हर बार की तरह इस बार भी एक लाज़वाब अपडेट। कहानी एक ऐसे मोड़ पर लाकर छोड़ी जिसके बारे में कुछ सोचा भी नहीं था। उत्सुकता के एक पेचीदे माहौल में कहानी के अगले हिस्से का बेसब्री से इंतज़ार है।
शानदार लेखनी....#25
“मेरे होश तो उसी दिन से उड़े हुए है जब से माँ का संदेसा आया है , मैं तुझे बता नहीं सकती क्या हाल है तब से मेरा ”उसने कहा
मैं- तू उसकी चिंता मत कर , जब तक मैं हूँ तुझे कहीं जाने नहीं दूंगा मैं
रीना-पर मुझे जाना होगा , मेरी मजबुरिया है
मैं- कोई मज़बूरी नहीं तेरी , तू मत सोच इस बारे में . तेरी माँ जब यहाँ आएगी मैं बात कर लूँगा उनसे.
रीना- भला क्या बात करेगा तू उससे
मैं- वो तू मुझ पर छोड़ दे.
रीना- बातो में तो तुझसे कोई नहीं जीत सकता . पर आजकल तू किन बातो में उलझा हुआ है तू मुझसे ही छिपाने लगा है .
मैं- जिंदगी की किताब के बिखरे पन्ने तेरे हाथो में है और तू कहती है की तुझसे छिपाने लगा हूँ, इल्जाम लगाना है तो कुछ ढंग का तो लगा न .
रीना- फिलहाल तो मैं चलती हूँ , रात को चोबारे की छत पर मिलेंगे
मैं - तू चल मैं आता हु थोड़ी देर में .
ठंडी पवन संग लहराती चुन्नी उसकी, हमेशा वो बड़े सलीके से कपडे पहनती थी . उसकी बात ही निराली थी . जब वो साथ होती थी मुझे कुछ कहने की जरुरत नहीं होती थी , मुझे मुझसे जायदा वो समझती थी . पर आज फिर उसने वो बात छेड़ी थी जिसे सुनकर मैं घबरा गया था . मेरे सीने में तेज दर्द हो गया था जुदाई की बात सोच कर. वो कैसे हालात होंगे .
“हे नियति, ये जुल्म मत करना मेरे जो थे सब तो तूने छीन लिए कम से कम इसे तो मेरे भाग में रहने देना .” मैंने देवता के आगे माथा झुकाया.
घर पर आया तो देखा की ताई आँगन में ही बैठी थी.
“आया नहीं तू, ” ताई ने कहा
मैं- किसी काम में उलझा था
ताई- तेरी ये उलझने , न जाने किस उधेड़बुन में लगा रहता है
मैं-तुम तो कुछ बताती नहीं , तो मैं तो कोशिश करूँगा ही न .
ताई- मेरे पास छिपाने को भी तो कुछ नहीं
मैं- जानता हु की चाची ने सब कुछ दबा लिया है , पर तूने कभी अपना हिस्सा क्यों नहीं माँगा, तू इस घर की बड़ी बहु है . तूने ये राह क्यों चुनी .
ताई- शायद यही मेरी नियति थी . वैसे भी इन्सान के साथ कुछ नहीं जाता, राजा हो या रंक सबकी दो मुट्ठी राख ही बनती है, सेठ हो या मजदुर शमशान में साथ ही होते है सब.
मैं- फिर भी तूने माँगा क्यों नहीं हक़ जो तेरा है तुझे मिलना चाहिए. मैंने सोचा है कल चाचा से बात करूँगा.
ताई- तुझे क्या लगता है की मेरी क्या चाहत है . नियति ने जो लिखा है वो होता है, नियति के विधान को आज तक कोई बदल पाया है क्या.
मैं- पर तुझे तेरा सुख कहाँ मिला.
ताई- मेरा सुख मेरे सामने बैठा है . दुनिया मुझे पीठ पीछे न जाने क्या क्या कहती है निपूती, बाँझ पर मैंने कभी किसी की बात दिल पर नहीं ली क्योंकि मेरा वंश, मेरा कुल मेरे सामने बैठा है , हम हमेशा तेरे क्षमाप्रार्थी रहेंगे , तेरी परवरिश हम उस तरह से नहीं कर पाए जैसी होनी चाहिए थी .
“ये धन, दौलत, ये जमीने लेकर मैं करती भी क्या . हमारी सबसे अनमोल दौलत तो तुम हो , ” ताई ने कहा
मैं- फिर भी मैं चाहता हूँ
“मुझे कुछ नहीं चाहिए ,” ताई ने मेरी बात काट दी.
फिर मैंने भी कुछ नहीं कहा . ताई अपना काम करने लगी, मैं चारपाई पर पड़े पड़े बस उसे ही निहारता रहा . इस औरत से मेरा न जाने ये कैसा रिश्ता था , मैं इसे माँ के रूप में भी देखता था, अपने मन की बात भी इस से करता था किसी दोस्त के जैसे और इसके साथ सोने की हसरत भी थी मेरी.
रात को एक बार फिर मैं रीना के साथ चोबारे की छत पर बैठा था .
“ये चाँद कितना खूबसूरत है न ” उसने कहा
मैं- हाँ , पर तुमसे जायदा नहीं
रीना- हाँ, बाबा हाँ, वैसे ये कुछ जायदा ही तारीफ नहीं कर दी तुमने .
मैं- सच ही तो कहा , तेरे रोशन चेहरे के आगे ऐसे सौ चाँद भी बेकार है .
रीना- बता मुझको तुझे कैसी मैं लगती हूँ .
मैं- कैसे बताऊ.
रीना- जैसे बताते है वैसे बता.
मैं- तू क्या सुनना चाहती है मुझसे
रीना- जो तू कहना नहीं चाहता
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- ये चाँद, ये रात , ये तेरा साथ , ये तेरी छुअन , ये होंठो की कंपकंपाहट , ये तेरी बिखरी जुल्फे,लहराता आँचल, ये तेरी शोर मचाती धड़कने ये सब तो जानती है ,
रीना- ये जानती है तो मुझसे क्यों नहीं कहती
मैं- कहने की जरुरत ही नहीं
रीना- हर पल हर लम्हा , हर घडी मैं बेक़रार क्यों रहती हूँ , आजकल बिना बात मैं हंसती रहती हूँ, खुद से बाते करती रहती हूँ .
मैं- तू खुद को जानने लगी है , पहचानने लगी है खुद को .
रीना- और मैं क्या हूँ.
मैं-सावन की पहली बारिश है तू, सौंधी मिटटी को पहली खुशबु है तू, अलसाई भोर की ओस है तू. मैं कुछ कहूँ या न कहू मेरा ताज है तू
वो मेरे पास आई , उसकी गर्म सांसे मेरे होंठो पर गिर रही थी , उसके बदन की तपिश को महसूस किया मैंने. उसने हौले से मेरे माथे को चूमा और फिर अलग हो गयी.
“काश ये रात थम जाये यु ही ” उसने कहा
मैं- काश तू रुक जाये मेरे साथ यु ही
इस से पहले की वो और कुछ कहती , निचे मोहल्ले में अचानक से ही चीख पुकार मच गयी . शोर होने लगा तो हम दोनों भाग कर गए और जाकर देखा की ..................................
Mind-Blowing updateचारो तरफ भगदड़ मची हुई थी. मालूम हुआ की किसी ने सुनार पर हमला कर दिया था . कुछ लोग उसे गाड़ी में पटक रहे थे , उसका एक हाथ झूल रहा था, मैंने देखा उसे. पिछले कुछ दिनों से गाँव में बड़ी अजीब अजीब घटनाये हो रही थी , पर सिर्फ उन लोगो के साथ जो या तो जब्बर के साथ थे या सुनार के साथ. रीना को उसके घर छोड़ने के बाद मैं फिर से वारदात वाली जगह पर पहुँच गया .
अब वहां पर कुछ गिने चुने लोग ही थे. किसी से तो बड़ी गहरी दुश्मनी थी इन लोगो की जो वो सीधा ही इन्हें मार रहा था . मैंने घटनास्थल की बड़ी बारीकी से जांच की पर कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिस से कोई अनुमान लगाया जा सके.पर मेरे दिमाग में दो सवाल बड़ी तेजी से दौड़ लगा रहे थे , पहला ये की हमलावर हो न हो हमारे ही गाँव , मोहल्ले का हो सकता है वर्ना इतनी जल्दी वो कैसे भाग गया. दूसरा सवाल ये की आज ही मैं लाला से उस हीरे के बारे में बात करने वाला था और आज ही लाला पर हमला हो गया.
क्या ये कोई इत्तेफाक था या फिर कोई था जो नहीं चाहता था की लाला मेरे से मिले. मुझे दुश्मनी वाला एंगल ज्यादा जंच रहा था क्योंकि पहले जो लोग मारे गए थे उनसे मेरा कोई लेना देना नहीं था . पर फिर भी इस हमलावर में मेरी दिलचश्पी जाग गयी थी . पंडाल में पड़ी कुर्सी पर बैठे बैठे मैं तमाम तरह के अनुमान लगा रहा था . मैं ताई के घर जा रहा था की मेरी नजर गली में खड़ी चाची पर पड़ी.
“तुम क्या कर रही हो यहाँ पर ” मैंने कहा
चाची- तुमसे मतलब.
मैं- चलो घर चलते है , कुछ नहीं बचा इस तमाशे में देखने को .
उसने बुरा सा मुह बनाया और मेरे साथ चलने लगी. घर के दरवाजे को खोलने के लिए उसने अपना हाथ उठाया ही था की वो अचानक से करह उठी. उसने दुसरे हाथ से अपना हाथ संभाला. मैंने देखा की उसके हाथ से खून बह रहा था .
“ये चोट कैसे लगी तुमको ” मैंने सवाल किया
“तुजसे क्या मतलब है ” चाची ने थोड़े गुस्से से कहा.
मैंने हिमाकत करते हुए उसकी बांह को मरोड़ा और उसे दिवार के सहारे लगा दिया.
“आई, कमीने तेरी ये जुर्रत छोड़ मुझे ” उसने कहा
मैं- मेरी जुर्रत तूने देखि ही कहा है , ये चोट कैसे लगी तुझे , क्या सुनार पर तूने हमला किया था . तू भी थी न वहां पर
चाची- बांह छोड़ दे मेरी मैं कहती हु .
मैं- ये धौंस किसी और को दिखाना और सीधा मेरे सवाल का जवाब दे, तू थी न वहां पर तूने किया न ये ,
तभी वो हुआ जिसकी मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी , चाची ने पलटा खाया और एक झटके में खुद को मुझ से आजाद करवा लिया और अगले ही पल एक तामाचा खींच कर मेरे मुह पर दे मारा .
“दुबारा मेरे साथ बदतमीजी की तो खाल खींच लुंगी तेरी ” चाची ने कहा और दनदनाते हुए घर के अन्दर चली गयी . जबड़े को सहलाते हुए मैं सोच रहा था की ये औरत जितनी दिखती है उस से ज्यादा घाघ है , चाची और ताई दोनों की सख्शियत ही जुदा थी अपने अन्दर न जाने क्या क्या दबाये बैठी थी ये औरते, और तब मुझे समझ आया की दुनिया के राज मुझे बाद में जानने है पहले अपने घर की गुत्थी को सुलझाना होगा.
रात बहुत हुई थी, मैं सोना चाहता था पर अभी अन्दर जाता तो चाची फिर कलेश कर देती तो मैं गयी के यहाँ चला गया . वो कमरे में पलंग पर लेटी थी .
मैं- दरवाजा तो बंद कर लिया करो
ताई- मुझे लगा तू आयेगा
मैं ताई के पास जाकर लेट गया. उसके बदन से आती खुशबू मेरी साँसों में सामने लगी. जैसे ही उसने अपनी पीठ मेरी तरफ की मैंने उसके ऊपर अपनी बांह डाल दी और उसके गोरे,मुलायम पेट को सहलाने लगा. कितना कोमल था वो . मैंने अपनी ऊँगली ताई की नाभि में फिराई
ताई- क्या कर रहा है
मैं- कुछ नहीं .
मेरा दिल कर रहा था की अभी हाथ आगे बढ़ा कर ताई की चुचियो को पकड़ लू और कस कस के मसल दू उनको. मेरी जांघे ताई के कुल्हो से सटी हुई थी . मादक नितम्बो का स्पर्श , मेरे रोम रोम को पुलकित कर रहा था . कांपते होंठो से मैंने ताई की गर्दन के पिछले हिस्से पर एक चुम्बन अंकित किया. ताई के बदन में एक झुर्खुरी दौड़ गयी.
मैंने ताई के चेहरे को अपनी तरफ किया और ताई के गालो को चूमने लगा. मैंने देखा की ताई ने अपनी आँखों को बंद कर लिया था . पर मैं जानता था की शायद यही वो समय था जब मैं उसे अपनी बना सकता था . मैंने अपने होंठो पर जीभ फेरी और ताई के गुलाबी होंठो को अपने मुह में भर लिया.
ताई के होंठो का रस पीते हुए मैंने ताई को सीधी लिटा दिया और अपना एक पैर उसके ऊपर डाल दिया. जब तक मेरा दिल किया मैं उसके होंठो, गालो को चूमता रहा . फिर मैंने ताई के ब्लाउज पर अपना हाथ रखा और ताई की चुचियो को दबाने लगा.
एक दो तीन, चार मैंने गिनते हुए ब्लाउज के हुको को खोला और जालीदार ब्रा में कैद ताई की गदराई चुचिया मेरी आँखों के सामने थी . मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनको चूमना शुरू किया , कभी मैं उनको चूमता कभी मैं उनको मसलता . मैंने फिर ब्रा को ऊपर किया और ताई के गहरे भूरे रंग के निप्पल को अपने होंठो से लगा लिया. मैंने ताई के बदन को कांपते महसूस किया. जब मैं उसकी छातियो को पी रहा था तो वो भी मस्ताने लगी . ताई मेरे सर के बालो में हाथ फिराने लगी.
स्तनपान करते हुए मैंने मेरा हाथ ताई की जांघो पर रखा और उनको सहलाने लगा. ताई का लहंगा थोडा ऊँचा हो गया था मैंने उसमे अपना हाथ डाल दिया और ताई की चिकनी जांघो को मसलने लगा. और फिर जब मेरा हाथ दोनों जांघो के बीच उस तपती जगह पर गया जिसकी गर्मी को मैंने अपने जिस्म में उतरते महसूस किया. मैंने मुट्ठी में भर कर ताई की चूत को मसला ही था की .
हम नही सुधरेंगे, जानबूझ कर अपडेट को ऐसे मोड़ पर छोड़ देते हैं कि समझ मे ही नही आता है कि हुआ क्या है।चारो तरफ भगदड़ मची हुई थी. मालूम हुआ की किसी ने सुनार पर हमला कर दिया था . कुछ लोग उसे गाड़ी में पटक रहे थे , उसका एक हाथ झूल रहा था, मैंने देखा उसे. पिछले कुछ दिनों से गाँव में बड़ी अजीब अजीब घटनाये हो रही थी , पर सिर्फ उन लोगो के साथ जो या तो जब्बर के साथ थे या सुनार के साथ. रीना को उसके घर छोड़ने के बाद मैं फिर से वारदात वाली जगह पर पहुँच गया .
अब वहां पर कुछ गिने चुने लोग ही थे. किसी से तो बड़ी गहरी दुश्मनी थी इन लोगो की जो वो सीधा ही इन्हें मार रहा था . मैंने घटनास्थल की बड़ी बारीकी से जांच की पर कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिस से कोई अनुमान लगाया जा सके.पर मेरे दिमाग में दो सवाल बड़ी तेजी से दौड़ लगा रहे थे , पहला ये की हमलावर हो न हो हमारे ही गाँव , मोहल्ले का हो सकता है वर्ना इतनी जल्दी वो कैसे भाग गया. दूसरा सवाल ये की आज ही मैं लाला से उस हीरे के बारे में बात करने वाला था और आज ही लाला पर हमला हो गया.
क्या ये कोई इत्तेफाक था या फिर कोई था जो नहीं चाहता था की लाला मेरे से मिले. मुझे दुश्मनी वाला एंगल ज्यादा जंच रहा था क्योंकि पहले जो लोग मारे गए थे उनसे मेरा कोई लेना देना नहीं था . पर फिर भी इस हमलावर में मेरी दिलचश्पी जाग गयी थी . पंडाल में पड़ी कुर्सी पर बैठे बैठे मैं तमाम तरह के अनुमान लगा रहा था . मैं ताई के घर जा रहा था की मेरी नजर गली में खड़ी चाची पर पड़ी.
“तुम क्या कर रही हो यहाँ पर ” मैंने कहा
चाची- तुमसे मतलब.
मैं- चलो घर चलते है , कुछ नहीं बचा इस तमाशे में देखने को .
उसने बुरा सा मुह बनाया और मेरे साथ चलने लगी. घर के दरवाजे को खोलने के लिए उसने अपना हाथ उठाया ही था की वो अचानक से करह उठी. उसने दुसरे हाथ से अपना हाथ संभाला. मैंने देखा की उसके हाथ से खून बह रहा था .
“ये चोट कैसे लगी तुमको ” मैंने सवाल किया
“तुजसे क्या मतलब है ” चाची ने थोड़े गुस्से से कहा.
मैंने हिमाकत करते हुए उसकी बांह को मरोड़ा और उसे दिवार के सहारे लगा दिया.
“आई, कमीने तेरी ये जुर्रत छोड़ मुझे ” उसने कहा
मैं- मेरी जुर्रत तूने देखि ही कहा है , ये चोट कैसे लगी तुझे , क्या सुनार पर तूने हमला किया था . तू भी थी न वहां पर
चाची- बांह छोड़ दे मेरी मैं कहती हु .
मैं- ये धौंस किसी और को दिखाना और सीधा मेरे सवाल का जवाब दे, तू थी न वहां पर तूने किया न ये ,
तभी वो हुआ जिसकी मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी , चाची ने पलटा खाया और एक झटके में खुद को मुझ से आजाद करवा लिया और अगले ही पल एक तामाचा खींच कर मेरे मुह पर दे मारा .
“दुबारा मेरे साथ बदतमीजी की तो खाल खींच लुंगी तेरी ” चाची ने कहा और दनदनाते हुए घर के अन्दर चली गयी . जबड़े को सहलाते हुए मैं सोच रहा था की ये औरत जितनी दिखती है उस से ज्यादा घाघ है , चाची और ताई दोनों की सख्शियत ही जुदा थी अपने अन्दर न जाने क्या क्या दबाये बैठी थी ये औरते, और तब मुझे समझ आया की दुनिया के राज मुझे बाद में जानने है पहले अपने घर की गुत्थी को सुलझाना होगा.
रात बहुत हुई थी, मैं सोना चाहता था पर अभी अन्दर जाता तो चाची फिर कलेश कर देती तो मैं गयी के यहाँ चला गया . वो कमरे में पलंग पर लेटी थी .
मैं- दरवाजा तो बंद कर लिया करो
ताई- मुझे लगा तू आयेगा
मैं ताई के पास जाकर लेट गया. उसके बदन से आती खुशबू मेरी साँसों में सामने लगी. जैसे ही उसने अपनी पीठ मेरी तरफ की मैंने उसके ऊपर अपनी बांह डाल दी और उसके गोरे,मुलायम पेट को सहलाने लगा. कितना कोमल था वो . मैंने अपनी ऊँगली ताई की नाभि में फिराई
ताई- क्या कर रहा है
मैं- कुछ नहीं .
मेरा दिल कर रहा था की अभी हाथ आगे बढ़ा कर ताई की चुचियो को पकड़ लू और कस कस के मसल दू उनको. मेरी जांघे ताई के कुल्हो से सटी हुई थी . मादक नितम्बो का स्पर्श , मेरे रोम रोम को पुलकित कर रहा था . कांपते होंठो से मैंने ताई की गर्दन के पिछले हिस्से पर एक चुम्बन अंकित किया. ताई के बदन में एक झुर्खुरी दौड़ गयी.
मैंने ताई के चेहरे को अपनी तरफ किया और ताई के गालो को चूमने लगा. मैंने देखा की ताई ने अपनी आँखों को बंद कर लिया था . पर मैं जानता था की शायद यही वो समय था जब मैं उसे अपनी बना सकता था . मैंने अपने होंठो पर जीभ फेरी और ताई के गुलाबी होंठो को अपने मुह में भर लिया.
ताई के होंठो का रस पीते हुए मैंने ताई को सीधी लिटा दिया और अपना एक पैर उसके ऊपर डाल दिया. जब तक मेरा दिल किया मैं उसके होंठो, गालो को चूमता रहा . फिर मैंने ताई के ब्लाउज पर अपना हाथ रखा और ताई की चुचियो को दबाने लगा.
एक दो तीन, चार मैंने गिनते हुए ब्लाउज के हुको को खोला और जालीदार ब्रा में कैद ताई की गदराई चुचिया मेरी आँखों के सामने थी . मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनको चूमना शुरू किया , कभी मैं उनको चूमता कभी मैं उनको मसलता . मैंने फिर ब्रा को ऊपर किया और ताई के गहरे भूरे रंग के निप्पल को अपने होंठो से लगा लिया. मैंने ताई के बदन को कांपते महसूस किया. जब मैं उसकी छातियो को पी रहा था तो वो भी मस्ताने लगी . ताई मेरे सर के बालो में हाथ फिराने लगी.
स्तनपान करते हुए मैंने मेरा हाथ ताई की जांघो पर रखा और उनको सहलाने लगा. ताई का लहंगा थोडा ऊँचा हो गया था मैंने उसमे अपना हाथ डाल दिया और ताई की चिकनी जांघो को मसलने लगा. और फिर जब मेरा हाथ दोनों जांघो के बीच उस तपती जगह पर गया जिसकी गर्मी को मैंने अपने जिस्म में उतरते महसूस किया. मैंने मुट्ठी में भर कर ताई की चूत को मसला ही था की .
Read latest updateBoth updates are amazing, Manish ka KLPD ho gaya, Tai janti he us diwamond ke baare me, Chacha inta bhi bura nahi jitna hum samajh rahe the, Lala ko ab Manish kya bechna chahta he????
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