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Incest जवानी के अंगारे ( Completed)

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आप तो मुर्दों मे भी जान फुंक दो , कोई संदेह नही कि आप इरोटिका के बेताज बादशाह हो ।

आप की लेखनी ऐसा प्रतीत होता है कि रीडर्स डायरेक्ट पर्दे पर चलचित्र देख रहे हों । इस अपडेट मे वैसे तो शैफाली और सुधीर सर के दरम्यान हुए सेक्स का विवरण था पर अनु की मौजूदगी ने इसे थ्रीसम का जायका दिला दिया।
शायद इस फेमिली के बीच छुपा - छुपप्वल का खेल अब कुछ समय के लिए ही बचा है ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट अशोक भाई। और हाॅट भी।
 

Ashokafun30

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आप तो मुर्दों मे भी जान फुंक दो , कोई संदेह नही कि आप इरोटिका के बेताज बादशाह हो ।

आप की लेखनी ऐसा प्रतीत होता है कि रीडर्स डायरेक्ट पर्दे पर चलचित्र देख रहे हों । इस अपडेट मे वैसे तो शैफाली और सुधीर सर के दरम्यान हुए सेक्स का विवरण था पर अनु की मौजूदगी ने इसे थ्रीसम का जायका दिला दिया।
शायद इस फेमिली के बीच छुपा - छुपप्वल का खेल अब कुछ समय के लिए ही बचा है ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट अशोक भाई। और हाॅट भी।
Thanks
aap jaise kadrdaano ko jaisi kahani pasand hai, mai to wahi likhne ki koshish karta hu
agey bhi aise hi likhta rahunga
keep reading
have fun
 

Ashokafun30

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बेचारी अपने झड़ने के बाद सही से साँस भी नही ले पाई थी की मेरी चूत से निकले रस ने उनके चेहरे को पूरी तरह से भिगो दिया
जो रस की बूंदे वो अपनी जीभ से खोद खोदकर इतनी देर से निकाल रही थी
वो किसी तूफ़ानी बारिश की तरह उनके चेहरे पर थपेड़े मार रही थी
जिस कस्टर्ड डूबकर मैं अपना जिस्म चटवाने की बात सोच रही थी, उसी कस्टर्ड में इस वक़्त मॉम का चेहरा डूबा पड़ा था
इतनी संतुष्टि तो मुझे आज तक नही हुई थी
ऐसा ऑर्गॅज़म रोज मिले तो मेरा जिस्म 4 रातों में ही पनप कर पूरा जवान हो जाए
उसके बाद कब मैं ऐसे ही उनसे लिपटे हुए सो गयी, मुझे भी पता नही चला
आज जो हुआ था उससे एक बात तो सॉफ थी, हमारे बीच की दूरियां काफ़ी हद तक कम हो चुकी थी

*****************

अगले दिन जब मैं उठी तो मॉम और सुधीर सर को एक दूसरे से चिपककर लेटे देखा
मॉम बीच में थी वरना सर रात को मुझसे ही लिपट जाते शायद

नींद में होने के बावजूद भी सुधीर सर का लॅंड काफ़ी लंबा दिख रहा था
या शायद वो मॉर्निंग इरेक्शन था जो एक औरत के गर्म शरीर के इतने करीब होने की वजह से आ ही जाता है

खैर, मुझे स्कूल जाना था इसलिए मैं उठी और नंगी ही चलती हुई अपने रूम तक आई और नहाने घुस गयी
रात की बाते याद कर-करके मेरी चूत अभी तक पनिया रही थी, मैने 2 उंगलिया डालकर मास्टरबेट करने की कोशिश की
पर फिर कुछ सोचकर वो विचार त्याग दिया
शायद कुछ और आ चुका था मेरे माइंड में अब




करीब आधे घंटे बाद जब मैं तैयार होकर रूम से निकली तो माँ जाग चुकी थी
उन्होने एक फ्रंट ओपन गाउन पहन लिया था, उन्हे पता था की मुझे स्कूल जाना है, इसलिए मेरा टिफ़िन तैयार कर दिया था उन्होने

मैं उनके करीब गयी तो हम दोनो एक मुस्कान के साथ एक दूसरे के गले मिल गये
शायद रात वाली बात को नॉर्मल करने का यही एक सही तरीका था

उनके गाउन का फ्रन्ट वाला हिस्सा खुला था , मैने हाथ अंदर डालकर उनकी कमर पकड़कर उन्हे गले लगाया था, एक ही पल में उनकी साँसे तेज हो गयी

कोई और दिन होता तो यही शुरू हो जाना था हम दोनो ने

पर आज सुधीर सर घर पर थे, इसलिए मैने उनके नशीले जिस्म को सिर्फ़ सहला कर छोड़ दिया और उनके गाउन की डोरियां आपस में बाँध दी और बोली

“ये सुधीर सर खोलेंगे अभी कुछ देर में …एंजाय….क्योंकि मुझे नही लगता की आज वो स्कूल जा पाएँगे…हे हे”

सही भी था
मॉम जैसी गर्म औरत को छोड़कर कोई पागल ही ऑफीस जाएगा अपने
उन्होंने भी सिर हिला कर हामी भर दी.




मेरा जाना ज़रूरी था, फाइनल एग्ज़ाम्स आ रहे थे
उसके बाद तो सीधा कॉलेज..
बस यही सोचती हुई मैं स्कूल पहुँच गयी

पर वहां पहुँचकर पता चला की आज निशा भी नही आई थी
कल की चुदाई शायद भारी पड़ गयी थी उसको

खैर, मैने तो अपनी प्रॉजेक्ट फाइल सब्मिट करवाई और सारी क्लास भी अटेंड की
एक बात तो थी, सुधीर सर के संपर्क में आने के बाद मेरा ध्यान पढ़ाई पर उतना नही रह गया था जितना पहले रहता था
आज भी अगर वो स्कूल आए होते तो मैं उनके पीरियड का ही इंतजार करते हुए अपना समय बिताती
पर आज वो नही थे तो सारा ध्यान मेरा पड़ाई पर ही था
सच में यार, ये प्यार-व्यार का चक्कर पढ़ाई की माँ - बहन एक कर देता है

हाफ टाइम में जब मैं टिफ़िन ख़त्म करके हेंड वॉश करने गयी तो बिनोद को बाथरूम के बाहर खड़े देखा
एक दूसरे को देखकर हम दोनो मुस्कुरा दिए…

वापिस जाने से पहले मैं उसके करीब से निकली तो वो धीरे से बोला : “मेडम जी, आज वो निशा मेडम नही आई ?….”
मैं : “हाँ, तो इसका क्या मतलब है, वो रोज करेगी तेरे साथ वो काम “

मेरे जवाब से उसका चेहरा एकदम से उतर गया तो मेरी हँसी निकल गयी
वो भी समझ गया की मैं मज़े लेने के मूड में हूँ
वो किसी कुत्ते की तरह उछलता हुआ मेरे पीछे-2 चलने लगा

बिनोद : “वो मेडम जी…मैं क्या कह रहा था की…आज वो निशा मेडम भी नही आई है और आपके सुधीर सर भी….तो….तो”

इसकी माँ की…
यानी मेरा शक सही था
वो मेरे और सुधीर सर के बारे में जानता था

इतना तो मुझे पता था की उसने अभी तक हमे किसी आपत्तिजनक अवस्था में नही देखा है
पर हम दोनो का इतनी देर तक एक दूसरे के साथ रहना, किसी भी अक्लमंद इंसान के दिमाग़ की घंटी बजा सकता है
वो तो खुद ही इतना बड़ा ठरकी था, उसके लिए तो ये अनुमान लगाना काफ़ी आसान था

मैने पलटकर उसे घूरा पर कुछ बोली नही
और फिर से अपनी क्लास की तरफ चल दी
वो फिर भी मेरे पीछे-2 चलता रहा
और बोला : “तो मैं कह रहा था की आज अगर आप चाहो तो ….कुछ देर के लिए उसी जगह पर आ जाना…”

मेरा दिल धाड़-2 कर रहा था
साला कितना बड़ा कमीना था वो
निशा नही आई तो मुझे ऑफर कर रहा था वो
मैं फिर से अपनी जगह पर ठिठक कर रुक गयी
पर इस बार कुछ बोली नही और फिर लगभग भागती हुई सी अपनी क्लास की तरफ चल दी
अगले पीरियड में मेडम ने क्या पढ़ाया क्या नही, मुझे कुछ पता नही चला

एक बार फिर से जवानी के कीड़े ने मुझे काटकर मेरा ध्यान भटका दिया था
मेरी चूत बहे जा रही थी , रुकने का नाम भी नही ले रही थी
ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई एक्सट्रा मेरिटल अफेयर करने जा रही हूँ
ठीक वैसा ही डर और रोमांच फील हो रहा था मुझे
हालाँकि ना तो मेरी शादी सर से हुई थी और ना ही मुझे ऐसा कोई अनुभव था
पर ऐसा होता तो शायद यही फीलिंग आती

अभी के लिए तो मैने अपना रुमाल निकालकर अपनी जाँघो के बीच घुसा दिया ताकि मेरी स्कर्ट ज़्यादा गंदी ना हो जाए मेरे रस से
मैं बस अपने आप को उसी जगह लेटे देख पा रही थी जहाँ कल निशा थी, अपनी आँखो पर पट्टी बाँधे वो बिनोद का मोटा और काला भूसंंड लॅंड अंदर ले रही थी

पर मैं उससे चुदाई तो नही करवा सकती थी
फिलहाल अभी के लिए तो बिल्कुल भी नही
जब तक मेरी चूत का महूर्त सुधीर सर ना कर दे

पर तब तक के लिए कुछ और मज़े तो लिए ही जा सकते है ना
जैसे कल लिए थे मैने
इसलिए उन पलों को सोचकर मैं गीली हुए जा रही थी

स्कूल ख़त्म होने के बाद मेरे कदम अपने आप वॉशरूम की तरफ मुड़ गये
वहां टाय्लेट में कुछ देर तक बैठी रही और अपनी चूत को स्कर्ट और पेंटी उतार कर अच्छे से सॉफ किया

और फिर जब बाहर की सारी हलचल समाप्त हो गयी तो मैं बाहर निकली, स्कूल में अब कोई नही दिख रहा था
मैं बिल्डिंग के पिछले हिस्से की तरफ चल दी जहाँ वो जगह थी
शायद इसी वजह से मैंने आज सुबह नहाते वक़्त मास्टरबेट नहीं किया था

बिनोद अभी तक नही आया था
पर मैं देख चुकी थी उसको सारे क्लासरूम्स के दरवाजे बंद करते हुए
वो सब करके वो वहीँ आने वाला था
शायद मुझसे ज़्यादा जल्दी होगी उसे अपना काम ख़त्म करके मेरे पास आने की

मैं उसी चबूतरे पर जाकर बैठ गयी और बिनोद का इंतजार करने लगी….
और ना चाहते हुए भी मेरी उंगलिया रह-रहकर अपनी चूत को सहला रही थी
ना जाने कैसा नशा होता है सैक्स में की उसके बारे में सोचकर ही जिस्म में से अजीब सी तरंगे उठने लगती है जो दिल और दिमाग़ को भी एक सकून देती हैं..

“मैं आ गया मेडम जी”

एकदम से बिनोद की आवाज़ ने मुझे चौंका दिया
मेरे दिल की रेलगाड़ी फिर से चल पड़ी धाड़ धाड़ करके..

मैं कुछ ना बोली तो वो मेरे करीब आकर बैठ गया और सीधा मेरे कंधे पर हाथ रख दिया
मैं एकदम से पलटी और बोली : “देखो बिनोद, मैं ऐसा कुछ नही करूँगी, जैसा कल निशा ने किया था…”

एक पल के लिए तो वो भी सहम सा गया मेरा रवैय्या देखकर…
पर फिर कुछ सोचकर वो बोला

“ठीक है मेडम जी….…वैसा ही करेंगे जैसा आप कहो…”

साला एक नंबर का हरामी था, ये जान चुका था की मैं यहां आ गयी हूँ तो कुछ तो करूँगी ही…भले ही चुदाई ना सही पर इस ठरकी को मुझ जैसी कच्ची कली का हाथ भी चूमने को मिल जाए तो इसके लिए बहुत होगा…

पर हाथ से आज काम नही चलने वाला था उसका, वो बहुत आगे की सोचकर आया था आज….
और मैं भी.

उसके हाथ तोड़ा उपर आए और होले से उसने मेरे नन्हे बूब्स को पकड़ कर सहला दिया
जैसे देखना चाहता हो की मैं कैसा रिएक्शन देती हूँ

मैं कुछ ना बोली
क्योंकि उसके हाथ ने सीधा मेरे सुलगते हुए जवानी के अंगारों पर हाथ डाल दिया था

मन तो कर रहा था की उछल कर उसकी गोद में बैठ जाऊँ पर अपने अंदर की आग दिखाकर मैं उसे खुली छूट नही देना चाहती थी
वैसे भी एक औरत को अपने पार्ट्नर को दबा कर ही रखना चाहिए, उसमे जो मज़ा दोनो को मिलता है उसका कोई मुकाबला ही नही है

मुझे कुछ ना बोलता देखकर बिनोद की हिम्मत बढ़ गयी और वो थोड़ा आगे खिसका और उसने सीधा अपने होंठ मेरी गर्दन पर रखकर मुझे वहां से चूसना शुरू कर दिया

मुझे उम्मीद नही थी की वो ये किस्स वगेरह पर भी ध्यान देगा
वैसे हल्की दाढ़ी मूँछे थी उसकी, चुभने वाली नही थी, सिर्फ़ बीड़ी पीता था और मुझे उसकी महक बहुत पसंद थी
इसलिए मुझे कोई परेशानी नही हुई उसके चूमने से

शायद वो मेरे लिप्स पर भी चूमता तो मैं मना नही करती
पर अभी तो वो मेरे बूब्स मसलता हुआ मेरी गर्दन को चूम रहा था
किसी ड्रेकूला की तरह

मेरे हाथ भी उसके सिर के पीछे आ लगे
और उसे अपनी तरफ खींचकर मैं उसे उकसाने लगी
उसके करामाती हाथों ने कब मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और कब उसे उतार कर मेरे कंधे से सरका दिया मुझे भी पता नही चला

पता तो तब चला मुझे जब उसके गीले होंठ तोड़ा नीचे होकर सीधा मेरे बूब्स पर आ लगे और मेरे कड़क निप्पल को मुँह मे लेकर चुभलाने लगा




इस जगह की एक ख़ासियत ये थी की काफ़ी छुपी हुई सी थी ये
कोई दूर से देखता भी तो पता नही चल सकता था की पेड़ के पीछे क्या चल रहा है
उपर से स्कूल वीरान हो चुका था
ऐसे में खुलकर सिसकारी मारकर अपने अंदर की रंडी को बाहर निकालने का इससे अच्छा मौका नही मिलने वाला था

इसलिए मैं ज़ोर से चिल्ला उठी

“आआआआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स म्म्म्मकमममममममममममम…….. सककककककककककक मिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हाआआाअर्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड बिनोद……………………”

इस वक़्त तो बिनोद अपने आप को किसी हीरो से कम नही समझ रहा था
जो एक पियून होने के बावजूद कॉनवेंट में पड़ने वाली जवान लड़की के साथ मज़े ले रहा था
ऐसा करने को मिले तो आज के नौजवान एमबीए / इंजिनियरिंग छोड़कर पियून बन जाए बस..

कुछ देर तक दोनो बूब्स को उसने अच्छे से चूसा चुभलाया
वो तो पागल सा हुए जेया रहा था उन्हे नंगा देखकर, चूस्कर
जैसे पता नही क्या चीज़ देख ली हो उसने




वो उन गोरे-2 गुलगुलों को देखकर अपना आपा खो चुका था
अपने मुँह का सारा गीलापन उसने मेरी छाती पर माल दिया था
जैसे होली खेलने आया हो मुझसे अपनी लार से

मैं तो अब खुलकर मज़े ले रही थी
क्योंकि इस वक़्त मेरी बंद आँखो के पीछे रात वाली पिक्चर चल रही थी
जहाँ सर वो सारे मज़े ले रहे थे मॉम के साथ
और मॉम अपने मज़े ले रही थी मेरे साथ

और ये सोच मेरी थी इसलिए इसके रूल्स भी मेरे हिसाब से ही थे
मैने अपनी सोच में से मॉम को बीच से हटा ही दिया
और अब सिर्फ़ मैं और सुधीर सर थे उस बेड में
और वास्तविकता में यहाँ बिनोद अब सुधीर सर का किरदार निभा रहा था
और ऐसा सोचते ही मैने अपनी बाहें बिनोद की गर्दन में डाली और उसके होंठो पर अपने कोमल होंठ रख दिए और उसे स्मूच करने लगी
 
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Ashokafun30

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उसके बीड़ी की महक वाले मुँह की महक पहले से ही मुझे मदहोश कर रही थी उपर से सुधीर सर की सोच ने मुझे एक अजीब से नशे में डुबो दिया



वो तो पहले से ही पागल हुए जा रहा था मेरे बूब्स को चूसने से
और जब मुझ जैसी कमसिन, कच्ची कली, स्कूल की लड़की के नर्म होंठ चूसने को मिल जाए तो कौन पागल नही होगा
बावरा होगा बावरा
और वो हो रहा था

पर इस नशे में मुझे थोड़ा होश में भी रहना था
क्योंकि मुझे सिर्फ़ उपर वाले मज़े लेने थे

पहला लॅंड तो सुधीर सर का ही जाएगा
ये बात अच्छे से सोच रखी थी मैने

पर चूत में ना सही, मुँह में तो ले ही सकती हूँ इसके लॅंड को
ये सोचकर मेरा हाथ सीधा बिनोद के लॅंड पर जा लगा
और मेरी आशा के अनुरूप वो कड़क होकर लोहे का हुआ पड़ा था
उसकी करामात और लंबाई चौड़ाई तो मैं पहले ही देख चुकी थी

निशा तो पहले से चुदाई करवा चुकी थी, पर फिर भी उसे पहली बार इसे लेने में काफ़ी मुश्किल आई थी
मुझे तो ये ककड़ी की तरह फाड़ डालेगा
उफफफफ्फ़
ये लॅंड चूत की बातें कितनी सैक्सी लगती है
सोचकर ही गीली हो जाती है
और इस वक़्त तो मैने उसे पकड़ रखा था

बिनोद ने भी जल्दी से अपनी पेंट नीचे कर दी क्योंकि वो जानता था की मेरे मन क्या चल रहा है
आज वो अपनी झांटे भी सॉफ करके आया था
और लॅंड वाला हिस्सा भी काफ़ी महक रहा था उसका
शायद कल के बाद उसे पता चल गया था की आज भी कुछ ख़ास होकर रहेगा
और इन कॉनवेंट वाली लड़कियों के सामने इस तरह से सॉफ सुथरे ढंग से जाने में ही भलाई है
तभी उन्हे मज़ा आएगा और वो उसे मज़ा देगी

उसका लॅंड चूस्कर
और टटटे चाटकर

और मैं भी अब यही करने वाली थी
मैं उसकी टांगो के बीच बैठ गयी और वो उस चबूतरे पर बैठ गया
किसी महाराजा की तरह
और मेरे सामने था उसका विशालकाय लॅंड
जो किसी नाग की तरह लपलपा रहा था
मैने भी देर नही की और उसके काले लॅंड के फन पर अपनी जीभ रख दी
वो चबूतरे पर अपनी गांड उठा कर सीसीया उठा

सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… अहह…….क्या करके मनोगी मेडम जी, आज तक ऐसी लॅंड चुसाई किसी में ना करी है बिनोद की, कसम से…..”




एक पल के लिए तो मेरा मन हुआ की उसका लॅंड झटक दूँ और बोलू
‘बिनोद नही, सुधीर बोल अपने आप को’

पर ऐसा ना कर पाई
उसके लॅंड से निकल रही महक मुझे मदहोश किए जा रही थी
एक नशा सा था
गाड़ा नशा
और इस नशे को मैं पीना चाहती थी अच्छी तरह से
निचोड़-2 कर

इसलिए मैने अपने मुँह की गति और तेज करते हुए उसे चूसना शुरू कर दिया
कभी लॅंड चूसती तो कभी बॉल्स
उसके काले और मोटे गोटे किसी भरे हुए काले गुलाबजामुन जैसे लग रहे थे

और मैं उनका मज़ा जी भरकर ले रही थी
और हम ये कर ही रहे थे की अचानक दूर से किसी की आवाज़ आई

“बिनोद…..ओ रे बिनोद, कहाँ मर गया बे”

ये मंसूर था, हमारे स्कूल का चोकीदार
जो स्कूल बंद होने के बाद बिनोद को ढूँढ रहा था

मैं झट से पेड़ के पीछे जाकर चुप गयी
उपर से टॉपलेस थी मैं , अगर वो सीधा वहां आ गया होता तो दोनो को खुश करना पड़ता

बिनोद ने भी जल्दी-2 अपने कपड़े पहने और अपना हुलिया ठीक करते हुए बाहर निकल आया
और जाने से पहले बोला : “मैडम जी, आप फ़िक्र ना करो, इस हरामी को मैं सेट करके आता हूँ बस…”

मेरा तो मूड ही खराब हो गया एकदम से
कितना मज़ा दे रहा था ये बिनोद
सच में
सुधीर सर के बाद आज ये दूसरा बंदा था जिसने इतना मज़ा दिया था मुझे
और अब बीच में ये मुआ मंसूर टपक पड़ा

मन तो कर रहा था की वहां से चली जाऊं पर मैं भी अपनी चूत के हाथों मजबूर थी

दूसरी तरफ बिनोद जब भागता हुआ सा मंसूर के पास पहुँचा तो वो आँखे तरेर कर उसे उपर से नीचे देख रहा था
मंसूर : “कहाँ था बे….और ये क्या हुलिया बना रखा है “

एक पल के लिए तो बिनोद भी घबरा गया की इसे शक तो नही हो गया
पर हुलिया तो उसका बिगड़ा ही हुआ था
अनु ने उसके सर के बाल पकड़ कर उसे अच्छे से स्मूच किया था
बाल बिखरे पड़े थे
खाकी शर्ट अस्त व्यस्त हुई पड़ी थी और सबसे बड़ी बात उसकी पेंट की जीप खुली पड़ी थी

मंसूर भी कम हरामी नही था
वो भी उसकी उम्र का ही था पर देखने मे ज़्यादा उम्र का लगता था, क्योंकि मटन खा खाकर उसका शरीर काफ़ी भर गया था, लंबा चौड़ा तो वो था ही, इसलिए उसे चोकीदार की जॉब मिली थी इस स्कूल में
और हर मर्द की तरह वो भी बिनोद की तरह ठरकी था

और अंदर से उसने भाँप लिया था की कुछ ना कुछ तो है जो वो छुपा रहा है
कल भी वो इसी टाइम गायब था और आज भी, इसलिए वो उसका पीछा करते हुए यहाँ आ गया था

बिनोद को हड़बड़ाता हुआ देखकर उसने अंधेरे में में तीर मारा
वो बोला : “देख….मुझसे छुपाने का कोई फायदा नही है….मैने देख लिया है तुझे और उसको…कल भी देखा था और आज भी.”

ये सुनते ही बिनोद की फट्ट कर हाथ में आ गयी

वो लगभग गिड़गिड़ा उठा
“देख भाई….किसी को बोलना मत यार…..मेरी जॉब भी जाएगी और उस बच्ची का भी मज़ाक बनेगा पूरे स्कूल में …”
मंसूर : “बच्ची ….यानी….स्कूल की लड़की ??? “
उसकी तो आँखे ही गोल हो गयी

उसे इस तरह से चौंकता हुआ देखकर बिनोद ने पलटकर उससे पूछा : “हाँ …..यानी….इसका मतलब….तुझे नही पता की कौन है वहां मेरे साथ…”

उसने अपनी बेवकूफी का परिचय देते हुए उस चबूतरे की तरफ इशारा किया, जिसके पीछे अनु छुपकर बैठी थी.

मंसूर अपनी कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए बोला : “पता नही है तो अब चल जाएगा…चल ज़रा मेरे साथ वहां …मैं भी तो देखूँ कौन सी ‘बच्ची’ को बाप का प्यार दे रहा है तूँ ”

मंसूर की तो लाटरी निकल आयी थी , अभी तक उसे लग रहा था की स्कूल में काम करने वाली मेड होगी वहां, उसे क्या पता था की यहाँ वो स्कूल की छोरी के साथ मजे ले रहा है , मन तो उसका भी हमेशा करता करता था उन कच्ची कलियों को देखकर उनसे मजा लेने का पर आज तक कभी हिम्मत नहीं हुई थी , इस बिनोद ने पता नहीं कौनसा जादू लड़की पर की वो उसके साथ आने के लिए तैयार हो गयी.

उधर बिनोद ने अपना सिर पीट लिया की कैसे वो उसके जाल में फँस गया है

अच्छा भला अनु के नमकीन जिस्म के मज़े ले रहा था, इसने बीच में आकर सब खराब कर दिया

बिनोद :देखो मंसूर भाई, समझो ज़रा, आज ही बड़ी मुश्किल से हाथ आई है वो मेरे…और मुझे पता है की एक बार वो मेरे नीचे आ गयी तो कहीं नही जाएगी, अभी मामला कच्चा है, तुम्हे देखेगी तो सब गड़बड़ हो जाएगा, तुम मेरा साथ दो तो मेरा वादा है की मैं तुम्हे भी मज़े दिलवा कर रहूँगा…”

वो जितना सीरीयस होकर बोल रहा था मंसूर को उसमें सच्चाई दिखी और अपने लिए एक मौका भी
वो बोला : “चल ठीक है, तू जाकर मज़े ले उसके साथ पर मेरी एक शर्त है, आज के लिए मैं भी तुम्हे छुपकर देखूँगा”

बिनोद की तो कुछ समझ नही आया की क्या बोले, वो पहले से ही फँसा हुआ था, इसलिए उसने ज़्यादा बहस करनी उचित नही समझी, उसे ये भी डर था की ज्यादा बिताया तो अनु कहीं भाग ही न जाए

इसलिए वो बोला : “ठीक है…पर ध्यान से,, उसे पता ना चले”
इतना कहकर वो वापिस अनु की तरफ चल दिया और मंसूर वापिस मैन गेट की तरफ
ताकि घूमकर वो पीछे से छुपकर वहां पहुँच सके और उनकी रंगरेलियां देख सके.
 
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