पसंद आई थी की इस मज़े को मैं पूरी जिंदगी महसूस करने वाली थी अब
ये तो बस शुरूवात थी

मैं अपने सपने देख रही थी और वहां मॉम झड़ने के करीब पहुँच गयी
एक साथ 2 को झड़ने पर मजबूर करना सिर्फ एक मर्द ही कर सकता है

“आआआआआआअहह ओह सुधीईईईईईईर मेरी ज़ाआाआआआनन्न……. म्म्म्मआममममम……कमाआआआाआल का लॅंड है तुम्हारा………मजाआाअ आआआआआआआ गय्ाआआआआआआ”

अब तो ये करतब सर को अक्सर दिखाना पड़ेगा
क्योंकि अब घर मे हम दोनो थे
जिनकी प्यास उन्हे बुझानी थी
अपनी इस प्यारे से लॅंड से
जिसकी मैं दीवानी बन चुकी थी

सर भी 8-10 धक्के मारने के बाद झड़ने के करीब पहुँच गये
पर इस बार उन्होने अपनी मिठाई अंदर नही निकाली बल्कि लॅंड को बाहर निकाल कर मेरे चेहरे के करीब ले आए
पीछे-2 मोंम भी वहीं पहुँच गयी

और मैने और मॉम ने दोनो तरफ से सर के फुफ्कार रहे लॅंड को मुँह में भरकर उसके उपर लगी मलाई चाटनी शुरू कर दी




सर ने अपना चेहरा उपर करके सिसकना शुरू कर दिया
वो अपनी पूरी जान लगाकर अपने आप को झड़ने से रोक रहे थे शायद
वो इस डबल इंजन की सरकार से मिल रहे मज़े को देर तक ले जाना चाहते थे
पर हम माँ बेटी के गर्म होंठों ने उनकी एक ना चलने दी
और कुछ ही देर मे उनके अंडकोष में भरा गर्म और तरल माल उबल-उबलकर बाहर निकलने लगा

मोंम और मैने अपनी जीभ और होंठो का इस्तेमाल करके जितना हो सकता था माल अपने गले से नीचे उतारना शुरू कर दिया




कुछ ही देर मे जब उनका लॅंड पूरा सॉफ हो गया तो वो धड़ाम से पलंग पर आ गिरे
एक तरफ मैं लेट गयी और दूसरी तरफ मोंम
सर ने दोनो के सर के नीचे हाथ रखकर हमारे नंगे जिस्मों को अपने अंदर समेट लिया
और एक-2 करके दोनो के माथे चूम लिए
हमारा परिवार पूरा हो चूका था
हर तरह से
अब तो मैं आँखे बंद करके आने वाले दिनों में मिलने वाले मज़े को सोचकर मुस्कुरा रही थी.


Wah Ashokafun30 Aag hi laga di aapne...............

Jaha ek taraf Anu aur Sudhir ko is halat me pakar mujhe laga ki ab to anu aur sudhir dono hi ki band baja degi shaifali......

Lekin Anu kya gajab acting karke situation ko sambhal liya balki apni maa shifali ko emotionally is rishte ko aage bhi carryon karne ka rasta hamesh ke liye khol diya he.........

Gazab Bhai...............Keep posting
 
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Ashokafun30

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सर ने अपना चेहरा उपर करके सिसकना शुरू कर दिया
वो अपनी पूरी जान लगाकर अपने आप को झड़ने से रोक रहे थे शायद
वो इस डबल इंजन की सरकार से मिल रहे मज़े को देर तक ले जाना चाहते थे
पर हम माँ बेटी के गर्म होंठों ने उनकी एक ना चलने दी
और कुछ ही देर मे उनके अंडकोष में भरा गर्म और तरल माल उबल-उबलकर बाहर निकलने लगा
मोंम और मैने अपनी जीभ और होंठो का इस्तेमाल करके जितना हो सकता था माल अपने गले से नीचे उतारना शुरू कर दिया
कुछ ही देर मे जब उनका लॅंड पूरा सॉफ हो गया तो वो धड़ाम से पलंग पर आ गिरे
एक तरफ मैं लेट गयी और दूसरी तरफ मोंम
सर ने दोनो के सर के नीचे हाथ रखकर हमारे नंगे जिस्मों को अपने अंदर समेट लिया
और एक-2 करके दोनो के माथे चूम लिए
हमारा परिवार पूरा हो चूका था
हर तरह से
अब तो मैं आँखे बंद करके आने वाले दिनों में मिलने वाले मज़े को सोचकर मुस्कुरा रही थी.

अब आगे

***********

अगले दिन जब मेरी नींद खुली तो मुझसे उठा ही नही जा रहा था
मेरी पहली चुदाई का असर मेरे कोमल शरीर पर सॉफ दिख रहा था
सर के साथ नंगी, उनसे लिपट कर हम माँ बेटी कब सोई, पता ही नही चला
पर इस दर्द के साथ मेरा स्कूल जाना संभव नही था
इसलिए मैने छुट्टी करने की सोच ली
वैसे भी सिर्फ एक दिन की चुदाई से मेरा मन भरा नहीं था अभी
मैं नही जा रही तो उन्हे भी कैसे जाने दे सकती थी
इसलिए जब उनकी आँख खुली तो उन्हे भी छुट्टी के लिए मना लिया

हमारी देखा देखी आज मॉम ने भी ऑफीस से ऑफ ले लिया
यानी एकबार फिर से धमाकेदार चुदाई की तैयारी हो गयी
और हुआ भी ऐसा ही

हम तीनों ने एक साथ बाथरूम में जाकर शावर लिया
सर के दोनो हाथों में हमारे नंगे जिस्म थे




वो कभी मॉम को तो कभी मुझे किस्स करते
उनका जहां मन करता वहां किस्स करते
बूब्स पर, गर्दन पर या नीचे बैठकर सीधा चूत पर

मोंम को भी अब ये, यानी तीनों का एक साथ सेक्स करना, नॉर्मल लग रहा था
इन्फेक्ट उन्हे मज़ा आ रहा था इन सबमें

बाद में जब मोंम ने नाश्ता बनाया तो मैने सर की गोद में बैठकर ब्रेकफास्ट किया
सर का ध्यान नाश्ते पर कम , मेरे जिस्म पर ज्यादा था
उनके हाथ मेरे बूब्स से हैट ही नहीं रहे थे
उनका नाश्ता ख़त्म होते-2 मेरे कपड़े एक बार फिर से मेरे बदन से उतर चुके थे
जिस दर्द की वजह से मुझे स्कूल से ऑफ लेना पड़ा था , उसे महसूस करने का वक़्त एक बार फिर से आ चुका था
पर मुझे क्या पता था की ये दर्द ही कल के दर्द की दवा है

क्योंकि बेड पर जाकर जब सुधीर सर ने मुझे प्यार कना शुरू किया तो मेरा दर्द कब गायब हो गया मुझे भी पता नही चला
और एक बार फिर से मेरे शरीर में वही तरंगे उठने लगी जिन्होने मेरी जवानी के दिनों में चार चाँद लगा दिए थे
सर ने मुझे आज जबरदस्त तरीके से पेला
मेरे शरीर का पुर्जा-2 हिल गया उनके झटकों से




बाद में मोंम ने भी ज्वाइन किया और फिर से कल वाला सब रिपीट होने लगा
सर ने पूरा दिन और बाद में रात को भी हम माँ बेटियों को जी भरके चोदा
अगले 2 दिन वीकेंड का ऑफ था
और कहने की ज़रूरत नही है की सर ने हमारे साथ क्या-2 किया
कुल मिलाकर इन 4 दिनों में सर के साथ लगभग 12-13 बार चुदाई की मैने

मुझे तो ऐसे महसूस हो रहा था की मैं फॅमिली हनिमून पर हूँ
अपनी मोंम के साथ

पर अब उस हनिमून से निकलकर लाइफ के दूसरे मज़े लेने की बारी आ चुकी थी
सर को मैं अपना कुंवारापन सौंप ही चुकी थी इसलिए अब मैं आज़ाद थी
और जो मज़े मुझे लेने थे वो सब स्कूल जाकर ही मिल सकते थे

मंडे को सर और मैं एकसाथ स्कूल के लिए निकले उनकी कार में
पूरे रास्ते मेरा हाथ उनके हाथ में रहा
कभी-2 मैं उनके लॅंड को भी पकड़ लेती थी
पर स्कूल आने से पहले मैं नॉर्मल होकर बैठ गयी
मैं नही चाहती थी की सर खड़े लॅंड के साथ स्कूल में दाखिल हो

गेट पर मंसूर मुझे देखकर ऐसे खुश हुआ जैसे उसके मौसा की लड़की दिख गयी हो
मुझे तो अभी तक उसके और बिनोद की आपसी जुगलबंदी के बारे में पता नही था
वरना उसकी खुशी का मतलब समझ जाती

पर अंदर जाकर जब बिनोद की नजर मुझपे पड़ी तो उसके साथ-2 मैं भी मुस्कुरा दी
वो मेरे करीब आया और फुसफुसा कर बोला : “मेडम जी, आँखे तरस गयी आपको देखने के लिए, एक दिन आप आई नही और फिर शनि इतवार का दिन आ गया, मेरा तो मन कर रहा था की आपके घर पहुँच जाऊं और आपकी चूत को चूस चूसकर सूखा डालूं , सच में, आपने जो आग लगाई उसने मेरे लॅंड का बुरा हाल कर रखा है”

एक कॉनवेंट में पड़ने वाली लड़की के साथ उसके स्कूल का पियून इतनी गंदी भाषा में लॅंड-चूत की बात कर रहा था, कोई और होता तो इसकी नौकरी पर बात आ जाती पर इसकी बाते सुनकर मेरी पेंटी गीली हो गयी

हालाँकि सर ने कल रात ही मुझे 2 बार चोदा था, पर इस गँवार और काले लॅंड वाले बिनोद की बात ही अलग थी
उसकी गंदी बातों ने मेरी चूत में वो आग फिर से भड़का दी जो सिर्फ़ लॅंड से ही बुझ सकती थी

सर स्टाफ रूम में जा चुके थे, इसलिए मैने उसे इशारा करके बाथरूम में आने के लिए कहा
उसकी तो आँखे ही चमक गयी मेरी बात सुनकर
क्योंकि वो सोच रहा था की स्कूल के बाद वहीं पेड़ के पीछे वाली जगह पर मुलाकात हो पाएगी
यहाँ तो सुबह-2 ही लॉटरी लग गयी

मैं गर्ल्स वॉशरूम में जाकर एक क्यूबिकल के अंदर कमोड पर बैठ गयी
अभी भी कुछ स्टूडेंट्स थी जो अपने बाल और ड्रेस वगेरह ठीक करने के लिए वहां खड़ी थी
करीब 10 मिनट बाद बेल बजी जो की ग्राउंड पर इकट्ठे होकर प्रेयर करने का संकेत था
प्रेयर करीब 20 मिनट की होती थी उसके बाद पहला पीरियड स्टार्ट हो जाता था
बस यही 20 मिनट का इस्तेमाल करना था मुझे

वॉशरूम में शांति होने के बाद मैं बाहर निकली तो बाहर गेट के पास बिनोद को खड़े पाया
मैने उसे इशारे से अंदर आने को कहा
वो कंगारू की तरह अपने पंजो पर उछलता हुआ मेरे पास आया और मुझे अपनी बाहों में भींच लिया
मेरी भी हँसी निकल गयी उसका उतावलापन देखकर
पर आग तो मेरी चूत में भी लगी थी


मैने भी अपनी नन्ही छातियाँ उसके चौड़े सीने से रगड़ रही थी
पर इन सबके लिए ये जगह ठीक नही थी, कोई भी , कभी भी आ सकता था वहां
इसलिए मैं उसे उसी क्यूब में ले गयी जहाँ मैं अभी बैठी थी
अंदर जाते ही उसने अपनी पेंट नीचे करके अपना मोटा लॅंड बाहर निकाल लिया
उसके मोटे और काले भुसन्ड लॅंड को एक बार फिर से अपने सामने देखकर मेरे मुँह से लार और चूत से पानी बहने लगा




पिछले 3 दिनों में सर के लॅंड की एक-2 लकीर मैने नाप ली थी
उनकी बॉल्स को अपने हाथ में लेकर
अपने मुँह में भींचकर
उसकी गोलाई, मोटाई सब नाप लिया था
और लॅंड के एक-2 इंच पर अपने दांतो की मोहर लगा दी थी

ऐसे में इस लॅंड का सुधीर सर के लंड के साथ तुलना करना काफ़ी आसान था
सिर्फ़ रंग काला था इसका
बाकी हर लिहाज से ये सर के लॅंड से आगे था
लंबाई, मोटाई और बॉल्स का साइज़
सब भारी था बिनोद का

शायद यही बात मुझे आकर्षित कर रही थी
इसके लॅंड की मोटाई, लंबाई
जब ये अंदर जाएगा तो क्या ज़्यादा मज़ा देगा
अंदर जाने के बाद इसकी फील कैसी होगी
उफफफफ्फ़
ये सब मुझसे सहन नही हुआ
मैने झत्ट से नीचे बैठ कर उसके मोटे और फड़फड़ाते लॅंड को मुँह में भरा और जोरों से चूसना शुरू कर दिया




बाहर प्रेयर की आवाज़ आने लग गयी थी
यानी अब हमारे पास सिर्फ़ 15 मिनट और थे
मैं झट्ट से उठी और अपने रसीले होंठो को बिनोद के होंठो पर रखकर उसकी गोद में जा चढ़ी
वो तो बावला सा हो गया
एक जवान जिस्म की स्कूल की लड़की , उसके जैसे गँवार के साथ ऐसे प्यार जाता रही थी जैसे गर्लफ्रेंड करती है
वो तो अपने आपको किसी हीरो से कम नही समझ रहा था इस वक़्त
बिनोद के हाथ मेरे कुल्हो पर आ लगे
मेरी शॉर्ट स्कर्ट खिसक कर उपर आ चुकी थी
और कच्छी मैने पहनी नही हुई थी
नतीजन उसके खुरदुरे हाथ मेरी नर्म और गद्देदार गांड में धँस कर मुझे खरोंछने लगे

पर इस वक़्त मुझे उन खरोंचो से ज़्यादा उसके बीड़ी तम्बाकू से सुगंधित होंठो को चूसने में मज़ा मिल रहा था
मैने आनन फानन में अपनी शर्ट के उपर के बटन खोले और अपने बूब्स निकाल कर उसके सामने परोस दिए
उसने अपनी लंबी जीभ निकाल कर मेरी छातियों को एक ही बार में चाट लिया

“आआआआआआआहह………. बिनोद्द्द्द्द्द्दद्ड………. धीईईईईररर्रएअअअअअ………अहह”

मैं धीरे बोल भी रही थी और उसके सिर पर दबाव डालकर उसे अपने निप्पल पर लेजाकर वहां रगड़ भी रही थी
उसकी मूँछे मेरे बूब्स पर ब्रश की तरह रगड़ खा रही थी और कुछ खरोंचे वहां भी बना रही थी

आज मेरी गांड और छाती का लालपन देखकर सुधीर सर ज़रूर समझ जाएँगे की मुझे किसी ने अच्छे से रगड़ा है
पर इस वक़्त मुझे इन बातों से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
मुझे तो वो खुरदुरापन किसी रेशमी एहसास से कम नही लग रहा था
या ये कह लो की ये रफ टाइप का तरीका मुझे ज़्यादा पसंद आ रहा था

जहाँ एक तरफ सुधीर सर किसी पड़े लिखे तरीके से मुझे प्यार करते थे
चाहे वो उनके किस्स करने का तरीका हो या मेरे बूब्स या पुस्सी को सक्क करने का
वो किसी जंटलमेन की तरह चूसते थे

पर ये बिनोद
इसे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की इस वक़्त उसकी बाहों में उसकी गाँव वाली बीबी नही बल्कि एक कॉनवेंट वाली अल्हड़ उम्र की लड़की है
वो अपने पैने दांतो और खुरदुरे हाथों से मेरे जिस्म पर टैटू बनाने का काम कर रहा था
और इसमें मुझे बहुत मज़ा आ रहा था
 
Last edited:

Ashokafun30

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अचानक मेरी गीली चूत पर मुझे कुछ गर्म एहसास हुआ
ये बिनोद का काला लॅंड था जो अभी तक पेंट से बाहर निकल कर खड़ा हुआ था
मुझे गोद मे उठाने की वजह से उसका लॅंड सीधा मेरी चूत के इर्द गिर्द घूम रहा था
फिर उसने मेरे छेद को आख़िरकार ढूँढ ही लिया
एक पल के लिए वो रुक सा गया
हमारे दरमियाँ सिर्फ़ साँसों की आवाज़ आ रही थी
फिर उसके चेहरे के भाव अचानक बदलने लगे
आश्चर्य के कारण

क्योंकि मैने अपनी चूत के दरवाजे पर खड़े उसके लॅंड को अंदर निगलना शुरू कर दिया था
मैं अपना भार थोड़ा नीचे की तरफ करके उसके खड़े लॅंड पर फिसलने लगी
जैसे-2 वो लॅंड अंदर जा रहा था, मेरे होंठ ओ की मुद्रा में खुलने लगे
एक मीठे दर्द का एहसास फिर से मेरे पूरे शरीर में होने लगा
जितना दर्द पहली बार चुदाई में हुआ था, वैसा तो नही हुआ
पर हुआ ज़रूर

अब तो एक्सपीरियन्स हो चुका था मुझे
मैने सोचा भी नही था की ऐसे सुबह-2 स्कूल पहुँचते ही मैं बिनोद से इस तरह से चुदवा रही होऊंगी
पर जो भी था
इसमे एक अलग ही रोमांच और मज़ा मिल रहा था मुझे इस वक़्त

अब तक बिनोद समझ चूका था की लड़की पहले लॅंड ले चुकी है
बस इतना मोटा नही लिया है
इसलिए वो भी बड़े आराम -2 से अपने लॅंड को मेरी चूत में पिरोने लगा

मेरी साँसे उखड़ने को हो गयी जब उसका आधे से ज़्यादा लॅंड मेरे अंदर पहुँच गया
एक इंच और डालता तो सर का मुकाबला कर लेता पर उसके बाद भी करीब 3 इंच और था,
इसलिए मुझे अब डर भी लग रहा था की कहीं मेरी चूत से दोबारा खून ना निकालने लगे
ना बाबा ना
सुबह -2 इस झमेले में नही पड़ना था मुझे
इसलिए मैने अनमने मन से बिनोद को वहीं रुकने को कहा और एक झटके से अपने शरीर को पीछे करके उसके लॅंड को बाहर निकाल दिया
और नीचे उतर गयी

बेचारे का मुँह देखने लायक था
जैसे किसी जानवर के मुँह से माँस खींच लिया हो वापिस
पर वो कर भी क्या सकता था
मैं बोली : “देखो बिनोद, सब कुछ आराम से और सलीके से होना चाहिए, ये जगह इसके लिए सही नही है….इसलिए अभी नही…”

बेचारा क्या बोलता
इतना भी मिल गया था उसे, ये भी उसके लिए काफ़ी था
पर वो कहते है ना की शेर के मुँह पर खून लग जाए तो उसे शिकार किए बिना चैन नही मिलता

इसलिए उसने वो मज़ा दूसरे तरीके से लेने की सोची
और मेरी एक टाँग को उठा कर उसने अपने कंधे पर रखा और मेरे सामने पंजो के बल बैठ कर मेरी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा
मेरी चीख गूँज गयी उस बाथरूम में
“आआआआआआअहह……..बिनोद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड……..नाआआआआआआआआआअ……..न्न्लिएनननणणन्…..उम्म्म्मममममममममममममम”




बाकी की चीख मेरे मुँह में घुट कर रह गयी
क्योंकि मेरी पूरी की पूरी चूत को उसने अपने मुँह में भर कर पान की तरह चबाना शुरू कर दिया था
उसने दाँत मेरी चूत के होंठो की मसाज कर रहे थे
चुभन पैदा करके मुझे सिसकने पर विवश कर रहे थे
धीरे-2 उसने मेरी दूसरी टाँग भी अपने दूसरे कंधे पर रख ली
अब मैं दीवार पर अपनी पीठ टिकाए, उसके सिर को पकड़े, अपनी गांड हवा में लटकाए उससे अपनी चूत चुस्वा रही थी



बड़ा ही कामुक दृश्ये था वो
रोमांच भी महसूस हो रहा था काफ़ी
अभी जिस चूत में उसका लॅंड था, वहां उसकी जीभ घूम रही थी
ये एहसास सही था
भले ही बिनोद की जीभ भी लम्बी थी
पर उसके लॅंड जितनी नही
ये मज़ा भी दे रही थी

जैसे कोई छोटी सी मछली पानी से निकाल कर मेरी चूत के अंदर छोड़ दी गयी हो
ऐसे मचल रही थी उसकी जीभ मेरे अंदर
अपने बलिष्ट शरीर का परिचय देते हुए वो धीरे-2 उपर की तरफ खड़ा होने लगा
उसके साथ-2 मेरा शरीर भी उपर हवा में उठने लगा
और आख़िर मे जब वो पूरा खड़ा हो गया तो मेरा आधा शरीर क्यूबिकल में था और आधा बाहर
मुझे कोई बाहर से भी देख सकता था

पर इस वक़्त तो दूर -2 तक कोई नही था
सब प्रेयर में थे
जो अब लगभग ख़त्म होने वाली थी
अब वो घूमकर दीवार से जा लगा ताकि मैं अपने सामने हाथ करके डिवाईडर पर हाथ रखकर उसे पकड़ सकूं
ये एंगल सही था
अब मैं डिवाईडर पर हाथ रखकर अपनी चूत को उसके मुँह पर अच्छे से घिस्स पा रही थी
मज़े की बात ये थी की मेरे बूब्स अभी तक बाहर लटक रहे थे
मैं लगभग नंगी ही थी इस वक़्त
उपर से भी और नीचे से भी
अब मेरे अंदर की आग बारूद बनकर फटने को तैयार थी
और वो फटी भी



एक जोरदार आवाज़ के साथ मेरी चूत से भरभराकर ढेर सारा पानी निकल कर बिनोद के चेहरे को भिगोने लगा
ऐसा लग रहा था जैसे मैने उसके चेहरे पर बियर की बॉटल खोल दी हो
वही नशीला सा एहसास
रसीलापन, झागपन
मेरे रस की एक-2 बूंस नशा बनकर उसके चेहरे को भिगो रही थी
और मुझे फिर उसके कराहने की आवाज़ भी सुनाई दी
मैने नीचे चेहरा करके देखा तो वो भी अपना लॅंड रगड़ने में लगा हुआ था
जाने कब से
और मेरे देखते -2 उसके लॅंड से ढेर सारा रस निकल कर सामने की दीवार को रंगने लगा
इतनी गाड़ी मलाई तो सुधीर सर की भी नही थी
काश मैं इसे टेस्ट कर पाती

साले ने बेकार में सारा माल दीवार पर फेंक दिया
मुझे ही पीला देता
खैर
अब तो कुछ हो नही सकता था
जब सब शांत हो गया तो उसने धीरे से मुझे नीचे उतरा
बाहर भी प्रेयर की आवाज़ बंद हो चुकी थी
कुछ ही देर में यहाँ फिर से भीड़ लगने वाली थी

इसलिए मैने जल्दी से अपने कपड़े सही किए
बाहर जाकर अपने बाल बनाए और लगभग भागती हुई सी अपनी क्लास की तरफ चल दी
ये भी नही देखा की बाद में बिनोद कब निकला , कहाँ गया
मुझे बस चिंता थी की कोई हमें एक साथ वहां ना देख ले
पर मेरी चालाकी कुछ काम नही आई
सुधीर सर ने मुझे दूर से ही बाहर निकलते हुए देख लिया था
और बाद मे बिनोद को भी
अब मेरी शामत आने वाली थी
 
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