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Incest चुदकड़ प्रजाति

ivesh382004

Williamchudampatidear
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Disclaimer: this story is fictional so don't take it seriously all charector are fake and writer don't promote these kind of relation in real life

Chapter 1

मेरी ये पहली कहानी है तो हो सकता है कि मुझसे बहुत सारी गलतियां हो कभी कभी आप बोर भी महसूस करे। तो कृपया माफ करना और साथ देना।
हम सभी इंसानो को लगता हे कि धरती पर एक ही इंसानों की प्रजाति हे होमो सीपीएन लेकिन बहुत सालों पहले एक और थी। राजा महाराजाओ के दौर में होमो सेक्सुअलिस। इस प्रजाति के लोग एक नम्बर के चुदकड़ हुआ करते थे। चलिए ले चलता हूँ आपको ऐसी ही प्रजाति के एक परिवार में धर्मवीर का परिवार।

धर्मवीर: ये गांव के जागीरदार और बड़े व्यापारी हैं इनको जागीरदारी अपने नाना से व व्यापार अपने पापा से मिला। शरीर से एकदम पहलवान और एक नम्बर का चुदकड़।

कावेरी: धर्मवीर की मां। इनका एक राज हे जो आपको इस अपडेट में पता चलेगा। गदराये चुदकड़ जिस्म की मालकिन एक नम्बर की रण्डी। 60 में भी चालीस की दिखती हे सब प्रजाति का कमाल था।

कलावती: धर्मवीर की पत्नी धर्मवीर इसके मोशी का लड़का है। रण्डी की तरह चुदाना पसंद हे। 40 की उम्र हे लेकिन पति से उतनी ही ताकत से चुदवाती हे जितना 18 में थी। इसके तीन बच्चे है 2 बेटियां और एक बेटा। बेटे को गुरुकुल भेज रखा है शिक्षा के लिए जल्द ही लौटने वाला है।

शाम का वक्त था धर्मवीर अपनी दिनचर्या के बाद नहा धोकर अपनी पत्नी से शरीर की मालिश करवा रहा था। धर्मवीर आगे बैठा था और कलावती पीछे बैठी कंधों की मालिश कर रही थी। कावेरी ओखली में मिर्ची कूट रही थी। मां धोती में लटक रहे मूसल लन्ड को देख के गर्म हो रही थी वहीं बेटा मां की चूत को देख कर आंखे सेक रहा था।

तभी पायल की आवाज़ से उसका ध्यान भटक जाता हैं। ये आवाज उसकी बड़ी बेटी पारो की थी। इसी साल 22 की हुई है बदन भी मां के जैसे गदरा गया है मोटी जांघें चोड़ी गदेदार मादक गान्ड और बड़े पपीते जैसे के स्तन पूरी चुदकड़ घोड़ी थी।
धर्मवीर: "और बिटिया कहा हो आए ज़र्रा यहां तो आओ। देखो तो मां कितनी बड़ी हो गई हे देखते ही देखते" ये बात उसने उसके बदन को खाने वाली नज़र से घूरते हुए कही।
कावेरी: " मोटी तो गई बिल्कुल अपनी मां जैसी घोड़ी बन गई मैं तो कह रही हु इसकी शादी करदे।"
पारो "क्या दादी आप भी " वो शर्मा के कमरे में चली गई और दरवाजे के पीछे खड़ी होके बात सुनने लगी।

कावेरी " बेटे आंखें क्या सेक रहा तेरी ही घोड़ी हे चढ़ जा देदे इसे भी तेरे इस मूसल का सुख।"
धर्मवीर " आप भी मां अभी छोटी हे वो"
कावेरी " देख बेटा बेटी वही अच्छी लगती हे जो घर में रण्डी हो और बाहर संस्कारी ना की उल्टा और तू तो हमारे खानदान की औरतों की फ़ितरत जनता ही है औरतों के कम ओर रंडियों के ज्यादा गुण मिलते है" कावेरी खानदान की औरतों को पूरा जानती थी यहां तक कि उसकी दादी ने ये कहानी सुनाई थी कैसे उनकी पर पर दादी की बहन रण्डी बन गई पूरे गांव से चुदाने लगी। तब से घर के लोग खुल गए और घर की चूदास घर में ही मिटान लगे कुछ मरद बहार की औरतों को भी चोदते लेकिन औरत की गर्मी शांत करने के लिए खानदान का ही लन्ड लगता था। दूसर मर्दों से बच्चे भी नहीं हो रहे थे इस लिए सदियों भी खानदान मैं ही होने लगी अगर बहार होती तो ससुराल आके चूद लेती लेकिन मर्द खानदान में ही शादी करते और मर्द पैदा भी कम ही होते थी ज्यादा बेटियां ही होती। " देख बेटा खानदान का भी नियम हे बेटी की चूत बाप ही खोलता है देख बेटा मेरी मां तो टाइम रहते चल बसी और फिर तेरे नाना रात दिन मेरी ओर जीजी की ही चूत बजाते थे और हमे मु बाहर नहीं मारना पड़ा" मां की बाते सुनकर धर्मवीर का लौड़ा फनफना उठा। वहीं दरवाज़े के पीछे खड़ी पारो की चूत पानिया रही थी वो भी चाहती थी उसका बाप उसके पटक के चोद दे वो बस पहल करने से शर्माती थी।
धर्मवीर " तुम क्या कहती हो पारो की मां"
कलावती" मां जी सही तो कह रहीं हे और आप की भी इच्छा हे कुंवारी चूत लेने की मैं तो कहती हूं आज रात ही बाजादो कब तक गाजर मूली से काम चलाएगी"

रात को जब सब खाना खाते वक्त धर्मवीर बस बेटी को घूरे जा रहा था। वहीं पारो भी सर झुकाए खाना खा रही होती हे साथ ही मंद मंद मुस्का रही होती हे क्योंकि उसे भी पता था कि उसका बाप उसे आज रात रगड़ने वाला हे बस सवाल था तो कैसे । कावेरी ये सब देख बोल पड़ी" पारो बेटा आज तुम अपने मां पापा के साथ सो जाओ मेरे बेड में दिक्कत हे में तेरे कमरे में सो जाऊंगी।
उसे इसी बात का इंतजार था जब उसने सर उठा के ऊपर देखा तो उसके पापा उसी की चूचियां घूर रहे थे वो शर्मा गई और दादी की ओर देख के बोल " जी दादी"
 
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ivesh382004

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Chapter 2


PARO POV

मैं छन छन करती पायल के साथ अपने पापा कमरे में आ गई । कमरे में खिड़की से चांद की रोशनी बेड पर पड़ रही थी। मां एक किनारे पर सो रही थी जिन्होंने सिर्फ काणचली और पेटीकोट में थी वहीं पापा सिर्फ धोती में थे उनका मोटे लण्ङ का उभार साफ दिख रहा था। बीच में खाली जगह थी तो मैं बीच में बेड पे आकर एक करवट लेके सो गई। मेरी पीठ पाप की ओर थी व मुंह अपनी मां की ओर।

15 मिनिट बाद मां ने भी करवट ली और अपना मुंह अपना मुंह मेरी ओर कर लिया अब दोनों के बीच आधे हाथ की दूरी थी। मेरे स्तन मां के मोटे स्तन एक दूसरे से चिपक गए वहीं गर्म सांसे टकरा रही थी।

मां: " क्या हुआ बेटी हमारे बेड पर नींद नहीं आ रही " ये बात मां ने धीमी और सिसकारी वाली आवाज में कही।

बेटी: " बेड में कोई दिक्कत नहीं हे मां गर्मी बहुत आज" मैने भी कामुख सिसकारियां जवाब दिया।

मां: " हा वो तो हे बेटी तेरे बाबा भी आज बिना कुर्ते के सो रहे हे चल तू एक काम कर तू भी ये कुर्ती खोल दे ।" मैं जानती थी कि हमारी प्रजाति औरतों एक नम्बर की रंडिया होती है लेकिन ये बात सिर्फ हमारे खानदान और राजघराने को पता था क्योंकि वो भी हमारे जैसे ही थी।



बेटी: " लेकिन पापा देख लेंगे" मां ने कुछ देर सोचा

मां: " वो नहीं उठेंगे दिन भर के थके हे और तुझे बचपन से देखा हे देख भी लेंगे तो क्या हे" ये ठरकी सांड हे मां जबतक हम मां बेटियों पर चढ़कर हमे नहीं थका देता ये नहीं थकने वाला। ओर फिर मैने कुर्ती उतार दी। चांद की रोशनी में मेरे गुलाबी निपल्स अलग ही कहर ढा रहे थे वहीं पीछे पापा ने भी धोती खोल दी वो बिल्कुल नंगा। उनका लण्ङ कसी सलवार में ढकी गैंड को नंबे डिग्री की सलामी दे रहा था।

धर्मवीर: " arhh सोजा रण्डी" ये गुरहट्टा से कहा ओर अपना मजबुत हाथ मेरी गान्ड पे रख दिया एक बार को में सहम गई लेकिन उनके हाथ की गर्मी का असर सीधा मेरी चूत पर हुआ और वो पानियाने लगी।

मां: " shssss सोजा बेटी वरना तेरे पापा को घुसा जाएगा।"

बेटी:" हम्ममम" मैने आंखे बन्द करली।

30 मिनिट बाद पापा ने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया। मेरी सलवार को घुटनों तक खिसका दिया और मेरी नंगी गान्ड को सहलाने लगा। पापा ने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे पीछे खींच लिया जिससे उनका लण्ङ मेरी गान्ड की दरार में धस गया। अब मैं और इंतजार नहीं कर सकती थी मेरी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी

मैने अपनी सलवार पूरी उतार कर पाप की ओर करवट लेली। मैने अपना सर पापा के सीने पर रख दिया पापा से बिल्कुल चिपक गई। पापा ने अपना लण्ङ मेरी टांगों के बीच रख दिया। मैं अपनी चूत उसपे रगड़ कर लन्ड को चूत रस में भिगो रही थी। पापा ने मेरी मोटी गान्ड को मसल मसल के मज़े ले रहे थे और अपना लण्ङ मेरी चूत की फांकों के बीच रगड़ रहे थे।

पापा और मेरी चुदासी सिसकारीयों से मां उठ गई और कपड़े उतार कर नंगी हो गई। मां ने भी मेरी ओर करवट लेली और मेरे सिर पर हाथ फेरने लघी। मैं मां और पापा के बीच सेंडविच बन गई। मैंने अपना सर पापा के सीने से उठा कर ऊपर देखा तो पापा मां के होठ चूस ओर काट रहे थे जिससे मेरे मुंह में भी पानी आने लगा।

बेटी:" पापा ahhh" और मेरी चूत ने हल्की सा काम रस की पिचकारी छोड़ दी जिससे पापा का लण्ङ पूरा गिला हो गया मेरी फूल जैसी गुलाबी चूत की फांकों के बीच सप सप करके आवाज करने लगा। पापा को भी हल्का हल्का मज़ा आने लगा। पापा ने मेरी गर्दन को पकड़ा और अपने बड़े काले होटों से मेरे होंठों की पंखुड़ियों को बारी बारी चूसने लगे। उन्होंने मुझे पीठ के बल लेटा कर अपने नीचे दबोच लिया। वैसे तो मेरा बदन काफी गदरा गया था लेकिन सांड जैसे मर्द के आगे में कुछ भी नहीं थी।अपने तगड़े हाथों से मेरे दोनों स्तन को मसल बेरहमी से मसलना स्टार्ट कर दिया। उनकी इस हैवानियत में दर्द था लेकिन मजा भी आ रहा था। मां पापा के पैरों के बीच जाकर उनके विर्य से भरे सांड जैसे अण्डॉ को चूसने लगी उसकी लार आंडो से होकर मेरी चूत पर गिर रही थी



बेटी: "ha hh Ha hh बापू मेरी मुनिया" उन्होंने मेरे चेहरे पर से बाल हटाए और दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पे से पकड़ा।

बाप: " बेटी ये मुनिया नहीं है बेटी अब ये तगड़े लन्ड लेने वाली चूत बन गई है बोल बेटी लेगी अपने बाप का लण्ङ बनेगी अपने बाप की रण्डी तेरी मां ओर दादी की तरह" माँ ने अपनी थूक से सनी उंगलियों से मेरी चूत की फांकों को खोला और का लण्ङ मेरी चूत पर सेट कर दिया।

मां: " ए जी करदो उद्घाटन इसकी चूत का"मैं उत्सुक भी थी लेकिन घबराहट भी थी रोज मां की चीखे सुनकर हुई थी।

बेटी: " हा बापू चोद मुझे बनाले अपनी रण्डी aaaaaaaa "

लेकिन पापा भी मुझेसे बहुत प्यार करते थे उन्होंने धीरे धीरे उसने अपना लन्ड मेरी चूत में डाला। मेरी चूत पहली बार खुली थी तो बहुत कसी और गर्म थी लेकिन आधा लण्ङ अंदर जाते ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। पापा के हल्के झटके से उनका पूरा लण्ङ मेरी की चूत में शमां गया। मैं उनंका पूरा लण्ङ महसूस कर पा रही थी वहीं उनके लन्ड का सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी को छू रहा था। पापा ने मेरे चेहरे को दोनों हाथों सा पकड़ा और हलका हलका अपने लण्ङ को अन्दर बहार करने लगा।

बाप: “ कैसा लग रहा है बेटी”

बेटी: “ बहुत अच्छा लग रहा है पाप aaaa hhhh बहुत मज़ा आ रहा हैं


Dharmveer POV

To be continue






 
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