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Incest जवानी के अंगारे ( Completed)

Ashokafun30

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कोई इस वक़्त मेरा जिस्म छू भी लेता तो खुद भी सुलग कर रह जाता, इतनी गर्म हुई पड़ी थी मैं
पहले भी मैने उनका ये खेल देखा था छुप कर
पर कमरे के बाहर से देखने में और एकदम करीब से देखने में ज़मीन आसमान का अंतर था
उस वक़्त तो मैं अपने बूब्स और चूत को हाथ भी लगा सकती थी, उन्हे दबाकर हल्की सिसकारियाँ भी मार सकती थी
पर इस वक़्त तो मेरा हिलना डुलना भी बंद था
काश ये कमरे में रहने वाला प्लान ना ही बनाती मैं
पर अब बना ही लिया है तो जिस बात को सोचकर बनाया था उसका इंतजार करना तो बनता ही है

****************************************

मॉम अपनी छूट चुस्वते हुए मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेर रही थी
पता नही क्यों पर ऐसा करने मे उस वक़्त उन्हे बहुत मज़ा आ रहा था

हद तो तब हो गयी जब सर ने अपने होंठो के बीच उनकी क्लिट को दबोच लिया




उत्तेजना में आकर मॉम की 3 उंगलिया एक साथ मेरे होंठो को रगड़ते हुए मेरे मुँह में दाखिल हो गयी

मेरा मुँह तो पहले से ही लार से भरा पड़ा था, उनका हाथ अंदर गया तो उन्हे ऐसा एहसास हुआ जैसे वो उंगलिया मेरे मुँह मे नही बल्कि शहद से भरी शीशी में गयी हो

एक पल के लिए तो वो भी मेरा गीलापन महसूस करके चोंक गयी पर कुछ देर तक मेरे चेहरे को देखते रहने के बाद वो निश्चंत हो गयी की मैं गहरी नींद में हूँ.

वो एक बार फिर अपने मजे की दुनिया मे डूब गयी

मेरा तो और भी बुरा हाल हो रहा था अब
नकी नरम उंगलियाँ मेरे मुँह में थी
उनमे से अभी तक सुधीर सर के लॅंड की खुश्बू आ रही थी
इन्ही उंगलियों के बीच दबाकर उन्होने सर के लॅंड को चूसा और चाटा था
अब वो रसीली उंगलियाँ मेरी लार के साथ मिलकर एक अलग ही चाशनी का निर्माण कर रही थी

उनकी उंगलियों की शरारत ऐसी थी की मुझसे भी सब्र नही हुआ और मैं उन्हे चूसने लगी
जैसे एक छोटा बच्चा अपनी माँ का दूध पीता है ठीक वैसे ही

माँ ने एक बार फिर से चौंकते हुए मुझे देखा

सिर का ध्यान भी अब उनकी चूत से हटकर मेरी तरफ आ गया
वो भी उनका हाथ मेरे मुँह में देखकर हैरान थे

कुछ देर तक मॉम ने मुझे देखा और फिर सर को धीरे से इशारा करके अपना काम करते रहने को कहा
उन्हे अब यही लग रहा था की मैं नींद में उनका हाथ चूस रही हूँ , जैसा की कोई भी करता अगर वो नींद में होता तो

वो उनका अनुमान था
पर ऐसा करने में जो मज़ा मुझे मिला था उसको मैं शब्दों में बयान नही कर सकती
उनकी उंगलियों पर लगी वो मिठास जब मेरी लार के साथ मिलकर मेरी हलक से नीचे गयी तो ऐसा लगा जैसे कोई मीठा शरबत पी लिया हो मैने
पूरे शरीर में जो आग लगी हुई थी उसे इस ठंडक भरे शरबत ने आराम सा दिया एक ही पल में

पर ये जिस्म की आग ऐसी होती है की जितना भी बुझाया जाए ये भड़कती ही जाती है
मेरे साथ भी वही हो रहा था

ठंडक अंदर तो जा रही थी पर सर की लपलपाटी जीभ मॉम की चूत में जाते देखकर मेरे बदन में जो चींटियां रेंग रही थी वो मेरे बदन के जवानी के अंगारो को भड़का रहे थे

अब मॉम भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी
उन्होने सुधीर सर के बालो को पकड़ कर उपर खींचा और उनके चूत रस से भीगे होंठो को मुँह में लेकर चूसने लगी
सर का खड़ा हुआ लॅंड अब मॉम की चूत के उपर रगड़ खा रहा था

और उत्तेजना का आलम ये था की लॅंड को हाथ से पकड़ कर रास्ता दिखाने की ज़रूरत भी नही पड़ी
वो अपने आप मेरी माँ की सुरंगनुमा चूत में फिसलता चला गया




दोनो के होंठ ओsss के आकार में खुले रह गये
और फिर दोनो की सिर्फ जीभ ही बाहर निकली और बिना होंठो के सिर्फ़ जीभ से जीभ लड़ाने लगे दोनो
ऐसा मैंने जैपनीज़ पोर्न में देखा है अक्सर , जो मुझे पसंद भी है

सच में
इन बड़े लोगो के पास कितने तरीके होते है एक दूसरे को मज़े देने के लिए
और हम टीनेजर्स को कितना कुछ सीखने को मिलता है इनसे

अब लॅंड अंदर जा चुका था और सर ने मॉम को ठोकना शुरू कर दिया था
हां, इसे ठोंकना ही कहूँगी मैं , क्योंकि वो मॉम को लिटा कर अपना लॅंड पूरा अंदर बाहर कर रहे थे
हर धक्के के बाद एक जोरदार ढप्प की आवाज़ आती और उनकी चूत से कुछ छींटे उड़कर इधर-उधर उछल जाते




सर ने मॉम के हाथ पकड़ रखे थे , इसलिए उनके हाथ अब मेरे मुँह से निकल चुके थे

पर लॅंड से मिल रहे मज़े उस से ज़्यादा थे, इसलिए वो ज़्यादा खुश थी
और खुशी के मारे चिल्ला भी रही थी

“आआआआहह ओह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सुधीईईईईईर……आहह मजाआाआअ आआआआआआ गय्ाआआआआआ ऐसे ही चोदोऊऊऊओ मुझेsssssss ……. रंडी बना कर चोदो मुझे…………….अपनी रंडी बना कर चोदो …….ज़ोर से…..और ज़ोर से………”

उनकी सिसकारियाँ सुनकर मेरी चूत का पानी गांड तक को गीला कर रहा था

कुछ देर तक उसी पोज़िशन में चोदने के बाद सुधीर सर नीचे आ गये और मॉम उनके उपर
ये शायद मॉम की फ़ेवरेट पोज़िशन थी
उपर पहुँचकर जब उन्होने सर का लॅंड पूरा अंदर लिया तो घोड़े पर बैठी दुल्हन की तरह वो खुद ही हिनहीना उठी




हल्की रोशनी में उनका मादक जिस्म और मोटे मुम्मे अलग ही चमक पैदा कर रहे थे

ख़ासकर उनके निप्पल्स
जो मुझे भी पसंद थे
सर ने अपने हाथ उनपर अच्छे से रगड़े और फिर उनके निप्पल्स को अपनी उंगलियो के बीच रखकर उमेठा
मॉम तो पहले से ही हिनहीना रही थी
उनके इस प्रहार से वो तड़प सी उठी

“आआआआआआआआआहह………..माआआआअर ही डालोगे क्या……………उफफफफफफफफफफफफफ्फ़……..जंगली कहीं के….”

सुधीर : “अभी तुमने मेरा जंगलिपन देखा ही कहाँ है…”

इतना कहते हुए उन्होने उपर उठकर उनके दाँये मुममे को मुँह में रखकर दबोच लिया और जोरों से चूसने लगे
नीचे चूत में लॅंड , उपर मुममे पर सुधीर सर के दाँत
बेचारी मॉम की तो हालत ही खराब हो गयी उनका जंगलीपन देखकर




मैं भी लेटे-2 बुदबुदाई
“उम्म्म…..मुझे भी देखना है ये जंगलिपन सर…..प्लीज़….मुझे भी ऐसे ही चोदना …”

पर अपनी सिसकारियों और चीखों के बीच वो दोनो मेरी बात नही सुन सके..

मॉम भी अब अपने रंडीपन पर उतर आई थी

वो सर के बालों को पकड़ कर उन्हे अपनी छाती पर घिस रही थी
एक के बाद दूसरे मुममे का टेस्ट करवा रही थी उन्हे




वो हीसहिसायी : “बस यही है तुम्हारा जंगलिपन…..इतना ही दम है चोदने का…”

मॉम की इस बात ने सर के अंदर के मर्द को पूरी तरह से भड़का दिया
और उन्होने एकदम से उन्हे नीचे धकेलते हुए उन्हे घोड़ी बनाया और खुद उनके पीछे आ लगे और एक ही झटके में अपना फौलादी लॅंड फिर से उनकी चूत में डाल कर उन्हे बेड पर और आगे धकेल दिया




सुधीर सर के इस जंगली प्रहार से माँ के मुँह से एक दबी हुई सी आह निकल गयी

हर औरत चाहती है की मर्द उसके शरीर को बुरी तरह से बेड पर मसले, धकेले , चूसे , चाटे , खा जाए और ऐसा चोदे की उसके मुँह से सिसकारियों के सिवा कुछ निकल ही ना पाए
 
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Ashokafun30

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पर इस बीच कुछ ऐसा हुआ था जिसकी अपेक्षा हम तीनो में से किसी ने नही की थी
सर ने जब मॉम को बेड पर उल्टा करके पटका तो वो सीधा मेरी दोनो टांगो के बीच आ गिरी थी
मैं तो बुत की तरह पड़ी हुई उनका खेल देख रही थी

ज़्यादा रौशनी भी नहीं थी इसलिए सुधीर सर भी शायद नही देख पाए की वो मॉम को कहाँ पटक रहे है
वो तो सीधा अपना लॅंड उनके अंदर डालकर लग गये उन्हे चोदने

और जब एक मर्द के हाथ में औरत की गांड का स्टेयरिंग आता है तो अच्छे से अक्चा मर्द जंगली बन जाता है
और यहाँ तो सुधीर सर को मॉम ने जंगली बनने के लिए खुद ही उकसाया हुआ था

उन्होने उनके नर्म कूल्हे दोनो तरफ से पकड़े और पूरा ज़ोर लगाकर उनकी गांड पर धक्के मारकर उन्हे चोदने लगे




सच में झटके काफ़ी ताकतवर थे
हर झटके से पूरा पलंग हिल रहा था
और मॉम का शरीर भी आगे खिसक रहा था
हालाँकि उन्होने मेरी दोनो जाँघो पर अपने हाथ रखकर अपने आप को आगे जाने से रोका हुआ था
पर जंगलिपन ऐसा था की हर झटका 2 इंच आगे धकेल रहा था उन्हें
मेरी चूत की तरफ

और फिर अचानक मॉम को मेरी चूत में से एक चिरपरिचित सी सुगंध आई
और उनकी नज़रें जब सामने गयी तो वो हैरान रह गयी
मेरी नन्ही सी स्कर्ट कब की उपर चढ़ चुकी थी
और मैं अपनी चूत बिखेरे उनके सामने लेटी हुई थी
और चूत में से गाड़े पानी की धार निकल कर नीचे गिर रही थी
जैसे किसी ने पानी का नल पूरा बंद ना किया हो




ऐसा सोते हुए तो नही हो सकता
अब मॉम का माथा ठनका
अब वो समझ गयी की मैं जाग रही हूँ

यानी जब मुँह में हाथ डाला था तो वो गीलापन भी इसी वजह से था की मैं जाग रही थी
और ये गीलापन तो साबित करता है की मैं सच में जाग रही हूँ

मॉम ने सर उठा कर उपर देखा तो उनकी नज़रें मेरी नज़रों से मिल गयी
इस बार अपनी आँखे बंद नहीं की
एक पल के लिए जैसे समय ठहर सा गया
वो कुछ बोलने लगी , इससे पहले ही एक जोरदार झटका पीछे से लगा और मॉम के होंठ सीधा मेरी चूत पर आ लगे

सर के उस जानदार झटके ने मॉम का मुँह बंद करके रख दिया
और जो रस इतनी देर से बेवजह बहे जा रहा था उसपर मॉम के मुँह ने डार्ट लगाने का काम किया
अब वो रस मेरी माँ के मुँह में गिरने लगा

एक छपक की आवाज़ आई और मैं भी सिसकारी मारती हुई मॉम के सर को अपनी चूत पर दबाकर कराह उठी




अब ये वो पल था जब सब कुछ हो सकता था
मॉम चाहती तो सब यही ख़त्म हो जाता
और वो चाहती तो सब ऐसे ही चलता रहता

अब सैक्स का माहौल ही ऐसा होता है की उसमें सेक्स के अलावा कुछ और नज़र ही नही आता
कोई और मौका होता तो शायद वो मना कर देती
पर चूत में कड़क लॅंड और मुँह में रसीली चूत हो तो दिमाग़ सोचने समझने के लायक नही रहता

सर भी आँखे बंद किए, सिसकारियां लेते हुए मस्ती में चुदाई कर रहे थे
उन्हे भी मेरी सिसकारियां नही सुनाई दी

यहाँ तक की उन्हे ये भी पता नही था की मॉम का चेहरा इस वक़्त मेरी टांगो के बीचो बीच है और मॉम उसे चूस भी रही है

सुधीर सर तो अपना जंगलिपन साबित करने में लगे हुए थे
मॉम की नर्म गांड उनके हाथ में थी
जिसे वो मसलते हुए, उसका गुदाजपन महसूस करते हुए अपना लॅंड उनकी चूत में पेल रहे थे

मेरे मन में अजीब -2 से विचार आ रहे थे
काश उनका लॅंड इतना लंबा होता की उनकी चूत से होता हुआ, उनके मुँह से निकलता और मेरी चूत में दाखिल हो जाता
उफफफफफफफफफ्फ़….. कितना मज़ा आता
मैने तो अपने विचारों में सर को एलियन बना दिया था, हे हे

मैं भी अब मॉम के सर को अपनी चूत पर दबा कर उन्हे अपनी चूत चूसने के लिए उकसा रही थी
वो ये काम कर तो रही थी पर उन्हे शायद अंदर से वो डर भी था की कहीं सुधीर सर उन्हे ऐसा करते हुए ना देख ले
हालाँकि मॉम का शरीर बीच में था इसलिए सर अगर चाहते भी तो मॉम को मेरी चूत चाटते हुए ना देख पाते

पर मेरा चेहरा उनके सामने था
अगर वो उस नीली रोशनी में नज़रें गाड़ कर देखते तो मुझे सिसकारियां लेते हुए और अपनी खुली आँखो से मज़े लेते हुए सॉफ देख पाते

पर जैसा की मैने कहा, सर तो अपनी ही मस्ती में सांड बनकर मॉम को चोदने में लगे हुए थे

एक तो ये मर्द पता नही अपनी आँखे क्यों बंद कर लेते है चुदाई के वक़्त
जब इतना सेक्सी माहौल सामने हो, औरत का नंगा जिस्म सामने हो तो ऐसे में आँखे बंद करने का मतलब ही क्या है
बिनोद भी यही कर रहा था और अब सुधीर सर भी




और अचानक मेरे मन में पता नही क्या आया की मैने जो सिसकारियाँ इतनी देर से अपने मुँह में दबा रखी थी, उन्हे उन्मुक्त होकर अपने मुँह से निकलने दिया

मैने मॉम के सर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबाया और चिल्लाई

“आआआआआआआआआआअहह…….. उम्म्म्मममममममममममममम…….. मोऊऊऊम्म्म्मममममममम…….. ज़ोर से चूसूऊऊऊऊऊऊऊसोओ नाआआआआआआ…… अहह”

ये काफ़ी था सुधीर सर का ध्यान मेरी तरफ खींचने के लिए
वो चोदते -2 रुक गये

मॉम को तो इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नही थी
उन्होने अपने गीले होंठ मेरी चूत से हटाए और डरते-2 पीछे मुँह करके सुधीर सर को देखा

तब तक सुधीर सर की आँखे उस नीली रोशनी में सब कुछ सॉफ-2 देख पा रही थी
यहाँ तक की मॉम के होंठो पर लगा हुआ मेरी चूत का रस भी
और उनके चेहरे के सामने थाली की तरह सजी हुई मेरी चूत भी, जिसमें मुँह डालकर मॉम मेरा शहद पी रही थी अब तक

सर को तो पहले से ही पता था की मॉम और मेरे बीच क्या चल रहा है
और मेरे साथ जो वो करना चाहते है वो भी उन्हे पता था
बस मॉम ही थी जो अब तक इन सब बातों से अंजान थी
ऐसे में अगर सुधीर सर उन्हे छोड़कर मेरे उपर कूद पड़े तो मॉम को सब पता चल जाएगा की वो उनसे सिर्फ़ मेरी वजह से शादी कर रहे है

ऐसे में मॉम अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करेगी

पर सर मुझसे ज़्यादा होशियार निकले, जो बाते मेरे दिमाग़ मे चल रही थी वो उनके दिमाग़ में पहले से आ चुकी थी
और ऐसे में उन्होने अपने आप को संभाला और एक बार फिर से अपने धक्को की गति बड़ा दी

मॉम को तो लगा था की वो उन्हे और मुझे ऐसी हालत में देखकर चोंक जाएँगे, हड़बड़ाकर पीछे गिर पड़ेंगे
पर ऐसा कुछ नही हुआ, उनका बर्ताव ऐसा था की जैसे ये तो सामान्य सी बात है

मॉम कभी उन्हे और कभी मुझे देख रही थी

बेचारी को कुछ समझ मे नही आ रहा था की ऐसे रंगे हाथो पकड़े जाने के बाद भी सुधीर सर उन्हे कुछ क्यों नही बोल रहे है
इस से पहले की मॉम का दिमाग़ कहीं और चला जाता, मैने उनके चेहरे को पकड़ कर फिर से अपनी चूत में दबा दिया

“आआआआआआअहह मोंम …….सककककक मिईीईईईई….. प्लीईईईईईईईस…… ज़ोर से…सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स म्म्म्मईमममममम”

उन्हें चुप कराने का यही सही तरीका था की उनके सारे छेद बंद कर दिए जाए ताकि उनके दिल की बात अंदर ही दब कर रह जाए

मैने उनका मुँह चूत से बंद कर दिया और सर ने उनकी चूत अपने लॅंड से
बाकी उनकी गांड के छेद पर सर ने जब अपना अंगूठा लगाकर ज़ोर से दबाया तो वो किसी घोड़ी की तरह हिनहीना उठी और मेरी चूत के रनवे पर सरपट दौड़ती चली गयी
 
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Ashokafun30

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सर ने मॉम के उपर झुकते हुए धीरे से कहा : “इट्स ओके शेफाली, मैं समझता हूँ की तुम माँ बेटी के बीच ये होना एक नॉर्मल सी बात है, आख़िर इतने सालो तक तुम अकेली जो रही हो, और अपनी जवान हो रही बेटी को भी तो सैक्स के बारे में समझाना एक माँ का कर्त्तव्य होता है , ऐसे में ये सब होना तो मामूली है…”

मॉम को लग रहा था की उनका होने वाला पति इतना समझदार है की उसके और अपनी बेटी के बीच के संबंध को इतनी आसानी से समझ गया

वो कहते है ना, हमाम में सब नंगे होते है
और नंगेपन की शर्म जब निकल जाए तो मज़ा लेने का आनंद कुछ ख़ास ही होता है

सुधीर की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद और अपने शरीर को मिल रहे स्पेशल ट्रीटमेंट से मॉम अब किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँच गयी

जहाँ ये रिश्ते, ये दुनिया, ये मोह माया कोई मायने नही रखते थे
मायने रखती थी तो बस जिस्मों की आग और उसे बुझाने वाले
जो इस वक़्त यहाँ मोजूद थे
मेरे और सुधीर सर के रूप में

इसलिए मॉम इन पलों का मज़ा लेते हुए खुले दिल से मेरा और सुधीर सर का साथ देने लगी और अपनी कमर को जितना पीछे लेजाकर वो उनके लॅंड को अंदर लेती, उतना ही आगे आकर वो मेरी चूत में अपनी जीभ गाड़ देती


पूरे कमरे में सैक्स का ऐसा माहौल बन चूका था की अब मैने भी अपनी टी शर्ट को उतार फेंका और टॉपलेस हो गयी ताकि सुधीर सर मॉम की चूत मारते हुए मेरे नन्हे बूब्स को हिलते हुए देख सके

उनके मुँह से लार टपक कर मॉम की गांड पर गिर रही थी, वो उन्हे चाटना चाहते थे शायद
पर मैं अगर ऐसे में उठकर उनके करीब जाती तो गड़बड़ हो सकती थी

ये खेल सिर्फ़ तभी तक चल सकता था जब तक ये मॉम के नियमो के अनुसार खेला जा रहा था
वो चाहती तो सब बंद कर सकती थी

और अगर वो चाहे तो खुद मुझे लेजाकर सुधीर सर को सौंप दे
वो शायद आने वाले वक़्त में हो भी जाए पर आज तो नही हो सकता था

एक ही दिन में मॉम को इतने झटके देने सही नही थे
अभी के लिए जो झटके उनकी चूत को मिल रहे थे, वही बहुत थे
और जानदार भी थे वो

क्योंकि उन जानदार झटकों ने मॉम को अब ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचा दिया था
और 4-6 झटके और लगने के बाद ही वो झड़ने भी लगी

उनके होंठ मेरी चूत से थोड़ा उपर उठ गये
और वो चिल्ला पड़ी

“आआआआआआआआआअहह…………ओह सुधीईईईईईर……..मैं तो गयी………. मैं तो गयी……”

उनके झड़ने के बाद मैने उन्हे अपनी चूत के आगोश में समेट लिया
उनका चेहरा अपनी चूत के उपर दबाकर मैने अपनी टांगे उनकी पीठ पर लपेट दी
क्योंकि
अब झड़ने की बारी मेरी थी

बेचारी अपने झड़ने के बाद सही से साँस भी नही ले पाई थी की मेरी चूत से निकले रस ने उनके चेहरे को पूरी तरह से भिगो दिया
जो रस की बूंदे वो अपनी जीभ से खोद खोदकर इतनी देर से निकाल रही थी
वो किसी तूफ़ानी बारिश की तरह उनके चेहरे पर थपेड़े मार रही थी
जिस कस्टर्ड डूबकर मैं अपना जिस्म चटवाने की बात सोच रही थी, उसी कस्टर्ड में इस वक़्त मॉम का चेहरा डूबा पड़ा था

“ओह माआआआआआआआआआअ फकककककककककककककककककक……. मजाआाआआआआआआआअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआआ….. अहह”

इतनी संतुष्टि तो मुझे आज तक नही हुई थी
ऐसा ऑर्गॅज़म रोज मिले तो मेरा जिस्म 4 रातों में ही पनप कर पूरा जवान हो जाए

सर भी अब साइड होकर हमारा खेल देख पा रहे थे
और इतने सेक्सी नज़ारे को देखकर उनके लॅंड ने भी जवाब दे दिया
और वो घीssss घीससससस करते हुए मेरी माँ की चूत में झड़ने लगे




सब कुछ शांत हो चूका था
सर का लॅंड फिसलकर बाहर आ गया और वो बेड के साइड में लेटकर गहरी साँसे लेने लगे
मैने भी मॉम को उपर खींचकर अपनी बगल में लिटा लिया और हम दोनो एक गहरी स्मूच में डूब गये
स्मूच तो बहाना था, मुझे तो उनके चेहरे से अपना रस चाटकर पीना था
मुझे मॉम के साथ-2 अपनी चूत का रस भी काफ़ी पसंद है




इसलिए जब भी मौका मिलता है मैं मास्टरबेट करते हुए या फिर अकेले में ऐसे ही अंदर उंगली डालकर थोड़ा सा रस निकालकर चख ज़रूर लेती हूँ
इस वक़्त तो वो जूस मॉम के चेहरे पर फैला हुआ था, जिसे चाटकर मैने पूरा सॉफ कर दिया

उसके बाद कब मैं ऐसे ही उनसे लिपटे हुए सो गयी, मुझे भी पता नही चला

आज जो हुआ था उससे एक बात तो सॉफ थी, हमारे बीच की दूरियां काफ़ी हद तक कम हो चुकी थी
 
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hotboy007

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Super hot story,super sexy writing,super erotic narrations
:thankyou:
 

Ajju Landwalia

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सर ने मॉम के उपर झुकते हुए धीरे से कहा : “इट्स ओके शेफाली, मैं समझता हूँ की तुम माँ बेटी के बीच ये होना एक नॉर्मल सी बात है, आख़िर इतने सालो तक तुम अकेली जो रही हो, और अपनी जवान हो रही बेटी को भी तो सैक्स के बारे में समझाना एक माँ का कर्त्तव्य होता है , ऐसे में ये सब होना तो मामूली है…”

मॉम को लग रहा था की उनका होने वाला पति इतना समझदार है की उसके और अपनी बेटी के बीच के संबंध को इतनी आसानी से समझ गया

वो कहते है ना, हमाम में सब नंगे होते है
और नंगेपन की शर्म जब निकल जाए तो मज़ा लेने का आनंद कुछ ख़ास ही होता है

सुधीर की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद और अपने शरीर को मिल रहे स्पेशल ट्रीटमेंट से मॉम अब किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँच गयी

जहाँ ये रिश्ते, ये दुनिया, ये मोह माया कोई मायने नही रखते थे
मायने रखती थी तो बस जिस्मों की आग और उसे बुझाने वाले
जो इस वक़्त यहाँ मोजूद थे
मेरे और सुधीर सर के रूप में

इसलिए मॉम इन पलों का मज़ा लेते हुए खुले दिल से मेरा और सुधीर सर का साथ देने लगी और अपनी कमर को जितना पीछे लेजाकर वो उनके लॅंड को अंदर लेती, उतना ही आगे आकर वो मेरी चूत में अपनी जीभ गाड़ देती


पूरे कमरे में सैक्स का ऐसा माहौल बन चूका था की अब मैने भी अपनी टी शर्ट को उतार फेंका और टॉपलेस हो गयी ताकि सुधीर सर मॉम की चूत मारते हुए मेरे नन्हे बूब्स को हिलते हुए देख सके

उनके मुँह से लार टपक कर मॉम की गांड पर गिर रही थी, वो उन्हे चाटना चाहते थे शायद
पर मैं अगर ऐसे में उठकर उनके करीब जाती तो गड़बड़ हो सकती थी

ये खेल सिर्फ़ तभी तक चल सकता था जब तक ये मॉम के नियमो के अनुसार खेला जा रहा था
वो चाहती तो सब बंद कर सकती थी

और अगर वो चाहे तो खुद मुझे लेजाकर सुधीर सर को सौंप दे
वो शायद आने वाले वक़्त में हो भी जाए पर आज तो नही हो सकता था

एक ही दिन में मॉम को इतने झटके देने सही नही थे
अभी के लिए जो झटके उनकी चूत को मिल रहे थे, वही बहुत थे
और जानदार भी थे वो

क्योंकि उन जानदार झटकों ने मॉम को अब ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचा दिया था
और 4-6 झटके और लगने के बाद ही वो झड़ने भी लगी

उनके होंठ मेरी चूत से थोड़ा उपर उठ गये
और वो चिल्ला पड़ी

“आआआआआआआआआअहह…………ओह सुधीईईईईईर……..मैं तो गयी………. मैं तो गयी……”

उनके झड़ने के बाद मैने उन्हे अपनी चूत के आगोश में समेट लिया
उनका चेहरा अपनी चूत के उपर दबाकर मैने अपनी टांगे उनकी पीठ पर लपेट दी
क्योंकि
अब झड़ने की बारी मेरी थी

बेचारी अपने झड़ने के बाद सही से साँस भी नही ले पाई थी की मेरी चूत से निकले रस ने उनके चेहरे को पूरी तरह से भिगो दिया
जो रस की बूंदे वो अपनी जीभ से खोद खोदकर इतनी देर से निकाल रही थी
वो किसी तूफ़ानी बारिश की तरह उनके चेहरे पर थपेड़े मार रही थी
जिस कस्टर्ड डूबकर मैं अपना जिस्म चटवाने की बात सोच रही थी, उसी कस्टर्ड में इस वक़्त मॉम का चेहरा डूबा पड़ा था

“ओह माआआआआआआआआआअ फकककककककककककककककककक……. मजाआाआआआआआआआअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआआ….. अहह”

इतनी संतुष्टि तो मुझे आज तक नही हुई थी
ऐसा ऑर्गॅज़म रोज मिले तो मेरा जिस्म 4 रातों में ही पनप कर पूरा जवान हो जाए

सर भी अब साइड होकर हमारा खेल देख पा रहे थे
और इतने सेक्सी नज़ारे को देखकर उनके लॅंड ने भी जवाब दे दिया
और वो घीssss घीससससस करते हुए मेरी माँ की चूत में झड़ने लगे




सब कुछ शांत हो चूका था
सर का लॅंड फिसलकर बाहर आ गया और वो बेड के साइड में लेटकर गहरी साँसे लेने लगे
मैने भी मॉम को उपर खींचकर अपनी बगल में लिटा लिया और हम दोनो एक गहरी स्मूच में डूब गये
स्मूच तो बहाना था, मुझे तो उनके चेहरे से अपना रस चाटकर पीना था
मुझे मॉम के साथ-2 अपनी चूत का रस भी काफ़ी पसंद है




इसलिए जब भी मौका मिलता है मैं मास्टरबेट करते हुए या फिर अकेले में ऐसे ही अंदर उंगली डालकर थोड़ा सा रस निकालकर चख ज़रूर लेती हूँ
इस वक़्त तो वो जूस मॉम के चेहरे पर फैला हुआ था, जिसे चाटकर मैने पूरा सॉफ कर दिया

उसके बाद कब मैं ऐसे ही उनसे लिपटे हुए सो गयी, मुझे भी पता नही चला

आज जो हुआ था उससे एक बात तो सॉफ थी, हमारे बीच की दूरियां काफ़ी हद तक कम हो चुकी थी

Wah Ashokafun30 Bhai,

Aag hi laga di...............Sudhir ne bahut hi achchi tarah se situation ko handle kiya................wo khela kahay aadmi he.......thanda karke khane wala..................ek din wo dono maa beti ko ek sath ek hi bistar par bhogega.........

Gazab ki kamukta se bharpur update bhai...............maja aa gayaaaaaaaaaaaa


Keep posting Bro
 

Ashokafun30

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Wah Ashokafun30 Bhai,

Aag hi laga di...............Sudhir ne bahut hi achchi tarah se situation ko handle kiya................wo khela kahay aadmi he.......thanda karke khane wala..................ek din wo dono maa beti ko ek sath ek hi bistar par bhogega.........

Gazab ki kamukta se bharpur update bhai...............maja aa gayaaaaaaaaaaaa


Keep posting Bro
Apne har update par aapki WAH dekhkar maza hi aa jata hai
thanks for always encouraging me to write more erotic updates every time ajju bhai since xossip days
love you
 
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