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#43
बोझिल कदमो से वापिस लौटते हुए मेरा एक एक कदम भारी हो रहा था. मेरा दिमाग भन्नाया हुआ था , अपने आप से जूझते हुए मैं नहर की पुलिया पर थोड़ी देर बैठ गया की तभी दिलेर सिंह आ गया . उसे देख कर मेरा माथा और ठनक गया .
“तुझे मेरे साथ थाणे चलना होगा ” उसने कहा
मैं- दिलेर सिंह मेरा दिमाग बहुत ज्यादा ख़राब है , मुझे तंग मत कर. गुस्से में मैं कुछ कह दूंगा तुझे
दिलेर- मैंने कहा न चुपचाप जीप में बैठ,
दिलेर ने मेरा कालर पकड़ लिया .
“लाला ने रपट लिखवाई है तेरे खिलाफ ” उसने गुर्राते हुए कहा .
मैं- देख दिलेर, मैं तुझसे फिर कहता हूँ मेरा दिमाग भन्नाया हुआ है . तू लौट जा ये गुस्ताखी तेरी मैं माफ़ करता हूँ
दिलेर- रपट है तेरे खिलाफ कार्यवाही करनी ही पड़ेगी. मैंने तुझसे कहा था न की मौका मिलते ही तेरी गर्दन पकड़ लूँगा.
मैं- मेरे सब्र का इम्तिहान मत ले ,
दिलेर- तू बैठ जीप में
जिस दिन से रुद्रपुर वाला काण्ड हुआ था मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं करना चाहता था पर ये चूतिये जानबूझ कर पड़ी लकड़ी उठाने में लगे थे. मैंने दिलेर की गांड पर लात मारी और उसको उल्टा कर दिया जीप के बोनट पर .
“बहन के लंड, कब से कह रहा हूँ, बात को मत बढ़ा. मत बढ़ा. पर दरोगा की गांड में चुल मची हुई है .साले लंड पर रखता हु मैं तेरे जैसो को .देखना चाहता है मेरी दुश्मनी को तो देख..” मैंने उसको मारते हुए कहा.
“पुलिसवाले पर हाथ उठाता है, साले तू तो गया ” जब्बर ने मुझे धक्का देते हुए कहा और मेरी पसलियों पर वार किया. यही वो कमजोर जगह थी . मैं गिर पड़ा और जब संभला तो मैं थाने में था. हालत ख़राब थी .
“दिलेर सिंह, ये तूने ठीक नहीं किया. मेरा वादा है तुझसे , मेरे पैर पकड़ कर रहम की भीख मांगेगा तू ” मैंने कहा
दिलेर- अरे वो हवालदार, जरा और सुताई कर इस लौंडे की. पुलिस के डंडे का जोर दिखा इसे.
दो पुलिस वालो ने मुझ को पकड़ कर लिटाया और एक ने मेरे पैरो के तलवो पर डंडे मारना शुरू किया . हवालात में मेरी चीखे गूंजने लगी.
“पता नहीं जीजा क्यों घबराया हुआ है इस बित्ते भर के छोकरे से , जीजा को जब मालूम होगा की मैंने गांड तोड़ी है इसकी तो बड़ा खुश होगा वो ” दिलेर अपने आप से बोला.
मैं- जितना जोर दिखाना है दिखा ले भोसड़ी के. पर मेरी बात याद रखना मैं मारूंगा तीन गिनूंगा एक
दिलेर- हवालदार , इसकी चीखे पुरे थाणे में आणि चाहिए.
एक एक वार भारी पड़ रहा था मुझ पर . पर फिर मैं चीखा नहीं. अपनी भी जिद थी . और जिद दिलेर सिंह की भी थी . मुझे नहीं मालूम की उस समय क्या समय रहा होगा. रात कितनी बीती थी .जब सारे थाने में सन्नाटा पसरा हुआ था उस पायल की आवाज बड़ी जोर से गूंजी थी .
“थानेदार, मनीष को छोड़ दे ” आवाज में कुछ तल्खी सी थी .
दिलेर- ओह हो. ये बताने तू इतनी रात में चली आई अकेले. वैसे तू है छमिया.
“”तू बस इतना समझ ले ,अगर मैं खुद चल कर थाने आई हूँ तो कोई तो हूँ ही, मनीष को तुरंत छोड़ दे .” उसने कहा
दिलेर- छोड़ दूंगा. अभी छोड़ देता हूँ. पर तुझे मेरा एक काम करना होगा. आज की रात तू मेरे पास रुक जा . सुबह सुबह ही छोड़ दूंगा इसे. वैसे भी अकेले राते कटती नहीं है मुझसे .
“दिलेर सिंह, अपनी जुबान को लगाम दे हरामजादे.” मैंने गुस्से से कहा
दिलेर- साले. तू देख मैं क्या करता हूँ , इस छमिया की यही लेता हूँ तेरे सामने, तुझे भी मजा आयेगा.
“तू मेरी लेगा. तू हाथ लगा कर दिखा मुझे एक बार तुझे मलाल रहेगा की तूने जन्म भी क्यों लिया ” मीता ने शांत स्वर में कहा .
दिलेर- वाह भाई वाह, ऐसा तो बस फिल्मो में देखा था पर क्या मालूम था की इसी थाने में ये महफ़िल लगेगी. प्रेमी के सामने प्रेमिका की लेने में मजा ही आ जायेगा.
मुझे खुद की बेबसी पर गुस्सा आ रहा था पर वो मीता थी , मरजानी . जैसे ही दिलेर उसकी तरफ बढ़ा उसने उसके पैर में अडंगी डाली और दिलेर के गिरते ही उसने अपने झोले से एक कटार निकाल कर दिलेर के पैर में घोंप दी .
“आह ” चीखा वो . और मैंने पहली बार मीता की आंखो में कुछ अलग सा देखा. जैसे ही हवालदार मीता को पकड़ने उसकी तरफ भागा उसने पास में पड़ी कुर्सी उसके सर पर दे मारी और उसकी चमड़े की बेल्ट से उसकी खाल उधेड़ने लगी.
“मेरी लेगा तू , चल खड़ा हो हरामजादे ” मीता ने दिलेर को उठाया और कटार से उसकी बाह चीर दी. इसी आपा धापी में सिपाही जो मेरे साथ अन्दर था वो बाहर की तरफ भागा . और मैं उसके पीछे मैंने उसका सर सलाखों में दे मारा. वो वही ढेर हुआ . मैं चलते हुए दिलेर सिंह के पास गया .
“मैंने तुझसे कहा था न, आग से मत खेल .पर तेरी गांड में तो चुल मची थी . मैंने बार बार तुझसे कहा था , मत खेल मुझसे अब बुला ले तेरे जीजा को , वो साला भी देख लेगा तेरा क्या हाल होता है ” मैंने कहा
मीता- मनीष पीछे हट, इस को मैं दिखाउंगी की मुझसे बदतमीजी करने का क्या नतीजा होता है देख ले थानेदार , तेरा थाना है , तेरी सरकार, तू है और मैं हूँ और तेरी कही बात है .उठ आ जरा , दिखा तेरा जोर मुझे,
मीता ने एक लात दिलेर को मारी .
दिलेर- माफ़ कर दो मुझे, गलती हो गयी मुझसे
मीता- गलती सुधार दूंगी मैं . तेरी औकात ही क्या जो मेरे होते हुए तू मेरे अजीज को हाथ लगाये. जितने जख्म तूने इसे दिए है तेरी खाल उतार लुंगी मैं. गौर से देख मुझे , मेरी आँखों को देख . और समझ मेरा नाम मितलेश है . मितलेश ठकुराइन और ये नाम तुझे मरते दम तक याद रहेगा.
मीता ने दिलेर की वर्दी फाड़ी और टेबल पर पटक कर उसकी पीठ को काटने लगी कटार से. दिलेर सिंह की चीखे थाने में गूंजने लगी. इतनी नफासत ने कसाई भी बकरे को नहीं काटता जितनी सफाई से मीता उसकी पीठ को काटते हुए उसकी हड्डिया खींच रही थी .
मीता का ऐसा रूप देख कर एक पल को मेरी रूह भी कांप गयी .दिलेर की सांसे कब की थम गयी थी पर मीता का गुस्सा नहीं थमा था , उसका पूरा चेहरा खून से सना हुआ था . कोई कमजोर दिल का उसे ऐसे हाल में देख लेता तो बेहोश हो जाता.
“इसके जीजा के पास भेज देना इसे ” मीता ने हवालदार से कहा जिसने अपनी पेंट में मूता हुआ था . मीता ने मेरा हाथ पकड़ा और बाहर आई अचानक ही वो रुक गयी .
मैं- क्या हुआ
वो- रुक जरा .
मीता ने पुलिस जीप की टंकी उखाड़ ली और थाने में आग लगा दी.
“अब ठीक है ” उसने कहा और पास की टंकी पर हाथ मुह धोने लगी. उसके बाद हम दोनों हमारी जमीन पर आ गए.
मीता- हुलिया ठीक कर ले तेरा.किसी को पता नहीं चलना चाहिए तुझे और चोट लगी है ,
मैं- तुझे वहां नहीं आना चाहिए था . तू दुनिया की नजरो में आ जाएगी. मेरा तो जो होगा वो होगा पर अब मुझे तेरी चिंता भी लगी रहेगी.
मीता- किसकी मजाल जो मेरी तरफ आँख उठा कर देखे.
मैं- पर तुझे कैसे मालूम हुआ की मुझे दिलेर थाने ले गया है .
मीता- तुझे तो मालूम ही है की मेरा चाचा हॉस्पिटल में दाखिल है , मैं उसकी दवाई लेने जिस दूकान पर गयी थी वो थाने के पास ही है, वहीँ पर चाय की दूकान पर दो सिपाही बात कर रहे थे की थानेदार ऐसे ऐसे किसी को उठा कर लाया है और मैं समझ गयी .
मैं- पर तुझे मेरी मुसीबत अपने सर नहीं लेनी चाहिए थी .
मीता- दोस्ती की है तुझसे, निभानी तो पड़ेगी . चल अब थोड़ी देर आराम हो जाये.
मीता ने बिस्तर लगाया और कुछ देर के लिए हमने आँखे मूँद ली. सुबह चाय की चुस्कियो के साथ मैंने मीता को बताया की कैसे मैं फौज में मालूमात करने गया था और वहां से मुझे क्या जानकारी मिली. मेरी बात सुनकर मीता भी हैरान हो गयी .
मीता- अब क्या करेगा तू .
मैं- तू ही बता क्या करू.
मीता- समस्या अब गहरी हो गयी है.
मैं- हर रास्ता थोड़ी दूर जाकर बंद हो जाता है.
मीता- अभी मुझे जाना होगा. वापिस आउंगी तो हम कुछ अनुमान लगायेंगे
मीता के जाने के बाद मैं भी घर की तरफ चल दिया. पर रस्ते में ताई मिल गयी मुझे
ताई- मैं तुझे ही तलाश रही थी कहाँ था तू
मैं- बस यही था क्या हुआ
ताई ने फिर जो मुझे बताया मेरा दिमाग ही घूम गया
बोझिल कदमो से वापिस लौटते हुए मेरा एक एक कदम भारी हो रहा था. मेरा दिमाग भन्नाया हुआ था , अपने आप से जूझते हुए मैं नहर की पुलिया पर थोड़ी देर बैठ गया की तभी दिलेर सिंह आ गया . उसे देख कर मेरा माथा और ठनक गया .
“तुझे मेरे साथ थाणे चलना होगा ” उसने कहा
मैं- दिलेर सिंह मेरा दिमाग बहुत ज्यादा ख़राब है , मुझे तंग मत कर. गुस्से में मैं कुछ कह दूंगा तुझे
दिलेर- मैंने कहा न चुपचाप जीप में बैठ,
दिलेर ने मेरा कालर पकड़ लिया .
“लाला ने रपट लिखवाई है तेरे खिलाफ ” उसने गुर्राते हुए कहा .
मैं- देख दिलेर, मैं तुझसे फिर कहता हूँ मेरा दिमाग भन्नाया हुआ है . तू लौट जा ये गुस्ताखी तेरी मैं माफ़ करता हूँ
दिलेर- रपट है तेरे खिलाफ कार्यवाही करनी ही पड़ेगी. मैंने तुझसे कहा था न की मौका मिलते ही तेरी गर्दन पकड़ लूँगा.
मैं- मेरे सब्र का इम्तिहान मत ले ,
दिलेर- तू बैठ जीप में
जिस दिन से रुद्रपुर वाला काण्ड हुआ था मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं करना चाहता था पर ये चूतिये जानबूझ कर पड़ी लकड़ी उठाने में लगे थे. मैंने दिलेर की गांड पर लात मारी और उसको उल्टा कर दिया जीप के बोनट पर .
“बहन के लंड, कब से कह रहा हूँ, बात को मत बढ़ा. मत बढ़ा. पर दरोगा की गांड में चुल मची हुई है .साले लंड पर रखता हु मैं तेरे जैसो को .देखना चाहता है मेरी दुश्मनी को तो देख..” मैंने उसको मारते हुए कहा.
“पुलिसवाले पर हाथ उठाता है, साले तू तो गया ” जब्बर ने मुझे धक्का देते हुए कहा और मेरी पसलियों पर वार किया. यही वो कमजोर जगह थी . मैं गिर पड़ा और जब संभला तो मैं थाने में था. हालत ख़राब थी .
“दिलेर सिंह, ये तूने ठीक नहीं किया. मेरा वादा है तुझसे , मेरे पैर पकड़ कर रहम की भीख मांगेगा तू ” मैंने कहा
दिलेर- अरे वो हवालदार, जरा और सुताई कर इस लौंडे की. पुलिस के डंडे का जोर दिखा इसे.
दो पुलिस वालो ने मुझ को पकड़ कर लिटाया और एक ने मेरे पैरो के तलवो पर डंडे मारना शुरू किया . हवालात में मेरी चीखे गूंजने लगी.
“पता नहीं जीजा क्यों घबराया हुआ है इस बित्ते भर के छोकरे से , जीजा को जब मालूम होगा की मैंने गांड तोड़ी है इसकी तो बड़ा खुश होगा वो ” दिलेर अपने आप से बोला.
मैं- जितना जोर दिखाना है दिखा ले भोसड़ी के. पर मेरी बात याद रखना मैं मारूंगा तीन गिनूंगा एक
दिलेर- हवालदार , इसकी चीखे पुरे थाणे में आणि चाहिए.
एक एक वार भारी पड़ रहा था मुझ पर . पर फिर मैं चीखा नहीं. अपनी भी जिद थी . और जिद दिलेर सिंह की भी थी . मुझे नहीं मालूम की उस समय क्या समय रहा होगा. रात कितनी बीती थी .जब सारे थाने में सन्नाटा पसरा हुआ था उस पायल की आवाज बड़ी जोर से गूंजी थी .
“थानेदार, मनीष को छोड़ दे ” आवाज में कुछ तल्खी सी थी .
दिलेर- ओह हो. ये बताने तू इतनी रात में चली आई अकेले. वैसे तू है छमिया.
“”तू बस इतना समझ ले ,अगर मैं खुद चल कर थाने आई हूँ तो कोई तो हूँ ही, मनीष को तुरंत छोड़ दे .” उसने कहा
दिलेर- छोड़ दूंगा. अभी छोड़ देता हूँ. पर तुझे मेरा एक काम करना होगा. आज की रात तू मेरे पास रुक जा . सुबह सुबह ही छोड़ दूंगा इसे. वैसे भी अकेले राते कटती नहीं है मुझसे .
“दिलेर सिंह, अपनी जुबान को लगाम दे हरामजादे.” मैंने गुस्से से कहा
दिलेर- साले. तू देख मैं क्या करता हूँ , इस छमिया की यही लेता हूँ तेरे सामने, तुझे भी मजा आयेगा.
“तू मेरी लेगा. तू हाथ लगा कर दिखा मुझे एक बार तुझे मलाल रहेगा की तूने जन्म भी क्यों लिया ” मीता ने शांत स्वर में कहा .
दिलेर- वाह भाई वाह, ऐसा तो बस फिल्मो में देखा था पर क्या मालूम था की इसी थाने में ये महफ़िल लगेगी. प्रेमी के सामने प्रेमिका की लेने में मजा ही आ जायेगा.
मुझे खुद की बेबसी पर गुस्सा आ रहा था पर वो मीता थी , मरजानी . जैसे ही दिलेर उसकी तरफ बढ़ा उसने उसके पैर में अडंगी डाली और दिलेर के गिरते ही उसने अपने झोले से एक कटार निकाल कर दिलेर के पैर में घोंप दी .
“आह ” चीखा वो . और मैंने पहली बार मीता की आंखो में कुछ अलग सा देखा. जैसे ही हवालदार मीता को पकड़ने उसकी तरफ भागा उसने पास में पड़ी कुर्सी उसके सर पर दे मारी और उसकी चमड़े की बेल्ट से उसकी खाल उधेड़ने लगी.
“मेरी लेगा तू , चल खड़ा हो हरामजादे ” मीता ने दिलेर को उठाया और कटार से उसकी बाह चीर दी. इसी आपा धापी में सिपाही जो मेरे साथ अन्दर था वो बाहर की तरफ भागा . और मैं उसके पीछे मैंने उसका सर सलाखों में दे मारा. वो वही ढेर हुआ . मैं चलते हुए दिलेर सिंह के पास गया .
“मैंने तुझसे कहा था न, आग से मत खेल .पर तेरी गांड में तो चुल मची थी . मैंने बार बार तुझसे कहा था , मत खेल मुझसे अब बुला ले तेरे जीजा को , वो साला भी देख लेगा तेरा क्या हाल होता है ” मैंने कहा
मीता- मनीष पीछे हट, इस को मैं दिखाउंगी की मुझसे बदतमीजी करने का क्या नतीजा होता है देख ले थानेदार , तेरा थाना है , तेरी सरकार, तू है और मैं हूँ और तेरी कही बात है .उठ आ जरा , दिखा तेरा जोर मुझे,
मीता ने एक लात दिलेर को मारी .
दिलेर- माफ़ कर दो मुझे, गलती हो गयी मुझसे
मीता- गलती सुधार दूंगी मैं . तेरी औकात ही क्या जो मेरे होते हुए तू मेरे अजीज को हाथ लगाये. जितने जख्म तूने इसे दिए है तेरी खाल उतार लुंगी मैं. गौर से देख मुझे , मेरी आँखों को देख . और समझ मेरा नाम मितलेश है . मितलेश ठकुराइन और ये नाम तुझे मरते दम तक याद रहेगा.
मीता ने दिलेर की वर्दी फाड़ी और टेबल पर पटक कर उसकी पीठ को काटने लगी कटार से. दिलेर सिंह की चीखे थाने में गूंजने लगी. इतनी नफासत ने कसाई भी बकरे को नहीं काटता जितनी सफाई से मीता उसकी पीठ को काटते हुए उसकी हड्डिया खींच रही थी .
मीता का ऐसा रूप देख कर एक पल को मेरी रूह भी कांप गयी .दिलेर की सांसे कब की थम गयी थी पर मीता का गुस्सा नहीं थमा था , उसका पूरा चेहरा खून से सना हुआ था . कोई कमजोर दिल का उसे ऐसे हाल में देख लेता तो बेहोश हो जाता.
“इसके जीजा के पास भेज देना इसे ” मीता ने हवालदार से कहा जिसने अपनी पेंट में मूता हुआ था . मीता ने मेरा हाथ पकड़ा और बाहर आई अचानक ही वो रुक गयी .
मैं- क्या हुआ
वो- रुक जरा .
मीता ने पुलिस जीप की टंकी उखाड़ ली और थाने में आग लगा दी.
“अब ठीक है ” उसने कहा और पास की टंकी पर हाथ मुह धोने लगी. उसके बाद हम दोनों हमारी जमीन पर आ गए.
मीता- हुलिया ठीक कर ले तेरा.किसी को पता नहीं चलना चाहिए तुझे और चोट लगी है ,
मैं- तुझे वहां नहीं आना चाहिए था . तू दुनिया की नजरो में आ जाएगी. मेरा तो जो होगा वो होगा पर अब मुझे तेरी चिंता भी लगी रहेगी.
मीता- किसकी मजाल जो मेरी तरफ आँख उठा कर देखे.
मैं- पर तुझे कैसे मालूम हुआ की मुझे दिलेर थाने ले गया है .
मीता- तुझे तो मालूम ही है की मेरा चाचा हॉस्पिटल में दाखिल है , मैं उसकी दवाई लेने जिस दूकान पर गयी थी वो थाने के पास ही है, वहीँ पर चाय की दूकान पर दो सिपाही बात कर रहे थे की थानेदार ऐसे ऐसे किसी को उठा कर लाया है और मैं समझ गयी .
मैं- पर तुझे मेरी मुसीबत अपने सर नहीं लेनी चाहिए थी .
मीता- दोस्ती की है तुझसे, निभानी तो पड़ेगी . चल अब थोड़ी देर आराम हो जाये.
मीता ने बिस्तर लगाया और कुछ देर के लिए हमने आँखे मूँद ली. सुबह चाय की चुस्कियो के साथ मैंने मीता को बताया की कैसे मैं फौज में मालूमात करने गया था और वहां से मुझे क्या जानकारी मिली. मेरी बात सुनकर मीता भी हैरान हो गयी .
मीता- अब क्या करेगा तू .
मैं- तू ही बता क्या करू.
मीता- समस्या अब गहरी हो गयी है.
मैं- हर रास्ता थोड़ी दूर जाकर बंद हो जाता है.
मीता- अभी मुझे जाना होगा. वापिस आउंगी तो हम कुछ अनुमान लगायेंगे
मीता के जाने के बाद मैं भी घर की तरफ चल दिया. पर रस्ते में ताई मिल गयी मुझे
ताई- मैं तुझे ही तलाश रही थी कहाँ था तू
मैं- बस यही था क्या हुआ
ताई ने फिर जो मुझे बताया मेरा दिमाग ही घूम गया
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