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एकदम गांव का असली मज़ा,सैंया के साथ भुइयां मां ।
बड़ा मज़ा आने अमरईया मां ।।
और ये सब मज़ा फुलवा ने ही सिखाया, अरविन्द को
अब गन्ने के खेत या गाँव की अमराई या नदी के किनारे वाले खेल तमाशे में बेचारी चाची तो सिखा नहीं सकती थी, तो कई गुरुआईने मिलती हैं तो एक किशोर सही मायने में जवान होता है, खेल के हर दांव पेंच सीखता है और उस के बाद तो हर अखाड़े में धोबिया पछाड़, ...