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बहुत ही मस्त और शानदार प्रारंभ हैं भाई कहानी का मजा आ गयाUpdate 01
Gooood Mooring...Gokuldham...
दया अगड़ाई लेते हुए बिस्तर से उठी दया के दोनो स्तन हवा में इसे जुल रहे थे जैसे किसी आम के पेड़ पे लड़के हुए रसीले आम.. उसकी आंखों में रात के यौन सुख आनंद अभी तक जलक रहा था..दया सब से पहले उठते ही अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी और आयने के आगे खड़ी होकर खुद की बिखरी हुई हालत को देख फिर से शर्म से पानी पानी हो गई..
कुछ ही देर में बापूजी की आवाज आई "बहु..." दया ये आवाज सुन के आधी भीगी ही रसोई घर में भाग गई.. जी हा वो नहा रही थी..वो पूरी नंगी थी एक भी कपड़ा इसके जिस्म पे ना था.. वो फट से चाय बना दी.. और बाहर जाने लगी.. तभी उसे ख्याल आया कि वो तो नंगी है.. दया पानी पानी हो गई की कही इसी हालत में बाहर न चली जाती...
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वो हड़बड़ी में साड़ी पहन लेती हैं और बाहर निकल आई..उसके बालो से अभी तक पानी गिर रहा था और उसके गोरे बदन को भिगो रहा था जिसे देख के बापूजी का तो तन गया लेकिन क्या करते सिर्फ ये खूबसूरत नजारा देखते हुए चाय पीने लगे..
कुछ देर बाद बापूजी अपने दोस्तो के साथ गप्पे लड़ाने निकल गई..
कांति – क्यों चंपक क्या सोच रहा है...
चंपक – वो क्या बताऊं दोस्तो.. जब से वो गई है दिल ही नहीं लगता मेरा...
मगन – ऐ चंपकिया क्या हुआ तुझे तो बड़ा ज्ञान देता था पहले अब क्या हुआ...
कांति – जब हम बोलते थे तब तो तू कितना ज्ञान चोदता था हा हा.. अब पता चला पत्नी के बिना नहीं रहा जाता...
चंपक – हा में मानता हु.. दोस्तों आजकल ये में होस में नही रहता.. कभी कभी लगता है कि गांव चला जाऊ...
कांति – ऐसा क्या हो गया सच सच पता.. क्या जेठिया ने कुछ या तेरी बहू ने...
चंपक – नही नही वो दोनो तो मुझे कितना प्यार करते है..
मगन – फिर क्या हुआ गांव जाके क्या करेगा वहा कोंसी तेरी बीवी है...
कांति – चुप कर.. चंपक क्या हुआ हम से क्या छुपाना...
चंपक – वादा करो किसी को बताना मत...
कांति और मगन एक साथ अपना सर हिला के हा का इशारा किया...
चंपक थोड़ी सी हिम्मत जुटा के बोला "वो..वो.. ना... वो.. दया बहू..."
कांति – बोल ना क्या...
चंपक – वो उसे देख के ये खड़ा हो जाता है..
दोनो कांति और मगन एक दम से गंभीर रूप से चंपक की और देखने लगे.. और मगन ने पूछा..ऐसा क्या देख रहा है तू...की....
चंपक – वो वो..क्या बताऊं.. दोस्तो उसे देख के मुझे जेठा की मां की बड़ी याद आती है.. खास कर उसकी गोरी गोरी कमर और ब्लाउज से बाहर आने को बेताब उसके दो स्तन...
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ये सुन के कांति और मगन तो सोच में पड़ गई की ये चंपक ही बोल रहा है..या कोई और है...
कांति – वैसे तेरी बहु हे तो बड़ी ही रूपवान.. सच कहूं तो मुझे भी मेरी बहु बड़ी ही मुश्किल में डाल देती है...
मगन – क्या केसे...
कांति – क्या कहूं घर में तो लगता है बिना ब्रा के ही होती है.. बड़ी मुस्किल से छुपा पाता हूं मेरी खुशी.. पूरा खड़ा ही होता है..
मगन – कभी रात को देर से सोना तुम दोनो.. फिर बताना..
चंपक – क्यों...
मगन – दोनो इतने बुड्ढे हो गई लेकिन पता नहीं है.. रात में हमारी संस्कारी बहु की मीठी मीठी सिसकारियां हाए मेरा तो निकल ही गया था सुन कर.....
ये सुन के कांति और चंपक अपनी अपनी बहू के बारे में सोचने लगे...
Aaye haaye kya kahani ki shuruaat hui hai aapse haath jodke namra nivedan hai ki please is story ko complete karnaUpdate 01
Gooood Mooring...Gokuldham...
दया अगड़ाई लेते हुए बिस्तर से उठी दया के दोनो स्तन हवा में इसे जुल रहे थे जैसे किसी आम के पेड़ पे लड़के हुए रसीले आम.. उसकी आंखों में रात के यौन सुख आनंद अभी तक जलक रहा था..दया सब से पहले उठते ही अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी और आयने के आगे खड़ी होकर खुद की बिखरी हुई हालत को देख फिर से शर्म से पानी पानी हो गई..
कुछ ही देर में बापूजी की आवाज आई "बहु..." दया ये आवाज सुन के आधी भीगी ही रसोई घर में भाग गई.. जी हा वो नहा रही थी..वो पूरी नंगी थी एक भी कपड़ा इसके जिस्म पे ना था.. वो फट से चाय बना दी.. और बाहर जाने लगी.. तभी उसे ख्याल आया कि वो तो नंगी है.. दया पानी पानी हो गई की कही इसी हालत में बाहर न चली जाती...
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वो हड़बड़ी में साड़ी पहन लेती हैं और बाहर निकल आई..उसके बालो से अभी तक पानी गिर रहा था और उसके गोरे बदन को भिगो रहा था जिसे देख के बापूजी का तो तन गया लेकिन क्या करते सिर्फ ये खूबसूरत नजारा देखते हुए चाय पीने लगे..
कुछ देर बाद बापूजी अपने दोस्तो के साथ गप्पे लड़ाने निकल गई..
कांति – क्यों चंपक क्या सोच रहा है...
चंपक – वो क्या बताऊं दोस्तो.. जब से वो गई है दिल ही नहीं लगता मेरा...
मगन – ऐ चंपकिया क्या हुआ तुझे तो बड़ा ज्ञान देता था पहले अब क्या हुआ...
कांति – जब हम बोलते थे तब तो तू कितना ज्ञान चोदता था हा हा.. अब पता चला पत्नी के बिना नहीं रहा जाता...
चंपक – हा में मानता हु.. दोस्तों आजकल ये में होस में नही रहता.. कभी कभी लगता है कि गांव चला जाऊ...
कांति – ऐसा क्या हो गया सच सच पता.. क्या जेठिया ने कुछ या तेरी बहू ने...
चंपक – नही नही वो दोनो तो मुझे कितना प्यार करते है..
मगन – फिर क्या हुआ गांव जाके क्या करेगा वहा कोंसी तेरी बीवी है...
कांति – चुप कर.. चंपक क्या हुआ हम से क्या छुपाना...
चंपक – वादा करो किसी को बताना मत...
कांति और मगन एक साथ अपना सर हिला के हा का इशारा किया...
चंपक थोड़ी सी हिम्मत जुटा के बोला "वो..वो.. ना... वो.. दया बहू..."
कांति – बोल ना क्या...
चंपक – वो उसे देख के ये खड़ा हो जाता है..
दोनो कांति और मगन एक दम से गंभीर रूप से चंपक की और देखने लगे.. और मगन ने पूछा..ऐसा क्या देख रहा है तू...की....
चंपक – वो वो..क्या बताऊं.. दोस्तो उसे देख के मुझे जेठा की मां की बड़ी याद आती है.. खास कर उसकी गोरी गोरी कमर और ब्लाउज से बाहर आने को बेताब उसके दो स्तन...
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ये सुन के कांति और मगन तो सोच में पड़ गई की ये चंपक ही बोल रहा है..या कोई और है...
कांति – वैसे तेरी बहु हे तो बड़ी ही रूपवान.. सच कहूं तो मुझे भी मेरी बहु बड़ी ही मुश्किल में डाल देती है...
मगन – क्या केसे...
कांति – क्या कहूं घर में तो लगता है बिना ब्रा के ही होती है.. बड़ी मुस्किल से छुपा पाता हूं मेरी खुशी.. पूरा खड़ा ही होता है..
मगन – कभी रात को देर से सोना तुम दोनो.. फिर बताना..
चंपक – क्यों...
मगन – दोनो इतने बुड्ढे हो गई लेकिन पता नहीं है.. रात में हमारी संस्कारी बहु की मीठी मीठी सिसकारियां हाए मेरा तो निकल ही गया था सुन कर.....
ये सुन के कांति और चंपक अपनी अपनी बहू के बारे में सोचने लगे...