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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

tanesh

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#35

“तेरी हिम्मत कैसे हुई उसके बारे में ऐसी बात बोलने की, वो ही है जिसने इन बिखरी डोरियो को थामा हुआ है , इस घर को उसने ही घर बनाया है वो वहां पर क्या कर रही थी मैं नहीं जानती पर उसके बारे में उल्टा सीधा नहीं सुनने वाली मैं ” ताई ने गुस्से से कहा.

मैं- पर उसका वहां होना मेरे लिए मुसीबत कड़ी कर सकता था

ताई- मैंने तो तुझे भी कहा है की अपनी आने वाली जिन्दगी पर ध्यान दे, पर तुझे तो पड़ी लकड़ी उठानी है ,तेरी ख़ुशी के लिए मैंने वो भी किया जो होना ही नहीं चाहिए था पर तुझे हमारी, हम सब की परवाह कहाँ है . क्यों उलझा है तू उन बातो में जिसका कोई अंत नहीं .

मैं- पर मैं क्या करू ,

ताई- तू समझता क्यों नहीं अर्जुन बीता हुआ कल है, और जो बीत गया वो वापिस कभी नहीं आता, तुझे संवारने के लिए हमने न जाने क्या क्या किया है , पर तू समझता नहीं, मैं शुरू से खिलाफ हूँ तेरे रुद्रपुर जाने के पर तू मानता नहीं , जो आग बुझ चुकी है उसकी दबी राख को क्यों सुलगा रहा है तू

मैं- मेरा नसीब जाने उसने क्या लिखा है मेरे लिए

ताई- नसीब को बनाना पड़ता है मेहनत से.

इस से पहले की मैं और कुछ कह पाता मैंने देखा रीना हमारी तरफ ही चली आ रही थी तो मैंने बात ख़तम कर दी.

ताई- कैसे आई रीना.

रीना- आप कब से ऐसे पूछने लगी मुझसे .

ताई- मेरा वो मतलब नहीं था बेटी. तेरा ही तो घर है , तुम बाते करो मैं चाय लाती हूँ तुम्हारे लिए.

रीना- कल का याद है न तुझे

मैं- क्या है कल

रीना- अरे तू भीना आजकल बिलकुल बुद्धू हो गया है खुद ही वादा करता है खुद ही भूल जाता है

मैं- सीधे सीधे बता भी दे न यार

रीना- तूने ही तो कहा था न की मुझे मेले में ले चलेगा अभी जान बुझ कर टाल रहा है, तेरी होशियारी खूब समझती हूँ मैं

रीना की बात सुनकर अचानक ही मेरी धड़कने तेज हो गयी .

मैं- ये कैसे भूल सकता हूँ मैं , कल खूब मजा आएगा.

रीना- तुझे बता नहीं सकती कितनी उत्सुक हूँ मैं .

मैं- तेरी खुशी में ही मेरी ख़ुशी है .

रीना- पता नहीं क्यों आजकल रात दिन बस तेरा ही ख्याल रहता है मेरे दिल में

मैं- ऐसा क्यों भला

रीना- यही उलझन तो सुलझ नहीं रही .

मैं- मुझे भी तुझे देखे बिना कहाँ चैन आता है

तभी ताई चाय ले आई. हमने अपना अपना कप लिया . कुछ देर बाद रीना चली गयी . ताई भी जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.

ताई- हाथ छोड़ मेरा

मैं- नाराज मत हो

ताई- तो क्या करू,

मैं ताई को अपनी बाँहों में भरते हुए - प्यार कर मुझसे .

ताई- ये प्यार भी तेरा बहाना है, मेरी सुनता ही कहाँ है तू

मैं- तेरी ही तो सुनता हूँ.

मैंने ताई के गालो पर पप्पी ली. ताई मेरी बाँहों में कसमसाने लगी . ताई के मादक नितम्बो को सहलाने लगा मैं.

ताई- छोड़ न , अभी वक्त नहीं है ये सब करने का

मैं- यही तो वक्त है ये करने का

ताई- मैंने कहा न अभी नहीं

मैं- बस एक बार

मैंने ताई के लहंगे में हाथ डाल दिया और उसकी चूत को मसलने लगा. कितना गजब अहसास था एक मदमस्त औरत की चूत को मसलने का.

ताई- छोड़ मुझे मैंने कहा न अभी नहीं रात को करुँगी तेरी इच्छा पूरी

हार कर मैंने ताई को छोड़ दिया. ताई ने एक नजर मेरे तने हुए हथियार पर डाली और फिर कमरे से बाहर चली गयी.

मेरे पास भी कुछ खास नहीं था करने को बाहर आकर देखा की चाचा की गाड़ी खड़ी थी गली में .मतलब वो लौट आया था .मैं उसके पास गया .

चाचा- तेरी चाची ने सब बताया मुझे , मैं कुछ न कुछ करूँगा तुम सब की सुरक्षा के लिए , साथ ही जब्बर से भी बात करूँगा तुम्हारा जो भी पंगा है ख़तम करवा दूंगा मैं

मैं- उसकी जरुरत नहीं है चाचा

चाचा- जरुरत है , मैं नहीं चाहता की तुम किसी भी चीज़ में उलझो जिस से तुम्हारा कोई वास्ता नहीं हो.

मैं- आप कहाँ गए थे इतने दिन से

चाचा- कुछ काम से गया था पर अभी लौट आया हूँ.

चाची- मेरी तो सुनता ही नहीं है ये , दुश्मन समझता है मुझे तो

चाचा- तुम भी थोडा काबू में रहा करो, अब ये बच्चा नहीं रहा .

मैं- मुझे जब्बर से जरा भी डर नहीं है , मेरा वो कुछ नहीं बिगाड़ सकता

चाचा- दुश्मन को कमजोर मानना हार की तरफ पहला कदम होती है

मैं- समझता हूँ.

चूँकि उस दिन चाचा घर पर ही था तो मैं भी घर पर ही रहा पर मेरा टाइम पास नहीं हो रहा था . चोबारे में लेटे लेटे मैं कभी उस सुनहरे बक्से को देखता तो कभी उस हीरे को जिसमे अब लाल और काला धागा आपस में एक हो गए थे . मैंने एक बार फिर उसे अपने गले में पहनने को कोशिश करी पर हाल पहले जैसा ही था , वो धागा मेरा दम घोंटने पर उतारू हो गया. ये मुझे पहचान नहीं रहा था .

इस बात का मतलब ये था की ये मेरे पिता का भी नहीं था , और उस कागज पर भी लिखा था की इसका बोझ उठाना आसान नहीं है. किस तरह का बोझ था ये , उस हीरे की तपिश , आखिर क्या राज था उसका . और ये मेरे पिता का नहीं था तो किसका था ये.

लाला, जब्बर, दद्दा ठाकुर और मेरे पिता ये सब आपस में किसी न किसी तरह से जुड़े हुए थे . पर वो कड़ी थी क्या. चाचा का जब्बर से दबना एक अलग पहेली थी . सोचते सोचते मेरा गला सूखने लगा था तो मैं निचे आया पानी पिने के लिए , चाचा-चाची अपने कमरे में बात कर रहे थे एक बार मैंने फिर से कान लगा दिए.

“, मुझसे नहीं होता ये नाटक, कब तक मैं उसके आगे बुरी बनी रहूंगी. ”चाची कह रही थी



चाचा- तुम्हारा यही कठोर व्यवहार उसे मजबूत बना रहा है.

चाची- पर मेरे और उसके रिश्ते को कमजोर कर रहा है .और मैं बता दे रही हूँ जब्बर से कहो की अपने परो को काबू में रखे वो , मनीष को अगर जरा भी आंच आई न तो मैं भूल जाउंगी की मैं कौन हूँ मेरे हाथो ने हथियार छोड़े जरुर है चलाना नहीं भूले है

चाचा- धीरे बोल कहीं मनीष न सुन ले.

चाची- अब हम चाह कर भी उसे रोक नहीं पायेंगे , उसकी आँखों में मैंने आग देखि है .

चाचा- काश वो समझ पाता

चाची- समझना तो तुम्हे भी चाहिए, कितने दिन बीत गए है,हमें एक हुए,

चाचा- तुम तो जानती ही हो न .....


न जाने क्यों चाचा ने बात अधूरी छोड़ दी..
रीना और मीता ये दोनों जब भी आती हैं बस बहार आ जाती हैं, लगता है कहानी एक पल रुक कर इनके प्यार पर केंद्रित हो गयी हो, चाची के राज भी लगता है खुलने वाले हैं, बेहतरीन भाग मुसाफ़िर भाई
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#36

इस बातचीत ने मेरे मन में हलचल मचा दी, चाची की बातो से लग रहा था की वो वैसी नहीं है जैसा दिखती है, और उसकी क्या कहानी है अब मुझे ये मालूम करना था . दूसरी बात मुझे ये पता चली थी चाचा कर नहीं पा रहा है उसके साथ , शायद इसी बात से वो दबता था चाची से. जी भर कर पानी पीने के बाद मैं घर से निकला ही था की रीना की मामी मिल गयी.

“अरे मनीष, वो तेरा काम हुआ के नहीं ” उसने कहा

मैं- जल्दी ही हो जायेगा काकी.

काकी- अच्छा ही है

मैं- रीना कहा है

काकी- घर पर ही है .

मैं रीना के घर गया तो वो चबूतरे पर बैठी कपडे धो रही थी . मैं उसके पास ही बैठ गया .

रीना- आजकल कुछ जायदा ही मुलाकाते हो रही है ऐसा लोग कहने लगे है अब

मैं- कुछ तो लोग कहेंगे

रीना- कल मैं क्या पहनू

मैं- नीला सूट

रीना- तुझे मैं नीले में अच्छी लगती हूँ क्या

मैं- मेरी नजर से देख कभी खुद को समझ जायेगी.

रीना- इसी लिए तो नहीं देखती .और बता

मैं- अभी तो कुछ नहीं है बताने को

रीना- तेरी बाते सर के ऊपर से जाती है .

मैं - आजकल बस ऐसा ही चल रहा है .

रीना- ये सुहानी हवा, ये ढलती शाम कितने दिन हुए पनघट किनारे हम बैठे नहीं

मैं- बस कुछ दिनों की बात है , फिर पनघट भी मेरी और तू भी मेरी.

रीना ने आँखे मटकाई और आसपास देखते हुए बड़ी शोखियो से अपनी जुल्फे संवारी और बोली- कुछ भी बोलता है .

मैं- तू कहे तो न बोलू

रीना- एक नइ कसेट लायी हु गानों की ले जा , तुझे पसंद आएगी.

मैं - ताई के पास रख जाना , चल मिलता हूँ फिर.

आँखों में रंग थे,सपने थे कल मैं रीना के साथ मेले में जाने वाला था . मैं उस से वो सब कहना चाहता था जिसे सुनने को वो बेताब थी. मैं उसका हाथ पकड़ना चाहता था. उसके साथ घूमना चाहता था . उसकी जुल्फों के साये तले जीना चाहता था . ढलती शाम में मैं ताई के साथ बावड़ी पर बैठा था . वो मुझे देख रहा था मैं उसे .

ताई- क्या देखता है इस तरह से

मैं- तू जानती है मेरी नजर को फिर क्यों पूछती है

ताई- बस यूँ ही . आजकल तू कुछ खोया खोया सा रहता है , मुझे देवरानी ने बताया की कल रात तू खेत में किसी लड़की के साथ था , मैं तुझसे ये नहीं पूछूंगी की वो कौन थी पर इतना जरुर कहूँगी जिसका भी तू हाथ थामे , थाम कर रखना

मैं- वैसे तो चाची तुम्हे फूटी आँख नहीं सुहाती और वैसे बड़ी निजी जानकारिया बांटी जा रही है .

ताई- हैं तो मेरी देवरानी ही और फिर छोटी मोटी बाते किस घर में नहीं होती.

मैं- मुझे तो समझ नहीं आता

ताई- उसकी जरुरत भी नहीं .

मैं- ये हवा, ये मौसम कुछ कहता है

ताई- क्या कहता है

मैं- तुमसे प्यार करने को

ताई- मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ क्या , या तेरा प्यार बस उस चीज़ तक ही है

मैं- तुझे क्या लगता है, मुझे उस चीज की हसरत होती तो मेरे पास मौका था न , पर मैंने तुम्हे तब पाया जब तुम्हारे दिल ने कहा , वर्ना मेरी क्या औकात थी जो तुमसे जबरदस्ती कर सकता. क्या मैंने कभी तुमसे पूछा की कितने लोगो के साथ ..........

मैंने जान बुझ कर बात अधूरी छोड़ दी.

ताई- तुझे हक़ है जानने का ,

मैं- पर मुझे नहीं जानना

ताई- मेरी बात सुन, तेरी जो भी दोस्त है उसका ध्यान रखना, अब तूने इतने लोगो से दुश्मनी पाल ली है , तो ये बात हमेशा याद रखना की तेरी वजह से उसकी सुरक्षा से कोई समझोता न हो. अपनों को खोने का गम सहन करना आसन नहीं होता. दुश्मनी का पहला नियम यही होता है की लोग सबसे खास को ही नुक्सान पहुंचाते है .

मैं- , उसे मेरी जरुरत नहीं उस मामले में

ताई- वो तू जाने,

मैंने ताई की जांघ पर हाथ रखा और सहलाने लगा. उसके बदन की संदली खुशबु मुझे पागल कर रही थी . मैंने ताई के हाथ को धीरे से अपने लंड पर रख दिया. वो उसे सहलाने लगी. कुछ देर बात उसने हाथ अंदर पायजामे में डाल दिया और मैं क्या बताऊ मैं उस मजे के अहसास में डूबने लगा.

“ताऊ तुमसे नफरत क्यों करता है ” मैंने कहा

ताई- उसके पास पर्याप्त कारण है

मैं- उसने भी तुम्हे देख लिया था न किसी के साथ

ताई- उसकी नफरत जायज है , मैंने स्वीकार कर लिया है उसकी नफरत को

मैं- किसके साथ देखा था तुम्हे उसने

ताई- तुम्हे जरुरत नहीं जानने की .

मैंने ताई को खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गालो को चुमते हुए बोला- मुझे हर वो बात जाननी है जो मुझसे छिपी है.

ताई-कुछ चीज़े छिपी रहे तो ही बेहतर होती है .

मैंने अपने हाथ ताई की चुचियो पर रखा और उन्हें दबाते हुए बोला- ठीक है नहीं पूछता पर ये राज़ फिर किसी भी तरह से मेरे सामने नहीं आना चाहिए

ताई- वो मेरी जिंदगी है , उसे कैसे जिया मैंने वो मेरी मर्जी थी , जरुरी नहीं की दुनिया की नजर से देखा जाए, दुनिया की नजरो में ये गलत हो सकता है पर अगर मैं टांगे खोल दू तो क्या सबसे पहले ये समाज ही नहीं चढ़ जायेगा मुझे पर. मैंने तुझे दी , पर इसका मतलब ये नहीं था की मेरी कोई मज़बूरी थी , उसमे मेरी मर्जी थी . बेशक वो गलत था , पर उस छोटे से लम्हे ने मुझे ख़ुशी दी.

मैं- मैं बस चाहता हूँ की तुम खुश रहो , तुम्हारे दामन में दुनिया भर की खुशिया रहे .

मैंने ताई के पैरो को फैलाया और अपने उपर चढ़ा लिया ताई ने मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया और उस पर बैठती चली गयी . ताई की चूत की गर्मी का क्या कहना . वो धीरे धीरे ऊपर निचे होने लगी. घुप्प अँधेरे में बस हमारी साँसे ही चल रही थी. न वो कुछ बोल रही थी न मैं पर हमारे जिस्म एक दुसरे से कह रहे थे वो बात जो बस उन्हें ही मालूम थी .

चुदाई के बाद वो मेरे ऊपर से उठी और पास में बैठ कर ही मूतने लगी. अँधेरी रात में उसकी चूत से टपकते मूत की आवाज सुनना भी एक अजब ही सुख था .

“घर चले अब ” ताई ने कहा

मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- क्या तुम मुझमे पिताजी को देखती हो .

ताई ने मेरी बाहं मरोड़ी और बोली- मेरा इम्तिहान मत ले तू , अर्जुन और मेरा रिश्ता जो था उसे समझने के काबिल नहीं है तू. बस इतना समझ ले मैं काशी का घाट हूँ , मेरे और अर्जुन के रिश्ते को समझने के लिए तुझे गंगा होना पड़ेगा. .......................
 

HalfbludPrince

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Meeta ke sath Manish ko kuch haseen pal guzaarne ka mauka mila tha lekin footi kismat usme bhi biggan pad gaya. Khair khet me kisi aadmi ki khoon se lathpath laash ke paas chachi ka maujood hona yakeenan sirf sanyog nahi ho sakta. Pichhle kuch updates me chachi ka jis tarah ka character ubhar kar aaya hai usse wo shak ke ghere me hai. Aakhir kya Bala hai ye??? :dazed:

Kayi sawaal paise ho gaye hain....aakhir wo laash kiski hai aur agar us aadmi ko chachi ne nahi maara to kisne maara?? Agar wo aadmi Jabbar ka tha to kaun raat me pel gaya use?? Ye to achha kiya ki teeno ne mil kar use gaddhe me dafan kar diya hai lekin ye sirf kuch hi time ke liye ho sakta hai kyoki diler singh ko agar aisi kisi baat ka shak hua to wo Manish ke peechhe pad jaayega. Manish jab taayi se chachi ke charitra ke bare me puchha to taayi ne usko thappad maar diya....matlab taayi ko ye nagwaar guzra. Khair kissa thoda aur dilchasp ho gaya hai, dekhte hain kya hota hai :smoking:
धीरे धीरे कहानी अपनी रफ्तार पकड़ गई है भाई अब बस मेले वाले अपडेट का इंतजार है
 

HalfbludPrince

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हम्म चाची का भी लफड़ा कोई गहरा ही लगता है पहले जब सुनार ठुका तब ये वहां थी फिर अब इस क़त्ल की जगह क्या ये चाचा की तलाश में आयी थी या फिर मीता और मनीष की मुखबरी करने ?

तभी में कह रहा था की मनीष को ताई से पहले इसकी गर्मी शांत करना थी खैर अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा मेले से पहले इसका भी शांत करवाया जाना ज़रूरी जान पड़ता है

मीता का किरदार बहुत ही निखर कर सामने आया है और कहानी भी बेहद रोमांचक, रोमांटिक व् सस्पेंस भरी होती जा रही है
चाची के किरदार का राज भी खुलने ही वाला है
 
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