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Erotica छाया ( अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम) (completed)

Alok

Well-Known Member
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Atayant Adhbudh Lovely Anand ji.........

Iss kahani ki jitni prashansa ki jaye woh bhi kam hai, bahut samay baad koi aise kahani padh rahe hai jis mein sambhog ka samay bhi pyaar jhalakta hain.........


Aise hi likhte rahiye........ :love3::love3::love3::love3::love3::love3::love3:
 

Lovely Anand

Love is life
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bhai kahani bahut jabardast hai............ bilkul natural way me ..............
comments kam ho sakte hain............. lekin jo reader ise padh rahe hain wo dil se padh rahe hain...........jinme se ek mein bhi hoon

keep it up
Ok thanks
 

Lovely Anand

Love is life
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भाग -16
अविश्वसनीय ननद
[मैं सीमा]

सम्भोग दर्शन

शनिवार को हम तीनों की ऑफिस की छुट्टियां थीं. सीमा ने आज शाम को ही मेरे लिए संभोग दर्शन की व्यवस्था की थी. रात को संभोग से कुछ देर पहले ही उसने मानस को किचन में कॉफी बनाने के लिए भेज दिया और इसी दौरान मुझे ड्रेसिंग एरिया में आकर छुप जाने के लिए कहा. कुछ ही देर में मानस दो कप कॉफी लेकर आ चुके थे . वह दोनों कॉफी पीते पीते मेरे ही बारे में बात कर रहे थे. सीमा ने कहा
"शादी के दिन छाया कितनी खूबसूरत लग रही थी. मैंने अपने गांव के कई लड़कों और चचेरे भाइयों को उसके बारे में कामुक बातें करते हुए सुना था मुझे लगता है वह विवाह योग्य हो चुकी है" मानस ने कहा " हां, हमें छाया की शादी कर देनी चाहिए."
"हां सच में वह भी अब जवान हो गई उसका भी मन करता होगा."
"हां यह तो शरीर की स्वाभाविक जरूरत है. तुम भी अपने ऑफिस में कोई लड़का देखो"
सीमा ने कहा “हां मैं भी देखूंगी.”
उन दोनों की काफी खत्म हो चुकी थी. कुछ ही देर में मानस और सीमा ने एक दुसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिए. मानस को नग्न देखकर मेरी राजकुमारी एक बार फिर प्रेम रस से भीगने लगी. मानस के नग्न शरीर से मैंने जितना संपर्क बनाया था और उसके आगोश में जितनी रातें गुजारी थी अभी सीमा के लिए दूर की बात थी. पर आज नियति के खेल ने मेरी जगह सीमा को रख दिया था. मानस अनभिज्ञ होकर सीमा के स्तनों से खेल रहे थे और उसकी जांघों के बीच आकर अपने राजकुमार को उसकी रानी के मुख और होठों के बीच में रगड़ रहे थे. सीमा खुद इस तरह लेटी थी जिससे मुझे उसकी रानी स्पष्ट दिखाई पड़े. यह दृश्य मेरी राजकुमारी के लिए असहनीय हो रहा था कुछ ही देर में राजकुमार रानी के अंदर प्रवेश कर गया. सीमा को पता था मैं यह सब देख रही हूं वह मुझे और उत्तेजित करने के लिए आह…. की आवाज निकाली. मानस ने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था और सीमा मानस को अपनी तरफ खींच रही थी. उनकी सम्भोग क्रिया तेजी से आगे बढ़ रही थी. सीमा अपनी कला का प्रदर्शन मेरे सामने खुश होकर कर रही थी. उसे मुझे संभोग दर्शन कराने में एक अलग आनंद मिल रहा था. कुछ ही देर में सीमा डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी. मानस उसकी कमर को पकड़ कर पीछे से धक्के लगा रहे थे. मेरी आखों के सामने एक जीती जागती ब्लू फिल्म चल रही थी. मेरे हाथ अपनी राजकुमारी को सहला रहे थे. इससे पहले मानस और सीमा स्खलित होते मैं यह दृश्य देख कर अपने विवाह की कल्पना और कामना करने लगी.
कुछ ही समय पश्चात मानस और सीमा स्खलित हो गए. सीमा के स्तन भी मानस के प्रेम रस से सन गए थे। सीमा ने जानबूझकर मानस को फिर किचन में कॉफी का कप रखने के लिए भेजा और मैं कमरे से बाहर निकल गइ.
अगले दिन सीमा ने मुझे अपनी बांहों में भरते हुए मेरा अनुभव पूछा. मैं चटखारे लेकर अपने अनुभव को उसे बतायी. वह बहुत खुश थी कि उसने अपनी सहेली को संभोग सुख के साक्षात दर्शन कराए थे. पर मैं कहां संतुष्ट होने वाली थी मैंने उससे कहा मुझे राजकुमार को छूना है. मैंने आज तक किसी पुरुष का लिंग अपने हाथों से नहीं छुआ. वह हंस रही थी. उसने मुझसे कहा
“ पगली वो तुम्हारा भाई है सगा ना सही सौतेला है. तुम उसका लिंग अपने हाथों में लोगी क्या तुम्हें शर्म नहीं आएगी?”
मैंने उससे कहा
“जब उसे पता चलेगा तब ना मुझे तो उसे छूकर एहसास करना है.”
उसे मेरी इन सब बातों में बहुत मजा आता था उसने कहा ठीक है. रविवार को रात को उसने मुझे फिर उसी तरह छुपा दिया और सेक्स के दौरान मानस की आंखों पर पट्टी बाँध दी. मानस की आंखों पर पट्टी बजे होने की वजह से वो हमें देख नहीं पा रहे थे. छाया ने मुझे अपने पास बुला लिया. बिस्तर पर अब मैं और सीमा दोनों थे. मानस नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेटे हुए थे. सीमा ने मुझे इशारा किया और मैंने मानस का लिंग अपने हाथों में ले लिया. मानस के चेहरे पर एक अजब सा भाव आया. वह मेरे हाथों की अनुभूति पहचानते थे पर वह यह यकीन नहीं कर सकते थे की सीमा की उपस्थिति में मैं यह कर सकती हूँ. वह आंखें बंद किए हुए इसका आनंद ले रहे थे. मैंने उनके लिंग को अपरिचित की भांति छूकर महसूस कर रही थी. सीमा मेरे चेहरे को देख कर हंस रही थी. और आंखों से ही प्रश्न कर रही थी कि मुझे कैसा महसूस हो रहा है?
मैं बड़ी उत्सुकता से राजकुमार को आगे पीछे कर रही थी. लिंग में तनाव बढ़ चुका था और वह उछल रहा था. मानस के राजकुमार की यह उछाल मैंने कई वर्षों तक महसूस की थी. कुछ ही देर में मैंने अपने हाथ उनके राजकुमार से हटा लिए. सीमा ने उसी स्थिति में मानस के राजकुमार पर अपनी रानी को रख दिया और कुछ ही देर में राजकुमार रानी में विलुप्त हो गया. इतने करीब से सीमा को सम्भोग करते देख मेरी राजकुमारी पानी पानी हो रही थी. सीमा की कमर के ऊपर जाते ही कुछ देर के लिए राजकुमार दिखाई पड़ता और फिर रानी में विलुप्त हो जाता. सीमा मेरे सामने ही सम्भोग कर रही थी और मैं उसके बगल में खड़ी थी. यह एक अद्भुत दृश्य था. मैं वहां से हट कर वापिस जाने लगी पर सीमा ने मेरा हाथ पकड़ लिया. जीवंत संभोग को इतने करीब से देख कर मेरे मन में अभूतपूर्व वासना का संचार हुआ था मैं उत्तेजना से कांप रही थी. मेरी उत्तेजना को शांत करने वाले मेरे दोनों ही साथी मुझे छोड़ आपस में संभोग कर रहे थे मैं तरस रही थी. उन दोनों की खुशी को देख कर मैं मन ही मन खुश भी थी. एक न एक दिन यह सुख मुझे भी प्राप्त होना था. मैं ईश्वर से इसके लिए प्रार्थना भी कर रही थी मेरा कौमार्य भेदन भी मानस भैया के राजकुमार द्वारा ही हो पर शायद यह असंभव था हम दोनों ही वचनबद्ध थे. मानस भैया के लिंग से वीर्य वर्षा होते ही मेरा साक्षात दर्शन खत्म हो चुका था. मैं सधे हुए कदमों से धीरे-धीरे चलते हुए कमरे से बाहर आ गयी दरवाजा मैंने सटा दिया था.
सीमा ने मुझे बाद में यह बताया कि मेरी उपस्थिति में उसे संभोग करने में एक अलग किस्म का मजा आता है. वह चाहती थी कि काश मैं हमेशा उस समय उसके पास ही रहती.
अगले दिन मानस मेरे पास किचन में आए मैं चाय बना रही थी उन्होंने पूछा "छाया क्या तुम कल मेरे कमरे में आई थी?"
"मैंने कहा कब"
"जब मैं और सीमा साथ थे" वो खुलकर नहीं बोल रहे थे.
"नहीं"
"सच बताओ ना"
"क्यों क्या हो गया?"
"कल अचानक मुझे महसूस हुआ कि तुम्हारे हाथों ने राजकुमार को छुआ था" मैंने कहा
"अब आप मुझे भूलकर सीमा दीदी में मन लगाइए" और हंसने लगी. वह देखिये मेरी भाभी की उमर लंबी है... सीमा कमरे से निकलकर किचन में आ रही थी.
मानस भैया डाइनिंग टेबल पर बैठकर चाय पीते हुए अपनी दोनों परियों को एक साथ देख रहे थे उनके मन में उठे कई प्रश्न अधूरे थे पर मुझे उनका उत्तर देना अभी आवश्यक नहीं लग रहा था. उनके इंतजार में ही हम सबकी भलाई थी.
एक दिन मानस की आंखों पर पट्टी बांधकर फिर सीमा ने मुझे अपने पास बुला लिया मैं मानस का लिंग सहला रही थी तभी उसने मेरे घागरे का नाड़ा खोल दिया मैं पूरी तरह नग्न हो चुकी थी. कुछ ही देर में उसने मेरा टॉप भी हटा दिया. अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे. सीमा मेरी राजकुमारी को छू रही थी और मैं मानस के लिंग को अपने हाथों से खिला रही थी. मुझे मानस के लिंग को हिलाते देखकर उसके मन में एक अजीब किस्म की खुशी आती थी. उसने मुझसे चुप रहने के लिए कहा और मानस के हाथ लाकर मेरी राजकुमारी पर रख दिए. मानस की उंगलियां मेरी राजकुमारी को बहुत अच्छे से पहचानती थीं. मानस जान चुके थे उन्होंने सीमा से कहा
“अरे तुम्हारी रानी तो आज अलग ही लग रही है”
“हां मैंने इसे विशेष रूप से तैयार किया है” सीमा अभी मानस के मनोदशा से अनभिज्ञ थी
सीमा को इस खेल में मजा आ रहा था. उसने मुझे झुकने का इशारा किया और मानस के हाथ मेरे स्तनों पर रख दिए. मानस पूरी तरह जान चुके थे कि मैं वहीं पर पूर्ण नग्न अवस्था में थी. उन्होंने मुझे अपने पास खींच लिया. मैं पूर्ण नग्न अवस्था में मानस भैया के ऊपर आ चुकी उनके एक हाथ मेरी पीठ पर और दूसरा नितंबों पर आ गया. सीमा हतप्रभ थी.उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें. मानस भैया लगातार मुझे सहला रहे थे कुछ ही सेकंड में उसने स्वयं मानस की आंखों पर से पट्टी हटा दी. शायद वह डर गई थी की थोड़ी ही देर में मानस भैया का राजकुमार मेरी राजकुमारी का कौमार्य भेदन कर देता और वह इस अनचाही घटना की जिम्मेदार होती। सीमा सिर झुका कर खड़ी हो गई । वह अबोध नवबधु की तरह नग्न अवस्था में सिर झुकाए खड़ी थी और अपराध बोध से ग्रस्त थी.
उसे मानस मिलने वाले डांट की प्रतीक्षा थी. उसने स्वयं की उत्तेजना के लिए कुछ ऐसा कर दिया था जो उसकी नजर में एक असीम गुनाह था. उसकी आंखों में थोड़े आंसू भी थे. वह डर से कांप रही थी मानस भैया के चेहरे पर मुस्कान थी. मैं भी मुस्कुरा रही थी.
अचानक ही मानस ने हाथ बढ़ाकर सीमा को अपने पास खींच लिया. मानस भैया की एक तरफ मैं और दूसरी तरफ से वह आ चुकी थी. हम तीनों नग्न अवस्था में बिस्तर पर एक साथ थे. वह सीमा के आंसू पूछ रहे थे और अपने होठों से उसके गालो और होठों को चूम रहे थे. सीमा सुबक कर रही थी. मानस के प्यार से वह धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी. उसमे थोड़ी हिम्मत आ गई थी. सीमा सुबकते हुए बोली
"मुझे माफ कर.……." वह कुछ बोल पाती इससे पहले हम दोनों हंस पड़े. सीमा आश्चर्यचकित होकर हमें देख रही थी. मानस ने उसे उठाकर हम दोनों के बीच में कर दिया. हम दोनों सीमा के गालों को चूम रहे थे. मानस ने सारी बातें एक ही बार में उसे बता दी. सीमा मेरी तरफ मुड़ी और मेरे काम खींचते हुए बोली
"तू तो मेरी पक्की सहेली थी. कम से कम तू तो बता देती. मैंने उसे होठों पर चूम लिया मानस का राजकुमार अपनी रानी को खोजता हुआ उसमें प्रवेश कर चुका था. हमारा अद्भुत मिलन गंगा जमुना और सरस्वती की भांति हो चुका था सरस्वती जिस तरह विलुप्त है मेरी खुशियों में भी अभी ग्रहण लगा हुआ था. मैं अभी भी संभोग सुख से वंचित थी पर हम तीनों के मिलन का आनंद एक नई उपलब्धि थी.
सीमा को यकीन ही नहीं हो रहा था कि हम दोनों पिछले तीन-चार वर्षो से यह कार्य साथ में करते आ रहे हैं. उसने मेरा कौमार्य देखा था और उसके लिए यह यकीन करना संभव नहीं हो पा रहा था कि इतने दिनों तक साथ में रहने के बाद मेरा कौमार्य किस तरह सुरक्षित था.
सीमा हम दोनों के बीच में थी मानस की कमर हिलाने की वजह से उसका शरीर धीरे-धीरे एक लय में हिल रहा था. मैं उसके स्तनों को प्यार से सहला रही थी. वह मंद मंद मुस्कुराते हुए आने वाले जीवन की कल्पना कर रही थी. निश्चय ही उसकी इस कल्पना में मेरा भी स्थान था.
 
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Lovely Anand

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भाग -17

त्रिकोणीय प्रेम
(मैं मानस)

सीमा ने छाया को अपने साथ लाकर हम तीनों की जिंदगी में एक नया रोमांच पैदा कर दिया था माया आंटी इस समय घर पर अकेली ही रहती थी. शर्मा जी अभी भी विदेश से नहीं लौटे थे. आंटी के लिए उनकी अनुपस्थिति खलती तो जरूर थी पर यह नियत का ही खेल था.
घर पर हम चार लोग आनंद पूर्वक रह रहे थे. सीमा के आ जाने से छाया का मेरे कमरे में आना जाना सामान्य बात हो गई थी कभी-कभी तो रात को माया आंटी भी कमरे में आ जाती हम सब गांव की बातें करते और पुराने दिनों को याद करते. जाते वक्त वो छाया को अपने साथ चलने के लिए कहतीं ताकि मुझे और सीमा को निजी पल मिल सकें. छाया उनके साथ चली तो जरूर जाती कुछ ही देर में वह वापस हमारे कमरे में आ जाती.
मेरे सेक्स जीवन में एक नया रोमांच पैदा हो चुका था बिस्तर पर हम तीनों बिना वस्त्रों के पूर्णतया नग्न होकर एक दूसरे के आगोश में लिपटे होते. छाया अभी तक कुंवारी थी और इसीलिए हम सबकी प्यारी थी. हम सब तो संभोग का सुख ले रहे थे पर छाया इस सुख सुख से वंचित थी. हम दोनों उसका विशेष ध्यान रखते थे . सबसे विषम स्थिति छाया की थी वह सीमा को कभी दीदी बोलती कभी भाभी मेरे लिए भी उसके संबोधन अब अलग-अलग प्रकार के होते थे. सामान्यतयः हो मुझे नाम से नहीं बुलाती थी पर कभी-कभी उसे मुझे मानस भैया बोलना ही पड़ता था. खासकर सीमा के आने के बाद. जब से हमारे प्रेम प्रसंग पर माया आंटी ने विराम लगाया था मैं उसके लिए मानस भैया बन चुका था. पर यह हम दोनों में से किसी को यह स्वीकार्य नहीं था. लेकिन वह सभी के सामने मुझे मानस भैया ही बोलते थी. और इसी कारण कभी-कभी वह अंतरंग पलों में भी मुझे मानस भैया बोलती थी.
मैं हंस पड़ता और वह भी शर्मा जाती. हम तीनों बिस्तर पर वह सारे कार्य करते हैं जो एक पुरुष और 2 स्त्रियां मिलकर कर सकते थे. छाया के पास वह सारे गुण थे जो उसे मेरी और सीमा की चहेती बनाए रखते. अब तो उसने सीमा को अपने निकट में ही संभोग करते हुए भी देख लिया था. ब्लू फिल्मों में दिखाये गये सारे आसान और गतिविधियां अब हमारे जीवन में आ चुकीं थी. दोनों ही युवतियां शारीरिक शारीरिक रूप से दक्ष थी. उनके शरीर लचीले थे. वह मेरे ऊपर तरह-तरह के प्रयोग करती और मुझे थका देतीं. प्रेम कीड़ा का अद्भुत आनंद आता था. छाया के दाहिने स्तन पर मेरा कब्जा हुआ करता था और बाएं स्तन पर सीमा का हम दोनों उसे गालों से चूमना शुरु करते हैं और उसकी गर्दन होते हुए उसके स्तनों तक आ जाते. उसके स्तनों को अपने मुंह में चुभलाते हुए हमारे हाथ उसकी नाभि के दोनों तरफ से नीचे जा रहे होते. हमारे हाथ धीरे-धीरे उसकी जांघों तक पहुंच जाते. उन्हें फैलाते हुए उसकी राजकुमारी के दोनों होठों पर हम दोनों का अधिकार होता. उसकी राजकुमारी के होठों को चुमते समय हमारे होंठ आपस में मिल जाते. सीमा और मुझमे यही होड़ लग जाती कि छाया को पहले कौन खुश कर दें. छाया हम दोनों के सिर पर हाथ फिराती रहती. कुछ ही देर में उसकी जांघों में बेचैनी बढ़ जाती. हम स्थिति समझ जाते और अंततः राजकुमारी को सीमा के हवाले कर मैं उठकर ऊपर की तरफ आ जाता और वापस दोनों स्तनों को अपने कब्जे में ले लेता. हम पहले छाया को स्खलित करते इस क्रिया में हम दोनो स्वयम उत्तेजित हो जाते. कुछ ही समय में मैं सीमा की जांघों के बीच उसकी रानी में अपने राजा को प्रवेश करा रहा होता और छाया सीमा के स्तनों को मुंह में लेकर प्यार से चूस रही होती.
कई बार छाया अपनी राजकुमारी को सीमा के मुख पर रख देती थी और मेरी तरफ चेहरा करके मुझसे सटी रहती थी. मैं सीमा का योनि मर्दन कर रहा होता और साथ ही साथ छाया के दोनों स्तनों को भी सहला रहा होता. कभी मेरे हाथ में छाया के स्तन पर होते कभी सीमा के. सीमा छाया की राजकुमारी को अपने होठों से चूस रही होती. यह अवस्था हम तीनों की पसंदीदा थी. इस अवस्था में हम तीनों कई बार एक साथ स्खलित होते थे. उस समय मेरे वीर्य की धार अब दोनों अप्सराओं को एक साथ भिगोती. मैं अपने वीर्य को दोनों के स्तनों पर मलता और मेरे कहने से पहले ही वह दोनों अपने स्तन एक दूसरे से रगड़ने लगतीं और मैं उनके नितंबों को सहलाने लगता. अंत में हम तीनों एक दूसरे की तरफ देखते हुए मुस्कुराते और एक दूसरे के आलिंगन में आकर सो जाते. छाया को सुबह माया आंटी के उठने से पहले कमरे से बाहर जाना होता. सामान्यतः छाया हमारे खेल की समाप्ति के बाद ही अपने कमरे में चली जाती. हम दोनों उसकी कमी महसूस करते हुए और उसके बारे में बात करते हुए सो जाते.

हम तीनों तरह-तरह के प्रयोग करते हुए अपना सुखद वैवाहिक जीवन जी रहे थे. हमें हर पल छाया के लिए एक उचित वर की तलाश थी जिससे उसे भी संभोग का सुख मिल सके. नए आसनों के प्रयोग में एक बार दुर्घटना होते होते बची. छाया सीमा के ऊपर थी उन दोनों के स्तन एक दूसरे से टकरा रहे थे और दोनों एक दुसरे को चूम रहीं थीं. मैं बाथरूम से निकलकर बाहर आया मुझे यह दृश्य अद्भुत लगा दोनों की जांघे आपस में सटी हुई थीं. मुझे 2 राजकुमारियां एक दूसरे से सटी हुई प्रतीत हो रही थी. ऐसा लग रहा था एक गुलाबी गुलाब की कली और लाल गुलाबी कली को आपस में सटा कर रख दिया गया था. इतना मोहक दृश्य मैंने पहले कभी नहीं देखा था. नीचे लेटी सीमा की जांघें फैली हुई थीं. उसकी रानी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी. मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और तुरंत ही जाकर अपने राजकुमार को सीमा की रानी में प्रवेश करा दिया और छाया की राजकुमारी को अपने हाथों से सहलाने लगा. वह दोनों मुस्कुरा रहीं थीं. उन दोनों के स्तन अभी भी एक दूसरे से सटे हुए थे और दोनों आलिंगन में थी. मेरी उंगलियां छाया की राजकुमारी के होठों को फैलातीं और उसके मुख में गुदगुदी करतीं. मैंने सीमा की रानी से अपने राजकुमार को निकाला और अपने तनाव की वजह से वह बिना कुछ कहे हैं छाया की योनि के मुख पर आ गया. उत्तेजना बस मेरे राजकुमार का तनाव राजकुमारी के मुख पर स्वभाविक रूप से हो गया. कामोत्तेजना के उद्वेग में राजकुमार छाया की राजकुमारी की कौमार्य झिल्ली तक पहुंच गया था. छाया राजकुमार के इस अप्रत्याशित आगमन की प्रतीक्षा में नहीं थी वह चौक गयी. और झटके से सीमा के ऊपर से हटकर बिस्तर पर आ गयी और मेरी तरफ देखने लगी. मुझे अपराध बोध हुआ और मैं हंस पड़ा. मैंने सिर्फ इतना कहा
“यह स्वयं ही वहां कूदकर चला गया” वह दोनों हंस पड़े. छाया उठकर मेरे राजकुमार के पास आयी जैसे उसे दंड देने जा रही थी. राजकुमार के पास आकर उसने उसे अपने मुंह में ले लिया और उसे कुछ देर चूस कर उसे सीमा की रानी में वापस प्रविष्ट करा दिया. वह मुस्कुरा रही थी और मैं भी. अगले कुछ महीने तक छाया हमारे लिए इश्वर का वरदान थी.
माया आंटी को अभी तक हमारे इस त्रिकोणीय प्रेम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और हम सब प्रसन्न थे.
छाया का नया जीवन

नयी नौकरी.
[मैं छाया]
मैं अपनी नई नौकरी ज्वाइन कर चुकी थी. मेरा ऑफिस घर से कुछ दूरी पर था. ऑफिस की गाड़ी मुझे लेने आती और ऑफिस खत्म होने के बाद घर छोड़ जाती. मेरी जिंदगी में यह एक नया अनुभव हो रहा था. ऑफिस के बाकी दोस्तों से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगता. हम सब दिन भर अपने बारे में एक दूसरे से बातें किया करते. ऑफिस में अधिकतर पुरुष थे और कुछ महिलाएं थी. मेरे पक्की सहेली पल्लवी भी इसी कंपनी में थी. हमारे दिन बड़े अच्छे से बीतने लगे. घर पर मानस और सीमा के साथ मेरी रातें रंगीन थीं ही दिन भी अच्छे से कट जा रहा था. सारे सुख मिल गए थे एक ही कमी थी वो सम्भोगसुख.
2 महीने की ट्रेनिंग के बाद हमें हमारे डिपार्टमेंट में शिफ्ट किया गया मेरे नए बॉस मिस्टर एस के मल्होत्रा थे उनकी उम्र लगभग मानस के जैसी होगी. वह अत्यंत सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व के थे. वह हष्ट पुष्ट भी थे. वह हमेशा सख्त स्वभाव के लगते थे हम लोग उनके पास मिलने गए पर जितने कठोर वो दिखते थे उतनी ही नम्रता से हम सब से मिले.

कुछ ही दिनों में हम सब अपने कार्य में व्यस्त हो गए. मल्होत्रा जी मुझसे हमेशा अच्छे से बात करते थे. डिपार्टमेंट के बाकी लोग उनसे डरते थे परंतु मुझे उन से डर नहीं लगता था. मैं अपने कार्य में दक्ष थी और इस बात को वह पूरी तरह पसंद करते थे. कुछ ही दिनों में वह मेरे अच्छे दोस्त बन गए थे. वह मुझे हर बात में गाइड करते और मेरे कार्यों से खुश रहते थे. कभी-कभी वह मेरे निजी जीवन के बारे में भी पूछते. मैं उन्हें उचित दूरी बनाकर अपने बारे में बताती. बातों ही बातों में मुझे यह भी मालूम चला कि वह शादीशुदा नहीं थे. घर पर हमेशा मानस और सीमा मुझे शादी के लिए प्रेरित करते रहते थे वह दोनों भी मेरे लिए कोई अच्छा लड़का देख रहे थे मुझे मल्होत्रा जी धीरे-धीरे अच्छे लगने लगे थे परंतु मैं यही प्रतीक्षा कर थी कि वह खुद ही प्रपोज करें पर ऐसा नहीं हो रहा था. हम दोनों एक दोस्त की भांति कई महीने तक रहे पर हमारे बीच में हमेशा एक मर्यादा कायम रही..

मैंने सीमा भाभी को मल्होत्रा जी के बारे में बता दिया था. हम दोनों उनके बारे में बातें करते थे. सीमा भाभी उन्हें देखने की जिद करती थी. एक दिन मैंने ऑफिस में उनके साथ एक सेल्फी ली और सीमा भाभी को दिखाया वह देखते ही चौक गई. मैंने पूछा
“क्या हुआ” वह बात टाल गयीं और बोलीं
“अरे यह तो बहुत हैंडसम है. तुम्हें इससे बात आगे बढ़ानी चाहिए “
मुझे सीमा दीदी के विचार जानकर बहुत खुशी हुई.
मैं और मल्होत्रा जी आने वाले समय में और करीब आते गए.
 
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nilu12

Fuck for relaxation not for love
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bhai sabki sabki alag soch hoti hai...par jab ye boss wala kissa aya aur ab chhaya ka uske sath milan ki bat sunke hi dil main ek teea si uthi shayad ab age story main na padh pau. fir bhi apki story hamesh chalti rahe iske liye shubkamnaye bhai..
i am quitting..
but you are great writer bhai. apne hisab se likhate rahana
 
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Reactions: kamdev99008

Lovely Anand

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bhai sabki sabki alag soch hoti hai...par jab ye boss wala kissa aya aur ab chhaya ka uske sath milan ki bat sunke hi dil main ek teea si uthi shayad ab age story main na padh pau. fir bhi apki story hamesh chalti rahe iske liye shubkamnaye bhai..
i am quitting..
but you are great writer bhai. apne hisab se likhate rahana
Chhaaya maanas ki hai aur rahegi. Wo dono ek dusare ke poorak hai. Jab samay mile jarror padhiyega. Tab tak ke liye shubhkaamnaae
 
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