#२7
जिस चीज को पाने की हसरत थी मुझे उसे मुट्ठी में दबा कर मसला ही था की तभी बाहर से कोई दरवाजा जोर जोर से पीटने लगा था. मेरा माथा घूम गया. ये दूसरी बार हुआ था की जब मैंने ताई के करीब आने की कोशिश की तो कोई न कोई आ गया था .
“मैं देखती हूँ ” ताई ने अपने कपडे सही किये और बाहर जाने लगी
मैं- रुको मैं भी चलता हूँ , रात का समय है न जाने कौन होगा.
हम दोनों बाहर आये , पर दरवाजे पर कोई नहीं था पूरी गली सुनसान पड़ी थी .
“कौन पीट गया किवाड़ ” मैंने झल्लाते हुए कहा
ताई- कोई दिख भी तो नहीं रहा .
मैं- शायद कोई शराबी होगा
मेरे मन में विचार आया की कही ताई का कोई आशिक तो नहीं था , पर मैंने उसके आगे कुछ नहीं कहा . और अगले ही पल मेरी ये शंका भी दूर हो गयी . गली में तमाम लोग अपने अपने घरो से बाहर निकल रहे थे . और एक दुसरे की तरफ हैरानी से देख रहे थे . तभी दूसरी तरफ से दो तीन लोग आये और बोले- जब्बर ने सब को चौपाल पर बुलाया है अभी के अभी .
ताई- तू अन्दर जा मैं देख कर आती हूँ मामला क्या है
मैं- नहीं मैं जाऊंगा,
ताई- मैं भी चलूंगी तेरे साथ .
हम लोग चौपाल पर आये तो देखा की नीम के निचे जब्बर कुर्सी पर बैठा था .पूरा गाँव ही वहां पर जमा था .
“गाँव वालो, आज मेरे दोस्त- मेरे भाई लाला पर जानलेवा हमला हुआ है , और मैं जानता हु की ये जिसने भी किया है वो तुम लोगो में से ही है मैं तुम लोगो से कह रहा हूँ की जो भी है वो अपने आप आगे आ जाये , वर्ना उसे मैं ढूंढ कर निकालूँगा तू फिर ठीक नहीं होगा . लाला मेरे लिए जान से भी बढ़ कर है , हमलावर ने ये वार लाला पर नहीं बल्कि मेरे कलेजे पर किया है ” जब्बर ने कहा .
मैंने आस पास नजर उठाकर देखा, लोग उसके खौफ से कांप रहे थे ,डर रहे थे ,
“ये चुतियापा करने को ही तूने पुरे गाँव की नींद ख़राब की जब्बर ” मैंने आगे बढ़ कर उस से कहा.
और मेरा ये कहना ही आग लगा गया.
“कौन है तू, और तेरी इतनी हिम्मत की तू मुझसे आँखे मिला कर बाते करे, ये लोग मेरी जुती की तरफ भी नहीं देख पाते” उसने कहा .
मैं- तो बढ़िया जुती पहना कर न और सुन आज तो तेरे आदमियों ने मेरे दरवाजे पर हाथ लगा दिया आगे से ये गलती हुई तो मैं उखाड़ दूंगा उन हाथो को समझ ले मेरी बात को .
जब्बर की आँखे फ़ैल गयी .
“किसका लौंडा है ये , ” उसने चीख कर कहा .
मैं उसके सामने गया .
“मेरी शकल देख ले , पहचान ले मैं अर्जुन सिंह का बेटा हूँ ” मैंने कहा
मेरी बात सुन कर वो हंसने लगा.
“तेरे चाचा ने मेरे बारे में बताया नहीं क्या तुझे, कैसे उसने मेरे पैर पकडे थे , कैसे जमीन की भीख मांगने आया था वो ” उसने कहा
मैं- जमीन तो मैं तेरे हलक में हाथ डाल कर निकाल लूँगा . जिस दिन मेरा दिल करेगा .
जब्बर- चाहूँ तो अभी के अभी तेरी गांड तोड़ दू मैं पर न जाने क्यों दिल कह रहा है की तुझे तडपा तडपा कर मारने में मजा आएगा.
“मनीष तू घर चल अभी के अभी ” ताई ने मेरा हाथ पकड़ा
“हाँ लेजा इसे, और समझा के मैं कौन हूँ , पर समझाने का कोई फायदा तो है ही नहीं क्योकि इसे तो मरना ही है न ” उसने ताई से कहा .
मैं- तू मारेगा मुझे, शेरो का शिकार करने के लिए शेर होना चाहिए कुत्तो को ऐसे सपने देखने भी गुनाह होते है .
“मालिक के सामने सर उठाता है तेरी ये मजाल ” जब्बर का एक आदमी मुझे मारने को दौड़ा .
मैंने पास पड़ी कुर्सी उठाई और उसके सर पर दे मारी. पल भर में ही सर फूट गया उसका. एक दो तीन चार जब तक वो पस्त नहीं हो गया मैं लोहे की कुर्सी उसे मारते रहा . गाँव में अफरा तफरी मच गयी .
जब्बर कुर्सी से उछल पड़ा मैं उसके पास गया और बोला- मर्द है तो मर्द की तरह रहना , मैं ना जाने कब से इस मौके की तलाश में था की दुश्मनी निभा सकू तुझसे, उस बहन के लोडे सुनार को तो कोई और पेल गया पर मेरा वादा है तुझसे तेरी साँसे मुझसे भीख मांगेगी जिन्दगी की . और सुन इस दुश्मनी में सिर्फ तू होगा या मैं, अगर मेरे पीछे से मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को तूने, तेरे किसी भी आदमी ने नजर उठा कर देखा भी ना, तो फिर ये याद रखना घर परिवार तेरा भी है , .
“बरसों बाद मेरे सामने कोई ऐसा आया है जिसके जोश को ठंडा करने में मुझे मजा आएगा , तेरे साथ खेल खेलूँगा मैं , आज तेरी जिन्दगी बक्श कर जा रहा हूँ मैं पर जल्दी ही तुझे अफ़सोस होगा की क्यों मैंने तेरी जिन्दगी बक्शी ” उसने कहा
वो चल कर ताई के पास आया और बोला- अपने पिल्ले को तूने बताया नहीं क्या मेरे बारे में ,
मैं- उसे बताने की जरुरत नहीं , पर तुझे मैं बताता हूँ वो चीज़ जिसे तूने और सुनार ने सोलह साल से छिपा कर रखा था उसका राज अब राज नहीं रहेगा.
मेरी बात सुनकर जब्बर के चेहरे का अहंकार अचानक से बुझ गया . उसकी हंसी गायब हो गयी . उसकी आँखों में मैंने पहली बार कुछ ऐसा देखा जिसे डर कहना उचित होगा.
“मेले तक का समय है तेरे पास, मेरा जो भी कुछ तूने कब्जाया है वापिस कर देना, मेले के बाद अगर मैं लौटा तो तू भी जानता है मैं , मैं नहीं रहूँगा और जब मैं तुझसे हिसाब मांगूंगा न तो तू चूका नहीं पायेगा जब्बर ” मैंने कहा .
“मुझे परवाह नहीं है तू इन गाँव के लोगो के साथ क्या करता है , क्योंकि ये नपुंसक लोग है , गुलामी की आदत पड़ गयी है इनको, इनको रगों में बहता खूम जम चूका है , पर मुझे परवाह है , आज तेरे आदमियो ने मेरे दरवाजे पर हाथ लगाया. इन हरामजादो की क्या औकात है जो ये हमें चौपाल पर आने को कहेंगे. क्या कह रहा था तू, मेरे चाचा से पैर पकद्वाये थे तूने, सुन मेरे लिए मेरे बाप से कम नहीं है वो . ये बात मैं नहीं भूलूंगा. और तू भी याद रखना ” मैंने कहा .
जब्बर ने कुछ नहीं कहा वो बस चल पड़ा अपनी गाडी में बैठा और न जाने कहाँ चला गया . धीरे धीरे सब चले गयी मैं और ताई रह गए.
मैं- चल तू भी घर
ताई- तुझे ये तमाशा नहीं करना चाहिए था .
मैं- एक न एक दिन तो ये सब होना ही था न , तू भी जानती है ये बता नहीं जानती क्या .
ताई- जानती हूँ पर सोचती थी की कब तक टलेगा ये .
मैं- पर क्यों टालना चाहती थी तू ये
ताई- क्योंकि................