Luckyloda
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पर जब बात अपने बच्चों पर आती है तो सारे समीकरण बदल जाते है,अब तो अनु की आँखे फैल कर बताशे जैसी हो गयी…
यानी उसकी मोम को उसके रात वाले कारनामों के बारे में भी पता है, जिसमें वो गौरव के साथ सैक्सी बातें और चूमा चाटी करती थी..
अनु : “वो…वो….वो तो बस….मोम …वो मेरा एक….फ्रेंड…”
“गौरव….यही नाम है ना तुम्हारे उस फ्रेंड का….” शेफाली ने उसकी बात पूरी की.
अब तो अनु सॉफ तौर पर पकड़ी जा चुकी थी…
शेफाली ने उसके निप्पल्स को छोड़ दिया और उसे बड़े ही प्यार से सोफे पर बिठाया.
“देखो अनु, ये सब जो तुम कर रही हो, ये आजकल की लड़कियो में आम बात है …मैं बस ये कहना चाहती हूँ की तुम अपनी मर्यादा में रहना…जो भी करना लिमिट में रहकर करना, वरना आजकल के जमाने में हम दोनो को संभालने वाला कोई भी नही है….”
इतना कहकर शेफाली सूबक -2 कर रोने लगी…
एकदम से एमोशनल टर्न आ चुका था उन दोनो के बीच.
अब तो वो भी भूल चुकी थी की वो नंगी है, वो अपनी माँ से लिपट कर रोने लगी और बोली : “प्लीज़ मोम ….आप रोना बंद करो…आप मुझपे विश्वास रखो, मैं कुछ ग़लत नही कर रही और ना ही किया है…’’
वो जानती थी की उसकी माँ ने उसे कितने जतन से पला है और यहाँ तक पहुँचाया है…
वो उनका भरोसा नही तोड़ना चाहती थी…
पापा के चले जाने के बाद समाज में बैठे कई गिद्दो की गंदी नज़र उनपे पड़ी थी, पर उन्हे अपने पास तक फटकने नही दिया था उसकी माँ ने…
कई रिश्तेदारो ने तो उसे फिर से शादी करने के लिए भी कहा था, जो वो अक्सर टाल देती थी…
वो नही चाहती थी की उसकी बेटी की परवरिश में कोई अड़चन आए,
वरना उसकी उम्र ऐसी थी की उसे अपनी जवानी की आग को कैसे शांत करना पड़ता था, ये सिर्फ़ वही जानती थी..
शेफाली ने अनु को अपने कमरे में जाकर कपड़े पहनने को कहा और वो वहीं बैठकर कल रात की बात याद करने लगी.
कल उसके जिस्म में जो आग भड़की थी उसने उसे फ्रिज में रखे लंबे बेंगन से बड़ी मुश्किल से बुझाया था…
और जब उस बेंगन को धोकर वो फिर से फ्रिज में रखने जा रही थी तो उसे अनु के कमरे से कुछ आवाज़ें आई, जिन्हे सुनके वो उसके दरवाजे पर खड़ी होकर उन्हे सुनने लगी..
अंदर से अनु की उखड़ती हुई सी आवाज़ आ रही थी…
‘’ओह्ह गौरव……माय गॉडडड …….यू आअर सो अमेज़िंग……प्लीज़ सक्कककककक मिईीई हार्ड…….ज़ोर से चूसो मेरे बूब्स को…..’’
वो सुनके शेफ़ाली एकदम सकते में आ गयी…
और शायद तब उसे एहसास हुआ था की उसकी बेटी जवानी की दहलीज पर आ चुकी है, और उसके बदलते हुए हार्मोंस उससे ये सब करवा रहे थे….
ठीक उसी तरह जैसे वो किया करती थी अपने स्कूल टाइम पर…
अब उसकी बेटी उसी पर तो जाएगी ना.
“ओहहह माय डार्लिंग गौरव….प्लीज़sssss …..वहां नही जाना …..डोंट गो डाउन……वहाँ की बात करते हो तो कुछ होता है…..उम्म्म्ममम और तुम….तुम तो सीधा सक्कक करने को कह रहे हो……..आहह…..अच्छाsssss ……ओके कर लो……आआआअहह एसस्स्स्स्स्स्सस्स…… बी जेंटल गौरव……”
अनु की बातें सुनके वो एक बार फिर से पनिया उठी…
अपनी खुरदूरी बुर को , जिसे कुछ देर पहले उसने शांत किया था, अंदर से निकल रहे पानी से नहाकर वो एक बार फिर से गीली हो उठी..
और उसने अपना गाउन उपर करके उस बेंगन को एक बार फिर से अपनी चूत का रास्ता दिखा दिया
‘’आआआआहह…..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…’’
अंदर बेटी सिसक रही थी और बाहर माँ .
ओह…..
कितना मज़ा आ रहा था इस वक़्त….
शेफाली अक्सर अपनी जवानी के दिनों की बाते याद करके मास्टरबेट किया करती थी,
पर यहाँ, अपनी बेटी की बाते सुनके उसे जो मज़ा आ रहा था, वो उन सबसे अलग था…
वो बेंगन को पूरी तरह से अपनी रसीली चूत के अंदर तक उतार कर मज़े ले रही थी.
और जब अंदर उसकी बेटी झड़ी तो उसने भी अपने मुँह पर हाथ रखके बड़ी मुश्किल से अपनी चीख पर काबू पाया….
झड़ने के मामले में उसका भी जवाब नही था….
चूत से निकलने वाले पानी से पानी की बोतल भर जाए, ऐसा झड़ती थी वो.
अंदर और बाहर दोनो तरफ अब सिर्फ़ गहरी सांसो की आवाज़ आ रही थी…
झड़ने के बाद अनु तो गौरव से बाते करने लगी और शेफाली फर्श पर पोचा लगाके अपने कमरे की तरफ चल दी…
पर उसने सोच लिया था की अगले दिन वो इन सबके बारे में अनु से ज़रूर बात करेगी,
जवानी को संभालना बड़ी मुश्किल का काम है,
उससे भी नही संभाली गयी थी, खूब मज़े लिए थे उसने…
पर जब बात अपने बच्चों पर आती है तो सारे समीकरण बदल जाते है,
इसलिए अगले दिन अनु को एक माँ की तरह समझाना बहुत ज़रूरी था.
और अगले दिन जो हुआ वो आप देख ही चुके हो.
पर इन सबके बीच शेफाली और अनु की लाइफ का एक नया अध्याय खुल चुका था, जो आने वाले समय में कई रंग दिखाने वाला था.









Very well said..पर जब बात अपने बच्चों पर आती है तो सारे समीकरण बदल जाते है,
इसलिए अगले दिन अनु को एक माँ की तरह समझाना बहुत ज़रूरी था.
और अगले दिन जो हुआ वो आप देख ही चुके हो.
पर इन सबके बीच शेफाली और अनु की लाइफ का एक नया अध्याय खुल चुका था, जो आने वाले समय में कई रंग दिखाने वाला था
सिर्फ इन पंक्तियों को ही पढ़ के इस बात का अहसास होता है की हमें किसी लब्धप्रतिष्ठित कथाकार की कहानी पढ़ने का सौभाग्य मिल रहा है. शेफाली नाम और वो पिक्स, फिर माँ का रिएक्शन
अच्छी चीज के लिए इन्तजार करना ही पड़ता है , लेकिन जब पोस्ट आती है तो सिर्फ एक रिएक्शन होता है
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Bhut lajawaab ashoka bhaiशाम को जब उसकी नींद खुली , उसका फोन लगातार बजे जा रहा था.
उसने देखा तो उसकी मोम का फोन था, टाइम देखा तो उसके होश ही उड़ गये, शाम के 7 बज चुके थे.
यानी पिछले 4 घंटे से वो बेहोश होके सो रही थी.
उसने फोन उठाया तो मोम ने गुस्से भरी आवाज़ में कहा : “अनु …दरवाजा खोलो…कब से बेल बजा रही हूँ ”
वो भागती हुई सी बाहर निकली और दरवाजा खोला…
और लगभग तभी उसे याद आया की उसने क्या कांड कर दिया…
जल्दबाज़ी में वो नंगी ही दौड़ती चली आई थी…
पर अब छुपाने का कोई फ़ायदा नही था,
देर हो चुकी थी,
मोम ने उसे ऐसे देखा तो हड़बड़ाते हुए जल्दी से दरवाजा बंद किया और गुस्से से चिल्ला पड़ी
“अनु , दिमाग़ तो सही है तेरा…घोड़ी जैसी बड़ी हो गयी है और अकल रत्ती भर की भी नही है…ऐसे नंगे होकर कौन घूमता है भला ”
बेचारी अपने उभार और चूत को छुपाती हुई वापिस अपने कमरे की तरफ भागी वो..
तभी माँ ने कड़क आवाज़ में उसे रोका और बोली : “रूको….इधर आओ…’’
अनु : “पर मोम …..मैं कपड़े तो पहन आऊं ”
मोम : “मैने कहा ना…यहाँ आओ…’’
वो बेचारी पलटी और उसी हालत में माँ के सामने खड़ी हो गयी…
मोम : “हाथ हटाओ..”
अपने बूब्स और चूत को उसने अपने हाथो से ढका हुआ था, मोम उन्हे हटाने को क्यों बोल रही थी…
हैरानी में उसकी आँखे फैल गयी…
मोम को उसने देखा, जैसे पूछ रही हो की वो ऐसा क्यों करने को कह रही है..
पर मोम के चेहरे के एक्शप्रेशन देखके उसने कुछ पूछना सही नही समझा…
उसने अपने हाथ हटा दिए.
अब वो अपनी माँ के सामने जन्मजात नंगी होकर खड़ी थी..
एक लड़की होने के नाते वो इस तरह एक औरत के सामने, ख़ासकर अपनी माँ के सामने नंगी खड़ी थी, इसमें उसे कोई परेशानी नही हो रही थी..
पर हां, आश्चर्य ज़रूर हो रहा था की आख़िर मोम ऐसा क्यों करना चाह रही थी.
मोम उसके करीब आई और उसके चारों तरफ घूमकर उसके शरीर और एक-2 अंग को निहारने लगी…
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वो उसे इतने करीब से देख रही थी की उनकी गर्म साँसे अनु को अपने शरीर पर महसूस हो रही थी…
अब अनु के दिल की धड़कने बढ़ने लगी…
ऐसा आज तक उसके साथ नही हुआ था…
वो किसी म्यूज़ियम में लगी नंगी मूर्ति की तरह खड़ी थी और उसकी माँ दर्शक बनके उसके बदन की कारीगरी को निहार रही थी.
अनु की मोम , शेफ़ाली, जिनका शादी से पहले नीरजा नाम था, वो दिखने में बॉलीवुड अभिनेत्री शेफाली शाह की तरह लगती थी, इसलिए उसके पति यानी अनु के पापा ने शादी के बाद इनका नाम शेफ़ाली रख दिया
[url=https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=29620079&showlnk=0][/url]
शेफ़ाली : “देखो अनु, अब तुम जवान हो गयी हो…ऐसी कोई भी हरकत मत करना जिससे मुझे शर्मिंदा होना पड़े…’’
शेफाली का एक हाथ उसके कूल्हे की गोलाई नाप रहा था.
अनु : “आई नो मोम …ये भी कोई कहने वाली बात है…अब मैं जाऊं प्लीज़…’’
उसके स्वर में अब थोड़ी खीज आ चुकी थी
शेफाली : “रूको…मेरी बात अभी ख़त्म नही हुई है…’’
अब वो उसके सामने आकर खड़ी हो चुकी थी…
अनु के नन्हे अमरूद कड़क होकर पत्थर बन चुके थे…पता नही क्यों
[url=https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=29620076&showlnk=0][/url]
शेफाली का एक हाथ उसके नन्हे बूब्स पर आया और उन्हे थाम कर होले से दबा दिया….अनु चिहुंक उठी.
शेफाली : “तुम अगर मेरी बात समझती तो मुझे ये सब ना बोलना पड़ता…अभी की ही बात लेलो, ऐसे नंगे होकर तुम भागती चली आई और दरवाजा खोल दिया, कोई और होता तो…उसे तो सब दिख जाता ना ये…’’
वो उसके नशीले जिस्म की तरफ इशारा करके बोली
अनु अब थोड़े गुस्से में बोली : “बट मोम , मुझे तो पता था ना की आप ही है, आपने फोन करके दरवाजा खोलने को कहा था, और आपको तो पता ही है, स्कूल से आने के बाद मैं नहाके ऐसे ही सो जाती हूँ ’’
शेफाली की उंगलियो मे उसके निप्पल आ चुके थे, जो इस वक़्त अकड़कर अपने पूरे यौवन पर थे,
बस उन्ही को बचाने के लिए वो इतनी देर से अंदर जाने की जिद्द कर रही थी,
वो नही चाहती थी की मोम की नजर उसके जवानी के अंगारो पर पड़े ..
पर यहाँ तो मामला उस से भी आगे निकल चूका था,
वो उन्हे देख ही नही रही थी बल्कि उनके साथ खेल भी रही थी.
अनु के अंगारे अब सुलग कर अपने विकराल रूप में आ चुके थे.
शेफाली : “जो तुम दिन में करती हो वो तो ग़लत है ही, पर जो तुम रात में करती हो उसका क्या ?”
Wow.....beti k jaisi Maa bhi.......अब तो अनु की आँखे फैल कर बताशे जैसी हो गयी…
यानी उसकी मोम को उसके रात वाले कारनामों के बारे में भी पता है, जिसमें वो गौरव के साथ सैक्सी बातें और चूमा चाटी करती थी..
अनु : “वो…वो….वो तो बस….मोम …वो मेरा एक….फ्रेंड…”
“गौरव….यही नाम है ना तुम्हारे उस फ्रेंड का….” शेफाली ने उसकी बात पूरी की.
अब तो अनु सॉफ तौर पर पकड़ी जा चुकी थी…
शेफाली ने उसके निप्पल्स को छोड़ दिया और उसे बड़े ही प्यार से सोफे पर बिठाया.
“देखो अनु, ये सब जो तुम कर रही हो, ये आजकल की लड़कियो में आम बात है …मैं बस ये कहना चाहती हूँ की तुम अपनी मर्यादा में रहना…जो भी करना लिमिट में रहकर करना, वरना आजकल के जमाने में हम दोनो को संभालने वाला कोई भी नही है….”
इतना कहकर शेफाली सूबक -2 कर रोने लगी…
एकदम से एमोशनल टर्न आ चुका था उन दोनो के बीच.
अब तो वो भी भूल चुकी थी की वो नंगी है, वो अपनी माँ से लिपट कर रोने लगी और बोली : “प्लीज़ मोम ….आप रोना बंद करो…आप मुझपे विश्वास रखो, मैं कुछ ग़लत नही कर रही और ना ही किया है…’’
वो जानती थी की उसकी माँ ने उसे कितने जतन से पला है और यहाँ तक पहुँचाया है…
वो उनका भरोसा नही तोड़ना चाहती थी…
पापा के चले जाने के बाद समाज में बैठे कई गिद्दो की गंदी नज़र उनपे पड़ी थी, पर उन्हे अपने पास तक फटकने नही दिया था उसकी माँ ने…
कई रिश्तेदारो ने तो उसे फिर से शादी करने के लिए भी कहा था, जो वो अक्सर टाल देती थी…
वो नही चाहती थी की उसकी बेटी की परवरिश में कोई अड़चन आए,
वरना उसकी उम्र ऐसी थी की उसे अपनी जवानी की आग को कैसे शांत करना पड़ता था, ये सिर्फ़ वही जानती थी..
शेफाली ने अनु को अपने कमरे में जाकर कपड़े पहनने को कहा और वो वहीं बैठकर कल रात की बात याद करने लगी.
कल उसके जिस्म में जो आग भड़की थी उसने उसे फ्रिज में रखे लंबे बेंगन से बड़ी मुश्किल से बुझाया था…
और जब उस बेंगन को धोकर वो फिर से फ्रिज में रखने जा रही थी तो उसे अनु के कमरे से कुछ आवाज़ें आई, जिन्हे सुनके वो उसके दरवाजे पर खड़ी होकर उन्हे सुनने लगी..
अंदर से अनु की उखड़ती हुई सी आवाज़ आ रही थी…
‘’ओह्ह गौरव……माय गॉडडड …….यू आअर सो अमेज़िंग……प्लीज़ सक्कककककक मिईीई हार्ड…….ज़ोर से चूसो मेरे बूब्स को…..’’
वो सुनके शेफ़ाली एकदम सकते में आ गयी…
और शायद तब उसे एहसास हुआ था की उसकी बेटी जवानी की दहलीज पर आ चुकी है, और उसके बदलते हुए हार्मोंस उससे ये सब करवा रहे थे….
ठीक उसी तरह जैसे वो किया करती थी अपने स्कूल टाइम पर…
अब उसकी बेटी उसी पर तो जाएगी ना.
“ओहहह माय डार्लिंग गौरव….प्लीज़sssss …..वहां नही जाना …..डोंट गो डाउन……वहाँ की बात करते हो तो कुछ होता है…..उम्म्म्ममम और तुम….तुम तो सीधा सक्कक करने को कह रहे हो……..आहह…..अच्छाsssss ……ओके कर लो……आआआअहह एसस्स्स्स्स्स्सस्स…… बी जेंटल गौरव……”
अनु की बातें सुनके वो एक बार फिर से पनिया उठी…
अपनी खुरदूरी बुर को , जिसे कुछ देर पहले उसने शांत किया था, अंदर से निकल रहे पानी से नहाकर वो एक बार फिर से गीली हो उठी..
और उसने अपना गाउन उपर करके उस बेंगन को एक बार फिर से अपनी चूत का रास्ता दिखा दिया
‘’आआआआहह…..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…’’
अंदर बेटी सिसक रही थी और बाहर माँ .
ओह…..
कितना मज़ा आ रहा था इस वक़्त….
शेफाली अक्सर अपनी जवानी के दिनों की बाते याद करके मास्टरबेट किया करती थी,
पर यहाँ, अपनी बेटी की बाते सुनके उसे जो मज़ा आ रहा था, वो उन सबसे अलग था…
वो बेंगन को पूरी तरह से अपनी रसीली चूत के अंदर तक उतार कर मज़े ले रही थी.
और जब अंदर उसकी बेटी झड़ी तो उसने भी अपने मुँह पर हाथ रखके बड़ी मुश्किल से अपनी चीख पर काबू पाया….
झड़ने के मामले में उसका भी जवाब नही था….
चूत से निकलने वाले पानी से पानी की बोतल भर जाए, ऐसा झड़ती थी वो.
अंदर और बाहर दोनो तरफ अब सिर्फ़ गहरी सांसो की आवाज़ आ रही थी…
झड़ने के बाद अनु तो गौरव से बाते करने लगी और शेफाली फर्श पर पोचा लगाके अपने कमरे की तरफ चल दी…
पर उसने सोच लिया था की अगले दिन वो इन सबके बारे में अनु से ज़रूर बात करेगी,
जवानी को संभालना बड़ी मुश्किल का काम है,
उससे भी नही संभाली गयी थी, खूब मज़े लिए थे उसने…
पर जब बात अपने बच्चों पर आती है तो सारे समीकरण बदल जाते है,
इसलिए अगले दिन अनु को एक माँ की तरह समझाना बहुत ज़रूरी था.
और अगले दिन जो हुआ वो आप देख ही चुके हो.
पर इन सबके बीच शेफाली और अनु की लाइफ का एक नया अध्याय खुल चुका था, जो आने वाले समय में कई रंग दिखाने वाला था.
आपका भी तहे दिल से शुक्रिया कौमाल भाभीपर जब बात अपने बच्चों पर आती है तो सारे समीकरण बदल जाते है,
इसलिए अगले दिन अनु को एक माँ की तरह समझाना बहुत ज़रूरी था.
और अगले दिन जो हुआ वो आप देख ही चुके हो.
पर इन सबके बीच शेफाली और अनु की लाइफ का एक नया अध्याय खुल चुका था, जो आने वाले समय में कई रंग दिखाने वाला था
सिर्फ इन पंक्तियों को ही पढ़ के इस बात का अहसास होता है की हमें किसी लब्धप्रतिष्ठित कथाकार की कहानी पढ़ने का सौभाग्य मिल रहा है. शेफाली नाम और वो पिक्स, फिर माँ का रिएक्शन
अच्छी चीज के लिए इन्तजार करना ही पड़ता है , लेकिन जब पोस्ट आती है तो सिर्फ एक रिएक्शन होता है
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