• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery गुजारिश 2 (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,053
83,847
259
#63

मेरा दिमाग इतना भन्नाया हुआ था की मैं न जाने क्या कर बैठता. पृथ्वी मुझसे बदला लेने के लिए रीना को मोहरा बनाना चाहता था , इस नीचता की उम्मीद नहीं थी मुझे. मर्द वो होता है जो सामने से दुश्मनी निभाए पर उसने कुटिलता दिखाई, वो जानता था की मेरी कमजोरी है रीना पर वो ये नहीं जानता था की रीना मेरी ताकत भी है .

संध्या- शांत होजा मनीष ,

मैं- कैसे शांत हो जाऊ मैं, मेरे सामने वो दो कौड़ी का इन्सान इतनी बड़ी बात कह गया . उस दिन भी मैंने तुम्हारा लिहाज़ किया वर्ना उसके ही घर में उसे बता देता मैं

चाची- तो मेरा लिहाज़ करके ही शांत हो जाओ और घर चलो

मैं- किसका घर, मेरा की घर नहीं है .मैं अपना सामान ले जा रहा हूँ इस चोखट पर अब कदम नहीं रखूँगा, जहाँ पर मेरे दुश्मन का आना जाना हो वो जगह बेगानी हुई मेरे लिए.

चाची- मेरी बात तो सुन , मैं आज ही रुद्रपुर जाउंगी और इस मामले को देखूंगी .

मैं- मैंने अपना निर्णय कर लिया है , पृथ्वी को दुश्मनी चाहिए मैं उसे जहन्नम दूंगा. रीना सिर्फ मेरी है ,मेरी ही रहेगी.

“तडाक ” एक थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा.

“तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी लड़की का नाम लेने की , पुरे गाँव के सामने बदनाम करता है उसे ” रीना की माँ ने मेरे गाल पर थप्पड़ मारा .

कोई और होता तो मैं उसे बता देता पर सहन किया मैंने.

मैं- थप्पड़ मारने से सच बदल नहीं जाएगा, अब बात खुली है तो दूर तक जायेगी, मैं और रीना एक दुसरे से प्यार करते है , ब्याह करना चाहते है

संध्या- मनीष, गाँव के सामने तमाशा मत कर

रीना की माँ- तमाशा तो इसने कर ही दिया है , अपनी औकात भूल गया है ये, इसके साथ थोडा बोल बतला क्या ली इसने तो हद ही पार कर दी, गाँव राम की कोई शर्म है या नहीं , देखो गाँव वालो बहन बेटी को ही ब्याहने की मन में है इस नीच के.

इकठ्ठा हुए गाँव वालो ने भी रीना की माँ के सुर में सुर मिलाये.

संध्या- रीना भांजी है हमारी मनीष , हम मानते है की तुम करीब हो एक दुसरे के पर जो तुम चाहते हो वो कभी नहीं हो पायेगा.

मैं- तुम जानती हो चाची, वो इस्तेमाल करना चाहता है उसका.

रीना की माँ- मेरी बेटी तो उसके साथ ही ब्याही जाएगी, मैं तो लाख से भी इतने बड़े घर का रिश्ता न छोडू

मैं- रीना से तो पूछ लो एक बार

रीना की माँ- मेरी बेटी है वो , उस से पूछने की क्या जरुरत मुझे, जहाँ कहूँगी वही उठेगी- बैठेगी मेरी बेटी.

मैं- ठीक है फिर , अगर तेरी यही जिद है तो ये ही सही . तू कर रिश्ता , बुला बारात मैं भी देखूंगा डोली कैसे उठती है . तेरे साथ साथ ये पूरा गाँव जोर लगा ले .किसी के गांड में दम हो तो रोक लेना मुझे,

रीना की माँ- संध्या इसे समझाले , कहीं ऐसा न हो की बात फिर संभालनी मुश्किल हो जाये

चाची- आप घर जाओ. तमाशा मत करो मैं बात करुँगी इससे , इसका गुस्सा ठंडा हो जायेगा थोड़ी देर में . बात का बतंगड़ बनाना ठीक नहीं है .

रीना की माँ- जा रही हूँ , पर दुबारा इसकी जुबान पर मेरी बेटी का नाम आया तो जुबान खींच लुंगी इसकी .

मैं- सबसे पहले तुझे ही रस्ते से हटाऊंगा

संध्या- चुप हो जा, क्यों हमारी बेईजज्ती करवाता है.

मैं- तेरी बेइज्जती तब नहीं हुई जब तेरा आदमी इस औरत को पेल रहा था पूछ कर देख इस से कितनी बार ली है चाचा ने इसकी .

मेरे मुह से ये शब्द निकल तो गए थे पर तुरंत ही मुझे अहसास हो गया की ये नहीं कहना था पर अब तीर कमान से निकल चूका था . हर कोई ये बात सुन कर स्तब्ध रह गया . चाची ने अपने मुह पर हाथ रख लिया.

रीना की माँ- कोई और आरोप है तो वो भी लगा ले, जितना जहर तेरे अन्दर भरा है सारा उगल ले तू, कमीने अब तू भी देखना मैं क्या करती हूँ .

रीना की माँ तमतमते हुए घर चली गयी चाची ने मेरी बाहं पकड़ी और घर के भीतर ले आई.

चाची- भर गया मन तेरा , मिल गयी कलेजे को ठंडक. ये तमाशा जो तूने किया है करने की जरुरत नहीं थी, और गड़े मुर्दे उखाड़ कर क्या मिला तुझे, तेरी माँ की उम्र की है वो उसकी इज्जत उछाल दी तूने. बहुत बहादुरी का काम किया तूने . तेरे दिमाग में न जाने क्या भरा है , मैंने दुनिया देखि है , न जाने क्या क्या देखा है , तू सोच भी नहीं सकता उस सच को मैं रोज देखती हूँ , उस सच को बड़ा होते हुए देखा है मैंने. हर बार मैंने तुझे टोका रीना के लिए , कोई तो कारण रहा होगा न . ऐसा नहीं है की मुझे तेरी परवाह नहीं है , तू इस दुनिया में किसी भी लड़की की तरफ इशारा कर , उसे तेरी बहु बनाकर इस घर में ले आउंगी मैं . पर रीना तेरी नहीं हो सकती इस अकाट्य सत्य को तुझे मानना ही पड़ेगा.

मैं- मेरा दिल नहीं मानता

चाची- इस दिल के ही तो है ये सारे बखेड़े. शाम को जाकर रीना की माँ से माफ़ी मांग लेना , वो समझ जाएगी.

मैं- उसके पैर पकड़ लूँगा. अगर वो मेरी बात समझे तो .

संध्या- जिसे तू खेल समझ रहा हैं न वो मौत की वो दास्तान है , जिसकी तपिश में तू झुलसेगा नहीं , जलेगा, रीना जेठ जी की सरपरस्ती में है इतना काफी है तुझे हकीकत समझाने को . हम सब उसके पहरेदार है . आगे तेरी मर्जी है , तू जाने और तेरा नसीब जाने.

“मैं अपना नसीब खुद लिखूंगा ” मैंने कहा और घर से बाहर आ गया .

कुवे पर पहुंचा तो देखा की ताई वहां पर मोजूद थी .

ताई- कितने दिन हुए घर पर आया नहीं तू , हार कर मैं ही आई इधर .

मैं- क्या करता घर पर आकर,

ताई- और लोग क्या करते है , तेरा घर है तू नहीं आएगा तो कौन आएगा.

मैं- मैं वहां रहता तो तुम्हे मौका नहीं मिलता चाचा संग सोने का . और तुम्हे मेरी क्या जरुरत , कोई न कोई तो होता ही है तुम्हारी लेने के लिए. दोपहर को मैं घर पर ही था मैंने देख लिया था चाचा और तुझे. सच कहूँ तो मुझे गुस्सा नहीं आता इस बात पर की मन में आये उसको दे रही है तू, पर मुझे कोफ़्त होती है मेरी ताई ........

ताई- तू मुझे दोष तो दे सकता है , पर ये तो पूछ की आखिर मैं ऐसी कैसे हो गयी, किसने मुझे ये लत लगाई की मैं गंड मरी हो गयी. किसने मुझे ये आदत डाली की मैं चुदे बिना रह ही नहीं पाती.

मैं- नहीं जानना मुझे ये

ताई- क्यों नहीं जानना मुझे, मुझे चोद सकता है , मेरी गांड मार सकता है पर ये नहीं पूछने की हिम्मत की किसने मुझे नंगी बनाया. ....
 

Studxyz

Well-Known Member
2,925
16,231
158
एक दम मस्त झकास फाडु अपडेट रहा यहाँ तो सब के एक से बढ़ कर एक सब के गांड फाड़ राज़ खोल रहे हैं | राज़ ताई भी खोलने वाली है अपना राज़ लेकिन क्या वो अर्जुन सिंह का भांडा फोड़ेगी ?

मनीष ने रीना की माँ की आबरू उछाली तो बढ़िया लेकिन क्या अर्जुन सिंह का भी कोई रीना की मॉ से कोई लेना देना है ?
 
Last edited:

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
2,134
6,703
159
#63

मेरा दिमाग इतना भन्नाया हुआ था की मैं न जाने क्या कर बैठता. पृथ्वी मुझसे बदला लेने के लिए रीना को मोहरा बनाना चाहता था , इस नीचता की उम्मीद नहीं थी मुझे. मर्द वो होता है जो सामने से दुश्मनी निभाए पर उसने कुटिलता दिखाई, वो जानता था की मेरी कमजोरी है रीना पर वो ये नहीं जानता था की रीना मेरी ताकत भी है .

संध्या- शांत होजा मनीष ,

मैं- कैसे शांत हो जाऊ मैं, मेरे सामने वो दो कौड़ी का इन्सान इतनी बड़ी बात कह गया . उस दिन भी मैंने तुम्हारा लिहाज़ किया वर्ना उसके ही घर में उसे बता देता मैं

चाची- तो मेरा लिहाज़ करके ही शांत हो जाओ और घर चलो

मैं- किसका घर, मेरा की घर नहीं है .मैं अपना सामान ले जा रहा हूँ इस चोखट पर अब कदम नहीं रखूँगा, जहाँ पर मेरे दुश्मन का आना जाना हो वो जगह बेगानी हुई मेरे लिए.

चाची- मेरी बात तो सुन , मैं आज ही रुद्रपुर जाउंगी और इस मामले को देखूंगी .

मैं- मैंने अपना निर्णय कर लिया है , पृथ्वी को दुश्मनी चाहिए मैं उसे जहन्नम दूंगा. रीना सिर्फ मेरी है ,मेरी ही रहेगी.

“तडाक ” एक थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा.

“तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी लड़की का नाम लेने की , पुरे गाँव के सामने बदनाम करता है उसे ” रीना की माँ ने मेरे गाल पर थप्पड़ मारा .

कोई और होता तो मैं उसे बता देता पर सहन किया मैंने.

मैं- थप्पड़ मारने से सच बदल नहीं जाएगा, अब बात खुली है तो दूर तक जायेगी, मैं और रीना एक दुसरे से प्यार करते है , ब्याह करना चाहते है

संध्या- मनीष, गाँव के सामने तमाशा मत कर

रीना की माँ- तमाशा तो इसने कर ही दिया है , अपनी औकात भूल गया है ये, इसके साथ थोडा बोल बतला क्या ली इसने तो हद ही पार कर दी, गाँव राम की कोई शर्म है या नहीं , देखो गाँव वालो बहन बेटी को ही ब्याहने की मन में है इस नीच के.

इकठ्ठा हुए गाँव वालो ने भी रीना की माँ के सुर में सुर मिलाये.

संध्या- रीना भांजी है हमारी मनीष , हम मानते है की तुम करीब हो एक दुसरे के पर जो तुम चाहते हो वो कभी नहीं हो पायेगा.

मैं- तुम जानती हो चाची, वो इस्तेमाल करना चाहता है उसका.

रीना की माँ- मेरी बेटी तो उसके साथ ही ब्याही जाएगी, मैं तो लाख से भी इतने बड़े घर का रिश्ता न छोडू

मैं- रीना से तो पूछ लो एक बार

रीना की माँ- मेरी बेटी है वो , उस से पूछने की क्या जरुरत मुझे, जहाँ कहूँगी वही उठेगी- बैठेगी मेरी बेटी.

मैं- ठीक है फिर , अगर तेरी यही जिद है तो ये ही सही . तू कर रिश्ता , बुला बारात मैं भी देखूंगा डोली कैसे उठती है . तेरे साथ साथ ये पूरा गाँव जोर लगा ले .किसी के गांड में दम हो तो रोक लेना मुझे,

रीना की माँ- संध्या इसे समझाले , कहीं ऐसा न हो की बात फिर संभालनी मुश्किल हो जाये

चाची- आप घर जाओ. तमाशा मत करो मैं बात करुँगी इससे , इसका गुस्सा ठंडा हो जायेगा थोड़ी देर में . बात का बतंगड़ बनाना ठीक नहीं है .

रीना की माँ- जा रही हूँ , पर दुबारा इसकी जुबान पर मेरी बेटी का नाम आया तो जुबान खींच लुंगी इसकी .

मैं- सबसे पहले तुझे ही रस्ते से हटाऊंगा

संध्या- चुप हो जा, क्यों हमारी बेईजज्ती करवाता है.

मैं- तेरी बेइज्जती तब नहीं हुई जब तेरा आदमी इस औरत को पेल रहा था पूछ कर देख इस से कितनी बार ली है चाचा ने इसकी .

मेरे मुह से ये शब्द निकल तो गए थे पर तुरंत ही मुझे अहसास हो गया की ये नहीं कहना था पर अब तीर कमान से निकल चूका था . हर कोई ये बात सुन कर स्तब्ध रह गया . चाची ने अपने मुह पर हाथ रख लिया.

रीना की माँ- कोई और आरोप है तो वो भी लगा ले, जितना जहर तेरे अन्दर भरा है सारा उगल ले तू, कमीने अब तू भी देखना मैं क्या करती हूँ .

रीना की माँ तमतमते हुए घर चली गयी चाची ने मेरी बाहं पकड़ी और घर के भीतर ले आई.

चाची- भर गया मन तेरा , मिल गयी कलेजे को ठंडक. ये तमाशा जो तूने किया है करने की जरुरत नहीं थी, और गड़े मुर्दे उखाड़ कर क्या मिला तुझे, तेरी माँ की उम्र की है वो उसकी इज्जत उछाल दी तूने. बहुत बहादुरी का काम किया तूने . तेरे दिमाग में न जाने क्या भरा है , मैंने दुनिया देखि है , न जाने क्या क्या देखा है , तू सोच भी नहीं सकता उस सच को मैं रोज देखती हूँ , उस सच को बड़ा होते हुए देखा है मैंने. हर बार मैंने तुझे टोका रीना के लिए , कोई तो कारण रहा होगा न . ऐसा नहीं है की मुझे तेरी परवाह नहीं है , तू इस दुनिया में किसी भी लड़की की तरफ इशारा कर , उसे तेरी बहु बनाकर इस घर में ले आउंगी मैं . पर रीना तेरी नहीं हो सकती इस अकाट्य सत्य को तुझे मानना ही पड़ेगा.

मैं- मेरा दिल नहीं मानता

चाची- इस दिल के ही तो है ये सारे बखेड़े. शाम को जाकर रीना की माँ से माफ़ी मांग लेना , वो समझ जाएगी.

मैं- उसके पैर पकड़ लूँगा. अगर वो मेरी बात समझे तो .

संध्या- जिसे तू खेल समझ रहा हैं न वो मौत की वो दास्तान है , जिसकी तपिश में तू झुलसेगा नहीं , जलेगा, रीना जेठ जी की सरपरस्ती में है इतना काफी है तुझे हकीकत समझाने को . हम सब उसके पहरेदार है . आगे तेरी मर्जी है , तू जाने और तेरा नसीब जाने.

“मैं अपना नसीब खुद लिखूंगा ” मैंने कहा और घर से बाहर आ गया .

कुवे पर पहुंचा तो देखा की ताई वहां पर मोजूद थी .

ताई- कितने दिन हुए घर पर आया नहीं तू , हार कर मैं ही आई इधर .

मैं- क्या करता घर पर आकर,

ताई- और लोग क्या करते है , तेरा घर है तू नहीं आएगा तो कौन आएगा.

मैं- मैं वहां रहता तो तुम्हे मौका नहीं मिलता चाचा संग सोने का . और तुम्हे मेरी क्या जरुरत , कोई न कोई तो होता ही है तुम्हारी लेने के लिए. दोपहर को मैं घर पर ही था मैंने देख लिया था चाचा और तुझे. सच कहूँ तो मुझे गुस्सा नहीं आता इस बात पर की मन में आये उसको दे रही है तू, पर मुझे कोफ़्त होती है मेरी ताई ........

ताई- तू मुझे दोष तो दे सकता है , पर ये तो पूछ की आखिर मैं ऐसी कैसे हो गयी, किसने मुझे ये लत लगाई की मैं गंड मरी हो गयी. किसने मुझे ये आदत डाली की मैं चुदे बिना रह ही नहीं पाती.

मैं- नहीं जानना मुझे ये


ताई- क्यों नहीं जानना मुझे, मुझे चोद सकता है , मेरी गांड मार सकता है पर ये नहीं पूछने की हिम्मत की किसने मुझे नंगी बनाया. ....
Nice update 🙂
 

brego4

Well-Known Member
2,850
11,063
158
Mind blowing updates, all the characters in the story are taking there positions to face n clash with each other as all the roads for everyone are leading to shivalaya and there in lies the solution to be brokered by the arrival of arjun singh

Rina ka manish se koi rishta bhi nikal sakta hai story mein kai se secrets hain . but ek cheez sab meinn common hai wo hai chudayi aur bas ek chachi hi bachi hai main suspect jis ka koi bhi motive and secret abhi tak leak nahi hua

Manish akela josh mein kaam bigadta hai ya sudharta hai dekhna hoga waise mita uske saath ab bhi khadi hai
 

Thekingmaker

Active Member
899
3,224
124
bahut hee khubsurat Update thaa par sala manish ka chutiye kaat diya sab ne pehle rina ne,fir uss chutiye prithvi ne,uske baad rina ki maa ne last me uski tayi ne...sab sale karan bata rahe hai aisa kyo hai kyo hua...par sala nhi samjhta iss waqt manish ke dil par kya guzar rahi hai kya beet rahi hai apne pyar apne dil apni aatma ko kisi gair ki hota dekh woh bhi aisa vaisa gair nhi uska dusman ho....kash rina yeh samjh pati par meeta kaha hai manish ko ek kandhe ki jarurt hai jis par sar rakh apne chipee zakham ko dikha sake aur apna hall dikha sake

next update ka besabri se intzar hai
 

Ladies man

Member
477
1,628
123
#63

मेरा दिमाग इतना भन्नाया हुआ था की मैं न जाने क्या कर बैठता. पृथ्वी मुझसे बदला लेने के लिए रीना को मोहरा बनाना चाहता था , इस नीचता की उम्मीद नहीं थी मुझे. मर्द वो होता है जो सामने से दुश्मनी निभाए पर उसने कुटिलता दिखाई, वो जानता था की मेरी कमजोरी है रीना पर वो ये नहीं जानता था की रीना मेरी ताकत भी है .

संध्या- शांत होजा मनीष ,

मैं- कैसे शांत हो जाऊ मैं, मेरे सामने वो दो कौड़ी का इन्सान इतनी बड़ी बात कह गया . उस दिन भी मैंने तुम्हारा लिहाज़ किया वर्ना उसके ही घर में उसे बता देता मैं

चाची- तो मेरा लिहाज़ करके ही शांत हो जाओ और घर चलो

मैं- किसका घर, मेरा की घर नहीं है .मैं अपना सामान ले जा रहा हूँ इस चोखट पर अब कदम नहीं रखूँगा, जहाँ पर मेरे दुश्मन का आना जाना हो वो जगह बेगानी हुई मेरे लिए.

चाची- मेरी बात तो सुन , मैं आज ही रुद्रपुर जाउंगी और इस मामले को देखूंगी .

मैं- मैंने अपना निर्णय कर लिया है , पृथ्वी को दुश्मनी चाहिए मैं उसे जहन्नम दूंगा. रीना सिर्फ मेरी है ,मेरी ही रहेगी.

“तडाक ” एक थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा.

“तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी लड़की का नाम लेने की , पुरे गाँव के सामने बदनाम करता है उसे ” रीना की माँ ने मेरे गाल पर थप्पड़ मारा .

कोई और होता तो मैं उसे बता देता पर सहन किया मैंने.

मैं- थप्पड़ मारने से सच बदल नहीं जाएगा, अब बात खुली है तो दूर तक जायेगी, मैं और रीना एक दुसरे से प्यार करते है , ब्याह करना चाहते है

संध्या- मनीष, गाँव के सामने तमाशा मत कर

रीना की माँ- तमाशा तो इसने कर ही दिया है , अपनी औकात भूल गया है ये, इसके साथ थोडा बोल बतला क्या ली इसने तो हद ही पार कर दी, गाँव राम की कोई शर्म है या नहीं , देखो गाँव वालो बहन बेटी को ही ब्याहने की मन में है इस नीच के.

इकठ्ठा हुए गाँव वालो ने भी रीना की माँ के सुर में सुर मिलाये.

संध्या- रीना भांजी है हमारी मनीष , हम मानते है की तुम करीब हो एक दुसरे के पर जो तुम चाहते हो वो कभी नहीं हो पायेगा.

मैं- तुम जानती हो चाची, वो इस्तेमाल करना चाहता है उसका.

रीना की माँ- मेरी बेटी तो उसके साथ ही ब्याही जाएगी, मैं तो लाख से भी इतने बड़े घर का रिश्ता न छोडू

मैं- रीना से तो पूछ लो एक बार

रीना की माँ- मेरी बेटी है वो , उस से पूछने की क्या जरुरत मुझे, जहाँ कहूँगी वही उठेगी- बैठेगी मेरी बेटी.

मैं- ठीक है फिर , अगर तेरी यही जिद है तो ये ही सही . तू कर रिश्ता , बुला बारात मैं भी देखूंगा डोली कैसे उठती है . तेरे साथ साथ ये पूरा गाँव जोर लगा ले .किसी के गांड में दम हो तो रोक लेना मुझे,

रीना की माँ- संध्या इसे समझाले , कहीं ऐसा न हो की बात फिर संभालनी मुश्किल हो जाये

चाची- आप घर जाओ. तमाशा मत करो मैं बात करुँगी इससे , इसका गुस्सा ठंडा हो जायेगा थोड़ी देर में . बात का बतंगड़ बनाना ठीक नहीं है .

रीना की माँ- जा रही हूँ , पर दुबारा इसकी जुबान पर मेरी बेटी का नाम आया तो जुबान खींच लुंगी इसकी .

मैं- सबसे पहले तुझे ही रस्ते से हटाऊंगा

संध्या- चुप हो जा, क्यों हमारी बेईजज्ती करवाता है.

मैं- तेरी बेइज्जती तब नहीं हुई जब तेरा आदमी इस औरत को पेल रहा था पूछ कर देख इस से कितनी बार ली है चाचा ने इसकी .

मेरे मुह से ये शब्द निकल तो गए थे पर तुरंत ही मुझे अहसास हो गया की ये नहीं कहना था पर अब तीर कमान से निकल चूका था . हर कोई ये बात सुन कर स्तब्ध रह गया . चाची ने अपने मुह पर हाथ रख लिया.

रीना की माँ- कोई और आरोप है तो वो भी लगा ले, जितना जहर तेरे अन्दर भरा है सारा उगल ले तू, कमीने अब तू भी देखना मैं क्या करती हूँ .

रीना की माँ तमतमते हुए घर चली गयी चाची ने मेरी बाहं पकड़ी और घर के भीतर ले आई.

चाची- भर गया मन तेरा , मिल गयी कलेजे को ठंडक. ये तमाशा जो तूने किया है करने की जरुरत नहीं थी, और गड़े मुर्दे उखाड़ कर क्या मिला तुझे, तेरी माँ की उम्र की है वो उसकी इज्जत उछाल दी तूने. बहुत बहादुरी का काम किया तूने . तेरे दिमाग में न जाने क्या भरा है , मैंने दुनिया देखि है , न जाने क्या क्या देखा है , तू सोच भी नहीं सकता उस सच को मैं रोज देखती हूँ , उस सच को बड़ा होते हुए देखा है मैंने. हर बार मैंने तुझे टोका रीना के लिए , कोई तो कारण रहा होगा न . ऐसा नहीं है की मुझे तेरी परवाह नहीं है , तू इस दुनिया में किसी भी लड़की की तरफ इशारा कर , उसे तेरी बहु बनाकर इस घर में ले आउंगी मैं . पर रीना तेरी नहीं हो सकती इस अकाट्य सत्य को तुझे मानना ही पड़ेगा.

मैं- मेरा दिल नहीं मानता

चाची- इस दिल के ही तो है ये सारे बखेड़े. शाम को जाकर रीना की माँ से माफ़ी मांग लेना , वो समझ जाएगी.

मैं- उसके पैर पकड़ लूँगा. अगर वो मेरी बात समझे तो .

संध्या- जिसे तू खेल समझ रहा हैं न वो मौत की वो दास्तान है , जिसकी तपिश में तू झुलसेगा नहीं , जलेगा, रीना जेठ जी की सरपरस्ती में है इतना काफी है तुझे हकीकत समझाने को . हम सब उसके पहरेदार है . आगे तेरी मर्जी है , तू जाने और तेरा नसीब जाने.

“मैं अपना नसीब खुद लिखूंगा ” मैंने कहा और घर से बाहर आ गया .

कुवे पर पहुंचा तो देखा की ताई वहां पर मोजूद थी .

ताई- कितने दिन हुए घर पर आया नहीं तू , हार कर मैं ही आई इधर .

मैं- क्या करता घर पर आकर,

ताई- और लोग क्या करते है , तेरा घर है तू नहीं आएगा तो कौन आएगा.

मैं- मैं वहां रहता तो तुम्हे मौका नहीं मिलता चाचा संग सोने का . और तुम्हे मेरी क्या जरुरत , कोई न कोई तो होता ही है तुम्हारी लेने के लिए. दोपहर को मैं घर पर ही था मैंने देख लिया था चाचा और तुझे. सच कहूँ तो मुझे गुस्सा नहीं आता इस बात पर की मन में आये उसको दे रही है तू, पर मुझे कोफ़्त होती है मेरी ताई ........

ताई- तू मुझे दोष तो दे सकता है , पर ये तो पूछ की आखिर मैं ऐसी कैसे हो गयी, किसने मुझे ये लत लगाई की मैं गंड मरी हो गयी. किसने मुझे ये आदत डाली की मैं चुदे बिना रह ही नहीं पाती.

मैं- नहीं जानना मुझे ये


ताई- क्यों नहीं जानना मुझे, मुझे चोद सकता है , मेरी गांड मार सकता है पर ये नहीं पूछने की हिम्मत की किसने मुझे नंगी बनाया. ....
Sahi jaa raha bhai
 
Top