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झटके से मेरी आँख खुली तो मैंने पाया की बदन पसीने से तरबतर था . सांय सांय हवा चल रही थी , मीता मेरे पास सो रही थी . मेरे सीने पर हाथ रखे. तो क्या मैं सपने में था, मैंने सपने में उसे देखा था . मुझे यकीन नहीं हो रहा था , मैं उठ बैठा, पीछे पीछे मीता की आँख भी खुल गयी .
मीता- क्या हुआ .
मैंने मीता को अपने सपने के बारे में बताया .
मीता- कभी कभी जेहन पर ख्याल ज्यादा हावी हो जाते है . थोडा पानी पी लो और फिर से सोने की कोशिश करो
मैं- सपना नहीं था वो , मैं था वहां पर मीता मैं था . ये किसी तरह का संदेसा था
मीता- समझती हूँ . तुम्हारी जिन्दगी में सबसे ज्यादा कमी माँ की ही रही है इसलिए तुमने वो रूप देखा सपने में .
मैं- वो बात नहीं है मीता.
मीता- तो क्या बात है .
मैं- उसने मुझसे कहा की अतीत के पन्ने पलटने की कोशिश मत करना, जो हैं वो आज है और आने वाला कल है .
मीता- अपना कल सुनहरा होगा मनीष
मैंने उसके माथे को चूमा और उसे अपने आगोश में भर लिया. एक तरफ मैं मीता के साथ था दूसरी तरफ मुझे रीना की बड़ी याद आती थी . उस से बात करना चाहता था , उसे सीने से लगाना चाहता था पर जो ग़लतफ़हमी की दिवार उसने खड़ी की थी , क्या वो मेरी सुनेगी अब. क्या उसे मालूम है की जो मरी है वो उसकी असली माँ नहीं है . क्या होगा जब उसे उसके अस्तित्व के सवालो से सामना करना पड़ेगा. अगले दिन मैं रुद्रपुर गया .मुझे दो काम करने थे यहाँ पर.
सबसे पहले मैं शिवाले पर गया . जहाँ मेरा सामना पृथ्वी से हो गया .
पृथ्वी- तू यहाँ
मैं- क्यों तेरे बाप का शिवाला है क्या
पृथ्वी- पूरा रुद्रपुर ही मेरे बाप का है , ये जो शिवाले की हालत हुई है इसमें कही न कही तेरा हाथ भी है
मैं- तू अपनी खैर मना, कहीं तेरी हालत भी ऐसी न हो जाये.
पृथ्वी- कोशिश करके देख ले
मैं- दिल तो बहुत करता है मेरा पर अभी तेरे मरने का समय हुआ नहीं है जितने भी दिन है जी ले उनको
पृथ्वी- दिन तो अब तेरे बाप के बचे है गिनती के, मुझे मालूम है की वो लौट आया है . बचपन से मुझे इसी दिन का इंतज़ार था . पहले तेरे बाप को मारूंगा.कितनी ख़ुशी होगी जब उसकी राख तुझे भेजूंगा
मैं- कोशिश करके देख ले. तू मुझसे न जीत पा रहा वो तो मेरा बाप है
मेरी बात तीर की तरह पृथ्वी को चुभी.
मैं- खैर, फिलहाल मुझे यहाँ पर कुछ काम है तू निकल
पृथ्वी- मैं क्यों जाऊ ये मेरी धरती है
मैं- तो मत जा ,मुझे मेरा काम करने दे. मुझे देखना है की इसे दुबारा बनाने में क्या लगेगा.
पृथ्वी- तुझे इस खंडहर शिवाले में इतनी क्या दिलचस्पी है..
मै जानता था की ये गधे का बच्चा मुझे मेरा काम नहीं करने देगा तो मैं वहां से वापिस हो लिया अब पृथ्वी के जाने के बाद ही वहां जाना उचित रहता. थोड़ी दूर चलने के बाद मुझे एक पेड़ के निचे गाड़ी खड़ी दिखी पहली नजर में मुझे लगा की इस गाड़ी को मैंने कहीं तो देखा है तो मैं उस तरफ चल दिया. घनी झाड़ियो पर बनी पगडण्डी से होते हुए मैं और आगे की तरफ बढ़ा. आसपास काफी गहरे पेड़ थे, कुछ दूर और जाने पर मैंने देखा की एक पुराना कमरा था जिसकी हालत अब खस्ता थी. पास में ही कुछ खेती के औजार पड़े थे.
आसपास कोई दिख नहीं रहा था पर गाडी थी तो कोई न कोई होना भी चाहिए था. बड़ी सावधानी से मैंने खुद को छिपाया और आस पास देखने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने दो लोगो को आते देखा . एक आदमी और दूसरी औरत. आदमी को मैंने तुरंत पहचान लिया वो दादा ठाकुर था पर उस औरत को नहीं क्योंकि उसने घूँघट ओढा था . वो दोनों आकर पम्प पर बने चबूतरे पर बैठ गए. औरत का हाथ ददा ठाकुर के हाथ में था .
तो ये समझ सकते है की एक दुसरे के करीब थे वो. मैं उनकी बाते सुनने की कोशिश करने लगा.
औरत- अर्जुन लौट आया है
दादा- मालूम हुआ मुझे, उसका लौटना शंका पैदा कर रहा है
औरत- किसी न किसी दिन तो उसे लौटना ही था .
ददा- लगा था की कहीं मर खप गया होगा वो .
औरत- उसकी ख़ामोशी डर पैदा कर रही है
दद्दा- मेरी परेशानी अर्जुन नहीं उसका बेटा हैं, नाक में दम किया हुआ है उसने, पृथ्वी और उसमे ठनी हुई है. तुम तो जानती ही हो पृथ्वी के सिवा हमारा और कोई नहीं
औरत- नादाँ है वो. वैसे भी तुम पृथ्वी को समझाओ की आग से खेलना छोड़ दे वो . पृथ्वी ने ऐलान किया है की वो उसकी माशूका से ब्याह करेगा
दद्दा- यही तो मेरी फ़िक्र है , उस लड़की के लिए मनीष ने शिवाले को खून से रंग दिया था उसकी आँखों में जूनून है .
औरत- संध्या से बात करके देखो
दद्दा- बात की थी उससे मैंने, वो गुस्से में थी . उसका भी यही कहना है की पृथ्वी की वजह से मनीष उसको दोष देता है .
औरत- इन सब बातो के बिच ये ना भूलो की उस लड़की को अर्जुन ने अपनी सरपरस्ती में लिया था
ददा- इसका मतलब समझ रही हो.
औरत- इसका सिर्फ एक ही मतलब है की शायद वो लड़की ही हमारी तलाश है. यदि वो तुम्हारे घर की बहु बनी तो समझ रहे हो न मैं क्या कह रही हूँ .
ददा-उसके लिए मनीष को मरना होगा.
औरत- उसके चारो तरफ इतने दुश्मन होते हुए भी आजतक उसका बाल नहीं उखड़ा. कोई तो है उसके साथ जो उसे कवच दे रहा है
ददा- दिलेर सिंह को जब मारा गया तब भी मनीष के साथ एक लड़की थी ऐसा बताया था हवालदार ने मुझे
औरत- जब्बर तलाश रहा है उस लड़की को
ददा- उसे क्या दिलचस्पी है उस लड़की में
औरत- उसे लगता है की वो लड़की ..............................
ददा- क्या
औरत- उसे लगता है की वो लड़की उस रस्ते पर चलने की चाबी है .
ददा- असंभव , ऐसा नहीं हो सकता
औरत- उस रात शिवाले में चोरी हुई , तुम, जब्बर, सुनार और अर्जुन तुम चारो शिवाले में थे .अर्जुन गायब हो गया . रह गए तुम तीन . क्या हुआ था उस रात
दद्दा- नहीं मालूम मुझे मालूम हुआ था की अर्जुन मेरे बेटे के खून का प्यासा है उसे रोकने के लिए जब तक मैं शिवाले पहुंचा अर्जुन उसे मार चूका था . खून से सने उसके चेहरे को आज भी भुला नहीं पाया मैं. मैं उसे रोक सकता था . उसके बाद अर्जुन गायब हो गया अपने साथ उस राज को भी ले गया की मेरे बेटे को क्यों मारा उसने.
औरत- पर चोरी तो तुमने भी की थी न
दद्दा- तुम्हे भी ऐसा लगता है मेरे बेटे का क़त्ल हुआ था उस रात , उसकी लाश के टुकड़े उठा रहा था मैं , मुझे नहीं मालूम था की उसी समय सुनार और जब्बर वहां चोरी कर रहे थे .
मेरी दिलचस्पी इस औरत में अचानक से बढ़ गयी थी . ये बहुत कुछ जानती थी इसे हत्थे चढ़ाना बड़ा जरुरी था अब. मैं चाहता था की वो दोनों और बाते करे पर तभी ददा ठाकुर उठ खड़ा हुआ और बोला- मुझे अब जाना होगा. मैं सम्पर्क में रहूँगा तुम्हारे .
दद्दा ठाकुर अपने रस्ते हो लिया और वो औरत दूसरी तरफ जाने लगी. मैं दबे पाँव उसके पीछे हो लिया आज चाहे जो कुछ भी हो जाए मुझे मालूम करना ही था की ये कौन है . जो करना था मुझे अभी करना था पर इससे पहले की मैं कुछ कर पाता .........................