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Disclaimer: this story is fictional so don't take it seriously all charector are fake and writer don't promote these kind of relation in real life
Chapter 1
मेरी ये पहली कहानी है तो हो सकता है कि मुझसे बहुत सारी गलतियां हो कभी कभी आप बोर भी महसूस करे। तो कृपया माफ करना और साथ देना।
हम सभी इंसानो को लगता हे कि धरती पर एक ही इंसानों की प्रजाति हे होमो सीपीएन लेकिन बहुत सालों पहले एक और थी। राजा महाराजाओ के दौर में होमो सेक्सुअलिस। इस प्रजाति के लोग एक नम्बर के चुदकड़ हुआ करते थे। चलिए ले चलता हूँ आपको ऐसी ही प्रजाति के एक परिवार में धर्मवीर का परिवार।
धर्मवीर: ये गांव के जागीरदार और बड़े व्यापारी हैं इनको जागीरदारी अपने नाना से व व्यापार अपने पापा से मिला। शरीर से एकदम पहलवान और एक नम्बर का चुदकड़।
कावेरी: धर्मवीर की मां। इनका एक राज हे जो आपको इस अपडेट में पता चलेगा। गदराये चुदकड़ जिस्म की मालकिन एक नम्बर की रण्डी। 60 में भी चालीस की दिखती हे सब प्रजाति का कमाल था।
कलावती: धर्मवीर की पत्नी धर्मवीर इसके मोशी का लड़का है। रण्डी की तरह चुदाना पसंद हे। 40 की उम्र हे लेकिन पति से उतनी ही ताकत से चुदवाती हे जितना 18 में थी। इसके तीन बच्चे है 2 बेटियां और एक बेटा। बेटे को गुरुकुल भेज रखा है शिक्षा के लिए जल्द ही लौटने वाला है।
शाम का वक्त था धर्मवीर अपनी दिनचर्या के बाद नहा धोकर अपनी पत्नी से शरीर की मालिश करवा रहा था। धर्मवीर आगे बैठा था और कलावती पीछे बैठी कंधों की मालिश कर रही थी। कावेरी ओखली में मिर्ची कूट रही थी। मां धोती में लटक रहे मूसल लन्ड को देख के गर्म हो रही थी वहीं बेटा मां की चूत को देख कर आंखे सेक रहा था।
तभी पायल की आवाज़ से उसका ध्यान भटक जाता हैं। ये आवाज उसकी बड़ी बेटी पारो की थी। इसी साल 22 की हुई है बदन भी मां के जैसे गदरा गया है मोटी जांघें चोड़ी गदेदार मादक गान्ड और बड़े पपीते जैसे के स्तन पूरी चुदकड़ घोड़ी थी।
धर्मवीर: "और बिटिया कहा हो आए ज़र्रा यहां तो आओ। देखो तो मां कितनी बड़ी हो गई हे देखते ही देखते" ये बात उसने उसके बदन को खाने वाली नज़र से घूरते हुए कही।
कावेरी: " मोटी तो गई बिल्कुल अपनी मां जैसी घोड़ी बन गई मैं तो कह रही हु इसकी शादी करदे।"
पारो "क्या दादी आप भी " वो शर्मा के कमरे में चली गई और दरवाजे के पीछे खड़ी होके बात सुनने लगी।
कावेरी " बेटे आंखें क्या सेक रहा तेरी ही घोड़ी हे चढ़ जा देदे इसे भी तेरे इस मूसल का सुख।"
धर्मवीर " आप भी मां अभी छोटी हे वो"
कावेरी " देख बेटा बेटी वही अच्छी लगती हे जो घर में रण्डी हो और बाहर संस्कारी ना की उल्टा और तू तो हमारे खानदान की औरतों की फ़ितरत जनता ही है औरतों के कम ओर रंडियों के ज्यादा गुण मिलते है" कावेरी खानदान की औरतों को पूरा जानती थी यहां तक कि उसकी दादी ने ये कहानी सुनाई थी कैसे उनकी पर पर दादी की बहन रण्डी बन गई पूरे गांव से चुदाने लगी। तब से घर के लोग खुल गए और घर की चूदास घर में ही मिटान लगे कुछ मरद बहार की औरतों को भी चोदते लेकिन औरत की गर्मी शांत करने के लिए खानदान का ही लन्ड लगता था। दूसर मर्दों से बच्चे भी नहीं हो रहे थे इस लिए सदियों भी खानदान मैं ही होने लगी अगर बहार होती तो ससुराल आके चूद लेती लेकिन मर्द खानदान में ही शादी करते और मर्द पैदा भी कम ही होते थी ज्यादा बेटियां ही होती। " देख बेटा खानदान का भी नियम हे बेटी की चूत बाप ही खोलता है देख बेटा मेरी मां तो टाइम रहते चल बसी और फिर तेरे नाना रात दिन मेरी ओर जीजी की ही चूत बजाते थे और हमे मु बाहर नहीं मारना पड़ा" मां की बाते सुनकर धर्मवीर का लौड़ा फनफना उठा। वहीं दरवाज़े के पीछे खड़ी पारो की चूत पानिया रही थी वो भी चाहती थी उसका बाप उसके पटक के चोद दे वो बस पहल करने से शर्माती थी।
धर्मवीर " तुम क्या कहती हो पारो की मां"
कलावती" मां जी सही तो कह रहीं हे और आप की भी इच्छा हे कुंवारी चूत लेने की मैं तो कहती हूं आज रात ही बाजादो कब तक गाजर मूली से काम चलाएगी"
रात को जब सब खाना खाते वक्त धर्मवीर बस बेटी को घूरे जा रहा था। वहीं पारो भी सर झुकाए खाना खा रही होती हे साथ ही मंद मंद मुस्का रही होती हे क्योंकि उसे भी पता था कि उसका बाप उसे आज रात रगड़ने वाला हे बस सवाल था तो कैसे । कावेरी ये सब देख बोल पड़ी" पारो बेटा आज तुम अपने मां पापा के साथ सो जाओ मेरे बेड में दिक्कत हे में तेरे कमरे में सो जाऊंगी।
उसे इसी बात का इंतजार था जब उसने सर उठा के ऊपर देखा तो उसके पापा उसी की चूचियां घूर रहे थे वो शर्मा गई और दादी की ओर देख के बोल " जी दादी"
Chapter 1
मेरी ये पहली कहानी है तो हो सकता है कि मुझसे बहुत सारी गलतियां हो कभी कभी आप बोर भी महसूस करे। तो कृपया माफ करना और साथ देना।
हम सभी इंसानो को लगता हे कि धरती पर एक ही इंसानों की प्रजाति हे होमो सीपीएन लेकिन बहुत सालों पहले एक और थी। राजा महाराजाओ के दौर में होमो सेक्सुअलिस। इस प्रजाति के लोग एक नम्बर के चुदकड़ हुआ करते थे। चलिए ले चलता हूँ आपको ऐसी ही प्रजाति के एक परिवार में धर्मवीर का परिवार।
धर्मवीर: ये गांव के जागीरदार और बड़े व्यापारी हैं इनको जागीरदारी अपने नाना से व व्यापार अपने पापा से मिला। शरीर से एकदम पहलवान और एक नम्बर का चुदकड़।
कावेरी: धर्मवीर की मां। इनका एक राज हे जो आपको इस अपडेट में पता चलेगा। गदराये चुदकड़ जिस्म की मालकिन एक नम्बर की रण्डी। 60 में भी चालीस की दिखती हे सब प्रजाति का कमाल था।
कलावती: धर्मवीर की पत्नी धर्मवीर इसके मोशी का लड़का है। रण्डी की तरह चुदाना पसंद हे। 40 की उम्र हे लेकिन पति से उतनी ही ताकत से चुदवाती हे जितना 18 में थी। इसके तीन बच्चे है 2 बेटियां और एक बेटा। बेटे को गुरुकुल भेज रखा है शिक्षा के लिए जल्द ही लौटने वाला है।
शाम का वक्त था धर्मवीर अपनी दिनचर्या के बाद नहा धोकर अपनी पत्नी से शरीर की मालिश करवा रहा था। धर्मवीर आगे बैठा था और कलावती पीछे बैठी कंधों की मालिश कर रही थी। कावेरी ओखली में मिर्ची कूट रही थी। मां धोती में लटक रहे मूसल लन्ड को देख के गर्म हो रही थी वहीं बेटा मां की चूत को देख कर आंखे सेक रहा था।
तभी पायल की आवाज़ से उसका ध्यान भटक जाता हैं। ये आवाज उसकी बड़ी बेटी पारो की थी। इसी साल 22 की हुई है बदन भी मां के जैसे गदरा गया है मोटी जांघें चोड़ी गदेदार मादक गान्ड और बड़े पपीते जैसे के स्तन पूरी चुदकड़ घोड़ी थी।
धर्मवीर: "और बिटिया कहा हो आए ज़र्रा यहां तो आओ। देखो तो मां कितनी बड़ी हो गई हे देखते ही देखते" ये बात उसने उसके बदन को खाने वाली नज़र से घूरते हुए कही।
कावेरी: " मोटी तो गई बिल्कुल अपनी मां जैसी घोड़ी बन गई मैं तो कह रही हु इसकी शादी करदे।"
पारो "क्या दादी आप भी " वो शर्मा के कमरे में चली गई और दरवाजे के पीछे खड़ी होके बात सुनने लगी।
कावेरी " बेटे आंखें क्या सेक रहा तेरी ही घोड़ी हे चढ़ जा देदे इसे भी तेरे इस मूसल का सुख।"
धर्मवीर " आप भी मां अभी छोटी हे वो"
कावेरी " देख बेटा बेटी वही अच्छी लगती हे जो घर में रण्डी हो और बाहर संस्कारी ना की उल्टा और तू तो हमारे खानदान की औरतों की फ़ितरत जनता ही है औरतों के कम ओर रंडियों के ज्यादा गुण मिलते है" कावेरी खानदान की औरतों को पूरा जानती थी यहां तक कि उसकी दादी ने ये कहानी सुनाई थी कैसे उनकी पर पर दादी की बहन रण्डी बन गई पूरे गांव से चुदाने लगी। तब से घर के लोग खुल गए और घर की चूदास घर में ही मिटान लगे कुछ मरद बहार की औरतों को भी चोदते लेकिन औरत की गर्मी शांत करने के लिए खानदान का ही लन्ड लगता था। दूसर मर्दों से बच्चे भी नहीं हो रहे थे इस लिए सदियों भी खानदान मैं ही होने लगी अगर बहार होती तो ससुराल आके चूद लेती लेकिन मर्द खानदान में ही शादी करते और मर्द पैदा भी कम ही होते थी ज्यादा बेटियां ही होती। " देख बेटा खानदान का भी नियम हे बेटी की चूत बाप ही खोलता है देख बेटा मेरी मां तो टाइम रहते चल बसी और फिर तेरे नाना रात दिन मेरी ओर जीजी की ही चूत बजाते थे और हमे मु बाहर नहीं मारना पड़ा" मां की बाते सुनकर धर्मवीर का लौड़ा फनफना उठा। वहीं दरवाज़े के पीछे खड़ी पारो की चूत पानिया रही थी वो भी चाहती थी उसका बाप उसके पटक के चोद दे वो बस पहल करने से शर्माती थी।
धर्मवीर " तुम क्या कहती हो पारो की मां"
कलावती" मां जी सही तो कह रहीं हे और आप की भी इच्छा हे कुंवारी चूत लेने की मैं तो कहती हूं आज रात ही बाजादो कब तक गाजर मूली से काम चलाएगी"
रात को जब सब खाना खाते वक्त धर्मवीर बस बेटी को घूरे जा रहा था। वहीं पारो भी सर झुकाए खाना खा रही होती हे साथ ही मंद मंद मुस्का रही होती हे क्योंकि उसे भी पता था कि उसका बाप उसे आज रात रगड़ने वाला हे बस सवाल था तो कैसे । कावेरी ये सब देख बोल पड़ी" पारो बेटा आज तुम अपने मां पापा के साथ सो जाओ मेरे बेड में दिक्कत हे में तेरे कमरे में सो जाऊंगी।
उसे इसी बात का इंतजार था जब उसने सर उठा के ऊपर देखा तो उसके पापा उसी की चूचियां घूर रहे थे वो शर्मा गई और दादी की ओर देख के बोल " जी दादी"
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