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सब ठीक है भाईFauji bhai kaha gayab ho gaye, sab kushal Mangal to hai na
सब ठीक है भाईFauji bhai kaha gayab ho gaye, sab kushal Mangal to hai na
अगले भाग मे बता ता हूं कि औरत कौन हैwow super exciting turns in story, manish aur mita dono ki life ko khatra hai
par ye aurat tayi ya fir sunar ki biwi ?
Badhiya zaberdast shaandaar update bhai#
झटके से मेरी आँख खुली तो मैंने पाया की बदन पसीने से तरबतर था . सांय सांय हवा चल रही थी , मीता मेरे पास सो रही थी . मेरे सीने पर हाथ रखे. तो क्या मैं सपने में था, मैंने सपने में उसे देखा था . मुझे यकीन नहीं हो रहा था , मैं उठ बैठा, पीछे पीछे मीता की आँख भी खुल गयी .
मीता- क्या हुआ .
मैंने मीता को अपने सपने के बारे में बताया .
मीता- कभी कभी जेहन पर ख्याल ज्यादा हावी हो जाते है . थोडा पानी पी लो और फिर से सोने की कोशिश करो
मैं- सपना नहीं था वो , मैं था वहां पर मीता मैं था . ये किसी तरह का संदेसा था
मीता- समझती हूँ . तुम्हारी जिन्दगी में सबसे ज्यादा कमी माँ की ही रही है इसलिए तुमने वो रूप देखा सपने में .
मैं- वो बात नहीं है मीता.
मीता- तो क्या बात है .
मैं- उसने मुझसे कहा की अतीत के पन्ने पलटने की कोशिश मत करना, जो हैं वो आज है और आने वाला कल है .
मीता- अपना कल सुनहरा होगा मनीष
मैंने उसके माथे को चूमा और उसे अपने आगोश में भर लिया. एक तरफ मैं मीता के साथ था दूसरी तरफ मुझे रीना की बड़ी याद आती थी . उस से बात करना चाहता था , उसे सीने से लगाना चाहता था पर जो ग़लतफ़हमी की दिवार उसने खड़ी की थी , क्या वो मेरी सुनेगी अब. क्या उसे मालूम है की जो मरी है वो उसकी असली माँ नहीं है . क्या होगा जब उसे उसके अस्तित्व के सवालो से सामना करना पड़ेगा. अगले दिन मैं रुद्रपुर गया .मुझे दो काम करने थे यहाँ पर.
सबसे पहले मैं शिवाले पर गया . जहाँ मेरा सामना पृथ्वी से हो गया .
पृथ्वी- तू यहाँ
मैं- क्यों तेरे बाप का शिवाला है क्या
पृथ्वी- पूरा रुद्रपुर ही मेरे बाप का है , ये जो शिवाले की हालत हुई है इसमें कही न कही तेरा हाथ भी है
मैं- तू अपनी खैर मना, कहीं तेरी हालत भी ऐसी न हो जाये.
पृथ्वी- कोशिश करके देख ले
मैं- दिल तो बहुत करता है मेरा पर अभी तेरे मरने का समय हुआ नहीं है जितने भी दिन है जी ले उनको
पृथ्वी- दिन तो अब तेरे बाप के बचे है गिनती के, मुझे मालूम है की वो लौट आया है . बचपन से मुझे इसी दिन का इंतज़ार था . पहले तेरे बाप को मारूंगा.कितनी ख़ुशी होगी जब उसकी राख तुझे भेजूंगा
मैं- कोशिश करके देख ले. तू मुझसे न जीत पा रहा वो तो मेरा बाप है
मेरी बात तीर की तरह पृथ्वी को चुभी.
मैं- खैर, फिलहाल मुझे यहाँ पर कुछ काम है तू निकल
पृथ्वी- मैं क्यों जाऊ ये मेरी धरती है
मैं- तो मत जा ,मुझे मेरा काम करने दे. मुझे देखना है की इसे दुबारा बनाने में क्या लगेगा.
पृथ्वी- तुझे इस खंडहर शिवाले में इतनी क्या दिलचस्पी है..
मै जानता था की ये गधे का बच्चा मुझे मेरा काम नहीं करने देगा तो मैं वहां से वापिस हो लिया अब पृथ्वी के जाने के बाद ही वहां जाना उचित रहता. थोड़ी दूर चलने के बाद मुझे एक पेड़ के निचे गाड़ी खड़ी दिखी पहली नजर में मुझे लगा की इस गाड़ी को मैंने कहीं तो देखा है तो मैं उस तरफ चल दिया. घनी झाड़ियो पर बनी पगडण्डी से होते हुए मैं और आगे की तरफ बढ़ा. आसपास काफी गहरे पेड़ थे, कुछ दूर और जाने पर मैंने देखा की एक पुराना कमरा था जिसकी हालत अब खस्ता थी. पास में ही कुछ खेती के औजार पड़े थे.
आसपास कोई दिख नहीं रहा था पर गाडी थी तो कोई न कोई होना भी चाहिए था. बड़ी सावधानी से मैंने खुद को छिपाया और आस पास देखने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने दो लोगो को आते देखा . एक आदमी और दूसरी औरत. आदमी को मैंने तुरंत पहचान लिया वो दादा ठाकुर था पर उस औरत को नहीं क्योंकि उसने घूँघट ओढा था . वो दोनों आकर पम्प पर बने चबूतरे पर बैठ गए. औरत का हाथ ददा ठाकुर के हाथ में था .
तो ये समझ सकते है की एक दुसरे के करीब थे वो. मैं उनकी बाते सुनने की कोशिश करने लगा.
औरत- अर्जुन लौट आया है
दादा- मालूम हुआ मुझे, उसका लौटना शंका पैदा कर रहा है
औरत- किसी न किसी दिन तो उसे लौटना ही था .
ददा- लगा था की कहीं मर खप गया होगा वो .
औरत- उसकी ख़ामोशी डर पैदा कर रही है
दद्दा- मेरी परेशानी अर्जुन नहीं उसका बेटा हैं, नाक में दम किया हुआ है उसने, पृथ्वी और उसमे ठनी हुई है. तुम तो जानती ही हो पृथ्वी के सिवा हमारा और कोई नहीं
औरत- नादाँ है वो. वैसे भी तुम पृथ्वी को समझाओ की आग से खेलना छोड़ दे वो . पृथ्वी ने ऐलान किया है की वो उसकी माशूका से ब्याह करेगा
दद्दा- यही तो मेरी फ़िक्र है , उस लड़की के लिए मनीष ने शिवाले को खून से रंग दिया था उसकी आँखों में जूनून है .
औरत- संध्या से बात करके देखो
दद्दा- बात की थी उससे मैंने, वो गुस्से में थी . उसका भी यही कहना है की पृथ्वी की वजह से मनीष उसको दोष देता है .
औरत- इन सब बातो के बिच ये ना भूलो की उस लड़की को अर्जुन ने अपनी सरपरस्ती में लिया था
ददा- इसका मतलब समझ रही हो.
औरत- इसका सिर्फ एक ही मतलब है की शायद वो लड़की ही हमारी तलाश है. यदि वो तुम्हारे घर की बहु बनी तो समझ रहे हो न मैं क्या कह रही हूँ .
ददा-उसके लिए मनीष को मरना होगा.
औरत- उसके चारो तरफ इतने दुश्मन होते हुए भी आजतक उसका बाल नहीं उखड़ा. कोई तो है उसके साथ जो उसे कवच दे रहा है
ददा- दिलेर सिंह को जब मारा गया तब भी मनीष के साथ एक लड़की थी ऐसा बताया था हवालदार ने मुझे
औरत- जब्बर तलाश रहा है उस लड़की को
ददा- उसे क्या दिलचस्पी है उस लड़की में
औरत- उसे लगता है की वो लड़की ..............................
ददा- क्या
औरत- उसे लगता है की वो लड़की उस रस्ते पर चलने की चाबी है .
ददा- असंभव , ऐसा नहीं हो सकता
औरत- उस रात शिवाले में चोरी हुई , तुम, जब्बर, सुनार और अर्जुन तुम चारो शिवाले में थे .अर्जुन गायब हो गया . रह गए तुम तीन . क्या हुआ था उस रात
दद्दा- नहीं मालूम मुझे मालूम हुआ था की अर्जुन मेरे बेटे के खून का प्यासा है उसे रोकने के लिए जब तक मैं शिवाले पहुंचा अर्जुन उसे मार चूका था . खून से सने उसके चेहरे को आज भी भुला नहीं पाया मैं. मैं उसे रोक सकता था . उसके बाद अर्जुन गायब हो गया अपने साथ उस राज को भी ले गया की मेरे बेटे को क्यों मारा उसने.
औरत- पर चोरी तो तुमने भी की थी न
दद्दा- तुम्हे भी ऐसा लगता है मेरे बेटे का क़त्ल हुआ था उस रात , उसकी लाश के टुकड़े उठा रहा था मैं , मुझे नहीं मालूम था की उसी समय सुनार और जब्बर वहां चोरी कर रहे थे .
मेरी दिलचस्पी इस औरत में अचानक से बढ़ गयी थी . ये बहुत कुछ जानती थी इसे हत्थे चढ़ाना बड़ा जरुरी था अब. मैं चाहता था की वो दोनों और बाते करे पर तभी ददा ठाकुर उठ खड़ा हुआ और बोला- मुझे अब जाना होगा. मैं सम्पर्क में रहूँगा तुम्हारे .
दद्दा ठाकुर अपने रस्ते हो लिया और वो औरत दूसरी तरफ जाने लगी. मैं दबे पाँव उसके पीछे हो लिया आज चाहे जो कुछ भी हो जाए मुझे मालूम करना ही था की ये कौन है . जो करना था मुझे अभी करना था पर इससे पहले की मैं कुछ कर पाता .........................
To us raat jo kuch shiwala me dikha tha wo Manish ka sapna tha ya koi bhram?? Well rahasya aur romanch anvarat jaari hai...abhi pichhli hi gutthiya nahi suljhi thi ki ek aur aurat ghoonghat me aa gayi. Kaun ho sakti hai ye aurat aur iska dadda thakur se kya sambandh ho sakta hai. Dono ke beech jis tarah ki baate huyi usse zaahir hai ki us aurat ko kaafi kuch pata hai. Manish us aurat ke peeche chal hi Raha tha ki fir se lagta hai koi baadha aa gai hai. Kaafi khubsurat update tha fauji bhai, aage ka intzaar hai#
झटके से मेरी आँख खुली तो मैंने पाया की बदन पसीने से तरबतर था . सांय सांय हवा चल रही थी , मीता मेरे पास सो रही थी . मेरे सीने पर हाथ रखे. तो क्या मैं सपने में था, मैंने सपने में उसे देखा था . मुझे यकीन नहीं हो रहा था , मैं उठ बैठा, पीछे पीछे मीता की आँख भी खुल गयी .
मीता- क्या हुआ .
मैंने मीता को अपने सपने के बारे में बताया .
मीता- कभी कभी जेहन पर ख्याल ज्यादा हावी हो जाते है . थोडा पानी पी लो और फिर से सोने की कोशिश करो
मैं- सपना नहीं था वो , मैं था वहां पर मीता मैं था . ये किसी तरह का संदेसा था
मीता- समझती हूँ . तुम्हारी जिन्दगी में सबसे ज्यादा कमी माँ की ही रही है इसलिए तुमने वो रूप देखा सपने में .
मैं- वो बात नहीं है मीता.
मीता- तो क्या बात है .
मैं- उसने मुझसे कहा की अतीत के पन्ने पलटने की कोशिश मत करना, जो हैं वो आज है और आने वाला कल है .
मीता- अपना कल सुनहरा होगा मनीष
मैंने उसके माथे को चूमा और उसे अपने आगोश में भर लिया. एक तरफ मैं मीता के साथ था दूसरी तरफ मुझे रीना की बड़ी याद आती थी . उस से बात करना चाहता था , उसे सीने से लगाना चाहता था पर जो ग़लतफ़हमी की दिवार उसने खड़ी की थी , क्या वो मेरी सुनेगी अब. क्या उसे मालूम है की जो मरी है वो उसकी असली माँ नहीं है . क्या होगा जब उसे उसके अस्तित्व के सवालो से सामना करना पड़ेगा. अगले दिन मैं रुद्रपुर गया .मुझे दो काम करने थे यहाँ पर.
सबसे पहले मैं शिवाले पर गया . जहाँ मेरा सामना पृथ्वी से हो गया .
पृथ्वी- तू यहाँ
मैं- क्यों तेरे बाप का शिवाला है क्या
पृथ्वी- पूरा रुद्रपुर ही मेरे बाप का है , ये जो शिवाले की हालत हुई है इसमें कही न कही तेरा हाथ भी है
मैं- तू अपनी खैर मना, कहीं तेरी हालत भी ऐसी न हो जाये.
पृथ्वी- कोशिश करके देख ले
मैं- दिल तो बहुत करता है मेरा पर अभी तेरे मरने का समय हुआ नहीं है जितने भी दिन है जी ले उनको
पृथ्वी- दिन तो अब तेरे बाप के बचे है गिनती के, मुझे मालूम है की वो लौट आया है . बचपन से मुझे इसी दिन का इंतज़ार था . पहले तेरे बाप को मारूंगा.कितनी ख़ुशी होगी जब उसकी राख तुझे भेजूंगा
मैं- कोशिश करके देख ले. तू मुझसे न जीत पा रहा वो तो मेरा बाप है
मेरी बात तीर की तरह पृथ्वी को चुभी.
मैं- खैर, फिलहाल मुझे यहाँ पर कुछ काम है तू निकल
पृथ्वी- मैं क्यों जाऊ ये मेरी धरती है
मैं- तो मत जा ,मुझे मेरा काम करने दे. मुझे देखना है की इसे दुबारा बनाने में क्या लगेगा.
पृथ्वी- तुझे इस खंडहर शिवाले में इतनी क्या दिलचस्पी है..
मै जानता था की ये गधे का बच्चा मुझे मेरा काम नहीं करने देगा तो मैं वहां से वापिस हो लिया अब पृथ्वी के जाने के बाद ही वहां जाना उचित रहता. थोड़ी दूर चलने के बाद मुझे एक पेड़ के निचे गाड़ी खड़ी दिखी पहली नजर में मुझे लगा की इस गाड़ी को मैंने कहीं तो देखा है तो मैं उस तरफ चल दिया. घनी झाड़ियो पर बनी पगडण्डी से होते हुए मैं और आगे की तरफ बढ़ा. आसपास काफी गहरे पेड़ थे, कुछ दूर और जाने पर मैंने देखा की एक पुराना कमरा था जिसकी हालत अब खस्ता थी. पास में ही कुछ खेती के औजार पड़े थे.
आसपास कोई दिख नहीं रहा था पर गाडी थी तो कोई न कोई होना भी चाहिए था. बड़ी सावधानी से मैंने खुद को छिपाया और आस पास देखने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने दो लोगो को आते देखा . एक आदमी और दूसरी औरत. आदमी को मैंने तुरंत पहचान लिया वो दादा ठाकुर था पर उस औरत को नहीं क्योंकि उसने घूँघट ओढा था . वो दोनों आकर पम्प पर बने चबूतरे पर बैठ गए. औरत का हाथ ददा ठाकुर के हाथ में था .
तो ये समझ सकते है की एक दुसरे के करीब थे वो. मैं उनकी बाते सुनने की कोशिश करने लगा.
औरत- अर्जुन लौट आया है
दादा- मालूम हुआ मुझे, उसका लौटना शंका पैदा कर रहा है
औरत- किसी न किसी दिन तो उसे लौटना ही था .
ददा- लगा था की कहीं मर खप गया होगा वो .
औरत- उसकी ख़ामोशी डर पैदा कर रही है
दद्दा- मेरी परेशानी अर्जुन नहीं उसका बेटा हैं, नाक में दम किया हुआ है उसने, पृथ्वी और उसमे ठनी हुई है. तुम तो जानती ही हो पृथ्वी के सिवा हमारा और कोई नहीं
औरत- नादाँ है वो. वैसे भी तुम पृथ्वी को समझाओ की आग से खेलना छोड़ दे वो . पृथ्वी ने ऐलान किया है की वो उसकी माशूका से ब्याह करेगा
दद्दा- यही तो मेरी फ़िक्र है , उस लड़की के लिए मनीष ने शिवाले को खून से रंग दिया था उसकी आँखों में जूनून है .
औरत- संध्या से बात करके देखो
दद्दा- बात की थी उससे मैंने, वो गुस्से में थी . उसका भी यही कहना है की पृथ्वी की वजह से मनीष उसको दोष देता है .
औरत- इन सब बातो के बिच ये ना भूलो की उस लड़की को अर्जुन ने अपनी सरपरस्ती में लिया था
ददा- इसका मतलब समझ रही हो.
औरत- इसका सिर्फ एक ही मतलब है की शायद वो लड़की ही हमारी तलाश है. यदि वो तुम्हारे घर की बहु बनी तो समझ रहे हो न मैं क्या कह रही हूँ .
ददा-उसके लिए मनीष को मरना होगा.
औरत- उसके चारो तरफ इतने दुश्मन होते हुए भी आजतक उसका बाल नहीं उखड़ा. कोई तो है उसके साथ जो उसे कवच दे रहा है
ददा- दिलेर सिंह को जब मारा गया तब भी मनीष के साथ एक लड़की थी ऐसा बताया था हवालदार ने मुझे
औरत- जब्बर तलाश रहा है उस लड़की को
ददा- उसे क्या दिलचस्पी है उस लड़की में
औरत- उसे लगता है की वो लड़की ..............................
ददा- क्या
औरत- उसे लगता है की वो लड़की उस रस्ते पर चलने की चाबी है .
ददा- असंभव , ऐसा नहीं हो सकता
औरत- उस रात शिवाले में चोरी हुई , तुम, जब्बर, सुनार और अर्जुन तुम चारो शिवाले में थे .अर्जुन गायब हो गया . रह गए तुम तीन . क्या हुआ था उस रात
दद्दा- नहीं मालूम मुझे मालूम हुआ था की अर्जुन मेरे बेटे के खून का प्यासा है उसे रोकने के लिए जब तक मैं शिवाले पहुंचा अर्जुन उसे मार चूका था . खून से सने उसके चेहरे को आज भी भुला नहीं पाया मैं. मैं उसे रोक सकता था . उसके बाद अर्जुन गायब हो गया अपने साथ उस राज को भी ले गया की मेरे बेटे को क्यों मारा उसने.
औरत- पर चोरी तो तुमने भी की थी न
दद्दा- तुम्हे भी ऐसा लगता है मेरे बेटे का क़त्ल हुआ था उस रात , उसकी लाश के टुकड़े उठा रहा था मैं , मुझे नहीं मालूम था की उसी समय सुनार और जब्बर वहां चोरी कर रहे थे .
मेरी दिलचस्पी इस औरत में अचानक से बढ़ गयी थी . ये बहुत कुछ जानती थी इसे हत्थे चढ़ाना बड़ा जरुरी था अब. मैं चाहता था की वो दोनों और बाते करे पर तभी ददा ठाकुर उठ खड़ा हुआ और बोला- मुझे अब जाना होगा. मैं सम्पर्क में रहूँगा तुम्हारे .
दद्दा ठाकुर अपने रस्ते हो लिया और वो औरत दूसरी तरफ जाने लगी. मैं दबे पाँव उसके पीछे हो लिया आज चाहे जो कुछ भी हो जाए मुझे मालूम करना ही था की ये कौन है . जो करना था मुझे अभी करना था पर इससे पहले की मैं कुछ कर पाता .........................
i am sorry replies nahi de paa raha par aasha karta hun jaldi hi resume hoga
Every update full of suspense lage raho bhai#70
पर इससे पहले की मैं कुछ कर पाता, मेरे कदम रुक गए. वो औरत अचानक से पलट कर मेरी तरफ घूम गयी .
“तुम्हे मेरा पीछा करने की कोई जरुरत नहीं है ” उसने अपना घूँघट उठाया . उसके चेहरे को देखते ही मैं बुरी तरह से चौंक गया . मेरे सामने जब्बर की घरवाली खड़ी थी .
“काकी तुम ” मैं बस इतना ही कह पाया.
“हाँ, मैं ” उसने कहा
मैं- तुम तुम्हारा क्या लेना देना इस सब से
काकी- हम सब एक ही डोर से जुड़े है मनीष, हम सबकी एक ही कहानी है एक ही फ़साना है , मैं भी इस कहानी की एक किरदार हूँ .
मैं- कैसे
काकी- ये सवाल तुम चाहते तो उस रात को ही पूछ सकते थे जब मैं तुम्हारे चाचा के साथ थी .
मैं- तो वो तुम थी .
काकी- हाँ मैं थी वो . तुम्हारे चाचा के अंधेरो की साथी वो मैं ही थी .
मैं- पर चाचा तो रीना की माँ से प्यार करता था .
काकी- वो एक झूठ था , छलावा था . उसकी और मेरी कहानी तुम सब के बीच कही खो गयी . ये मोहब्बत भी अजीब ही होती है मनीष, बड़े लोगो की मोहब्बत चर्चा बन जाती है , हम जैसे लोगो की कहानिया किस्से भी नहीं बन पाती.
मैं- पर आप तो जब्बर की बीवी है न .
काकी- मोहब्बत में सबको अपना मुकाम मिले ये जरुरी भी तो नहीं . वो दौर जिसने हमारी कहानी लिखी गयी , उस पन्ने को किसी ने देखा ही नहीं. तुम्हारा चाचा कभी अपने भाई की छाया से बाहर निकल ही नहीं पाया. उसका कोई वजूद नहीं बन पाया . उसकी क्या इच्छा थी , क्या हसरत थी किसी ने नहीं पूछा.
मैं- मोहब्बत कोई पकवान नहीं जो थाली में परोस दिया जाए. मोहब्बत वो हक़ है जिसे दुनिया से छीनना पड़ता है . चाहे हालात जो भी रहे हो अपने हक़ की आवाज जो तुम न उठा पाये तो उसे मोहब्बत न कहो .
काकी ने एक गहरी साँस ली .
मैं- मुझे दिलचस्पी नहीं है तुम्हारी कहानी में , मैं बस इतना जानना चाहता हूँ की ददा ठाकुर कोई इतनी जानकारी देने का क्या उद्देश्य है तुम्हारा, जब्बर से धोखा कर रही हो .
काकी-जब्बर के लिए ही कर रही हूँ ये, उसकी हालत अब देखि नहीं जाती मुझसे
मैं- क्या हुआ है उसे
काकी- जब्बर अपनी बहन से बहुत प्यार करता था . जब्बर के माँ बाप तो बचपन में ही मर गए थे , बड़े नाजो से पाला था उसने अपनी बहन को पर तुम्हारे बाप ने उसका बलात्कार किया .उसे अपनी रखैल बना कर रखा . जब्बर अर्जुन को दोस्त कम भाई ज्यादा मानता था . जब उसे ये मालूम हुआ तो उसने प्रतिकार किया पर अर्जुन का सिक्का चलता था उस दौर में . जब्बर कुछ नहीं कर सका . फिर वो एक दिन गायब हो गयी .जब्बर ने हर जगह उसकी तलाश की . इक दिन फिर इस गाँव में ऐसा आया की दोस्ती की दिवार जो ढह तो गयी थी उसके मलबे में चिंगारी भड़क उठी. दुश्मनी की तलवारे चली. पूरा गाँव हैरान था क्योंकि जब्बर ने अर्जुन के सीने पर वार किया था पर अर्जुन ने उस पर हथियार नहीं उठाया, उठाता भी कैसे उसके मन में अपराध बोध जो था . जो लड़की उसे राखी बांधती थी उसे ही अपनी रखैल बना कर अर्जुन ने जो पाप किया था उसका फल तो उसे मिलना ही था . इश्वर की लाठी में आवाज नहीं होती, कुछ दिनों बाद तुम्हारी माँ को शिवाले में मार दिया गया . अब सोलह साल बाद अर्जुन लौट आया है , मैं नहीं चाहती की इतिहास वर्तमान को खून की लकीरों से लिखे तो मैं ददा ठाकुर से मिल गयी .
मुझे आज मालूम हुआ था की मेरी माँ का क़त्ल हुआ था . मेरे सीने में जो दर्द बचपन से जमा था क्रोध बन कर मेरी रगों में बहते खून में उबाल मारने लगा.
मैं- कौन था हत्यारा मेरी माँ का
काकी- ये भी एक पहेली है तेरी माँ के जैसे.
मैं- मतलब
काकी- तू विशुद्ध चुतिया है मनीष, तूने कभी आजतक इस बात पर गौर किया की दुनिया में मामा-नाना जैसे भी कुछ रिश्ते होते है , तूने कभी अपने मामा-नाना या तेरी मायके से किसी रिश्तेदार को आते-जाते देखा क्या .
मैं- माँ की मौत के बाद वो कभी नहीं आये.
काकी- क्योंकि कोई नहीं जानता था की वो कहाँ से आई थी . एक रात बस अर्जुन उसे ले आया था सबको ये बताने की उसने ब्याह कर लिया था . जिस दिन उसकी मौत हुई. हम सब शिवाले पर पहुंचे . सबकी आँखों में नमी थी पर अर्जुन, अर्जुन नहीं रोया.उसकी आँखों में एक बूँद नहीं थी आंसुओ की . दाहसंस्कार के बाद उसने तेरे माथे को चूमा और फिर वो गायब हो गया . मैं ददा ठाकुर से इसलिए जुडी हूँ ताकि आने वाले विनाश को टाल सकू.
मैं- कैसा विनाश
काकी- उस गधे पृथ्वी ने रीना से ब्याह करने का सोचा है , और रीना को तुम चाहते हो , उसके लिए तुमने जो रुद्रपुर में जो काण्ड किया उसके बाद से सबके मन में इक खौफ है . पृथ्वी की अपनी जिद है तुम्हारी अपनी जिद. जब अर्जुन के बेटे पर वार होगा तो अर्जुन बीच में आएगा ही और तब इतिहास और वर्तमान एक दुसरे के सामने आ जायेंगे.
मैं- गाँव में जो लोग मरे है उसके बारे में क्या जानती हो
काकी- जब्बर काफी समय से तलाश कर रहा है कातिल की
मैं- क्या मेरी माँ का कातिल जब्बर हो सकता है
काकी- तुम्हारा उस पर शक करना जायज है पर वो ऐसा काम नहीं कर सकता
मैं - क्यों
काकी- क्योंकि उसे बदला ही लेना होता तो वो अर्जुन का वंश कभी का ख़त्म कर चूका होता , तुम्हे बचाने के लिए अर्जुन नहीं था पुरे सोलह साल यहाँ . उसे किसी और चीज की तलाश है
मैं- किसकी
काकी- उस लड़की की जो तेरा साया बनी हुई है .
मैं- पर क्यों
इस से पहले काकी जवाब दे पाती........................................