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Adultery जय हो लॉकडाउन!!

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A girl, badhiya kahani likhi hai, parh kar Accha laga.
 

Raj@1975

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Photo bhi dalo
जब मेरी आंख खुली तो करीब ११.३० या १२ बज रहा था मैं हड़बड़ा कर उठा और बाहर बरामदे की तरफ भागा अपनी मां को नंगा देखने मगर मां नही दिखी मैने दरवाजे की तरफ देखा तो वो अंदर से बंद था फिर जब नीचे गया तो देखा मां कमरे के अंदर थी और कमरा बंद करके सो रही थी अपनी किस्मत को कोसता हुआ मैं नहाया और खाना खाकर अपने कमरे में चला आया।
रात को जब सब लोग खाना खाने बैठे तब पूरे टाइम मैं मां और चाची की ब्लाउज से उनकी चुचियों की एक झलक पाने को बेताब रहा।

IMG-20210927-011043
बहोत ही शानदार कहानी हे! 🌹
 

Anyone

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Watting next dear
 

a_girl

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सो इन २-३ दिनों में मैं सिर्फ एक बार अपनी मां और चाची की गोरी गांड़ ही देख पाया सुबह हगते हुए बस




l खैर जैसे तैसे २४ तारीख आई हम लोगो ने सारा समान पैक किया मैने अपने कपड़े के बैग में ४-५ जोड़ी लोअर और टी शर्ट डाली क्योंकि वैसे भी सिर्फ खेत में ही घूमना था सो वो बहुत था। मां लोगो ने एक बैग में अपने तीनों लोगो के कुछ कपड़े रखे और हमने बाकी रसोई का समान जैसे गैस सिलेंडर और चूल्हा और कुछ बर्तन वगैरह रखा अपनी गाड़ी में और ये सोचा गया की इतना समान हम ले चलें बाकी सब जैसे इन लोगो के कपड़े अपने कपड़े वगैरह पापा लोग ले आएंगे दूसरे दिन। हम सब लोग गाड़ी में बैठ कर निकल पड़े आगे मां बैठी थी और पीछे चाची और मामी और थोड़ा बहुत समान जो डिग्गी में नही आया था वो था गाड़ी मैं चला रहा था। करीब ३-४ घंटे गाड़ी चलाने के बाद हमारा खेत आया मैंने देखाकि आगे से उसमे दीवार उठी है काफी दूर तक और बीच में एक दरवाजा लगा हुआ था गाड़ी से उतर कर मैने दरवाजा खोला और चल पड़े हम अंदर। काफी अंदर जाने पर हमें वो घर दिखा उसकी चाभी मां के पास थी मां ने उतरकर घर खोला और हम चारो लोग समान उतारने लगे गाड़ी से जब समान सब लेकर मैं अंदर गया तो मैने देखा की घर में कुछ खास बना नही है तीन कमरे थे एक रसोई, आंगन और एक छत पर कमरा था आंगन से ही एक दरवाजा पीछे भी खुलता था और वही किनारे आम का एक पेड़ लगा हुआ था। पानी की व्यवस्था के नाम पर आंगन में एक तरफ एक कुआं बना हुआ था। घर से पीछे मुश्किल से ७०-८० फुट की दूरी पर वो तलाब जैसी झील थी। घर के कमरों की खिड़कियों पर कांच भी नही लगा था वो तो शुक्र है भगवान का लाइट का कनेक्शन था और हर कमरे में एक -एक पंखा लगा हुआ था। न जाने कब से घर में कोई नहीं आया था क्योंकि घर काफी गंदा था सो तीनों औरतें लग गई घर की सफाई में और मैं तीनों से बोलकर निकल गया तलाब की तरफ कोई चार बज रहे होंगे उस समय। अब क्योंकि खेत काफी बड़ा था सो मैंने सोचा की एक पूरा राउंड लगा लूं एक बार सो निकल गया राउंड लगाने जब मैं घूमते घूमते उस जगह पर पहुंचा जहां ये तलाब शुरू होता था नदी से तो मैने देखा की नदी से धारा फूटी है जो आगे जाकर इस तलाब का रूप ले रही है, जहा से ये धारा फूटी थी वहा का दृश्य बहुत अच्छा था लगातार पानी बहने से एक छोटा सा चिकने पत्थर की पानी से भरी हुई टंकी सी बनी हुई थी और उसके दोनो तरफ पूरी हरियाली थी मैं थोड़ी देर वहा बैठा रहा फिर चल पड़ा। मैने देखा पूरी जमीन कही दीवार और कही लोहे के बाड़े से घिरी हुई थी और काफी दूर तक मुझे और कोई दिखा नही न ही किसी का घर दिखा खैर मैं लौटा तो करीब ६:३० बज रहे थे। घर आने के बाद मैने देखा घर एकदम साफ हो गया था चका-चक। तीनों औरतों ने मिलकर घर की सूरत ही बदल दी थी। साफ करने के बाद तीनों एक कमरे बैठ कर गप्पे लड़ा रही थी की ये करेंगे वो करेंगे यहां घूमेंगे वहा घूमेंगे ऐसा वैसा खैर ७ बजे प्रधानमंत्री का संबोधन आना था सो हम सब साथ बैठकर मोबाइल पर लगा कर सुनने लगे और जो सुना उसे सुनकर बाकी लोगो का तो पता नहीं मेरी तो गांड़ फट के धुआं हो गई देश में २१ दिनों का लॉकडाउन लग रहा था। वो तीनो एकदम घबरा गई साथ में मैं भी पापा चाचा और मामा बारी बारी से तीनो को फोन आया और हमने ये तय किया की सुबह होते ही हम लोग यहाँ से निकल लेंगे ।
 
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tpk

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सो इन २-३ दिनों में मैं सिर्फ एक बार अपनी मां और चाची की गोरी गांड़ ही देख पाया सुबह हगते हुए बस




l खैर जैसे तैसे २४ तारीख आई हम लोगो ने सारा समान पैक किया मैने अपने कपड़े के बैग में ४-५ जोड़ी लोअर और टी शर्ट डाली क्योंकि वैसे भी सिर्फ खेत में ही घूमना था सो वो बहुत था। मां लोगो ने एक बैग में अपने तीनों लोगो के कुछ कपड़े रखे और हमने बाकी रसोई का समान जैसे गैस सिलेंडर और चूल्हा और कुछ बर्तन वगैरह रखा अपनी गाड़ी में और ये सोचा गया की इतना समान हम ले चलें बाकी सब जैसे इन लोगो के कपड़े अपने कपड़े वगैरह पापा लोग ले आएंगे दूसरे दिन। हम सब लोग गाड़ी में बैठ कर निकल पड़े आगे मां बैठी थी और पीछे चाची और मामी और थोड़ा बहुत समान जो डिग्गी में नही आया था वो था गाड़ी मैं चला रहा था। करीब ३-४ घंटे गाड़ी चलाने के बाद हमारा खेत आया मैंने देखाकि आगे से उसमे दीवार उठी है काफी दूर तक और बीच में एक दरवाजा लगा हुआ था गाड़ी से उतर कर मैने दरवाजा खोला और चल पड़े हम अंदर। काफी अंदर जाने पर हमें वो घर दिखा उसकी चाभी मां के पास थी मां ने उतरकर घर खोला और हम चारो लोग समान उतारने लगे गाड़ी से जब समान सब लेकर मैं अंदर गया तो मैने देखा की घर में कुछ खास बना नही है तीन कमरे थे एक रसोई, आंगन और एक छत पर कमरा था आंगन से ही एक दरवाजा पीछे भी खुलता था और वही किनारे आम का एक पेड़ लगा हुआ था। पानी की व्यवस्था के नाम पर आंगन में एक तरफ एक कुआं बना हुआ था। घर से पीछे मुश्किल से ७०-८० फुट की दूरी पर वो तलाब जैसी झील थी। घर के कमरों की खिड़कियों पर कांच भी नही लगा था वो तो शुक्र है भगवान का लाइट का कनेक्शन था और हर कमरे में एक -एक पंखा लगा हुआ था। न जाने कब से घर में कोई नहीं आया था क्योंकि घर काफी गंदा था सो तीनों औरतें लग गई घर की सफाई में और मैं तीनों से बोलकर निकल गया तलाब की तरफ कोई चार बज रहे होंगे उस समय। अब क्योंकि खेत काफी बड़ा था सो मैंने सोचा की एक पूरा राउंड लगा लूं एक बार सो निकल गया राउंड लगाने जब मैं घूमते घूमते उस जगह पर पहुंचा जहां ये तलाब शुरू होता था नदी से तो मैने देखा की नदी से धारा फूटी है जो आगे जाकर इस तलाब का रूप ले रही है, जहा से ये धारा फूटी थी वहा का दृश्य बहुत अच्छा था लगातार पानी बहने से एक छोटा सा चिकने पत्थर की पानी से भरी हुई टंकी सी बनी हुई थी और उसके दोनो तरफ पूरी हरियाली थी मैं थोड़ी देर वहा बैठा रहा फिर चल पड़ा। मैने देखा पूरी जमीन कही दीवार और कही लोहे के बाड़े से घिरी हुई थी और काफी दूर तक मुझे और कोई दिखा नही न ही किसी का घर दिखा खैर मैं लौटा तो करीब ६:३० बज रहे थे। घर आने के बाद मैने देखा घर एकदम साफ हो गया था चका-चक। तीनों औरतों ने मिलकर घर की सूरत ही बदल दी थी। साफ करने के बाद तीनों एक कमरे बैठ कर गप्पे लड़ा रही थी की ये करेंगे वो करेंगे यहां घूमेंगे वहा घूमेंगे ऐसा वैसा खैर ७ बजे प्रधानमंत्री का संबोधन आना था सो हम सब साथ बैठकर मोबाइल पर लगा कर सुनने लगे और जो सुना उसे सुनकर बाकी लोगो का तो पता नहीं मेरी तो गांड़ फट के धुआं हो गई देश में २१ दिनों का लॉकडाउन लग रहा था। वो तीनो एकदम घबरा गई साथ में मैं भी पापा चाचा और मामा बारी बारी से तीनो को फोन आया और हमने ये तय किया की सुबह होते ही हम लोग यहाँ से निकल लेंगे ।
good
 

Verma sahab

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सो इन २-३ दिनों में मैं सिर्फ एक बार अपनी मां और चाची की गोरी गांड़ ही देख पाया सुबह हगते हुए बस




l खैर जैसे तैसे २४ तारीख आई हम लोगो ने सारा समान पैक किया मैने अपने कपड़े के बैग में ४-५ जोड़ी लोअर और टी शर्ट डाली क्योंकि वैसे भी सिर्फ खेत में ही घूमना था सो वो बहुत था। मां लोगो ने एक बैग में अपने तीनों लोगो के कुछ कपड़े रखे और हमने बाकी रसोई का समान जैसे गैस सिलेंडर और चूल्हा और कुछ बर्तन वगैरह रखा अपनी गाड़ी में और ये सोचा गया की इतना समान हम ले चलें बाकी सब जैसे इन लोगो के कपड़े अपने कपड़े वगैरह पापा लोग ले आएंगे दूसरे दिन। हम सब लोग गाड़ी में बैठ कर निकल पड़े आगे मां बैठी थी और पीछे चाची और मामी और थोड़ा बहुत समान जो डिग्गी में नही आया था वो था गाड़ी मैं चला रहा था। करीब ३-४ घंटे गाड़ी चलाने के बाद हमारा खेत आया मैंने देखाकि आगे से उसमे दीवार उठी है काफी दूर तक और बीच में एक दरवाजा लगा हुआ था गाड़ी से उतर कर मैने दरवाजा खोला और चल पड़े हम अंदर। काफी अंदर जाने पर हमें वो घर दिखा उसकी चाभी मां के पास थी मां ने उतरकर घर खोला और हम चारो लोग समान उतारने लगे गाड़ी से जब समान सब लेकर मैं अंदर गया तो मैने देखा की घर में कुछ खास बना नही है तीन कमरे थे एक रसोई, आंगन और एक छत पर कमरा था आंगन से ही एक दरवाजा पीछे भी खुलता था और वही किनारे आम का एक पेड़ लगा हुआ था। पानी की व्यवस्था के नाम पर आंगन में एक तरफ एक कुआं बना हुआ था। घर से पीछे मुश्किल से ७०-८० फुट की दूरी पर वो तलाब जैसी झील थी। घर के कमरों की खिड़कियों पर कांच भी नही लगा था वो तो शुक्र है भगवान का लाइट का कनेक्शन था और हर कमरे में एक -एक पंखा लगा हुआ था। न जाने कब से घर में कोई नहीं आया था क्योंकि घर काफी गंदा था सो तीनों औरतें लग गई घर की सफाई में और मैं तीनों से बोलकर निकल गया तलाब की तरफ कोई चार बज रहे होंगे उस समय। अब क्योंकि खेत काफी बड़ा था सो मैंने सोचा की एक पूरा राउंड लगा लूं एक बार सो निकल गया राउंड लगाने जब मैं घूमते घूमते उस जगह पर पहुंचा जहां ये तलाब शुरू होता था नदी से तो मैने देखा की नदी से धारा फूटी है जो आगे जाकर इस तलाब का रूप ले रही है, जहा से ये धारा फूटी थी वहा का दृश्य बहुत अच्छा था लगातार पानी बहने से एक छोटा सा चिकने पत्थर की पानी से भरी हुई टंकी सी बनी हुई थी और उसके दोनो तरफ पूरी हरियाली थी मैं थोड़ी देर वहा बैठा रहा फिर चल पड़ा। मैने देखा पूरी जमीन कही दीवार और कही लोहे के बाड़े से घिरी हुई थी और काफी दूर तक मुझे और कोई दिखा नही न ही किसी का घर दिखा खैर मैं लौटा तो करीब ६:३० बज रहे थे। घर आने के बाद मैने देखा घर एकदम साफ हो गया था चका-चक। तीनों औरतों ने मिलकर घर की सूरत ही बदल दी थी। साफ करने के बाद तीनों एक कमरे बैठ कर गप्पे लड़ा रही थी की ये करेंगे वो करेंगे यहां घूमेंगे वहा घूमेंगे ऐसा वैसा खैर ७ बजे प्रधानमंत्री का संबोधन आना था सो हम सब साथ बैठकर मोबाइल पर लगा कर सुनने लगे और जो सुना उसे सुनकर बाकी लोगो का तो पता नहीं मेरी तो गांड़ फट के धुआं हो गई देश में २१ दिनों का लॉकडाउन लग रहा था। वो तीनो एकदम घबरा गई साथ में मैं भी पापा चाचा और मामा बारी बारी से तीनो को फोन आया और हमने ये तय किया की सुबह होते ही हम लोग यहाँ से निकल लेंगे ।
Awesome update waiting next
 
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