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Lucky k to maje Aa gye...अपनी बेटी की जिंदगी में बीत रही रंगीन कहानी से बेख़बर शेफाली एक नई ही दुनिया में क़दम रखने को तैयार थी
अपनी भड़कती वासना की आग को बेंगन से बुझाते-2 वो थक चुकी थी, इसलिए अपने ऑफिस में काम करने वाली एक सिंगल मॉम के कहने पर एक डेटिंग ऐप पर उसने अपनी प्रोफाइल बना डाली,
DP पर सिर्फ अपनी आंखों की फोटो लगायी थी
और उन्हीं नाशिली आंखों को देख उसके पास धडल्ले से रिप्लाई आने शुरू हो गए थे
हालांकि ये सब करे से पहले उसने सोचा भी था कि अपनी जवान हो रही बेटी को अगर ये सब पता चल गया तो उसका सामना कैसे कर पाएगी
पर जिस्म की आग को बुझाने का कोई और तरीका दिखायी नहीं दे रहा था,
अब औरतों के लिए मर्दो की तरह कोठे का ऑप्शन तो होता नहीं है, जहां वो जाएँ और पैसे देकर अपनी प्यास बुझा ले
इसलिए ये डेटिंग एप्प का तरीका ही सही लगा अभी के लिए उसे ।
और आज उसी डेटिंग ऐप के जराये एक मीटिंग फिक्स हुई थी उसकी
अपने ऑफिस से निकल कर वो सीधा मीटिंग वाली जगह पहुंच गई
पर जैसा कि फिल्मों में दिखाया जाता है, किसी रेस्टोरेंट में नहीं बल्कि रेलवे स्टेशन पर बुलाया था उस आदमी ने... .
प्रोफाइल में अपनी उम्र 42 साल लिखी थी ,
बीबी मर चुकी थी और सरकारी कर्मचारी लिखा था जॉब में ...
फोटो लगा रखी थी , देखने में भी ठीक था
पर नाम बड़ा ही फैन्सी रखा हुआ था, लक्की
वो जानती थी कि ये गलत नाम है जैसे उसने भी अपने असली नाम के बदले स्वीटपरी लिखा था।
शैफाली थोडा घबरा रही थी,
उसने साड़ी पहनी हुई थी,
ऑफिस से निकलते हुए हल्का मेकअप भी कर लिया था,
पिंक कलर की लिपिस्टिक लगाकर वो कयामत लग रही थी,
लक्की से फोन पर बात भी की ताकी मिलने का प्रोग्राम कन्फर्म कर सके ,
वो तो उससे भी ज्यादा उत्साहित था मिलने के लिए
रेलवे स्टेशन पहुंचकर जब शेफाली ने लक्की को कॉल किया तो उसने उसे प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर आने को कहा, जो वहां का आखिरी प्लेटफॉर्म था,
खैर, वो 15 मिनट तक चलके जब वहां पहुंची तो काफी सुनसानियत थी ,
केवल 15-20 लोग ही थे जो शायद किसी लंबी दूरी तक जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे
वहां पहुंचते ही उसे लक्की का कॉल आया
“हां हां….. बस वही रुक जाओ परी जी, मैंने आपको देखा लिया है”
शेफाली के दिल की धड़कन तेज हो गई,
कुछ ही देर में अपनी लाइफ की पहली डेट के सामने आने वाली थी वो.
शेफाली कुछ देर वही खड़ी रही, तभी प्लेटफॉर्म पर गाड़ी आ गई और सभी यात्री उसपर चढ़ गए, अब वो अकेली थी वहां
और तभी उसे दूर से कोई अपनी तरफ आता हुआ दिखाइ दिया,
और जब वो शख्स करीब आया तो शेफाली को समझते देर नहीं लगी कि वही लक्की है,
और जैसे की अपनी अपनी प्रोफाइल में लिखा था 42 साल, वो गलत था,
वो करीब 48 साल का था, लगभाग सभी बाल सफ़ेद थे उसके,
घनी मूंछे थी, कद काठी से काफी लंबा चौड़ा था और उसने कोई यूनिफार्म पहनी हुई थी
शेफाली को समझने देर नहीं लगी कि वो रेलवे प्लेटफॉर्म पर काम करने वाला सफाई कर्मचारी है
लक्की ने उसके चेहरे पर आए भाव पढ़ लिए और बोला: “सॉरी मैडम जी….आप सोच रही होंगी कि मैं थोड़ा बढ़ा हूं आपसे …सफाई वाला हूँ …भला आपकी बरबरी कैसे….पर मैडम जी, मुझे गलत मत समझिए..मैं भी आपकी तरह अपनी जिंदगी में अकेला हूं, मुझे भी कोई साथी चाहिए था, मेरे एक दोस्त ने मुझे मोबाइल पर इस ऐप के बारे में बताया था, पहले मैंने अपनी असली उम्र ही डाली थी पर कोई रिप्लाई ही नहीं आ रहा था, फिर उसके कहने पर इसे कम लिखा मैंने.. बाकी आपके ऊपर है, देख लो”
भले ही पहला इम्प्रेशन सही नहीं था उसका,
पर उसकी बात करने का तरीका, गहरी और रोबिली आवाज से वो काफी प्रभावित हुई...
उसके हाव भाव देखकर वो भी समझ गया कि शेफाली मान गई है.
लक्की : "आइये ना, उस तरफ़ बैठते हैं..."
शेफाली ना चाहते हुए भी उसके साथ चल दी,
प्लेटफॉर्म के दूसरी तरफ सर्विस लाइन की पटरी थी, जिसपर 2 एसी कोच खड़े थे, शायद किसी रिपेयरिंग के लिए आए थे
लक्की ने जेब से एक चाबी निकाली और ट्रेन कोच का दरवाजा खोल दिया, वो अंदर जाने से कतरा रही थी तो लक्की बोला: "घबराओ नहीं, हम बिलकुल सेफ हैं यहां, मैंने अंदर चाय पानी का इंतजार भी कर रखा है.."
शेफाली उसका हाथ पकड़कर ऊपर चढ़ गई,
लक्की ने दरवाजा बंद किया तो घुप्प अंधेरा छा गया वहां , जब लाइट ऑन की तब जाकर उसकी जान में जान आई...
ये स्थिति बिल्कुल जवानी के दिनों में अपने बॉयफ्रेंड से मिलने वाले रोमांस जैसी थी,
कॉलेज के दिनों में वो कई बार अपने बॉयफ्रेंड के साथ होटल रूम में गई थी,
रूम में प्रवेश करने तक जो डर, रोमांस दिल में रहता है, ठीक वैसा ही उसे आज महसूस हुआ था और जब रूम में आ जाती थी तो वो डर गायब सा हो जाता था, जैसे अब हो चुका था ।
वो फर्स्ट क्लास कोच थी,
लकी उसे लेकर एक केबिन में आ गया जहां पहले से ही एक कैटल में चाय और कुछ खाने का समान रखा था..
दोनो ने चाय पी, और एक दूसरे के बारे में पूछने लगे...
दोनो को पता था की जो भी जानकरी वो दे रहे हैं वो गलत है पर इसके लिए किसी ने भी कोई काउंटर सवाल नहीं किया
जब चाय खत्म हुई तो दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी छा गई...
हालांकि वो इंसान उसके अनुरूप नहीं निकला था पर बेंगान से तो अच्छा था, जिसे ले लेकर वो तंग आ चुकी थी और शायद इसलिए उसके आने से पहले ही उसने निश्चय कर लिया था कि जैसा भी आदमी मिले, मोटा, काला, बूड़ा...कोई भी...उसका लंड लेकर रहेगी।
लक्की उसके चेहरे को देखकर उसे पढ़ने की कोशिश कर रहा था,
वो जिस तरह से अपने होठों को जीभ से गीला कर रही थी उससे साफ पता चल रहा था कि वो उत्तेजित हो रही है...
इसलिए उसने पहल करना सही समझा ।
वो उसके करीब गया और शेफाली का हाथ पकड़ा लिया...
वो कांप सी गई जब उसके कठोर हाथो ने उसके नरम हाथों को दबोचा..
इतने दिनों बाद एक मर्दाना स्पर्श से उसके अंदर की तरंगें बज उठी.
वो समझ गया कि अब वो कोई विरोध नहीं करेगी, लक्की ने उसके साड़ी के आंचल को नीचे गिरा दिया
उसके ब्लाउज़ में फंसे हुए बूब्स अब उसकी आंखों के सामने थे
शेफाली का सीना तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था
उसके सीने की क्लीवेज़ देखकर उससे सब्र नहीं हुआ और वो शेफाली पर झपट पड़ा
अब तक जो काम बहुत प्यार से, धीरे से हो रहा था उसने तेजी पकड़ ली
लक्की के दोनो हाथ उसकी नरम छतियो का मर्दन मरने लगे….
शेफाली को मजा भी बहुत आ रहा था और दर्द भी बहुत हो रहा था
पर एक मर्द के हाथों का स्पर्श कई सालो बाद मिला था स्तनों को , इसलिए वो भी फूले नहीं समा रहे थे
इसलिए दर्द को भुलाकर उससे मिलने वाले मजे को महसूस करके शेफाली भी सिसकारियां मारने लगी
कुछ ही देर में लक्की के अनुभवी हाथो ने उसके जिस्म के एक-2 कपड़े को निकाल फेंका और उसे नंगा कर दिया...
अब शेफाली पूरी नंगी होकर लेटी थी उसके सामने ट्रैन बर्थ पर
वो बिन पानी की मछली जैसी मचल रही थी
और लक्की को शायद अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि पहली बार में ही उसके जाल में ऐसी रस भरी मछली आ फंसी है
Sahi Baat hai... jab chudne k liye taange khol hi di....to bahanchod mooh khol k bolne maagne me kya harj hai.....उसके गोरे रंग और मोटे मम्मे देख उसकी लार टपक रही थी
उसने अपने लार टपकाती जुबान को जब शेफाली के मोटे निपल्स पर रखा तो उसकी आनंदमयी चीख़ से पूरा रेलवे स्टेशन हिल गया
"Aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh। जोर से…… चूसो इन्हे ……… पी जाओ……..मेरे बूब्स……. बुझा लो…..अपनी प्यासा……. और… मेरी भी…”
लक्की को वैसे भी किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं थी
वो अपने मोटे होंठ और घनी मूंछो से उसके गोरे बूब्स पर चित्रकारी करने में लग गया...
वो जिस तरह से उन्हें चूस रहा था, साफ लग रहा था कि वो भी कितना प्यासा है
वैसा प्यार तो आज शेफाली की बुझ रही थी
अपने पति के जाने के बाद उसमें कभी हिम्मत नहीं हुई थी किसी मर्द से संबंध बनाने की
पर पिछले 1-2 सालों से उसकी चूत ने जिस तरह से फिर से मांग करनी शुरू कर दी थी ,उसे ये कदम उठाना पड़ गया था
वो चाहती तो अपने ऑफिस में काम करने वाले किसी भी मर्द के साथ भी वो मज़े ले सकती थी
पर अपने शर्मिले स्वभाव और ऑफिस में बनी छवि के कारण वो कुछ नहीं कर पायी
और जब अपनी सहेली के कहने पर ये डेटिंग एप वाला काम किया तो ये हुआ कि एक सरकारी सफाई कर्मचारी उसके पल्ले पड़ा
पर चुदाई के बारे मैं वो पहले से ही सोच कर आई थी
इसलिए उसके रंग रूप और स्टेटस की परवाह किए बिना वो इस वक्त उसके मर्दन का पूरा मजा ले रही थी
अच्छा हुआ उसे पहली नजर में देख वो वापस नहीं चली गई
देखने में भले ही वो साधारण सा लग रहा था
पर औरत को कैसे मजे देने हैं वो अच्छे से जानता था
इसके दोनो मुम्मों को अच्छी तरह से चूस चूसकर लाल करने के बाद वो अपनी जीभ उसके नंगे पेट पर फिराता हुआ नीचे की तरफ जाने लगा
और जब लक्की की करामाती जीभ उसकी उफ़नती हुई चूत में डुबकी लगायी तो वो भी उसकी गर्मी से जल उठी
अंदर से निकल रही गर्मी इतनी तेज थी कि लक्की को अपने चेहरे के सामने गर्म हीटर लगा हुआ महसूस हो रहा था
पर अंदर की मलाई चाटकर उसके मीठेपन को महसूस करके लक्की अब जानवर बन चुका था
ऐसी पढ़ी - लिखी गोरी मेमसाब रोज-2 थोडे ही मिलती है
अंदर ही अंदर वो भी हैरान हो रहा था कि कैसे इतनी आसानी से वो उसके साथ ये सब करने को तैयार हो गई
उसे तो लगा था कि पहले 1-2 मीटिंग में वो आनाकानी करेगी, नखरे करेगी पर उसे क्या पता था कि जो आग शेफाली के अंदर लगी है उसे शांत करने के लिए तो वो कुछ भी करने को तैयार थी
शेफाली की चूत के मोटे होंठ को अपने होंठो में समेट कर उसने जोर से चुप्पा मारा
शेफाली की कमर हवा में उठ गई, उसने लक्की के सर को पकड़ कर जोर से अपनी चूत में दबा दिया ताकि उसकी मचल रही जीभ जितना हो सके उसके अंदर तक जा सके...
पर जीभ की भी एक लिमिट होती है
इसलिए अब उससे लंबी चीज को निकालने का वक्त आ चुका था
लक्की खड़ा हुआ और उसने आनन फानन में अपने सारे कपडे निकाल फेंके और जब उसका लोढ़ा शेफाली ने देखा तो उसकी आंखों फटी की फटी रह गई
वो किसी वनमानुष जैसा लग रहा था, लंबा, मोटा और काला भूसंड लंड
वो लम्बाई में इतना बड़ा था कि अपना भार तक संभाल नहीं पा रहा था
लंड का टोपा ठीक उसके सामने था
जैसे ललचा रहा हो की उसे चूस ले
और वो लालच में आ भी गई
शेफाली ने अपने होंठो पर जीभ फेराई और उसके अजगर जैसे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी
उसके लंड का टोपा इतना मोटा था कि मुंह में आने से पहले वो उसके दांतो से रगड़ खाता हुआ अंदर गया
थोडी पीढ़ा तो हुई लक्की को पर शेफाली के मुंह की गर्मी से मिलने वाले मजे के सामने वो दर्द कुछ नहीं था
और जब अपने कुशल मुंह से सकिंग करना शुरू किया तो लक्की भी आँखे बंद करके उसका मजा लेने लगा
करीब 5 मिनट तक उसे चूसने के बाद जब शेफाली ने लंड मुंह से बाहर निकाला तो पीछे -2 ढेर सारा गाड़ा थूक भी उसे बाहर फेंकना पड़ा
अब उससे और सब्र नहीं हो रहा था, उसने अपनी टाँगे फैलाई और लक्की को अपने ऊपर खींच लिया
लंड ने भी अपने आप उसकी चूत को खोज लिया और वो सीधा दनदनाता हुआ उसके अंदर घुसता चला गया
और एक बार फिर से शेफाली के मुंह से आनंदमयी सिसकारी निकल गई
“ओह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हहह्ह्ह्हह्हह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्... मजाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ गया उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्… कितने सालो से प्यासी थी……….. आज सारी प्यास बुझा दो मेरी……. उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्........... चोदो मुझे....... जोर से चोदो ….. फाड़ दो मेरी चूत ……..”
लक्की को यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी सभ्य सी दिखने वाली औरत चुदाई के समय ऐसी हरकतें कर रही है...
और ये उसे पसंद भी आ रहा था
वैसे भी चुदाई का यही नियम होता है, जितना खुलकर एक दूसरे से चुदोगे , उतना ही मजा मिलेगा
लक्की इस वक्त उसकी पाव रोटी जैसी चूत को अपने मूसल जैसे भुसन्ड लण्ड से बुरी तरह से कूट रहा था
पूरी बोगी में फच फच की आवाजें आ रही थी
Maa ki chudayi gajab ho gyi.... ab dekho jawani ki shuruwat beti ki kaisi hoti hai.......कुछ देर बाद शेफाली ने उसे एक झटके से नीचे किया और खुद ऊपर आ गई
अब वो उसके लंड को अपनी चूत में अच्छे से कंट्रोल कर सकती थी
शेफाली ने उसकी छाती पर अपने हाथ रखे और अपनी छातियों को हिलाते हुए जोरों से उसके ऊपर उछलने लगी
उसका मोटा और लंबा लंड सीधा उसके लिवर पर प्रहार कर रहा था
आज जैसी गहराई शायद उसके अंदर पहली बार किसी लंड ने छुई थी
लक्की ने उसके मोटे और फैले हुए कुल्हो को पकड़ कर नीचे से जोरों से झटके मारने शुरू कर दिए
उन झटकों को उसने करीब 3 मिनट तक बिना रुके मारा
अब झटका देकर पलटने की बारी लक्की की थी
उसने उसे घोड़ी बनाया और होले से उसकी चूत में अपना लोड़ा खिसका कर मजे ले-लेकर उसे चोदने लगा
ये पोजीशन तो शेफाली की भी फेवरेट थी
नीचे की सीट पर मुंह रगड़के वो अपनी सिसकारीयों को दबाने का असफ़ल प्रयास कर रही थी
उसकी भरंवा गांड को हाथ से पकड़कर वो अपने लंड से हलचल मचा रहा था
उसके मुंह की लार निकलकर ट्रेन की सीट पर गिर रही थी
आंखें चढ़ आईं उसकी जब लक्की ने उसकी गांड को पकड़कर उसकी रेल बनाना शुरू की
तेज झटके इतने जोर से कि उससे सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था
जैसे ही सांस लेने लगती पीछे से आ रहे धक्का से वो फिर से उचक पड़ती
और वो वक्त भी जल्द आ गया जब लक्की का पानी अपने चरमोत्कर्ष पर आकर बाहर निकलने पर आतुर हो गया
लक्की ने समझदारी दिखाते हुए जल्द से अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया
शेफाली भी पलटी और उसके काले और चूत रस से भीगे लंड को अपने मुंह में भरकर आखिरी बूंद तक निचोड़ डाला
बाकी का सारा रस उसकी छाती और मुंह पर आ गिरा
जिसकी वजह से वो और भी सुंदर दिखाई देने लगी
सफेद चादर में लिपटी सचमुच की परी लग रही थी वो इस वक्त
और अपनी परी को देखते हुए लक्की ने एक जोरदार हुंकार भरते हुए अपने लंड के नल को पूरा खाली कर दिया उसके ऊपर।
मन तो शेफाली का एक बार और भी चुदने का था पर काफी देर हो चुकी थी इस वक्त
अनु भी घर पर अकेली होगी, ये सोचते हुए अपने चेहरे को बाथरूम में जाकर साफ किया और वापस आकर अपने कपड़े पहनने लगी
लक्की किसी राजा की तरह अभी तक नंगा लेटकर बीड़ी के कश लगाता हुआ उसके हुस्न को ताड़ रहा था
अपनी साड़ी लपेटकर जब वो वापस जाने लगी तो अगली बार मिलने के बारे में भी पूछा उसने,
शेफाली को मजा तो बहुत आया था आज,
अपनी बंजर पड़ी जमीन पर फिर से लंड के हल से खुदाई करवाकर आज वो पूर्ण रूप से संतुष्ट हो चुकी थी
पर अंदर की आग भी पूरी तरह से भड़क चुकी थी
इसलिए अगली बार जल्दी मिलने का वादा करके वो वापस चल दी
उधर उसकी बेटी अपने मजे करने में लगी थी और यहाँ उसकी माँ
पर दोनों की जिंदगी में ओर क्या-२ मज़े लिखे थे , ये तो आने वाला वक़्त ही बताने वाला था
bas aa gayi