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Adultery जय हो लॉकडाउन!!

a_girl

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हम उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर बस्ती के रहने वाले है, हमारा शहर एक आम छोटे शहर की तरह था न बहुत उन्नत न बहुत पिछड़ा। और हां एक और बात ये जो ऊपर उम्र लिखी है न वो इसलिए है क्योंकि गांव वगैरह में काफी कम उम्र में ही शादी हो जाती थी। जब मेरी मां की शादी हुई वो 18 साल की थी और पापा 20 के, मां 19 की थी जब मैं पैदा हुई। पापा और चाचा मिल कर एक कपड़ो की दुकान चलाते थे जो काफी अच्छी चलती थी। हमारी खेती भी थी जो सब लोग मिल कर देख लेते थे। खेती में इसलिए और भी आसानी होती थी क्योंकि मां और चाची दोनो का संबंध गांव से था सो वो लोग काफी हद तक खेती के विषय में सब कुछ जानती थी।
मेरी शादी को कुछ ४ साल हो चुके है खैर ये कहानी या यूं कहे की ये घटना मेरे भाई के साथ हुई थी सो आगे की कहानी रवि की जबानी जो की उसने मुझे बताई थी और फिर मैं भी हो गई उसमें शामिल।
 
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Anyone

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अब आप लोगो की प्रतिक्रिया के अनुसार कहानी आगे बढ़ती रहेगी।
Nice hai dear age likhe aap
 
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Rinkp219

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मैं एक शादीशुदा लड़की हूं और ये यहा पर मेरी पहली कहानी या कहे मेरे जीवन का एक अंश है। कृपया आप लोग बताए की स्टोरी के साथ फोटो डालू या नहीं।।
Apne papa ko chance dena
 

a_girl

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हमारा घर शहर के लगभग आखरी छोर पर है हमारे घर के पीछे ही सटा हुआ हमारा एक खेत भी है। हमारे घर में एक तरफ किचन बना था बीच में आंगन और दूसरी तरफ हम लोगो के रहने के कमरे नीचे वाली मंजिल में मम्मी पापा का कमरा बीच में एक बैठक और फिर चाची चाचा का कमरा था। ऊपर वाली मंजिल में मेरा कमरा और दो कमरे और थे जिसमे से एक दीदी का था और एक कोई मेहमान वगैरह आया तो उसके लिए पर अब बंद ही रहते थे वो दोनो कमरे।


mils-home
कुछ इस तरह है हमारा घर बस वो जो किनारे चापकल लगा हुआ है उसके ऊपर कोई छत नही है।
आंगन में ही किचन से सटकर चपाकल लगा हुआ था जो बर्तन - कपड़े धुलने व नहाने के काम आता था। पहले हम लोग संडास वगैरह के लिए घर के पीछे की तरफ खेतो में हो लेते थे पर दीदी की शादी के बाद से घर के पीछे ही बाहर की तरफ एक शौचालय बनवा दिया गया था। मैंने जब अपना इंटर कर लिया तो पापा ने मेरा एडमिशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में करवा दिया। मैं बीच में सिर्फ दीदी की शादी में घर आया कुछ दिन के लिए फिर चला गया वापस।
 

a_girl

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अब इतने साल से था बड़े शहर में, मोबाइल था दोस्त थे सो हर चीज के बारे में पता लगा। ऐसा कोई दिन नही बीतता था जब हम दोस्त लोग आपस में सेक्स चूत चूची लन्ड ये सब बातें न करे। एक चीज जरूर हुई थी मेरे साथ, समय के साथ मुझे भरे बदन की औरतें लड़कियों से ज्यादा आकर्षित करने लगी थी यह तक की हमारी मकान मालकिन जब सुबह नहा कर अपने कपड़े फैला कर चली जाती थी तो भरी दोपहर उसकी ब्रा और चड्डी उठाकर मैं मुठ मरता था।


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