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और सुधीर सर ने भी बिना किसी देरी के अपनी जीभ को मेरी चूत पर फिराना जारी रखा
कुछ ही देर में सब कुछ शांत हो गया
सर सपर-2 करके मेरी चूत का सारा रस पी गये
मैं शांति से आँखे बंद करके लेटी थी की तभी मॉम की आवाज़ से मेरी तंद्रा भंग हुई
“मैं आ गयी”
मॉम ने मेरा हथियार मुझपर ही चला दिया था
जैसे मैंने किया था ठीक वैसे ही उन्होंने भी किया
मेरी तो फट्ट कर हाथ में आ गयी
और शायद सर का भी यही हाल था
वो हमे घूरकर कुछ देर तक देखती रही और फिर पलटकर अपने रूम की तरफ चल दी
हम दोनो एक दूसरे का चेहरा देखते रह गये
पता नही अब क्या होने वाला था.
अब आगे
***********
अभी तक सुधीर सर की चुदाई से उभर भी नही पाई थी मैं और मॉम ने आकर सब गड़बड़ कर दिया
उनका चेहरा बता रहा था की वो कितने गुस्से में है
मुझे तो लग रहा था की सर के साथ आज ये मेरी पहली और आख़िरी चुदाई है
क्योंकि एक औरत जब अपने होने वाले पति को अपनी ही बेटी की चुदाई करते देख ले तो उसके साथ शादी के बारे में वो सोच भी नही सकती, ऐसे में तो शादी हो चुकी होती तो कोई भी पत्नी तलाक भी दे देती
उनकी जगह मैं भी होती तो शायद यही करती
सर की भी बुरी हालत थी
उनके चेहरे का रंग भी उड़ चुका था
शायद सोच रहे होंगे की इन माँ बेटी के चक्कर में कहाँ फँस गया
चूत तो मिली पर ऐसी ज़िल्लत भी मिलेगी, ये उन्होने सोचा नही था शायद
शेफाली के सामने जाने की हिम्मत उनमे तो बिल्कुल भी नही थी
अब किसी ना किसी को तो बात शुरू करनी ही थी
इसलिए मैंने हिम्मत की और पास पड़ी एक पतली सी चादर ओढ़ कर मॉम के रूम की तरफ चल दी
सुधीर सर को वही बैठे रहने को कहा ताकि मैं उन्हे सही से समझा सकूँ
वहां जाते हुए मेरे मन में कई विचार, प्लान आ रहे थे पर मुझे पता था की मॉम को शायद ही मेरी किसी भी बात का विश्वास हो पाएगा
मॉम अपने रूम में बेड पर बैठ कर रो रही थी
अब इतना बड़ा आघात जो लगा था उन्हे, इंसान रोएगा नही तो भला क्या करेगा
मैने भी सोच लिया की आज सच ही बोलना है, क्योंकि बाद में कोई बोझ अपने दिल में रखना नही चाहती थी
मैं : “मोंम …….मोंम ……”
शेफाली (सुबकते हुए) : “दूर हो जा मेरी नज़रों से….मेरी अपनी औलाद मेरे होने वाले सुहाग पर डाका डालेगी, ये मैने सपने में भी नही सोचा था….”
मैं : “मोंम ….मेरी बात तो सुनिए…”
शेफाली (गुस्से से बिफरते हुए) : “क्या सुनू मैं , यही की मेरी औलाद जिसे मैने अपने पेट में 9 महीने तक पाला, वो आज इतनी बड़ी हो गयी है की मेरे होने वाले पति के साथ सैक्स कर रही है…तूने ये नही नही सोचा की रिश्ते में वो तेरे होने वाले पिता है….तूने आज उस रिश्ते को तार-2 कर दिया”
उनकी आँखो से अंगारे बरस रहे थे
मैं : “और मोंम …..वो रिश्ता क्या है जो मेरे और आपके बीच है….एक माँ-बेटी से बढ़कर हमारे बीच भी तो एक रिश्ता है, उसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगी….”
एकदम से जैसे मैने भड़कती आग में पानी की बाल्टी उड़ेल दी
उनकी नज़रें झुक गयी
वो फुसफुसा कर बोली : “वो….वो अलग बात है….हम माँ बेटी के बीच की बात…”
इस बार मैं चिल्ला कर बोली : “नो मोंम , यू आर रोंग….वो भी ग़लत है और आज जो मैने किया वो भी ग़लत है….और आपके हिसाब से अगर हमारे बीच का रिश्ता सही है तो ये जो आज हुआ ये भी सही है, एक ही जुर्म को आप अपनी सहूलियत के हिसाब से अलग-2 नाम से नही बुला सकती….”
वो बेचारी मेरा मुँह ताकने लगी
क्योंकि अंदर से वो भी जानती थी की जिस केस की वक़ालत वो कर रही है उसमे हार उन्ही की होनी है
मैने अपना लहज़ा नर्म किया और बोली : “मोंम ….हमारे बीच हो कुछ भी हुआ, वो दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता था, एक माँ और बेटी एक दूसरे को इस तरह से प्यार करके पूरी दुनिया से लड़ सकती है, उन्हे फिर किसी और की ज़रूरत नही होती, पर ये दुनिया है, आपको भी किसी मर्द की ज़रूरत पड़नी थी और मुझे भी….आपने अपने लिए एक जीवनसाथी चुना पर आपने कभी ये नही पूछा की मुझे उनसे क्या अपेक्षा है…मोंम, मेरा उनपर शुरू से ही क्रश था, आप उनसे मिली नही थी उस से भी पहले, और जब मुझे ये बात पता चली की आप उन्हे पसंद करती है और उनसे शादी करना चाहती है तो मेरे दिल पर भी ऐसा ही आघात लगा था जैसा की आज आपको लगा है, देखा जाए तो आप मेरे प्यार को, मेरे क्रश को अपना पति बनाना चाह रही थी, मैं चाहती तो आपको मना कर सकती थी, क्योंकि आपने ही कहा था की मेरी मर्ज़ी के बिना आप शादी नही करोगे, पर मैने अपने दिल पर पत्थर रखकर हां कर दी, इनफॅक्ट बाद में मुझे एहसास हुआ की इसमे आप कितनी खुश रहोगी, और सुधीर सिर पापा बनकर मेरे साथ मेरे ही घर पर रहेंगे तो मैं भी खुश रहूंगी….”
मैं एक ही साँस मे अपने दिल का गुबार निकाल देना चाहती थी
मॉम भी मेरी क्रश वाली बात सुनकर हैरान थी
पर अंदर ही अंदर उन्हे पता था की इस उम्र मे अक्सर ऐसा होता है
जवान लड़कियाँ अपने आस पास के मर्दों को अपना दिल दे बैठत है
चाहे वो उनका अध्यापक हो, या कोई रिश्तेदार…
अब मोंम मेरी बातों को आराम से सुन रही थी.
मैं : “आपके और मेरे बीच जो एक नया रिश्ता बन चुका था, वो भी शायद नही रहेगा सर के आने के बाद, आपने अपने बारे में तो सोच लिया पर मेरा क्या, आपने ही एक बार कहा था न की इस उम्र तक तो आप कई बार सैक्स कर चुकी थी, मैने तो फिर भी आज पहली बार किया है, यस मोंम, इट वाज़ माय फर्स्ट टाइम सैक्स ”
कहते हुए मैने अपनी चादर उतार कर फेंक दी, नीचे मेरा नंगा जिस्म था, और मेरी सूजी हुई चूत से अभी भी खून की एक बूँद रिस रही थी जो मेरी पहली चुदाई का प्रमाण था

उनके चेहरे पर चिंता की लकीर आ गयी ये सोचकर की उनकी बेटी इस वक़्त इतनी पीड़ा में है, फिर भी वो उसे डांट रही है
मैं : “मोंम , आपको मेरी क्लास का वो लड़का याद है ना गौरव, जो एक बार शाम को घर भी आया था, बुक्स लेने, उसे मुझपर क्रश था, स्कूल में हमने कई बार मस्ती की थी, आई मीन किस्सिंग एन्ड ऑल पर मैने उसे उससे आगे नही बढ़ने दिया, क्योंकि मुझे अपनी लिमिट्स मालूम थी, फिर मेरी फ्रेंड निशा के बाय्फ्रेंड ने भी मुझपर ट्राइ किया पर उसे भी मैंने एक हद के बाद आगे नही बढ़ने दिया…और तो और मेरे स्कूल का चपरासी बिनोद भी मेरी लेने के चक्कर में था, पर उसे भी एक सीमा पर रोक कर रखा मैने….और पता है मोंम ये सब किसकलिए, क्योंकि मुझे आपकी चिंता था, आपकी इज़्ज़त की और इनफॅक्ट मुझे अपने आपको एक लीगल ऐज में आकर सिर्फ़ उसे सोंपना था जिसे मैं प्यार करती हूँ , जिसे मैं अपना शरीर पहली बार सोंपना चाहती हूँ , पर उसपर तो आपने कब्जा कर लिया तो भला ये कैसे होता….”
अब मेरी मोंम को अपराधबोध का एहसास हो रहा था की कैसे उन्होने अपने फायदे के लिए अपनी बेटी के अरमानो का गला घोंट दिया था
मैं : “पर उस दिन रात के समय जब आप और सुधीर सर सैक्स कर रहे थे तो आपने मुझे बीच मे शामिल कर लिया, मुझे लगा की आप अभी भी वो रिश्ता कायम रखना चाहती है जो आपके और मेरे बीच है, सुधीर सर ने भी उस रात मेरे नंगे शरीर को पूरी तरह से देखा, आपने भी कुछ नही कहा, तो मैने सोचा की जब मेरे बीच मे आने से कुछ बदल नही रहा है तो मैं भला क्यों अपने अरमानो को दबा कर रखू, इसलिए मोंम ….आज मैने…सुधीर सर को अपनी वर्जिनिटी सोम्प दी….और मोंम , इसमे सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा कसूर है, सुधीर सर की इसमे कोई ग़लती नही है, उन्हे तो डर था की ऐसा करके वो आपके साथ धोका कर रहे है पर मेरी ज़िद के आगे उन्होने भी घुटने टेक दिए और आज उन्हे ये करना ही पड़ा मेरे साथ…”
एक दो झूठ मैने अपने हिसाब से बीच मे फिट कर दिए ताकि उन्हें मेरी बात का पूरी तरह से विश्वास हो जाए
मैं सुधीर सर को भी बचा कर रखना चाहती थी ताकि मोंम उनसे शादी के लिए मना ना कर दे और उन्हे पूरी लाइफ उस बात का ताना ना मारती रहे
मेरी बातों का मोंम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था
ये उनके चेहरे के बदलते भाव बता रहे थे
मैने आगे बोलना शुरू किया
“मोंम , आप मेरा सब कुछ हो, आपं मुझे इस दुनिया में लेकर आए हो, पापा के चले जाने के बाद भी आपने हर मुसीबत का अकेले रहकर सामना किया, मुझे हर तरह का प्यार दिया, मैं मानती हूँ की आपकी नज़र में मैने बहुत ग़लत काम किया है पर मोंम आप एक बार खुद को मेरी जगह रखकर देखो, और बताओ की मैने जो भी किया वो गलत था ?? अगर हाँ तो मैं आज ही ये घर छोड़कर चली जाउंगी पर मॉम प्लीज़ आप सर के साथ ऐसा कुछ मत करना, मैं नही चाहती की मेरी वजह से आपकी जिंदगी में जो खुशी आने वाली है उससे आप वंचित रह जाए…”
बोलते-2 मेरी आँखो में आँसू आ गये
और ये बहुत था मोंम को पिघलाने के लिए
मुझे पता था की मोंम को एमोशनल करके ही इस मुसीबत से निकला जा सकता है
पर इसका मतलब ये नही था की मैं उनकी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाकर मज़े ले रही थी
आज जो भी मैने मोंम को कहा था उसमे 99% वो सच्चाई थी जो मैने आज तक उनसे शेयर नही की थी
ऐसा करके एक तरह से मैने अपने और उनके बीच की दीवार को गिरा दिया था ताकि आने वाले समय में हमारा रिश्ता और मजबूत हो जाए
रोते-2 मैं मोंम की गोद में चढ़ बैठी और कुछ देर बाद उन्हे ये एहसास हुआ की मैं पूरी नंगी थी इस वक़्त
ये विचार आते ही उनके चेहरे पर एक स्माइल आ गयी
मैं भी उन्हे हंसते देखकर मुस्कुरा दी
मोंम : “मेरी बच्ची , मुझे माफ़ करदे , मैने तुम्हारे बारे में इतना सोचा ही नही था , मैं सिर्फ़ अपने बारे में , अपनी शादी के बारे में सोच रही थी, मानती हूँ की जो भी तुमने किया वो ग़लत था पर मुझे ये बात समझनी चाहिए की तुम्हारे मन में क्या चल रहा था, अपने दिलो दिमाग़ से ये सब निकाल दे मेरी प्यारी लाडो, और घर से जाने की बात आज के बाद कभी ना करना”
इतना कहते हुए उन्होने मुझे चूम लिया
और वो भी सीधा मेरे होंठो पर
मेरी भी आँखे बंद होती चली गयी
मैं भूल गयी की इस वक़्त किस मुद्दे पर बात चल रही है
सैक्स से रिलेटेड कोई भी बात मुझे सब कुछ भुला देती है
ये भी वही पल था
भले ही मॉम ने प्यार से मेरे होंठो पर अपने होंठ रखे थे
पर मैने उन्हे अपने होंठो मे दबोच कर उसे एक सैक्सी सी स्मूच में बदल दिया
एक पल के लिए तो मॉम भी चोंक गयी पर फिर उन्होने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया और मेरे साथ उस रसीली किस का आनंद लेने लगी
मॉम का एक हाथ मेरे नंगे बूब्स पर लहरा रहा था, मेरे एरेक्ट हो चुके निप्पल को अपनी उंगलियो से कचोट रहा था
“आआआआआअहह माँ ………धीरे………..”
ये सिसकारी इतनी तेज थी की दूसरे कमरे में बैठे सुधीर सर के भी कान खड़े हो गये
और वो भी लगभग नंगे ही भागते हुए उस कमरे के बाहर पहुँच गये
और अंदर जो नज़ारा उन्होने देखा उसे देखकर उन्हे विश्वास ही नहीं हुआ की ऐसे हालात में भी ऐसा कुछ हो सकता है वहां
और साथ ही साथ वो ये भी सोच रहे थे की कैसी माँ बेटी है ये
ऐसे हालात में भी मज़े लेने की सूझ रही है इन्हे
पर सुधीर सर क्या सोच रहे है उससे मुझे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
मैं तो ये सोचकर ही खुश थी की मोंम ने सो सब भुला दिया है
और उनका इस तरह से मुझे प्यार करना इस बात का सबूत था की उन्होने मुझे माफ़ कर दिया है
मोंम ने झुक कर जब मेरे नन्हे से कड़क निप्पल को मुँह में भरकर चूसा तो मैंने नवजात शिशु की तरह खिलखिलते हुए उनके सिर को पकड़कर ज़ोर से अपनी छाती मे दबा दिया
“आआआआआआआआआआअहह…….. ओह मों…….योउ अरे सूऊओ गुड…….. सककककक मी मोंम ….सककककककक मी हाआआरड……..पी जाओ मुझे सारा का सारा……”
मॉम भी अब पूरी तरहा से मेरे इस खेल मे शामिल हो चुकी थी
उन्होंने अपने कपडे आनन फानन में निकाल फेंके
हालाँकि कुछ देर पहले तक हम दोनो के मन में ऐसा कुछ भी नही था पर हालात ऐसे बन चुके थे की दोनो की चुतों से भरभराकर गर्म गैस निकल रही थी जो शायद आज अपनी आँच से सब कुछ जला देने वाली थी
सर का तो लॅंड हम दोनो के इस क्रिया कलाप को देखकर ही खड़ा हो गया
पर उन्हे समझ नही आ रहा था की वो वहीं खड़े रहकर उसे हिलाते रहे या हमारे साथ आकर मज़े ले
शायद जो अपराध उन्होने किया था वही उन्हे अंदर जाने से रोक रहा था
क्योंकि शेफाली का गुस्सा वो जानते थे, वो खुद ही उन्हे माफ़ करे तभी सही रहेगा
खुद उसके सामने जाकर वो कोई बखेड़ा नही करना चाहते थे
वैसे भी वहां से खड़े होकर जो मज़ा और नज़ारा उन्हे देखने को मिल रहा था, महसूस हो रहा था वो भी उनके लिए काफ़ी था
अचानक मॉम की उंगलिया मेरी सूजी हुई चूत से आ टकराई
मैं इतनी देर से मज़े में सिसक रही थी उनका हाथ लगते ही मैं कसमसा कर रह गयी
माँ ने मेरा दर्द समझा और मुझे बेड पर लिटा दिया
और खुद खिसककर मेरी टांगो के बीच पहुँच गयी
अब वो मेरी पाव रोटी जैसी फूली चूत को आराम से देख पा रही थी

फिर उन्होने पास पड़ी वॉटर बॉटल खोलकर उसका कुछ पानी अपने एक हेंकी में उड़ेला
वो हमेशा गर्म पानी पीती है इसलिए वो पानी भी गर्म था
फिर उस गर्म पानी से भीगे हेंकी से उन्होने मेरी चूत को आराम से सॉफ किया
गर्म कपड़े का सेंक मुझे आराम प्रदान कर रहा था
एक माँ ही जानती है की बेटी के दर्द को कैसे कम किया जाए
उसे अच्छे से सॉफ करने के बाद उन्होने उसपर अपनी गर्म जीभ रख दी
जैसे कोई दवाई हो
और उस जीभ ने दवाई का काम किया भी
मुझे एक दूसरी ही दुनिया में भेज दिया उनकी इस हरकत ने
वो अपनी जीभ के ज़रिए मुझपर अपना सारा प्यार लूटा देना चाहती थी
उस दर्द को चूस कर पी लेना चाहती थी जो मुझे पहली चुदाई से हुआ था
धीरे-2 उन्होने उस जीभ से मेरी परतों को कुरेदना शुरू किया और फिर उसमें उसे डाल कर मेरी अंदर और बाहर की अच्छे से मसाज करने लगी
मेरे पास तो शब्द ही नही थे उस फीलिंग को बयान करने के लिए
जो भी थे वो टूटे फुट मेरे मुँह से निकल रहे थे
“उम्म्म्मममममममममम……उगगगगगगगगगघह अहह….ईईईईईहह सस्स्स्स्स्सस्स…… नाआआआआआ…. म्म्म्ममममममममम……ये……और…….अहह…..अंदर……………………………सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……. अहह….डाआाआआआआलो……माआआआआआआआआआअ…….”
अब उन्हे किसी और इन्विटेशन की ज़रूरत नही थी
मेरी चूत के दोनो पाट खोलकर उन्होने अपनी जीभ पूरी अंदर डाल दी
मेरी चूत की चिकनाहटी और अंदर की बनावट वो सॉफ देख पा रही थी और उसे देखकर वो आश्चर्यचकित भी हो रही थी
ऐसा नही था की उन्होने ये नज़ारा आज पहली बार देखा था
पहले भी कई बार मेरी चूत चूस्टे हुए उन्होने उसे देखा था पर पहले और अब में काफ़ी फ़र्क आ चुका था
सर ने अपना मूसल डालकर उसके द्वार को चौड़ा कर दिया था
इसलिए जो अंदरूनी नज़ारे पहले नही दिखाई देते थे उन्हे वो अब दिखाई दे रहे थे
अंदर की गुलाबी और उबड़ खाबड़ ज़मीन और चिकनी दीवारों की सुंदरता देखकर वो मंत्रमुग्ध थी
चूत के अंदर की बनावट की भी अपनी एक खूबसूरती होती है
जिसे उसे प्यार करने वाला ही देख और समझ सकता है

और आज तो मोंम को मेरी क्लिट भी सॉफ दिख रही थी जो पहले कसी हुई दीवारों में दिखाई भी नहीं देती थी
आज वो खुल कर साँस लेती हुई और गीला पानी छोड़ती हुई दिख रही थी
मॉम ने अपनी जीभ की टिप से उसे छू लिया और उसमे से निकलता हुआ रस सीधा निचोड़ कर पी गयी
कुछ ही देर में सब कुछ शांत हो गया
सर सपर-2 करके मेरी चूत का सारा रस पी गये
मैं शांति से आँखे बंद करके लेटी थी की तभी मॉम की आवाज़ से मेरी तंद्रा भंग हुई
“मैं आ गयी”
मॉम ने मेरा हथियार मुझपर ही चला दिया था
जैसे मैंने किया था ठीक वैसे ही उन्होंने भी किया
मेरी तो फट्ट कर हाथ में आ गयी
और शायद सर का भी यही हाल था
वो हमे घूरकर कुछ देर तक देखती रही और फिर पलटकर अपने रूम की तरफ चल दी
हम दोनो एक दूसरे का चेहरा देखते रह गये
पता नही अब क्या होने वाला था.
अब आगे
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अभी तक सुधीर सर की चुदाई से उभर भी नही पाई थी मैं और मॉम ने आकर सब गड़बड़ कर दिया
उनका चेहरा बता रहा था की वो कितने गुस्से में है
मुझे तो लग रहा था की सर के साथ आज ये मेरी पहली और आख़िरी चुदाई है
क्योंकि एक औरत जब अपने होने वाले पति को अपनी ही बेटी की चुदाई करते देख ले तो उसके साथ शादी के बारे में वो सोच भी नही सकती, ऐसे में तो शादी हो चुकी होती तो कोई भी पत्नी तलाक भी दे देती
उनकी जगह मैं भी होती तो शायद यही करती
सर की भी बुरी हालत थी
उनके चेहरे का रंग भी उड़ चुका था
शायद सोच रहे होंगे की इन माँ बेटी के चक्कर में कहाँ फँस गया
चूत तो मिली पर ऐसी ज़िल्लत भी मिलेगी, ये उन्होने सोचा नही था शायद
शेफाली के सामने जाने की हिम्मत उनमे तो बिल्कुल भी नही थी
अब किसी ना किसी को तो बात शुरू करनी ही थी
इसलिए मैंने हिम्मत की और पास पड़ी एक पतली सी चादर ओढ़ कर मॉम के रूम की तरफ चल दी
सुधीर सर को वही बैठे रहने को कहा ताकि मैं उन्हे सही से समझा सकूँ
वहां जाते हुए मेरे मन में कई विचार, प्लान आ रहे थे पर मुझे पता था की मॉम को शायद ही मेरी किसी भी बात का विश्वास हो पाएगा
मॉम अपने रूम में बेड पर बैठ कर रो रही थी
अब इतना बड़ा आघात जो लगा था उन्हे, इंसान रोएगा नही तो भला क्या करेगा
मैने भी सोच लिया की आज सच ही बोलना है, क्योंकि बाद में कोई बोझ अपने दिल में रखना नही चाहती थी
मैं : “मोंम …….मोंम ……”
शेफाली (सुबकते हुए) : “दूर हो जा मेरी नज़रों से….मेरी अपनी औलाद मेरे होने वाले सुहाग पर डाका डालेगी, ये मैने सपने में भी नही सोचा था….”
मैं : “मोंम ….मेरी बात तो सुनिए…”
शेफाली (गुस्से से बिफरते हुए) : “क्या सुनू मैं , यही की मेरी औलाद जिसे मैने अपने पेट में 9 महीने तक पाला, वो आज इतनी बड़ी हो गयी है की मेरे होने वाले पति के साथ सैक्स कर रही है…तूने ये नही नही सोचा की रिश्ते में वो तेरे होने वाले पिता है….तूने आज उस रिश्ते को तार-2 कर दिया”
उनकी आँखो से अंगारे बरस रहे थे
मैं : “और मोंम …..वो रिश्ता क्या है जो मेरे और आपके बीच है….एक माँ-बेटी से बढ़कर हमारे बीच भी तो एक रिश्ता है, उसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगी….”
एकदम से जैसे मैने भड़कती आग में पानी की बाल्टी उड़ेल दी
उनकी नज़रें झुक गयी
वो फुसफुसा कर बोली : “वो….वो अलग बात है….हम माँ बेटी के बीच की बात…”
इस बार मैं चिल्ला कर बोली : “नो मोंम , यू आर रोंग….वो भी ग़लत है और आज जो मैने किया वो भी ग़लत है….और आपके हिसाब से अगर हमारे बीच का रिश्ता सही है तो ये जो आज हुआ ये भी सही है, एक ही जुर्म को आप अपनी सहूलियत के हिसाब से अलग-2 नाम से नही बुला सकती….”
वो बेचारी मेरा मुँह ताकने लगी
क्योंकि अंदर से वो भी जानती थी की जिस केस की वक़ालत वो कर रही है उसमे हार उन्ही की होनी है
मैने अपना लहज़ा नर्म किया और बोली : “मोंम ….हमारे बीच हो कुछ भी हुआ, वो दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता था, एक माँ और बेटी एक दूसरे को इस तरह से प्यार करके पूरी दुनिया से लड़ सकती है, उन्हे फिर किसी और की ज़रूरत नही होती, पर ये दुनिया है, आपको भी किसी मर्द की ज़रूरत पड़नी थी और मुझे भी….आपने अपने लिए एक जीवनसाथी चुना पर आपने कभी ये नही पूछा की मुझे उनसे क्या अपेक्षा है…मोंम, मेरा उनपर शुरू से ही क्रश था, आप उनसे मिली नही थी उस से भी पहले, और जब मुझे ये बात पता चली की आप उन्हे पसंद करती है और उनसे शादी करना चाहती है तो मेरे दिल पर भी ऐसा ही आघात लगा था जैसा की आज आपको लगा है, देखा जाए तो आप मेरे प्यार को, मेरे क्रश को अपना पति बनाना चाह रही थी, मैं चाहती तो आपको मना कर सकती थी, क्योंकि आपने ही कहा था की मेरी मर्ज़ी के बिना आप शादी नही करोगे, पर मैने अपने दिल पर पत्थर रखकर हां कर दी, इनफॅक्ट बाद में मुझे एहसास हुआ की इसमे आप कितनी खुश रहोगी, और सुधीर सिर पापा बनकर मेरे साथ मेरे ही घर पर रहेंगे तो मैं भी खुश रहूंगी….”
मैं एक ही साँस मे अपने दिल का गुबार निकाल देना चाहती थी
मॉम भी मेरी क्रश वाली बात सुनकर हैरान थी
पर अंदर ही अंदर उन्हे पता था की इस उम्र मे अक्सर ऐसा होता है
जवान लड़कियाँ अपने आस पास के मर्दों को अपना दिल दे बैठत है
चाहे वो उनका अध्यापक हो, या कोई रिश्तेदार…
अब मोंम मेरी बातों को आराम से सुन रही थी.
मैं : “आपके और मेरे बीच जो एक नया रिश्ता बन चुका था, वो भी शायद नही रहेगा सर के आने के बाद, आपने अपने बारे में तो सोच लिया पर मेरा क्या, आपने ही एक बार कहा था न की इस उम्र तक तो आप कई बार सैक्स कर चुकी थी, मैने तो फिर भी आज पहली बार किया है, यस मोंम, इट वाज़ माय फर्स्ट टाइम सैक्स ”
कहते हुए मैने अपनी चादर उतार कर फेंक दी, नीचे मेरा नंगा जिस्म था, और मेरी सूजी हुई चूत से अभी भी खून की एक बूँद रिस रही थी जो मेरी पहली चुदाई का प्रमाण था

उनके चेहरे पर चिंता की लकीर आ गयी ये सोचकर की उनकी बेटी इस वक़्त इतनी पीड़ा में है, फिर भी वो उसे डांट रही है
मैं : “मोंम , आपको मेरी क्लास का वो लड़का याद है ना गौरव, जो एक बार शाम को घर भी आया था, बुक्स लेने, उसे मुझपर क्रश था, स्कूल में हमने कई बार मस्ती की थी, आई मीन किस्सिंग एन्ड ऑल पर मैने उसे उससे आगे नही बढ़ने दिया, क्योंकि मुझे अपनी लिमिट्स मालूम थी, फिर मेरी फ्रेंड निशा के बाय्फ्रेंड ने भी मुझपर ट्राइ किया पर उसे भी मैंने एक हद के बाद आगे नही बढ़ने दिया…और तो और मेरे स्कूल का चपरासी बिनोद भी मेरी लेने के चक्कर में था, पर उसे भी एक सीमा पर रोक कर रखा मैने….और पता है मोंम ये सब किसकलिए, क्योंकि मुझे आपकी चिंता था, आपकी इज़्ज़त की और इनफॅक्ट मुझे अपने आपको एक लीगल ऐज में आकर सिर्फ़ उसे सोंपना था जिसे मैं प्यार करती हूँ , जिसे मैं अपना शरीर पहली बार सोंपना चाहती हूँ , पर उसपर तो आपने कब्जा कर लिया तो भला ये कैसे होता….”
अब मेरी मोंम को अपराधबोध का एहसास हो रहा था की कैसे उन्होने अपने फायदे के लिए अपनी बेटी के अरमानो का गला घोंट दिया था
मैं : “पर उस दिन रात के समय जब आप और सुधीर सर सैक्स कर रहे थे तो आपने मुझे बीच मे शामिल कर लिया, मुझे लगा की आप अभी भी वो रिश्ता कायम रखना चाहती है जो आपके और मेरे बीच है, सुधीर सर ने भी उस रात मेरे नंगे शरीर को पूरी तरह से देखा, आपने भी कुछ नही कहा, तो मैने सोचा की जब मेरे बीच मे आने से कुछ बदल नही रहा है तो मैं भला क्यों अपने अरमानो को दबा कर रखू, इसलिए मोंम ….आज मैने…सुधीर सर को अपनी वर्जिनिटी सोम्प दी….और मोंम , इसमे सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा कसूर है, सुधीर सर की इसमे कोई ग़लती नही है, उन्हे तो डर था की ऐसा करके वो आपके साथ धोका कर रहे है पर मेरी ज़िद के आगे उन्होने भी घुटने टेक दिए और आज उन्हे ये करना ही पड़ा मेरे साथ…”
एक दो झूठ मैने अपने हिसाब से बीच मे फिट कर दिए ताकि उन्हें मेरी बात का पूरी तरह से विश्वास हो जाए
मैं सुधीर सर को भी बचा कर रखना चाहती थी ताकि मोंम उनसे शादी के लिए मना ना कर दे और उन्हे पूरी लाइफ उस बात का ताना ना मारती रहे
मेरी बातों का मोंम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था
ये उनके चेहरे के बदलते भाव बता रहे थे
मैने आगे बोलना शुरू किया
“मोंम , आप मेरा सब कुछ हो, आपं मुझे इस दुनिया में लेकर आए हो, पापा के चले जाने के बाद भी आपने हर मुसीबत का अकेले रहकर सामना किया, मुझे हर तरह का प्यार दिया, मैं मानती हूँ की आपकी नज़र में मैने बहुत ग़लत काम किया है पर मोंम आप एक बार खुद को मेरी जगह रखकर देखो, और बताओ की मैने जो भी किया वो गलत था ?? अगर हाँ तो मैं आज ही ये घर छोड़कर चली जाउंगी पर मॉम प्लीज़ आप सर के साथ ऐसा कुछ मत करना, मैं नही चाहती की मेरी वजह से आपकी जिंदगी में जो खुशी आने वाली है उससे आप वंचित रह जाए…”
बोलते-2 मेरी आँखो में आँसू आ गये
और ये बहुत था मोंम को पिघलाने के लिए
मुझे पता था की मोंम को एमोशनल करके ही इस मुसीबत से निकला जा सकता है
पर इसका मतलब ये नही था की मैं उनकी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाकर मज़े ले रही थी
आज जो भी मैने मोंम को कहा था उसमे 99% वो सच्चाई थी जो मैने आज तक उनसे शेयर नही की थी
ऐसा करके एक तरह से मैने अपने और उनके बीच की दीवार को गिरा दिया था ताकि आने वाले समय में हमारा रिश्ता और मजबूत हो जाए
रोते-2 मैं मोंम की गोद में चढ़ बैठी और कुछ देर बाद उन्हे ये एहसास हुआ की मैं पूरी नंगी थी इस वक़्त
ये विचार आते ही उनके चेहरे पर एक स्माइल आ गयी
मैं भी उन्हे हंसते देखकर मुस्कुरा दी
मोंम : “मेरी बच्ची , मुझे माफ़ करदे , मैने तुम्हारे बारे में इतना सोचा ही नही था , मैं सिर्फ़ अपने बारे में , अपनी शादी के बारे में सोच रही थी, मानती हूँ की जो भी तुमने किया वो ग़लत था पर मुझे ये बात समझनी चाहिए की तुम्हारे मन में क्या चल रहा था, अपने दिलो दिमाग़ से ये सब निकाल दे मेरी प्यारी लाडो, और घर से जाने की बात आज के बाद कभी ना करना”
इतना कहते हुए उन्होने मुझे चूम लिया
और वो भी सीधा मेरे होंठो पर
मेरी भी आँखे बंद होती चली गयी
मैं भूल गयी की इस वक़्त किस मुद्दे पर बात चल रही है
सैक्स से रिलेटेड कोई भी बात मुझे सब कुछ भुला देती है
ये भी वही पल था
भले ही मॉम ने प्यार से मेरे होंठो पर अपने होंठ रखे थे
पर मैने उन्हे अपने होंठो मे दबोच कर उसे एक सैक्सी सी स्मूच में बदल दिया
एक पल के लिए तो मॉम भी चोंक गयी पर फिर उन्होने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया और मेरे साथ उस रसीली किस का आनंद लेने लगी
मॉम का एक हाथ मेरे नंगे बूब्स पर लहरा रहा था, मेरे एरेक्ट हो चुके निप्पल को अपनी उंगलियो से कचोट रहा था
“आआआआआअहह माँ ………धीरे………..”
ये सिसकारी इतनी तेज थी की दूसरे कमरे में बैठे सुधीर सर के भी कान खड़े हो गये
और वो भी लगभग नंगे ही भागते हुए उस कमरे के बाहर पहुँच गये
और अंदर जो नज़ारा उन्होने देखा उसे देखकर उन्हे विश्वास ही नहीं हुआ की ऐसे हालात में भी ऐसा कुछ हो सकता है वहां
और साथ ही साथ वो ये भी सोच रहे थे की कैसी माँ बेटी है ये
ऐसे हालात में भी मज़े लेने की सूझ रही है इन्हे
पर सुधीर सर क्या सोच रहे है उससे मुझे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
मैं तो ये सोचकर ही खुश थी की मोंम ने सो सब भुला दिया है
और उनका इस तरह से मुझे प्यार करना इस बात का सबूत था की उन्होने मुझे माफ़ कर दिया है
मोंम ने झुक कर जब मेरे नन्हे से कड़क निप्पल को मुँह में भरकर चूसा तो मैंने नवजात शिशु की तरह खिलखिलते हुए उनके सिर को पकड़कर ज़ोर से अपनी छाती मे दबा दिया
“आआआआआआआआआआअहह…….. ओह मों…….योउ अरे सूऊओ गुड…….. सककककक मी मोंम ….सककककककक मी हाआआरड……..पी जाओ मुझे सारा का सारा……”
मॉम भी अब पूरी तरहा से मेरे इस खेल मे शामिल हो चुकी थी
उन्होंने अपने कपडे आनन फानन में निकाल फेंके
हालाँकि कुछ देर पहले तक हम दोनो के मन में ऐसा कुछ भी नही था पर हालात ऐसे बन चुके थे की दोनो की चुतों से भरभराकर गर्म गैस निकल रही थी जो शायद आज अपनी आँच से सब कुछ जला देने वाली थी
सर का तो लॅंड हम दोनो के इस क्रिया कलाप को देखकर ही खड़ा हो गया
पर उन्हे समझ नही आ रहा था की वो वहीं खड़े रहकर उसे हिलाते रहे या हमारे साथ आकर मज़े ले
शायद जो अपराध उन्होने किया था वही उन्हे अंदर जाने से रोक रहा था
क्योंकि शेफाली का गुस्सा वो जानते थे, वो खुद ही उन्हे माफ़ करे तभी सही रहेगा
खुद उसके सामने जाकर वो कोई बखेड़ा नही करना चाहते थे
वैसे भी वहां से खड़े होकर जो मज़ा और नज़ारा उन्हे देखने को मिल रहा था, महसूस हो रहा था वो भी उनके लिए काफ़ी था
अचानक मॉम की उंगलिया मेरी सूजी हुई चूत से आ टकराई
मैं इतनी देर से मज़े में सिसक रही थी उनका हाथ लगते ही मैं कसमसा कर रह गयी
माँ ने मेरा दर्द समझा और मुझे बेड पर लिटा दिया
और खुद खिसककर मेरी टांगो के बीच पहुँच गयी
अब वो मेरी पाव रोटी जैसी फूली चूत को आराम से देख पा रही थी

फिर उन्होने पास पड़ी वॉटर बॉटल खोलकर उसका कुछ पानी अपने एक हेंकी में उड़ेला
वो हमेशा गर्म पानी पीती है इसलिए वो पानी भी गर्म था
फिर उस गर्म पानी से भीगे हेंकी से उन्होने मेरी चूत को आराम से सॉफ किया
गर्म कपड़े का सेंक मुझे आराम प्रदान कर रहा था
एक माँ ही जानती है की बेटी के दर्द को कैसे कम किया जाए
उसे अच्छे से सॉफ करने के बाद उन्होने उसपर अपनी गर्म जीभ रख दी
जैसे कोई दवाई हो
और उस जीभ ने दवाई का काम किया भी
मुझे एक दूसरी ही दुनिया में भेज दिया उनकी इस हरकत ने
वो अपनी जीभ के ज़रिए मुझपर अपना सारा प्यार लूटा देना चाहती थी
उस दर्द को चूस कर पी लेना चाहती थी जो मुझे पहली चुदाई से हुआ था
धीरे-2 उन्होने उस जीभ से मेरी परतों को कुरेदना शुरू किया और फिर उसमें उसे डाल कर मेरी अंदर और बाहर की अच्छे से मसाज करने लगी
मेरे पास तो शब्द ही नही थे उस फीलिंग को बयान करने के लिए
जो भी थे वो टूटे फुट मेरे मुँह से निकल रहे थे
“उम्म्म्मममममममममम……उगगगगगगगगगघह अहह….ईईईईईहह सस्स्स्स्स्सस्स…… नाआआआआआ…. म्म्म्ममममममममम……ये……और…….अहह…..अंदर……………………………सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……. अहह….डाआाआआआआलो……माआआआआआआआआआअ…….”
अब उन्हे किसी और इन्विटेशन की ज़रूरत नही थी
मेरी चूत के दोनो पाट खोलकर उन्होने अपनी जीभ पूरी अंदर डाल दी
मेरी चूत की चिकनाहटी और अंदर की बनावट वो सॉफ देख पा रही थी और उसे देखकर वो आश्चर्यचकित भी हो रही थी
ऐसा नही था की उन्होने ये नज़ारा आज पहली बार देखा था
पहले भी कई बार मेरी चूत चूस्टे हुए उन्होने उसे देखा था पर पहले और अब में काफ़ी फ़र्क आ चुका था
सर ने अपना मूसल डालकर उसके द्वार को चौड़ा कर दिया था
इसलिए जो अंदरूनी नज़ारे पहले नही दिखाई देते थे उन्हे वो अब दिखाई दे रहे थे
अंदर की गुलाबी और उबड़ खाबड़ ज़मीन और चिकनी दीवारों की सुंदरता देखकर वो मंत्रमुग्ध थी
चूत के अंदर की बनावट की भी अपनी एक खूबसूरती होती है
जिसे उसे प्यार करने वाला ही देख और समझ सकता है

और आज तो मोंम को मेरी क्लिट भी सॉफ दिख रही थी जो पहले कसी हुई दीवारों में दिखाई भी नहीं देती थी
आज वो खुल कर साँस लेती हुई और गीला पानी छोड़ती हुई दिख रही थी
मॉम ने अपनी जीभ की टिप से उसे छू लिया और उसमे से निकलता हुआ रस सीधा निचोड़ कर पी गयी
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