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Incest जवानी के अंगारे ( Completed)

komaalrani

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हम दोनो माँ बेटियाँ एक दूसरे को किसी आशिक़ माशूक की तरह चूम चाट रहे थे
हालाँकि ये पहली बार हो रहा था पर ऐसा लग ही नही रहा था
बिल्कुल भी झिझक नही हो रही थी…
ऐसा लग रहा था जैसे बरसो से हम ये सब करते आ रहे थे

मॉम के हाथ मेरे कसे हुए चूतड़ों पर थे,
उनकी उंगलिया ऐसे अंदर तक धँस रही थी की मुझे दर्द से ज़्यादा एक रोमांच का अनुभव हो रहा था
और जब अचानक उनकी एक उंगली मेरी गांड के छेद पर लगी तो मैं कंपकंपा सी गयी,
ऐसी शिवरिंग हुई पूरे शरीर में जैसे हज़ारों बिछुओं ने काट लिया हो,
मैं मॉम की गोद में आधी खड़ी हुई सी उनके स्पर्श को महसूस करते हुए चीखे मार रही थी,
और मैने अपने होंठ नीचे करते हुए उनके होंठो पर गाड़ दिए
एक गहरी और रसीली स्मूच में हम दोनो डूब गये

मैं मॉम की टपक रही चूत को चूसना चाहती थी
पर शायद मॉम भी यही चाहती थी और मुझसे ज़्यादा इसलिए उन्होने मुझे अपने बेड पर लिटाया और धीरे-2 चूमते हुए मेरे मैन पॉइंट यानी चूत पर पहुँच गयी, और उन्होने उसे मुँह में भरकर ऐसे निचोड़ दिया जैसे नींबू चूस लिया हो
खट्टे मीठे रस से उनका मुँह पूरा भर गया
एक आनंदमयी सिसकारी मेरे मुँह से निकल गयी

‘’आआआआआआआआआआआआआहह…… मोममम्मममममममममममममममममम……. उम्म्म्मममममममममममममममममममम……. सककककककककककककककककककककककककककक मिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….. हाआआआआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड’’




मैं अपने हाथ पैर ऐसे मचला रही थी बेड पर जैसे जल बिन मछली
रेशमी चादर पर मेरा नंगा शरीर ऐसे लग रहा था जैसे मैं बेड पर नही बल्कि पानी पर लेटी हूँ

उपर से मॉम की जादुई जीभ जो मेरे अंदर का पानी तो निकाल कर पी ही रही थी, अंदर की दीवारों पर टक्कर मारकर मुझे उत्तेजना के उस शिखर पर धकेल रही थी जहाँ से मैं कभी नीचे उतरना नही चाहती थी

मेरी भी जीभ सूख रही थी, मैने मॉम को धीरे से बोला

‘’मॉम ……69…….प्लीईसस्सस्स’’

मेरे इस एक शब्द ने शायद उनके शरीर पर भी वही प्रहार किया था जो उनकी जीभ ने मेरी चूत पर..

अब मॉम नीचे आ गयी क्योंकि मेरा वजन काफ़ी कम था उनके मुक़ाबले…

और जब मेरे मुँह पर उनकी टपक रही चूत का शहद लगा तो उनके साथ-2 मैं भी चिल्ला उठी….

वो उत्तेजना के मारे और मैं इतनी मिठास को चखकर..


‘’ओह माआआआआयययययययययययययययी बैबी……………………… कम ओंन ………… चूऊऊसूऊऊऊऊऊऊऊऊ मुझे……… ज़ोर ज़ोर सीईईईई……. अहह….. सक युवर मॉम बैबी…….सक इट हाआआआआआाअर्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड’’




अब हमें एक दूसरे को कहने की ज़रूरत नही थी की क्या करना है और क्या नही

मैने मॉम की तितली जैसी चूत के परों को फेला कर अपनी जीभ पूरी अंदर डाल दी,
मुझे पता था उनके अंदर कई लॅंड जा चुके होंगे और ये जीभ उनके सामने कुछ भी नही है

पर इस वक़्त तो मैं अपनी जीभ जितना अंदर जा सकती थी उतना अंदर धकेल कर उन्हें एक लॅंड का ही मज़ा देना चाहती थी….
इसी बीच कई बार उनकी क्लिट पर भी मेरी जीभ टकराई जिसके परिणामस्वरूप उनका शरीर ऐसे झटके मारने लगता जैसे कोई करंट मार रहा हो

और अंत में जब हम दोनो एक जोरदार ऑर्गॅज़म के करीब आने वाले थे तो दोनो के मुँह और हाथ पूरी तेज़ी से चलने लगे,
क्योंकि पहली बार की पर्फॉर्मेन्स हम दोनो ही एक दूसरे को अच्छी देना चाहते थे
पहले मैं झड़ी

और ऐसा लगा कसम से जैसे मेरे अंदर का सारा पानी आज निकल कर मॉम के मुँह में गिर रहा है
‘’आआआआआआआआआआआआआआहह मों…….म. आई एम् कॉमीीईईईईईईईइंग’’

मैने उत्तेजनावश अपना खुला हुआ मुँह मॉम की चूत पर दबा दिया ताकि आवाज़ बाहर ना जाए,
बस उसी पल मॉम भी झड़ने लगी, क्योंकि वो भी एकदम किनारे पर पहुँच गयी थी

‘’ओह मयययययययययययययययययययी गूऊऊऊऊऊऊऊऊऊओद, योउ आआआआआआआर सस्स्स्सूऊऊऊऊऊऊऊऊओ गगगगगगगूऊऊऊऊऊओद्द्दद्ड’’

काफ़ी देर तक हम दोनो एक दूसरे के अंदर से निकल रहे शहद को चूसते रहे, चाटते रहे….
और अंत में मैं पलटकर उनके कंधे पर सिर रखकर उनसे लिपटकर सो गयी
आज जैसा मज़ा और ऑर्गॅज़म मुझे आज तक फील नही हुआ था
ये तो बस शुरूवात थी हम माँ बेटी के उस रिश्ते की जिसे हमने पूरी उम्र निभाना था
और इस रास्ते पर चलने में कितने मज़े आने वाले थे ये मैं सोच भी नहीं सकती थी.
[/SIZE]
Adbhut, Ma Beti ka adbhut perem aur vo dono saheli bhi hain ek dosare ki aag ko samjhati hain sirf aap se is chitratamak jivant chitr khinchne ki ummid ki jaa skati hai, Intezzar ka fal sach men meetha hota hai

thanks so much


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Ashokafun30

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Adbhut, Ma Beti ka adbhut perem aur vo dono saheli bhi hain ek dosare ki aag ko samjhati hain sirf aap se is chitratamak jivant chitr khinchne ki ummid ki jaa skati hai, Intezzar ka fal sach men meetha hota hai

thanks so much


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thanks for your lovely comments Komaal bhabhi
keep reading
 

Ajju Landwalia

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हम दोनो माँ बेटियाँ एक दूसरे को किसी आशिक़ माशूक की तरह चूम चाट रहे थे
हालाँकि ये पहली बार हो रहा था पर ऐसा लग ही नही रहा था
बिल्कुल भी झिझक नही हो रही थी…
ऐसा लग रहा था जैसे बरसो से हम ये सब करते आ रहे थे

मॉम के हाथ मेरे कसे हुए चूतड़ों पर थे,
उनकी उंगलिया ऐसे अंदर तक धँस रही थी की मुझे दर्द से ज़्यादा एक रोमांच का अनुभव हो रहा था
और जब अचानक उनकी एक उंगली मेरी गांड के छेद पर लगी तो मैं कंपकंपा सी गयी,
ऐसी शिवरिंग हुई पूरे शरीर में जैसे हज़ारों बिछुओं ने काट लिया हो,
मैं मॉम की गोद में आधी खड़ी हुई सी उनके स्पर्श को महसूस करते हुए चीखे मार रही थी,
और मैने अपने होंठ नीचे करते हुए उनके होंठो पर गाड़ दिए
एक गहरी और रसीली स्मूच में हम दोनो डूब गये

मैं मॉम की टपक रही चूत को चूसना चाहती थी
पर शायद मॉम भी यही चाहती थी और मुझसे ज़्यादा इसलिए उन्होने मुझे अपने बेड पर लिटाया और धीरे-2 चूमते हुए मेरे मैन पॉइंट यानी चूत पर पहुँच गयी, और उन्होने उसे मुँह में भरकर ऐसे निचोड़ दिया जैसे नींबू चूस लिया हो
खट्टे मीठे रस से उनका मुँह पूरा भर गया
एक आनंदमयी सिसकारी मेरे मुँह से निकल गयी

‘’आआआआआआआआआआआआआहह…… मोममम्मममममममममममममममममम……. उम्म्म्मममममममममममममममममममम……. सककककककककककककककककककककककककककक मिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….. हाआआआआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड’’




मैं अपने हाथ पैर ऐसे मचला रही थी बेड पर जैसे जल बिन मछली
रेशमी चादर पर मेरा नंगा शरीर ऐसे लग रहा था जैसे मैं बेड पर नही बल्कि पानी पर लेटी हूँ

उपर से मॉम की जादुई जीभ जो मेरे अंदर का पानी तो निकाल कर पी ही रही थी, अंदर की दीवारों पर टक्कर मारकर मुझे उत्तेजना के उस शिखर पर धकेल रही थी जहाँ से मैं कभी नीचे उतरना नही चाहती थी

मेरी भी जीभ सूख रही थी, मैने मॉम को धीरे से बोला

‘’मॉम ……69…….प्लीईसस्सस्स’’

मेरे इस एक शब्द ने शायद उनके शरीर पर भी वही प्रहार किया था जो उनकी जीभ ने मेरी चूत पर..

अब मॉम नीचे आ गयी क्योंकि मेरा वजन काफ़ी कम था उनके मुक़ाबले…

और जब मेरे मुँह पर उनकी टपक रही चूत का शहद लगा तो उनके साथ-2 मैं भी चिल्ला उठी….

वो उत्तेजना के मारे और मैं इतनी मिठास को चखकर..


‘’ओह माआआआआयययययययययययययययी बैबी……………………… कम ओंन ………… चूऊऊसूऊऊऊऊऊऊऊऊ मुझे……… ज़ोर ज़ोर सीईईईई……. अहह….. सक युवर मॉम बैबी…….सक इट हाआआआआआाअर्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड’’




अब हमें एक दूसरे को कहने की ज़रूरत नही थी की क्या करना है और क्या नही

मैने मॉम की तितली जैसी चूत के परों को फेला कर अपनी जीभ पूरी अंदर डाल दी,
मुझे पता था उनके अंदर कई लॅंड जा चुके होंगे और ये जीभ उनके सामने कुछ भी नही है

पर इस वक़्त तो मैं अपनी जीभ जितना अंदर जा सकती थी उतना अंदर धकेल कर उन्हें एक लॅंड का ही मज़ा देना चाहती थी….
इसी बीच कई बार उनकी क्लिट पर भी मेरी जीभ टकराई जिसके परिणामस्वरूप उनका शरीर ऐसे झटके मारने लगता जैसे कोई करंट मार रहा हो

और अंत में जब हम दोनो एक जोरदार ऑर्गॅज़म के करीब आने वाले थे तो दोनो के मुँह और हाथ पूरी तेज़ी से चलने लगे,
क्योंकि पहली बार की पर्फॉर्मेन्स हम दोनो ही एक दूसरे को अच्छी देना चाहते थे
पहले मैं झड़ी

और ऐसा लगा कसम से जैसे मेरे अंदर का सारा पानी आज निकल कर मॉम के मुँह में गिर रहा है
‘’आआआआआआआआआआआआआआहह मों…….म. आई एम् कॉमीीईईईईईईईइंग’’

मैने उत्तेजनावश अपना खुला हुआ मुँह मॉम की चूत पर दबा दिया ताकि आवाज़ बाहर ना जाए,
बस उसी पल मॉम भी झड़ने लगी, क्योंकि वो भी एकदम किनारे पर पहुँच गयी थी

‘’ओह मयययययययययययययययययययी गूऊऊऊऊऊऊऊऊऊओद, योउ आआआआआआआर सस्स्स्सूऊऊऊऊऊऊऊऊओ गगगगगगगूऊऊऊऊऊओद्द्दद्ड’’

काफ़ी देर तक हम दोनो एक दूसरे के अंदर से निकल रहे शहद को चूसते रहे, चाटते रहे….
और अंत में मैं पलटकर उनके कंधे पर सिर रखकर उनसे लिपटकर सो गयी
आज जैसा मज़ा और ऑर्गॅज़म मुझे आज तक फील नही हुआ था
ये तो बस शुरूवात थी हम माँ बेटी के उस रिश्ते की जिसे हमने पूरी उम्र निभाना था
और इस रास्ते पर चलने में कितने मज़े आने वाले थे ये मैं सोच भी नहीं सकती थी.
[/SIZE]

Dhamakedar update he Ashok Bhai,

Maja aa gaya............
 

komaalrani

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भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते।
तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये॥

जैसे मकर राशी में सूर्य का तेज बढता है, उसी तरह आपके स्वास्थ्य और समृद्धि की हम कामना करते हैं। मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।
 
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