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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

Sanju@

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#48



“इधर से गुजर रहा था, पानी की हौदी देखि तो सोचा प्यास बुझाता चलू, ठंडी पवन चल रही थी दो घडी बैठ गया सुस्ताने को ” उसने कहा

मैं- पहले कभी देखा नहीं इस तरफ

आदमी- व्यापारी आदमी हूँ,एक गाँव से दुसरे गाँव घूमता फिरता रहता हूँ.

मैं- किस चीज़ का व्यापर करते हो तुम

आदमी- किसानी का काम है मेरा जमीने जोतता हूँ .

मुझे ये था की कहीं ये जब्बर का आदमी तो नहीं , क्योंकि आजकल अंजानो पर भरोसा करना उचित नहीं था खासकर इन हालातो में. मैं उस से खोद खोद कर पूछ रहा था .

“मैं भी कोशिश कर रहा हूँ इस जमीन को उपजाऊ बनाने की पर बंजर जमीन जिद पर अड़ गयी है . रोज़ मेहनत करता हूँ पर फायदा नहीं होता ” मैंने कहा

आदमी- जमीन बुजुर्गो सी होती है, उन्हें मानना पड़ता है .

मैं- तुम्हे तो बड़ा अनुभव रहा होगा किसानी का तुम देखो जरा

मेरे इशारे पर वो आदमी खड़ा हुआ और उस जगह जाकर खड़ा हो गया जहाँ पर मैंने खुदाई चालू की थी. मिटटी के ढेलो को उसने अपने हाथो में लिया और देखने लगा . कुछ देर बाद वो मेरे पास आ गया.



आदमी- काफी पुराणी पकड़ है मिटटी की. आसान नहीं है इसे उपजाऊ करना

मैं- ये तो मैं भी जानता हूँ नया बताओ कुछ .

आदमी- खूब भीगने को इस धरा को , उम्मीद का अंकुर जरुर फूटेगा. अच्छा मैं चलता हूँ देर हुई तो अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाउँगा आपका आभार , आपका पानी पिया है , इश्वर की कृपा बनी रहे आप पर.

उसने मेरे सामने हाथ जोड़े और अपने रस्ते बढ़ गया . मैंने अपने कपडे उतारे और हौदी में कूद गया. बहती पवन संग नहाना बड़ा सुख दे रहा था . थोड़ी देर में मीता भी आ पहुंची.

मीता-वाह क्या बात है

मैं- बड़ा मजा आ रहा है इस मौसम में ठन्डे पानी का,

मीता- कहीं तबियत ख़राब ना हो जाये तेरी.

तबियत से मेरा ध्यान जख्म पर गया और मैं तुरंत पानी से बाहर निकल कर तौलिये से कच्चे टांको को साफ़ करने लगा.

मीता- क्या हुआ ये

मैंने उसे पूरी बात बताई

मीता- तुझे जिन्दगी से जरा भी प्यार नहीं है . हैं न

मैं- मैं क्या बताऊ तुझे क्या है मेरे हालत

मीता- सब को अपना दुःख कम ही लगता है .

मैं- चल बाबा माफ़ कर दे अब .

मीता- आजा फिर, आज मुर्गा बना कर लायी हूँ तेरे लिए

मैं- अरे गजब,

मीता- परोस दू

मैं- बैठते है थोड़ी देर. कितने दिन हुए बाते नहीं की हमने

मीता- हुन्म्म, कल परसों तो मिले ही थे हम लोग.

मैं- मेरा बस चले तो तुझे जाने ही ना दू. यही पर रख लू

मीता- ये मुमकिन नहीं तू भी जानता है

मैं- तू जाने तेरे सितारे जाने.

मैंने मीता के काँधे पर सर टिकाया और उसके हाथ को पकड़ लिया.

मैं- ये चाँद देख रही है न, तेरी मुलाकातों का गवाह है ये

मीता- कभी सोचा नहीं था तू मेरी जिन्दगी में आएगा. और ऐसे आएगा.

मैं- पर मैं हमेशा से चाहता था की कोई आये, कोई ऐसा जो मुझे, मुझसे ज्यादा समझे, कोई ऐसा आये जिसके साथ मैं दो कदम चल सकू. जब तू चूल्हे पर रोटी सेंकती है तो आग की तपिश में तुझे देखना मेरे लिए किसी कबूल हुई दुआ से कम नहीं है . तुझे दूर से आते हुए देखना ऐसा है जिसे की आसमान से गिरी बूँद को ताकती है ये धरती .

मीता- मैं इस तारीफ लायक नहीं

मैं- सच कहना कोई गुनाह तो नहीं .

मीता- सच उस झूठ से भी बड़ा रोचक और खतरनाक होता जिसे बार बार कहा गया हो

मैं- क्या तुझे मुझ पर यकीन नहीं

मीता- मुझे मेरे नसीब पर यकीन नहीं है, अब बाते कम कर आ खाना परोसती हूँ

मैं - तू भी आ साथ ही खाते है .

मीता ने एक ही थाली में खाना लगा दिया. चांदनी रात में हम दोनों एक दुसरे के साथ बस वक्त बिता ही नहीं रहे थे हम दोनों उस वक्त को जी रहे थे .

मैं- मेरी इच्छा है की मैं तुझे चुडिया ला दू

मीता- तेरी इच्छा है तू जाने

मैं- जल्दी ही घर बनाना शुरू करूँगा इधर, तू बता तुझे कैसा घर चाहिए.

मीता- तेरा घर तू जाने मुझसे क्या पूछता है

मैं- तेरे होने से ही तो घर , घर होगा मेरा. ,

मीता- मत कर ये सब , इन सपनो का कोई मिल नहीं मेरे दोस्त, जब ये सपने टूटते है तो फिर दर्द बड़ा होता है

मैं- जब तक तूने मुझे थामा हुआ है मुझे परवाह नहीं

मीता खामोश रही .

मैं- एक बात पुछू

मीता- हाँ

मैं- तेरे गाँव के शिवाले में उस पानी वाली रेत का क्या रहस्य है तू तो जानती ही होगी न

मीता-किस्सा है या कहानी है , लोग कहते है की एक प्यासे आदमी का श्राप है बरसो पहले वो बावड़ी हर आने जाने वाले की प्यास बुझाती थी , पर फिर उसका पानी छलावा हो गया . तुम हथेली भर के पियो और वो रेत हो जाता .

मैं- ये कोई किस्सा , कहानी नहीं सच है . और सच है तो इसकी कोई वजह भी रही होगी.

मीता- तुझे क्या दिलचस्पी है इन सब में

मैं- तेरे आने से पहले एक आदमी मिला था उसने कहा मुझसे की उसने मेरा पानी पिया है .

मीता ने हाथ में लिया रोटी का टुकड़ा वापिस थाली में रखा और बोली- हौदी में न जाने कितने आदमी, पशु पानी पीते है ये इत्तेफाक भी हो सकता है .

मैं- मुझे जो लगा तुझे बताया. पर मीता तू चाहे मुझसे छुपा पर मैं जानता हूँ तू और मैं एक ही सिक्के के दो पहलु है . मैं अपनी पीढ़ी के अतीत को तलाश कर रहा हूँ तू भी कुछ तलाश रही है .

मीता- तू मुझसे क्या जानना चाहता है

मैं- यही की तेरी मेरी कहानी का अंजाम क्या होगा

मीता- ये सवाल तो आगाज़ से पहले पूछना था .

मैं- मेरे दिल पर एक बोझ है मैं जोरावर और उन बाकि लडको के परिवारों के लिए कुछ करना चाहता हूँ, मेरी वजह से उन्होंने अपने बेटे खोये है . अगर मैं उनके लिए कुछ कर पाया तो .......

मीता- फालतू का बोझ है ये. उनको अपने कर्मो का फल मिला

मैं- पर उनके माँ बाप का क्या दोष

मीता- सब समय का चक्र है , नसीब में दुःख है तो भोगना पड़े. सुख है तो भी भोगना पड़े.

मैं- मेरे नसीब में क्या है

मीता- तू जानता है

मै- जानता ही तो नहीं

मीता- आज की रात मैं तेरे पास ही रुकुंगी, फिर मैं रक्षा बंधन के बाद ही आउंगी तुझसे मिलने

मैं- और इस दुरी की क्या वजह भला

मीता- बस ऐसे ही .

वो बर्तन धोने चली गयी मैं इधर उधर टहलने चला गया . मेरे वापिस आने तक मीता अपना काम निबटा चुकी थी .

“बिस्तर लगा ले और दो चादर रखना , आज की रात ठंडी होगी. मैं तब तक नहा कर आती हूँ ” उसने कहा

मैं- ठीक है


मैं बिस्तर लगाने लगा, सोचा की वो नहाकर आये इतने लेट जाता हूँ पर कमर टिकाई ही थी चारपाई से की मीता की चीख ने मेरे कानो के परदे सुन्न कर दिए..................................
Fantastic updated
मनीष और मीता की बाते हमेशा दिलचस्प होती है ये मीता चीखी क्यों ????
वो तो नहाने गई थी ऐसा क्या हो गया है ??
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#71

इस से पहले की काकी कुछ जवाब दे पाती, अचानक से हवाओ का रुख बदलने लगा. आस पास सब काला काला होने लगा. साँसे भारी, बहुत भारी सी होने लगी. एक पल को ऐसे लगा की कोई दौड़ कर हमारे सामने से गुजरा है और जब वो कुहासा हटा तो मैंने देखा की काकी की बेजान लाश धरती पर पड़ी है . पुरे बदन में पसीने और खौफ ने कब्ज़ा कर लिया . मेरे सामने काकी बस कुछ लम्हे पहले जिन्दा थी और अब उसकी लाश पड़ी थी .

बिना सोचे समझे मैं उस काली छाया के पीछे भागा. बस हल्का सा ही छू पाया था उसे की वो छाया पलटी. उसकी आँखे, वो गहरी काली आँखे अपने अन्दर जहाँ भर का अँधेरा लिए . वो मेरी आँखों में देख रही थी . मेरी सोचने समझने की शक्ति शून्य होते जा रही थी . उस छाया ने मेरे सीने पर हाथ रखा और बदन में खलबली मच गयी .

ऐसा लगा की मेरा खून वो निचोड़ रही थी. काकी को मारने के बाद वो छाया अब मेरा अंत भी करने ही वाली थी की अचानक से वो चीख पड़ी . उसकी कर्कश चीख ने मेरी अंतरात्मा तक को हिला कर रख दिया. उसने मुड कर मेरी तरफ देखा और फिर अचानक से सब कुछ ठीक हो गया .

पर क्या सच में सब ठीक हो गया था . मेरे पास काकी की लाश पड़ी थी . और मैं बेहद कमजोरी महसूस कर रहा था . आँखों के आगे सितारे नाच रहे थे .

जैसे तैसे करके मैं अपने ठिकाने पर पंहुचा और मीता को सब कुछ बताया मीता ने मेरी छाती की जांच की .

मीता- मैं संध्या को बुला कर लाती हूँ

मीता ने एक कम्बल मेरे ऊपर डाला और तुरंत अपना झोला उठा कर वहां से चली गयी . मैंने आँखे बंद करने की कोशिश की पर वो खौफनाक काली आँखे मुझे चैन नहीं लेने दे रही थी . जब्बर की लुगाई की हत्या हो गयी थी देर सवेर ये बात भी मालूम हो ही जानी थी और तब जो कोहराम मचेगा उसकी अलग चिंता थी.

खैर, चाची आई और उसने मेरी जांच की. उसने मेरी आँखों में न जाने क्या देखा चाची के चेहरे पर एक मुर्दानगी सी आते देखा मैंने

चाची ने पूरी कहानी सुनी मुझसे और बोली- वो जो भी थी खून का स्वाद ले गयी तुम्हारा. खून की तलब उसे फिर से लाएगी तुम्हारे पास. ये नहीं होना चाहिए था बिलकुल नहीं होना चाहिए था .

कमरे में अजीब सी ख़ामोशी छाई हुई थी . जो मुझे पागल कर रही थी .

मैं- क्या शै थी वो चाची

चाची- यही समझने की कोशिश कर रही हूँ.

मीता- खून पीना शुभ नहीं है

चाची- सही कहा तुमने लड़की. पर मैं इस शै को समझ नहीं पा रही हूँ. . वो जो भी थी एक मिनट , मनीष उसने तुम्हे कही से काटा तो नहीं था , मेरा मतलब अपने होंठ या दांत तुमसे लगाये हो .

मैं- नहीं बस उसने अपना हाथ मेरे सीने पर रखा था .

चाची- फ़िलहाल के लिए मैं तुम्हारे गले में ये धागा बाँध रही हूँ पर मैं ज्यादा आश्वस्त नहीं हूँ . कुछ और उपाय करना होगा.

मीता- कैसा उपाय.

चाची- मुझे रुद्रपुर जाना होगा अभी , एक काम करो तुम दोनों भी मेरे साथ चलो

चाची ने हमें साथ लिया और चाची की गाडी में बैठ कर हम दोनों रुद्रपुर की तरफ चल दिए . गाड़ी सीधा हवेली पर जाकर रुकी जो हमारे लिए एक और आश्चर्य था .

मैं- चाची तुम जाओ अन्दर मैं यही रुकता हूँ, वहां पृथ्वी होगा मैं नहीं चाहता की कोई तमाशा हो .

चाची- क्या तुम्हे ऐसा लगता है

हम तीनो हवेली के अन्दर आये, चाची के कदम रखते ही वहां पर हलचल मच गयी. सब लोग चाची को देख कर खुश हो गए पर चाची के चेहरे पर कोई भाव नहीं था . चाची सीढिया चढ़ते हुए ऊपर की तरफ दौड़ी हम उसके पीछे पीछे किसी को कुछ समाझ नही आ रहा था . गलियारे से होते हुए हम उस कमरे की तरफ बढे जो कभी चाची का होता था दरवाजा बंद था मतलब वो अन्दर थी. हम वही खड़े थे की अचानक से मेरा ध्यान उस चीज पर गया और मैं मीता का हाथ पकडे उसे उस बड़ी सी तस्वीर के पास ले आया जो किसी और की नहीं बल्कि मीता की ही थी .

“असंभव “ मीता ने बस इतना ही कहा .

मैं- जो है तेरे सामने है .

मीता- पर कैसे , मैंने तो आज इस हवेली में कदम रखा है फिर कैसे

“”ये तस्वीर इसकी नहीं है मनीष ” चाची ने हमारे पास आते हुए कहा .

मेरी धड़कने बहुत बढ़ गयी थी . ऐसा लग रहा था की मैं कही पागल ही न हो जाऊ.

मैं- तो कौन है ये .

चाची- ये मेरी तस्वीर है .

चाची ने जो बम फोड़ा था मेरे दिमाग की चूले हिल कर रह गयी थी .

मैंने एक नजर मीता पर डाली और एक नजर चाची पर .

मीता- मैं संध्या की भतीजी हूँ , जिसे हवेली ने ठुकरा दिया.

संध्या- नहीं ये सच नहीं है .

मीता- तो फिर क्या है सच

इस से पहले की संध्या चाची कुछ कह पाती मेरे सीने में जैसे भूचाल आ गया . दर्द के मारे हड्डिया कड़कने लगी. आँखों की कटोरिया बाहर आने को हो गयी . मेरी चीखो ने हवेली को सर पर उठा लिया .

मीता- मनीष , क्या हो रहा है ये

मीता की आँखों से आंसू मेरे सीने पर गिरने लगे. चाची भी मेरी इस हालत को समझ नहीं पा रही थी .

“मनीष, मनीष, ” मीता मुझे संभालने की पूरी कोशिश कर रही थी .

“रीना, रीना खतरे में है ” मेरे होंठो से बस इतना निकल पाया.
 

A.A.G.

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इस से पहले की काकी कुछ जवाब दे पाती, अचानक से हवाओ का रुख बदलने लगा. आस पास सब काला काला होने लगा. साँसे भारी, बहुत भारी सी होने लगी. एक पल को ऐसे लगा की कोई दौड़ कर हमारे सामने से गुजरा है और जब वो कुहासा हटा तो मैंने देखा की काकी की बेजान लाश धरती पर पड़ी है . पुरे बदन में पसीने और खौफ ने कब्ज़ा कर लिया . मेरे सामने काकी बस कुछ लम्हे पहले जिन्दा थी और अब उसकी लाश पड़ी थी .

बिना सोचे समझे मैं उस काली छाया के पीछे भागा. बस हल्का सा ही छू पाया था उसे की वो छाया पलटी. उसकी आँखे, वो गहरी काली आँखे अपने अन्दर जहाँ भर का अँधेरा लिए . वो मेरी आँखों में देख रही थी . मेरी सोचने समझने की शक्ति शून्य होते जा रही थी . उस छाया ने मेरे सीने पर हाथ रखा और बदन में खलबली मच गयी .

ऐसा लगा की मेरा खून वो निचोड़ रही थी. काकी को मारने के बाद वो छाया अब मेरा अंत भी करने ही वाली थी की अचानक से वो चीख पड़ी . उसकी कर्कश चीख ने मेरी अंतरात्मा तक को हिला कर रख दिया. उसने मुड कर मेरी तरफ देखा और फिर अचानक से सब कुछ ठीक हो गया .

पर क्या सच में सब ठीक हो गया था . मेरे पास काकी की लाश पड़ी थी . और मैं बेहद कमजोरी महसूस कर रहा था . आँखों के आगे सितारे नाच रहे थे .

जैसे तैसे करके मैं अपने ठिकाने पर पंहुचा और मीता को सब कुछ बताया मीता ने मेरी छाती की जांच की .

मीता- मैं संध्या को बुला कर लाती हूँ

मीता ने एक कम्बल मेरे ऊपर डाला और तुरंत अपना झोला उठा कर वहां से चली गयी . मैंने आँखे बंद करने की कोशिश की पर वो खौफनाक काली आँखे मुझे चैन नहीं लेने दे रही थी . जब्बर की लुगाई की हत्या हो गयी थी देर सवेर ये बात भी मालूम हो ही जानी थी और तब जो कोहराम मचेगा उसकी अलग चिंता थी.

खैर, चाची आई और उसने मेरी जांच की. उसने मेरी आँखों में न जाने क्या देखा चाची के चेहरे पर एक मुर्दानगी सी आते देखा मैंने

चाची ने पूरी कहानी सुनी मुझसे और बोली- वो जो भी थी खून का स्वाद ले गयी तुम्हारा. खून की तलब उसे फिर से लाएगी तुम्हारे पास. ये नहीं होना चाहिए था बिलकुल नहीं होना चाहिए था .

कमरे में अजीब सी ख़ामोशी छाई हुई थी . जो मुझे पागल कर रही थी .

मैं- क्या शै थी वो चाची

चाची- यही समझने की कोशिश कर रही हूँ.

मीता- खून पीना शुभ नहीं है

चाची- सही कहा तुमने लड़की. पर मैं इस शै को समझ नहीं पा रही हूँ. . वो जो भी थी एक मिनट , मनीष उसने तुम्हे कही से काटा तो नहीं था , मेरा मतलब अपने होंठ या दांत तुमसे लगाये हो .

मैं- नहीं बस उसने अपना हाथ मेरे सीने पर रखा था .

चाची- फ़िलहाल के लिए मैं तुम्हारे गले में ये धागा बाँध रही हूँ पर मैं ज्यादा आश्वस्त नहीं हूँ . कुछ और उपाय करना होगा.

मीता- कैसा उपाय.

चाची- मुझे रुद्रपुर जाना होगा अभी , एक काम करो तुम दोनों भी मेरे साथ चलो

चाची ने हमें साथ लिया और चाची की गाडी में बैठ कर हम दोनों रुद्रपुर की तरफ चल दिए . गाड़ी सीधा हवेली पर जाकर रुकी जो हमारे लिए एक और आश्चर्य था .

मैं- चाची तुम जाओ अन्दर मैं यही रुकता हूँ, वहां पृथ्वी होगा मैं नहीं चाहता की कोई तमाशा हो .

चाची- क्या तुम्हे ऐसा लगता है

हम तीनो हवेली के अन्दर आये, चाची के कदम रखते ही वहां पर हलचल मच गयी. सब लोग चाची को देख कर खुश हो गए पर चाची के चेहरे पर कोई भाव नहीं था . चाची सीढिया चढ़ते हुए ऊपर की तरफ दौड़ी हम उसके पीछे पीछे किसी को कुछ समाझ नही आ रहा था . गलियारे से होते हुए हम उस कमरे की तरफ बढे जो कभी चाची का होता था दरवाजा बंद था मतलब वो अन्दर थी. हम वही खड़े थे की अचानक से मेरा ध्यान उस चीज पर गया और मैं मीता का हाथ पकडे उसे उस बड़ी सी तस्वीर के पास ले आया जो किसी और की नहीं बल्कि मीता की ही थी .

“असंभव “ मीता ने बस इतना ही कहा .

मैं- जो है तेरे सामने है .

मीता- पर कैसे , मैंने तो आज इस हवेली में कदम रखा है फिर कैसे

“”ये तस्वीर इसकी नहीं है मनीष ” चाची ने हमारे पास आते हुए कहा .

मेरी धड़कने बहुत बढ़ गयी थी . ऐसा लग रहा था की मैं कही पागल ही न हो जाऊ.

मैं- तो कौन है ये .

चाची- ये मेरी तस्वीर है .

चाची ने जो बम फोड़ा था मेरे दिमाग की चूले हिल कर रह गयी थी .

मैंने एक नजर मीता पर डाली और एक नजर चाची पर .

मीता- मैं संध्या की भतीजी हूँ , जिसे हवेली ने ठुकरा दिया.

संध्या- नहीं ये सच नहीं है .

मीता- तो फिर क्या है सच

इस से पहले की संध्या चाची कुछ कह पाती मेरे सीने में जैसे भूचाल आ गया . दर्द के मारे हड्डिया कड़कने लगी. आँखों की कटोरिया बाहर आने को हो गयी . मेरी चीखो ने हवेली को सर पर उठा लिया .

मीता- मनीष , क्या हो रहा है ये

मीता की आँखों से आंसू मेरे सीने पर गिरने लगे. चाची भी मेरी इस हालत को समझ नहीं पा रही थी .

“मनीष, मनीष, ” मीता मुझे संभालने की पूरी कोशिश कर रही थी .


“रीना, रीना खतरे में है ” मेरे होंठो से बस इतना निकल पाया.
nice update..!!
yeh shai kya chiz hai..jisne jabar ki biwi ko maar diya..kuchh toh gadbad hai..meeta ke bare me janane ke time hi jabar ki biwi mari gayi..aur uss shai ne manish ke seene me hath aise kyun rakha aur usko ab manish ke khun ki pyaas kaise lagegi..kuchh samajh nahi aaya..!! yeh sandhya manish aur meeta ko haveli me kyun lekar gayi aur waha par fir se manish ke sath kuchh huva aur usse lag raha hai ki reena ki jaan khatre me hai..manish reena ko kuchh bhi kar ke bachayega..woh reena aur meeta ko kuchh nahi hone de sakta..!! aur yeh kaun si guthhi hai ki sandhya ke jaise uski bhatiji meeta dikhti hai..agar meeta sandhya ki bhatiji hai toh prithvi uska bhai huva..lekin jab sandhya meeta ke bare me bata rahi thi tab hi manish ko dard huva aur usne reena ko khatre me paya..mtlab koi toh hai jo manish ko meeta ka sach janane nahi de raha hai..!!
 

Sanju@

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#49

मैं दौड़ कर मीता के पास गया और देखा की वो पानी की हौदी में खड़ी थी , पर हौदी में पानी की जगह रेत भरी हुई थी , और मीता के हाथ में एक छोटी हांडी थी जिस पर लाल कपडा बंधा हुआ था .

“रुक मैं मिटटी हटाता हूँ ” मैंने उस से कहा और कस्सी ले आया. पर ये रात आज न जाने हमें क्या क्या दिखाने वाली थी . जैसे ही मैं रेत को कस्सी में भर से बाहर फेंकता वो पानी बन जाती . न मुझे कुछ न मीता को सूझ रहा था , मैंने जैसे ही उसके हाथ से वो हांडी ली , हौदी की रेत पानी में बदल गयी . और मीता हौदी से बाहर आ गयी .

“क्या हो रहा है ये ” उखड़ी सांसो को दुरुर्स्त करते हुए उसने मुझसे पूछा .

मैं- तू ठीक है न

मीता- हाँ, जैसे ही मैंने हौदी में दुबकी लगाई मेरे हाथो से ये हांडी टकराई मैंने इसे ऊपर खींचा और पानी रेत बन गया .

दिमाग भन्ना गया था और कहने को कुछ नहीं था . पर फिर भी मैंने कहा.

“मीता ये जो कुछ भी हो रहा है , इसकी शुरुआत उस दिन से हुई जब मैं पहली बार शिवाले में गया था ,वहां के पानी का भी ऐसे ही रेत बनना ये सबूत है की इस जमीन और शिवाले का गहरा सम्बन्ध है और हमें हर हाल में ये मालूम करना होगा. ” मैंने कहा

मीता- सही कहा तुमने

मैं- बस एक बार इस उलझी डोर का किनारा मेरे हाथ में आ जाये. पर अगर ये घटना तेरे साथ हुई है तो तू भी इस डोर में उलझी है मीता ,चल खोल कर देखते है इस हांडी को .

मीता कुछ कहती उस से पहले मैंने हांडी का लाल कपडा खोल दिया.

“भक्क ” से हांडी से काला सा धुंआ निकला और हमने देखा की हांडी के अन्दर कुछ अस्थिया पड़ी थी, जिनकी हालत देख कर लगता था की वो बहुत ज्यादा ही पुरानी होंगी.

मीता- इसका क्या मतलब

मैं-कोई चाहता था की ये हमें मिले. एक मिनट वो आदमी , वो आदमी जो इधर था, वो आदमी जो इधर बैठा था शायद उसने ही ये माया रची हो. हमें तलाश करनी होगी उस आदमी की . वो हाथ लगा तो ये गुत्थी सुलझ जाएगी.

मीता- कहाँ तलाश करेंगे उसकी

मैं- यही, यही पर फिर आएगा वो . एक बार आया है तो बार बार आएगा हमें इंतजार करना होगा उसका.

मीता- मुझे लगता है की शिवाले में गहन तहकीकात करके देखे.

मैं- ये मुमकिन नहीं, मेरे रुद्रपुर जाते ही हंगामा हो जायेगा. और मैं कोई लफड़ा नहीं चाहता वहां पर

मीता- तू कहे तो रात को करे ये काम अस्थियो की हांडी अपशकुन है , मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है

मैं- अपशकुन या फिर कुछ अधुरा

मीता- हम अभी के अभी शिवाले पर चलते है

मैं- अभी नहीं , मैं तेरे साथ वहां पर चलूँगा जरुर पर पहले मुझे एक जरुरी काम करना है . तू भी अब कपडे साफ़ कर ले, हौदी में फिर से पानी हो गया है, नहा ले .कब तक यूँ रेत में सनी रहेगी.

मीता नहाने लगी और मैं उस आदमी के बारे में सोचने लगा. और एक सवाल अब ये था की वो काली अस्थिया किसकी थी . उन्हें अब तक सुरक्षित रखने का क्या प्रयोजन था , और अगर वो सुरक्षित थी तो ऐसे हमें क्यों सौंपा गया .

मीता आकर चारपाई पर लेट गयी. मैं भी अपनी चारपाई पर लेट गया .



मैं- तेरे सितारे क्या कहते है

मीता- किस बारे में

मैं- हम दोनों के नसीब के बारे में

मीता- हम तीनो के बारे में क्यों नहीं पूछता तू , बात अब तेरी मेरी नहीं रही बात अब हम तीनो की है . इस उलझन को तू कैसे सुलझा पायेगा. क्या मालूम किसी दिन तू दोराहे पर खड़ा हो एक तरफ वो एक तरफ मैं हुई तो क्या करेगा तू . है कोई जवाब तेरे पास.

मैं-मेरे पास कोई जवाब नहीं है

मीता- तो मत कर ये सवाल. मैं तेरी दोस्त हूँ दोस्त ही रहने दे. दोस्ती उम्र भर रहेगी, मोहब्बत हुई तो दिल का दर्द सहना मुश्किल होगा.

मैं- बड़ी सायानी है तू तो .

मीता- क्या करे साहिब, ये फ़साने बड़े अजीब है जिन्दगी के , इन अंधेरो में न जाने कब तुमसे मुलाकात हो गयी , होते ही गयी.कुछ मेरी तन्हाई कुछ तेरी दोनों को इतने पास ले आई की अब मुड़ना मुश्किल है , तू तेरे सितारों से सवाल करता है , मैं मेरे सितारों से जवाब मांगती हूँ . वैसे तू बता तो सही किसी दिन रीना और मुझमे से एक को चुनेगा तो तेरी पसंद क्या होगी.

मैं- मेरे लिए तुम दोनों ही एक सामान हो . मेरा हिस्सा हो और अपने हिस्से से पसंद - नापसंद नहीं होती. एक मेरे दिन का उजाला है एक मेरी रातो का जलता दिया मैं चाहूँगा वो दिन कभी न आये.

मीता- ये तो अपने नसीब से भागना हुआ . और भागने वालो को दुनिया कायर कहती है

मैं- तू ऐसा ही समझ ले मेरी सरकार.

मीता- ठीक है सो जा फिर , रात बहुत हुई

मैं- सो जाऊंगा, पहले जरा ठीक से देख तो लू इस चाँद को जो मेरे सामने है .

मीता- ये किताबी बाते. ये तेरी मेरी मुलाकाते हाँ पर इतना जरुर है जब तू साथ नहीं होता , तेरी याद साथ होती है .

मैं- फिलहाल तो हम दोनों साथ है .

मीता- किस्मत की बात है वैसे तेरी दुश्मनी जब्बर से बढती जा रही है तू सावधान रहना और मुझे समझ नहीं आता की तेरी उस से दुश्मनी क्यों है आखिर जब की वो ...

मैं- जब की क्या

मीता- जब की , जब की वो चौधरी अर्जुन सिंह का दोस्त हुआ करता था किसी ज़माने में

मीता की बात ने जैसे विस्फोट सा कर दिया था .

मैं- तू जानती है क्या कह रही है तू , जब्बर और मेरे पिता की दोस्ती हो ही नहीं सकती,

मीता- क्यों नहीं हो सकता , इस दुनिया में सब कुछ हो सकता है

मैं- अगर ऐसा था भी तो जब्बर ने मुझसे ये क्यों कहा था की बाप का बदला वो बेटे से लेगा.

मीता- दोस्ती जब टूटती है तो ऐसे घाव देती है जो जिन्दगी भर नहीं भर पाते. तुझे मालूम करना होगा की आखिर वो कौन सी वजह रही होगी. और फिर तूने ही तो बताया था की तेरा चाचा इतना सब होने के बाद भी जब्बर से दबता है तो तू सोच आखिर क्या वजह रही होगी. दिलेर सिंह के मरने के बाद भी जब्बर चुप है वर्ना तू सोच वो क्या नहीं कर सकता . तेरा चाचा और जब्बर एक ही थाली के चट्टे बट्टे है .

मीता की बात में दम था मुझे तस्दीक करनी चाहिए थी .

मैं- तेरी बात सही है मीता, और मैं इस बारे में विचार करूँगा पर कल सुबह होते ही सबसे पहले इस पुरे इलाके की तार बंदी करनी है मुझे, ताकि आज जो हुई, ऐसी हरकत फिर न हो पाए.

मीता- अगर कोई हमें नुकसान पहुँचाना चाहता है तो वो नुकसान करके रहेगा, तार क्या रोक पाएंगे उसे.

मैं- तो क्या करू. मैं किसी को खोना नहीं चाहता, मेरे किसी अपने को कुछ हुआ तो मैं सह नहीं पाऊंगा.

मीता - अब सो भी जा,


मीता सो गयी पर मेरी आँखों में नींद नहीं थी , लेटे लेटे मैंने सोच लिया था की इस बात को कैसे सुलझाना है मुझे और अगले दिन मैं सीधा सुनार के घर गया , क्योंकि सुनार ही वो चाबी था जो उस धागे के रहस्य को खोल सकता था , जब मैं सुनार के घर पहुंचा तो मैंने जो देखा ,,,,,,, ...............
बहुत ही सुन्दर और लाजवाब अपडेट है होदी में नहाने गई तो एक हांडी मिल गई जिसे निकालते ही पानी रेत बन गया जैसे शिवालय में हुआ था हांडी को खोलते ही उसमे से काला साया और हड्डी निकली सवाल ये है की किसकी अस्ति है इस हांडी में .....इसका इन दोनो के हाथो में आने का क्या प्रयोजन है
मनीष ना तो रीना को छोड़ना चाहता है ना ही मीता को
जब्बर अगर अर्जुन का दोस्त था तो उनके बीच दुश्मनी की क्या वजह रही है ????
 

Sanju@

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जब मैं सुनार के घर पहुंचा तो मैंने देखा की वहां पर भीड़ जमा थी, जिसे चीरते हुए मैं आँगन पार करते हुए सुनार के कमरे में पहुंचा तो देखा की सुनार का शरीर पंखे वाले कड़े से लटका हुआ था .पूरा बदन अजीब तरह से काला पड़ गया था , जैसे की कोयला हो. मुझे उसकी मौत का दुःख नहीं था बल्कि हताशा इस बात की थी की इस कड़ी को भी तोड़ दिया गया था .



उसके बदन का एक हिस्सा खोल दिया गया था , और जब मैंने गौर से देखा तो पाया की हत्यारे ने उसके कलेजे को निकाल लिया था . मारने वाले की बड़ी दुश्मनी रही होगी सुनार से. माथा पीटते हुए मैं सुनार के घर से वापिस मुड गया . दिल में मलाल लिए की मैं उस धागे का राज़ उगलवा नहीं सका उस से.

घर जाकर देखा की ताई बड़ी गहरी सोच-विचार में डूबी थी . मैंउसके पास जाकर बैठ गया .

मैं- ताई, क्या सोच रही हो.

ताई- यही की कितनी बुरी तरह से लाला को मारा गया है

मैं- अच्छा ही हुआ साले ने गाँव का जीनाहराम किया हुआ था .

ताई- वो तो है पर गाँव में मौतों जा जैसे मौसम चल रहा है, हर दुसरे तीसरे दिन लाशे मिल रही है

मैं- पर वो लाशे गाँव वालो की नहीं है , लाला और जब्बर के आदमियों की लाशे है वो

ताई- यही बात तो मुझे खाए जा रही है .जब्बर पूरा जोर लगाये हुए है कातिल को पकड़ने के लिए , मुझे डर है कहीं खुनी खेल फिर से चालू न हो जाये

मैं- कैसा खुनी खेल

ताई- इस आग में न जाने कितने निर्दोष गाँव वाले पिस जायेंगे.

हम बात कर ही रहे थे की रीना आ गयी . ताई रसोई में चली गयी . रीना मेरे पास बैठ गयी .

मैं- कहाँ, गायब है तू आजकल ऐसा लगता है की तुझे देखे हुए ज़माने बीत गए.

रीना- अच्छा जी, तो आजकल कातिल कहने लगे की क़त्ल भी हो जाओ और उफ़ भी न करो. मुझसे पूछते हो तुम, जबकि जानना मैं चाहती हूँ की ये दिन ये राते कहाँ बीत रही है तुम्हारी.

मैं- तेरे बिना कैसे दिन कैसी राते.

रीना- और मैं ही नहीं हूँ उन दिन उन रातो में

मैं- तेरी नाराजगी जायज है , जो सजा देना चाहे मंजूर है

रीना- वो दिन कभी ना आये की मुझे तुझे सजा देनी पड़े.

हम बात कर ही रहे थे की तभी ताई आई और बोली- मैं बाहर जा रही हूँ, तुम जब जाओ तो दरवाजे को बंद करते जाना .

हमने हाँ में सर हिलाया. ताई के जाते ही मैंने रीना को अपनी बाँहों में भर लिया

रीना- गुस्ताखिया ज्यादा हो गयी है तुम्हारी आजकल.

मैं- ये हक़ है मेरा

रीना ने मेरे गाल को चूमा और बोली- इस हक़ को पाने में जमीन असमान एक करना पड़ेगा तुम्हे .

मैं- तू साथ है तो क्या ये जमीन क्या ये आसमान.

रीना ने मेरे गालो को चूमा

मैं- बड़ा प्यार आ रहा है आज

रीना- ये मौसम की अंगड़ाई, ये मेरी दिल्ग्गी, ये रुत है प्यार करने की , सावन आया है अपने संग मोहब्बत लाया है पर मैं कहू तो क्या कहूँ , तुम्हे फुर्सत ही नहीं है , इस बार झुला भी नहीं डाला तूने मेरे लिए.

मैं-ये तो मुझे याद ही नहीं रहा , पर मैं आज ही झूला डाल दूंगा.

रीना- झूला भूल गया कोई बात नहीं, बस मुझे मत भुला देना.

मैं- ये सोचा भी कैसे तूने

रीना- कभी कभी मेरा दिल कहता है की कोई डोर तुझे मुझसे दूर खींच रही है

मैं- तो कहदे अपने दिल से ऐसी कोई डोर बनी ही नहीं .

रीना ने अपनी आँखे घुमाई और बोली- मुझे कुछ करने का मन होता है

मैं- कर डाल जो तुझे करना है

रीना- पूछ तो सही क्या करना चाहता है मेरा दिल .

मैं- बता फिर क्या चाहता है तेरा दिल

रीना- एक अजीब सी तलब लगी है मुझे. मेरा दिल मुझसे कहता है की रुद्रपुर के शिवाले चल.

मैं- हाँ, तो क्या दिक्कत है हो आना वहां पर

रीना- एक बार गयी थी , गाँव जल उठा था .

मैं- जलने दे

रीना- कुछ तो हुआ है मेरे वहां से आने के बाद. रातो को जाग जाती हूँ, ख्यालो में डूब जाती हूँ . और मेरे सपने

मैं- कैसे है तेरे सपने .

रीना- मेरे सपनो में मैं तुझे मारते हुए दिखती हूँ .

मैं- ये तो बढ़िया हैं न तूने घायल तो किया ही हुआ है क़त्ल भी कर दे तो क्या बात हो .

रीना- तू समझता क्यों नहीं .मुझे कुछ हो रहा है

मैं- कभी कभी होता है ऐसा, खैर तू बीते दिनों में किसी ऐसे लोगो से तो नहीं मिली न जो संदिग्ध हो या उनसे अपना उठाना बैठना हो . समझ रही है न तू मेरी बात .

रीना- ऐसा तो कुछ खास नहीं हुआ पर जब तू हॉस्पिटल में था तो एक आदमी रोज़ तुझे देखने आता था , मुझसे बात करता था और चला जाता था .

मैं- कौन आदमी , क्या कहता था वो

रीना- बस यही पूछता था की अब कैसा है मनीष. और चला जाता था .

मैं- बस इतना ही

रीना- एक मिनट, उसने मुझसे एक अजीब सी बात और कही थी

मैं- क्या , क्या बात

रीना- जब वो मुझे अंतिम बार मिला था तो उसने कहा था की शिवाला फिर से जाग गया है . नाहरवीर आ गए है , तू भी आना .

मैं- कौन नाहरवीर

रीना- मुझे क्या पता .

मैं- और क्या कहा उस आदमी ने

रीना- कुछ नहीं , जिस दिन तुझे होश आया उसके बाद वो दिखा नहीं मुझे.

मैने रीना को अपनी गोद से उतारा और पानी लाने को कहा. गले को तर करने के बाद मैंने उसको बताया की कैसे मुझे ये धागे मिले थे, ये हीरा मिला था और इनके मिलने से ये लाकेट बना जो उसके गले में पड़ा था .मैंने रीना को हर एक बात बताई सिवाय मीता के जिक्र के .

रीना- तो तुझे लगता है की इस लाकेट में कोई जादू, कोई शक्ति है .

मैं- हाँ मेरी जान

रीना- तो फिर तूने ये मुझे क्यों दिया.

मैं- इसने चुना है तुझे, मैंने इसे अपने गले में पहनने की बहुत कोशिश की पर इसने मेरा गला घोंटा, ये अपना नहीं रहा था मुझे, और उस रात रुद्रपुर में इसने तुझे पहचाना, अपनाया तुझे. पर क्यों, क्या रिश्ता है तेरा इससे ये सवाल मुझे खाए जा रहा है .

रीना- क्या इसी लाकेट की वजह से मुझे ये सपने आ रहे है , मैं इसे अभी उतार कर फेंक देती हु.

रीना ने लाकेट को पकड़ा और गले से बाहर करने की कोशिश की पर वो नाकाम रही .

मैं- क्या हुआ

रीना- बहुत भारी है , उठा नहीं पा रही मैं इसे.

मैं- पहने रह, तेरा कवच है ये एक तरह से .

रीना- पर क्यों .

मैं- इसी सवाल का जवाब मैं तलाश रहा हूँ. और मेरी बात सुन किसी भी हालत में तू रुद्रपुर अकेले मत जाना, मुझे लेकर चलना तू. और किसी भी अजनबी पर विश्वास मत करना कोई तुझे कुछ भी दे लेना नहीं .

रीना- मैं कुछ दिनों के लिए मेरे गाँव जा रही हु

मैं- उसमे क्या है जा

कुछ देर और हमने बाते की फिर वो चली गयी , मुझे उलझा कर . दोपहर हो गयी थी मैं भी ताई के घर से बाहर आया. सुनार के अंतिम संस्कार की तयारी हो रही थी , मैंने जब्बर को भी देखा वहां पर. जैसे ही सुनार को फूंकने के लिए ले गए . मौका देख कर मैं उसके घर में घुस गया . ये जो थोडा सा समय मिला था मैं सुनार के कमरे को अच्छी तरह से जांचना चाहता था.




वहां पर मुझे ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे मैं कोई कड़ी जोड़ सकू . हताश मन से मैं वहां से निकल ही रहा था की तभी.......................
Fantastic updated
बड़ी अजीब बात है लाला भी मर गया गांव में जितनी भी मौत हुई है उनकी हत्या कोन कर रहा है और क्यू कर रह है???
लगता है ताई के अनुसार खूनी खेल अब शुरू हो गया है क्या जब्बर चाची या चाचा में से कोई एक हो सकता है
रीना के गले के लॉकिट के कारण अजीब से सपने आते है आखिर लॉकेट का क्या रहस्य है आखिर रीना को ही क्यू चुना इस लॉकिट ने उस आदमी ने बताया कि नाहरवीर आ गए है तुझे भी आना है आखिर ये नाहरवीर कोन है और रीना का इनसे क्या संबंध है और वो आदमी कोन था क्या कंबल वाला आदमी एक ही है या अलग अलग
सुनार के घर कुछ भी नही मिला मनीष को
 
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