Jiashishji
दिल का अच्छा
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दंड पेलने से जो शरीर बना है ।उसी से तो लौंडा अपनी बहन सही तरीके से पेल पा रहा है।पूरा खूंटा अंदर
" चल अब बताता हूँ तेरा भाई कैसा है , आज चोद चोद के तेरी चीखे न निकलवाई,..अब तो माँ भी दस दिन के लिए नहीं है,... "
" अरे नहीं भैया, मेरे अच्छे भैया, ... मैं तो ऐसे ही चिढ़ा रही थी "...
ये कह के , वो बिस्तर से उठ के भागी, और कभी कन्नी काट के ,... कभी झुक के कमरे में ही उससे बच रही थी , और दूसरे कोने में पहुंच के जीभ निकाल के चिढ़ाती, मानो कह रही हो पकड़ लो तो चोद दो।
भाई भी जैसे थक के बैठ गया हो , हार मान ली,... पर दिमाग तो तेज था तो उससे बोला, चल मेरी हारी ,
अच्छा जरा देख खिड़की के बाहर चाँद की परछाईं पानी में कैसी, ...अरे वो सामने वाले तालाब में,
वो भोली, बावरी, खिड़की पकड़ के झुकी,...
और पीछे से चुपके से आके भाई ने दबोच लिया, दोनों हाथ सीधे चूँची पे और लंड खड़ा तन्नाया चूतड़ पे,...
मज़ा तो गीता को बहुत आ रहा था , पर वो बन के चीखी, .... छोड़ो भैया ये फाउल है,...
बदले में भाई ने उसके गाल चूम लिए और बोला,
तेरी चुम्मी बड़ी मीठी है,...
और पहले हल्के से फिर कस कस के बहन की चूँचियाँ मसलनी शुरू कर दी,
कभी पीछे से उसकी गरदन चूमता कभी पीठ, और हलके हलके उसकी दोनों टांगों के बीच, अपनी टांगो को डाल के फैलाना शुरू किया,
गीता खुद ही गरमा रही थी , पिघल रही थी उसकी गुलाबो में से पानी छलक रहा था,
दस पन्दरह मिनट से भाई चूँची मसल रहा था,पिछवाड़े लंड रगड़ रहा था , कोई भी लौंडिया जाँघे फैला देती,...
और गीता तो कल रात से आधी दर्जन बार से ज्यादा इसी लंड से चुद चुकी,...
उसकी जाँघे एकदम खुल गयीं , और मौक़ा पाके अपन भाई ने अपना मोटा खूंटा सीधे फांको पे रगड़ना शुरू किया, कुछ तो उसे चाची ने सिखाया था और कुछ खुद,.. की जब तक लौंडिया इतनी गरम न हो जाए की पगला के कहे,
" चोद,... चोद मुझे,... "
तब तक लंड को बस ऊपर ऊपर से रगड़ता रहे, माल को मस्त करता रहे,... और गीता ने जब सिसकना शुरू किया तो बस अब उससे भी नहीं रहा गया ,...
और कमर पकड़ के उसने वो करारा धक्का मारा ,...
जो सिर्फ चाची ऐसी भोंसडे वालियों के लिए लगाता था, वो भी चुदाई शुरू होने के काफी बाद,... वो हेलीकाप्टर शॉट की बाल स्टेडियम के बाहर जाए,...
" उईईईईई , ओह्ह्ह्हह्हह ,...... उईईईईई नहीं ,...उफ्फफ्फ्फ़ ,... "
गीता जोर से चीखी,... इतना दर्द तो कल झिल्ली फटने के समय भी नहीं हुआ था , चीखें रुक नहीं रही थी,...
उईईईईई उह्ह्हह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्हह्हह नहीं उफ्फ्फ दर्द के मारे उईईईईई ,...
पर ऐसी चीखें तो अब उसके भैया के जोश में आग में घी का काम करती थी ,अगला धक्का वो और तेज से मारता,...
फुलवा की झिल्ली फाड़ने के पहले थोड़ा वो घबड़ाता था , लेकिन फुलवा के बाद , अपने गौने के सात आठ दिन पहले उसे अमराई में जब फुलवा अपनी छोटी बहन चमेलिया को ले आयी और अपने सामने,... और जब झिल्ली फटते समय वो चिल्लाई, ...
और उसने धक्का रोक दिया तो फुलवा ने उसे उसकी बहन महतारी की दस गाली सुनाई
" अरे मादरचोद, तेरी महतारी का भोंसड़ा नहीं है जो नहीं चिल्लायेगी,... मेरी छोटी बहन है एकदम कुँवारी, और लौंडिया का तो काम ही चिल्लाना , चूतड़ पटकना , रोना चिल्लाना है,... अरे इस समय तो और कस कस के धक्के मारने चाहिए,... अगर साले रुके न तो,... फिर जाके अपनी बहिनिया को चोदना,... चोद कस के , चिल्लाने दे इस को,... अरे आज तक कोई लड़की चुदवाने से, गाँड़ मरवाने से मरी है क्या,...स्साला,... अरे बाबू समझ लो,... अगर रुके न तो हमारी तुम्हारी कुट्टी,... "
उसके बाद तो वो चमेलिया चिल्लाती रही वो कूटता रहा, जबतक खूंटा जड़ तक नहीं धंस गया ,... और उसके बाद भी फुलवा ने उसे नयी उमर की नयी फसल का शौक लगा दिया, वो खुद ही दो तीन को पटा के , एक दो उसके टोले की,... एक बबुआने की भी , कभी गन्ने के खेत में तो कभी ट्यूबवेल वाले कमरे में,... और वो सीख गया,
चिल्लाने से चुदाई नहीं रुकनी चाहिए,...
और आज तो वो पूरा गरमाया था,... जिस तरह गीता उसे चिढ़ा रही थी , वो समझ गया वो भी मस्त हो रही है , जैसे बछिया सांड़ के लिए होकड़ती है,... और सांड़ देख के भागती है लेकिन एक,... बार सांड़ चढ़ जाता है मजे से,... और सांड़ भी कौन बछिया के उचकने से रुकता है ,... तो मरद क्यों रुके,...
हाँ जब पूरा खूंटा अंदर धंस गया तो वो कुछ देर के लिए रुक गया, और बिना बाहर निकाले लंड का बेस चूत के बाहर रगड़ने लगा, एक हाथ उसका बहन की खुली जाँघों के बीच, क्लिट की रगड़ाई,
नतीजा ये हुआ की गीता पहले से गरमाई झड़ने लगी,...और उसने झड़ने दिया
फिर वो ट्रिक जो चाची ने सिखाई थी सिर्फ उन भौजाइयों के ऊपर जो ज्यादा गरमाई रहती हों, जल्द झड़ती न हों , मायके की छिनार , चार पांच बच्चों वाली , बुर फ़ैल के भोंसड़ा हो गयी हो,... बस आज इस कच्ची कली के ऊपर,...
गीता को पता भी नहीं चला और और भाई ने दोनों टाँगे अपनी बाहर निकाल लीं,...
और कैंची बना के अपनी दोनों टांगों से बहन की दोनों टांगों को कस के जकड़ लिया,... गीता की खुली जाँघे कस गयीं , जैसे कोई घुड़वार अपनी जाँघों से घोड़ी को कस के दबोच ले , उसी तरह बहन की चूत ने भाई के लंड को दबोच लिया था
लेकिन बहुत ताकत थी, भाई की कमरिया में , रोज १०० दंड पेलता था, ... तभी तो जिस को एक बार पेल दिया चाहे कन्या कुमारी हो, जिसकी उसने झिल्ली फाड़ी हो या चार बच्चों की माँ, उसके पीछे पीछे चूत हाथ में ले के टहलती थी,
दरेरते, रगड़ते, अपना मोटा लंड बहन की चूत से धीरे धीरे बाहर खींचा, सिर्फ सुपाड़ा बचा था वो भी आधे से कम ही,... अब लंड के बाहर निकलने से चूत एक बार फिर सिकुड़ने लगी, और थोड़ी देर में , एकदम,...
और अब फिर दुबारा पूरी ताकत से भाई ने ठेला, कसी चूत, सटी टाँगे, फंसी फंसी जाँघे,.... भाई को दोनों तगड़ी जाँघों के बीच कस के कसी, दबोची,...